मंगलवार, 19 मई 2015

राहुल बाबा, अब लॉलीपॉप का मतलब समझने लगे हैं किसान!

राहुल गांधी की नौटंकी लोग पहले भी देख चुके हैं, इसलिए कोई किसानों से उनके मिलने और तुरंत बाद प्रधानमंत्री को कोसने को लोग गंभीरता से नहीं ले रहें हैं?

जनता राहुल गांधी के ऐसे कई बार देख चुकी है और शहजादे जहां एक बार गये, वहां दोबारा कभी नहीं लौटे? कलावती तो बेचारी पुकारते-पुकारते थक गई!

मुझे तो राहुल गांधी के प्रायोजित कार्यक्रम 'किसान मिलन समारोह' के प्रोड्युसरों और डायरेक्टरों पर अधिक तरस आता है?

क्योंकि अगर राहुल गांधी किसान मिलन समारोह की नौटंकी को बाद बगैर बीजेपी व प्रधानमंत्री को गाली दिये निकल आते जो ज्यादा माइलेज मिलता और सहानुभूति भी मिलती मगर....

राहुल गांधी और उनके डायरेक्टर औक मेंटर यह भूल गये हैं कि किसान अब वो किसान नहीं रहे जो सेंटीमेंट और गांधी परिवार के नाम पर वोट किया करते थे?

 क्योंकि अब किसानी में भी नये जनरेशन के किसान आ चुकी है, जो लॉलीपॉप का मतलब समझने लगे हैं? तो कुछ और दिखाओ-और दिखाओ?

#RahulGandhi #Congress #GandhiFamily
#Modi #Farmers #Amethi

सोमवार, 18 मई 2015

लोकतंत्र में निरंकुश शासक बने फिर रहें हैं केजरीवाल!

दिल्ली में तथाकथित आम आदमी की सरकार चलाने की बात कहने वाले केजरीवाल अब एक निरंकुश शासक की तरह व्यवहार कर रहें है!

70 वादों को पूरा करने की बात को पीछे छोड़ केजरीवाल पॉवर शिफ्टिंग का खेल रहें हैं और उप राज्यपाल से नूराकुश्ती कर रहें है!

केजरीवाल सरकार से अच्छी तो वे सरकार हैं जो बगैर उछल-कूद के काम रहीं है, काम न करने के लिए बहाने तो नहीं ढूंढ रही हैं?

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #LG #NazibJung

केजरीवाल ने क्या डपोरशंखों वाली बात कही है?

"मेरी बेटी रिश्वत देने गई, लेकिन अधिकारी ने रिश्वत नहीं लिया! दिल्ली में भ्रष्टाचार खत्म हो गया है जी, हैं जी?      
                                                                -अरविंद केजरीवाल

केजरीवाल मियां! तुम्हारी क्या? किसी की भी बेटी रिश्वत देने जाती तो अधिकारी रिश्वत नहीं लेता, क्योंकि रिश्वत अधिकारी नहीं लेता है?

और मुख्यमंत्री की बेटी से रिश्वत कौन गधा अधिकारी लेता है, किसको मूर्ख बना रहे हो केजरीवाल?

खैर..मूर्खों ने ही तुम्हें दिल्ली पर बिठाया है, उन्होंने जरूर ताली पीटी होगी और अब सिर भी पीट रहे होंगे!

#Kezriwal #AAP #DelhiCM

दिल्लीवालों ने बंदर के हाथ में उस्तरा दे दिया है!

दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने सभी लोकतांत्रिक मूल्यों को ताख पर रख कर पड़ोसी की लड़ाई जैसा रुख अपना लिया है?

सुना है केजरीवाल ने प्रधान सचिव (सर्विसेज) अनिंदो मजूमदार के दफ्तर में ताला लटका दिया है!

यह तो ठीक वैसे है जैसे घर की चौहद्दी के परनाले की  लडाई के बाद नाली जाम कर दी गई हो कि न तुम्हारे घर पानी बहेगा न मेरे घर का?

राष्ट्रपति जी अब आप ही बीच में आओ और संज्ञान लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या करने वाले केजरीवाल से दिल्ली को मुक्त कराओ वरना पता नहीं क्या-क्या देखने पड़ेंगे इस देश को?

ऐसा लगता है जैसे बंदर के हाथ में उस्तरा दे दिया है दिल्लीवालों ने! वो कहते हैं न कि समझदार से नहीं, ज्यादा खतरा डेढ़ समझदार से होता है और फिर केजरीवाल को तो सभी जान ही गये हैं? आमीन!

