शिव ओम गुप्ता |
मोदी सरकार की 'सबका साथ-सबका विकास' और जन-धन योजना को जहां अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिल गई है और कई देश उस पर अमल करने की बात कह रहें है।
यहां तक कि विश्व बैंक प्रमुख से लेकर वैश्विक रेटिंग एजेंसीज तारीफ कर रही हैं, ऐसे में शौरी और मीडिया प्रोपेगेंडा को समझना आसान है, जिनका मकसद ही कुछ और है!
एक बार मान भी लें कि अरूण शौरी की बात एक फीसदी सही भी है, तो शौरी उक्त बातें 'ज्ञानवर्धक बातें' पार्टी फोरम में भी उठा सकते थे? प्रधानमंत्री से स्वयं मिल सकते थे, लेकिन?
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