शनिवार, 18 अप्रैल 2015

दुनिया प्रसंशा कर रही है, कांग्रेस समेत विपक्षी छाती पीट रहीं हैं?

शिव ओम गुप्ता
प्रधानमंत्री #नरेंद्रमोदी के काम-काज और कार्य शैली की चारों तरफ जय जयकार हो रही है, लेकिन यह सुनकर सत्ता गंवा चुके  विपक्षी पार्टियों की छाती पर सांप लोटने लगते हैं, तो इसमें कोई क्या कह सकता है!

#अमेरिकीराष्ट्रपति #बराकओबामा ने #टाइम्समैगजीन में लिखे अपने लेख में मोदी को सबसे बड़ा #सुधारक बताया तो कांग्रेस रो पड़ी, अब #विश्वबैंक प्रमुख #जिमयोंगकिम ने प्रधानमंत्री #जनधनयोजना की प्रशंसा की है और मोदी की #दूरदर्शिता की प्रशंसा करते हुए जन धन योजना को एक दूरदर्शी प्रयोग करार दिया है, लेकिन कांग्रेस समेत का रोना ही खत्म ही नहीं हो रहा?

अरे भाई! #विपक्षीपार्टी का मतलब यह थोड़े न होता है कि कुछ भी हो झंडा लेकर खड़े हो जाओ? आंख-नाक-कान खोल के रखों भाई? 

भारतीय योजनाओं की देश-विदेश में प्रशंसा हो रही है और आप हैं कि अभी भी हार के गम में आंसू बहा रहें है? अब तो संभलों, वो जनता अब नहीं रही जो आप सुनाओगे, वो वहीं सुनेगी? 

थोड़ी तो समझदारी दिखाओं? क्योंकि आज का #युवावोटर परिवार और भावना में बहकर वोट नहीं कर रहा है, वह काम और दूरदर्शिता को वोट और सलाम करता है, तो भूल जाओ कि तुम्हारे विरोध और उलटबांसी भरे बयानों से युवा जनता को कोई फर्क पड़ने वाला है? 

भई, जो मोदी सरकार अच्छा कर रही हैं, बतौर विपक्षी पार्टी प्रशंसा नहीं कर सकते हैं तो चुप रहो? कम से कम मुंह खोलकर महज विरोध करने के लिए विरोध के नारे मत लगाओ? 

क्योंकि जनता सब जानती है और सब देख रही है, ये मत समझना कि अब हो-हल्ला करके, रैली और भगदड़ करके उन युवा #मतदाताओं के वोट हासिल कर लोगे, तो भूल जाओ।

हालांकि अभी भी देर नहीं हुई है और पुरातन पद्धति को छोड़कर आगे बढ़ो, क्योंकि अब #बीजेपी से ही नहीं, लोग #केजरीवाल से भी हिसाब करने लगे हैं और फिर कांग्रेस नेता सिर्फ छाती पीट रहे हैं?

#Modi #BJP #JanDhanYojna #JimYongKim #WorldBank #BarrackObama #Congress #OppositionParty

शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

धरना नहीं, अब होगा धर्म परिवर्तन धरना?

शिव ओम गुप्ता
क्या अजीबोगरीब स्थिति आ गई है, अब लोग अवैध निर्माण, अवैध कार्यों को कानूनी व वैध बनाने के लिए #धर्मपरिवर्तन की धमकी देंगे और मांगे नहीं पूरी होने तक धर्म बदल लेंगे और मांगे पूरी होते ही पुन: अपने धर्म में लौट आयेंगे?

यानी 'धरना' अब 'धर्म परिवर्तन धरना' से जाना जायेगा, जिसको अपनी मांगे पूरी करवानी होगी, वे लोग अब धरना नहीं, बल्कि धर्म परिवर्तन धरना करेंगे?

गौरतलब है #जनलोकपाल के लिए धरना-प्रदर्शन करके केजरीवाल जैसे लोग मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गये और ऐसी पूरी संभावना है कि कल कुछ और लोगों का समूह सड़कों पर जनलोकपाल के लिए सड़कों पर कब्जा कर ले?

