सोमवार, 27 जुलाई 2015

कांग्रेसी कीचड़ स्नान को भी संग्रहित करके रखना चाहते हैं?

कांग्रेस के स्वघोषित विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा है?

मल्लिकार्जुन जी, पूरा मानसून सत्र कांग्रेसियों के हो-हल्ले और हंगामे के कारण खत्म होने के कगार पर है और कितना बोलोगे?

इससे पहले, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की शिकायत थी कि लोकसभा टीवी कांग्रेसी हो-हल्ले और हंगामे को नहीं दिखा रही है?

मतलब क्या है? कुछ कर्म हो तो अच्छा लगता है कि लोग उसको दिखाये, लेकिन सोनिया गांधी हंगामे और शोर-शराबे को ही राजनीति सफलता मानती है। यहां लोग खराब फोटो खींच ली जाये तो उसे डिलीट कर देते हैं, लेकिन कांग्रेसी कीचड़ स्नान में भी संजों कर रखना चाहते हैं।

#Congress #Uproar #Parliament #Loksabha #RajyaSabha #SoniaGandhi

अन्ना की मत सुनियो रे, अन्ना ठग लेंगे?

शिव ओम गुप्ता
अन्ना हजारे को कोई बता दे कि उनकी साख और ईमानदारी अब दुकानों में बिक चुकी है और खरीदार को खरीदते और उनको सरेआम बिकते भी लोग खुली आंखों से देख चुके हैं।

तो अन्ना जी बोल-बच्चन अब बंद कीजिये, अब किसी से कुछ छिपा नहीं कि आप (अन्ना हजारे) धरना-प्रदर्शन की चलती-फिरती दुकान हो? सबने देखा है जहां फायदा दिखा आपने वहीं दुकान खोल ली और मुनाफा कम होते देख दुकान बंद कर भागते भी देखा है!

जिनकी आंखें अभी नहीं खुली तो याद कर ले अन्ना हजारे उनकी अनंत कथा को? राजनीतिक सपोर्ट को न कहने वाले अन्ना चोरी-छिपे चेले केजरीवाल की गंदी राजनीति को सपोर्ट ही नहीं कर रहे, बल्कि आशीर्वाद भी देतो रहें हैं।

ये वहीं अन्ना हजारे हैं, जिन्होंने टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी की राजनीति प्रेरित रैली में हां करके भी नहीं गये, क्योंकि ममता की रैली अन्ना हजारे को सुनने वाले ही नहीं पहुंचे?

अन्ना हजारे ने खुद यह स्वीकार किया था कि वे ममता की रैली में इसलिए नहीं गये क्योंकि ममता की रैली में भीड़ नहीं जुटी?

अब सोचिए, अन्ना हजारे सामाजिक कार्यकर्ता हैं या राजनीतिक रैली की चलती-फिरती दुकान, जो नफे-नुकसान पर बोलता और मजमा लगाता है? मतलब कल आप भीड़ इकट्ठी करके किसी भी रैली में अन्ना हजारे को हायर कर सकते है और अन्ना हजारे न केवल वहां दुकान खोलेंगे, बल्कि दुकान पर धरना-प्रदर्शन बेचेंगे भी?

कहने का मतलब है कि अन्ना हजारे की विश्वसनीयता बिक चुकी है, बिकाऊ है, जिसे कोई भी रेंट देकर हायर कर सकता है और धरना-प्रदर्शन की कृत्रिम दुकान खोल सकता है और सियासी रोटी सेंक सकता है।

इसका सबसे बेहतर उदाहरण दिल्लीवालों को मु़ूर्ख बनाकर सत्ता तक पहुंच चुके अरविंद केजरीवाल के रुप में आपके सामने है। गुरू-चेले की दुकान चल निकली है और गुरू गाहे-बगाहे चेले को आशीर्वाद देने दिल्ली पहुंच ही जाता है।

अन्ना हजारे केंद्र की मोदी सरकार को चुनावी वादा पूरा करने की हिदायत और धरना-प्रदर्शन करने का प्रायेजित कार्यक्रम भी बता चुके हैं, लेकिन अन्ना हजारे चेले केजरीवाल की नूराकुश्ती, राजनीतिक कारस्तानी और धमाचौकड़ी पर आंखें मूंदे हुए हैं और न ही केजरीवाल को 70 चुनावी वादों को पूरा करने की याद दिलाते है, क्योंकि वे अभी "बींइग हायर्ड बॉय आम आदमी पार्टी" तो मोदी सरकार खिलाफ ही बोलेंगे और धरना-प्रदर्शन करेंगे?

#AnnaHazare #SocialWorker #Kezriwal #ProtestRally #StrikeShop #AAP #BeingHired

रविवार, 26 जुलाई 2015

सलमान को हीरोगिरी पर्दे पर ही करनी चाहिए?

चलो अच्छा हुआ सलमान को अक्ल आ गई और पिता सलीम खान की हिदायत के बाद सलमान ने अपने सभी #विवादितट्वीट वापस ले लिए हैं।

सलमान खान को शायद अब बात समझ में आ गई होगी कि जहां जरूरत न हो और जिसमें दखल न हो, वहां उंगुली नहीं करनी चाहिए।

Salman khan, whose own leg already in jail for conviction in Hit & Run case?

How can Salman speak against supreme Court verdict who himself bail out from jail ?

Salman should thanks to his well wisher whose prayers out him from jail otherwise he should be in jail for killing those innocent people.

Salman's these step will work against to him. Mean, How can a person raise voice against top most court to support of a killer of 1993 Mumbai bomb blast?

#SalmanKhan #YakubMemon #MumbaiBlast #HitandRunCase

मिस्टर केजरीवाल, "मूर्खता की भी हद होती है?"

केजरीवाल के पोस्टर वार में कहा गया है, " प्रधानमंत्री सर, दिल्ली सरकार को काम करने दीजिये? दिल्ली सरकार अच्छा काम कर रही है?"

किस उल्लू के पट्ठे ने यह पोस्टर लिखा है या किस गधे ने इसे लिखवाया है।

पोस्टर में केजरीवाल का आरोप है कि प्रधानमंत्री दिल्ली सरकार को काम नहीं करने दे रहें हैं और फिर भी दिल्ली सरकार ठीक काम कर रही है ?

मतलब, प्रधानमंत्री द्वारा काम नहीं करने देने के बावजूद दिल्ली सरकार ठीक काम कर रही है, वो भला कैसे?

कहने का अर्थ है कि स्कूल के प्राचार्य ने क्लास में बैठकर पढ़ने नहीं दिया और इग्जाम दिये बगैर पप्पू पास भी हो गया?
#Kezriwal #AAP #DelhiGovt #DelhiCM #PosterWar #AdCampaign #526Crore

शनिवार, 25 जुलाई 2015

क्या अब श्रीसंत जैसे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर से माफी मांगेगी पुलिस?

मुझे फर्क नहीं पड़ता कि स्पॉट फिक्सिंग केस में श्रीसंत, चंडीला और चाव्हाण को आरोप मुक्त कर दिया है,  लेकिन तकलीफ होती है कि दिल्ली पुलिस ने जिस प्रकार से श्रीसंत जैसे इंटरनेशनल खिलाड़ी को मुंह पर काला कपड़ा बांधकर गिरफ्तार किया और पूरी दिल्ली में घुमाया था?

आज कोर्ट में श्रीसंत की आंखों में आंसू बरबस नहीं आये होंगे, वे शायद आंसू खून के रहे होंगे? क्या दिल्ली पुलिस श्रीसंत के ऊपर किये अपमान के बोझ को अब उतार सकती है, जो श्रीसंत ने पिछले 3 वर्ष तक ढोते और सहते रहे?

दिल्ली पुलिस के तत्कालीन कमिश्नर नीरज कुमार ने जब श्रीसंत की गिरफ्तारी की थी तभी मैंने श्रीसंत की गिरफ्तारी के तरीके पर सवाल उठाया था उसकी भर्त्सना की थी।

#Srishant #SpotFixing #IPL #CaseDropped 

दिल्लीवालों! तुमने केजरीवाल को नहीं, लोकतंत्र के अभिशाप को चुना है?

कैसे-कैसे नमूने चुने थे केजरीवाल ने...जमानत पर रिहा हुए फर्जी डिग्री धारी जीतेंद्र सिंह तोमर कह रहा है फर्जी डिग्री के अपराधी को जेल नहीं भेजना चाहिए?

यही नहीं, दूध का दूध और पानी का पानी साबित हो गया और तोमर की सारी डिग्रियां फर्जी पाई गई बावजूद इसके बंदा कह रहा है कि केजरीवाल सरकार को कलंकित करने के लिए यह सब किया गया?

मतलब, आम आदमी पार्टी के रुप एक ऐसी पार्टी को दिल्लीवालों ने सरआंखों पर बिठा लिया है जो लोकतांत्रिक गरिमा और नैतिकता को ताख पर रख कर बेशर्मी से काम करने की नींव डाल रही है, जो कि बेहद खतरनाक है।

हमारे देश में लोकतंत्र की जड़ें बेहद गहरी रहीं हैं और पार्टियां कितनी भी भ्रष्टाचार में लिप्त रहीं हों, वे लोकतंत्र पर भरोसा और उसका सम्मान करती रहीं है और हजारों ऐसे उदाहरण हैं, जहां पार्टियों ने नैतिकता के आधार इस्तीफा दे चुकी हैं ।

लेकिन केजरीवाल एंड पार्टी का अभ्युदय ही लोकतांत्रिक परंपराओं की हत्या करके हुई है। केजरीवाल ने लोकतांत्रिक जन आंदोलन को अपनी कुर्सी सजाने और खुद को सत्ता तक पहुंचाने में इस्तेमाल किया। यही कारण है कि अब कोई भी जन आंदोलन पब्लिक सिंपैथी नहीं बंटोर पाता है। केजरीवाल के कारनामें के बाद लोकतांत्रिक तरीके से किये जाने वाले धरना-प्रदर्शन के वजूद पर कालिख पुत गई और इसमें शामिल होने में कम ही रुचि दिखाता है।

केजरीवाल एंड पार्टी की कारगुजारियों की इबारत यही खत्म हो जाती तो अच्छा था, लेकिन ये और भी गये-गुजरे निकले? इस पार्टी हमारे लोकतंत्र में मौजूद शुचिता और नैतिकता को भी नष्ट करने की कोशिश कर डाली है।

बात चाहे फर्जी डिग्री धारी जीतेंद्र सिंह तोमर को 4 माह कानून मंत्री बनाये रखना हो या किसान रैली में गजेंद्र सिह चौहान की लाइव फांसी का मंचन। यानी गजेंद्र सिंह चौहान झूलता रहा और केजरीवाल एंड पार्टी सत्ता की हवस में झूलती रही।

ऐसी घोर सत्ता की हवसी पार्टी से क्या उम्मीद की जा सकती है, जो प्रचार पाने के लिए, राजनीतिक फायदे के लिए किसी की मौत को कैश करने से पीछे नहीं हटती।

केजरीवाल ने अपनी ही कार्यकर्ता संतोष कोली की मौत को राजनीतिक हथकंडे की तरह इस्तेमाल किया, केजरीवाल ने गजेंद्र सिंह चौहान की मौत का इस्तेमाल किया और फजीहत हुई तो बेशर्मी से उसकी मौत को शहीदी बनाने की भरपूर कोशिश की।

और केजरीवाल ने अभी आनंद पर्वत पर मारी गई मीनाक्षी की मौत को राजनीतिक हथियार के रुप में इस्तेमाल करना बतलाता है कि दिल्लीवालों, तुमने केजरीवाल को वोट नहीं किया बल्कि एक लोकतंत्र के हत्यारे को वोट किया है, जो राजनीतिक फायदे के लिए लाशों पर राजनीति करने में पीछे नहीं रहता है।

#Kezriwal #DramaKing #AAP #Insane  #JitendraTomer #Meenakahi #DirtyPolitics 

शुक्रवार, 24 जुलाई 2015

क्या केजरीवाल की होर्डिंग, पोस्टर और टीवी ऐड से भला होगा दिल्ली का?

क्या दिल्लीवालों ने केजरीवाल की नूराकुश्ती देखने के लिए 70 में से 67 सीटें सीटे जितवा कर दी थी?

रोज-रोज हंगामा, दिल्ली के सीमित अधिकार क्षेत्र से निकल कर फैसला करना, फिर गला फाड़-फाड़कर चिल्लाना, वो परेशान करते रहे, हम काम करते रहे?

और फिर पोस्टर, होर्डिंग और टीवी पर मंहगे प्रचार करके जनता का पैसा उड़ाकर राजनीतिक स्टंट करना दिखलाता है कि केजरीवाल एंड उनकी पार्टी कितनी खोखली और छिछली है।

पिछले 5 माह से केजरीवाल की सरकार से दिल्ली में केजरीवाल मुख्यमंत्री हैं, क्या कोई बता सकता है कि केजरीवाल ने किये 70 वादों में किसे पूरा करने को कोशिश की है? बिजली-पानी तो 49 दिनों की पिछली सरकार का एक्सटेंशन है, सेचिये?

#Kezriwal #AAP #DramaKing #DirtyPolitics #Adpolitics #LG #DelhiPolice #NajeebJung

गुरुवार, 23 जुलाई 2015

4 घंटे में दिखा दी केजरीवाल एंड पार्टी ने अपनी औकात!

थूक कर चाटना किसी को सीखना हो तो केजरीवाल से सीख ले। सच कह रहें हैं बिल्कुल प्रोफेशनल डिग्री मिलेगी।

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष नियुक्त करने से पहले केजरीवाल ने उप-राज्यपाल नजीब जंग को पूछा तक नहीं और जब उप-राज्यपाल नजीब जंग ने नियुक्त रद्द कर दी तो हमेशा की तरह केजरीवाल आवं-बावं बकने लगे।

मसलन, मोदी सरकार दिल्ली में हार का बदला दिल्लीवालों से ले रही है, प्रधानमंत्री मोदी केजरीवाल को काम नहीं करने दे रही है?

और शाम होते-होते केजरीवाल की राजनीतिक उठापटक और आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति खत्म और चुुपचाप अपनी औकात पर आ गये और चुपचाप उप-राज्यपाल के पास स्वाति मालीवाल को नियुक्त करने वाली फाइल भेज दी है।

अब तो दिल्ली का बच्चा-बच्चा जान चुका है कि केजरीवाल कितना बड़ा झूठा, बड़बोला और कितना धूर्त इंसान है, जो कुंठित राजनीति के लिए क्या -क्या कर सकता है।
#Kezriwal #AAP #DramaKing #SwatiMaliwal #DCW #NajeebJung

झूठ-दुष्प्रचार की पोल खुलेगी तो पप्पू हॉलीडे पर भाग जायेगा?

शिव ओम गुप्ता
कांग्रेस का झूठ, दुष्प्रचार और बहस से छूटते ही भागने की प्रवृत्ति की हवा जल्द ही निकलने वाली है।

पप्पू की बांहें सिकोड़ कर लफ्फाजी हो या कांग्रेसी नेताओं का पप्पू कांट डांस साला को जबरन माइकल जैक्सन बताने की कोशिश का भी पोल खुलेगा? लेकिन तब कांग्रेस, मीडिया और पिछलग्गू लोग मुंह कहां छिपा कर बैठेंगे?

क्योंकि कांग्रेस के पास उन सभी मुद्दों पर हो-हल्ला के अलावा कोई तथ्य नहीं है, जिससे वो संसद में बहस कर सकें, इसलिए वे महज चिल्ला रहें और बहस से भाग रहें हैं।

वरना व्यापम मामले पर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच कर रही है, रिजल्ट आये तो बात-बहस हो,  लेकिन उससे पहले संसद को ठप करने की अक्लमंदी समझ नहीं आती है।

जहां तक बात ललित मोदी की बीमार पत्नी को इलाज के लिए और उन्हें पुर्तगाल भेजने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा लेटर लिखना अपराध नहीं, बल्कि इंसानियत है। यहां यह याद रखना जरूरी है कि सुषमा ने मदद ललित मोदी की नहीं, ललित मोदी की पत्नी की है, जो कानूनन अपराध नहीं है।

वरना 31 जुलाई को फांसी पर चढ़ाये जाने वाले याकूब मेमन के साथ याकूब की पत्नी को भी फांसी पर चढ़ा दिया जाता, क्योंकि कांग्रेस के मुताबिक याकूब की पत्नी भी उसके पति के अपराध के लिए दोषी होती है?

लेकिन कांग्रेस जानती है कि देश की मीडिया ऐसे बगैर सिरपैर की खबरों को टीआरपी के लालच में जरूर उठायेगी और उनका मतलब निकल जायेगा और हद तक कांग्रेस सफल भी होती दिख रही है।

लेकिन कब तक? झूठ के सिर और पैर नहीं होते हैं, जैसे पर्दा उठेगा, कांग्रेसी कहां छिपेंगे इसकी चिंता उन्हें अभी से कर लेनी चाहिए? समभव है पप्पू और पप्पू की मम्मी विदेश निकल जायेंगे!
#Congress #Uproar #LokSabha #RajyaSabha #LalitGate #Vyapam

केजरीवाल का टॉप फ्लोर खाली है क्या?

कसम से, केजरीवाल की हरकतें, कारगुजारी और बेहूदा विज्ञापन देखकर कोफ्त होती है कि आखिर कैसे यह पूरी दिल्ली को मूर्ख बनाकर मुख्यमंत्री बन गया?

रोज कुछ न कुछ ऐसा काम करता रहता है, जो केन्द्र प्रशासित क्षेत्र दिल्ली के अधिकार से बाहर है।

भाई केजरीवाल जब तुझे तेरी औकात पता है, तो क्यों अपना पैर अपनी चादर से अधिक फैला देता है।

और फिर बेवजह अपनी मूर्खता पर रोते हुए खुद को बेचारा और लाचार घोषित करते हुए देश के प्रधानमंत्री को घसीट लेना बतलाता है कि कहीं केजरीवाल का टॉप फ्लोर खाली तो नहीं है, जिसके भरोसे दिल्लीवालों ने वोट किया था?
#Kezriwal #AAP #DramaKing #DCW  #ControveryKing #LG #DelhiNCR #NCT

बुधवार, 22 जुलाई 2015

प्रधानमंत्री पर आरोप लगाकर राजनीति में कैरियर बना रहें हैं AAP नेता

आम आदमी पार्टी के नेताओं में खबरों में और विवादों में बने रहने की जैसे होड़ मची हुई है। जैसे कि अब चूके तो फिर मौका नहीं मिलेगा?

खबर है कि एक AAP नेता दिलीप पांडे ने पहले यह खबर उड़ाई कि दिल्ली पुलिस उनके ऊपर बस चढ़ाकर मार देना चाहती है, लेकिन बात कुछ जमी नहीं?

तो निराश दिलीप पांडे बरतन-भांडा लेकर फिर प्रधानमंत्री मोदी पर खुद मरवाने का आरोप लगा दिया?

सवाल है? जिस दिलीप पांडे के गली का काला कुत्ता नहीं जानता-पहचानता है, उसको प्रधानमंत्री पर कीचड़ उछाल कर कौन से चिड़ियाघर में जगह मिल जायेगी?

#Kezriwal #AAP #Controversy #DilipPandey #Delhi

शनिवार, 18 जुलाई 2015

जिन्हें केजरीवाल से उम्मीद है वे आंखों में सूरमा और कानों में तेल डालकर बैठें!

