शुक्रवार, 19 मई 2023

अब आएगा मजा, जब कर्नाटक के दो बड़े नेता काम करेंगे कम और चिल्लाऐंगे ज्यादा

अब आएगा असली मजा...जब कर्नाटक में पावर गेम के लिए दो कांग्रेसी नेताओं का नाटक हर दिन वहां की जनता फ्री में देख सकेगी। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन का मजा वहां की जनता को कांग्रेस अब अपने दो बड़े नेताओं की नूराकुस्ती से दिलाएगी। जहां "अब चील उड़ेगी कम, चिल्लाएगी ज्यादा।"
मतलब अब राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की तरह कर्नाटक में भी प्रदेश सरकारें विकास कार्यों के लिए नहीं, बल्कि दो नेताओं की मुर्गा युद्ध से जनता का मनोरंजन करेगी। यह तमाशा राजस्थान की जनता पिछले 5 साल से देख रही है, जहां जनता से मिले पूर्ण जनादेश को कांग्रेस ने अपने दो नेताओं की निजी पावर गेम की भेंट चढ़कर प्रदेश को मिट्टी में मिला दिया है।

पिछले 5 साल से वहां की जनता सचिन पायलट और अशोक गहलोत की नूराकुश्ती देख रही है और सिर धुन रही है। कर्नाटक की जनता ने राजस्थान से सबक नहीं लिया, और लगता है निकट भविष्य में कर्नाटक में मध्य प्रदेश दोहराया जाने वाला है, जहां वैसा ही सत्ता परिवर्तन करके डीके शिवकुमार कांग्रेस को ठेंगा दिखा सकते हैं।
मजेदार यह है कि आखिर कांग्रेस जनता से मिले अच्छे खासे जनादेश का कबाड़ा क्यों कर देती है। सचिन पायलट, ज्योतिरा सिंधिया और डीके शिवकुमार की मेहनत को दरकिनार कर वो बूढ़ों को क्यों आगे कर देती है, और ऐसे बचकाना फैसले जनादेश की मटियामेट कर वह क्या हासिल करती है। जबाव सबको पता है, लेकिन सवाल है ऐसे वह अपनी तिजोरी कब तक भरेगी।


अव्वल तो कर्नाटक में सिद्धारमैया सरकार चलेगी नहीं, और अगर राजस्थान की तरह चल भी गई तो डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया की आपसी टशन में कर्नाटक की जनता का भला होने वाला नहीं है। अधिक संभावना है कि मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह डीके शिवकुमार कांग्रेस को एक और झटका देंगे।
कांग्रेसी आलाकमान इन सभी राजनीतिक उठापटक और गुजाइशों से परिचित है, लेकिन फिर भी वो जनता के जनादेश का अपमान करके नूराकुश्ती वाली सरकार का गठन करती हैं ताकि वह गांधी परिवार के नमक हलाल नेताओं में शुमार हो सकें। सरकार बच गई तो विपक्ष को दोषी ठहरा कर वो भोली भाली जनता को फिर ठग लेंगे और अपने नकारेपन से फारिग हो चुनाव में चले जाएंगे।

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