लेकिन इस बार वे धरना नहीं, बल्कि धर्म परिवर्तन धरना शुरू कर देंगे? और नारा होगा, " हमारी मांगे पूरी करो, वरना धर्म परिवर्तन कर लेंगे!

क्योंकि धरना-प्रदर्शन का माइलेज तो #केजरीवाल सरीखे तमाशाई ले उड़े, जिससे अब सामान्य आदमी का धरना-प्रदर्शनों से भरोसा उठ गया है इसलिए अब कुछ नया जुगाड़ करना ही पड़ेगा?

तो अब वैध-अवैध लोकतांत्रिक अधिकारों और हकों के लिए कुछ तमाशाई लोग अगर धर्म परिवर्तन धरना की अगुवाई करते दिखे तो आश्चर्य मत कीजियेगा।

 क्योंकि धरना-प्रदर्शन के जरिये राजनीति में पहुंचे लोगों ने इसकी आत्मा को मलिन कर दिया है, जिससे अब धरने के उद्दश्यों पर प्रश्नचिह्न लग गया है, क्योंकि धरना-प्रदर्शनों में अब न जनता को भरोसा है और न ही देश के हुक्मरानों में भरोसा बचा है!
#Protest #Democracy #AAP #Kezriwal #Conversion

गुरुवार, 16 अप्रैल 2015

तो आजम खां साहब, कब जा रहें हैं देश छोड़कर?

यूपी के कबीना मंत्री आज़म खान की बददिमागी और हिकारत पूर्ण भाषा शैली देख-सुनकर देश ही नहीं, खुद हमबिरादर मुस्लिम भी दुखी रहते हैं, लेकिन राजनीति चमकाने के लिए कुछ भी कर गुजरने में खां साहब उस्ताद हैं, जिनका पूरा साथ सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव महज मुस्लिम वोट बैंक के लिए देते है। डर है कि ऐसे एक-आध नेता और पैदा हो गए तो देश का क्या होगा? अच्छा है खां साहब परवेज मुशर्रफ की तरह कहीं निकल जायें।

एक ऐसा नेता, जो डंके की चोट पर कह सकता है कि वह जानबूझकर ठीक चुनाव से पूर्व ऐसी सांप्रदायिक, दुर्भावनापूर्ण और भड़काऊं बयान देता है ताकि मुस्लिम एकजुट हों, वोटों का ध्रुवीकरण हो? ऐसे नेताओं का देश छोड़ देना ही उचित है, क्योंकि इससे देश की एकता को ही नहीं, एकरसता को भी खतरा है।

मुझे लगता है, भारत का कोई भी मुस्लिम आजम खान के कट्टर सोच और कुत्सित मानसिकता को सेल्युट नहीं करता, क्योकि देश का कोई भी नागरिक अब हिन्दू-मुस्लिम को नहीं, शुचिता और प्रगति को सैल्युट करता है!

आज देश का प्रत्येक नागरिक देश की तरक्की के बारे में पहले सोचता है, क्योंकि महंगाई, भ्रष्टाचार, घोटालों और बेरोजगारी से परेशान देश सपने देखने लगा है, लेकिन आजम खां जैसे लोग हमबिरादरी मुस्लिम वोटरों को उनके विकास और तरक्की के मुद्दों से इतर रखकर भटकाने कोशिश करते रहे हैं, ताकि समाजवादी पार्टी में उनकी राजनौतिक हैसियत ऊंची हो सके, लेकिन मुस्लिम भाईयों के विकास का क्या? जिनको महज भड़काकर और उनके वोटों का हाईजैक करने के बाद उन्हें उनके नसीब पर छोड़ दिया जाता है?

वैसे ही, अधिकांश मुस्लिम वोटरों पर आरोप लगता है कि वे मौलानाओं व इमामों के फतवों पर वोट करती हैं, उनकी कोई अपनी राय नहीं होती?

लेकिन लगता है कि अब वो दिन लदने वाले हैं,  क्योंकि अब मोदी-बीजेपी का डर दिखाकर वोट मांगने और उल्लू बनाने वाले को मुस्लिम भाई भी समझ चुके हैं!

सच्चाई यह है कि देश की महंगाई का सबसे अधिक नुकसान मुस्लिम भाईयों पर पड़ता है, कैसे? यह सभी मुस्लिम भाई-बहन बहुत अच्छी तरीके से जानते है?

