गुरुवार, 21 मई 2015

केजरीवाल ने राजनीतिक दुकान गलत जगह खोल दी है!

#एनडीटीवीइंडिया पर #रवीसकुमार दिल्ली सरकार की मतिभ्रष्टता को पुरानी राजनीतिक परंपराओं की दुहाई देकर न केवल उचित ठहरा रहें हैं बल्कि उसको समाधान की शक्ल देने की भी कोशिश कर रहें है।

याद रहे, ये वहीं केजरीवाल हैं, जो देश को बदलने के लिए राजनीति में उतरे थे। मसलन, वीवीआईपी कल्चर खत्म करेंगे इत्यादि!

कहते है कि इतिहास किसी को माफ नहीं करता है, क्योंकि केजरीवाल क्या कर रहें हैं रवीसकुमार भी बढ़िया से वाकिफ हैं।

हंगामा खड़ा करना मकसद है शायद #केजरीवाल का और वो अच्छी तरीके से जानते हैं कि दिल्ली मामले का कोई संवैधानिक समाधान नहीं है, क्योंकि दिल्ली की मौजूदा राजनैतिक दशा में यह संभव ही नहीं है?

सभी जानते हैं कि दिल्ली एक केंद्र प्रशासित राज्य है और अन्य केंद्र प्रशासित राज्यों की तरह उप-राज्यपाल ही उसका एकमात्र प्रशासक व सर्वेसर्वा होता है।

केजरीवाल से बस गलती यह हो गई है कि वे दिल्ली को अन्य राज्यों से तुलना कर रहें है और एक अड़ियल घोड़े जैसा रवैया अपनाये हुए हैं!

केजरीवाल से एक ही नहीं, दो गलती हुई है? दूसरी गलती है दिल्ली से चुनाव लड़ना? केजरीवाल अगर हरियाणा में चुनाव लड़ते और जीतते तो शायद उनकी राजनीतिक और प्रशासनिक अक्षमता छुपी रह जाती।

ठीक वैसे, जैसे उत्तर प्रदेश में #अखिलेशयादव पुत्तर प्रदेश चला रहें हैं और #उत्तरप्रदेश का हाल और हालात कैसा है किसी से छिपा नहीं है।

#Kezriwal #AAP #UPGovernment #AkhileshYadav #DelhiGovernment

हां, हम भगत हैं मोदी के, दोबारा मत पूछना?

आप मुझे अंध-भगत कहते हो हमें सच में बुरा नहीं लगता, बल्कि अच्छा ही लगता है कि हम ऐसे आदमी के भगत हैं जिसे सिर्फ विकास और विश्वास की भाषा समझ आती है।

चूंकि आप हमें भगत कहते हो तो हम आपसे भी पूछना चाहते हैं कि आखिर आप किसके भगत हो?

क्या उस सोनिया के जो भारत में इतने साल रहने के बावजूद भी हिंदी बोलना नहीं सीख पाई?

या उस घोंचू के जो एक लाइन लिखने के लिए फ़ोन से नक़ल मारता है?

क्या आप 65 साल तक मानसिक गुलाम और घोटालेबाज पार्टी के भगत थे?

अगर आपको आज हर चीज तबाह नजर आती है, तो क्या आप ये कहना चाहते हो कि 11 महीने पहले तक सब ठीक था?

जैसे नालिओं में गंदे पानी की जगह दूध बहता था ? या अपराध दर शून्य थी ?

या बबूल के पेड पर आम उगते थे? या अमेरिका हमारे पैर पकड़ता था?

या महिला उत्पीडन दर 0% थी? या साक्षरता दर 100% थी ? या कोई किसान आत्महत्या नहीं करता था?

अगर आप इस सरकार को सूट बूट वाली सरकार कहते हो तो आप क्या कहना चाहते हो कि इसके पहले के नेता घटिया और चवन्नी छाप कपडे पहनते थे? या सिर्फ पत्ते लपेटकर ही काम चला लेते थे?

या आप कहना चाहते हो कि देश का प्रधानमन्त्री कोई भोंदू टाइप आदमी होना चाहिए?

आप मोदी की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाते हो? क्या कभी अपने घर का बजट संतुलित कर पाए हो?

आप हर खाते में 15 लाख की बात करते हो क्या कभी 15 लाख रूपये इकट्ठे देखे हैं?

आप बार-बार विदेश दौरे पर सवाल उठाते हो तो क्या आपको सच में विदेश नीति और सामरिक नीति का ज्ञान है?  