#Kezriwal #AAP #DelhiCM

रविवार, 17 मई 2015

डोरेमोन को छोड़, अब किसानों से खेल रहें हैं शहजादे!

पिछले 10 वर्षों का ही हिसाब लगाये तो पता चलेगा कि शहजादे राहुल गांधी काम नहीं, छुट्टियों में अधिक रहें है!

और बैंकाक से 56 दिनों की छुट्टियों से लौटे शहजादे को ऐसी कौन सी एनर्जी ड्रिंक का इंफेक्शन हो गया कि डोरेमोन को छोड़ अब वे किसान-किसान खेलने लगे है?

ईश्वर भला करें किसानों का, किसान नहीं जानते कि शहजादे खेल रहें है और खेल खत्म होते ही शहजादे निकल लेंगे!

पेट्रोल-डीजल मूल्यों में वृद्धि पर हाय तौबा क्यों?

घर का बजट बिगड़ जाये तो उसको सुधारने में सालों गुजर जाते हैं और बजट को सुधारने के लिए कड़े फैसले भी लेने पड़ते है, क्योंकि कोई भी दुकानदार हमारे बिगड़े बजट को सुधारने के लिए अपना सामान कम दामों पर नहीं बेचता?

देश का बजट भी ऐसे ही है, जब देश की अर्थ-व्यवस्था बिगड़ी हो, राजकोषीय घाटा अधिक हो तो देश का बजट सुधारने के लिए आश्यकतानुसार कड़े फैसले लेने ही पड़ते हैं!

पेट्रोल और डीजल के रेट जब अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कम हुए तो पेट्रोल-डीजल के रेट नीचे चले गये, लेकिन जब बढ़ रहें हैं तो बढ़ाये जा रहें हैं! इसमें हाय तौबा कैसा?

वैसे भी भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें सरकार की नियंत्रण से बाहर हैं और तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के रेट घटाते बढ़ाते हैं?

हां, सरकार तेल कंपनियों का बढ़े मूल्यों का घाटा देकर पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर रख सकती है, लेकिन इससे देश पर ही भार बढ़ेगा और बजट हमेशा बिगड़ा ही रहेगा और बजट और अर्थ-व्यवस्था कभी नहीं सुधरेगा?

ठीक वैसे, जैसे हम घर का बजट सुधारने के लिए लग्जरी चीजों पर पैसा खर्च करना बंद कर देते है! कोई एक घर ऐसा नहीं मिलेगा जो लग्जरी जरूलतों को पूरा करने के लिए लोन लेगा और खुश रह पायेगा?

तो देशवासियों दिमाग लगाओ और दुष्प्रचार में नाक-कान देना बंद करो! देश बचेगा तभी घर बचेगा और अगर घर का बजट सुधार सकते हो तो देश का बजट सुधारने में अपना योगदान करो?
#Petrol #Diesel #Hike #CrudeOil  #InternationalMarket

अराजक केजरीवाल संविधान से खेलने को मजबूर हैं !

भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे अराजक मुख्यमंत्री का नाम लिया जायेगा तो वह अरविंद केजरीवाल होगा!

कार्यवाहक मुख्य सचिव के पद पर शकुंतला गैंबलिन की आंशिक नियुक्ति के डर से केजरीवाल इतनी खौफजदा है कि एडवाईजरी जारी कर दिया है जबकि यह नियुक्ति महज 10 दिन की है?

केजरीवाल से दिल्ली की जनता ने ईमानदारी की उम्मीद में वोट किया था, लेकिन केजरीवाल पर्दे के पीछे के अपने कुकर्म को छिपाने के लिए कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति रोक रहा है ताकि उसकी पोल न खुल जाये?

सभी जानते हैं कि केजरीवाल जब से दिल्ली का मुख्यमंत्री बना है तब से मीडिया से दूरी बनाकर बैठा है और अपने मनमाने कार्यों में बाधक उन सभी को किनारे लगा रहा है ताकि उसकी अक्षमताएं छुपी रह सके?

केजरीवाल की स्थिति ऐसी हो गई है कि जो निवाला उसने मुंह में ले रखा है, उसको न उगलते बन रहा है और न खाते बन रहा है!

क्योंकि मुख्यमंत्री तो दिल्ली की जनता ने बना दिया है, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद अराजक पसंद केजरीवाल अब पद की गरिमा और उत्तरदायित्य को निभाने में खुद को असमर्थ पा रहा है!

शायद यही कारण है कि केजरीवाल केंद्र प्रशासित राज्य दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग के संवैधानिक अधिकारों को न केवल चुनौती दे रहा है बल्कि संविधान की अवमानना करने से नहीं चूक रहा है!

