शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2015

दिल्ली देखो, केजरीवाल को किसका मिल रहा है साथ?


1-ममता बनर्जी, जिसके आधे से अधिक सांसद 24,000 करोड़ रुपये के सारदा चिटफंड घोटाले में गिरफ्तार हो चुके हैं!

2-सीपीएम नेता प्रकाश करात, जिनकी राजनीति बांटो और राज करो की है, पश्चिम बंगाल जिसके शासन काल में गर्त में चला गया, क्योंकि ये भी केजरीवाल की तरह धरना और हड़ताल प्रधान नेता हैं!

3-नीतीश कुमार - इन्हें तो अभी भूले नहीं होंगे, जो केजरीवाल की तरह मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बनने के सपने के लिए राज्य की जनादेश और भावनाओं को लात मार दिया था!

4- मुलायम यादव- उत्तर प्रदेश में पिछले ढाई वर्ष के शासन काल की हालत किसी से छिपी नहीं है, बलात्कार, हत्या और अराजकता अखिलेश सरकार में कैसे बढ़ा है, सभी जानते है और महिला सुरक्षा पर मुलायम की सोच तो आपको याद ही होगी,  "लड़कों से गलतियां हो जाती है?"

ये हैं केजरीवाल के समर्थक नेता? सोचिए, ऊपर के इन चारो नेताओं का साथ केजरीवाल को क्यों मिला?

भई, इनकी कुंडली कहीं न कहीं एक है, ये चारो नेता स्वार्थी, अराजक, धरनेबाज, घोटालेबाज है और प्रधानमंत्री बनने की चाहत रखने वाले ही नेता हैं? इनका विकास और देश की तरक्की से कुछ लेना देना नहीं है बस अपना विकास और तरक्की ही इनका प्रमुख एजेंडा है?

उदाहरण के लिए, नीतीश कुमार ने बिहार का मुख्यमंत्री पद छोड़कर मुलायम और लालू का दामन इसलिए पकड़ लिया, क्योंकि नीतीश प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं?

ममता बनर्जी लोक सभा चुनाव और बाद में मोदी विरोधी इसलिए बनी हुई हैं, क्योंकि उन्हें भी प्रधानमंत्री बनना है?

मुलायम यादव ने उत्तर प्रदेश को भले ही पुत्तर प्रदेश बना दिया है, लेकिन प्रधानमंत्री न बन पाने की कसक दिन रात उन्हें परेशान करती है और अभी तो उन्होंने महागठबंधन भी खड़ा किया है, महज प्रधानमंत्री बनने के लिए, जो प्रदेश नहीं संभाल सके वे देश संभालने का सपना देख रहें हैं?

एक लाइन में कहें तो केजरीवाल के समर्थक नेताओं में काफी समानताएं है, जो राजनीति में तकरीबन एक जैसी राय रखते हैं और ठीक भी है, भई दो स्वभाव के लोग एक साथ थोड़े ही बैठेंगे ?

अब दिल्ली की जनता आप खुद ही तय कीजिए कि केजरीवाल को वोट देकर दिल्ली को पश्चिम बंगाल बनाना है या बिहार बनाना है अथवा उत्तर प्रदेश ?

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