शिव ओम गुप्ता
दिल्ली को मूर्ख बनाकर मुख्यमंत्री बन बैठे अरविंद केजरीवाल की रासलीला और इहलीला से अब लगभग सभी वाकिफ हो चुके हैं कि बंदा चीज क्या है।

और जिनकी आंखें अभी तक नहीं खुली है तो अच्छा है कि उनकी कभी न खुले? क्योंकि केजरीवाल की चाल-चरित्र और कथनी-करनी का आउटकम ने काईया टाइप के उन सभी राजनीतिकों के कान काट लिए हैं।

जनलोकपाल और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ काम करके सत्ता में पहुंचे केजरीवाल दोनों को भुला बैठे है।

केजरीवाल को याद है तो सिर्फ आत्मप्रचार और बंदे ने आत्मप्रचार के लिए दिल्ली बजट से 526 करोड़ रुपये सरेआम ऐठ लिए हैं।

पिछले पांच महीने की केजरीवाल सरकार ने नूराकुश्ती, झगड़ों और खींचतान के अलावा ऐसा क्या किया है, जिसे आप उंगलियों पर गिन सकें?

बिजली टैरिफ की दरों में कमी और मुफ्त पानी की बात तो पुरानी है, जो केजरीवाल ने 49 दिनों की सरकार में ही लागू कर दिया था? पिछले पांच महीने में केजरीवाल ने क्या किया यह सबको मालूम है?

केजरीवाल की तरफ से बोलने वालों में कुछ वे टीवी पत्रकार हैं, जो टीवी पत्रकारिता से रिटायर होने के बाद राजनीति में घुसने का अवसर तलाश रहें हैं।

केजरीवाल ने पिछले पांच महीने में फर्जी डिग्री धारी कानून मंत्री जीतेंद्र सिंह तोमर को डिफेंड करने गंवाये, केजरीवाल ने पिछले पांच उप-राज्यपाल नजीब जंग और केंद्र सरकार से अपनी फजीहत कराने में गंवाई, केजरीवाल ने पिछले पांच महीने में अपने विधायकों की सुख-सुविधा और तनख्वाहों वृद्धि करने में सरकारी खजाने लुटाए और केजरीवाल ने पिछले पांच महीने दिल्लीवालों के लिए भले ही कुछ नहीं किया, लेकिन पूरी दिल्ली को कूड़ादान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

अभी तो पांच महीने हुए हैं जनाब, आगे-आगे देखिये कि बंदर के हाथ में उस्तरा थमाने वाली दिल्ली को पेट्रोल की बढ़ी दरों के अलावा क्या-क्या झेलना पड़ेगा? और केजरीवाल के 70 वादों की आस में बैठे लोगों को कान में तेल और आंख में सूरमा लगा लेना चाहिए, क्योंकि केजरीवाल काम करें न करे लेकिन टीवी और रेडियों पर उम्मीदों का यशोगान जरूर करेगा।

तो जिनको केजरीवाल पर अभी भी भरोसा बचा है वे अपने कानों में तेल और आंखों में सूरमा लगाकर रेडियो और टीवी खोलकर बैठे रहें, क्योंकि केजरीवाल 70 वादें रेडियो और टीवी पर ही पूरी करेगा वरना कोसने के लिए प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार उसके लिए खुला ऑप्सन है!

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #70Promises 

शुक्रवार, 17 जुलाई 2015

राहुल गांधी को अब बड़बोलेपन और लफ्फाजी से बचना चाहिए?

शिव ओम गुप्ता
राहुल गांधी 2जी घोटाला, जीजाजी घोटाला, कॉंमनवेल्थ घोटाला, आदर्श घोटाला, कोलेगेट, रेलगेट भूल गये होंगे, लेकिन देश की जनता नहीं भूली है।

कांग्रेस को याद रखना होगा कि दीया जितना फड़फड़ाता है, उसके बुझने की संभावना तेजी से बढ़ जाती है। यही हाल इन दिनों पप्पू (राहुल गांधी) का है।

राहुल गांधी जितनी ऊर्जा प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ बोलने में लगाते हैं वहीं ऊर्जा अगर वो सकारात्मक राजनीति में लगायें तो शायद देश की जनता एक बार पप्पू को पप्पू समझकर माफ कर दे, लेकिन राहुल गांधी की प्रधानमंत्री के बारे में लगातार अनाप-शनाप टिप्पणी उन्हें ही हल्का-छिछला और सतही सोच का इंसान साबित कर रहा है।

राहुल गांधी को कोई समझाता क्यों नहीं कि आसमान पर थूंकने पर खुद का थूका हुआ खुद के मुंह पर ही गिरता है और यह बात पिछले 15 वर्ष गुजरात विधानसभा चुनाव और 2014 लोक सभा चुनाव और उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस नहीं समझ सकी तो उनका भगवान ही मालिक है।

जहां तक बात प्रधानमंत्री मोदी के 56 के सीने का है तो कांग्रेस जब गुजरात में मुख्यमंत्री रहते कुछ नहीं कर सकी तो प्रधानमंत्री रहते क्या कर सकती है, बताने की जरूरत नहीं?

कांग्रेस को अपनी औकात के हिसाब से बोलने की आदत डाल लेनी चाहिए क्योंकि उसकी औकात अब राष्ट्रीय पार्टी जैसी नहीं रह गई है। बिहार विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की क्या हालत होने वाली है, सबको पता है, विधान परिषद् के चुनाव परिणाम बानगी भर हैं ।

कांग्रेस के उपाध्यक्ष श्रीमान पप्पू को अब बड़बोलेपन से बाज आना चाहिए और लफ्फाजी के बजाय कुछ ठोस सकारात्मक रवैया अपनाना चाहिए वरना दो राय नहीं जब हार दर हार के बाद नानी याद आयेगी तो नानी के घर ही भाग कल जाना पड़ेगा!


#RahulGandhi #Congress #Pappu #Modi

गुरुवार, 16 जुलाई 2015

आखिर बंदर (केजरीवाल) ने कान काट ही लिया और पकड़ाओ उस्तरा!

ये लो भैय्या दिल्लीवालों, आपकी पसंदीदा सरकार ने फिर पलीता लगा दिया है, अब दिल्लीवालों को सबसे अधिक पेट्रोल और डीजल के मूल्य चुकाने होंगे!

आज ही मोदी सरकार ने डीजल -पेट्रोल के दामों में 2- 2 रुपये कमी की हैं, लेकिन केजरीवाल ने दिल्ली में पेट्रोल-डीजल पर अतिरिक्त वैट लगा दिये हैं, जिससे दिल्ली को इसका लाभ भी नहीं मिलेगा और कुछ अतिरिक्त भी चुकाना पड़ेगा?

केजरीवाल ने दिल्ली में बिकने वाली पेट्रोल की कीमतों में करीब 3 रुपये प्रति लीटर और डीजल में करीब 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिये हैं।

यानी अब मुफ्तखोरी की लालच में केजरीवाल को छाती पर बिठाने दिल्लीवालों को पता चलेगा कि बंदर के हाथ में उस्तरा पकड़ाने से क्या-क्या हो सकता है।

मंगलवार, 14 जुलाई 2015

अच्छे दिन तो दिख रहें हैं, हमें देश का खोया गौरव भी चाहिए?

शिव ओम गुप्ता
एक से एक तथाकथित बुद्धिजीवियों के जब मूर्खतापूर्ण पोस्ट देखता हूं तो दिल कहता है कि बिना टैगलाइन वाली जिंदगी ही बेहतर है।

बीजेपी अगले 25 वर्ष में विश्वगुरू बनने का भरोसा दिला रही है तो बुद्धिजीवी 25 वर्ष में सिर्फ अच्छे दिन से ही जोड़ देना चाहते है।

60 माह में अच्छे दिन की बात बीजेपी ने की थी, जो पिछले 1 वर्ष में शुरू हुई तमाम शीर्ष स्तर की योजनाओं में दिखता भी है।

आज ही की रिपोर्ट है कि बीजेपी सरकार द्वारा शुरू किये गये मेक इन इंडिया मिशन से देश में 48 फीसदी से अधिक निवेश की वृद्धि हुई है। यह तो एक नजीर है और सरकार ने ऐसी कितनी योजनाएं शुरू की हैं।

खबरों में बने रहने और लाइक उत्कुंठा में कुछ लोग बात का बतंगड़ बनाकर ऐसे दुष्प्रचार फैलाते है, जिसका सच से कोई वास्ता नहीं होता।

बात कांग्रेस की करें तो कांग्रेसी जब सत्ता से बाहर रहते हैं तो उनका गैर-कांग्रेसी सरकारों के खिलाफ झूठ और दुष्प्रचार फैलाकर बदनाम करने का इतिहास रहा है।

वो कांग्रेस जो पिछले 68 में देश का कबाड़ा कर दिया, वो कांग्रेस जिसने पिछले 10 वर्षों के शासन काल में महंगाई, भ्रष्टाचार और दर्जनों घोटाले करके देश को तबाह कर दिया, अब हम उनकी बात सुनने लगे है, धिक्कार है।

#Congress #VishwaGuru #IndiaPride #BJP #AmitShah #AchcheDin #Modi #Pappu

केजरीवाल को चंदा दे दो भाई, बिना पैसे के नौटंकी नहीं होगी?

तो लो भैय्या...फिर खड़े हो गये केजरीवाल चंदा मांगने? फिर मांग रहें हैं चंदा ताकि फैला सके फिर रायता, बस रायता और अधिक रायता...

केजरीवाल ने हर वर्ष 521 करोड़ रुपये रायता फैलाने के लिए तो बजट में प्रावधान कर लिए हैं तो अब और कहां रायता फैलाने के लिए चंदा चाहिए?

अच्छा हां, केजरीवाल को तो प्रधानमंत्री भी तो बनना है और मियां बिहार विधानसभा चुनाव में भी तो रायता फैलाने जायेंगे ।

तो दे दो भैय्या केजरीवाल को चंदा ताकि केजरीवाल का नौटंकी चालू रह सके वरना बहुत मिस करेंगे? है ना!

