सोमवार, 26 जनवरी 2015

मोदीजी एक नियामक संस्था जरूरी है?

मैं चाहता हूं कि प्रधानमंत्री मोदी एक ऐसी निगरानी और नियामक संस्था विकसित करें जो रोजमर्रा की जरूरत की सामग्रियों की बिक्री दरों की निगरानी और नियमन का कार्य संभाले!

क्योंकि दुकानदार घटती लागत के बावजूद बढ़ाई कीमतों को वापस लेने से कतराते हैं जबकि जरुरी चीजों के मूल्‍यों में मामूली वृद्धि से भी कीमत बढ़ाने से गुरेज नहीं करते?

जरूरत है एक ऐसी स्वतंत्र नियामक संस्था की जो बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध सामग्रियों की कीमतों की मनमानी पर रोक लगाए और लागत के आधार पर उनकी बिक्री सुनिश्चित करे और चरणबद्ध तरीकों से उनके मुनाफे की सीमा का निर्धारण भी करे!

पिछले 7-8 माह में देश की खुदरा और थोक मूल्‍यों की महंगाई दरों में निरंतर गिरावट दर्ज हुई है बावजूद इसके दुकानदार पुराने बढ़ाये मूल्‍यों पर ही सामानों की बिक्री कर रहें हैं और घटती महंगाई दरों का लाभ अकेले दुगना-चौगुना करके डकार रहें है,  जिन्हें आज रोकने वाला कोई नहीं है?

मोदी सरकार को ऐसे सभी दुकानदारों पर नकेल कसने के लिए एक नियामक संस्था विकसित करनी चाहिए, जिससे दुकानदारों की मनमानी मुनाफाखोरी बंद हो और घटती महंगाई दरों का लाभ आम लोगों को भी हो?

जो समोसे 6 रुपये में दुकानदार बेचते थे उन्होंने महंगाई के नाम पर समोसे की कीमत बढ़ाकर 10 रुपये प्रति तो कर दिये, लेकिन महंगाई दरों में जारी गिरावट के बाद भी आज वे समोसे 10 रुपये में ही बेच रहे है,  इनकी मनमानी कौन रोकेगा ?

कौन इन्हें घटती लागतों के बीच चीजों की कीमतों में कमी लाने के लिए रेगुलेट करेगा,  क्योंकि अभी तक कोई ऐसी संस्था वजूद में ही नहीं है, जो इन्हें लागत के मुताबिक चीजों की कीमतों के घटाने-बढ़ाने और स्थिर  रखने की कोशिश कराती दिखती हो?

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