सोमवार, 27 जुलाई 2015

कांग्रेसी कीचड़ स्नान को भी संग्रहित करके रखना चाहते हैं?

कांग्रेस के स्वघोषित विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा है?

मल्लिकार्जुन जी, पूरा मानसून सत्र कांग्रेसियों के हो-हल्ले और हंगामे के कारण खत्म होने के कगार पर है और कितना बोलोगे?

इससे पहले, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की शिकायत थी कि लोकसभा टीवी कांग्रेसी हो-हल्ले और हंगामे को नहीं दिखा रही है?

मतलब क्या है? कुछ कर्म हो तो अच्छा लगता है कि लोग उसको दिखाये, लेकिन सोनिया गांधी हंगामे और शोर-शराबे को ही राजनीति सफलता मानती है। यहां लोग खराब फोटो खींच ली जाये तो उसे डिलीट कर देते हैं, लेकिन कांग्रेसी कीचड़ स्नान में भी संजों कर रखना चाहते हैं।

#Congress #Uproar #Parliament #Loksabha #RajyaSabha #SoniaGandhi

अन्ना की मत सुनियो रे, अन्ना ठग लेंगे?

शिव ओम गुप्ता
अन्ना हजारे को कोई बता दे कि उनकी साख और ईमानदारी अब दुकानों में बिक चुकी है और खरीदार को खरीदते और उनको सरेआम बिकते भी लोग खुली आंखों से देख चुके हैं।

तो अन्ना जी बोल-बच्चन अब बंद कीजिये, अब किसी से कुछ छिपा नहीं कि आप (अन्ना हजारे) धरना-प्रदर्शन की चलती-फिरती दुकान हो? सबने देखा है जहां फायदा दिखा आपने वहीं दुकान खोल ली और मुनाफा कम होते देख दुकान बंद कर भागते भी देखा है!

जिनकी आंखें अभी नहीं खुली तो याद कर ले अन्ना हजारे उनकी अनंत कथा को? राजनीतिक सपोर्ट को न कहने वाले अन्ना चोरी-छिपे चेले केजरीवाल की गंदी राजनीति को सपोर्ट ही नहीं कर रहे, बल्कि आशीर्वाद भी देतो रहें हैं।

ये वहीं अन्ना हजारे हैं, जिन्होंने टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी की राजनीति प्रेरित रैली में हां करके भी नहीं गये, क्योंकि ममता की रैली अन्ना हजारे को सुनने वाले ही नहीं पहुंचे?

अन्ना हजारे ने खुद यह स्वीकार किया था कि वे ममता की रैली में इसलिए नहीं गये क्योंकि ममता की रैली में भीड़ नहीं जुटी?

अब सोचिए, अन्ना हजारे सामाजिक कार्यकर्ता हैं या राजनीतिक रैली की चलती-फिरती दुकान, जो नफे-नुकसान पर बोलता और मजमा लगाता है? मतलब कल आप भीड़ इकट्ठी करके किसी भी रैली में अन्ना हजारे को हायर कर सकते है और अन्ना हजारे न केवल वहां दुकान खोलेंगे, बल्कि दुकान पर धरना-प्रदर्शन बेचेंगे भी?

कहने का मतलब है कि अन्ना हजारे की विश्वसनीयता बिक चुकी है, बिकाऊ है, जिसे कोई भी रेंट देकर हायर कर सकता है और धरना-प्रदर्शन की कृत्रिम दुकान खोल सकता है और सियासी रोटी सेंक सकता है।

इसका सबसे बेहतर उदाहरण दिल्लीवालों को मु़ूर्ख बनाकर सत्ता तक पहुंच चुके अरविंद केजरीवाल के रुप में आपके सामने है। गुरू-चेले की दुकान चल निकली है और गुरू गाहे-बगाहे चेले को आशीर्वाद देने दिल्ली पहुंच ही जाता है।

अन्ना हजारे केंद्र की मोदी सरकार को चुनावी वादा पूरा करने की हिदायत और धरना-प्रदर्शन करने का प्रायेजित कार्यक्रम भी बता चुके हैं, लेकिन अन्ना हजारे चेले केजरीवाल की नूराकुश्ती, राजनीतिक कारस्तानी और धमाचौकड़ी पर आंखें मूंदे हुए हैं और न ही केजरीवाल को 70 चुनावी वादों को पूरा करने की याद दिलाते है, क्योंकि वे अभी "बींइग हायर्ड बॉय आम आदमी पार्टी" तो मोदी सरकार खिलाफ ही बोलेंगे और धरना-प्रदर्शन करेंगे?

#AnnaHazare #SocialWorker #Kezriwal #ProtestRally #StrikeShop #AAP #BeingHired

रविवार, 26 जुलाई 2015

सलमान को हीरोगिरी पर्दे पर ही करनी चाहिए?

चलो अच्छा हुआ सलमान को अक्ल आ गई और पिता सलीम खान की हिदायत के बाद सलमान ने अपने सभी #विवादितट्वीट वापस ले लिए हैं।

सलमान खान को शायद अब बात समझ में आ गई होगी कि जहां जरूरत न हो और जिसमें दखल न हो, वहां उंगुली नहीं करनी चाहिए।

Salman khan, whose own leg already in jail for conviction in Hit & Run case?

How can Salman speak against supreme Court verdict who himself bail out from jail ?

Salman should thanks to his well wisher whose prayers out him from jail otherwise he should be in jail for killing those innocent people.

Salman's these step will work against to him. Mean, How can a person raise voice against top most court to support of a killer of 1993 Mumbai bomb blast?

#SalmanKhan #YakubMemon #MumbaiBlast #HitandRunCase

मिस्टर केजरीवाल, "मूर्खता की भी हद होती है?"

केजरीवाल के पोस्टर वार में कहा गया है, " प्रधानमंत्री सर, दिल्ली सरकार को काम करने दीजिये? दिल्ली सरकार अच्छा काम कर रही है?"

किस उल्लू के पट्ठे ने यह पोस्टर लिखा है या किस गधे ने इसे लिखवाया है।

पोस्टर में केजरीवाल का आरोप है कि प्रधानमंत्री दिल्ली सरकार को काम नहीं करने दे रहें हैं और फिर भी दिल्ली सरकार ठीक काम कर रही है ?

मतलब, प्रधानमंत्री द्वारा काम नहीं करने देने के बावजूद दिल्ली सरकार ठीक काम कर रही है, वो भला कैसे?

कहने का अर्थ है कि स्कूल के प्राचार्य ने क्लास में बैठकर पढ़ने नहीं दिया और इग्जाम दिये बगैर पप्पू पास भी हो गया?
#Kezriwal #AAP #DelhiGovt #DelhiCM #PosterWar #AdCampaign #526Crore

शनिवार, 25 जुलाई 2015

क्या अब श्रीसंत जैसे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर से माफी मांगेगी पुलिस?

मुझे फर्क नहीं पड़ता कि स्पॉट फिक्सिंग केस में श्रीसंत, चंडीला और चाव्हाण को आरोप मुक्त कर दिया है,  लेकिन तकलीफ होती है कि दिल्ली पुलिस ने जिस प्रकार से श्रीसंत जैसे इंटरनेशनल खिलाड़ी को मुंह पर काला कपड़ा बांधकर गिरफ्तार किया और पूरी दिल्ली में घुमाया था?

आज कोर्ट में श्रीसंत की आंखों में आंसू बरबस नहीं आये होंगे, वे शायद आंसू खून के रहे होंगे? क्या दिल्ली पुलिस श्रीसंत के ऊपर किये अपमान के बोझ को अब उतार सकती है, जो श्रीसंत ने पिछले 3 वर्ष तक ढोते और सहते रहे?

दिल्ली पुलिस के तत्कालीन कमिश्नर नीरज कुमार ने जब श्रीसंत की गिरफ्तारी की थी तभी मैंने श्रीसंत की गिरफ्तारी के तरीके पर सवाल उठाया था उसकी भर्त्सना की थी।

#Srishant #SpotFixing #IPL #CaseDropped 

दिल्लीवालों! तुमने केजरीवाल को नहीं, लोकतंत्र के अभिशाप को चुना है?

कैसे-कैसे नमूने चुने थे केजरीवाल ने...जमानत पर रिहा हुए फर्जी डिग्री धारी जीतेंद्र सिंह तोमर कह रहा है फर्जी डिग्री के अपराधी को जेल नहीं भेजना चाहिए?

यही नहीं, दूध का दूध और पानी का पानी साबित हो गया और तोमर की सारी डिग्रियां फर्जी पाई गई बावजूद इसके बंदा कह रहा है कि केजरीवाल सरकार को कलंकित करने के लिए यह सब किया गया?

मतलब, आम आदमी पार्टी के रुप एक ऐसी पार्टी को दिल्लीवालों ने सरआंखों पर बिठा लिया है जो लोकतांत्रिक गरिमा और नैतिकता को ताख पर रख कर बेशर्मी से काम करने की नींव डाल रही है, जो कि बेहद खतरनाक है।

हमारे देश में लोकतंत्र की जड़ें बेहद गहरी रहीं हैं और पार्टियां कितनी भी भ्रष्टाचार में लिप्त रहीं हों, वे लोकतंत्र पर भरोसा और उसका सम्मान करती रहीं है और हजारों ऐसे उदाहरण हैं, जहां पार्टियों ने नैतिकता के आधार इस्तीफा दे चुकी हैं ।

