मंगलवार, 26 मई 2015

तो अब झूठ फैलाकर सत्ता में वापसी नहीं कर सकेगी कांग्रेस !

शिव ओम गुप्ता 
राहुल गांधी जब पूरे देश में घूम-घूमकर किसान चालीसा पढ़कर महज झूठ फैलाकर राजनीतिक विरासत वापस पाने की कोशिश कर सकते हैं तो सत्ता पक्ष मोदी सरकार को सच और झूठ के अंतर को बतलाने के लिए उनके पास जाना ही पड़ेगा।

वो जमाना गया जब झुठ फैलाकर कांग्रेस सत्ता में वापसी कर लेती थी। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी डेढ़ सयाने हैं, वे जानते हैं कि झूठ के सिर-पैर नहीं होते हैं और किसी झूठ को बार-बार दोहराने से सच साबित होने लगती है अगर सत्ता पक्ष उन्हीं जनता के पास जाकर सच और झूठ नहीं बतायेगी तो जनता गुमराह होगी ही होगी।

इतिहास गवाह है इससे पहले 5 साल सत्ता के करीब पहुंची पिछली गैर-कांग्रेसी सरकारें दोबारा सत्ता में वापसी करने में इसलिए नाकाम रहीं क्योंकि वे सरकारें कांग्रेसी झूठ को खारिज करने जनता के पास नहीं गई और जनता ने झूठ को सच मानकर 5 वर्ष बेहतर काम करने वाली सरकारों के खिलाफ वोट किया।

लेकिन मोदी सरकार सयानी है और कांग्रेस के झूठ फैलाओं अभियान को करारा जबाव देने के लिए उन्हीं जनता के पास जाकर कुल 200 रैलियां करने जा रही है, जहां-जहां राहुल गांधी झूठ फैलाकर देश को गुमराह करने की कोशिश की है।

तो इसमें कोई बुराई नहीं है। अगर विपक्षी पार्टियां सरकार के खिलाफ कुछ कहती हैं तो सत्ता पक्ष को भी पूरा अधिकार है कि वह उसी जनता के पास जाये और झूठ और सच का अंतर बतलाये।

मोदी जानते हैं कि कांग्रेस झूठ के सहारे ही अब तक सत्ता में वापसी करती आई है और लगातार 5 वर्ष दुष्प्रचार करके भोली-भाली जनता को गुमराह करती रही है, लेकिन इस बार ऐसा संभव नहीं होने वाला दीखता है।

मोदी सरकार कांग्रेसी दुष्प्रचार से निपटने के लिए ही जनता के पास सीधे पहुंच कर सच और झूठ के अंतर को समझाने की कोशिश करेगी और कांग्रेस के दुष्प्रचार के असर को खत्म करने की कोशिश करेगी।

सत्ता पक्ष के खिलाफ कांग्रेस के दुष्प्रचार का सबसे बड़ा उदाहरण अटल बिहारी बाजपेयी सरकार का लिया जा सकता है। अटलजी की पांच साल की सरकार ने बेहतरीन काम किया, बावजूद इसके वापसी करने में नाकाम रहीं ।

कारण था अटल सरकार कांग्रेसी दुष्प्रचार को खत्म करने लिए तत्काल जनता के पास नहीं गई और अच्छे कामकाज के बावजूद कांग्रेस का झूठ जनता के दिल में घर कर गया और अटल सरकार सत्ता में दोबारा वापसी नहीं कर सकी।

शायद यही कारण है कि मोदी सरकार कांग्रेस के झूठ फैलाओ अभियान के खिलाफ जनजागरण रैली आयोजित कर रही है ताकि देश की जनता को सरकार के कामकाज और सफलताओं को बताया जा सके, जिससे जनता दूध का दूध और पानी का पानी समझ सके।

हैट्स ऑफ मोदी जी! क्योंकि अब तक की सभी गैर-कांग्रेसी सरकारें पांच साल बाद ही जनता के फैसले का इंतजार करती थीं, लेकिन इस बार आपने कांग्रेसी दुष्प्रचार से निपटने के लिए प्रति वर्ष जनता के पास जाने का अभियान शुरू करके जनता पर बड़ा उपकार किया है।

