गुरुवार, 5 नवंबर 2015

मोदी विरोधी विरोध में बीमार हैं, प्लीज उन पर ध्यान मत दीजिये?

दरअसल बात यह है कि आपको शुरुआत से ही मोदी पसंद नहीं है, बीजेपी पसंद नहीं है, संघ पसंद नहीं हैं और देश के लोगों को द्वारा बीजेपी को चुना जाना पसंद नहीं है।

आप रोज सुबह से शाम देश भर की घटनाओं में से ऐसी खबरें छंटते हैं जिसे शेयर कर मोदी को कटघडे में खड़ा कर सकें। उसे हूट कर सकें। और आपमें से अधिकतर लोग ऐसे हैं जिन्हें माहौल असहिष्णु लग रहा है।

आप विरोध कर रहे हैं, शिकायतें कर रहे हैं, अवार्ड लौटा रहे हैं। मगर किस लिए? देश को सहिष्णु माहौल देने के लिये? नहीं। आप बस इतना चाहते हैं कि कैसे भी तो यह सरकार गिर जाये। केजरीवाल गिरा दे, नीतीश गिरा दें और चाहे तो लालू ही गिरा दें।

बिहार चुनाव में भी आपकी टकटकी इसलिए है कि आप मोदी को हारता देखना चाहते हैं। आपको बिहार के लोगों की कोई फ़िक्र नहीं है। बस आपको एक हार चाहिए। चाहे जैसे भी हो। बनारस में पंचायत चुनाव में बीजेपी हार जाती है तो आपके लिए जश्न का मौका होता है। केरल में कोई हिंदूवादी कुछ सिरफिरा बयान दे दे तो आप उसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाने में जुट जाते हैं।

आपको यार अहसास नहीं है कि आप बीमार हो गये हो। लोकतंत्र में अपने पसंद की सरकार न हो तो भी उसे झेलना पड़ता है। हमारा काम यह है कि गलत काम का विरोध करें। सरकार पर दबाव बनाएं ताकि वह अच्छे काम करे। यह नहीं कि सुबह शाम आलोचना की छड़ी लेकर घूमते रहें। इतनी आलोचना अगर आप अपने बच्चे की करेंगे तो वह पागल हो जायेगा। आपकी बात सुनना बंद कर देगा।

दादरी का मसला सचमुच शर्मनाक था। और इस मुद्दे पर मोदी का स्टैंड भी कमजोर था। उदय प्रकाश और अशोक वाजपेयी का सम्मान लौटाना बेहतर कदम था। इससे मैसेज भी गया। मगर उसके बाद सिर्फ तमाशा हुआ। कुछ पुराने सरकार के लाभुक, कुछ फेसबुकिया जो 24 घंटा मोदी विरोध के मोड में रहते हैं और कुछ मुनव्वर राणा टाइप पोलिटिकली कन्फ्यूज्ड लोगों ने इसे प्रहसन बना दिया।

काम सिर्फ इतना था कि मोदी पर दबाव बनाया जाये कि दादरी कांड पर उनकी तरफ से जिन लोगों ने भड़काऊ बयान दिए हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। गुनहगारों को सख्त सजा दिलाई जाये और मोदी का एक बयान आये जिससे अल्पसंख्यक इस देश में सुरक्षित महसूस करे। मगर आप देखिये असहिष्णुता की लड़ाई के लीडर राहुल गाँधी के पीछे कतार लगा रहे हैं।

ऐसे कैसे चलेगा मियां। अगर आप कार्रवाई के लिए सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं तो फिर हम साथ हैं। अगर आप दादरी के बहाने सरकार गिराना चाहते हैं तो फिर तो आप अपने घर, हम अपने घर...
★साभार

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