सत्ता के नशे में चूर केजरीवाल को ईश्वर थोड़ी सी बुद्धि दे वरना वह दिन दूर नहीं जब देश के राष्ट्रपति ही नहीं, दिल्ली की जनता भी उसे डंडे से खदेड़ देगी!

#Kezriwal #AAP #LG #ShakuntlaGamblin #DelhiCM #Anarchist

गुरुवार, 14 मई 2015

केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने बताई उसकी औकात!

दिल्ली के मुख्यमंत्री बनते ही मीडिया सर्कुलर के जरिये मीडिया का मुंह बंद करने की कोशिश करने वाले केजरीवाल के मुंह पर बहुत ही तगड़ा तमाचा लगा है, जिससे अब केजरीवाल को समझ आ जायेगा कि वो मीडिया से जन्में हैं, मीडिया उनसे नहीं?

कैसे इंसान अपनी औकात भूल जाता है, इसके ताजा उदाहरण केजरीवाल हैं। केजरीवाल के वैयक्तिक और व्यवहारिक भ्रष्टाचार पर सवाल उठे तो भाई साहब चले मीडिया को सबक सिखाने?

केजरीवाल की हरकत देख ऐसे लगा जैसे कोई धूप से बचने के लिए सूर्य को ढ़कने का सर्कुलर जारी कर दे।

ये वही केजरीवाल हैं जो महज मीडिया की उपज है, जिसका खुद का कोई अस्तित्व नहीं है, ये उसकी मीडिया सर्कुलर जैसी उन तमाम हरकतों से साबित हो चुका है।

सुप्रीम कोर्ट के तमाचे के बाद भी केजरीवाल की हरकतों पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, क्योंकि इसकी क्रिया-कलापों से ऐसा ही लगता है।

अभी केजरीवाल टीवी पर एक विज्ञापन में नजर आ रहा है, जिसमें वह दिल्ली में भ्रष्टाचार कम करने की वाहवाही लूट रहा है।

केजरीवाल विज्ञापन में कहता हुआ देखा जा सकता है कि उसने दिल्ली वालों को  तथाकथित सस्ती बिजली और पानी और दिल्ली के किसानों को 50,000 प्रति एकड़ मुआवजा भ्रष्टाचार कम करके देने में सफल हुआ?

मतलब केजरीवाल अप्रत्यक्ष रुप से देश के उन सभी राज्यों को मुख्यमंत्रियों को भ्रष्टाचारी बता रहा है, जो अपने राज्यों के किसानों को 50,000 प्रति एकड़ मुआवजा नहीं दिया है।

संभव है जल्द ही राज्य सरकारें केजरीवाल के इस ऊल-जुलूल विज्ञापन और प्रचार भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठायेंगी।

बुधवार, 13 मई 2015

रिश्तों का इल्जाम न दो?

मैं उन दिनों सर्वोदय एनक्लेव में रहता था। एक मोहतरमा आईं और मेरी ही बिल्डिंग में मेरे ही पड़ोस के कमरे में शिफ्ट हों गईं।

अक्ल का पता नहीं पर मोहतरमा शक्ल से आकर्षक व सुंदर थीं, लेकिन शादीशुदा थी। नई-नई शादी हुई थी शायद?

पतिदेव दिल्ली में ही कार्यरत थे और मोहतरमा नौकरी तलाश रहीं थीं। दोनों साथ-साथ पड़ोस के कमरे में शिफ्ट हुए थे।

जो मुझे जानते हैं, वो जानते हैं कि मैं घुलने-मिलने में बहुत समय लेता हूं, वो चाहे लड़की हो या लड़का? कोई जेंडर भेदभाव नहीं!

उन दरम्यान कई बार ऑफिस को निकलते और ऑफिस से वापस आते समय एकदूसरे का दीदार हो जाया करता था, लेकिन बातचीत बिल्कुल नही?

न उन्होंने कभी पहल की और मैं तो पहल करता ही नहीं, चाहे बरस बीत जाये। एक महीने के अंतराल बाद एक दिन मोहतरमा ने सुबह-सुबह ही मेरे दरवाजे पर दस्तक दिया!

मैं अमूमन दरवाजे पर दस्तक को पसंद नहीं करता हूं, इसीलिए मकान मालिक को रेंट समय से पूर्व दे आता हूं। फिर भी कोई दरवाजा पीटता है तो बिना दरवाजा खोले निपटाने की कोशिश करता हूं ।

खट-खट की आवाज कई बार आई तो पूछ बैठा, " कौन?
आवाज आई , "मैं....मैं आपके पड़ोस में रहती हूं। मैंने दरवाजा खोला तो देखा सामने पड़ोस वाली मोहतरमा खड़ी थीं और मुझसे मेरा मोबाइल फोन मांग रहीं थी। शायद कोई एमरजेंसी कॉल करना था उनको?