लेकिन केजरीवाल एंड पार्टी का अभ्युदय ही लोकतांत्रिक परंपराओं की हत्या करके हुई है। केजरीवाल ने लोकतांत्रिक जन आंदोलन को अपनी कुर्सी सजाने और खुद को सत्ता तक पहुंचाने में इस्तेमाल किया। यही कारण है कि अब कोई भी जन आंदोलन पब्लिक सिंपैथी नहीं बंटोर पाता है। केजरीवाल के कारनामें के बाद लोकतांत्रिक तरीके से किये जाने वाले धरना-प्रदर्शन के वजूद पर कालिख पुत गई और इसमें शामिल होने में कम ही रुचि दिखाता है।

केजरीवाल एंड पार्टी की कारगुजारियों की इबारत यही खत्म हो जाती तो अच्छा था, लेकिन ये और भी गये-गुजरे निकले? इस पार्टी हमारे लोकतंत्र में मौजूद शुचिता और नैतिकता को भी नष्ट करने की कोशिश कर डाली है।

बात चाहे फर्जी डिग्री धारी जीतेंद्र सिंह तोमर को 4 माह कानून मंत्री बनाये रखना हो या किसान रैली में गजेंद्र सिह चौहान की लाइव फांसी का मंचन। यानी गजेंद्र सिंह चौहान झूलता रहा और केजरीवाल एंड पार्टी सत्ता की हवस में झूलती रही।

ऐसी घोर सत्ता की हवसी पार्टी से क्या उम्मीद की जा सकती है, जो प्रचार पाने के लिए, राजनीतिक फायदे के लिए किसी की मौत को कैश करने से पीछे नहीं हटती।

केजरीवाल ने अपनी ही कार्यकर्ता संतोष कोली की मौत को राजनीतिक हथकंडे की तरह इस्तेमाल किया, केजरीवाल ने गजेंद्र सिंह चौहान की मौत का इस्तेमाल किया और फजीहत हुई तो बेशर्मी से उसकी मौत को शहीदी बनाने की भरपूर कोशिश की।

और केजरीवाल ने अभी आनंद पर्वत पर मारी गई मीनाक्षी की मौत को राजनीतिक हथियार के रुप में इस्तेमाल करना बतलाता है कि दिल्लीवालों, तुमने केजरीवाल को वोट नहीं किया बल्कि एक लोकतंत्र के हत्यारे को वोट किया है, जो राजनीतिक फायदे के लिए लाशों पर राजनीति करने में पीछे नहीं रहता है।

#Kezriwal #DramaKing #AAP #Insane  #JitendraTomer #Meenakahi #DirtyPolitics 

शुक्रवार, 24 जुलाई 2015

क्या केजरीवाल की होर्डिंग, पोस्टर और टीवी ऐड से भला होगा दिल्ली का?

क्या दिल्लीवालों ने केजरीवाल की नूराकुश्ती देखने के लिए 70 में से 67 सीटें सीटे जितवा कर दी थी?

रोज-रोज हंगामा, दिल्ली के सीमित अधिकार क्षेत्र से निकल कर फैसला करना, फिर गला फाड़-फाड़कर चिल्लाना, वो परेशान करते रहे, हम काम करते रहे?

और फिर पोस्टर, होर्डिंग और टीवी पर मंहगे प्रचार करके जनता का पैसा उड़ाकर राजनीतिक स्टंट करना दिखलाता है कि केजरीवाल एंड उनकी पार्टी कितनी खोखली और छिछली है।

पिछले 5 माह से केजरीवाल की सरकार से दिल्ली में केजरीवाल मुख्यमंत्री हैं, क्या कोई बता सकता है कि केजरीवाल ने किये 70 वादों में किसे पूरा करने को कोशिश की है? बिजली-पानी तो 49 दिनों की पिछली सरकार का एक्सटेंशन है, सेचिये?

#Kezriwal #AAP #DramaKing #DirtyPolitics #Adpolitics #LG #DelhiPolice #NajeebJung

गुरुवार, 23 जुलाई 2015

4 घंटे में दिखा दी केजरीवाल एंड पार्टी ने अपनी औकात!

थूक कर चाटना किसी को सीखना हो तो केजरीवाल से सीख ले। सच कह रहें हैं बिल्कुल प्रोफेशनल डिग्री मिलेगी।

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष नियुक्त करने से पहले केजरीवाल ने उप-राज्यपाल नजीब जंग को पूछा तक नहीं और जब उप-राज्यपाल नजीब जंग ने नियुक्त रद्द कर दी तो हमेशा की तरह केजरीवाल आवं-बावं बकने लगे।

मसलन, मोदी सरकार दिल्ली में हार का बदला दिल्लीवालों से ले रही है, प्रधानमंत्री मोदी केजरीवाल को काम नहीं करने दे रही है?