जबाव है, मु्स्लिम समुदाय का रहन-सहन और उनकी पारंपरिक जीवन शैली? देखा गया है कि अधिकांश मुस्लिम आबादी रोज की जरूरत के अनुसार अपनी गृहस्थी की सामग्री खरीदते हैं, इसीलिए बढ़ती महंगाई के मुताबिक इन्हें हर दिन रोजमर्रा की जरुरतों पर दूसरों की तुलना में अधिक खर्च करना पड़ता है।

हालांकि इसके पीछे एक अन्य वजह मुस्लिम परिवारों का बड़ा होना और फिर जल्द ही परिवार में भाई-भाईयों के बीच (न्यूक्लियर फेमली) होने वाला बिखराव भी है?

इसलिए जरूरी है कि हिन्दू-मुस्लिम नहीं, जाति-बिरादरी नहीं, बल्कि विकास को सलामी देना जरुरी है, क्योंकि विकास ही वह कुंजी है, जिससे महंगाई, बेरोजगारी और बेकारी को दूर किया जा सकता है!

नि:संदेह हिंदू-मुस्लिम, जाति-बिरादरी से देश नहीं चलता है और जो लोग इस प्रकार की राजनीति करना चाहते हैं उन्हें बिना देर किये देश छोड़ देना चाहिए, क्योंकि ऐसी राजनीति को हां कहने के लिए देश की नई पीढ़ी बिल्कुल तैयार नहीं है। तो खां साहब कहीं शरणार्थी वीजा के लिए अप्लाई कर लें, क्योंकि आपको नागरिकता तो पाकिस्तान भी नहीं देगा? क्योंकि पाकिस्तान में ऐसे नेताओं की भरमार है।

बुद्धु अब बुद्धु नहीं रहा, अब वह राहुल हो गया है?

राहुल गांधी की घर वापसी के बाद सभी मीडिया चैनलों पर एक ही पंच लाइन है, "लौट के राहुल घर को आये"

त्राहिमाम! राहुल गांधी ने 'बुद्धु' को रिप्लेस कर दिया है। मतलब, बुद्धु का नया नामकरण अब राहुल हो गया है!

बधाई हो, क्योंकि बुद्धु अब बुद्धु नहीं रहा, अब वह राहुल हो गया है?

रविवार, 12 अप्रैल 2015

एक पोर्न स्टार को आदर्श बनाने पर क्यों तुला है ABP न्यूज चैनल?

ABP न्यूज चैनल में काम करने वालों कर्ताधर्ताओं की बुद्धि भ्रष्ट हो गयी लगती है। एक ऐसे व्यक्तित्व को व्यक्ति विशेष का तमगा दे दिया है, जिसके बारे में चर्चा करने मात्र से हमें एक ऐसी इंडस्ट्री के बारे में चर्चा करनी पड़ती है, जिसके बारें में शायद ही कोई घर-परिवार की सदस्य अपने संबंधियों के बीच खुलकर चर्चा कर पायें!

कोई क्या करता है, यह व्यक्ति विशेष की व्यक्तिगत पसंद होती है, किसी को इससे कोई समस्या नहीं है, लेकिन महज भारतीय होने के करण किसी पोर्न स्टार को महिमामंडित करके लोगों के घरों में पहुंचा देना एक सामाजिक अपराध है।

ABP चैनल एक पोर्न स्टार के कहानी के जरिये क्या संदेश देना चाहती थी?

एक पोर्न स्टार को लोगों का रोल मॉडल बनाने पर क्यों अमादा है ABP चैनल?

एक पोर्न स्टार के संघर्ष से क्या लेना-देना है हमारे समाज का?. (पोर्न मजबूरी का पेशा नहीं)

क्या चैनल भारत में पोर्न इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए पोर्न स्टार का महिमा मंडन कर रहा है?

वेश्वावृति जैसे दंश से पहले ही अभिसप्त हमारे समाज में एक कोढ़ है, जहां लड़कियों को जबरन घसीटा जाता है?

क्या चैनल पोर्न इंडस्ट्री को एक अवसर के रुप में भारत में परोसने व दिखाने की कोशिश नहीं कर रहा है?