आप वही हैं जो 30 साल तक सबसे करीबी श्रीलंका नहीं गए।

 जरुरत के समय आपने नेपाल को पेट्रोल देने से मना कर दिया जिससे उसे चीन के पास जाना पड़ा और उसकी हर बात माननी पड़ी।

जो कनाडा हमें urenium देना चाहता था आप 45 साल तक उस कनाडा तक नहीं जा पाए।

कभी सोचा है आपने कि आपके कितने पड़ोसियो के साथ अच्छे सम्बन्ध हैं या वो आपका मुहं देखना भी पसंद करते हैं या नहीं?

हां, हम भगत हैं ऐसे नेता के जिसके एक साल के राज में आंखें तरस गई किसी घोटाले की खबर पढने को।

हां, हम भगत हैं ऐसे नेता के जो अपने परिवार के लिए नहीं बल्कि देश के लिए रोजाना 20 घंटे काम करता है।

हां, हम भगत हैं ऐसे नेता के जो नवरात्रि के उपवास में भी देश के बाहर रहकर देश का भला करना चाहता है।

हां, हम भगत हैं एक ईमानदार प्रधान सेवक के।  दोबारा मत पूछना?

बुधवार, 20 मई 2015

दिल्ली की जनता आती है, भागो केजरीवाल!

केजरीवाल, " सब मिले हैं जी, हमें काम नहीं करने दे रहें हैं जी? दिल्ली वालों मैं इस्तीफा देता हूं और दिल्ली की जनता पूर्ण बहुमत देगी तब काम करूंगा" (2013)

केजरीवाल, " जी सब मिलकर हमारी सरकार को काम नहीं करने दे रहें हैं" (2015)

सच्चाई यह है कि केजरीवाल केंद्र प्रशासित दिल्ली के मुख्यमंत्री की औकात से अधिक वादे दिल्ली की जनता से कर बैठे हैं और पूरे नहीं कर पाने के डर से घबड़ाये हुए हैं कि जनता जब कॉलर पकड़ेगी वे क्या करेंगे?

यही कारण है कि केजरीवाल भूमिका तैयार कर रहें हैं और अधिकार क्षेत्र से बाहर कूद कर उप-राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद से खेल रहें हैं!

केजरीवाल एक बार फिर पिछले 49 दिनों की सरकार की तरह आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति की मंचन का मंच तैयार कर रहें हैं, लेकिन क्या दिल्ली की जनता आंख और कान में तेल डाल कर बैठी रहेगी?

केजरीवाल की चाल-चरित्र और हरकतों से दिल्ली की जनता पहले ही वाकिफ हो चुकी है, जहां उसने पार्टी के संस्थापक सदस्यों को धक्के मारकर बाहर कर दिया!

आलम यह है कि केजरीवाल की तानाशाही भाषा-शैली और गाली-गलौज से तंग होकर हरियाणा और महाराष्ट्र यूनिट ने इस्तीफा पहले दे दिया!

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #LG #BJP

लगता है टेलीब्रांड का नंबर डॉयल कर फंस गई है दिल्ली!

आम आदमी पार्टी कहती थी कि वह उम्मीदवारों के चयन से पहले उनकी धुलाई ट्रिपल एक्शन लेयर वाले हाई ड्युटी वाशिंग मशीन में करती थी?

लेकिन जिस तरह से फर्जी डिग्री विधायक सामने आ रहें हैं उससे तो लगता है कि पार्टी ने पैसा सिर्फ ब्रांड पर खर्च किया है, प्रोडक्ट पर नही?

भला हो दिल्ली वालों का, जिन्होंने टेलीब्रांड का नंबर डॉयल करके अपना घर लुटा दिया, क्योंकि असली प्रोडक्ट तो अब सामने आ रहें हैं!

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #Forgery #fraudDegree

मंगलवार, 19 मई 2015

लौट के केजरीवाल और सिसोदिया घर को आये!

विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि एलजी की शिकायत करने राष्ट्रपति भवन पहुंचे मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री
डांटकर भगाये गये!

पिछले 5 दिनों से प्रमुख सचिव के पद पर शकुंतला गैंबलिन की नियुक्ति का विरोध कर रहे केजरीवाल और सिसोदिया को एलजी के आगे झुकना पड़ा और शकुंतला को बतौर प्रमुख सचिव मानने को राजी होना पड़ा !

इसे ही कहते हैं लौट के बुद्धु घर को आये और फिर भी आप के प्रवक्ता टीवी पर अभी भी प्रवचन दे रहें हैं!

#AAP #Kezriwal #Sisodia #DelhiCM #Controversy 

जो कांग्रेस के लिए खतरा है, उससे बीजेपी क्या बदला लेगी?

राहुल गांधी कह रहें हैं कि बीजेपी ने उनसे बदला लेने के लिए अमेठी फूड पार्क बंद कर दिया है?

सवाल यह है कि जिसे कांग्रेस पार्टी में खुद बहुसंख्यक कांग्रेसी नेता राहुल गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बनाने को लेकर तैयार नहीं है, उससे भला बीजेपी को क्या खतरा हो सकता है?

