रविवार, 30 अगस्त 2015

केजरीवाल ट्रेनिंग कैंप से निकले नेता दिल्ली को शेखचिल्ली बनाकर छोड़ेंगे?

वाह रे जसलीन कौर...क्या रायता फैलाया तूने?  दिल्लीवाले पहले ही तमाशाई थे और तूने अपनी नौटंकी से कुछ बचे-कुचे दिलवालों को भी डरा दिया है कि अब वे किसी की मदद को हाथ आगे कर सकें?

ये आम आदमी पार्टी में भर्ती होने के लिए कोई खास कुशलता है क्या? कि पार्टी में एंट्री के लिए नौटंकीबाजी का कौशल होना आवश्यक हुनर है, और लगता खुद केजरीवाल ऐसे होनहारों की पहचान करते होंगे?

वरना पार्टी से जुड़े सब के सब नेता रायता फैलाने में उस्ताद नहीं होते...मुझे तो लगता है फील्ड ट्रेनिंग के लिए खुद केजरीवाल इनकी रायता ट्रेनिंग क्लास भी लेता होगा।

भगवान बचाये...हमें ऐसी पार्टी से और दिल्ली को इस पार्टी के संक्रमण से...वरना आम आदमी पार्टी की ट्रेनिंग कैंप से निकले नेताओं के फैलाये रायतों से एक दिन दिल्ली का नाम भी बदलकर शेखचिल्ली जरूर हो जायेगा?

चोरों-घोटालेबाजों के साथ नीतीश के गठबंधन को वोट नहीं करेगा बिहार

बिहार में आयोजित महागठबंधन रैली को भले स्वाभिमान नाम दिया गया है, लेकिन महागठबंधन में शामिल पार्टियों का इतिहास जानने वाली जनता में इनके प्रति मुश्किल से स्वाभिमान जाग पायेंगे?

चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू यादव की पार्टी की काला इतिहास, कोलगेट, रेलगेट, कॉमवेल्थ, 2जी और जीजा जी घोटाले वाली कांग्रेस और बिहार को विकास के रास्ते से उतार चोरों और घोटालेबाजों का साथ देने वाली पार्टी जनता दल यू को बिहार की जनता सिरमाथे निश्चित नहीं बिठायेगी।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि बिहार विधानसभा से आगामी चुनाव में यह महागठबंधन (महाठगबंधन) बुरी तरह हार का सामना करेगी, क्योंकि जिस तरह से ईमानदारी छवि वाले मोदी के खिलाफ सारे कुख्यात पार्टियां एकजुट हुईं है उससे जनता में मोदी के प्रति भरोसे को और बढ़ा दिया है।

बिहार की जनता देख रही है कि कैसे बीजेपी को केवल हराने के लिए चोरी और घोटालों को दोषी और आरोपी आपस में किस तरह हाथ से मिला रहें हैं।

नीतीश कुमार अपनी पुरानी साख, विकासवादी शक्ल और सुशासनवादी छवि के साथ अगर अकेले आगामी विधानसभा चुनाव लड़ते तो शायद अपनी और पार्टी की इज्जत बचा लेते, लेकिन चोरो और घोटालेबाजों को अपने साथ बैठा लेने वाले नीतीश कुमार अब कांग्रेस और आरजेडी की मौत ही मरते दिखाई दे रहें हैं।

#Nitish_Kumar #JDU #Lalu_Yadav #RJD #Congress #SoniaGandhi #MahaGathbandhan

बिहार को डसने के लिए सांप खुद दूध मांगने निकल पड़े हैं!

सत्ता हासिल करने या सत्ता में भागीदारी पाने के लिए राजनीतिक कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो जाते है।

मतलब, कुत्ते- बिल्ली की दोस्ती, सांप-नेवले की दोस्ती और रात और दिन की दोस्ती असंभव है, लेकिन राजनीति में सब संभव है।

यही नहीं, राजनीति में दो धुर विरोधी मतलब के लिए न केवल एक दूसरे के गले मिल लेते हैं बल्कि गली के कुत्ते की तरह कभी लड़ रहे नेता एकदूसरे के कसीदे काढ़ रहें हैं।

राजनीति में रसातल तो बहुत आये, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव में कई परस्पर धुर विरोधी दल कांग्रेस, जदयू, राजद गले में हाथ डाले ऐसे खड़े हैं जैसे डसने के लिए सांप खुद बोलकर दूध पिलाने की अपील कर रहा है।
;-)  ;-)  ;-)

गुरुवार, 27 अगस्त 2015

दिल्ली पब्लिक ट्रांसपोर्ट में घुसते ही लोग भूल जाते हैं कि वो इंसान भी हैं?

राजधानी दिल्ली में ट्रैफिक की समस्या को सुलझाने के लिए कार चालकों को दोषी ठहराया जाता है, लेकिन मेट्रो रेल के बावजूद दिल्ली का पब्लिक ट्रांसपोर्ट मसलन बस, ऑटो, टैक्सी सेवाएं बद से बदतर हालत की हैं।

कई बुद्धिजीवियों की सलाह के बाद बढ़ती ट्रैफिक में कमी लाने के लिए कार पूलिंग की बाते की जाने लगी, लेकिन डीटीसी बसों की फ्रीक्वेंट सर्विस नहीं होने और अब मेट्रो फीडर बसों का ब्लू लाइन बसों में तब्दील हो जाने से दिल्ली की पब्लिक मजबूरी न हो तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट लेना पसंद नहीं करती है।

ब्लू लाइन बस सर्विस याद है न? जिसमें पब्लिक ट्रांसपोर्ट से चलने वाले बसों में भेड़-बकरी की तरह ठूंसे जाते थे, लेकिन अब उसकी कमी मेट्रो फीडर पूरी कर रही है।

किसकी हिम्मत होगी जो पब्लिक ट्रांसपोर्ट को यूज करेगा? इसलिए न चाहते हुए लोग मजबूरी में पर्सनल कारें यूज करते है।

भले ही कार लेकर चलने से दिल्लीवाले खुद और दूसरों को जाम में घंटों फंसा कर रखते है, लेकिन वे कम से कम खुद को इंसान तो महसूस करते हैं वरना दिल्ली पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सवार होते ही लोग भूल जाते हैं कि वे इंसान भी हैं।

आम आदमी की सरकार के नाम से दिल्ली के मुख्यमंत्री बन बैठे केजरीवाल को राजनीति करने से फुरसत मिले तो वो कुछ करें? उन्हें तो बस प्रधानमंत्री बनना है इसलिए गुजरात में आरक्षण का आग फैलाने के बाद राजनीति करने बिहार घूम रहें हैं।

#Delhi #Public_Transport #AAP #Kezriwal #Metro_Feeder_Bus #Traffic_Problem

आत्मनिर्भरता और आजादी के सीधा कनेक्शन को कब समझेंगी लड़कियां?

