मंगलवार, 11 अगस्त 2015

केजरीवाल को नैतिकता पर घेरते तो योगेंद्र को कुछ माईलेज भी मिलता?

चुनाव विश्लेषक, आप नेता और अब स्वराज अभियान को जनक योगेंद्र यादव की हरकतों और राजनीतिक समझ पर अब तो तरस आने लगा है।

आम आदमी पार्टी से बेइज्जत करके निकाले गये योगेद्र यादव की दूरदर्शिता पर तब भी सवाल उठे थे जब उन्होंने केजरीवाल से इतर अलग पार्टी के गठन पर ताल-मटोल करते हुए स्वराज अभियान की शुरुआत की थी।

योगेंद्र कोशिश करते तो केजरीवाल के खिलाफ बने तात्कालिक माहौल को नैतिक आधार में अपने पक्ष में कर सकते थे और पार्टी के आधे विधायकों को खुद के साथ हुए व्यवहार का हवाला देकर अलग-थलग कर सकते थे, लेकिन योगेंद्र तब न जाने कौन से फ्री जोन में घूम रहे थे?

अब बीती रात 1 बजे लैंड बिल के लिए प्रधानमंत्री निवास पर जाने क्या करने जाने जा रहे थे? जबकि लैंड बिल में सरकार द्वारा सभी संसोधनों को वापस ले लिए जाने कोई दम नहीं बचा है?

केजरीवाल को उसकी अधिनायकवादी और अवसरवादी रवैये पर घेरने और नैतिकता सिखाने के बजाय योगेंद्र फिजूल की एनर्जी खराब कर रहें हैं।

बजाय इसके योगेंद्र अगर केजरीवाल को आईना दिखाते हुए आंदोलन करते तो लोगों की सहानुभूति मिलती और एक राजनीतिक पृष्ठभूमि भी तैयार होती, लेकिन अफसोस है कि योगेंद्र शून्यता की ओर बढ़ रहें हैं।

#YogendraYadav #Kezriwal #AAP #SwarajAbhiyan #DelhiPolice #ThrowOut 

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