सच्चाई यह है कि फूड पार्क के नाम पर राहुल गांधी अमेठी के भोले-भाले लोगों के बीच झूठ की खेती कर रहें हैं!

जबकि वर्ष 2013 में ही कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित फूड पार्क से बिजनेसमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने हाथ खींच लिए थे !

राहुल गांधी पर एक सफेद झूठ फैलाने के लिए मीडिया में जमकर धुलाई हुई और राहुल गांधी के बचाव में कई कांग्रेसी नेताओं की भी जमकर फजीहत हुई!

राहुल गांधी को ऐसे ही पप्पू नहीं कहा जाता है! करने को कुछ है नहीं, इसलिए राहुल गांधी झूठ फैलाये रहें हैं, क्योंकि झूठ के सिर पैर नहीं होते है?

#RahulGandhi #Pappu #Congress #FoodPark #Amethi #False

केजरीवाल दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बना है या प्रधानमंत्री?

जब दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले केजरीवाल को मालूम था कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल नहीं है बल्कि एक केंद्र प्रशासित राज्य है, जहां उप-राज्यपाल को विशेषाधिकार हासिल है?

फिर केजरीवाल क्यों नाहक नौटंकी करके जनता और देश के पैसे का नुकसान कर रहें हैं?

केजरीवाल किसको बेवकूफ बना रहें है ? दिल्ली की जनता को या उन युवाओं को, जिन्होंने उनसे थोड़ी बहुत उम्मीद रखी थी!

खुद को आम आदमी घोषित करके मुख्यमंत्री बन बैठे केजरीवाल अब देश के संविधान से खेल रहें हैं और तानाशाह जैसे व्यवहार करने की कोशिश कर रहें हैं!

केजरीवाल की निंरकुशता देखकर डर लगता है कि कहीं पूर्ण राज्य दर्जा प्राप्त राज्य केजरीवाल का अनुकरण करने लगीं तो संघ-राज्य के संवैधानिक ढांचे को ही खतरा पैदा हो जायेगा?

राष्ट्रपति महोदय को केजरीवाल के निरंकुश व्यवहार पर फटकार लगानी चाहिए, हो सके तो बर्खास्त कर दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए!

केजरीवाल की हरकतों से लोकतांत्रिक मूल्यों को बहुत आघात पहुंच चुका है और उसके गंदेे आरोपों-प्रत्यारोपों की राजनीति से देश की राजनीतिक शुचिता पर बड़ा आघात पहुंच चुका है!

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #PresidentRule

राहुल बाबा, अब लॉलीपॉप का मतलब समझने लगे हैं किसान!

राहुल गांधी की नौटंकी लोग पहले भी देख चुके हैं, इसलिए कोई किसानों से उनके मिलने और तुरंत बाद प्रधानमंत्री को कोसने को लोग गंभीरता से नहीं ले रहें हैं?

जनता राहुल गांधी के ऐसे कई बार देख चुकी है और शहजादे जहां एक बार गये, वहां दोबारा कभी नहीं लौटे? कलावती तो बेचारी पुकारते-पुकारते थक गई!

मुझे तो राहुल गांधी के प्रायोजित कार्यक्रम 'किसान मिलन समारोह' के प्रोड्युसरों और डायरेक्टरों पर अधिक तरस आता है?

क्योंकि अगर राहुल गांधी किसान मिलन समारोह की नौटंकी को बाद बगैर बीजेपी व प्रधानमंत्री को गाली दिये निकल आते जो ज्यादा माइलेज मिलता और सहानुभूति भी मिलती मगर....

राहुल गांधी और उनके डायरेक्टर औक मेंटर यह भूल गये हैं कि किसान अब वो किसान नहीं रहे जो सेंटीमेंट और गांधी परिवार के नाम पर वोट किया करते थे?

 क्योंकि अब किसानी में भी नये जनरेशन के किसान आ चुकी है, जो लॉलीपॉप का मतलब समझने लगे हैं? तो कुछ और दिखाओ-और दिखाओ?

#RahulGandhi #Congress #GandhiFamily
#Modi #Farmers #Amethi

सोमवार, 18 मई 2015

लोकतंत्र में निरंकुश शासक बने फिर रहें हैं केजरीवाल!

दिल्ली में तथाकथित आम आदमी की सरकार चलाने की बात कहने वाले केजरीवाल अब एक निरंकुश शासक की तरह व्यवहार कर रहें है!

70 वादों को पूरा करने की बात को पीछे छोड़ केजरीवाल पॉवर शिफ्टिंग का खेल रहें हैं और उप राज्यपाल से नूराकुश्ती कर रहें है!