और शाम होते-होते केजरीवाल की राजनीतिक उठापटक और आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति खत्म और चुुपचाप अपनी औकात पर आ गये और चुपचाप उप-राज्यपाल के पास स्वाति मालीवाल को नियुक्त करने वाली फाइल भेज दी है।

अब तो दिल्ली का बच्चा-बच्चा जान चुका है कि केजरीवाल कितना बड़ा झूठा, बड़बोला और कितना धूर्त इंसान है, जो कुंठित राजनीति के लिए क्या -क्या कर सकता है।
#Kezriwal #AAP #DramaKing #SwatiMaliwal #DCW #NajeebJung

झूठ-दुष्प्रचार की पोल खुलेगी तो पप्पू हॉलीडे पर भाग जायेगा?

शिव ओम गुप्ता
कांग्रेस का झूठ, दुष्प्रचार और बहस से छूटते ही भागने की प्रवृत्ति की हवा जल्द ही निकलने वाली है।

पप्पू की बांहें सिकोड़ कर लफ्फाजी हो या कांग्रेसी नेताओं का पप्पू कांट डांस साला को जबरन माइकल जैक्सन बताने की कोशिश का भी पोल खुलेगा? लेकिन तब कांग्रेस, मीडिया और पिछलग्गू लोग मुंह कहां छिपा कर बैठेंगे?

क्योंकि कांग्रेस के पास उन सभी मुद्दों पर हो-हल्ला के अलावा कोई तथ्य नहीं है, जिससे वो संसद में बहस कर सकें, इसलिए वे महज चिल्ला रहें और बहस से भाग रहें हैं।

वरना व्यापम मामले पर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच कर रही है, रिजल्ट आये तो बात-बहस हो,  लेकिन उससे पहले संसद को ठप करने की अक्लमंदी समझ नहीं आती है।

जहां तक बात ललित मोदी की बीमार पत्नी को इलाज के लिए और उन्हें पुर्तगाल भेजने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा लेटर लिखना अपराध नहीं, बल्कि इंसानियत है। यहां यह याद रखना जरूरी है कि सुषमा ने मदद ललित मोदी की नहीं, ललित मोदी की पत्नी की है, जो कानूनन अपराध नहीं है।

वरना 31 जुलाई को फांसी पर चढ़ाये जाने वाले याकूब मेमन के साथ याकूब की पत्नी को भी फांसी पर चढ़ा दिया जाता, क्योंकि कांग्रेस के मुताबिक याकूब की पत्नी भी उसके पति के अपराध के लिए दोषी होती है?

लेकिन कांग्रेस जानती है कि देश की मीडिया ऐसे बगैर सिरपैर की खबरों को टीआरपी के लालच में जरूर उठायेगी और उनका मतलब निकल जायेगा और हद तक कांग्रेस सफल भी होती दिख रही है।

लेकिन कब तक? झूठ के सिर और पैर नहीं होते हैं, जैसे पर्दा उठेगा, कांग्रेसी कहां छिपेंगे इसकी चिंता उन्हें अभी से कर लेनी चाहिए? समभव है पप्पू और पप्पू की मम्मी विदेश निकल जायेंगे!
#Congress #Uproar #LokSabha #RajyaSabha #LalitGate #Vyapam

केजरीवाल का टॉप फ्लोर खाली है क्या?

कसम से, केजरीवाल की हरकतें, कारगुजारी और बेहूदा विज्ञापन देखकर कोफ्त होती है कि आखिर कैसे यह पूरी दिल्ली को मूर्ख बनाकर मुख्यमंत्री बन गया?

रोज कुछ न कुछ ऐसा काम करता रहता है, जो केन्द्र प्रशासित क्षेत्र दिल्ली के अधिकार से बाहर है।

भाई केजरीवाल जब तुझे तेरी औकात पता है, तो क्यों अपना पैर अपनी चादर से अधिक फैला देता है।

और फिर बेवजह अपनी मूर्खता पर रोते हुए खुद को बेचारा और लाचार घोषित करते हुए देश के प्रधानमंत्री को घसीट लेना बतलाता है कि कहीं केजरीवाल का टॉप फ्लोर खाली तो नहीं है, जिसके भरोसे दिल्लीवालों ने वोट किया था?
#Kezriwal #AAP #DramaKing #DCW  #ControveryKing #LG #DelhiNCR #NCT

बुधवार, 22 जुलाई 2015

प्रधानमंत्री पर आरोप लगाकर राजनीति में कैरियर बना रहें हैं AAP नेता

आम आदमी पार्टी के नेताओं में खबरों में और विवादों में बने रहने की जैसे होड़ मची हुई है। जैसे कि अब चूके तो फिर मौका नहीं मिलेगा?

खबर है कि एक AAP नेता दिलीप पांडे ने पहले यह खबर उड़ाई कि दिल्ली पुलिस उनके ऊपर बस चढ़ाकर मार देना चाहती है, लेकिन बात कुछ जमी नहीं?

