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शिव ओम गुप्ता |
और जिनकी आंखें अभी तक नहीं खुली है तो अच्छा है कि उनकी कभी न खुले? क्योंकि केजरीवाल की चाल-चरित्र और कथनी-करनी का आउटकम ने काईया टाइप के उन सभी राजनीतिकों के कान काट लिए हैं।
जनलोकपाल और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ काम करके सत्ता में पहुंचे केजरीवाल दोनों को भुला बैठे है।
केजरीवाल को याद है तो सिर्फ आत्मप्रचार और बंदे ने आत्मप्रचार के लिए दिल्ली बजट से 526 करोड़ रुपये सरेआम ऐठ लिए हैं।
पिछले पांच महीने की केजरीवाल सरकार ने नूराकुश्ती, झगड़ों और खींचतान के अलावा ऐसा क्या किया है, जिसे आप उंगलियों पर गिन सकें?
बिजली टैरिफ की दरों में कमी और मुफ्त पानी की बात तो पुरानी है, जो केजरीवाल ने 49 दिनों की सरकार में ही लागू कर दिया था? पिछले पांच महीने में केजरीवाल ने क्या किया यह सबको मालूम है?
केजरीवाल की तरफ से बोलने वालों में कुछ वे टीवी पत्रकार हैं, जो टीवी पत्रकारिता से रिटायर होने के बाद राजनीति में घुसने का अवसर तलाश रहें हैं।
केजरीवाल ने पिछले पांच महीने में फर्जी डिग्री धारी कानून मंत्री जीतेंद्र सिंह तोमर को डिफेंड करने गंवाये, केजरीवाल ने पिछले पांच उप-राज्यपाल नजीब जंग और केंद्र सरकार से अपनी फजीहत कराने में गंवाई, केजरीवाल ने पिछले पांच महीने में अपने विधायकों की सुख-सुविधा और तनख्वाहों वृद्धि करने में सरकारी खजाने लुटाए और केजरीवाल ने पिछले पांच महीने दिल्लीवालों के लिए भले ही कुछ नहीं किया, लेकिन पूरी दिल्ली को कूड़ादान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अभी तो पांच महीने हुए हैं जनाब, आगे-आगे देखिये कि बंदर के हाथ में उस्तरा थमाने वाली दिल्ली को पेट्रोल की बढ़ी दरों के अलावा क्या-क्या झेलना पड़ेगा? और केजरीवाल के 70 वादों की आस में बैठे लोगों को कान में तेल और आंख में सूरमा लगा लेना चाहिए, क्योंकि केजरीवाल काम करें न करे लेकिन टीवी और रेडियों पर उम्मीदों का यशोगान जरूर करेगा।
तो जिनको केजरीवाल पर अभी भी भरोसा बचा है वे अपने कानों में तेल और आंखों में सूरमा लगाकर रेडियो और टीवी खोलकर बैठे रहें, क्योंकि केजरीवाल 70 वादें रेडियो और टीवी पर ही पूरी करेगा वरना कोसने के लिए प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार उसके लिए खुला ऑप्सन है!
#Kezriwal #AAP #DelhiCM #70Promises
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