उन्होंने बताया कि उनका फोन काम नहीं कर रहा है और उन्हें जरूरी कॉल करना है? मैंने फोन उठाकर दिया, लेकिन मोहतरमा को मेरे सामने ही बात करनेे की छूट दी और बात खत्म होते ही जैसे ही उन्होंने फोन वापस दिया, मैंने दरवाजा बंद कर लिया।

यह बात आई-गई हो गई और इस बात को कुल 3 माह बीत गये! न उन्होंने शुक्रिया कहा और न मैंने धन्यवाद किया!

मैं ऐसा ही हूं। जबरदस्ती के रिश्तों में जुड़ना पसंद नहीं है, क्योंकि आजकल के रिश्ते बहुआयामी हो गये हैं, लोग भैय्या बोलकर जिंदगी की नैया तक डूबो देते हैं, लेकिन यह अवसर न मैं लेता हूं और न ही किसी को देता हूं।

अमूमन जहां भी मैंने अभी तक काम किया है, वीकेंड मेरा बुधवार+गुरुवार होता है। यह मेरी खुद की च्वाइश होती है, अपवाद भी हुए हैं।

वीकेंड के एक दिन एक बार फिर मोहतरमा ने  दरवाजा खटखटाया और अंदर से बाहर आया तो सामने मोहतरमा खड़ी थी।

मोहतरमा मुझसे फिर कुछ मांगने की इच्छा लेकर आईं थी, लेकिन इस बार लगा लक्ष्य भिन्न था। वो मेरे फ्लैट के अंदर की रखी व्यवस्थित चीजों को बड़े कौतुहल से देख रहीं थी।

और फिर एकाएक मोहतरमा ने एक साथ दो सवाल उछाल दिये, " आप अकेले रहते हैं? आप क्या करते हैं?

परिचय पूरी होेने के बाद मोहतरमा वापस चलीं गईं और मैंने दरवाजा फिर पीटकर बंद कर लिया।

नि:संदेह मोहतरमा ने पूरे 6 महीने तक एक ही बिल्डिंग में पड़ोस में रहते हुये मेरे बारे में खूब रिसर्च कर लिया था और मुझसे किसी भी प्रकार की खतरे की आशंका और संभावना नहीं होने के प्रति आश्वश्त थीं?

अब आते-जाते, उठते-बैठते मोहतरमा से संवाद कायम होने लगा और उनके पतिदेव भी मुझसे बातचीत करने की कोशिश करने लगे। हालांकि पतिदेव शुरू में संवाद में आशंकित ही रहे।

स्थिति यह हो गई कि अब मेरी टीवी और फ्रिज आधी उनकी हो गई थी और मैं भी अब दरवाजे बंद करना भूल जाता था, क्योंकि मोहतरमा जब चाहे दरवाजा खटखटाने की आदी हो गईं थी।

मैं भी खुश था वीकेंड पर दिन अच्छा गुजरने लगा था। क्योंकि वीकेंड महसूस करने के लिए मल्टीप्लेक्स में घटिया फिल्मों का अनावश्यक फस्ट्रेशन बंद हो गया था।

मोहतरमा भी खुश थीं, मैं भी खुश था और मोहतरमा के पतिदेव भी खुश थे और हम एक परिवार की तरह अगले 3 महीने रहे, बस मेरे और महिला के रिश्ते परिभाषित नहीं थे, जिसको लेकर कभी-कभी मोहतरमा हिचक जाती थीं!

एक दिन अचानक फ्रिज से दूध निकालते समय मोहतरमा ने बात छेड़ने की अंदाज में न चाहते हुये बोलीं, "आपको मैं भैय्या बोलूं तो बुरा तो नहीं लगेगा?

मैं सवाल सुनकर बेचैन नहीं हुआ और उल्टा पूछ बैठा, क्यों क्या हुआ? पतिदेव ने कुछ कहा क्या?

मोहतरमा मुस्कराई और बोली, "नहीं ऐसा कुछ नहीं है, फिर भी अगर...मतलब हम भाई-बहन ही हुये न?

मैं गहरे सोच में पड़ गया? मोहतरमा जाने को हुईं तो मैंने रोक लिया। तुम कहती तो ठीक है, लेकिन ये आज तुम्हें क्यों सूझी?

