गुरुवार, 13 अगस्त 2015

कांग्रेस देश का विकास नहीं, केवल पिछड़ापन चाहती है?

शिव ओम गुप्ता
कांग्रेस मोदी सरकार की कार्य योजना के संभावित सुखद परिणाम और देश के सकारात्मक विकास को महसूस करके डर गई है।

कांग्रेसियों का इतिहास रहा है कि जब वे सत्ता में रहते हैं तो देश के विकास के लिए कोई काम नहीं करते हैं और जब सत्ता से बाहर रहतें हैं तो सत्तासीन दूसरी पार्टी के काम में हरसंभव अड़ंगा डालने की कोशिश करते हैं ताकि बेकार और बेरोजगार देशवासियों में झूठ व दुष्प्रचार फैलाकर आसानी से दोबारा सत्ता में वापस आया जा सके?

अव्वल तो आजादी के 68 वर्ष में से करीब 60 वर्ष प्रत्यक्ष और परोक्ष रुप से कांग्रेस ही सत्ता में काबिज रही है और कांग्रेस जब-जब सत्ता से बाहर रही है उसने हर बार एक लोकप्रिय और विकासोन्मुखी सरकार के खिलाफ झूठ और दुष्प्रचार फैलाकर सत्ता में वापसी की है।

मोदी सरकार के कई विकासोन्मुखी कदमों और कामों से देश में सकारात्मक प्रगति सुनिश्चत हो गई है, लेकिन कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों को राजनीति से निर्वासन का डर सता रहा है कि कहीं भारत की राजनीति से बाहर न हो जायें, इसलिए मोदी सरकार की प्रगतिमूलक कार्यों में अड़ंगा और अवरोध पैदा कर रहें हैं।

कांग्रेस ने देश के विकास के लिए कभी भी आधारभूत संरचना की योजना पर बल नहीं दिया है। उसने देश को सिर्फ योजनाओं की झुनझुनाओं से बरगलाया है, जिससे देश का समावेशी विकास नहीं हो सका।

कांग्रेस ने अपने शासनकाल में जानबूझकर देश के एक समुदाय विशेष से जुड़े लोगों को अभावग्रस्त, बीमार और बेरोजगार बनाये रखा और योजनाओं के जरिये पैसा रेवड़ी की तरह बांटकर खुद की अपनी तिजोरियां भरी?

कांग्रेस ने हमेशा देश को समुदाय विशेष और वर्ग विशेष में बांटकर विकास कार्य किये जबकि अगर कांग्रेस सामूहिक विकास के लिए काम करती तो आज लगभग 68 वर्ष पश्चात देश का हर वर्ग और समुदाय साक्षर, स्वस्थ और संपन्न होता और उसे कांग्रेसी योजनाओं की भीख की जरूरत नहीं होती।

एक लाइन में कहें तो कांग्रेस ने सत्ता में बने रहने के लिए साजिशन गरीब, निरक्षर और कमजोर लोगों की खेप देश में बरकरार रखने की कोशिश की ताकि उनका वोट अपनी जरुरत और समयानुसार उपयोग किया जा सके।

यह सर्वविदित सत्य है कि गरीब, निरक्षर और कमजोर इंसान को उसके और उसके परिवार की रोटी के लिए कैसे भी बरगलाया जा सकता है और वोट लिया जा सकता है।

कांग्रेस की पूरी राजनीति इसी रणनीति पर टिकी हुई है। उसने गरीब को हमेशा लाचार बनाये रखा, उसे उतने ही पैसे दिये जितने में वह बस जिंदा रह सके, आत्मनिर्भर न हो? क्योंकि अगर आत्मनिर्भर हो गया तो पढ़ लिख जायेगा, स्वस्थ रहने लगा और स्वाभिमानी हो जायेगा?

कांग्रेस जानती है कि गरीब और लाचार देश से खत्म हो गये तो उनकी बात कोई नहीं सुनेगा और लोग सवाल भी करेंगे, क्योंकि गरीब और कमजोरों को कभी सवाल करते सुना है आपने?

इसलिए कांग्रेस ने मुस्लिम, दलित और आदिवासियों के विकास के लिए कभी कोई ठोस काम नहीं किया, बल्कि उन्हें योजनाओं का झुनझुना पकड़ाकर अपना वोट बैंक बनाये रखा?

क्योंकि अगर सभी साक्षर, स्वस्थ और मजबूत हो गये तो दिमाग लगायेंगे और वोट करने से पहले सवाल करेंगे व राजनैतिक विकल्प तलाशेंगे, लेकिन कांग्रेस ने अपने शासनकाल में ऐसा कभी नहीं होने दिया और जब भी गैर-कांग्रेसी सरकारें देश में आई है, झूठ और दुष्प्रचार के जरिये उन्हें भी गरीबों के लिए काम करने से रोकती आई है।

हालांकि पिछले दो दशकों में उन्हीं में से साक्षर, स्वस्थ और मजबूत हुये तबकों ने कांग्रेस को उनकी जगह दिखाई है और क्षेत्रिय स्तर की राजनीति से कांग्रेस को लगभग निकाल फेंका है। इनमें बंगाल, बिहार, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु प्रदेश प्रमुख है, जहां पर आज कांग्रेस का अस्तित्व न के बराबर है।

जरूरत है कि पूरा देश कांग्रेस के नापाक मंसूबों को जाने, समझे और उन्हें उनकी जगह दिखाये, क्योंकि यह देश सामूहिक विकास चाहता है, जिसका फायदा देश के हर समुदाय और वर्ग विशेष को मिले और सभी साथ आगे बढ़े और उसके लिए जरुरी है कि कांग्रेस के झूठ और दुष्प्रचार से दूर रहें।
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