शिव ओम गुप्ता
लड़कियां न ही अबला रहेंगी और न ही लड़कों से कमजोर रहेंगी, जिस दिन लड़कियां आत्मनिर्भर रहना सीख लेंगी?

क्योंकि एक महिला से जुड़े तमाम अपराध मसलन दहेज, शोषण और दोयम रवैये कड़ी उसकी दूसरे पर निर्भरता से जुड़ी हुई है।

चाहे वह निर्भरता पिता पर हो, जो दहेज का जन्मदाता है, चाहे निर्भरता पति पर हो, जो तमाम शोषण का जन्मदाता है, चाहे निर्भरता परिवारिक हो, जो महिला को आर्थिक और सामाजिक मोर्चे पर दोयम बनाती है।

चूंकि महिला आत्मनिर्भर नहीं है, कमाती नहीं है, परिवार के खर्च में उसकी समान सहभागिता नहीं है, तो फैसलों पर उसकी राय भी मायने रखी जाती हैं और न ही सुनी जाती है।

कहने का मतलब है कि महिला की सक्षमता और उसकी आजादी का कनेक्शन आत्मनिर्भरता से सीधा जुड़ा हुआ है, जो इस अर्थ कनेक्शन के अर्थ को समझ गयी है, वो अपनी ही नहीं, दूसरों की जिंदगी को भी संवार रही है।

लेकिन समस्या यह है कि महिलाएं आज समान अधिकार और समान व्यवहार की बात तो करती हैं, लेकिन वे इसके लिए जरुरी आत्मनिर्भरता के अर्थ कनेक्शन को समझने की कोशिश नहीं करती हैं।

प्रियदर्शन की फिल्म खट्टा-मीठा का एक डॉयलाग है, जिसमें कुलभूषण खरबंदा अपने नकारे बेटे से कहते हैं,  "जिनकी जेबों में पैसे न हों, वे अधिकारों, आदर्शों, नैतिकता की बातें न करें"

आत्मनिर्भरता और सम्मान का कनेक्शन सिर्फ लड़कियों के अधिकारों और उनकी समानता से नहीं जुड़ा है, यही बात लड़कों पर लागू होता है।

यानी पारिवारिक मसलों पर बोलने का हक उन्हीं लड़कों को मिलता है, जो आत्मनिर्भर हैं या पारिवारिक खर्च में योगदान देते हैं और जो लड़के परिवार पर निर्भर होते हैं, उनको भी अधिकारों की लड़ाई हारनी पड़ती है।

#Women_Right #Independency #Money_Matter #Equality #Morality

बुधवार, 26 अगस्त 2015

किसी शातिर का महज मोहरा है कच्चा नींबू हार्दिक पटेल?

गुजरात में पटेल समुदाय के आरक्षण आंदोलन को हवा देने वाला हार्दिक पटेल कच्चा नींबू है। जी न्यूज के रिपोर्टर अमित प्रकाश ने सवाल किया कि धरना देने से पहले प्रशासन अनुमति लेनी पड़ती है, क्या आपने अनुमति ली थी?

हार्दिक पटेल, "कोई आतंकवादी हमला करने से पहले अनुमति लेता है क्या? वो तो बस हमला कर देता है? "

मतलब? हार्दिक पटेल खुद को और अपने जुटाये भीड़ को आतंकवादी कार्रवाई करार दे रहें हैं, जिसके लिए अनुमति की जरुरी नहीं है।

यानी जिसको लोकतांत्रिक और आतंकी कार्रवाई का अंतर नहीं मालूम है, वह क्या किसी का नेतृत्व कर सकता है।

नि: संदेह 21-22 वर्षीय हार्दिक पटेल एक कच्चा नींबू है और हार्दिक को चेहरा और मोहरा बनाकर कोई छिपकर शतरंज का खेल खेलता आ रहा है और हम तमाशा देख रहें हैं।
#Patel #Protest #Hardik_Patel #Reservation 

बिहार की राजनीति से नीतीश का राजनीतिक पतन शुरू हो गया है!

शिव ओम गुप्ता
नीतीश कुमार की राजनीतिक पतन का दौर चल रहा है और तेजी से नीतीश पतन की ओर बढ़ रहें हैं।

नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री बनने की आकांक्षा में एनडीए से गठबंधन तोड़ा और लोकसभा चुनाव के बाद फटेहाल हो गये।

चुनाव बाद खिसियाये नीतीश ने बिहार की जनता को भगवान भरोसे छोड़ बिहार की गद्दी छोड़ कर इसलिए अलग हो गये ताकि प्रधानमंत्री बिहार दौरे पर कभी आयें तो अगवानी न करने पड़े,

नीतीश का दांव फिर उल्टा पड़ गया और फिर माफी मांगते हुए मुख्यमंत्री पद संभालना पड़ा और जिसके लिए मुख्यमंत्री का पद त्यागा था, झक मारकर प्रधानमंत्री की अगवानी करनी ही पड़ी।

नीतीश का पतन का संकेत नीतीश और लालू गठबंधन भी दे रहा है। लालू प्रायोजित जंगलराज और भ्रष्टाचार के खिलाफ बिहार की जनता से वोट लेकर मुख्यमंत्री बने नीतीश अब लालू यादव के साथ एक बार फिर बिहार में जंगलराज की वापसी करवाना चाहते हैं।

कहते हैं कि जब इंसान का बुरा वक्त आता है ईश्वर उसकी बुद्धि पहले छीन लेते हैं। कुछ ऐसा ही अब नीतीश कुमार के साथ हो रहा है।

सुना है आज दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस में आयोजित में नीतीश कुमार ने मोदी सरकार द्वारा घोषित 1.25 लाख करोड़ रुपये के विशेष पैकेज को हवाई करार दिया है।

अब नीतीश का पतन तो कोई रोक नहीं सकता है, क्योंकि बिहार अब जंगलराज की ओर मुड़ने के लिए लालू+नीतीश के महाठगबंधन को वोट देने से तो रहा, लेकिन विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा घोषित ऐतिहासिक पैकेज पर राजनीतिक नुक्ताचीनी कर रहे नीतीश को सबक भी सिखायेगी।

तो नीतीश जी बार-बार बिहार की बात बिहार में कहने के लिए दिल्ली आने की जहमत मत उठाइये, क्योंकि बिहार की जनता आगामी विधानसभा चुनाव में आपको परमानेंट बिहार से निकालकर दिल्ली फेंकने जा रही है और राज्यसभा सीट संसद में धुनी रमाते रहियेगा?