मैंने आगे कहा, "तुम्हें रिश्ते को नाम देना है तो दे दो, मुझे कोई आपत्ति नहीं है पर हम हमारे रिश्ते को दोस्ती भी तो कह सकते हैं, जिसमें भाई-बहन जैसी ही मर्यादा है और आगे भी रह सकती है।"

मोहतरमा अवाक थीं पर बेचैन नहीं! वे कुछ देर चुप रहीं फिर बोली, " पर मेरा नाम तो आपको नहीं मालूम है?

मैं मुस्करा पड़ा और मोहतरमा वापस चलीं गईं। अब हम एक दूसरे को नाम से पुकारने लगे, न दीदी और न भैय्या?

मेरी पड़ोसन तो मुझसे भी वृहद सोच और नजरिये की महिला निकली और मैं समझता था कि एक महिला की दुनिया सामाजिक सरोकारी रिश्तों तक ही सिमटी रहती है। लेकिन ऐसे बहुत कम लोग हैं जो नाम से इतर जहीनी रिश्तों से जुड़ने की कोशिश कर पाते हैं।

क्योंकि "एक लड़की और एक लड़का कभी दोस्त नहीं हो सकते?" जैसे जुमले महिला और पुरुष की दोस्ती की परिभाषा को कभी मर्यादित परिभाषित कर ही नहीं सकते?

इस बीच एक महीने सब कुछ ठीक रहा, लेकिन एक महीने बाद ही मोहतरमा पतिदेव के साथ गुड़गांव शिफ्ट कर गईं और सवाल छोड़ गईं कि पुरुष से महिला की दोस्ती कितनी ही मर्यादित क्यों न हो पर अग्नि परीक्षा से एक महिला को ही गुजरना पड़ता है।

संसद में शहजादे की सुरक्षा में लगा है शहजादों का गिरोह?

कैसे पढ़े-लिखे गंवार लोकसभा में मौजूद हैं। मुझे हुड्डा परिवार में दीपेंद्र हुड्डा से थोड़ी-बहुत उम्मीद थी?

हरियाणा में किसानों की जमीन रॉबर्ट वाड्रा को मुफ्त देकर मुख्यमंत्री की कुर्सी गवां चुके भूपेंद्र हुड्डा के सुपुत्र दीपेंद हुड्डा अब किसानों के लिए संसद में घड़ियाली आंसू बहाते हुये मर्यादा भूल गये।

दीपेंद्र हुड्डा ने लोकसभा में आज अमेठी फूड पार्क मुद्दे पर महज झूठ के आधार लोकसभा स्पीकर पद की गरिमा से खिलवाड़ करके जता दिया है कि वे कितने बड़े बुद्धिजीवी हैं।

यही नहीं, संसद भवन में शहजादे राहुल गांधी के आसपास ऐसे राजनेताओ के सुपुत्रों की पूरी जमात है, जिनका काम सिर्फ शोर मचाना है, हो-हल्ला करना है और राहुल गांधी का कवच बने रहना है।

इनमें दीपेंद्र हुड्डा (भूपेंद् हुड्डा), गौरव गोगोई (तरुण गोगोई) अशोक चाह्वान प्रमुख हैं।

अब देश के चोर बतायेंगे थाने का पता?

चोरी और घोटालों की गिरोह चला रही कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष सही कह रहें हैं कि बड़े चोर सूट-बूट पहनकर आते हैं?

लंदन और इटली के ड्राई क्लीन्ड कपड़े पहनने वाले सूट-बूट वाले कांग्रेसी नेता व पूर्व प्रधानमंत्री से सारे परिचित है?

अरे! दामाद जी का तो जिक्र रह ही गया, वैसे सभी जानते हैं रॉबर्ट वाड्रा ने कितने किसानों की जमीन जबरन हथिया ली है और वे किसान अब खून के आंसू रो रहें हैं।

कोई नहीं, पप्पू अपने ही घर की पोल खोल रहा है? कांग्रेसी सोच रहें होंगे कि किस मनहूस घड़ी में 'राहु'ल पैदा हुआ?

मंगलवार, 12 मई 2015

पप्पू की फस्ट्रेशन का मोल नहीं, जनहित योजनाएं जरुरी!

मौजूदा केंद्र सरकार की योजनाएं देश और जन कल्याणकारी हो सकती हैं, जिनमें भूमि अधिग्रहण कानून प्रमुख है।

लेकिन वे लोग केंद्र सरकार की उक्त योजनाओं का विरोध सर्वाधिक विरोध कर रहें हैं, जो फस्ट्रेशन में हैं। इनमें कांग्रेस प्रमुख हैं, लेकिन ज्यादा तकलीफ में वे हैं जो अलग-थलग है, जैसे- #अरूणशौरी और #गोविंदाचार्य!