ABP चैनल की बौद्धकिता के दर्शन तो हो गये, जो टीआरपी के ईंधन से संचालित होते है, लेकिन क्या चैनल को समीज के जिम्मेदारी सिखाने के लिए भारत की आईबी मिनिस्ट्री कुछ करेगी, यह अधिक महत्वपूर्ण है।

सरकार को तुरंत चैनल को कारण बताओ नोटिस भेजना चाहिए और चैनल के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए!

#ABPNews #NewsChannel #IBMinitery #PornStar #SunnyLeone

शनिवार, 11 अप्रैल 2015

वे कौन लोग हैं जो फूहड़ बयानों पर भी दहाड़े मारकर हंसते हैं?

शिव ओम गुप्ता
भारत में जब भी कोई नेता निहायत ही वाहियात और गंदा बयान दे रहा होता है तो वो कौन लोग होते हैं जो बेहद ही फूहड़ता और बददिमागी से दहाड़े मारकर चुटीली हंसी हंस रहे होते है?

नहीं मालूम? ये वहीं लोग हैं जिनकी #चापलूसी में मास्टरी ही नहीं, डॉक्ट्रेट भी होती है, जिन्हें कोई नहीं फर्क पड़ता कि उनका चापलूस पंसद नेता क्या बोलेगा या क्या बोल रहा है, क्योंकि ऐसों का काम सिर्फ और सिर्फ ताली बजाना है और खीसे निपोरना है!

इसका ताजा उदाहरण #जदयू नेता #शरदयादव के #पद्मसम्मान के बारे में दिये गये अवव्ल दर्जे के बेहूदा और #विवादास्पद बयान में देखा-सुना जा सकता है।

#PadamSamman #SharadYadav #MulayamYadav #ControversialStatement

सोते को जगाना आसान है, लेकिन जागे हुये को क्या जगाना?

शिव ओम गुप्ता
वे लोग जो किसी समाज द्वारा बनाई सांस्कृतिक सभ्यता और मान्यताओं में भरोसा रखते हैं और अमल करने में विश्वास रखते हैं, ऐसे अगर भटक भी जायें तो उनकी सुधरने की उम्मीद हो सकती है?

लेकिन वे लोग जो अपनी ही विरासत, संस्कृति और मान्यताओं में यकीन ही रखते या रखना ही नहीं चाहते और सबको धता बता कर नये समाज और उसूल की कल्पना कर रहें हैं, उनसे क्या उम्मीद की जा सकती है?

बात हो रही है सामाजिक विद्रूपता की। हमारा समाज परिवार में पैदा हुये लड़का-लड़की को भाई-बहन की मान्यता देती हैं और दोनों से जुड़े उन तमाम रिश्तों को भी एक सारगर्भित रिश्तों से जोड़ती है, लेकिन आज कल तमाम ऐसी खबरें मीडिया में सुर्खियों में होती हैं, जो समाजिक ताने-बाने को न केवल तोड़ रहीं हैं, बल्कि नष्ट करके कुछ नया करने पर अमादा हैं!

हां, हम बात कर रहें है, ऐसी खबरों की जो अमर्यादित रिश्तों से जुड़ी होती हैं, जहां पिता-बेटी, भाई-बहन, चाचा-भतीजी और मामा-भांजी के रिश्तों को नष्ट कर रही है?

कौन है जिम्मेदार, यह तो तय करना जरूरी है, वरना समाज का यह चेहरा वसूलों को ही नहीं, रिश्तों को भी खत्म कर देगा!

गुरुवार, 9 अप्रैल 2015

Finally, End of identity crisis of journalist?

Presstitute: What a innovative word invent by vk singh, Thanks to vk singh for this invention, because nowadays Press sounds and conclude them self near and there?

Hats off VK singh! You shown the mirror those one who throw out such holy profession into dark word for his personal growth, Seems such gets  identity now!

Finally, End of identity crisis for such people, otherwise everyone behaving like journalist who works in press world!

#presstitute #VKSingh #Press #Journalism

रविवार, 5 अप्रैल 2015

मुस्लिम को क्रिसमस और हिंदू को ईद पर छुट्टी क्यों?