तो निराश दिलीप पांडे बरतन-भांडा लेकर फिर प्रधानमंत्री मोदी पर खुद मरवाने का आरोप लगा दिया?

सवाल है? जिस दिलीप पांडे के गली का काला कुत्ता नहीं जानता-पहचानता है, उसको प्रधानमंत्री पर कीचड़ उछाल कर कौन से चिड़ियाघर में जगह मिल जायेगी?

#Kezriwal #AAP #Controversy #DilipPandey #Delhi

शनिवार, 18 जुलाई 2015

जिन्हें केजरीवाल से उम्मीद है वे आंखों में सूरमा और कानों में तेल डालकर बैठें!

शिव ओम गुप्ता
दिल्ली को मूर्ख बनाकर मुख्यमंत्री बन बैठे अरविंद केजरीवाल की रासलीला और इहलीला से अब लगभग सभी वाकिफ हो चुके हैं कि बंदा चीज क्या है।

और जिनकी आंखें अभी तक नहीं खुली है तो अच्छा है कि उनकी कभी न खुले? क्योंकि केजरीवाल की चाल-चरित्र और कथनी-करनी का आउटकम ने काईया टाइप के उन सभी राजनीतिकों के कान काट लिए हैं।

जनलोकपाल और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ काम करके सत्ता में पहुंचे केजरीवाल दोनों को भुला बैठे है।

केजरीवाल को याद है तो सिर्फ आत्मप्रचार और बंदे ने आत्मप्रचार के लिए दिल्ली बजट से 526 करोड़ रुपये सरेआम ऐठ लिए हैं।

पिछले पांच महीने की केजरीवाल सरकार ने नूराकुश्ती, झगड़ों और खींचतान के अलावा ऐसा क्या किया है, जिसे आप उंगलियों पर गिन सकें?

बिजली टैरिफ की दरों में कमी और मुफ्त पानी की बात तो पुरानी है, जो केजरीवाल ने 49 दिनों की सरकार में ही लागू कर दिया था? पिछले पांच महीने में केजरीवाल ने क्या किया यह सबको मालूम है?

केजरीवाल की तरफ से बोलने वालों में कुछ वे टीवी पत्रकार हैं, जो टीवी पत्रकारिता से रिटायर होने के बाद राजनीति में घुसने का अवसर तलाश रहें हैं।

केजरीवाल ने पिछले पांच महीने में फर्जी डिग्री धारी कानून मंत्री जीतेंद्र सिंह तोमर को डिफेंड करने गंवाये, केजरीवाल ने पिछले पांच उप-राज्यपाल नजीब जंग और केंद्र सरकार से अपनी फजीहत कराने में गंवाई, केजरीवाल ने पिछले पांच महीने में अपने विधायकों की सुख-सुविधा और तनख्वाहों वृद्धि करने में सरकारी खजाने लुटाए और केजरीवाल ने पिछले पांच महीने दिल्लीवालों के लिए भले ही कुछ नहीं किया, लेकिन पूरी दिल्ली को कूड़ादान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

अभी तो पांच महीने हुए हैं जनाब, आगे-आगे देखिये कि बंदर के हाथ में उस्तरा थमाने वाली दिल्ली को पेट्रोल की बढ़ी दरों के अलावा क्या-क्या झेलना पड़ेगा? और केजरीवाल के 70 वादों की आस में बैठे लोगों को कान में तेल और आंख में सूरमा लगा लेना चाहिए, क्योंकि केजरीवाल काम करें न करे लेकिन टीवी और रेडियों पर उम्मीदों का यशोगान जरूर करेगा।

तो जिनको केजरीवाल पर अभी भी भरोसा बचा है वे अपने कानों में तेल और आंखों में सूरमा लगाकर रेडियो और टीवी खोलकर बैठे रहें, क्योंकि केजरीवाल 70 वादें रेडियो और टीवी पर ही पूरी करेगा वरना कोसने के लिए प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार उसके लिए खुला ऑप्सन है!

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #70Promises 

शुक्रवार, 17 जुलाई 2015

राहुल गांधी को अब बड़बोलेपन और लफ्फाजी से बचना चाहिए?

शिव ओम गुप्ता
राहुल गांधी 2जी घोटाला, जीजाजी घोटाला, कॉंमनवेल्थ घोटाला, आदर्श घोटाला, कोलेगेट, रेलगेट भूल गये होंगे, लेकिन देश की जनता नहीं भूली है।

कांग्रेस को याद रखना होगा कि दीया जितना फड़फड़ाता है, उसके बुझने की संभावना तेजी से बढ़ जाती है। यही हाल इन दिनों पप्पू (राहुल गांधी) का है।