बीजेपी को मार्गदर्शक टीम के लिए कुछ और पद सृजित कर लेना चाहिए, क्योंकि खाली दिमाग शैतान का घर कहा जाता है।

रहा सवाल कांग्रेसी नेताओं का तो विपक्ष का काम ही होता है विरोध करना? अब पप्पू (#राहुलगांधी) एक बार फिर अपनी किस्मत आजमां रहा है तो आजमाने देना चाहिए?

पप्पू पास तो होने से रहा, क्योंकि रट्टा मारकर पप्पू साथी शहजादों के साथ बैठकर सिर्फ हो-हल्ला जरूर कर सकता है, लेकिन ऐन परीक्षा में फेल होना उसका तय है।

हालांकि पप्पू के पास हल्ला के लिए अभी पूरे 4 साल हैं, लेकिन केंद्र के पास काम करने के लिए अब महज 4 साल ही बचे है!

इसलिए केंद्र सरकार को बेखौफ अपना काम करना चाहिए और जन कल्याणकारी योजनाएं लागू करने और विपक्ष को संभालने के लिए साम-दाम-दंड-भेद के साथ-साथ कड़वी-मीठी गोली की फिक्र नहीं करनी चाहिए।

क्योंकि 5 साल बाद देश की जनता सिर्फ काम देखेगी और विशाल बहुमत होने के बावजूद केंद्र सरकार की वह छोटी-बड़ी असफलता के लिए किसी बहाने को माफ नहीं करेगी?

क्योंकि जनता सिर्फ वजूद में मौजूद कामों का हिसाब लेती है और फिर जनादेश लिखती है और वादों के मुताबिक किये गये विकास कार्यों के आगे पप्पू और विपक्ष के सच्चे-झूठे शोर नक्कारखाने में तूती की आवाज ही साबित होनी है।

तो प्रधानमंत्री जी सिर्फ काम कीजिये और शोर पर ध्यान मत दीजिये, देश को आपसे बहुत उम्मीद है!

#Pappu #RahulGandhi #Congress #Modi #BJP #LAB

सोमवार, 11 मई 2015

मीडिया के बाद अब केजरीनाल को धरने में भी दिखने लगी है साजिश?

हड़ताल और धरने की राजनीति से सत्ता तक जा पहुंचे केजरीवाल एंड टीम को अब डीटीसी कर्मियों के हड़ताल में साजिश नजर आ रही है?

तो क्यों न हम केजरीवाल और टीम के धरने-प्रदर्शन और रैली को सियासत में घुसने और दिल्ली की राजनीति की में प्रवेश करने की साजिश समझे?

झूठे आरोपों और कपट के सहारे केजरीवाल मुख्यमंत्री बन बैठे और अब उनके सिपहसालार धरने-प्रदर्शन को राजनीतिक साजिश करार दे रहें हैं?

भगवान ही मालिक है दिल्ली का और दिल्ली की जनता का, जिन्होंने जाने-अनजाने सिर पर भस्मासुर बैठा लिया है!
#Kezriwal #AAP #Protest #GopalRai #DTCBus

गुरुवार, 7 मई 2015

एक बार फिर पप्पू (राहुल गांधी) फेल हो गया!

पप्पू उर्फ राहुल गांधी को आलू और चिप्स के दाम नहीं पता है? क्योंकि पिछले 10 वर्ष सत्ता में पप्पू की अम्मा की सरकार ही थी!

पप्पू का कहना है कि 2 रुपये प्रति किलोग्राम के आलू से 10 रुपये के चिप्स बिकते है?

पप्पू के मुताबिक एक किलोग्राम आलू से महज 10 रुपये के चिप्स निर्मित हो पाते हैं? यानी किसान ही नहीं चिप्स बनाने वाली कंपनियां भी घाटे में हैं!

अब पप्पू से क्या उम्मीद की जा सकती है? किसी ने लिखकर दे दिया और पप्पू ने बोल दिया, इसमें पप्पू की क्या गलती है?

पप्पू को कोई बता दे कि एक किलोग्राम आलू में चिप्स बनाने वाली कंपनियां 10 रुपये नहीं, 100 रुपये कमाती हैं?

कहते हैं कि बकरे को शेर को खाल पहनाने से बकरा मिमियाना नहीं छोड़ देगा, पोल तो खुल ही जाती है?

केजरीवाल की हिम्मत देखो ?