क्योंकि अब से पहले कांग्रेसी दुष्प्रचार जनता के बीच वनवे ट्रैफिक की तरह पहुंचता था, जिसकी सच्चाई उन्हें बतलाने के लिए सत्ता पक्ष बाहर ही नहीं निकलता था। लेकिन अब ऐसा लगता है कि कांग्रेसी दुष्प्रचार में सफल होने से रही।

आज के समय का यह शाश्वत सत्य है कि अच्छा काम करना ही काफी नहीं है बल्कि उसको नगाड़ा पीट-पीटकर जनता को बतलाना भी जरूरी है? वरना अच्छा काम भी हवा के झोंके में नेस्तनाबूद हो जाया करते हैं।

हालांकि प्रधानमंत्री मोदी इस कला में माहिर हैं। शायद यही कारण है कि गुजरात में सत्ता संभालने से बाद कांग्रेसी दुष्प्रचार गुजरात में बेअसर रहा, क्योंकि मोदी लगातार जनता के संपर्क में रहे और पूरे 20 वर्ष कांग्रेस गुजरात की सत्ता से बाहर है।

कांग्रेस को अब ईमानदार राजनीति की ओर मुड़ना चाहिए, क्योंकि अब वो जनता भी नहीं रही जो अंधानुकरण करेगी और वह समय और जनरेशम भी नहीं रहा जो वोट करने से पहले झूठ और सच को क्रॉसचेक नहीं करेगी।

ईश्वर कांग्रेस और कांग्रेसी नेताओं को सद्बुद्धि दे ताकि वे महज झूठ फैलाने के बजाय एक ईमानदार और बेहतर विपक्ष की भूमिका निभा सकें, क्योंकि एक बेहतर लोकतांत्रिक सरकार के लिए एक प्रतिस्पर्धी विपक्ष का होना बेहद जरूरी है। 

रविवार, 24 मई 2015

स्कूलिंग: महंगी ही नहीं, चलताऊ भी हो गई है?

शिव ओम गुप्ता
मां-बाप के खून-पसीने की कमाई का अधिकांश हिस्सा आजकल बच्चों की पढ़ाई में खर्च हो जाता है, क्योंकि चमकदार पब्लिक स्कूलों की प्रतिमाह की मोटी फीस, यूनिफॉर्म और प्रत्येक वर्ष के कॉपी-किताब के खर्चों के बोझ इतने अधिक होते हैं कि उनकी कमर टूट जाती है!

बावजूद इसके पब्लिक स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई के नाम पर सिर्फ और सिर्फ रोबोट ही बनाया जा रहा है जबकि बच्चों को होम वर्क के नाम पर महज रटने वाला तोता बनाया जा रहा है, जिस कारण बच्चों में मानवीय और नैतिक मूल्यों का तेजी से पतन हो रहा है!

नि:संदेह आज बच्चों को ऐसे स्कूलिंग की जरूरत है, जहां सभी बच्चों को एक मानक फीस में आधुनिक सुविधाओं से युक्त शिक्षा उपलब्ध कराई जा सके। क्योंकि अच्छी शिक्षा के नाम पर कुकुरमुत्तों की तरह जहां-तहां उग आए पब्लिक स्कूल्स बच्चों के मां-बाप का केवल आर्थिक बल्कि मानसिक शोषण कर रहें हैं।

हालात यह है कि पब्लिक स्कूल हर सत्र में बच्चों के किताबों के पब्लिकेशन बदल देते हैं, जिससे स्कूल्स महज कमाई और व्यवसाय के केंद्र में तब्दील होकर रह गये हैं। यही कारण है कि स्कूलों के पैसे उगाही वाले तमाम प्रपंचों से बच्चों का भविष्य ढूंढ़ने निकले मां-बाप का वर्तमान के साथ-साथ भविष्य भी असुरक्षित रहती है।

कैसी हो स्कूलिंग?

हमें यहां पश्चिमी स्कूलों का अनुकरण कर लेना चाहिए, जहां प्री स्कूल से लेकर हायर सिकेंडरी तक के बच्चों की किताबें स्कूलों में कभी नहीं बदलती है, जिससे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर मां-बाप को प्रतिवर्ष अवाश्यक पैसे नहीं खर्च करने पड़ते हैं।

इससे पैरेंट्स को प्रति वर्ष एक ही स्कूल में पढ़ने वाले अपने बच्चों के लिए नई किताबें नहीं खरीदनी पड़ेंगी।

यहीं नहीं, प्रति वर्ष के किताबों को सुरक्षित रखने और बच्चों को किताबों के बोझ से बचाने के लिए क्लास की किताबें स्कूल में सुरक्षित रखी जानी चाहिए। इससे बच्चों के बैग भी भारी नहीं होंगे और किताबें भी वर्ष भर सुरक्षित रहेंगी, जो दूसरे बच्चों के काम आ सकेंगी।

निजी स्कूलों द्वारा इस प्रक्रिया को अपनाने से बच्चों को अनावश्यक वजन से मुक्ति भी मिलती है और मौजूदा पास आउट बच्चों की किताबें अगले वर्ष दूसरे बच्चों के काम आ सकती हैं। इससे पैरेंट्स को बच्चों के लिए हर वर्ष किताबें खरीदने से मुक्ति भी मिल जायेगी।

हालांकि सरकारी स्कूलों में संचालित पाठ्य-पुस्तकों के साथ यह सुविधा अभी भी जरूर थीं, जहां मां-बाप पास आउट बच्चों की पुरानी किताबें ले लिया करते थें, लेकिन सरकारी स्कूलों में गिरते पढ़ाई के स्तर से गरीब भी अब अपने बच्चों को महंगे पब्लिक स्कूलों में भेजने को मजबूर हैं।

सवाल वाजिब है। सभी पैरेंट्स बच्चों के बेहतर भविष्य व शिक्षा-दीक्षा के लिए महंगे पब्लिक स्कूलों की ओर ही आकर्षित होते है, लेकिन सरकारी पहल से निजी स्कूलों के उपरोक्त पैसे कमाऊं पैतरों पर अंकुश लगाया जा सकता है।

मसलन, एक सर्कुलर के जरिये सरकार को पहल करके देश -राज्य के सभी निजी पब्लिक स्कूलों में एक मानक फी स्ट्रकचर लागू कराना चाहिए और प्रति वर्ष स्कूलों में संचालित होने वाले किताबों के प्रकाशन में मनमाने बदलाव को रोकना चाहिए अथवा पैरेन्ट्स को बच्चों के किताबों की खरीदारी से अलग ही रखना चाहिए।
यानी, सरकार को सभी निजी स्कूलों को व्यवस्था देनी चाहिए कि सभी निजी स्कूल्स ही किताबें बच्चों को उपलब्ध कराये और किताबें स्कूल में रोजाना जमा करायी जायें, जिसके लिए स्कूल्स मासिक फी ले सकते हैं।

और बच्चों को होमवर्क के लिए बैग्स में सिर्फ नोट बुक लाने का निर्देश होना चाहिए। इससे बच्चों के मानसिक और शारीरिक दबावों में कमी लाई जा सकेगी।

इस प्रक्रिया के निजी स्कूलों में लागू किये जाने निजी स्कूलों की निरंकुशता पर लगाम लगेगी और हर तबके के मां-बाप पढ़ाई के अनावश्यक बोझ से भी बचाये जा सकेंगे।

यही नहीं, ऐसे सर्कुलर से पर्यावरण सुरक्षा में भी अच्छी मदद मिलेगी। मसलन, किताबें कम छपेंगी, तो पेड़ों का दोहन कम होगा। वरना प्रति वर्ष किताबों के प्रकाशन बदलने से लाखों क्विंटल किताबें रद्दी हो जाती है।

कहां गए वो ‪#‎AccheDin‬ ???

एक साल की कीमत तुम क्या जानो ‪#‎मोदी‬ बाबू.... बहुत याद आते हैं ... वो "घोटाले भरे दिन" ....

वो "दामाद बाबू" के खेती-किसानी के चर्चे .... उनके
करामती बिजनेस के नुस्खे ।

वो शहजादे का मचल जाना और "अध्यादेश के पन्ने फाड़ हवा में लहराना

वो "राजमाता" का 'गुप्त रोग' के इलाज मे अमेरिका के बार- बार  चक्कर लगाना ....और शहजादे के कमरे मे टेंसूए बहाना ।

वो जिज्जी की चौपाल...... दिग्गी की भौकाल.......
वो जीरो लोस की थ्योरी.....