केजरीवाल सरकार से अच्छी तो वे सरकार हैं जो बगैर उछल-कूद के काम रहीं है, काम न करने के लिए बहाने तो नहीं ढूंढ रही हैं?

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #LG #NazibJung

केजरीवाल ने क्या डपोरशंखों वाली बात कही है?

"मेरी बेटी रिश्वत देने गई, लेकिन अधिकारी ने रिश्वत नहीं लिया! दिल्ली में भ्रष्टाचार खत्म हो गया है जी, हैं जी?      
                                                                -अरविंद केजरीवाल

केजरीवाल मियां! तुम्हारी क्या? किसी की भी बेटी रिश्वत देने जाती तो अधिकारी रिश्वत नहीं लेता, क्योंकि रिश्वत अधिकारी नहीं लेता है?

और मुख्यमंत्री की बेटी से रिश्वत कौन गधा अधिकारी लेता है, किसको मूर्ख बना रहे हो केजरीवाल?

खैर..मूर्खों ने ही तुम्हें दिल्ली पर बिठाया है, उन्होंने जरूर ताली पीटी होगी और अब सिर भी पीट रहे होंगे!

#Kezriwal #AAP #DelhiCM

दिल्लीवालों ने बंदर के हाथ में उस्तरा दे दिया है!

दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने सभी लोकतांत्रिक मूल्यों को ताख पर रख कर पड़ोसी की लड़ाई जैसा रुख अपना लिया है?

सुना है केजरीवाल ने प्रधान सचिव (सर्विसेज) अनिंदो मजूमदार के दफ्तर में ताला लटका दिया है!

यह तो ठीक वैसे है जैसे घर की चौहद्दी के परनाले की  लडाई के बाद नाली जाम कर दी गई हो कि न तुम्हारे घर पानी बहेगा न मेरे घर का?

राष्ट्रपति जी अब आप ही बीच में आओ और संज्ञान लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या करने वाले केजरीवाल से दिल्ली को मुक्त कराओ वरना पता नहीं क्या-क्या देखने पड़ेंगे इस देश को?

ऐसा लगता है जैसे बंदर के हाथ में उस्तरा दे दिया है दिल्लीवालों ने! वो कहते हैं न कि समझदार से नहीं, ज्यादा खतरा डेढ़ समझदार से होता है और फिर केजरीवाल को तो सभी जान ही गये हैं? आमीन!

#Kezriwal #AAP #DelhiCM

रविवार, 17 मई 2015

डोरेमोन को छोड़, अब किसानों से खेल रहें हैं शहजादे!

पिछले 10 वर्षों का ही हिसाब लगाये तो पता चलेगा कि शहजादे राहुल गांधी काम नहीं, छुट्टियों में अधिक रहें है!

और बैंकाक से 56 दिनों की छुट्टियों से लौटे शहजादे को ऐसी कौन सी एनर्जी ड्रिंक का इंफेक्शन हो गया कि डोरेमोन को छोड़ अब वे किसान-किसान खेलने लगे है?

ईश्वर भला करें किसानों का, किसान नहीं जानते कि शहजादे खेल रहें है और खेल खत्म होते ही शहजादे निकल लेंगे!

पेट्रोल-डीजल मूल्यों में वृद्धि पर हाय तौबा क्यों?

घर का बजट बिगड़ जाये तो उसको सुधारने में सालों गुजर जाते हैं और बजट को सुधारने के लिए कड़े फैसले भी लेने पड़ते है, क्योंकि कोई भी दुकानदार हमारे बिगड़े बजट को सुधारने के लिए अपना सामान कम दामों पर नहीं बेचता?

देश का बजट भी ऐसे ही है, जब देश की अर्थ-व्यवस्था बिगड़ी हो, राजकोषीय घाटा अधिक हो तो देश का बजट सुधारने के लिए आश्यकतानुसार कड़े फैसले लेने ही पड़ते हैं!

पेट्रोल और डीजल के रेट जब अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कम हुए तो पेट्रोल-डीजल के रेट नीचे चले गये, लेकिन जब बढ़ रहें हैं तो बढ़ाये जा रहें हैं! इसमें हाय तौबा कैसा?

वैसे भी भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें सरकार की नियंत्रण से बाहर हैं और तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के रेट घटाते बढ़ाते हैं?

हां, सरकार तेल कंपनियों का बढ़े मूल्यों का घाटा देकर पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर रख सकती है, लेकिन इससे देश पर ही भार बढ़ेगा और बजट हमेशा बिगड़ा ही रहेगा और बजट और अर्थ-व्यवस्था कभी नहीं सुधरेगा?

ठीक वैसे, जैसे हम घर का बजट सुधारने के लिए लग्जरी चीजों पर पैसा खर्च करना बंद कर देते है! कोई एक घर ऐसा नहीं मिलेगा जो लग्जरी जरूलतों को पूरा करने के लिए लोन लेगा और खुश रह पायेगा?