शिव ओम गुप्ता 
सुप्रीम कोर्ट जज जोसेफ कुरियन की खिलंदड़ता और हल्केपन पर तरस ही खाया जा सकता है, लेकिन इस प्रकरण ने एक अच्छे विचार को जन्म दे दिया है!

वो यह कि सरकार को अब सरकारी छुट्टियां संप्रदाय/धर्म विशेष के आधार पर नहीं देना चाहिए? मतलब हिंदुओं को ईसाइयों के त्यौहार गुड फ्राईडे और क्रिसमस पर सरकारी छुट्टी क्यों? मुस्लिम को हिंदुओं के त्यौहार होली, दीवाली और दशहरा पर सरकारी छुट्टी क्यों? इसी तरह ईसाइयों को हिंदू, मुस्लिम या अन्य धर्मों के अनुयायियों के त्यौहारों पर छुट्टी क्यों ?

यह सर्वविदित सत्य है कि दूसरे धर्मों के त्यौहारों पर मिली छुट्टियों पर लोग इंजॉय नहीं करते हैं, तो उन्हें जबरन घर पर बैठाने से बेहतर है वे दफ्तर जाकर जनता के काम निपटायें, जिससे सरकारी मशीनरी में सुधार भी होगा और अलग-अलग धर्मों के त्यौहारों पर सरकारी दफ्तर भी खुले रह सकते है। इसका सीधा फायदा पब्लिक को ही मिलेगा और इससे सरकारी  कार्यों का निष्पादन भी बिना व्यवधान चल सकेगा?

हालांकि सरकारी कर्मचारी यह स्वैच्छिक/ऐच्छिक भी कर सकते है, जिसके लिए उन्हें इंसेंटिव भी दिया जा सकता है। बाद में, सरकार भिन्न-भिन्न मंत्रालयों/दफ्तरों/ऑफिसों में भिन्न मतावलंबी कर्मचारियों की एक अदद टुकड़ी भी रिक्रूट करने की कोशिश कर सकती है, जिसका फायदा यह होगा कि अन्य मतावलंबी कूलीग की त्यौहारी छुट्टियों में भी सरकारी दफ्तर अनवरत खुले रह सकेंगे और पब्लिक और सरकारी मशीनरी भी बिना व्यवधान सुचारू रुप से चल सकेंगी!

सरकार, बिना किसी विरोध के इसे आसानी से लागू भी कर सकती है, क्योंकि इसमें किसी भी कर्मचारी को अड़चन नहीं होगी, क्योंकि ऐसा कई बार होता रहा है जब भिन्न मतालंबियों के त्यौहारों के संयोग एक क्रम में, एक सप्ताह में और एक साथ में पड़ जाते हैं? जैसे कि वर्ष 2015 के मार्च माह का आखिरी और अप्रैल का पहला हफ्ता?

हां, कुछ फिजूल की राजनीतिक रोटियों इसमें सेंकी जा सकती हैं, लेकिन संभावना कम है और सरकार द्वारा इसे अमल में लाने में किसी भी मतावलंबी को कोई असुविधा भी नहीं होगी, क्योंकि इसका लाभ सरकारी कर्मचारी के साथ-साथ पब्लिक को भी मिलेगा और यह देश के दैनेंदिन विकास को भी उत्तरोत्तर प्रभावित करेगा!

#GovtHoliday #Guggeted #GovtEmpolyee #Leave #Festival #GovtOffice #Development 

शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015

खबरों को छोड़, अब एजेंडा बनाने में जुटी मीडिया!

शिव ओम गुप्ता
पिछले कई वर्षों में मीडिया खबरों का काम छोड़, देश-प्रदेश और निकाय चुनावों में परोक्ष रुप से एजेंडा सेट करने में जुटी अधिक दिखाई देती है।

हालांकि #मीडिया संगठन देश/पार्टी का #एजेंडा बनाने की कोशिश पहले भी करते रहे हैं, लेकिन आजकल मीडिया को गुमान हो चला है कि वे देश की जनता को अधिक जानते हैं और उनको अपने मुताबिक अधिक भड़का भी सकते हैं।