#Kezriwal #AAP #Fund #Donation #Drama

68 वर्षों की मूर्खता के बाद भी कुछ नहीं सीख सका पाकिस्तान!

शिव ओम गुप्ता
रुस में हुए ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान उफा में भारत और पाकिस्तान के बीच सारगर्भित विकास की बातचीत की शुरूआत देख-सुन कर थोड़ी उम्मीद बंधी थी कि शायद पाकिस्तान पिछले 68 वर्षों की मूर्खता से तौबा करके अब विकास और तरक्की को अपनाने की ओर बढ़ रहा है?

लेकिन पाकिस्तान पहुंचते ही पाकिस्तानी सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज के मुंह से फिर वहीं पुराना राग सुनकर बड़ी निराशा हुई!

ऐसा लगता है पाकिस्तान कश्मीर के नाम पर राजनीति करना नहीं छोड़ पायेगा और झूठे कश्मीर के दावों के बहकावों से पाकिस्तान की जनता को अंतहीन मौत में उलझा कर रखेगा?

कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और पाकिस्तान यह बात पिछले 68 वर्षों में अब तक नहीं समझ सका है। ऐसा लगता है कि इस झूठ की लड़ाई में पाकिस्तान का अस्तित्व ही कहीं न खत्म हो जाये?

क्योंकि जिस तरह से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की हालत है और आतंकवाद चरम पर है, उस तरह वह कभी फल-फूल नहीं पायेगा और ऐसे हालात में जीडीपी का सर्वाधिक पैसा रक्षा बजट पर खर्च करके उसका प्रॉक्सी युद्ध पाकिस्तान को ही खाये जा रहा है।

पाकिस्तान को भूल जाना चाहिए कि वह कभी भारत के अभिन्न अंग कश्मीर को आतंकवाद या सैनिक की लड़ाई में जीत पायेगा।

समझदारी तो यही है कि पाकिस्तान विकास और तरक्की की बातें करे, क्योंकि जो पाकिस्तान खुद को भी अभी तक संभाल नहीं पाया है वह किसी और का भरण-पोषण क्या कर सकता है।

पाकिस्तान द्वारा जबरन हड़पे गये पाक अधिकृत कश्मीर की सच्चाई किसी से छुपी नहीं है, जहां के वाशिंदों को पाकिस्तान ठीक से एक अस्पताल और यूनिवर्सिटी तक नहीं दे पाया है, वहां की रिहाईशी लोगों की माली हालत भी जगजाहिर है।
#Pakistan #KashmirIssue #Terrorism #UndistutedLand

सोमवार, 13 जुलाई 2015

इमरजेंसी से जनता खुश थी इसलिए इंदिरा को दोबारा चुना:खुर्शीद

कांग्रेस नेता सलमान खर्शीद का कहना है कि देश में आपातकाल का दंश देने वाली पूर्व प्रधानमंत्री #इंदिरागांधी दोषी हैं तो देश की जनता भी उतनी ही दोषी है, क्योंकि जनता ने #आपातकाल के दोबारा उन्हें प्रधानमंत्री चुन लिया था?

खुर्शीद साहब ठीक कहते हैं और ईश्वर करे सभी कांग्रेसी नेताओं को ऐसी बातें स्वीकार लेनी चाहिए, क्योंकि देश की जनता गलतियां सुधारना शुरू कर चुकी है!

मतलब, अब वो दिन दूर नहीं जब देश की जनता #कांग्रेस नामक कोढ़ को भारतीय राजनीतिक इतिहास से उखाड़ कर फेंक देगी?
#Congress #SalmanKhushid #Emergency #IndraGandhi

एक ऐसा हमसफर जो भौतिक गुणा-भाग से परे हो?

शिव ओम गुप्ता
फिल्म 'जब बी मेट' का एक डॉयलाग है, "एक लड़की और लड़के को देखते ही पता चल जाता है कि दोनों के दिल में एक-दूसरे के बारें में क्या फीलिंग्स हैं?

यह शायद हर एक युवा लड़का और लड़की के साथ भी होता है जब वह किसी लड़के अथवा लड़की से पहली बार मिलता है।

लड़का या लड़की जब पहली बार किसी लड़के या लड़की को देखते हैं तो दोनों एक ही झटके में यह समझ जाते हैं कि फलां लड़का या लड़की भाई टाइप का है बहन टाइप की है? अथवा ब्वॉयफ्रेंड मैटेरियल है या गर्लफ्रेंड मैटेरियल है?

यह सबके साथ होता है और इससे कोई इनकार भी नहीं कर सकता है और हां, यहां उनकी बात नहीं हो रही है जिनमें हर लड़की को गर्लफ्रेंड या लड़के को ब्वॉयफ्रेड बना लेने की फितरत होती है।

कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति अलहदा है? कोई किसी का कॉपी पेस्ट नहीं बन सकता! सबकी अपनी जुदा अदा व अंदाजोबयां होती हैं, जो दूसरों से बिल्कुल अलग होती है, बावजूद इसके लोग एक अलहदा व्यक्तित्व की दूसरे अलहदा व्यक्ति से तुलना करने से बाज नहीं आते हैं और अपने करीबी व्यक्ति की खूबियों को दरकिनार करके उसे दूसरे के जैसे बनने या बनाने की कोशिश करते हैं।

कहने का मतलब है कि जब किसी को देखते ही एक झटके में पता चल जाता है कि फलां व्यक्ति का व्यक्तित्व मनपसंद गर्लफ्रेंड या ब्वॉयफ्रेंड जैसा है तो फिर हम चुनाव करने के बजाय कमियां क्यों ढूंढने लगते हैं कि बाकी सब तो ठीक है, लेकिन यह कमी है?

ऐसे कमियां निकालने वाले व्यक्तित्वों की संख्या बहुतायत में हैं जो गुणा-भाग करके शादी तो कर लेते हैं, लेकिन बाद में मनपसंद ब्वॉयफ्रेंड जैसे दिखने वाले पहले व्यक्ति की तलाश अपने तथाकथित पति या पत्नी से करते हैं?

कहते हैं कि प्यार, इश्क और मोहब्बत पर जोर नहीं चलता है, बस हो जाता है? लेकिन फिल्मों को छोड़कर ऐसे मोहब्बत बहुत कम ही बगैर गुणा-भाग की परवान चढ़ पाते है।

क्योंकि कोई पैसे और बैंक बैलेंस के गुणा-भाग से जिंदगी से समझौता कर लेता है तो किसी को जाति-बिरादरी और धर्म विशेष के गुणा-भाग में समझौता करना पड़ता है।

कल्पना कीजिए! एक ऐस् समाज की संरचना की, जहां लोग उपरोक्त सभी वर्जनाओं से परे हों और अपने निजी जीवन के फैसले लेने में भौतिक जरुरतों के गुणा-भाग से दूर हों तो हमारे समाजिक संरचना और उसके तानेे-बाने में कितनी बेहतरी हो सकती है? सोचिए...



शुक्रवार, 10 जुलाई 2015

बीजेपी की बड़ी जीत: झूठ और दुष्प्रचार करने वालों का मुंह हुआ काला?

शिव ओम गुप्ता
बिहार विधान परिषद् के 24 सीटों के चुनाव परिणाम से लालू+नीतीश महागठबंधन बदहवास होकर बेहोश हो गई है और बीजेपी+ 24 में से 14 सीट जीतने में कामयाब रही जबकि बीजेपी के खिलाफ धुंआधार झूठ और दुष्प्रचार फैलाने वाली कांग्रेस को 1 सीट और जेडीयू को 5 सीट और राजद महज 3 सीट तक सिमट गई लगती है।

आज उन लोगों का मुंह काला हे गया है जो झूठ की खेती के जरिये मीडिया में प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के खिलाफ लगातार दुष्प्रचार फैला रहे थे!

बीजेपी की बेहतरीन जीत यह साबित करती है कि देश का मतदाता कितना समझदार हो गया है और वह झूठ और दुष्प्रचार की सियासत को बखूबी समझने लगा है।

लेकिन असल सवाल है कि राहुल गांधी और वे तमाम कांग्रेसी अब कौन सा मुंह लेकर मीडिया में बयान देंगे? राहुल गांधी को तो हम जानते हैं, लेकिन दो अलग ध्रुवों के महागठबंधन करने वाले लालू+नीतीश अब कौन से गोला पर जायेंगे?

#RahulGandhi #Congress #JDU #RJD #Bihar #MLCElection #LaluYadav #NitishKumar #BigDefeat #Setback

गुरुवार, 9 जुलाई 2015

कांग्रेस के झूठ और दुष्प्रचार की खुल ही गई पोल!

शिव ओम गुप्ता
बात चाहे मध्य प्रदेश में हो रही सभी मौतों को व्यापम केस से जोड़ देने की हो या महाराष्ट्र की मंत्री पंकजा मुंडे पर लगे झूठे घोटाले के आरोप?

कांग्रेस जानती है कि किसी के भी खिलाफ अगर वह झूठे आरोप मीडिया में ला कर रख देंगे तो मीडिया चिल्ला- चिल्लाकर आरोपी को दोषी बना ही देगी?

यानी कांग्रेस का मतलब सध ही जाता है और तात्कालिक पार्टी के खिलाफ माहौल बन ही जाता है, लेकिन मीडिया की अपनी इमेज और साख का क्या ? जो लगातार रसातल में धूल फांकती नजर आ रही है।

कहते हैं झूठ के सिर - पैर नहीं होते, लेकिन आज मीडियाई हो-हल्लों की मदद से नेतागणों ने न केवल सिर ढूंढ लिया है जो मीडिया के नाम पर बेबाक चिल्लाता है और पैर भी तलाश लिए हैं, जो हो-हल्ला करके मुद्दे को छोड़ गायब भी हो जाता है।

#Media #Ethics #YellowJournalism #Congress #Allegation #Disinformation #Politics #Defeat #Frustration

मंगलवार, 7 जुलाई 2015

एक महिला की इज्जत से क्यों जुड़ जाता है बलात्कार?

