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शिव ओम गुप्ता |
भरोसा नहीं तो आंकड़े उठाकर देख लीजिये? क्योंकि हमेशा सच बयां करते हैं। हिंदू और हिंदुत्व की सहिष्णुता का प्रमाण है कि हिंदू_मुस्लिम आधार पर वर्ष 1947 में हुए भारत_पाकिस्तान के बंटवारे के बाद दोनों देशों में वर्ष 1951 में हुए पहली #जनगणना सारी कहानी बता देते हैं।
दोनों देशों द्वारा जारी किये गये वर्ष 1951 की जनगणना के मुताबिक पाकिस्तान में हिंदू_आबादी कुल पाकिस्तान की 12.9 फीसदी थी जबकि इसी वर्ष भारत में मुस्लिम_आबादी कुल हिंदुस्तान की आबादी 9.8 फीसदी थी।
लेकिन वर्ष 2011 में हिंदुस्तान के जनगणना के आंकड़े और वर्ष 1998 में पाकिस्तान के आखिरी जनगणना के आंकड़े हिंदुओं की सहिष्णुता और मुस्लिमों की असहिष्णुता को पोल खोल देते हैं।
पाकिस्तान में वर्ष 1998 में हुए आखिरी जनगणना के मुताबिक पाकिस्तान में हिंदू आबादी 14.2 से घट कर महज 1.6 फीसदी रह गई, जो वर्ष 1951 में कराये गये पाकिस्तानी जनगणना के घोषित हिंदू आबादी से करीब 13 फीसदी कम हो गया।
जबकि वर्ष 2011 में हिंदुस्तान में आखिरी जनगणना के जारी रिपोर्ट के मुताबिक हिंदुस्तान में मुस्लिम आबादी 9.8 फीसदी से बढ़कर 12.9 फीसदी पहुंच गई है, जो वर्ष 1951 में कराये गये हिंदुस्तान की पहली जनगणना के घोषित आबादी से 3 फीसदी से अधिक बढ़ा है।
इन आंकड़ों की रोशनी में अब आप तय कर सकते हैं कि हिंदू और हिंदुस्तान कितना सहिष्णु और भाईचारा प्रेमी है। खुद तय कीजिये कि कौन सहिष्णु है और कौन असहिष्णुता के नाम की राजनीति करते आ रहें हैं और सत्ता की मलाई काटते रहें हैं।
ये आंकड़े उन दोगले नेताओं और साहित्यकारों के मुंह पर तमाचा मारता है, जो तथाकथित सेकुलरिज्म (धर्मनिरपेक्षता) की आड़ में झूठ और धोखे की राजनीति करके धार्मिक उन्माद को हवा देते रहें हैं।
देश में धार्मिक असहिष्णुता ने नाम पर जो झूठ फैलाकर हिंदू-मुस्लिम के बीच उन्माद फैलाकर राजनीतिक रोटियां सेंकी जा रही है, उनको जबाव उन्हें ही देना होगा जिनको आजादी के बाद से कांग्रेस समेत पार्टियां मूर्ख बनाते आ रहें हैं और उनका वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करती रहीं हैं ।
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