राहुल गांधी जितनी ऊर्जा प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ बोलने में लगाते हैं वहीं ऊर्जा अगर वो सकारात्मक राजनीति में लगायें तो शायद देश की जनता एक बार पप्पू को पप्पू समझकर माफ कर दे, लेकिन राहुल गांधी की प्रधानमंत्री के बारे में लगातार अनाप-शनाप टिप्पणी उन्हें ही हल्का-छिछला और सतही सोच का इंसान साबित कर रहा है।

राहुल गांधी को कोई समझाता क्यों नहीं कि आसमान पर थूंकने पर खुद का थूका हुआ खुद के मुंह पर ही गिरता है और यह बात पिछले 15 वर्ष गुजरात विधानसभा चुनाव और 2014 लोक सभा चुनाव और उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस नहीं समझ सकी तो उनका भगवान ही मालिक है।

जहां तक बात प्रधानमंत्री मोदी के 56 के सीने का है तो कांग्रेस जब गुजरात में मुख्यमंत्री रहते कुछ नहीं कर सकी तो प्रधानमंत्री रहते क्या कर सकती है, बताने की जरूरत नहीं?

कांग्रेस को अपनी औकात के हिसाब से बोलने की आदत डाल लेनी चाहिए क्योंकि उसकी औकात अब राष्ट्रीय पार्टी जैसी नहीं रह गई है। बिहार विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की क्या हालत होने वाली है, सबको पता है, विधान परिषद् के चुनाव परिणाम बानगी भर हैं ।

कांग्रेस के उपाध्यक्ष श्रीमान पप्पू को अब बड़बोलेपन से बाज आना चाहिए और लफ्फाजी के बजाय कुछ ठोस सकारात्मक रवैया अपनाना चाहिए वरना दो राय नहीं जब हार दर हार के बाद नानी याद आयेगी तो नानी के घर ही भाग कल जाना पड़ेगा!


#RahulGandhi #Congress #Pappu #Modi

गुरुवार, 16 जुलाई 2015

आखिर बंदर (केजरीवाल) ने कान काट ही लिया और पकड़ाओ उस्तरा!

ये लो भैय्या दिल्लीवालों, आपकी पसंदीदा सरकार ने फिर पलीता लगा दिया है, अब दिल्लीवालों को सबसे अधिक पेट्रोल और डीजल के मूल्य चुकाने होंगे!

आज ही मोदी सरकार ने डीजल -पेट्रोल के दामों में 2- 2 रुपये कमी की हैं, लेकिन केजरीवाल ने दिल्ली में पेट्रोल-डीजल पर अतिरिक्त वैट लगा दिये हैं, जिससे दिल्ली को इसका लाभ भी नहीं मिलेगा और कुछ अतिरिक्त भी चुकाना पड़ेगा?

केजरीवाल ने दिल्ली में बिकने वाली पेट्रोल की कीमतों में करीब 3 रुपये प्रति लीटर और डीजल में करीब 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिये हैं।

यानी अब मुफ्तखोरी की लालच में केजरीवाल को छाती पर बिठाने दिल्लीवालों को पता चलेगा कि बंदर के हाथ में उस्तरा पकड़ाने से क्या-क्या हो सकता है।

मंगलवार, 14 जुलाई 2015

अच्छे दिन तो दिख रहें हैं, हमें देश का खोया गौरव भी चाहिए?

शिव ओम गुप्ता
एक से एक तथाकथित बुद्धिजीवियों के जब मूर्खतापूर्ण पोस्ट देखता हूं तो दिल कहता है कि बिना टैगलाइन वाली जिंदगी ही बेहतर है।

बीजेपी अगले 25 वर्ष में विश्वगुरू बनने का भरोसा दिला रही है तो बुद्धिजीवी 25 वर्ष में सिर्फ अच्छे दिन से ही जोड़ देना चाहते है।

60 माह में अच्छे दिन की बात बीजेपी ने की थी, जो पिछले 1 वर्ष में शुरू हुई तमाम शीर्ष स्तर की योजनाओं में दिखता भी है।

आज ही की रिपोर्ट है कि बीजेपी सरकार द्वारा शुरू किये गये मेक इन इंडिया मिशन से देश में 48 फीसदी से अधिक निवेश की वृद्धि हुई है। यह तो एक नजीर है और सरकार ने ऐसी कितनी योजनाएं शुरू की हैं।

खबरों में बने रहने और लाइक उत्कुंठा में कुछ लोग बात का बतंगड़ बनाकर ऐसे दुष्प्रचार फैलाते है, जिसका सच से कोई वास्ता नहीं होता।

बात कांग्रेस की करें तो कांग्रेसी जब सत्ता से बाहर रहते हैं तो उनका गैर-कांग्रेसी सरकारों के खिलाफ झूठ और दुष्प्रचार फैलाकर बदनाम करने का इतिहास रहा है।

वो कांग्रेस जो पिछले 68 में देश का कबाड़ा कर दिया, वो कांग्रेस जिसने पिछले 10 वर्षों के शासन काल में महंगाई, भ्रष्टाचार और दर्जनों घोटाले करके देश को तबाह कर दिया, अब हम उनकी बात सुनने लगे है, धिक्कार है।

#Congress #VishwaGuru #IndiaPride #BJP #AmitShah #AchcheDin #Modi #Pappu

केजरीवाल को चंदा दे दो भाई, बिना पैसे के नौटंकी नहीं होगी?