#Nitish_Kumar #Bihar_Poll #Lalu_Yadav #RJD_JDU #Special_Package #Modi 

मंगलवार, 25 अगस्त 2015

हार्दिक पटेल में केजरीवाल के अराजकता का विस्तार दिखता है?

शिव ओम गुप्ता
लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखना और प्रदर्शन करना लोकतांत्रिक जड़ों को मजबूत करती हैं लेकिन जब से धरना-प्रदर्शन की राजनीति करके केजरीवाल एंड पार्टी ने दिल्ली में सरकार बना ली है लोकतंत्र रसातल की ओर बढ़ चला है।

इसका ताजा उदाहरण आजकल गुजरात में देखने को मिल रहा है, जहां एक नौजवान कांधे पर बंदूक रखकर लोकतांत्रिक लड़ाई लड़ने की पहचान बना रहा है और भाई लोग और मीडिया भी चुपचाप तमाशाई बने हुए हैं ।
बंदूकधारी हार्दिक पटेल

सीरिया और इराक में आईएस आतंकियों का मनोबल ऐसे ही नहीं बढ़ा होगा जब वे बंदूक से न्याय दिलाने के लिए उठ खड़े हुये और देखते ही देखते पहले उन्होंने उन्हीं को खत्म किया, जो चुपचाप तमाशा देख रहे थे।

हार्दिक पटेल नामक उक्त बंदूकधारी युवक को जिस तरह महिमा मंडित करके से पेश किया जा रहा है, वह बिलकुल ठीक नहीं है। लोकतंत्र में बंदूक के लिए कोई जगह नहीं है, लेकिन जबरन हार्दिक पटेल को फोटो सहित प्रचारित किया जाना बेहद ही खतरनाक स्थिति को जन्म दे सकता है।

केजरीवाल एंड पार्टी का साइड इफैक्ट हम देख रहें हैं, जिसने अपने वैयक्तिक और छुपे राजनीतिक कैरियर के लिए लोकतांत्रिक टोटकों व तरीकों के जरिये लोगों को बखूबी मूर्ख बनाया और मुख्यमंत्री बन बैठा, लेकिन अब केजरीवाल की खाल में छुपे भेड़िये एक -एक कर बाहर आ रहें है और वोट देकर ठगे जा चुके लोगों की आंखें अब खुली ही नहीं रहीं हैं बल्कि फट जा रहीं हैं।

मैंने तो यहां तक सुना है कि यह बंदूकधारी हार्दिक पटेल केजरीवाल समर्थक भी है। इसने लोकसभा चुनाव के दौरान केजरीवाल को समर्थन भी दिया था? सोचिये केजरीवाल और केजरीवाल समर्थित युवक की बंदूक वाली तस्वीर के बारे में और कल्पना कीजिये?

केजरीवाल तो कथित रुप से खुद को अनाचारी अराजक घोषित पहले ही कर चुका है और लगता है बंदूकधारी हार्दिक पटेल केजरीवाल की अराजकता का विस्तार है। अब तो भगवान ही बचाये?

#Kezriwal #AAP #Hardik_Patel #Reservation #Protest #GunPoint #Gujarat

शनिवार, 22 अगस्त 2015

थैंक्यू भैय्या की जगह, सिर्फ थैक्यू ही बोल देती...तो क्या चला जाता?

रोजाना मैट्रो रेल से ही आवास से ऑफिस की दूरी तय करता हूं, लेकिन मेट्रो स्टेशन पहुंचने के लिए अक्सर ऑटो विद शेयरिंग (इकोनॉमी, यू नो) प्रीफर करता हूं!

पर आज ऑटो विद शेयरिंग में मुझे लेकर दो ही वंदे ही थे, हमें एक और वंदे की तलाश थी पर १० मिनट इंतजार के बाद भी कोई नहीं आया और ऑफिस पहुंचने की जल्दी में हम थोड़ा झेलने को राजी हो गए और जैसे ही ऑटो वाले से कहा, 'चलो भैय्या' तभी जोर की एक लड़की की आवाज गूंजी, भैय्या हौज खास मेट्रो जाएंगे क्या?
ऑटो वाले ने बोला, हां...आ जाइए!

लड़की १८-२१ की रही होगी,  उसने एक सरसरी नजर मुझपर और मेरे सहयात्री पर दौड़ाई और न कहने वाली थी मैं बोल पड़ा (इकोनॉमी, यू नो) आप हौज खास मेट्रो जाएंगी, डोन्ट वरी यू कैन सिट हीअर...

लड़की ने अनमने ढंग से फिर हमें घूरा और मानों हमें और हमारी औकात को तौल लिया हो और मेरे बगल वाली सीट पर धंस गई (जल्दी में थी शायद)

मैंने ऑटो वाले से कहा, चलो भैय्या...और ऑटो वाला गर्र..र्र..र्र..र्र..से आगे बढ़ लिया....हम ऑल मोस्ट पहुंचने ही वाले थे कि आईआईटी गेट के पास ऑटो गर्र गर्र करके बंद हो गई, मेट्रो स्टेशन वहां से वॉकिंग डिस्टेंस पर है,  हम निश्चिंत थे पर वो लड़की परेशान हो गई, मेरी तरफ देखते हुए, अब...?