तो देशवासियों दिमाग लगाओ और दुष्प्रचार में नाक-कान देना बंद करो! देश बचेगा तभी घर बचेगा और अगर घर का बजट सुधार सकते हो तो देश का बजट सुधारने में अपना योगदान करो?
#Petrol #Diesel #Hike #CrudeOil  #InternationalMarket

अराजक केजरीवाल संविधान से खेलने को मजबूर हैं !

भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे अराजक मुख्यमंत्री का नाम लिया जायेगा तो वह अरविंद केजरीवाल होगा!

कार्यवाहक मुख्य सचिव के पद पर शकुंतला गैंबलिन की आंशिक नियुक्ति के डर से केजरीवाल इतनी खौफजदा है कि एडवाईजरी जारी कर दिया है जबकि यह नियुक्ति महज 10 दिन की है?

केजरीवाल से दिल्ली की जनता ने ईमानदारी की उम्मीद में वोट किया था, लेकिन केजरीवाल पर्दे के पीछे के अपने कुकर्म को छिपाने के लिए कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति रोक रहा है ताकि उसकी पोल न खुल जाये?

सभी जानते हैं कि केजरीवाल जब से दिल्ली का मुख्यमंत्री बना है तब से मीडिया से दूरी बनाकर बैठा है और अपने मनमाने कार्यों में बाधक उन सभी को किनारे लगा रहा है ताकि उसकी अक्षमताएं छुपी रह सके?

केजरीवाल की स्थिति ऐसी हो गई है कि जो निवाला उसने मुंह में ले रखा है, उसको न उगलते बन रहा है और न खाते बन रहा है!

क्योंकि मुख्यमंत्री तो दिल्ली की जनता ने बना दिया है, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद अराजक पसंद केजरीवाल अब पद की गरिमा और उत्तरदायित्य को निभाने में खुद को असमर्थ पा रहा है!

शायद यही कारण है कि केजरीवाल केंद्र प्रशासित राज्य दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग के संवैधानिक अधिकारों को न केवल चुनौती दे रहा है बल्कि संविधान की अवमानना करने से नहीं चूक रहा है!

सत्ता के नशे में चूर केजरीवाल को ईश्वर थोड़ी सी बुद्धि दे वरना वह दिन दूर नहीं जब देश के राष्ट्रपति ही नहीं, दिल्ली की जनता भी उसे डंडे से खदेड़ देगी!

#Kezriwal #AAP #LG #ShakuntlaGamblin #DelhiCM #Anarchist

गुरुवार, 14 मई 2015

केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने बताई उसकी औकात!

दिल्ली के मुख्यमंत्री बनते ही मीडिया सर्कुलर के जरिये मीडिया का मुंह बंद करने की कोशिश करने वाले केजरीवाल के मुंह पर बहुत ही तगड़ा तमाचा लगा है, जिससे अब केजरीवाल को समझ आ जायेगा कि वो मीडिया से जन्में हैं, मीडिया उनसे नहीं?

कैसे इंसान अपनी औकात भूल जाता है, इसके ताजा उदाहरण केजरीवाल हैं। केजरीवाल के वैयक्तिक और व्यवहारिक भ्रष्टाचार पर सवाल उठे तो भाई साहब चले मीडिया को सबक सिखाने?

केजरीवाल की हरकत देख ऐसे लगा जैसे कोई धूप से बचने के लिए सूर्य को ढ़कने का सर्कुलर जारी कर दे।

ये वही केजरीवाल हैं जो महज मीडिया की उपज है, जिसका खुद का कोई अस्तित्व नहीं है, ये उसकी मीडिया सर्कुलर जैसी उन तमाम हरकतों से साबित हो चुका है।

सुप्रीम कोर्ट के तमाचे के बाद भी केजरीवाल की हरकतों पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, क्योंकि इसकी क्रिया-कलापों से ऐसा ही लगता है।

अभी केजरीवाल टीवी पर एक विज्ञापन में नजर आ रहा है, जिसमें वह दिल्ली में भ्रष्टाचार कम करने की वाहवाही लूट रहा है।

केजरीवाल विज्ञापन में कहता हुआ देखा जा सकता है कि उसने दिल्ली वालों को  तथाकथित सस्ती बिजली और पानी और दिल्ली के किसानों को 50,000 प्रति एकड़ मुआवजा भ्रष्टाचार कम करके देने में सफल हुआ?

मतलब केजरीवाल अप्रत्यक्ष रुप से देश के उन सभी राज्यों को मुख्यमंत्रियों को भ्रष्टाचारी बता रहा है, जो अपने राज्यों के किसानों को 50,000 प्रति एकड़ मुआवजा नहीं दिया है।

संभव है जल्द ही राज्य सरकारें केजरीवाल के इस ऊल-जुलूल विज्ञापन और प्रचार भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठायेंगी।

बुधवार, 13 मई 2015

रिश्तों का इल्जाम न दो?