शिव ओम गुप्ता
महिलाओं के प्रति बलात्कार को उनकी इज्जत से जोड़कर देखना ही समस्या की असल जड़ है। जब एक मर्द की इज्जत उसके बुद्धि, बल और सौंदर्य से है तो महिला की इज्जत उसके साथ हुए बलात्कार से क्यों जोड़ी जाती है जबकि इससे तो मर्द की ही इज्जत गई?

जब भी अवसर मिला तो महिलाएं किसी भी क्षेत्र में मर्द से कम नहीं रहीं, फिर बुद्धि, बल और सौंदर्य से उनकी इज्जत को क्यों नहीं जोड़ा जाता है, जैसे मर्द का जुड़ता है?

मर्द की इज्जत उसके ताकत से बढ़ती हैं जब वह कोई हीरोगिरी करता है, मर्द की इज्जत उसके बुद्धिमत्ता से होती हैं जब वह कोई बौद्धिक काम करता है और मर्द की इज्जत उसके सौंदर्य में होता है जब वह किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है?

लेकिन महिला की इज्जत को जबरदस्ती बलात्कार से जोड़ दिया गया है जबकि महिला मुक्केबाज मेरी कॉम  अपनी ताकत दिखाकर पूरी दुनिया में नाम काम चुकी हैं, महिला स्पेस वैज्ञानिक कल्पना चावला बुद्धिमत्ता के मामले में पूरी दुनिया में नाम कमा चुकी है और सुंदरता के मामले में एक महिला का कोई सानी नहीं, जिनमें रीता फारिया से लेकर ऐश्वर्या राय, सुष्मिता सेन और विश्व की सबसे खूबसूरत चेहरे में शुमार की गई जयपुर की महारानी गायत्री देवी प्रमुख चिह्न है।

#Rape #Respect #Women #Female #Men

सोमवार, 6 जुलाई 2015

व्यापम घोटाले: मुद्दा भ्रष्टाचार है, कारण भ्रष्टाचार है और मीडिया?

शिव ओम गुप्ता
व्यापम घोटाले में मलाई सबने मिल कर छक कर खाई है, कौन दूध का धुला है कौन नहीं? यह तो वक्त ही बतायेगा!

टीवी चैनलों पर हो-हल्ला और कांग्रेसी लफ्फाजी का कोई मोल नहीं नजर आता है, क्योंकि कांग्रेस के दामन सफेद नहीं है, बल्कि भ्रष्टाचार के काले नाले में बजबजा रही है।

एक चोर दूसरे के बारे में चरित्र का प्रमाण पत्र बांटे? यह सुन और देख कर सिर्फ हंसा और ठहाका लगाया जा सकता है, गंभीर नहीं हुआ जा सकता!

हां, गंभीर बात है एक के बाद एक मौतें और उसके कारण? सरकार का यह कर्तव्य है कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि प्रदेश में हो रही सभी मौतों के लिए किसी एक नतीजे पर पहुंचा जा सके?

अब दिल्ली में रोजाना सैंकड़ों मौतें होती हैं, तो फिर तो केजरीवाल को उठाकर इस्तीफा दे देना चाहिए या फिर मरे हुए लोगों ने जहां से पढ़ाई-लिखाई करके कमाई शुरु की उस संस्था को कटघरे में खड़ा कर दो? कर दो दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति को अंदर क्योंकि दिल्ली में मरने वाले लोगों में से अधिकांश यूनिवर्सिटी में जरूर पढ़े होंगे?

मुद्दा लगातार हो रही मौतें है और मीडिया कांग्रेस की लगाई-बुझाई और उकसाई राजनीतिक सियासत का हिस्सा महज बनती नजर आ रही है ।

भई ठीक है? क्रांतिकारी पत्रकारिता कर लो, लेकिन पहले मरे लोगों की जांच-पड़ताल हो जाने दो, वे क्यों मरे? लेकिन नहीं मीडिया पूर्वाग्रहों , शंकाओं और अनुमानों की पत्रकारिता ही करती नजर आ रही है?

व्यापम घोटाले में अगर सरकारें दोषी होती हैं तो घोटाले में मलाई चाटने वाले कैसे हरिश्चंद्र की औलादें हो गईं ? बिहार में अभी 1400 फर्जी शिक्षकों का इस्तीफा हमें ध्यान में रखना चाहिए, जो फर्जी तरीके से डिग्री हासिल करके शिक्षक बन बैठे, लेकिन जब हाईकोर्ट का डंडा चला तो 1400 लोगों को कैसे एक साथ गलती और ग्लानि याद आ गई और इस्तीफा दे डाला।

क्या ये फर्जी डिग्री धारी बिहार के शिक्षक बिना पैसा खिलाए सरकारी स्कूलों में शिक्षक बन बैठे थे? जबाव होगा नहीं! ठीक वैसे ही मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाला हुआ है ,जिनमें धांधली के जरिये लोगों ने नौकरियों की रेवड़िया खाई और बांटी है?

तो इसमें इतनी हाय-तौबा करने की क्या जरुरत है? यही तो हमारा सिस्टम है। अभी आप किसी भी प्रदेश के शिक्षा बोर्ड में नौकरी का आवेदन कीजिये, नौकरी के लिए आवेदक कितना भी उपयुक्त क्यो न हो, उसका नाम तब तक इंटरव्यू के बाद बनने वाली लिस्ट में नहीं होगा जब तक बंदे ने पूर्व निर्धारित लाख -दस लाख रुपये नहीं जमा करा दिये हैं।

तो कोसना है तो अपने सिस्टम को कोसिये? बहस करनी है तो मौत के कारणों पर बहस कीजिये और सवाल पूछना है तो खुद से पूछिये कि जब कभी आप खुद भ्रष्टाचार से लड़ने के बजाय सरकारी बाबू को रेवड़ी बांटकर किनारे हो गये थे?

#VyapamScam #SuddenDeath #Congress #Media #Agenda #Investigate #DigvijaySingh #ShivrajSingh

केजरीवाल फिर आये औकात पर, फिर रायता फैलाने की घोषणा!

शिव ओम गुप्ता
पिछले 5 महीने के सरकार में केजरीवाल ने दिल्ली के लिए भले कुछ नहीं किया, लेकिन रायता खूब फैलाया है और अब खबर है कि केजरीवाल केंद्र के एक बार दो-दो हाथ करने के लिए दिल्ली को पूर्ण राज्य के लिए जनमत संग्रह का रायता फैलाने की घोषणा की है।

मतलब, दिल्लीवालों भूल जाओ कि केजरीवाल कोई काम करेगा, क्योंकि जब दही खरीदा है तो रायता ही बनेगा न?

अब तक केजरीवाल ने कुछ काम नहीं किया है। मुख्यमंत्री बनते ही केजरीवाल ने सबसे पहले पार्टी की निजी घमासन में दो महीने निकाल दिये और पार्टी को संस्थापक सदस्य योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण जैसे दिग्गजों को पार्टी से बाहर कर दिया।

फिर अगले महीने में केजरीवाल ने उप-राज्यपाल नजीब जंग से जबरदस्ती अधिकारों की नूराकुश्ती की, लेकिन हाईकोर्ट ने जब केजरीवाल को औकात में रहने की हिदायत दी तो भाई साहब किसान रैली के राजनैतिक ड्रॉमा करने की कोशिश और एक किसान गजेंद्र सिंह को सरेआम फांसी पर चढ़ जाने दिया।

अगले पूरे महीने केजरीवाल किसान रैली में मारे गये किसान गजेंद्र सिंह मामले में घिरी रही। जबाव देते नहीं बना तो आशुतोष जैसे ड्रामेबाज नेता टीवी पर भुक्का मारकर रोने का ड्रामा किया।

अगले महीने यानी पूरे जून महीने केजरीवाल अपने फर्जी डिग्री धारी कानून मंत्री जीतेंद्र सिंह तोमर को बचाने में लगा दिया और तो और केजरीवाल के कई क्रांतिकारी नेता मनीष सिसोदिया, कुमार विश्वास और आशुतोष जैसे ने फर्जी डिग्री धारी जीतेंद्र सिंह तोमर की गिरफ्तारी को आपातकाल तक कह डाला, लेकिन जब तोमर की डिग्री फर्जी साबित हो गई तो खिसियाया केजरीवाल कहने लगा कि उसे धोखा हो गया?

पूरा जून महीना केजरीवाल की नौटंकी से सराबोर है।  इसी महीने भाई साहब दिल्ली एमसीडी कर्मचारियों का वेतन नहीं देकर दिल्ली का कूड़ा कर दिया और दिल्ली हाईकोर्ट की फटकार के बाद खींसे निपोरते हुए पैसे जारी किये।

जून माह में केजरीवाल पहला दिल्ली का बजट लेकर आये और दिल्ली की उम्मीदों की रही सही कसर भी चूल्हें डाल दी। चुनाव से पहले वैट कम करने की घोषणाओं के बावजूद केजरीवाल ने वैट ने न केवल 20 % से बढ़ाकर 30% कर दिया जिससे दिल्ली में कई राेजमर्रा के सामानों में महंगाई में वृद्धि हो गई ।

यही नहीं, केजरीवाल ने पूरे 5 महीने भले ही कुछ नहीं किया, लेकिन आत्मप्रशंसा और प्रचार के भूखे केजरीवाल ने दिल्ली बजट में 2000 % से अधिक पैसा अपनी सरकार के प्रचार-प्रसार के लिए आवंटित करवा लिया ताकि वे मीडिया चैनलों में दिख सके और झूठ का कारोबार करके दिल्लीवालों को मूर्ख बनाते रहें।

और अब केजरीवाल ने काम नहीं करने के लिए एक और बहाना ढूंढ लिया कि वे पूर्ण राज्य के मुद्दे पर जनमत संग्रह करवायेंगे और केंद्र सरकार से 'आ बैल मुझे मार' जैसी लड़ाई लडेंगे?