मैंने उसकी ओर देखा (बेहद खूबसूरत आंखें) और हड़बड़ाते हुए बोला...अब, कुछ नहीं...पैसे देते हैं ऑटो वाले को और निकलते हैं...पास में ही है हौज खास मेट्रो स्टेशन...वाकिंग डिस्टेंस? ऑटो वाले ने भी विश्वास दिलाया, हां...मैडम, ओवरब्रिज पार करते ही स्टेशन है!

लड़की ने पैसे दिए और घबड़ाते -सकुचाते हुए हमारे साथ चल पड़ी,  उसके भारी बैग हमें अपने कंधों पर उठाने पड़े (घर जा रही होगी, शायद)

मेट्रो स्टेशन दो कदम दूरी पर ही था, लेकिन भारी बैग ने हमारी कचूमड़़ निकाल दी थी...खैर जैसे- तैसे मेट्रो में दाखिल हुए।

हौज खास से राजीव चौक स्टेशन के बीच हम दोनों के बीच काफी बातें हुई औऱ हमने एकदूसरे के नाम भी शेयर किए। लेकिन न मैंने नंबर मांगे और न उसने दिए।

लेकिन राजीव चौक स्टेशन पर उतरते वक्त विदाई स्वरूप उसने जो कहे उससे दिल जल गया, उसने जाते हुआ कहा, थैक्यू भैय्या....आई थॉट, व्हाट? व्हाई भैय्या, सी नोज माय नेम...थैक्यू शिव ही बोल देती...

हम दोस्त भी तो हो सकते थे, क्यों कोई लड़की किसी लड़के को दोस्त नहीं बना पाती (तब जब वह 18 वर्ष की हो, युवा हो)..कौन सा हम मिलने वाले थे, महज इंसानियत के नाते या कह लो पैसे बचाने के लिए हमने मदद की कोशिश की।

देखा जाए तो मैंने एक भाई की तरह उसका ख्याल रखा, एक दोस्त की तरह उसके बोझ उठाए और अभिभावक की तरह मार्गदर्शन भी किया, तो रिश्तों में बांध देना जरुरी है, इंसानियत ही मान लेती!

और...बदले में कुछ भी नहीं, कभी नही..कम से कम मैं नहीं चाहता, न कभी चाहुंगा कभी भी किसी से भी...क्योंकि मुझे तो आजकल नैसर्गिक रिश्ते (भाई-बहन, चाचा-ताऊ) भी बोझ लगते है...तो फिर कृत्रिम रिश्ते कितने दिन चलेंगे..

मैं आज तक नहीं समझ पाता हूं कि आखिर क्यों, कोई, किसी को, किसी अनचाहे रिश्तों में बांधना चाहता है...जबकि इंसान वैयक्तिक रिश्तों को निभाने में असमर्थ है।

मैं तो किसी से दूसरी मुलाकात में तब तक बात नहीं करता, जब तक वो खुद पहल न करे, चाहे वो लड़की हो अथवा लड़का?

मतलब, न भेद न भाव?  न भेद करता हूं न भाव देता हूं, सिंपल!

शुक्रवार, 21 अगस्त 2015

कश्मीर मुद्दा और कांग्रेस: जिसने देश को दांव पर लगा दिया ?

शिव ओम गुप्ता
पाकिस्तान और भारत दोनों की राजनीतिक पार्टियां कश्मीर मुद्दे पर सियासत करके ही अब तक अपनी और अपने परिवार की ही दाल-रोटी का जुगाड़ करती आई हैं, देश पिछले 68 वर्षों से आतंकवाद और सांप्रदायिकता की आंच में जलता आया है।

और जब भी दोनों पड़ोसी देशों के गैर- पारंपरिक राजनीतिक दल कश्मीर मुद्दे पर कोई बहस और बातचीत शुरू करना चाहता है तो उन लोगों को इसमें अपनी सियासी व राजनीतिक हत्या ही नजर आती है और बात को बीच में ही अटका दी जाती है।

याद कीजिये, जिन्होंने पिछले 68 वर्षों से कश्मीर मुद्दे पर अपने देश की भोली-भाली जनता को बहकाकर, उनकी भावनाएं भड़काकर सत्ता में लगातार पहुंचती रहीं हैं और अपनी कई पीढ़ियों के लिए पैसा जोड़ती आ रहीं हैं, वे ऐसे मुद्दे को कैसे हाथ से जाने दे सकती है?

भारतीय राजनीति में शीर्ष पर रही कांग्रेस सत्ता में प्रत्यक्ष और परोक्ष रुप से पिछले 68 वर्षों में से 60 वर्ष तक काबिज रही है, लेकिन कांग्रेस ने कभी भी कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए कोई वास्तविक कदम व पहल नहीं की है, जबकि दो देशों के द्विपक्षीय मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाकर मुद्दे को जीवित रखने की अथक कोशिश की है, कारण स्पष्ट है?

कांग्रेस सत्ता में रहती है तो दिखावा-प्रदर्शन के लिए कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की सत्तासीन राजनीतिक पार्टी से बातचीत का नाटक करती हैं, क्योंकि दोनों देशों की सियासी पार्टियां कश्मीर मुद्दे का हल नहीं होने देना चाहती हैं।

यही कारण है कि पिछले 68 वर्षों में महज कश्मीर मुद्दे को उलझाकर सत्ता की मलाई काट रहीं ऐसी पार्टियों को जब भी लगता है कि मुद्दा हाथ से निकल जायेगा तो मुद्दे को सुलझाने का नाटक रहीं दोनों देशों की पार्टियां पाला बदल लेती हैं और प्रस्तावित बातचीत का विरोध करने लगती है।

हालांकि अभी तक मोदी सरकार लगातार कंस्ट्रक्टिव राजनीति करती दिख रही है। इनमें आजादी के बाद से नासूर की तरह देश को खोखला कर रहे दो प्रमुख मुद्दे "बांग्लादेश से बार्डर समझौता" और "नागालैंड उग्रवादी संगठन" से बातचीत के जरिये मुद्दे को सुलझाना एक बड़ी सफलता है और मोदी सरकार इसी क्रम में कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के प्रयास में दिख रही है।

उल्लेखनीय है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने पश्चिमी, पूर्वी, दक्षिणी और उत्तरी एशियाई देशों का हालिया और आगामी दौरा इसी प्रयास का नतीजा है ताकि पाकिस्तान पर बातचीत और समझौते का दबाव बनाया जा सके।

लेकिन भारतीय राजनीति में पिछले 10 वर्षों तक सत्ता में रहीं कांग्रेस का स्टैंड और स्टंट का इतिहास देखिये और समझिये?