मैं उन दिनों सर्वोदय एनक्लेव में रहता था। एक मोहतरमा आईं और मेरी ही बिल्डिंग में मेरे ही पड़ोस के कमरे में शिफ्ट हों गईं।

अक्ल का पता नहीं पर मोहतरमा शक्ल से आकर्षक व सुंदर थीं, लेकिन शादीशुदा थी। नई-नई शादी हुई थी शायद?

पतिदेव दिल्ली में ही कार्यरत थे और मोहतरमा नौकरी तलाश रहीं थीं। दोनों साथ-साथ पड़ोस के कमरे में शिफ्ट हुए थे।

जो मुझे जानते हैं, वो जानते हैं कि मैं घुलने-मिलने में बहुत समय लेता हूं, वो चाहे लड़की हो या लड़का? कोई जेंडर भेदभाव नहीं!

उन दरम्यान कई बार ऑफिस को निकलते और ऑफिस से वापस आते समय एकदूसरे का दीदार हो जाया करता था, लेकिन बातचीत बिल्कुल नही?

न उन्होंने कभी पहल की और मैं तो पहल करता ही नहीं, चाहे बरस बीत जाये। एक महीने के अंतराल बाद एक दिन मोहतरमा ने सुबह-सुबह ही मेरे दरवाजे पर दस्तक दिया!

मैं अमूमन दरवाजे पर दस्तक को पसंद नहीं करता हूं, इसीलिए मकान मालिक को रेंट समय से पूर्व दे आता हूं। फिर भी कोई दरवाजा पीटता है तो बिना दरवाजा खोले निपटाने की कोशिश करता हूं ।

खट-खट की आवाज कई बार आई तो पूछ बैठा, " कौन?
आवाज आई , "मैं....मैं आपके पड़ोस में रहती हूं। मैंने दरवाजा खोला तो देखा सामने पड़ोस वाली मोहतरमा खड़ी थीं और मुझसे मेरा मोबाइल फोन मांग रहीं थी। शायद कोई एमरजेंसी कॉल करना था उनको?

उन्होंने बताया कि उनका फोन काम नहीं कर रहा है और उन्हें जरूरी कॉल करना है? मैंने फोन उठाकर दिया, लेकिन मोहतरमा को मेरे सामने ही बात करनेे की छूट दी और बात खत्म होते ही जैसे ही उन्होंने फोन वापस दिया, मैंने दरवाजा बंद कर लिया।

यह बात आई-गई हो गई और इस बात को कुल 3 माह बीत गये! न उन्होंने शुक्रिया कहा और न मैंने धन्यवाद किया!

मैं ऐसा ही हूं। जबरदस्ती के रिश्तों में जुड़ना पसंद नहीं है, क्योंकि आजकल के रिश्ते बहुआयामी हो गये हैं, लोग भैय्या बोलकर जिंदगी की नैया तक डूबो देते हैं, लेकिन यह अवसर न मैं लेता हूं और न ही किसी को देता हूं।

अमूमन जहां भी मैंने अभी तक काम किया है, वीकेंड मेरा बुधवार+गुरुवार होता है। यह मेरी खुद की च्वाइश होती है, अपवाद भी हुए हैं।

वीकेंड के एक दिन एक बार फिर मोहतरमा ने  दरवाजा खटखटाया और अंदर से बाहर आया तो सामने मोहतरमा खड़ी थी।

मोहतरमा मुझसे फिर कुछ मांगने की इच्छा लेकर आईं थी, लेकिन इस बार लगा लक्ष्य भिन्न था। वो मेरे फ्लैट के अंदर की रखी व्यवस्थित चीजों को बड़े कौतुहल से देख रहीं थी।

और फिर एकाएक मोहतरमा ने एक साथ दो सवाल उछाल दिये, " आप अकेले रहते हैं? आप क्या करते हैं?

परिचय पूरी होेने के बाद मोहतरमा वापस चलीं गईं और मैंने दरवाजा फिर पीटकर बंद कर लिया।

नि:संदेह मोहतरमा ने पूरे 6 महीने तक एक ही बिल्डिंग में पड़ोस में रहते हुये मेरे बारे में खूब रिसर्च कर लिया था और मुझसे किसी भी प्रकार की खतरे की आशंका और संभावना नहीं होने के प्रति आश्वश्त थीं?