महाराज पार्टी सदस्यों की तरह अब मीडिया को भी डिक्टेक्ट करने जा रहें है? सुना है भाई साहब ने टीवी न्यूज चैनलों के प्राइम टाइम शो की निगरानी करवाने के लिए एक कमेटी बना दी है ।

कहते हैं विनाश काल में बुद्धि विपरीत हो जाती है, लेकिन केजरीवाल की बुद्धि ही भ्रष्ट हो चुकी है, अब तो हो चुकी दिल्ली भ्रष्टाचार मुक्त!

क्योंकि भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए केजरीवाल पार्टी के भ्रष्ट नेताओं पर कार्यवाही करने के बजाय मीडिया पर लगाम कसने की तैयारी कर रहें हैं?

ईश्वर केजरीवाल एंड टीम को सद्बुद्धि प्रदान करें ताकि दिल्ली के वोटरों की हवाई ख्वाहिशें जिंदा बची रह सकें!

Why is Narendra Modi making more foreign visits?

Barack Obama and China supports India's bid for permanent UNSC seat.- $35 billion investment by Japan over a period of 5 years and along with it their expertise in making bullet trains.

Australia is set to sign a Nuclear Power deal with India to supply around 500 tonnes of Uranium to India.

Satya Nadella (Microsoft), Indra Nooyi (Pepsico), Sheryl Sandberg (Facebook), Jeff Bezos (Amazon), Mark Zuckerberg (Facebook) discussespossible investments.

Israel inks $5 million deal for Joint Educational Research programme.- $20 billion investment from Xi and his Chinese counterparts.

 2 billion Euros support from France for sustainable development in India.- Airbus to increase outsourcing in India from 400 million euros to 2 billion euros over the next five years.

French National Railways has agreed to co-finance an execution study for a semi-high speed project on upgradation of the Delhi-Chandigarh line to 200 kmph.

Canada agrees to supply 3,000 metric tonnes of uranium to India from this year to power Indian atomic reactors. While we are all yearning for a transformation, development, etc.

There is someone who is actually settingup the infrastructure for it. Marketingof 'Brand India' has never been so important !!

Number of days Modi stayed abroad touring 15 countries as a PM on official trips = 45.

Number of days Rahul stayed abroad (Bangkok) without informing his voters= 57.Let's be sensible to analysis & make a judgment !!!

Courtesy- Subham Chaudhary

सोमवार, 4 मई 2015

मीडिया को मिला भस्मासुर केजरीवाल!

शिव ओम गुप्ता
ऊल-जुलूलू हरकतों और गंदी भाषा शैली के आधार पर आज यह कहा जा सकता है कि अरविंद केजरीवाल भारतीय इतिहास का सबसे अमर्यादित मुख्यमंत्री है, जो भारतीय राजनीति को हमोशा कलंकित करता रहेगा।

ऐसी भाषा शैली और एप्रोच से केजरीवाल बोलता है कि लगता ही नहीं कि उक्त भाषा प्रदेश के शीर्ष पद पर बैठे मुख्यमंत्री की होगी।

एक उदाहरण-

केजरीवाल, "मीडिया ने आम आदमी पार्टी को बदनाम और बर्बाद करने की 'सुपारी' (गैंगस्टर की भाषा) ले रखी है।"

ये वहीं केजरीवाल हैं जिन्हें मीडिया ने हीरो से मुख्यमंत्री पद पर बैठा दिया है। मीडिया को भी अब चिंतन करना चाहिए कि उसका काम सिर्फ सूचना देना है, एजेंडा सेट करना नहीं?

वरना जनता को ही नहीं, मीडिया को भी केजरीवाल नामक भस्मासुर मिल सकता है, जो खुद को बनाने वाले को ही सबसे पहले भस्म करने की कोशिश करता है!

#Kezriwal#AAP #Media #DelhiCM #GobackIndianMedia #DontComeBackIndianMedia #NepalEarthquake

शनिवार, 2 मई 2015

देश को लूटने वाली कांग्रेस अब रॉबिनहुड बनीं फिर रही है!

जमीन बेची, खदान बेचा, खेत और खलिहान बेचा... देश में ऐसी कोई जगह नहीं बची है, जिसमें 68 सालों तक खान्ग्रेस ने घोटाले नहीं किये। गांधी खानदान की तो बात ही मत करो...

RTI से मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली में सिर्फ 3
समाधि (गांधी, नेहरू और इंदिरा) के लिए कुल 6000 करोड़ रुपए किमत की जमीन पर कब्जा जमाये हुए हैं।
इस लिस्ट में अगर राजीव को शामिल करें तो पूरे देश में आंकडा 70000 करोड़ रूपये तक जाता है।

खान्ग्रेस के दामाद रोबट वद्रा ने ताकत आजमाईश से दिल्ली, हरियाणा, यूपी, राजस्थान और हिमाचल में किसानों की हजारों एकड़ जमीन और समेत कई प्राईम प्रॉपर्टीयां हडप ली...