वैसे, #ओपिनियनपोल और #एग्जिटपोल सर्वे के नाम पर दर्शकों का समय बर्बाद करने व बरगलाने वाली मीडिया को जनता ने अपने फैसलों से कई बार धोबीपाट दिया है, लेकिन आदत सुधर भी जायें पर लत का इलाज नहीं है।

मीडिया कभी देश का ओपिनियन जानने का दंभ भरती थी, लेकिन अब मीडिया देश का एजेंडा बनाने का दंभ भरने लगी है, क्योंकि आज के पत्रकारों को लगता है कि वे देश की जनता का नब्ज जानते हैं और जबां-तहां उंगली रखकर शरीर का तापमान घटा-बढ़ा सकते हैं।

#दिल्लीविधानसभाचुनाव में #बीजेपी की हार और AAP की जीत के बाद मीडिया को कुछ अधिक गुमान हो गया, जो अब बल्लियों उछाल मार रहा है। शायद यही कारण है कि आजकल मीडिया हर दूसरे दिन सर्वें और ओपिनियन पोल का खेल खेलती नजर आती है।

समस्या यह है कि मीडिया खबरों का #कारोबार करते-करते अब #एक्सटार्शन ( #उगाही) के कारोबार में उतर गई दीखती है।

यहीं नहीं, मीडिया समूह अब भिन्न-भिन्न पार्टियों की एजेंडा बनाने की मशीन बनकर रह गई हैं, जहां वो किसी एक पार्टी को फायदे-नुकसान पहुंचाने के लिए सर्वें और सर्वेक्षण का व्यूह नहीं, चक्रव्यूह भी रचते हैं।

#Media #OpinionPoll #TVServey #ExitPoll #TRP #Voters #EC #BJP #Congress #AAP #News #Press #Agenda

मीडिया वाहियात ही नहीं, बचकाना हो गई है!

यह मीडिया का क्या बेवकूफियाना है, जो केजरीवाल पार्टी नहीं संभाल पा रहा है, दिल्लीवालों को मूर्ख बनाकर सीएम की कुर्सी पर बैठकर एक-एक कर अपने ही पार्टी नेताओं को किनारे लगा रहा है, उसको पीएम पद की उम्मीदवारी के समक्ष रखना बचकाना ही नहीं, वाहियात कहा जा सकता है!

किसी को अब शंका नहीं है कि केजरीवाल जैसे व्यक्ति को दिल्ली की गद्दी पर बैठाने में मीडिया प्रोपेगेंडा ने महत्वपूर्ण योगदान किया, डर है कि अगर ऐसा जारी रहा तो मीडिया अपनी बची-खुची विश्वसनीयता भी खो देगा।

#Kezriwal #AAP #Media #Agenda #Sting

रविवार, 29 मार्च 2015

विराट कोहली कहीं अगला विनोद कांबली तो नहीं?

यह विराट कोहली कहीं अगला विनोद कांबली तो नहीं निकलेगा, जिसमें अब कोई शक की गुंजाइश नहीं बची है? 

कांबली भी बहुत ही धाकड़ और विस्फोटक बल्लेबाज था, लेकिन खूबसूरत गर्लफ्रेंड/बीवी की दीवानगी ने उसे नकारा बना दिया वरना सचिन-कांबली की करिश्माई जोड़ी को कौन भूल सकता है?

हालांकि गर्लफ्रेंड/ बीवी के दीवानों की हमारे इतिहास में लंबी फेहरिस्त है! इनमें महाकवि कालीदास और तुलसीदास की कथा सर्वोपरि है।

काश! कोहली की दशा कांबली जैसी न हो? और अनुष्का में तुलसीदास और कालीदास की पत्नियों की रुह समा जाये ताकि भारतीय टीम का एक होनहार बल्लेबाज को सुरक्षित बचाया जा सके, आमीन!
#ViratKohli #AnushkaSharma #LoveAffair #WC2015 #Controversy #Girlfriend

शुक्रवार, 27 मार्च 2015

केजरीवाल का दंभ और अह्म आया सामने, सहयोगियों को कहा साला और कमीना!