वो वो... बब्बर की वो 12 रूपये की थाली ....वो घड़ी-
घड़ी #मोदी को गाली । वो डॉलर और पेट्रोल की रेस .... वो CBI तोते के केस ।

वो "मन्नू" का ठुमक-ठुमक कर चलना .... वो हजार सवालों की आबरू रखना ... वो पेड़ पे पैसे का उगना ....

बहुत याद आते हैं, बहुत याद आते हैं... वो "घोटाले भरे दिन"

और अब बहुत याद आयेंगे बैंकाक के 56 दिनों की छुट्टी...जिन्हें जिज्जे ने लूटा...उन्हें पिला रहे हैं शहजादे बाल जीवन घुट्टी!

वो लहरा-लहरा के अब खेतों में चलना...कभी सड़क पर मल्हार तो कभी संसद में भीम तलाशी कर मचलना?

बहुत याद आयेंगे वो जनरल बोगी के रेल, वो किसानों के आंसू और वो बहुरंगी तेरे खेल...

शनिवार, 23 मई 2015

नाक सीधी करने के लिए संविधान से भी खेलेगा केजरीवाल!

सुना है केजरीवाल ने 26-27 मई को इमरजेंसी विधानसभा सत्र बुलाने जा रहें हैं।

भाई जब सारे फैसले तुम्हें खुद ही लेने हैं तो इमरजेंसी विधानसभा सत्र का नाटक क्यों? वैसे भी 67 विधायक तुम्हारे ही है।

हम अभी बताये देते हैं कि केजरीवाल विधानसभा सत्र क्यों बुला रहा है?

केजरीवाल एक बार कोई ऐसी हरकत करेगा, जिससे उसकी राजनीतिक अपरिपक्वता और दिल्ली वालों की वोटिंग अपरिपक्वता सबको शर्मसार कर देगी!

मुझे पूरा भरोसा है कि केजरीवाल कोई ऐसा बेवकूफियाना प्रस्ताव लाने की कोशिश करेगा, जिससे केंद्र के नोटिफिकेशन की अवमानना हो सके और उसकी तानाशाही जीत हो सके।

ईश्वर बुद्धि दे केजरीवाल को ताकि दिल्ली वाले अपनी बड़ी भूल पर और अधिक शर्मसार होने से बच जायें!

हालांकि अराजक केजरीवाल पर भरोसा रखिये, अब वह जरूर कुछ ऐसा ऊल-जुलूलू करेगा, जिससे संविधान रहे न रहे अपनी नाक जरुर ऊंची करके रहेगा।

#Kezriwal #AAP #DelhiCM # #Constitution #LG #NajeebJung 

Dhoni, You really super #captain of world!

It's really amazing to see #MSDhoni captaincy and his gesture towards his team member.

Dhoni knows well important of #IPL15 #Qualifier2  after he shows confidence in his opening batsman #MikeHussy while hussy failed as opener in last two match.

Dhoni today also gone with Mike Hussy as opener duo and hussy prove his captain's choice was right.

Hussy played well today against #RCB and made valuable 56 run within 46 bolls.

I'm sure any other team captain certainly change his opening combinations in this crucial game but Dhoni didn't?

Dhoni you real super star of Indian as well as world crickets. All the best for #CSK IPL-Final match.

शुक्रवार, 22 मई 2015

क्या केजरीवाल को बर्खास्त नहीं कर दिया जाना चाहिए?

केजरीवाल नहीं मानने वाला? अपनी राजनीतिक और प्रशासनिक नपुंसकता को छिपाने के लिए बंदा कुछ भी करेगा?

अब कह रहा है कि दिल्ली के उप-राज्यपाल भ्रष्टाचार में लिप्त है और ट्रांसफर-पोस्टिंग का धंधा करते हैं।

केजरीवाल भाई थोड़ा खुद भी पढ़ ले संविधान और ढंग से समझ ले दिल्ली के अधिकार क्षेत्र या एक्सपर्ट से ही पूछता रहेगा?

एक मुख्यमंत्री प्रदेश के सर्वेसर्वा के खिलाफ इतनी ओछी और अपमानजनक टिप्पणी कैसे कर सकता है।

क्या राष्टपतिजी को केजरीवाल को हरकतों को संज्ञान में लेकर बर्खास्त नहीं कर देना चाहिए?