कांग्रेस ने पिछले 10 वर्षों के कार्यकाल में कश्मीर मुद्दे को सुलझाने का दिखावा-प्रदर्शन के अलावा कुछ नहीं किया। कांग्रेस कार्यकाल के  दौरान देश ने पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों के 26/11 मुंबई हमले जैसे दर्जनों हमले झेलने, बार्डर पर संघर्ष विराम के लगातार उलंघन झेले और उस दौरान विपक्षी पार्टियों द्वारा लगातार बातचात के विरोध करने के बावजूद पाकिस्तान के साथ बातचीत जारी रखने पर भी कांग्रेस लगातार कायम रही।

यहीं नहीं, कांग्रेस पार्टी ने क्रॉस बॉर्डर आतंकवाद और सरहद पर भारतीय सैनिक हेमराज का सिर काट कर ले जाने के बावजूद न केवल पाकिस्तान में सत्तासीन राजनीतिक पार्टियों से बातचीत जारी रखने का समर्थन किया बल्कि उनको बुलाकर बिरयानी भी खिलाई।

लेकिन अब जब केंद्र में सत्तासीन गैर-कांग्रेसी मोदी सरकार पाकिस्तान में सत्तासीन नवाज सरकार द्वारा पोषित आतंकवाद और संघर्ष विराम उलंघन पर एनएसए लेबल की बातचीत शुरू करने की कोशिश कर रही है तो वहीं कांग्रेस विरोध कर रही है, जो सत्ता में बैठकर बातचीत नहीं रोकने की हिमायत करती रहीं हैं।

देखिये और समझिये? यही है कांग्रेस की कुंठित और सत्तालोलुप राजनीति का सच, जहां सत्ता में वापसी व सत्ता में बने रहने के लिए न केवल वह लगातार देश के साथ गद्दारी करती आ रही है बल्कि देश को परोक्ष रुप से कश्मीर मुद्दे पर उलझाये रख कर भारत को अशांत और अविकसित रखने की भी जिम्मेदार रही है। 

मध्यप्रदेश-राजस्थान परिणाम से पप्पू हुआ बदहवास, हॉलीडे की तैयारी!

पहले मध्य प्रदेश में बीजेपी की धमाकेदार जीत और अब राजस्थान में भी बीजेपी की धुंआदार जीत के बाद पप्पू उर्फ राहुल गांधी का राजनीति पर से भरोसा उठ गया है।

बकौल पप्पू, "एक तो मम्मी ने पिछले हॉलीडे से यह कहकर बुलवा लिया कि लगातार झूठ बोलने से झूठी बात को जनता सच मान लेती और जनता हमारी पार्टी को वोट करेगी, लेकिन कुछ नहीं मिला और हॉलीडे भी बेकार चला गया। मम्मी झूठी है, अब कभी भी मोदी अंकल के खिलाफ कुछ नहीं बोलूंगा। मेरा भी मोदी-मोदी-मोदी करने का दिल करता है, लेकिन मम्मी डांटती है।"

विश्वश्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले दो महीने नाटक पर नाटक और बीजेपी के खिलाफ झूठ और दुष्प्रचार करते-करते राहुल गांधी का 10 किलो वजन घट गया है, लेकिन बीजेपी की एक के बाद जीत से पप्पू फिर फेल हो गया?

खबर है पप्पू फिर हॉलीडे की छुट्टियां बनाने का प्लान बना रहा है और इस सुना है जब लौटेगा तो सिर पर बैटमैन वाला टोपी, कमर पर सुपरमैन वाला चड्ढी और माकड़मैन वाला फिगर लेकर लौटेगा?

सूत्रों से खबर मिली है कि पप्पू डांस की तैयारी भी कर रहा है और डांस की ट्रेनिंग अपने शक्तिमान भैय्या दे रहें है, याद है न...शक्तिमान-शक्तिमान....

#Pappu #RahulGandhi #Comgress #Rajasthan #MadhyaPradesh #CivicPoll #Results #Modi 

गुरुवार, 20 अगस्त 2015

राहुल गांधी और उनकी पप्पूगिरी की नौटंकी कब तक चलेगी?

अमेठी दौरे पर गये पप्पू उर्फ #राहुलगांधी की नौटंकी की पोल एक बार फिर खुल गई ।

खबर है राहुल गांधी ने अपने लोकसभा क्षेत्र के लोगों द्वारा लाये गये सप्रेम पानी को पीने से इनकार कर दिया और तब राहुल गांधी के लिए उनके सिक्युरिटी गॉर्ड को मिनरल वॉटर मंगवाना पड़ा।

मतलब, जो इंसान गरीबों और किसानों के हितों की बात करके प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने का सपना देख रहा है, वह उन्हीं गरीबों और किसानों का निरादर कर रहा है।

क्या ऐसे दोमुंहे, दोगले और ड्रामेबाज नेता को देश की जनता कभी प्रधानमंत्री चुन पायेगी, जिसे जनता से प्रेम नहीं, बल्कि वह उन्हें मूर्ख बनाकर वोट लेने का ड्रामा करता फिरता है?

#RahulGandhi #Comgress #Vote #PMPost #AmethiTour

बदहाल बिहार के लिए वरदान है प्रधानमंत्री का विशेष पैकेज!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार विधानसभा चुनाव से पूर्व 1.25 लाख करोड़ रुपये की विशेष पैकेज देकर बिहार को जता दिया है कि विकास और तरक्की पर अबकी बार बिहार की बारी है।

बिहार में 2015 विधानसभा चुनाव से पहले भी दर्जनों चुनाव हो चुके हैं, लेकिन पहली बार बिहार को ऐसे पैकेज मिले हैं, जिसमें दिमाग से इतर दिल का भी योगदान दिखता है।

तो बिहार तैयार हो जाइये और अपनी किस्मत और भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए वोटिंग मशीन पर सोच-समझकर बटन दबायें!