यानी अब केजरीवाल अगले कई महीने दिल्ली में जमकर रायता फैलाने वाले है, तो दिल्लीवालों तैयार रहना है, क्योंकि केजरीवाल का ड्रॉमा तो आपने ही बुक किया है तो ड्रॉमा तो देखना बनता है। दिल्ली को लिए काम तो अब कोई अगली चुनी हुई सरकार ही करेगी। तब तक केजरीवाल को झेलने के लिए कमर कस लो!

क्योंकि खुद केजरीवाल भी बहुत अच्छी तरीके से जानते हैं कि देश की राजधानी दिल्ली को कभी भी पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं हासिल हो सकता है, लेकिन केजरीवाल का मकसद सिर्फ और सिर्फ हंगामा खड़ा करना है, क्योंकि केजरीवाल समझते हैं कि उनको वोट देने वाले वोटर्स को न ही संविधान की समझ है और न ही वे पूर्ण राज्य मुद्दे की व्यवहारिक अड़चनों को समझते हैं।

#Kezriwal #AAP #Drama #Statehood #Referendum #VAT #DelhiBudget #LawMinister #FakeDegree #JitendraTomer

रविवार, 5 जुलाई 2015

दिग्विजय सिंह ने जिसकी मौत की आशंका जताई, उसकी मौत हो गई?


शिव ओम गुप्ता
मध्य प्रदेश में ये हो क्या रहा है? अब जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डा. अरुण शर्मा की लाश दिल्ली के एक होटल में मिलने की खबर है।

अभी पत्रकार अक्षय सिंह के पार्थिव शरीर को अंतिम विदाई भी नहीं दी गई और डीन की रहस्यमयी मौत का मामला सामने आ रहा है।

कुछ भी हो, लेकिन इन मौतों में कोई साजिश की दुर्गंध आ रही है? साजिश के कटघरे में राज्य सरकार के साथ-साथ विपक्ष और अन्य पक्षों को भी खड़ा किया जाना जरूरी है।

एक के बाद एक मौतों से माथा ठनकता है कि कैसे मौतों का सिलसिला लगातार जारी है, कुछ तो लोचा है भाई? क्योंकि कोई भी लोकप्रिय या अलोकप्रिय सरकार ऐसी वारदातों पर अंकुश न लगा सके, हजम नहीं होता है?

जरुर कोई बड़ा नेक्सस है, जिसमें अगर शिवराज सरकार को कटघरे खड़ी है तो विपक्षी कांग्रेस पर भी उंगली उठती है, क्योंकि कांग्रेस का इतिहास रहा है कि वह सत्ता में पुनर्वापसी के लिए कुछ भी कर सकती है?

पत्रकार अक्षय सिंह की मौत और अब जबलपुर के डीन डा. अरुण शर्मा की मौत से पहले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने आशंका जाहिर की थी।

दोनों मौतों से पहले दिग्विजय सिंह को कैसे पता चल जाता है कि उनकी मौत होने वाली है? और दोनों की मौत हो भी गई?

दिग्विजय सिंह भविष्यवक्ता हैं या साजिशकर्ता ? आशंका होती है कि इन मौतों के पीछे कोई राजनीतिक साजिश तो नहीं हो रही? आशंका लाजिमी भी है!

#Congress #PoliticaRivalry #SuspiciousDeath
#VyapamScam #SuddenDeath #Nexes #MPGovernment #ShivrajSingh #DigvijaySingh

शनिवार, 4 जुलाई 2015

लगता है कांग्रेस में केजरीवाल की आत्मा घुस गई है?

शिव ओम गुप्ता
आरोप लगाकर रफ्फुचक्कर हो जाने वाले मशहूर अरविंद #केजरीवाल की आत्मा #कांग्रेस में घुस गई दीखती है। पिछले एक महीने के अंतराल में कांग्रेस लगातार ऐसे आरोपों और प्रत्यारोपों की राजनीति कर रही है।

सबको मालूम है केजरीवाल की सफलता से कांग्रेसी काफी खुंदक में है और उन्हें चुनाव में सफलता के लिए केजरीवाल फार्मूले पर कुछ अधिक ही भरोसा हो गया लगता है।

ललित मोदी की आड़ में पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, फिर राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह पर आरोप लगा रहें हैं।

कांग्रेसी नेताओं को थोड़े अक्ल का इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि केजरीवाल की पोल खुल चुकी है और कांग्रेसी ढोल के पोल भी सामने आ जायेंगे, क्योंकि झूठ के सिर-पैर नहीं होते?

#Congress #Furstration #FalseCharge  #Defeatsyndrome 

शुक्रवार, 3 जुलाई 2015

ईमानदार राजनीति की बात करने वाले अब लालची हो गये?

केजरीवाल एंड पार्टी के विधायकों की हरकतों को देखकर ऐसा लगता है कि विधायक राजनीतिक पार्टी में नहीं, किसी बाराती बस में घुस गये हैं!

विधायकों की सैलरी में वृद्धि को लेकर नये-नवेले विधायक ऐसे बारातियों जैसे छीना-झपटी पर उतारू हो गये हैं कि मानों अभी नहीं लाइन में लगे तो फिर दूसरे बारात (विधानसभा चुनाव) का इंतजार करना पड़ेगा?

आप के होनहार आप विधायक राघव चड्ढा और कईयों ने सैलरी बढ़ाने के लिए कई ऊल-जुलूल तर्क भी देने शुरू कर दिये हैं। एक विधायक ने कहा कि विधायकों को 1 लाख अधिक तो शादियों में निमंत्रण देने में खर्च हो जाते है?

समझ नहीं आ रहा है कि ये कौन लोग हैं? क्या वही लोग जो इंडिया अगेंस्ट करप्शन के आंदोलन से निकले थे, जो देश बदलने के लिए अपने घरों से यह कहकर निकले थे कि वे ईमानदारी की राजनीति करने निकले हैं?

और विधायक बन गये तो ईमानदारी छोड़कर लालची बन गये हैं और सैलरी बढ़ाने के लिए बेहूदा और अजीबोगरीब तर्क गढ़ रहे हैं । दिल्लीवालों तुम्हारी तो लग गई और दो उंगली, ये तुम्हें बेंच खायेंगे!

#Kezriwal #AAP #SalaryHike #PowerBill #AAPMLA

कहानी: एक लड़का था, एक लड़की थी और...?

शिव ओम गुप्ता
यारी...दोस्ती...फ्रेंड्सशिप! एक ऐसा दोस्त...जिससे दिल की अपनी हर बात शेयर कर सकें...और जिससे दिल खोलकर छककर बात कर सकें?
किसे नहीं अच्छे लगते ऐसे दोस्त...और ऐसे दोस्तों की दोस्ती, जिनका साथ और जिनकी यादें एक ऐसे सुनहरे जंगल में हमें ले जाती हैं कि बस... गुम हो जाने को दिल करता है...

पर दोस्ती का भी अपना एक धर्म और जेंडर होता है...? यह पेशे से पत्रकार अक्षय वर्मा को तब पता चला जब वह नीलू से मिला...नीलू यानी अक्षय नई नवेली पड़ोसन?

दिल्ली का सर्वोदय एनक्लेव, जहां अक्षय की नीलू से मुलाकात से हुई। हाल ही में नीलू अक्षय के पड़ोस वाले फ्लैट में शिफ्ट हुईं थी। आकर्षक और मासूम सी नीलू की नई-नई शादी हुई थी शायद?

नीलू और नीलू के पति अमन शादी के तुरंत बाद ही दिल्ली शिफ्ट हो गये थे ? गुड़गांव के किसी प्राईवेट फर्म में सेल्स मैनेजर अमन इंजीनियरिंग ग्रेजुएट नीलू के लिए भी नौकरी तलाश रहे थे?

वह शायद वीकेंड का दिन था जब अक्षय ने नीलू को पहली बार सामने से देखा और नीलू...बिना एक्सप्रेशन अपनी फ्लैट की ओर ऐसे दौड़ गई, जैसे कोई शैतान देख लिया हो? सकपका सा गया था अक्षय...आखिर पड़ोसी थे दोनों, नीलू वेलकम नोट में मुस्करा देती तो क्या चला जाता उसका?

हालांकि खुद अक्षय भी अजनबियों से घुलने-मिलने में समय लेता है, लेकिन दोस्ती-दुश्मनी में कोई जेंडर भेद नहीं रखता।

इस बात को अब 3 माह बीत चुके थे और अक्षय कोशिश करता कि कैसे भी नीलू के सामने न पड़े।

इस दरम्यान एक नहीं, कई बार फ्लैट से निकलते- घुसते वक्त दोनों एक दूसरे से टकराये होंगे, लेकिन अक्षय नीलू से यह पूछने की हिम्मत नहीं जुटा सका कि वह उसे देखकर भागी क्यों थी?

अक्षय और नीलू को पड़ोसी हुए अब 6 महीने बीत चुके थे...पर 6 माह पहले अक्षय को देखकर नीलू का भागना...अक्षय को अब तक अंदर तक सालता रहा था...

फिर एक दिन अचानक सुबह दरवाजे पर दस्तक हुई! कई मामलों में अक्खड़ अक्षय अमूमन दरवाजे पर दस्तक को पसंद नहीं करता?

कई बार खट-खट हुई तो पूछा, " कौन?

नीलू की आवाज थी शायद, "मैं...मैं आपकी पड़ोसन, दरवाजा खोलिए प्लीज ?

अक्षय डरा सकपकाया सा बुदबुदाने लगा..."अब क्या हो गया, मैंने अब क्या कर दिया?"

अक्षय ने दरवाजा खोला तो देखा सामने नीलू ही खड़ी थीं। घबड़ाई सी थी नीलू, जाने क्या बात हुई ?