एक तिहाई कश्मीर पाकिस्तान को और आधा अरुणाचल प्रदेश चीन को देने वाला पापी परिवार आज जमीन की बात करता है, और ये सब कुछ उसी अंग्रेजों के बनाए 'भूमि- अधिग्रहण कानून' के सहारें।

लेकिन जब किसान कुदरत की मार झेल रहा था, तब खान्ग्रेस के शहजादे 'पप्पू' 58 दिन विदेशों में मौज मना रहे थे, आज जब किसान के आँसू सुख गये तब पप्पू अचानक नौटंकबाजी करने चुनावी प्रचार में उतर आयें।

अरे मोदी को आए अभी साल भर भी नहीं हुआ... और 68 साल लुट मचा रही खान्ग्रेस और उसके एजेंट केजरीवाल यह दिखाने में लगे है की किसानों का सबसे बड़ा दुश्मन मोदी है... कमाल है।

इन्हें पता चल चूका है की नमो पांच साल में इनकी इतनी गहरी कब्र खोद देंगे की इनकी आने वाली पीढ़ियां भी उसमें से नहीं निकल पाएंगी।

Courtesy:- निर्मल शर्मा 

अरुण शौरी का फस्ट्रेशन उन्हें कहां ले जायेगा?

शिव ओम गुप्ता
भाजपा में फस्ट्रेटेड नेताओं की कमी नहीं है। अरुण शौरी को भी मार्गदर्शक मंडल वाली टीम में धक्का दे दिया जाना चाहिए, क्योंकि लाइमलाइट में न रहने की कमी सबको खलने लगती है?

मोदी सरकार की 'सबका साथ-सबका विकास' और जन-धन योजना को जहां अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिल गई है और कई देश उस पर अमल करने की बात कह रहें है।

यहां तक कि विश्व बैंक प्रमुख से लेकर वैश्विक रेटिंग एजेंसीज तारीफ कर रही हैं, ऐसे में शौरी और मीडिया प्रोपेगेंडा को समझना आसान है, जिनका मकसद ही कुछ और है!

एक बार मान भी लें कि अरूण शौरी की बात एक फीसदी सही भी है, तो शौरी उक्त बातें 'ज्ञानवर्धक बातें' पार्टी फोरम में भी उठा सकते थे? प्रधानमंत्री से स्वयं मिल सकते थे, लेकिन?

गुरुवार, 30 अप्रैल 2015

राहुल गांधी, 'घड़ियाली आंसू देख रहा है देश का वोटर!'

शिव ओम गुप्ता
परीक्षा में बैठने से पहले पुराने परीक्षा में जिन सवालों के जबाव नहीं दे सके थे राहुल गांधी एंड टीम को उससे सबक लेना चाहिए वरना शर्तिया फिर फेल हो जायेंगे!  

राहुल गांधी विशुद्ध कांग्रेसी ढर्रे की पुरातन राजनीति कर रहें हैं, जिसमें कुछ नया नहीं है, बल्कि बोरियत है।

 राहुल गांधी को अच्छी राजनीति करनी है तो पहले उन्हें केंन्द्र के 10 वर्ष की घोटालों और पिछले 15 वर्षों में कांग्रेस सरकार के दौरान महाराष्ट्र में किसानों की खुदकुशी की समीक्षा करके देश से गद्दारी के लिए माफी मांगनी चाहिये फिर किसानों के हित के घड़ियाली आंसू बहाने चाहिये।

याद रखिये अब कांग्रेस की परंपरागत गांधी परिवार प्रेमी वोटर नहीं रहे, जिसको वो आसानी से वे मूर्ख बनाकर सत्ता में पुनर्वापसी कर लेते थे?

लेकिन आज का युग बदल गया है, क्योंकि आज का युवा वोटर  राजनीतिक दुष्प्रचार को बढ़िया से समझती है और उन सभी दुष्प्रचारों का सच और झूठ सोशल मीडिया के जरिये उसके पास रिफाइन होकर पहुंचता है।

 राहुल को अगर कांग्रेस की पुरानी ढर्रे पर राजनीति में पुनर्वापसी करनी है तो भूल जाये वरना अभी भी समय है और गाली देने के बजाय विकास प्रेरित राजनीति की बात करनी शुरू करें।

 क्योंकि जनता राहुल गांधी को सुनना पसंद नहीं करती है, वह जानती है राहुल गांधी की बातें छिछली होती है और स्क्रिप्टेड ड्रामेबाजी होती है!

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