तो लो भैय्या...फिर खड़े हो गये केजरीवाल चंदा मांगने? फिर मांग रहें हैं चंदा ताकि फैला सके फिर रायता, बस रायता और अधिक रायता...

केजरीवाल ने हर वर्ष 521 करोड़ रुपये रायता फैलाने के लिए तो बजट में प्रावधान कर लिए हैं तो अब और कहां रायता फैलाने के लिए चंदा चाहिए?

अच्छा हां, केजरीवाल को तो प्रधानमंत्री भी तो बनना है और मियां बिहार विधानसभा चुनाव में भी तो रायता फैलाने जायेंगे ।

तो दे दो भैय्या केजरीवाल को चंदा ताकि केजरीवाल का नौटंकी चालू रह सके वरना बहुत मिस करेंगे? है ना!

#Kezriwal #AAP #Fund #Donation #Drama

68 वर्षों की मूर्खता के बाद भी कुछ नहीं सीख सका पाकिस्तान!

शिव ओम गुप्ता
रुस में हुए ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान उफा में भारत और पाकिस्तान के बीच सारगर्भित विकास की बातचीत की शुरूआत देख-सुन कर थोड़ी उम्मीद बंधी थी कि शायद पाकिस्तान पिछले 68 वर्षों की मूर्खता से तौबा करके अब विकास और तरक्की को अपनाने की ओर बढ़ रहा है?

लेकिन पाकिस्तान पहुंचते ही पाकिस्तानी सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज के मुंह से फिर वहीं पुराना राग सुनकर बड़ी निराशा हुई!

ऐसा लगता है पाकिस्तान कश्मीर के नाम पर राजनीति करना नहीं छोड़ पायेगा और झूठे कश्मीर के दावों के बहकावों से पाकिस्तान की जनता को अंतहीन मौत में उलझा कर रखेगा?

कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और पाकिस्तान यह बात पिछले 68 वर्षों में अब तक नहीं समझ सका है। ऐसा लगता है कि इस झूठ की लड़ाई में पाकिस्तान का अस्तित्व ही कहीं न खत्म हो जाये?

क्योंकि जिस तरह से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की हालत है और आतंकवाद चरम पर है, उस तरह वह कभी फल-फूल नहीं पायेगा और ऐसे हालात में जीडीपी का सर्वाधिक पैसा रक्षा बजट पर खर्च करके उसका प्रॉक्सी युद्ध पाकिस्तान को ही खाये जा रहा है।

पाकिस्तान को भूल जाना चाहिए कि वह कभी भारत के अभिन्न अंग कश्मीर को आतंकवाद या सैनिक की लड़ाई में जीत पायेगा।

समझदारी तो यही है कि पाकिस्तान विकास और तरक्की की बातें करे, क्योंकि जो पाकिस्तान खुद को भी अभी तक संभाल नहीं पाया है वह किसी और का भरण-पोषण क्या कर सकता है।

पाकिस्तान द्वारा जबरन हड़पे गये पाक अधिकृत कश्मीर की सच्चाई किसी से छुपी नहीं है, जहां के वाशिंदों को पाकिस्तान ठीक से एक अस्पताल और यूनिवर्सिटी तक नहीं दे पाया है, वहां की रिहाईशी लोगों की माली हालत भी जगजाहिर है।
#Pakistan #KashmirIssue #Terrorism #UndistutedLand

सोमवार, 13 जुलाई 2015

इमरजेंसी से जनता खुश थी इसलिए इंदिरा को दोबारा चुना:खुर्शीद

कांग्रेस नेता सलमान खर्शीद का कहना है कि देश में आपातकाल का दंश देने वाली पूर्व प्रधानमंत्री #इंदिरागांधी दोषी हैं तो देश की जनता भी उतनी ही दोषी है, क्योंकि जनता ने #आपातकाल के दोबारा उन्हें प्रधानमंत्री चुन लिया था?

खुर्शीद साहब ठीक कहते हैं और ईश्वर करे सभी कांग्रेसी नेताओं को ऐसी बातें स्वीकार लेनी चाहिए, क्योंकि देश की जनता गलतियां सुधारना शुरू कर चुकी है!

मतलब, अब वो दिन दूर नहीं जब देश की जनता #कांग्रेस नामक कोढ़ को भारतीय राजनीतिक इतिहास से उखाड़ कर फेंक देगी?
#Congress #SalmanKhushid #Emergency #IndraGandhi

एक ऐसा हमसफर जो भौतिक गुणा-भाग से परे हो?