क्योंकि चुनावी रस्साकसी से ही सही, विशेष पैकेज का लाभ बिहार को मिलना जरुरी है और वो कैसे आता है यह जरुरी नहीं है, क्योंकि स्वार्थी तो मां-बाप भी होते हैं, जो बुढ़ापे में सुख का साधन अपनी संतान में देखते है।
#Modi #SpecialPackage #BiharPolls #NitishKumar

कांग्रेस का चुनाव चिह्न होगा कुर्ता-पायजामा पहने हुआ इंसान?

राहुलगांधी ने घोषणा की है कि अब #कांग्रेस कुर्ता-पायजामा  पार्टी के नाम से जानी जायेगी और पार्टी का #चुनाव #चिह्न भी अब हाथ के पंजे के बजाय बदलकर पायजमा-कुर्ता पहना हुआ इंसान होगा!

सूत्र की माने तो दिलचस्प बात यह है कि खुद राहुल गांधी पार्टी के नये चुनाव चिह्न में #कुर्ता-पायजामा पहने इंसान की मॉडलिंग करेंगे?

सोचिए, जिनके मां, बाप, दादा के कपड़े इटली और फ्रांस में धुलने जाते हैं उनको सत्ता पाने के लिए अब कुर्ते-पायजामें की राजनीतिक नौटंकी करनी पड़ रही है। पप्पू भैय्या अब तो हिंदुस्तान खुद भी कुर्ता-पायजामा नहीं पहनता है?

उसे छोड़िये, राहुल गांधी को ऐसी नौटंकी करने से पहले अपनी ओर और अपनी इटालियन मां की ओर देख लेना चाहिए, क्योंकि दोनों दिल से ही नहीं, दिमाग से भी भारतीय नहीं दिखते है, मां तो इटली की है ही, बेटे का दिल भारत में नहीं लगता, हमेशा हॉलीडे पर रहता है।

#RahulGandhi #Pappu #Comgress #Model #KurtaPayzama #ElectionSymble #Punja

केजरीवाल अब बिहार को मूर्ख बनायेंगे क्या?

 केजरीवाल और कांग्रेस एक बार फिर एक ही नाव पर सवार हो गये हैं। ऐसा लगता है कांग्रेस और केजरीवाल कुंभ मेले में खोये हुए बिछड़े मां -बेटे थे जो बिहार चुनाव में एक मंच पर आ पहुंचे है, वैसे इसकी एक झलक दिल्ली वाले देख चुके हैं।

खबर है ईमानदारी की चलती-फिरती दुकान और सत्यवादिता में राजा हरिशचंद्र की छठी औलाद केजरीवाल बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस(2जी स्कैम-कोलेगेट) + राजद (चारा घोटाला-जंगलराज) +जदयू (रणछोड़-विकास छोड़) की महान ठग गठबंधन के लिए प्रचार करने के लिए प्रचार करने जा रहें हैं।

भगवान भला करे बिहार का और मतदान के वक्त बिहार के मतदाताओं को सद्बुद्धि सलामत रखे, जय हो?

#Kezriwal #BiharPolls #JDU #RJD #Congress #Coalition #DirtyPolitics

गुरुवार, 13 अगस्त 2015

कांग्रेस देश का विकास नहीं, केवल पिछड़ापन चाहती है?

शिव ओम गुप्ता
कांग्रेस मोदी सरकार की कार्य योजना के संभावित सुखद परिणाम और देश के सकारात्मक विकास को महसूस करके डर गई है।

कांग्रेसियों का इतिहास रहा है कि जब वे सत्ता में रहते हैं तो देश के विकास के लिए कोई काम नहीं करते हैं और जब सत्ता से बाहर रहतें हैं तो सत्तासीन दूसरी पार्टी के काम में हरसंभव अड़ंगा डालने की कोशिश करते हैं ताकि बेकार और बेरोजगार देशवासियों में झूठ व दुष्प्रचार फैलाकर आसानी से दोबारा सत्ता में वापस आया जा सके?

अव्वल तो आजादी के 68 वर्ष में से करीब 60 वर्ष प्रत्यक्ष और परोक्ष रुप से कांग्रेस ही सत्ता में काबिज रही है और कांग्रेस जब-जब सत्ता से बाहर रही है उसने हर बार एक लोकप्रिय और विकासोन्मुखी सरकार के खिलाफ झूठ और दुष्प्रचार फैलाकर सत्ता में वापसी की है।

मोदी सरकार के कई विकासोन्मुखी कदमों और कामों से देश में सकारात्मक प्रगति सुनिश्चत हो गई है, लेकिन कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों को राजनीति से निर्वासन का डर सता रहा है कि कहीं भारत की राजनीति से बाहर न हो जायें, इसलिए मोदी सरकार की प्रगतिमूलक कार्यों में अड़ंगा और अवरोध पैदा कर रहें हैं।

कांग्रेस ने देश के विकास के लिए कभी भी आधारभूत संरचना की योजना पर बल नहीं दिया है। उसने देश को सिर्फ योजनाओं की झुनझुनाओं से बरगलाया है, जिससे देश का समावेशी विकास नहीं हो सका।

कांग्रेस ने अपने शासनकाल में जानबूझकर देश के एक समुदाय विशेष से जुड़े लोगों को अभावग्रस्त, बीमार और बेरोजगार बनाये रखा और योजनाओं के जरिये पैसा रेवड़ी की तरह बांटकर खुद की अपनी तिजोरियां भरी?

कांग्रेस ने हमेशा देश को समुदाय विशेष और वर्ग विशेष में बांटकर विकास कार्य किये जबकि अगर कांग्रेस सामूहिक विकास के लिए काम करती तो आज लगभग 68 वर्ष पश्चात देश का हर वर्ग और समुदाय साक्षर, स्वस्थ और संपन्न होता और उसे कांग्रेसी योजनाओं की भीख की जरूरत नहीं होती।

एक लाइन में कहें तो कांग्रेस ने सत्ता में बने रहने के लिए साजिशन गरीब, निरक्षर और कमजोर लोगों की खेप देश में बरकरार रखने की कोशिश की ताकि उनका वोट अपनी जरुरत और समयानुसार उपयोग किया जा सके।

यह सर्वविदित सत्य है कि गरीब, निरक्षर और कमजोर इंसान को उसके और उसके परिवार की रोटी के लिए कैसे भी बरगलाया जा सकता है और वोट लिया जा सकता है।

कांग्रेस की पूरी राजनीति इसी रणनीति पर टिकी हुई है। उसने गरीब को हमेशा लाचार बनाये रखा, उसे उतने ही पैसे दिये जितने में वह बस जिंदा रह सके, आत्मनिर्भर न हो? क्योंकि अगर आत्मनिर्भर हो गया तो पढ़ लिख जायेगा, स्वस्थ रहने लगा और स्वाभिमानी हो जायेगा?

