कांग्रेस और अन्य पार्टियों ने नकारात्मक प्रचार-प्रसार के जरिये मोदी कोे हरसंभव रोकने की कोशिश की और मोदी लगातार पब्लिक सिंपैथी मिलती गई और वो प्रधानमंत्री बन गये!
लेकिन बीजेपी ने कुछ नहीं सीखा और केजरीवाल के खिलाफ नकारात्मक प्रचार-प्रसार के जरिये केजरीवाल को हरसंभव रोकने की कोशिश की और केजरीवाल को भी पब्लिक सिंपैथी हासिल हो गई और वे अब मुख्यमंत्री बन जायेंगे?
सवाल यह है कि महज 9 महीनों में बीजेपी यह कैसे भूल गई कि बीजेपी को अपार जन समर्थन मोदी के खिलाफ लगातार नकारात्मक प्रचार-प्रसार से मिला था, जो उन्होंने केजरीवाल के खिलाफ वहीं करके सूद समेत वापस लौटा दिया ?
यानी बीजेपी नहीं समझी कि नकारात्मक प्रचार-प्रसार का लाभ पब्लिक सिंपैथी के रुप में विरोधी पार्टी को ही मिलता है, जैसा मोदी को मिला था!
लेकिन बीजेपी ने कुछ नहीं सीखा और केजरीवाल के खिलाफ नकारात्मक प्रचार-प्रसार के जरिये केजरीवाल को हरसंभव रोकने की कोशिश की और केजरीवाल को भी पब्लिक सिंपैथी हासिल हो गई और वे अब मुख्यमंत्री बन जायेंगे?
सवाल यह है कि महज 9 महीनों में बीजेपी यह कैसे भूल गई कि बीजेपी को अपार जन समर्थन मोदी के खिलाफ लगातार नकारात्मक प्रचार-प्रसार से मिला था, जो उन्होंने केजरीवाल के खिलाफ वहीं करके सूद समेत वापस लौटा दिया ?
यानी बीजेपी नहीं समझी कि नकारात्मक प्रचार-प्रसार का लाभ पब्लिक सिंपैथी के रुप में विरोधी पार्टी को ही मिलता है, जैसा मोदी को मिला था!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें