शिव ओम गुप्ता |
अभी पत्रकार अक्षय सिंह के पार्थिव शरीर को अंतिम विदाई भी नहीं दी गई और डीन की रहस्यमयी मौत का मामला सामने आ रहा है।
कुछ भी हो, लेकिन इन मौतों में कोई साजिश की दुर्गंध आ रही है? साजिश के कटघरे में राज्य सरकार के साथ-साथ विपक्ष और अन्य पक्षों को भी खड़ा किया जाना जरूरी है।
एक के बाद एक मौतों से माथा ठनकता है कि कैसे मौतों का सिलसिला लगातार जारी है, कुछ तो लोचा है भाई? क्योंकि कोई भी लोकप्रिय या अलोकप्रिय सरकार ऐसी वारदातों पर अंकुश न लगा सके, हजम नहीं होता है?
जरुर कोई बड़ा नेक्सस है, जिसमें अगर शिवराज सरकार को कटघरे खड़ी है तो विपक्षी कांग्रेस पर भी उंगली उठती है, क्योंकि कांग्रेस का इतिहास रहा है कि वह सत्ता में पुनर्वापसी के लिए कुछ भी कर सकती है?
पत्रकार अक्षय सिंह की मौत और अब जबलपुर के डीन डा. अरुण शर्मा की मौत से पहले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने आशंका जाहिर की थी।
दोनों मौतों से पहले दिग्विजय सिंह को कैसे पता चल जाता है कि उनकी मौत होने वाली है? और दोनों की मौत हो भी गई?
दिग्विजय सिंह भविष्यवक्ता हैं या साजिशकर्ता ? आशंका होती है कि इन मौतों के पीछे कोई राजनीतिक साजिश तो नहीं हो रही? आशंका लाजिमी भी है!
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