अब आते-जाते, उठते-बैठते मोहतरमा से संवाद कायम होने लगा और उनके पतिदेव भी मुझसे बातचीत करने की कोशिश करने लगे। हालांकि पतिदेव शुरू में संवाद में आशंकित ही रहे।

स्थिति यह हो गई कि अब मेरी टीवी और फ्रिज आधी उनकी हो गई थी और मैं भी अब दरवाजे बंद करना भूल जाता था, क्योंकि मोहतरमा जब चाहे दरवाजा खटखटाने की आदी हो गईं थी।

मैं भी खुश था वीकेंड पर दिन अच्छा गुजरने लगा था। क्योंकि वीकेंड महसूस करने के लिए मल्टीप्लेक्स में घटिया फिल्मों का अनावश्यक फस्ट्रेशन बंद हो गया था।

मोहतरमा भी खुश थीं, मैं भी खुश था और मोहतरमा के पतिदेव भी खुश थे और हम एक परिवार की तरह अगले 3 महीने रहे, बस मेरे और महिला के रिश्ते परिभाषित नहीं थे, जिसको लेकर कभी-कभी मोहतरमा हिचक जाती थीं!

एक दिन अचानक फ्रिज से दूध निकालते समय मोहतरमा ने बात छेड़ने की अंदाज में न चाहते हुये बोलीं, "आपको मैं भैय्या बोलूं तो बुरा तो नहीं लगेगा?

मैं सवाल सुनकर बेचैन नहीं हुआ और उल्टा पूछ बैठा, क्यों क्या हुआ? पतिदेव ने कुछ कहा क्या?

मोहतरमा मुस्कराई और बोली, "नहीं ऐसा कुछ नहीं है, फिर भी अगर...मतलब हम भाई-बहन ही हुये न?

मैं गहरे सोच में पड़ गया? मोहतरमा जाने को हुईं तो मैंने रोक लिया। तुम कहती तो ठीक है, लेकिन ये आज तुम्हें क्यों सूझी?

मैंने आगे कहा, "तुम्हें रिश्ते को नाम देना है तो दे दो, मुझे कोई आपत्ति नहीं है पर हम हमारे रिश्ते को दोस्ती भी तो कह सकते हैं, जिसमें भाई-बहन जैसी ही मर्यादा है और आगे भी रह सकती है।"

मोहतरमा अवाक थीं पर बेचैन नहीं! वे कुछ देर चुप रहीं फिर बोली, " पर मेरा नाम तो आपको नहीं मालूम है?

मैं मुस्करा पड़ा और मोहतरमा वापस चलीं गईं। अब हम एक दूसरे को नाम से पुकारने लगे, न दीदी और न भैय्या?

मेरी पड़ोसन तो मुझसे भी वृहद सोच और नजरिये की महिला निकली और मैं समझता था कि एक महिला की दुनिया सामाजिक सरोकारी रिश्तों तक ही सिमटी रहती है। लेकिन ऐसे बहुत कम लोग हैं जो नाम से इतर जहीनी रिश्तों से जुड़ने की कोशिश कर पाते हैं।

क्योंकि "एक लड़की और एक लड़का कभी दोस्त नहीं हो सकते?" जैसे जुमले महिला और पुरुष की दोस्ती की परिभाषा को कभी मर्यादित परिभाषित कर ही नहीं सकते?

इस बीच एक महीने सब कुछ ठीक रहा, लेकिन एक महीने बाद ही मोहतरमा पतिदेव के साथ गुड़गांव शिफ्ट कर गईं और सवाल छोड़ गईं कि पुरुष से महिला की दोस्ती कितनी ही मर्यादित क्यों न हो पर अग्नि परीक्षा से एक महिला को ही गुजरना पड़ता है।

संसद में शहजादे की सुरक्षा में लगा है शहजादों का गिरोह?

कैसे पढ़े-लिखे गंवार लोकसभा में मौजूद हैं। मुझे हुड्डा परिवार में दीपेंद्र हुड्डा से थोड़ी-बहुत उम्मीद थी?

हरियाणा में किसानों की जमीन रॉबर्ट वाड्रा को मुफ्त देकर मुख्यमंत्री की कुर्सी गवां चुके भूपेंद्र हुड्डा के सुपुत्र दीपेंद हुड्डा अब किसानों के लिए संसद में घड़ियाली आंसू बहाते हुये मर्यादा भूल गये।

दीपेंद्र हुड्डा ने लोकसभा में आज अमेठी फूड पार्क मुद्दे पर महज झूठ के आधार लोकसभा स्पीकर पद की गरिमा से खिलवाड़ करके जता दिया है कि वे कितने बड़े बुद्धिजीवी हैं।

यही नहीं, संसद भवन में शहजादे राहुल गांधी के आसपास ऐसे राजनेताओ के सुपुत्रों की पूरी जमात है, जिनका काम सिर्फ शोर मचाना है, हो-हल्ला करना है और राहुल गांधी का कवच बने रहना है।

इनमें दीपेंद्र हुड्डा (भूपेंद् हुड्डा), गौरव गोगोई (तरुण गोगोई) अशोक चाह्वान प्रमुख हैं।

अब देश के चोर बतायेंगे थाने का पता?

चोरी और घोटालों की गिरोह चला रही कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष सही कह रहें हैं कि बड़े चोर सूट-बूट पहनकर आते हैं?

लंदन और इटली के ड्राई क्लीन्ड कपड़े पहनने वाले सूट-बूट वाले कांग्रेसी नेता व पूर्व प्रधानमंत्री से सारे परिचित है?

अरे! दामाद जी का तो जिक्र रह ही गया, वैसे सभी जानते हैं रॉबर्ट वाड्रा ने कितने किसानों की जमीन जबरन हथिया ली है और वे किसान अब खून के आंसू रो रहें हैं।

कोई नहीं, पप्पू अपने ही घर की पोल खोल रहा है? कांग्रेसी सोच रहें होंगे कि किस मनहूस घड़ी में 'राहु'ल पैदा हुआ?

मंगलवार, 12 मई 2015

पप्पू की फस्ट्रेशन का मोल नहीं, जनहित योजनाएं जरुरी!

मौजूदा केंद्र सरकार की योजनाएं देश और जन कल्याणकारी हो सकती हैं, जिनमें भूमि अधिग्रहण कानून प्रमुख है।

लेकिन वे लोग केंद्र सरकार की उक्त योजनाओं का विरोध सर्वाधिक विरोध कर रहें हैं, जो फस्ट्रेशन में हैं। इनमें कांग्रेस प्रमुख हैं, लेकिन ज्यादा तकलीफ में वे हैं जो अलग-थलग है, जैसे- #अरूणशौरी और #गोविंदाचार्य!

बीजेपी को मार्गदर्शक टीम के लिए कुछ और पद सृजित कर लेना चाहिए, क्योंकि खाली दिमाग शैतान का घर कहा जाता है।

रहा सवाल कांग्रेसी नेताओं का तो विपक्ष का काम ही होता है विरोध करना? अब पप्पू (#राहुलगांधी) एक बार फिर अपनी किस्मत आजमां रहा है तो आजमाने देना चाहिए?

पप्पू पास तो होने से रहा, क्योंकि रट्टा मारकर पप्पू साथी शहजादों के साथ बैठकर सिर्फ हो-हल्ला जरूर कर सकता है, लेकिन ऐन परीक्षा में फेल होना उसका तय है।

हालांकि पप्पू के पास हल्ला के लिए अभी पूरे 4 साल हैं, लेकिन केंद्र के पास काम करने के लिए अब महज 4 साल ही बचे है!

इसलिए केंद्र सरकार को बेखौफ अपना काम करना चाहिए और जन कल्याणकारी योजनाएं लागू करने और विपक्ष को संभालने के लिए साम-दाम-दंड-भेद के साथ-साथ कड़वी-मीठी गोली की फिक्र नहीं करनी चाहिए।

क्योंकि 5 साल बाद देश की जनता सिर्फ काम देखेगी और विशाल बहुमत होने के बावजूद केंद्र सरकार की वह छोटी-बड़ी असफलता के लिए किसी बहाने को माफ नहीं करेगी?

क्योंकि जनता सिर्फ वजूद में मौजूद कामों का हिसाब लेती है और फिर जनादेश लिखती है और वादों के मुताबिक किये गये विकास कार्यों के आगे पप्पू और विपक्ष के सच्चे-झूठे शोर नक्कारखाने में तूती की आवाज ही साबित होनी है।

तो प्रधानमंत्री जी सिर्फ काम कीजिये और शोर पर ध्यान मत दीजिये, देश को आपसे बहुत उम्मीद है!

#Pappu #RahulGandhi #Congress #Modi #BJP #LAB

सोमवार, 11 मई 2015

मीडिया के बाद अब केजरीनाल को धरने में भी दिखने लगी है साजिश?

हड़ताल और धरने की राजनीति से सत्ता तक जा पहुंचे केजरीवाल एंड टीम को अब डीटीसी कर्मियों के हड़ताल में साजिश नजर आ रही है?

तो क्यों न हम केजरीवाल और टीम के धरने-प्रदर्शन और रैली को सियासत में घुसने और दिल्ली की राजनीति की में प्रवेश करने की साजिश समझे?

झूठे आरोपों और कपट के सहारे केजरीवाल मुख्यमंत्री बन बैठे और अब उनके सिपहसालार धरने-प्रदर्शन को राजनीतिक साजिश करार दे रहें हैं?

भगवान ही मालिक है दिल्ली का और दिल्ली की जनता का, जिन्होंने जाने-अनजाने सिर पर भस्मासुर बैठा लिया है!
#Kezriwal #AAP #Protest #GopalRai #DTCBus