मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करती हैं कि इज्जत सिर्फ लड़कियों की ही क्यों होती है? या लड़कों की भी कोई इज्जत होती होगी?
क्योंकि मर्द (लड़के) प्राय: अपनी तथाकथित इज्जत की शेखी महिला पर शासन करके व उसे मन मुताबिक प्रतिबंधित करके ही कमाता आया है?
लेकिन अब जब लड़कियां खुद की रक्षा-सुरक्षा करने के लिए इंडिपेंडेंट हुई जा रहीं हैं तो लड़कों (मर्दो) के तथाकथित इज्जत का क्या होगा? वो इज्जत, जो मर्द महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर अब तक कमाते रहें हैं?
अब मर्दों के दंभ का क्या होगा? जो ये मानते आए हैं कि उनके बिना महिलाओं का वजूद कुछ नहीं है?
क्योंकि आज की इंडिपेंडेंट महिलाएं खुद अपनी इज्जत की सुरक्षा के लिए मर्दों की ओर नहीं देख रहीं!
तो क्या महिला की इज्जत बचाकर इज्जत कमाने वाले कारोबारी मर्द अब बेरोजगार हो जाएंगे? मतलब जब लड़कियां इंडिपेंडेंट होंगी तो मर्द बेरोजगार ही नहीं, बल्कि इज्जतविहीन हो जाएंगे?
क्योंकि लड़कियां इंडिपेंडेंट हो रहीं है और इज्जत का कारोबार मर्दों के हाथों से छिनता जा रहा है, तो बड़ा सवाल है कि अब लड़के क्या करेंगे?
क्योंकि लड़कों (मर्दों) की अपनी कोई इज्जत तो होती नहीं है? मर्दों की इज्जत तो घरों की उन बेरोजगार महिलाओं की रक्षा-सुरक्षा से जुड़ी होती है, जो मर्दों के लिए सुबह-शाम खाना पकाती है और दिन-रात सेवा में जुटी रहती हैं?
भारतीय घरों के हर एक मर्द को इज्जत बचाने के कारोबार पर जन्मसिद्ध अधिकार है! पति-पत्नी की रक्षा (पहरा) करता है, फिर पिता-बेटी की रक्षा करता है और भाई- बहन की रक्षा करता है?
बहुत बड़ा है यह इज्जत बचाने का कारोबार, लेकिन अब जब ये कारोबार ही नहीं बचेगा तो मर्दों का फर्स्ट्रेट होना स्वाभाविक ही है!
क्या भाई! कारोबार भी छीन लोगे और बोलने भी नहीं दोगे? अब लड़कियों के जींस पहनने और उनके मोबाइल उपयोग पर प्रतिबंध को मर्दों का डैमज कंट्रोल मान लीजिए और ऑनर किलिंग को साइड इफैक्ट!
मर्दों (लड़कों) की इज्जत नहीं होती है, इसका प्रमाण किसी भी भारतीय घर में मिल जाएगा?
यह किसी भी भारतीय घर में लड़कियों और लड़कों की परवरिश में साफ साफ नजर आता है, लड़का बाहर से कितना भी मुंह काला करके आए हमारे समाज व परिवार में उसकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता?
लेकिन उसी घर की लड़की को स्कूलिंग के आगे की पढ़ाई इसलिए छोड़नी पड़ जाती है, क्योंकि लड़की की इज्जत का सवाल है?
क्योंकि मर्द (लड़के) प्राय: अपनी तथाकथित इज्जत की शेखी महिला पर शासन करके व उसे मन मुताबिक प्रतिबंधित करके ही कमाता आया है?
लेकिन अब जब लड़कियां खुद की रक्षा-सुरक्षा करने के लिए इंडिपेंडेंट हुई जा रहीं हैं तो लड़कों (मर्दो) के तथाकथित इज्जत का क्या होगा? वो इज्जत, जो मर्द महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर अब तक कमाते रहें हैं?
अब मर्दों के दंभ का क्या होगा? जो ये मानते आए हैं कि उनके बिना महिलाओं का वजूद कुछ नहीं है?
क्योंकि आज की इंडिपेंडेंट महिलाएं खुद अपनी इज्जत की सुरक्षा के लिए मर्दों की ओर नहीं देख रहीं!
तो क्या महिला की इज्जत बचाकर इज्जत कमाने वाले कारोबारी मर्द अब बेरोजगार हो जाएंगे? मतलब जब लड़कियां इंडिपेंडेंट होंगी तो मर्द बेरोजगार ही नहीं, बल्कि इज्जतविहीन हो जाएंगे?
क्योंकि लड़कियां इंडिपेंडेंट हो रहीं है और इज्जत का कारोबार मर्दों के हाथों से छिनता जा रहा है, तो बड़ा सवाल है कि अब लड़के क्या करेंगे?
क्योंकि लड़कों (मर्दों) की अपनी कोई इज्जत तो होती नहीं है? मर्दों की इज्जत तो घरों की उन बेरोजगार महिलाओं की रक्षा-सुरक्षा से जुड़ी होती है, जो मर्दों के लिए सुबह-शाम खाना पकाती है और दिन-रात सेवा में जुटी रहती हैं?
भारतीय घरों के हर एक मर्द को इज्जत बचाने के कारोबार पर जन्मसिद्ध अधिकार है! पति-पत्नी की रक्षा (पहरा) करता है, फिर पिता-बेटी की रक्षा करता है और भाई- बहन की रक्षा करता है?
बहुत बड़ा है यह इज्जत बचाने का कारोबार, लेकिन अब जब ये कारोबार ही नहीं बचेगा तो मर्दों का फर्स्ट्रेट होना स्वाभाविक ही है!
क्या भाई! कारोबार भी छीन लोगे और बोलने भी नहीं दोगे? अब लड़कियों के जींस पहनने और उनके मोबाइल उपयोग पर प्रतिबंध को मर्दों का डैमज कंट्रोल मान लीजिए और ऑनर किलिंग को साइड इफैक्ट!
मर्दों (लड़कों) की इज्जत नहीं होती है, इसका प्रमाण किसी भी भारतीय घर में मिल जाएगा?
यह किसी भी भारतीय घर में लड़कियों और लड़कों की परवरिश में साफ साफ नजर आता है, लड़का बाहर से कितना भी मुंह काला करके आए हमारे समाज व परिवार में उसकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता?
लेकिन उसी घर की लड़की को स्कूलिंग के आगे की पढ़ाई इसलिए छोड़नी पड़ जाती है, क्योंकि लड़की की इज्जत का सवाल है?
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