वाह रे केजरीवाल! एक आडियो स्टिंग में अह्म और दंभ से भरे केजरीवाल पार्टी नेता व सहयोगी योगेंद्र यादव, प्रो.आंनद कुमार, प्रशांत भूषण को कमीनपंथी की पदवी से नवाज रहें हैं और उन्हें कमीना और साला कहते हुए लात मारकर पार्टी से बाहर निकालने की बात कह रहें हैं।

यह क्या कर लिया दिल्लीवालों, ये किसे चुन लिया है आपने, जो इतना बड़ा दंभी और तमीजदार है कि गली के गुंडों की तरह बर्ताव कर रहें हैं! दिल्लीवालों आपने तो भस्मासुर को अपने सिर पर ही बिठा लिया है!

देखिये जी न्यूज पर देखिये केजरीवाल के बोल-

ये आम आदमी पार्टी है या मछली बाजार?

ये आम आदमी पार्टी है या मछली बाजार, जिसे देखो बोली लगा रहा है कितने में और कैसे बिके केजरीवाल? 

हालांकि मैं शुरू से जानता था कि यह पार्टी नहीं, एक ऐसे लोगों का समूह है जो चिकनी-चुपड़ी बातों से राजनीति नहीं, खुद को दुरूस्त करने आये थे और दूसरे की थाली में ज्यादा घी देखकर बिलबिला रहें हैं?

धन्य है दिल्ली की जनता, क्योंकि अब 5 साल तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता! क्योंकि 49 दिनों का ट्रेलर देखने के बाद 5 साल वाला फिल्म देखने के लिए जनता खुद जिद करके थियेटर में घुसीे है?

#Kezriwal #aap #YogendraYadav #PrashantBhushan #5SaalKezriwal

मंगलवार, 24 मार्च 2015

जय हो लोकतंत्र, आईटी एक्ट धारा-66A की दर्दनाक मौत!

जिस नेता के खिलाफ बोलना हो, दिल खोलकर लिखिये और बोलिये, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने आईटी एक्ट की उस धारा को ही रद्द कर दिया है, जिसको आधार बनाकर देश के खिलंदड़ टाइप के नेता अपना बचपना दिखाते रहे थे, जय हो लोकतंत्र!

गौरतलब है सुप्रीम कोर्ट ने आईटी एक्ट की धारा -66A को पूरी तरह से रद्द कर दिया है, यानी अब सोशल मीडिया पर किसी भी नेता पर टिप्पणी करने पर किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकेगी।

याद होगा, अभी हाल ही में सपा के बड़के और भड़काऊ बयीनों वाले नेता ने एक 13 वर्षीय लड़के की गिरफ्तारी इसलिए करवा दी थी, क्योंकि उसने आजम खां के खिलाफ सोशल मीडिया में चल रहे एक बयान को महज शेयर किया था!

#ITAct #66A #SupremeCourt #RightToExpression

रविवार, 22 मार्च 2015

क्या आप वहीं करते हैं जो दिल कहता है, जिसकी जरुरत होती है?

मैं तो वहीं करता हूं जो जरूरत से जुड़ी होती है या जिसमें पर दिल आ जाये, वह नहीं करता जिसकी जरुरत नहीं या जिसमें दिमाग लगाना पड़े?

हालांकि मैंने देखा है कि लोग बाग देखा-देखी और दूसरों की नकल में अपनीं अधिकांश ऊर्जा और धन खर्च कर देते हैं।

मसलन, युवक-युवतियां सिगरेट, अल्कोहल और फैशन की लत दिलों और जरुरतों से नहीं, बल्कि देखा-देखी, नकल, फैशन और टशन के लिए पाल बैठते हैं?

लेकिन रिकॉर्ड कहते हैं कि 90 फीसदी युवक-युवतियां सिगरेट, अल्कोहल और फैशन को अपनी जिंदगी में दिल और जरुरत से शामिल नहीं करते, बल्कि टशन और नकल के कारण शामिल करते हैं, जबकि 5 फीसदी लोग फस्ट्रेशन और 5 फीसदी आनुवांशिकी इस नशे के शिकार होते हैं!
#Addiction #Fashion #Nicotine #Alcohol

गुरुवार, 19 मार्च 2015

Industry doesn't entertain such jerk who love to called himself a journalist?