क्या आप मुझे अपना मोबाइल फोन दे सकते हैं? मेरा फोन खराब हो गया...एक इमरजेंसी कॉल करना है...उनको?

फ्लैट के बाहर पड़ोसन को देख अक्षय वैसे ही परेशान था, चुपचाप अंदर गया, टेबल से फोन उठाया और नीलू के हाथ पर रख दिया।

नीलू ने पति को फोन किया और फोन वापस मिलते ही अक्षय ऐसे गायब हुआ जैसे गधे के सिर से सींग।

फोन करने के बाद नीलू वापस चली गई। न नीलू ने 'थैंक्यू' कहा और न ही अक्षय को 'योर वेलकम' कहने का मौका दिया। बात आई-गई हो गई, और 3 महीने बीत गये।

अगले ही वीकेंड सुबह-सुबह अक्षय घर की रसोई में नाश्ता तैयार कर रहा था कि एक बार फिर दरवाजे पर दस्तक हुई और अक्षय ने दरवाजा खोला तो बड़ी-बड़ी आंखों वाली नीलू सामने खड़ी थी।

दरवाजे के मुहाने पर खड़ी नीलू अक्षय के फ्लैट को ऐसे निहार रहीं थी। लगा जैसे अक्षय ने उनकी कोई चीज चुरा ली है,  और जिसे ढूंढ़ती नीलू फ्लैट पर छापा डालने पहुंची हों? नीलू फ्लैट के अंदर रखी लगभग सभी चीज को कौतुहल से घूरे जा रहीं थी।

अक्षय संभलता और कुछ समझने की कोशिश करता इसके पहले नीलू ने दो सवाल उछाल दिये, " आप...क्या अकेले रहते हैं? आप... क्या करते हैं?

परिचय पूरी होेने के बाद नीलू वापस चली गईं और अक्षय ने सिर धुनते हुए दरवाजा पीटकर फिर बंद कर लिया।

नि:संदेह नीलू ने पूरे 9 महीनों में अक्षय बारे में काफी रिसर्च कर ली थी और अक्षय से किसी भी प्रकार के खतरे की आशंका के प्रति निश्चिंत थीं?

अब तो आते-जाते, उठते-बैठते अक्षय और नीलू से बातचीत शुरु हो गयी और अब नीलू के साथ नीलू के पति अमन भी अक्षय से...और अक्षय को इंटरटेन करने लगे।

अगले दो-चार दिनों में अक्षय की टीवी और फ्रिज आधी नीलू की हो गई। इतना ही नहीं, अक्षय का रुम अब दोनों फ्लैटों का ऑफिशियल ड्रॉइंग रुम में तब्दील हो गया और अक्षय भी अब अपने फ्लैट के दरवाजे बंद करने भूल जाता था, क्योंकि नीलू अब जब चाहे दरवाजा खटखटाने की आदी हो गईं थी।

अक्षय भी खुश था, क्योंकि वीकेंड पर उसका दिन अच्छा गुजरने लगा था... क्योंकि वीकेंड महसूस करने के लिए मल्टीप्लेक्स में अब घटिया फिल्मों का अनावश्यक फस्ट्रेशन जो बंद हो गया था।

हालांकि अमन वीकेंड के दिनों के अलावा अक्षय की कंपनी को कम इंज्वॉय करते थे, क्योंकि नीलू और अक्षय के बीच हंसी-ठहाके और दोनों के बीच की केमेस्ट्री ने अमन को आशंकित और आतंकित कर दिया था।

उसका ही असर था कि अगले दिन फ्रिज से दूध निकालते वक्त न चाहते हुए नीलू ने अक्षय से पूछ ही लिया, "अक्षय, मैं आपको भैय्या बोलूं तो बुरा तो नहीं लगेगा ?

और नीलू के मुंह से अचानक यह सुनते ही अक्षय का मुंह भी खुला का खुला रह गया था।

नीलू के मुंह से एकाएक ऐसे सवाल सुनकर अक्षय बेचैन हो गया, लेकिन खुद को शांत किया और चेहरे पर हल्की मुस्कान के साथ नीलू की ओर देखता रहा ..फिर कौतुहल से पूछा, " क्या हुआ नीलू? अमन ने कुछ कहा क्या?

नीलू मुस्कराई और बोली, "नहीं ऐसा कुछ नहीं है, फिर भी अगर...मतलब, "हम भाई-बहन ही हुये न?"

अक्षय थोड़ी देर के लिए फिर गहरी सोच में पड़ गया? नीलू जाने को हुई तो अक्षय ने नीलू का हाथ पकड़ कर कमरे में ही रोक लिया।

"तुम कहती तो ठीक है नीलू, लेकिन यह आज तुम्हें क्यों सूझा?" तुम्हें हमारे रिश्ते को नाम देना है तो दे दो, मुझे कोई आपत्ति नहीं है!

पर...हम हमारे रिश्ते को दोस्ती भी तो कह सकते हैं, जिसमें भाई-बहन जैसी ही मर्यादा है।"

नीलू अक्षय की बातें सुनकर अवाक थीं, लेकिन वह बेचैन बिल्कुल भी नहीं थी और न ही अक्षय के जबाव से असंतुष्ट ही दिखी।

नीलू कुछ देर चुप रहीं और फिर अक्षय के सिर पर हाथ फेरते हुए मुस्कराकर बोली, " पर मेरा नाम तो तुम्हें मालूम नहीं है?"

अक्षय ने भी बदले में मुस्करा दिया और नीलू फ्रिज से दूध लेकर वापस चली गईं और जाते- जाते अक्षय को अपना नाम भी बता गई। अब अक्षय और नीलू एक दूसरे को नाम से पुकारने लगे, न दीदी और न भैय्या?

नीलू वापस चली गई थी, लेकिन अक्षय हतप्रभ सा दीवार पर लगी एक ऐसी तस्वीर को लगातार घूरता रहा जिसमें कोई आकृति ही नहीं थीं?

अक्षय खुद से बातें करने लगता है.."मुझे अपनी ब्रॉड माइंड सोच पर बड़ा गुमान था...और मुझे भरोसा नहीं हो पा रहा है कि एक पारंपरिक परिवेश में पली-बढ़ी होने के बावजूद नीलू न केवल मुझसे अधिक बहादुर है, बल्कि मुझसे बड़ी सोच और नजरिये वाली महिला है?"

"नीलू से मिलने से पहले मेरा मानना था कि एक महिला की दुनिया सामाजिक सरोकारों वाले रिश्तों तक ही सिमटी रहती है और वह समाज के तथाकथित ठेकेदारों द्वारा खींची गई लक्ष्मण रेखा के बाहर जाने की हिम्मत नहीं दिखा पाती है ?"

"ऐसे उदाहरण बहुत कम मिलते हैं, जहां महिलायें नाम से इतर जहीनी रिश्तों से जुड़ने की कोशिश कर पाती हैं।"

"कहते भी हैं कि एक लड़की और एक लड़का कभी दोस्त नहीं हो सकते?" शायद ऐसे ही जुमलों ने महिला-पुरुष की दोस्ती को कभी मर्यादित परिभाषित नहीं होने दिया होगा?"

"मैं अकेला फ्लैट में रहता हूं और हमारा समाज किसी बैचलर के साथ घुलने- मिलने से झिझकता है। देखा जाये तो सुरक्षा की दृष्टिकोण से अमन की सोच पूरी तरह से पारंपरिक थी और उसमें कुछ गलत नहीं था, शायद मैं भी यही करता?"

....लेकिन फ्लैट शेयर करने के बाद पूरे 9 महीने तक अमन- नीलू और मैंने कितनी गलतफहमियों की दीवार को लांघ कर एक अंजान शहर में एक दूसरे पर भरोसा किया था, जिसमें हम तीनों काफी खुश थे और एक परिवार की तरह रहने भी लगे थे, लेकिन ....

उधर, जैसे ही नीलू पति अमन के पास पहुंची तो अमन जैसे नीलू की ही राह देख रहा था।

क्या हुआ? कुछ बताओ भी...तुमने अक्षय से बात की क्या?

नहीं, मैंने नहीं की...अक्षय से कोई बात? तुम्हें अक्षय से समस्या है तो जाओ खुद क्यों नहीं जाकर बात कर लेते? कहकर नीलू किचन में घुस गई।

देखो नीलू...मेरी बात सुनो? अक्षय से मुझे कोई शिकायत नहीं है, बस तुम दोनों एक दूसरे को भाई-बहन बना लो और अक्षय को राखी बांध दो?

मैं अक्षय को राखी नहीं बांध सकती? अक्षय और मैं एक अच्छे दोस्त हैं और हमारी दोस्ती भाई-बहन जैसी ही है, तुम्हें कोई समस्या है तो छोड़ दो यह फ्लैट...हम कहीं और शिफ्ट हो जाते हैं!

अमन गुस्से से लाल हुआ जा रहा था..."लेकिन जब अक्षय राखी बंधवाने के लिए तैयार है तो तुम्हें क्या प्रॉब्लम है?"

"तुम्हें पता है कि शहर में इतने अच्छे पड़ोसी ढूंढने से भी नहीं मिलेंगे और जहां कहीं अब शिफ्ट करेंगे तो क्या गारंटी है कोई खराब पड़ोसी न मिल जाये?"

"देखो, तुम एक काम करो...गुड़गांव के आसपास कोई फ्लैट देख लो! तुम्हारे ऑफिस के भी नजदीक रहेगा और इस झंझट से भी मुक्ति मिल जायेगी।"

लेकिन नीलू...मेरे समझ नहीं आता कि हमें यह फ्लैट छोड़ने की जरुरत क्या है, जब कोई बात ही नहीं है?

