रविवार, 30 अगस्त 2015

बिहार को डसने के लिए सांप खुद दूध मांगने निकल पड़े हैं!

सत्ता हासिल करने या सत्ता में भागीदारी पाने के लिए राजनीतिक कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो जाते है।

मतलब, कुत्ते- बिल्ली की दोस्ती, सांप-नेवले की दोस्ती और रात और दिन की दोस्ती असंभव है, लेकिन राजनीति में सब संभव है।

यही नहीं, राजनीति में दो धुर विरोधी मतलब के लिए न केवल एक दूसरे के गले मिल लेते हैं बल्कि गली के कुत्ते की तरह कभी लड़ रहे नेता एकदूसरे के कसीदे काढ़ रहें हैं।

राजनीति में रसातल तो बहुत आये, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव में कई परस्पर धुर विरोधी दल कांग्रेस, जदयू, राजद गले में हाथ डाले ऐसे खड़े हैं जैसे डसने के लिए सांप खुद बोलकर दूध पिलाने की अपील कर रहा है।
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