I really fed up media, Not journalism? Media don't does job pro people, its only attached with pro market, its attached with pro benefit, not pro problem of India or people?

No No...its not true? that my eye opened now? after 10 years journey of journalism?

My eyes were open since joined this journey but don't want to make such immature statement from beginning of career, but now I'm OK with my statements.

Someone who want to change the world and wanna work for betterment for country, there were no place for them.

Because industry called media doesn't allow and entertain such jerk who love to called himself a journalist.

मंगलवार, 17 मार्च 2015

किसको मूर्ख बना रहीं हैं सोनिया गांधी एंड पार्टी?

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने कौड़ियों के भाव किसानों की जमीन हथिया ली, वो सोनिया आज किसानों की जमीन के लिए मोर्चा ले रहीें हैं? ये तो वहीं बात हुयी कि सौ चूहे खाकर बिल्ली निकली हज को?

सोनिया जी, देश की जनता ने पिछले 10 वर्षों के यूपीए सरकार में आपके और आपके दामाद के किसान प्रेम और उनके प्रायोजित कार्यक्रम खूब देखे है!

ओ भाई, क्यों बेवजह दोबारा जनता को याद दिला रहे हो, जनता को दोबारा याद आ गया तो कांग्रेस और साथ खड़ी सभी विपक्षी पार्टियों का आने वाले चुनावों में हाल बुरा होना तय होयेगा?

क्योंकि कांग्रेस के साथ खड़ी अधिकांश पार्टियां यूपीए सरकार में सहयोगी रहीं है और कांग्रेस के 10 वर्षों के पाप की पूरी भागीदार रहीं हैं?
#UPA #Congress #Scam #RobertVadra #LandScam

भूमि अधिग्रहण विधेयक के भरोसे चुनावी भूमि तलाशने में जुटा पूरा विपक्ष !

भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ संसद से राष्ट्रपति भवन तक मार्च करने वाले कांग्रेस और समूची विपक्षी पार्टियों की जमात विधेयक के लिए नहीं, बल्कि अपने वजूद के लिए सड़कों पर जद्दोजहद को मजबूर हैं?

विधेयक के विरोध में शामिल पार्टियां पिछले 10 वर्षों से देश को लूट कर खा गई कांग्रेस नीत यूपीए सरकार की हिस्सा रहीं हैं।

बात चाहे वाम दल की करें या सपा, बसपा, आरजेडी, डीएमके और टीएमसी हो, सभी यूपीए सरकार के साथ गठबंधन में रहीं हैं, जो विरोध में मजबूरन इसलिए शामिल हुयीं हैं ताकि राज्यों में मोदी लहर को रोका जा सके।

जदयू की समस्या भी यही है ताकि निकट बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को किसान विरोधी बताकर किसानों का वोट हासिल किया जा सके?

सवाल है कि क्या भूमि अधिग्रहण विधेयक सचमुच किसान विरोधी है या लुट-पुट चुकी कांग्रेस व अन्य दल देश को गुमराह करके अपना उल्लू साधने की कोशिश कर रहीं हैं?

कांग्रेस और तमाम विपक्षी पार्टियों की यह लड़ाई और मार्च देश के उन किसानों के लिए कम खुद के वजूद के लिए अधिक है, क्योंकि जिस विधेयक को लेकर पार्टियां नूराकुश्ती कर रहीं हैं, अधिकांश किसानों को इसकी समझ ही नहीं है!

#LAB #LandAccusationBill #भूमिअधिग्रहणविधेयक 

शुक्रवार, 6 मार्च 2015

I support banning such video viewing who spreads negativity!

I support government for banning of such documentary for public broadcast because the ban on 'India's daughter' documentary was an approach to restrict a voice of brutal face of criminals mind towards society for optimistic world.

You never be a good parents to allow your kids to watch negativity of life, parents can educate them via two way communication but freely and publicly broadcasting such negativity to everyone not positive approach.

An vedio viewing impacts are always greater then word and an immature mind will hurt hugely via negativity propaganda beyond our expectations.

Government are parents of country and they have all right to take decision and serve banned like parents, be lives in democracy..so raise your voice but don't justify yourself on sake of mass.

#BBC #Documentory #Ban #Nirbhaya #Rape #Government #Media