बचपन के दिन और बचपन की बातें
न खर्चे की चिंता न पैसे की यारी
वो गिल्ली, वो डंडा, वो बैल की सवारी।
टोली, ठिठोली और हवा हवाई बातें
बहुत याद आती हैं वो बेफिक्री रातें।
पड़ोसी की चाय और हलवाई की दुकान
वो चुस्की वो मुस्की, और भौजी की मुस्कान
भरी दुपहरी और इश्क के ठहाके
बहुत याद आती हैं वो बेफिक्री रातें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें