मंगलवार, 25 अगस्त 2015

हार्दिक पटेल में केजरीवाल के अराजकता का विस्तार दिखता है?

शिव ओम गुप्ता
लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखना और प्रदर्शन करना लोकतांत्रिक जड़ों को मजबूत करती हैं लेकिन जब से धरना-प्रदर्शन की राजनीति करके केजरीवाल एंड पार्टी ने दिल्ली में सरकार बना ली है लोकतंत्र रसातल की ओर बढ़ चला है।

इसका ताजा उदाहरण आजकल गुजरात में देखने को मिल रहा है, जहां एक नौजवान कांधे पर बंदूक रखकर लोकतांत्रिक लड़ाई लड़ने की पहचान बना रहा है और भाई लोग और मीडिया भी चुपचाप तमाशाई बने हुए हैं ।
बंदूकधारी हार्दिक पटेल

सीरिया और इराक में आईएस आतंकियों का मनोबल ऐसे ही नहीं बढ़ा होगा जब वे बंदूक से न्याय दिलाने के लिए उठ खड़े हुये और देखते ही देखते पहले उन्होंने उन्हीं को खत्म किया, जो चुपचाप तमाशा देख रहे थे।

हार्दिक पटेल नामक उक्त बंदूकधारी युवक को जिस तरह महिमा मंडित करके से पेश किया जा रहा है, वह बिलकुल ठीक नहीं है। लोकतंत्र में बंदूक के लिए कोई जगह नहीं है, लेकिन जबरन हार्दिक पटेल को फोटो सहित प्रचारित किया जाना बेहद ही खतरनाक स्थिति को जन्म दे सकता है।

केजरीवाल एंड पार्टी का साइड इफैक्ट हम देख रहें हैं, जिसने अपने वैयक्तिक और छुपे राजनीतिक कैरियर के लिए लोकतांत्रिक टोटकों व तरीकों के जरिये लोगों को बखूबी मूर्ख बनाया और मुख्यमंत्री बन बैठा, लेकिन अब केजरीवाल की खाल में छुपे भेड़िये एक -एक कर बाहर आ रहें है और वोट देकर ठगे जा चुके लोगों की आंखें अब खुली ही नहीं रहीं हैं बल्कि फट जा रहीं हैं।

मैंने तो यहां तक सुना है कि यह बंदूकधारी हार्दिक पटेल केजरीवाल समर्थक भी है। इसने लोकसभा चुनाव के दौरान केजरीवाल को समर्थन भी दिया था? सोचिये केजरीवाल और केजरीवाल समर्थित युवक की बंदूक वाली तस्वीर के बारे में और कल्पना कीजिये?

केजरीवाल तो कथित रुप से खुद को अनाचारी अराजक घोषित पहले ही कर चुका है और लगता है बंदूकधारी हार्दिक पटेल केजरीवाल की अराजकता का विस्तार है। अब तो भगवान ही बचाये?

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