नीलू बिफर पड़ी..." यस! जब कोई बात ही नहीं है तो क्यों जबरदस्ती अक्षय को रिश्तों में बांधने की कोशिश कर रहे हो।"

"तुम्हें अच्छा पड़ोसी भी चाहिए, लेकिन शर्त यह है कि वह तुम्हारी बीवी का ऑफिशियल भाई बने? अमन, रिश्ते नाम के मोहताज नहीं होतें?"

"तुम्हें पता है हमारी खुशी के लिए अक्षय मेरा ऑफिशियल भाई बनने को भी तैयार हो गया...लेकिन मैंने मना कर दिया।"

उधर, नीलू के सवालों ने अक्षय को झकझोड़ दिया था और तीनों को वहीं लाकर खड़ाकर किया था, जहां तीनों 9 महीने पहले खड़े थे।

अक्षय, "हमारा समाज ऐसे रिश्तों को शक की निगाह से क्यों देखता है, जिनमें खून का रिश्ता न हो या जिसमें कोई सामाजिक बंधन न हो। मसलन शादी? और हमेशा की तरह यह सवाल सबसे बड़ा हो जाता है कि एक लड़की और लड़का कभी दोस्त नहीं हो सकते?

दिल्ली में एक ही बिल्डिंग के दो फ्लैट में रहने वाले पडो़सी पति-पत्नी अमन और नीलू बैचलर अक्षय वर्मा से बढ़ती नजदीकियों से एक तरफ तो खुश हैं, लेकिन दूसरी ओर अमन नीलू और अक्षय के रिश्तों के लेकर आशंकित हो उठता हैं और अमन की आशंकाओं के बीच अक्षय के साथ अपने निजी रिश्तों को सुलझाने के लिए नीलू को अक्षय को भैय्या कहकर पुकारती है, लेकिन दोनों ऐसे रिश्तों में बंधने से इनकार कर देते हैं। अब आगे सुनिए...

अमन नीलू के प्रत्याशित व्यवहार से निराश होता है, लेकिन नीलू बिना अपनी बात पर टिकी रहती है कि अब उन्हें अक्षय के पड़ोस में नहीं रहना चाहिए।

नीलू की बातों से अमन गुस्से में आ जाता है और घर के बाहर निकल जाता है। दूसरे दिन अमन और अक्षय एक दूसरे से मिलते जरूर हैं, लेकिन अक्षय से नजरे मिलाने से कतराता हैं अमन।
अमन कुछ कहता कि अक्षय ने पुकार लिया, कैसे हैं भाई साहब?

अमन मुंह घुमा कर वापस अपने फ्लैट की ओर चला गया। फ्लैट में वापस आने के बाद अमन ने नीलू को घूरते हुए कहा, तुम क्यों नहीं जाकर अक्षय को राखी बांध आती हो, हमें फ्लैट छोड़ने की कोई जरूरत नहीं है, छोड़ना है तो अक्षय छोड़ के जाये....आखिर नीयत उसकी बुरी है।
नीलू की ओर इशारा करते हुए अमन ने कहा,

...और तुम भी कुछ कम नहीं हो? मुझे पता है तुम दोनों के बीच दोस्ती की आड़ में कौन सा गुल खिल रहा है।

इतना सुनते ही नीलू का गुस्सा सातवें आसमान पर था....अमन ने नीलू को कभी ऐसे गुस्से में नहीं देखा था...वो कुछ कहता इससे पहले नीलू बेडरूम में चली गई...पीछे-पीछे अमन भी नीलू के पीछे चला गया....

नीलू बस मैं इतना कह रहा हूं कि समाज में एक लड़की और एक लड़की के रिश्तों को अच्छी नजर से नहीं देखा जाता है। फर्ज करो, कल को कोई हमारा और तुम्हारा रिश्तेदार हमारे घर आया तो क्या तुम अक्षय को कैसे उनके सामने इंट्रोड्यूस करोगी, बोलो?

नीलू कुछ देर तक अमन को एक टक देखती रही और बिना कुछ बोले चुपचाप नींद आने का बहाना करके सोने का नाटक करती है और अमन भी चुपचाप सो जाता है।

रात भर कश्मकश में बीती रात के बाद अगले दिन सुबह ही नीलू अमन से गुड़गांव में शिफ्ट होने की बात कहती है, लेकिन अमन अभी भी अपनी बात पर अड़ा है...जब कोई बात ही नहीं है तो यह फ्लैट छोड़ने की जरूरत क्या है नीलू...

नीलू आपे से बाहर हो जाती है...देखिये मुझे यहां अब नहीं रहना है और जो तुम कहने को कह रहे हो, वो अब मुझसे नहीं होगा...अच्छा होगा कि हम यहां से शिफ्ट हो जायें और अक्षय को भी कुछ कहने की जरूरत नहीं है कि हम यह फ्लैट छोड़ रहें हैं।                                                                                                        
नीलू और अमन में करार हो गया था कि दोनों अगले महीने गुड़गांव शिफ्ट होने तक अक्षय के साथ रिश्ते का सामान्य बना कर रखेंगे और तकरीबन एक महीने सब कुछ ठीक रहा, लेकिन अगले ही महीने अक्षय को बिना कुछ बताये अचानक नीलू और अमन गुड़गांव शिफ्ट हो गये और सैकड़ों अनसुलझे सवाल छोड़ गये ?

अक्षय यह देख-सुनकर हैरान और पशोपेश में था और मन में सवाल कौंध रहा था कि एक पुरुष और एक महिला की दोस्ती कितनी भी मर्यादित क्यों न हो, अग्नि परीक्षा से सिर्फ और सिर्फ एक महिला को ही गुजरना पड़ता है।

अक्षय मन ही मन काफी दुखी हो रहा था कि काश अमन की बात मान लेता और नीलू के हाथ से राखी बंधवा लेता? क्या-क्या सुनना पड़ा होगा नीलू को मेरी वजह से...

नीलू ने गुड़गांव शिफ्ट होने के बाद कभी भी अक्षय से संपर्क नहीं किया और न ही कोई सफाई देने की जरूरत समझी। अक्षय ने भी बातचीत करने की बिल्कुल कोशिश नहीं की।

जो कुछ भी घटित हुआ... सोचकर अक्षय का दिल बैठा जा रहा था और उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसकी दोस्ती में अग्निपरीक्षा सिर्फ नीलू को ही क्यों देनी पड़ी।

अक्षय और नीलू ने सामाजिक खांचे से इतर एक रिश्ता गढ़ने की एक असफल कोशिश की थी, लेकिन एक पवित्र रिश्ते को पतित और मलिन सिर्फ इसलिए होना पड़ा, क्योंकि समाज में उसकी कोई मान्यता नहीं है?

मेरी और नीलू की दोस्ती भाई-बहन के रिश्तों की तरह पवित्र थी, लेकिन समाज ऐसी छोटी मानसिकता से क्या कभी उबर पायेगा? एक लड़का और एक लड़की की दोस्ती को कभी स्वीकार करेगा?

भीतर तक हिला हुआ अक्षय खुद को समझाने की कोशिश करता है, लेकिन यह मानने को मजबूर हो जाता है कि रिश्तों का वजूद शायद एक अदद नाम के बगैर कुछ नहीं है और एक लड़के और एक लड़की की दोस्ती के रिश्ते हमारे समाज के लिए बेमानी होते हैं?

क्योंकि ऐसे रिश्तों का कोई वजूद नहीं है, जहां एक लड़का और लड़की सिर्फ दोस्त हों? और ऐसे रिश्ते भाई-बहन, ब्वॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड के खांचे से इतर भी स्वीकार्य और सम्मानित हो?

शायद इसीलिए... बदलते परिवेश और जीवन शैली में हमारे पुरातन समाजिक ताने-बाने में दरार उभरने लगे हैं, जहां आये दिन अवांछित रिश्तों की खबरें अखबारों की सुर्खियां बनती हैं, क्योंकि हमारे सामाजिक रिश्तों में दोस्ती कम, मजबूरी अधिक होती हैं, जिसमें इंसान छटपटाता है और बस छटपटाता है...

गुरुवार, 2 जुलाई 2015

आखिर कितने मुलजिम और मुजरिम का अंतर जानते हैं?

शिव ओम गुप्ता
बहुत कम लोग मुलजिम और मुजरिम का अंतर समझते हैं।  यानी आरोपी और दोषी दोनों होने में जमीन-आसमान का फासला है, लेकिन भारतीय मीडिया इस अंतर को पाटने में लगी है।

कल खबर थी कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस के कारण एअर इंडिया की फ्लाइट लेट हो गई ? चैनलों ने हो-हल्ला और हंगामा किया और छिछले टाइप के नेताओं ने चमत्कारी बयान भी दे डाले।

कुछ ही देर बाद एअर इंडिया की ऑफिशियल रिपोर्ट ने बताया कि तकनीकी खराबी के कारण फ्लाइट की उड़ान 57 मिनट देरी से हुई। चारो तरफ सन्नाटा...कोई भी नेता और मीडिया चैनल ने गलत बयानी या रिपोर्टिंग के लिए माफी नहीं मांगी?

एक बार फिर गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू को लेकर बिना फैक्ट चेक किये, बिना एअर इंडिया से संपर्क किये स्वघोषित तेजतर्रार मीडिया चैनलों ने खबर चला दिया है कि उनकी वजह से एअर इंडिया की फ्लाइट रोक दी गई जबकि इसका स्पष्टीकरण पहले ही हो चुका है कि फ्लाइट सुबह11:40 एक घंटे पहले उड़ान भरेगी?

अब मीडिया को खबरों में मसाला चाहिए तो लगाइये और ककड़ी की तरह रगड़कर  खाइये और खिलाइये, कद्रदानों की कमी नहीं है।

आम आदमी पार्टी के नये-नवेले नेता दिलीप पांडे तो ऐसे बावले हो गये कि ऊलू-जुलूल बकवास करने लग गये, लगा जैसे इस मामले पर बकवास करके राज्य प्रवक्ता से राष्ट्रीय प्रवक्ता बना दिये जायेंगे?

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