कांग्रेस जानती है कि गरीब और लाचार देश से खत्म हो गये तो उनकी बात कोई नहीं सुनेगा और लोग सवाल भी करेंगे, क्योंकि गरीब और कमजोरों को कभी सवाल करते सुना है आपने?

इसलिए कांग्रेस ने मुस्लिम, दलित और आदिवासियों के विकास के लिए कभी कोई ठोस काम नहीं किया, बल्कि उन्हें योजनाओं का झुनझुना पकड़ाकर अपना वोट बैंक बनाये रखा?

क्योंकि अगर सभी साक्षर, स्वस्थ और मजबूत हो गये तो दिमाग लगायेंगे और वोट करने से पहले सवाल करेंगे व राजनैतिक विकल्प तलाशेंगे, लेकिन कांग्रेस ने अपने शासनकाल में ऐसा कभी नहीं होने दिया और जब भी गैर-कांग्रेसी सरकारें देश में आई है, झूठ और दुष्प्रचार के जरिये उन्हें भी गरीबों के लिए काम करने से रोकती आई है।

हालांकि पिछले दो दशकों में उन्हीं में से साक्षर, स्वस्थ और मजबूत हुये तबकों ने कांग्रेस को उनकी जगह दिखाई है और क्षेत्रिय स्तर की राजनीति से कांग्रेस को लगभग निकाल फेंका है। इनमें बंगाल, बिहार, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु प्रदेश प्रमुख है, जहां पर आज कांग्रेस का अस्तित्व न के बराबर है।

जरूरत है कि पूरा देश कांग्रेस के नापाक मंसूबों को जाने, समझे और उन्हें उनकी जगह दिखाये, क्योंकि यह देश सामूहिक विकास चाहता है, जिसका फायदा देश के हर समुदाय और वर्ग विशेष को मिले और सभी साथ आगे बढ़े और उसके लिए जरुरी है कि कांग्रेस के झूठ और दुष्प्रचार से दूर रहें।
#Congress #Dovelopment #ModiSarkar #Nexes #Conspiracy #DirtyPolitics #BJP

बुधवार, 12 अगस्त 2015

सुषमा स्वराज की दहाड़ सुनकर पप्पू के उड़ गये तोते?

शिव ओम गुप्ता
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अग्निवर्षा से परेशान होकर  राहुल गांधी ने कहा है, "जैसे ही मैं कैंडी क्रैश के आखिरी स्टेज पर होता हूं कोई न कोई लगड़ी लगा ही देता है, मुझे कभी नहीं जीतने देते ये लोग?

सुषमा स्वराज के लोकसभा में दिये धुंआधार शब्द बाणों से घायल सोनिया गांधी को भी दिन में तब तारे दिखने लग गये जब क्वात्रोची और एंडरसन की रिहाई पर सुषमा की घेरेबंदी की जकड़ में कांग्रेसी बुरी तरह से फंस गये?

इस दुर्घटना के बाद राहुल गांधी और सोनिया गांधी दोनों आज साथ-साथ 10 जनपथ पर रोते हुए एक दूसरे को ढांढस बंधा रहें हैं कि कहां उंगली कर दी, हमने तो कहानी बनाई थी, सुषमा ने तो हमें नंगा कर दिया?

राहुल गांधी, " मम्मी-मम्मी अब मुझे ये गेम नहीं खेलना है, एक तो इतना रटना पड़ता है, फिर रिहर्सल करो? और हम जीतने ही वाले थे कि सुषमा आंटी ने हमारी पोल खोलकर पूरा गुड़-गोबर कर दिया, मुझे नहीं खेलना बस!

सोनिया," देखो बेटा, मोदी अंकल से बचना है तो हल्ला -हल्ला करना ही पड़ेगा वरना तेरे जीजा रॉबर्ट वाड्रा वाला केस और नेशनल हेरोल्ड केस में हम-दोनों और जीजा भी जेल में नजर आ़येंगे?

मेरे पप्पू, हल्ला करके ही मोदी सरकार को घेरा जा सकता है ताकि दोनों मुद्दों की फाइल बंद करवाई जा सके और जैसे ही मोदी सरकार बारगेन को तैयार हो जायेगी, हम सब हल्ला-गुल्ला बंद कर देंगे?

राहुल गांधी, "सच्ची मम्मी...तो हम ये सब नाटक जीजाजी और खुद को बचाने के लिए कर रहें थे, फिर मैं जेल नहीं जाऊंगा न? लेकिन अब यह गेम खत्म होते ही मैं हॉलीडे पर निकल जाऊंगा, ठीक है। अब डोरेमेन देखने जाऊं?

सोनिया, " ओए नाशपीटे! कल की तैयारी और रिहर्सल कौन करेगा? चल रट्टा लगा? एक तो तेरे को कुछ आता जाता नहीं, मेरे दाल रोटी का जुगाड भी़ बंद करवायेगा?

राहुल गांधी, "मम्मी... मैं कल पार्लियामेंट नहीं जाऊंगा? सुषमा आंटी ने हमें खूब धोया है और कल तो हमें मारकर बाहर भी निकाल देंगी? मैं नहीं जाऊंगा, अभी कट्टी ले लो?

सोनिया, "ओए खोते द पुत्तर...रुक? कुछ नहीं होगा, हम हल्ला-गुल्ला करके संसद फिर बंद करवा देंगे, तू चिंता मत कर, तू बस यह लाइनें याद कर ले और थोड़ी रिहर्सल कर ले, बाकी हमारे पाले हुए नेता सब संभाल लेंगे? वे हल्ला करने में उस्ताद हैं।

राहुल गांधी, " लेकिन मम्मी अगर मोदी अंकल आ गये तो? मैं संसद के अंदर भी नहीं घुसूंगा, वो मुझे कहीं का नहीं छोड़ेंगे?