शिव ओम गुप्ता
फिल्म 'जब बी मेट' का एक डॉयलाग है, "एक लड़की और लड़के को देखते ही पता चल जाता है कि दोनों के दिल में एक-दूसरे के बारें में क्या फीलिंग्स हैं?

यह शायद हर एक युवा लड़का और लड़की के साथ भी होता है जब वह किसी लड़के अथवा लड़की से पहली बार मिलता है।

लड़का या लड़की जब पहली बार किसी लड़के या लड़की को देखते हैं तो दोनों एक ही झटके में यह समझ जाते हैं कि फलां लड़का या लड़की भाई टाइप का है बहन टाइप की है? अथवा ब्वॉयफ्रेंड मैटेरियल है या गर्लफ्रेंड मैटेरियल है?

यह सबके साथ होता है और इससे कोई इनकार भी नहीं कर सकता है और हां, यहां उनकी बात नहीं हो रही है जिनमें हर लड़की को गर्लफ्रेंड या लड़के को ब्वॉयफ्रेड बना लेने की फितरत होती है।

कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति अलहदा है? कोई किसी का कॉपी पेस्ट नहीं बन सकता! सबकी अपनी जुदा अदा व अंदाजोबयां होती हैं, जो दूसरों से बिल्कुल अलग होती है, बावजूद इसके लोग एक अलहदा व्यक्तित्व की दूसरे अलहदा व्यक्ति से तुलना करने से बाज नहीं आते हैं और अपने करीबी व्यक्ति की खूबियों को दरकिनार करके उसे दूसरे के जैसे बनने या बनाने की कोशिश करते हैं।

कहने का मतलब है कि जब किसी को देखते ही एक झटके में पता चल जाता है कि फलां व्यक्ति का व्यक्तित्व मनपसंद गर्लफ्रेंड या ब्वॉयफ्रेंड जैसा है तो फिर हम चुनाव करने के बजाय कमियां क्यों ढूंढने लगते हैं कि बाकी सब तो ठीक है, लेकिन यह कमी है?

ऐसे कमियां निकालने वाले व्यक्तित्वों की संख्या बहुतायत में हैं जो गुणा-भाग करके शादी तो कर लेते हैं, लेकिन बाद में मनपसंद ब्वॉयफ्रेंड जैसे दिखने वाले पहले व्यक्ति की तलाश अपने तथाकथित पति या पत्नी से करते हैं?

कहते हैं कि प्यार, इश्क और मोहब्बत पर जोर नहीं चलता है, बस हो जाता है? लेकिन फिल्मों को छोड़कर ऐसे मोहब्बत बहुत कम ही बगैर गुणा-भाग की परवान चढ़ पाते है।

क्योंकि कोई पैसे और बैंक बैलेंस के गुणा-भाग से जिंदगी से समझौता कर लेता है तो किसी को जाति-बिरादरी और धर्म विशेष के गुणा-भाग में समझौता करना पड़ता है।

कल्पना कीजिए! एक ऐस् समाज की संरचना की, जहां लोग उपरोक्त सभी वर्जनाओं से परे हों और अपने निजी जीवन के फैसले लेने में भौतिक जरुरतों के गुणा-भाग से दूर हों तो हमारे समाजिक संरचना और उसके तानेे-बाने में कितनी बेहतरी हो सकती है? सोचिए...



शुक्रवार, 10 जुलाई 2015

बीजेपी की बड़ी जीत: झूठ और दुष्प्रचार करने वालों का मुंह हुआ काला?

शिव ओम गुप्ता
बिहार विधान परिषद् के 24 सीटों के चुनाव परिणाम से लालू+नीतीश महागठबंधन बदहवास होकर बेहोश हो गई है और बीजेपी+ 24 में से 14 सीट जीतने में कामयाब रही जबकि बीजेपी के खिलाफ धुंआधार झूठ और दुष्प्रचार फैलाने वाली कांग्रेस को 1 सीट और जेडीयू को 5 सीट और राजद महज 3 सीट तक सिमट गई लगती है।

आज उन लोगों का मुंह काला हे गया है जो झूठ की खेती के जरिये मीडिया में प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के खिलाफ लगातार दुष्प्रचार फैला रहे थे!

बीजेपी की बेहतरीन जीत यह साबित करती है कि देश का मतदाता कितना समझदार हो गया है और वह झूठ और दुष्प्रचार की सियासत को बखूबी समझने लगा है।

लेकिन असल सवाल है कि राहुल गांधी और वे तमाम कांग्रेसी अब कौन सा मुंह लेकर मीडिया में बयान देंगे? राहुल गांधी को तो हम जानते हैं, लेकिन दो अलग ध्रुवों के महागठबंधन करने वाले लालू+नीतीश अब कौन से गोला पर जायेंगे?

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