रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने ऐतिहासिक रेल बजट पेश किया है। फस्ट्रेटेड विपक्ष को छोड़ दें तो पहली बार ऐसा रेल बजट पेश हुआ है, जो लोकप्रिय और परंपरागत बजट से जुदा है।
रेल बजट 2015 एक प्रगति सूचक और संकेतक बजट है, जिसमें कोई लोक-लुभावन घोषणाएं नहीं की गई हैं, बल्कि बुनियादी विकास और सुरक्षा को प्रमुखता दी गयी है।
वरना घोषणाएं तो प्रत्येक रेल बजट में रेल मंत्री करते आये हैं, लेकिन कितनों पर अमल हुए इसका किसी के पास हिसाब नहीं है।
ज्यादा दूर नहीं, पिछले 20 वर्षों में नयी ट्रेन चलाने की गयी घोषाणाओं को उठा कर देखेंगे तो पायेंगे कि रेल मंत्रियों द्वारा घोषित नयी ट्रेनों में से 1 फीसदी ट्रेनें भी ट्रैक तक भी नहीं पहुंची?
क्या आप ऐसी फिजूल घोषणाओं के आदी हो चुके है, जिसमें सिर्फ घोषणाएं हों, काम हो न हो?
भई, क्या आप घर बना कर फ्रीज, टीवी और कूलर खरीदते हैं या घर बनने से पहले खरीद लाते हैं और उसे बाहर छोड़ देते हैं?
नि: संदेह रेल बजट 2015 एक ऐतिहासिक बजट है, जिससे न भारतीय रेल में मजबूत आयेगी, बल्कि जैसा रेल हम चाहते हैं, उस ओर रेल कदम बढ़ायेगी!
लोकप्रिय और परंपरागत रेल बजट भारतीय रेल को गर्त में ही ले जाता, ऐसा नहीं करके देश को बचा लिया आपने ,शुक्रिया प्रभु!
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