बुधवार, 21 अक्तूबर 2015

शिवसेना पाकिस्तान विरोधी नहीं, आतंकवाद विरोधी है?

शिव ओम गुप्ता
शिवसेना के पाकिस्तान के प्रति परंपरागत रवैये के लिए बीजेपी को दोषी ठहराने और इसको देश में असहिष्णुता बढ़ने की बात कहने मूर्खता ही महामूर्खता की श्रेणी में गिने जायेंगे ।
क्यों? क्योंकि शिवसेना सत्ता में रही हो या न रही हो, उसने हमेशा पाकिस्तान और पाकिस्तानियों के खिलाफ ही अपनी राजनीतिक साख और छवि बनाई है और अगर वोट देकर महाराष्ट्र की जनता ने उन्हें अपना प्रतिनिधि बनाया है तो शिवसेना के विरोध को जनता का विरोध का विरोध समझना चाहिए ।
शिवसेना के इतिहास पर थोड़ा अपना भेजा फ्राई की कोशिश करेंगे तो कांग्रेस समेत उन तमाम पार्टियों के नेताओं का मुंह काला हो जायेगा, जो शिवसेना के परंपरागत गतिविधियों को लेकर बीजेपी सरकार पर निशाना साधते बकवास कर रहीं हैं कि देश में असहिष्णुता और भाईचारा खत्म हो गया है।
अभी अंतर सिर्फ इतना आया है कि शिवसेना महाराष्ट्र की साझा सरकार में शामिल है, इसीलिए ज्यादा हो-हल्ला हो रहा है जबकि पाकिस्तानी और पाकिस्तान के खिलाफ शिवसेना ने पिचें तक खुदवा दी थीं और इतना हल्ला नहीं हुआ था और न ही तब असहिष्णुता की पीपड़ी बजाई जा रही थी।
हांलाकि शिवसेना के रवैये में थोड़ा बहुत अंतर की बात करें तो शिवसेना ने अपने पारंपरागत स्टैंड से इतर पहली बार किसी पाकिस्तानी को सपोर्ट किया है और वो हैं नोबल शांति पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई।
शिवसेना ने मलाला युसुफजई के भारत आगमन का स्वागत किया है, लेकिन यह खबर किसी मीडिया में नहीं हैं। सबको पता है कि मलाला युसुफजई पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों की शिकार हुईं थी और उनके खिलाफ झंडा बुलंद किया था।

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