सोनिया, " तू डर मत बेटा, कल मोदी अंकल नहीं आयेंगे, हमने झूठ-मूठ में उन्हें बयान देने के लिए बुलाया था। चल अब बस हो गया...जा रट्टा मार और एक भी लाइन भूला तो कमरे में बंद कर दूंगी?

राहुल गांधी, "नहीं मम्मी नहीं, मैं पूरा याद कर लूंगा और दो लाइन एक्स्ट्रा भी बोलकर सबको बता दूंगा कि मैं
ब्रॉनविटा ब्वॉय हूं और कुछ भी नहीं भूलता?

सोनिया, " लोग ऐसे ही तुझे पप्पू नहीं पुकारते हैं, तू है पप्पू? खोते द पुत्तर क्या आज कम फजीहत हुई है जो तू कल भी सुषमा आंटी से डांट पड़वायेगा?

राहुल गांधी, "तो ठीक है मम्मी...मैं कल नहीं जाऊंगा, जब मैं वहां हूंगा ही नहीं तो सुषमा आंटी का बाबा जी का ठुल्लू हो जायेगा और हम बच जायेंगे?

सोनिया, " तू रूक जरा?

राहुल गांधी, " मैं नहीं...रुकूंगा...मेरा डोरेमेन शुरू हो गया?

#RahulGandhi #SoniaGandhi #Cartoon  #SushmaSwaraj #Parliament #Uproar #Pappu

केजरीवाल के घड़ियाली आंसू पर क्या अब रंग बदलेंगे योगेंद्र यादव?

कभी योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के पिछवाड़े पर लात मारकर पार्टी से निकालने की बात कहने वाले अरविंद केजरीवाल आज योगेंद्र यादव की घाव पर मरहम लगाने की बात कर रहें हैं।

योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण शायद भूले नहीं होंगे जब केजरीवाल के मुस्टंगों ने योगेंद्र यादव समेत सभी आजाद ख्यालों को वादे के मुताबिक भरी बैठक में उठाकर बाहर फेंक दिया था।

आज केजरीवाल ने गिरगिट की तरह रंग बदल कर योगेंद्र यादव के लिए घड़ियाली आंसू भी बहा दिये, लेकिन समझने वाली बात यह है कि योगेंद्र यादव केजरीवाल का कैसे स्वागत करते हैं।
#Kezriwal #YogendraYadav #AAP #SwarajAbhiyan #DelhiPolice #Arrested 

मंगलवार, 11 अगस्त 2015

केजरीवाल को नैतिकता पर घेरते तो योगेंद्र को कुछ माईलेज भी मिलता?

चुनाव विश्लेषक, आप नेता और अब स्वराज अभियान को जनक योगेंद्र यादव की हरकतों और राजनीतिक समझ पर अब तो तरस आने लगा है।

आम आदमी पार्टी से बेइज्जत करके निकाले गये योगेद्र यादव की दूरदर्शिता पर तब भी सवाल उठे थे जब उन्होंने केजरीवाल से इतर अलग पार्टी के गठन पर ताल-मटोल करते हुए स्वराज अभियान की शुरुआत की थी।

योगेंद्र कोशिश करते तो केजरीवाल के खिलाफ बने तात्कालिक माहौल को नैतिक आधार में अपने पक्ष में कर सकते थे और पार्टी के आधे विधायकों को खुद के साथ हुए व्यवहार का हवाला देकर अलग-थलग कर सकते थे, लेकिन योगेंद्र तब न जाने कौन से फ्री जोन में घूम रहे थे?

अब बीती रात 1 बजे लैंड बिल के लिए प्रधानमंत्री निवास पर जाने क्या करने जाने जा रहे थे? जबकि लैंड बिल में सरकार द्वारा सभी संसोधनों को वापस ले लिए जाने कोई दम नहीं बचा है?

केजरीवाल को उसकी अधिनायकवादी और अवसरवादी रवैये पर घेरने और नैतिकता सिखाने के बजाय योगेंद्र फिजूल की एनर्जी खराब कर रहें हैं।

बजाय इसके योगेंद्र अगर केजरीवाल को आईना दिखाते हुए आंदोलन करते तो लोगों की सहानुभूति मिलती और एक राजनीतिक पृष्ठभूमि भी तैयार होती, लेकिन अफसोस है कि योगेंद्र शून्यता की ओर बढ़ रहें हैं।

#YogendraYadav #Kezriwal #AAP #SwarajAbhiyan #DelhiPolice #ThrowOut 

खूब लड़ी मर्दानी...वो जो दिल्ली वाली लांबा थी?

केजरीवाल की छाती फूलकर उस वक्त दो गज की हो गई जब अलका लांबा नामक मर्दानी खून से लथपथ होकर भी अग्निपथ पर चलती रहीं?

और जब से खूब लड़ी मर्दानी की टीवी पर ऑडियो के बाद वीडियो लांच हुआ है तब से केजरीवाल लांबा को वर्ष 2015 का फिल्मफेयर अवॉर्ड देने के बाद की स्पीच तैयार कर रहें हैं।

केजरीवाल, "अलका लांबा मुझे तुझपे गर्व है? कहते हैं कि जब कोई अपना ड्रामेबाज कैटेगरी का बेस्ट अवॉर्ड जीत लेता है तो आंखें बस नम हो जाती हैं जी...

केजरीवाल, "देश को तुमपे नाज़ है अलका...ऐसी ही आगे बढ़ती रहो? वैसे तो सूरज को दिया नहीं दिखाया जा सकता है, लेकिन फिर भी मेरी सलाह है कि अगली बार शॉट देने से पहले मेकअप मैन और सिनेमेटोग्रॉफर जरूर बदल लेना, आमीन!

नेपथ्य में-
केजरीवाल-(अलका लांबा का गला दबाते हुए) अगर मैं फिल्मों के रीव्यू और प्ले देखने में बिजी नहीं होता तो मुझसे ड्रामेबाज कैटेगरी का अवॉर्ड नहीं छीन सकता था...(गला छोड़ते हुए) लेकिन अच्छी बात यह है कि घर का अवॉर्ड घर में ही गया?

#AlkaLamba #Kezriwal #AAP #Gundagardi #Drug #Drama #AapMla #DirtyPolitics