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #LG #NajeebJung

गुरुवार, 21 मई 2015

केजरीवाल ने राजनीतिक दुकान गलत जगह खोल दी है!

#एनडीटीवीइंडिया पर #रवीसकुमार दिल्ली सरकार की मतिभ्रष्टता को पुरानी राजनीतिक परंपराओं की दुहाई देकर न केवल उचित ठहरा रहें हैं बल्कि उसको समाधान की शक्ल देने की भी कोशिश कर रहें है।

याद रहे, ये वहीं केजरीवाल हैं, जो देश को बदलने के लिए राजनीति में उतरे थे। मसलन, वीवीआईपी कल्चर खत्म करेंगे इत्यादि!

कहते है कि इतिहास किसी को माफ नहीं करता है, क्योंकि केजरीवाल क्या कर रहें हैं रवीसकुमार भी बढ़िया से वाकिफ हैं।

हंगामा खड़ा करना मकसद है शायद #केजरीवाल का और वो अच्छी तरीके से जानते हैं कि दिल्ली मामले का कोई संवैधानिक समाधान नहीं है, क्योंकि दिल्ली की मौजूदा राजनैतिक दशा में यह संभव ही नहीं है?

सभी जानते हैं कि दिल्ली एक केंद्र प्रशासित राज्य है और अन्य केंद्र प्रशासित राज्यों की तरह उप-राज्यपाल ही उसका एकमात्र प्रशासक व सर्वेसर्वा होता है।

केजरीवाल से बस गलती यह हो गई है कि वे दिल्ली को अन्य राज्यों से तुलना कर रहें है और एक अड़ियल घोड़े जैसा रवैया अपनाये हुए हैं!

केजरीवाल से एक ही नहीं, दो गलती हुई है? दूसरी गलती है दिल्ली से चुनाव लड़ना? केजरीवाल अगर हरियाणा में चुनाव लड़ते और जीतते तो शायद उनकी राजनीतिक और प्रशासनिक अक्षमता छुपी रह जाती।

ठीक वैसे, जैसे उत्तर प्रदेश में #अखिलेशयादव पुत्तर प्रदेश चला रहें हैं और #उत्तरप्रदेश का हाल और हालात कैसा है किसी से छिपा नहीं है।

#Kezriwal #AAP #UPGovernment #AkhileshYadav #DelhiGovernment

हां, हम भगत हैं मोदी के, दोबारा मत पूछना?

आप मुझे अंध-भगत कहते हो हमें सच में बुरा नहीं लगता, बल्कि अच्छा ही लगता है कि हम ऐसे आदमी के भगत हैं जिसे सिर्फ विकास और विश्वास की भाषा समझ आती है।

चूंकि आप हमें भगत कहते हो तो हम आपसे भी पूछना चाहते हैं कि आखिर आप किसके भगत हो?

क्या उस सोनिया के जो भारत में इतने साल रहने के बावजूद भी हिंदी बोलना नहीं सीख पाई?

या उस घोंचू के जो एक लाइन लिखने के लिए फ़ोन से नक़ल मारता है?

क्या आप 65 साल तक मानसिक गुलाम और घोटालेबाज पार्टी के भगत थे?

अगर आपको आज हर चीज तबाह नजर आती है, तो क्या आप ये कहना चाहते हो कि 11 महीने पहले तक सब ठीक था?

जैसे नालिओं में गंदे पानी की जगह दूध बहता था ? या अपराध दर शून्य थी ?

या बबूल के पेड पर आम उगते थे? या अमेरिका हमारे पैर पकड़ता था?

या महिला उत्पीडन दर 0% थी? या साक्षरता दर 100% थी ? या कोई किसान आत्महत्या नहीं करता था?

अगर आप इस सरकार को सूट बूट वाली सरकार कहते हो तो आप क्या कहना चाहते हो कि इसके पहले के नेता घटिया और चवन्नी छाप कपडे पहनते थे? या सिर्फ पत्ते लपेटकर ही काम चला लेते थे?

या आप कहना चाहते हो कि देश का प्रधानमन्त्री कोई भोंदू टाइप आदमी होना चाहिए?

आप मोदी की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाते हो? क्या कभी अपने घर का बजट संतुलित कर पाए हो?

आप हर खाते में 15 लाख की बात करते हो क्या कभी 15 लाख रूपये इकट्ठे देखे हैं?

आप बार-बार विदेश दौरे पर सवाल उठाते हो तो क्या आपको सच में विदेश नीति और सामरिक नीति का ज्ञान है?  

आप वही हैं जो 30 साल तक सबसे करीबी श्रीलंका नहीं गए।

 जरुरत के समय आपने नेपाल को पेट्रोल देने से मना कर दिया जिससे उसे चीन के पास जाना पड़ा और उसकी हर बात माननी पड़ी।

जो कनाडा हमें urenium देना चाहता था आप 45 साल तक उस कनाडा तक नहीं जा पाए।

कभी सोचा है आपने कि आपके कितने पड़ोसियो के साथ अच्छे सम्बन्ध हैं या वो आपका मुहं देखना भी पसंद करते हैं या नहीं?

हां, हम भगत हैं ऐसे नेता के जिसके एक साल के राज में आंखें तरस गई किसी घोटाले की खबर पढने को।

हां, हम भगत हैं ऐसे नेता के जो अपने परिवार के लिए नहीं बल्कि देश के लिए रोजाना 20 घंटे काम करता है।

हां, हम भगत हैं ऐसे नेता के जो नवरात्रि के उपवास में भी देश के बाहर रहकर देश का भला करना चाहता है।

हां, हम भगत हैं एक ईमानदार प्रधान सेवक के।  दोबारा मत पूछना?

बुधवार, 20 मई 2015

दिल्ली की जनता आती है, भागो केजरीवाल!

केजरीवाल, " सब मिले हैं जी, हमें काम नहीं करने दे रहें हैं जी? दिल्ली वालों मैं इस्तीफा देता हूं और दिल्ली की जनता पूर्ण बहुमत देगी तब काम करूंगा" (2013)

केजरीवाल, " जी सब मिलकर हमारी सरकार को काम नहीं करने दे रहें हैं" (2015)

सच्चाई यह है कि केजरीवाल केंद्र प्रशासित दिल्ली के मुख्यमंत्री की औकात से अधिक वादे दिल्ली की जनता से कर बैठे हैं और पूरे नहीं कर पाने के डर से घबड़ाये हुए हैं कि जनता जब कॉलर पकड़ेगी वे क्या करेंगे?

यही कारण है कि केजरीवाल भूमिका तैयार कर रहें हैं और अधिकार क्षेत्र से बाहर कूद कर उप-राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद से खेल रहें हैं!

केजरीवाल एक बार फिर पिछले 49 दिनों की सरकार की तरह आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति की मंचन का मंच तैयार कर रहें हैं, लेकिन क्या दिल्ली की जनता आंख और कान में तेल डाल कर बैठी रहेगी?

केजरीवाल की चाल-चरित्र और हरकतों से दिल्ली की जनता पहले ही वाकिफ हो चुकी है, जहां उसने पार्टी के संस्थापक सदस्यों को धक्के मारकर बाहर कर दिया!

आलम यह है कि केजरीवाल की तानाशाही भाषा-शैली और गाली-गलौज से तंग होकर हरियाणा और महाराष्ट्र यूनिट ने इस्तीफा पहले दे दिया!

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #LG #BJP

लगता है टेलीब्रांड का नंबर डॉयल कर फंस गई है दिल्ली!

आम आदमी पार्टी कहती थी कि वह उम्मीदवारों के चयन से पहले उनकी धुलाई ट्रिपल एक्शन लेयर वाले हाई ड्युटी वाशिंग मशीन में करती थी?

लेकिन जिस तरह से फर्जी डिग्री विधायक सामने आ रहें हैं उससे तो लगता है कि पार्टी ने पैसा सिर्फ ब्रांड पर खर्च किया है, प्रोडक्ट पर नही?

भला हो दिल्ली वालों का, जिन्होंने टेलीब्रांड का नंबर डॉयल करके अपना घर लुटा दिया, क्योंकि असली प्रोडक्ट तो अब सामने आ रहें हैं!

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #Forgery #fraudDegree

मंगलवार, 19 मई 2015

लौट के केजरीवाल और सिसोदिया घर को आये!

विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि एलजी की शिकायत करने राष्ट्रपति भवन पहुंचे मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री
डांटकर भगाये गये!

पिछले 5 दिनों से प्रमुख सचिव के पद पर शकुंतला गैंबलिन की नियुक्ति का विरोध कर रहे केजरीवाल और सिसोदिया को एलजी के आगे झुकना पड़ा और शकुंतला को बतौर प्रमुख सचिव मानने को राजी होना पड़ा !

इसे ही कहते हैं लौट के बुद्धु घर को आये और फिर भी आप के प्रवक्ता टीवी पर अभी भी प्रवचन दे रहें हैं!

#AAP #Kezriwal #Sisodia #DelhiCM #Controversy 

जो कांग्रेस के लिए खतरा है, उससे बीजेपी क्या बदला लेगी?

राहुल गांधी कह रहें हैं कि बीजेपी ने उनसे बदला लेने के लिए अमेठी फूड पार्क बंद कर दिया है?

सवाल यह है कि जिसे कांग्रेस पार्टी में खुद बहुसंख्यक कांग्रेसी नेता राहुल गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बनाने को लेकर तैयार नहीं है, उससे भला बीजेपी को क्या खतरा हो सकता है?

सच्चाई यह है कि फूड पार्क के नाम पर राहुल गांधी अमेठी के भोले-भाले लोगों के बीच झूठ की खेती कर रहें हैं!

जबकि वर्ष 2013 में ही कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित फूड पार्क से बिजनेसमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने हाथ खींच लिए थे !

राहुल गांधी पर एक सफेद झूठ फैलाने के लिए मीडिया में जमकर धुलाई हुई और राहुल गांधी के बचाव में कई कांग्रेसी नेताओं की भी जमकर फजीहत हुई!

राहुल गांधी को ऐसे ही पप्पू नहीं कहा जाता है! करने को कुछ है नहीं, इसलिए राहुल गांधी झूठ फैलाये रहें हैं, क्योंकि झूठ के सिर पैर नहीं होते है?

#RahulGandhi #Pappu #Congress #FoodPark #Amethi #False

केजरीवाल दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बना है या प्रधानमंत्री?

जब दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले केजरीवाल को मालूम था कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल नहीं है बल्कि एक केंद्र प्रशासित राज्य है, जहां उप-राज्यपाल को विशेषाधिकार हासिल है?

फिर केजरीवाल क्यों नाहक नौटंकी करके जनता और देश के पैसे का नुकसान कर रहें हैं?

केजरीवाल किसको बेवकूफ बना रहें है ? दिल्ली की जनता को या उन युवाओं को, जिन्होंने उनसे थोड़ी बहुत उम्मीद रखी थी!

खुद को आम आदमी घोषित करके मुख्यमंत्री बन बैठे केजरीवाल अब देश के संविधान से खेल रहें हैं और तानाशाह जैसे व्यवहार करने की कोशिश कर रहें हैं!

केजरीवाल की निंरकुशता देखकर डर लगता है कि कहीं पूर्ण राज्य दर्जा प्राप्त राज्य केजरीवाल का अनुकरण करने लगीं तो संघ-राज्य के संवैधानिक ढांचे को ही खतरा पैदा हो जायेगा?

राष्ट्रपति महोदय को केजरीवाल के निरंकुश व्यवहार पर फटकार लगानी चाहिए, हो सके तो बर्खास्त कर दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए!

केजरीवाल की हरकतों से लोकतांत्रिक मूल्यों को बहुत आघात पहुंच चुका है और उसके गंदेे आरोपों-प्रत्यारोपों की राजनीति से देश की राजनीतिक शुचिता पर बड़ा आघात पहुंच चुका है!

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #PresidentRule

राहुल बाबा, अब लॉलीपॉप का मतलब समझने लगे हैं किसान!

राहुल गांधी की नौटंकी लोग पहले भी देख चुके हैं, इसलिए कोई किसानों से उनके मिलने और तुरंत बाद प्रधानमंत्री को कोसने को लोग गंभीरता से नहीं ले रहें हैं?

जनता राहुल गांधी के ऐसे कई बार देख चुकी है और शहजादे जहां एक बार गये, वहां दोबारा कभी नहीं लौटे? कलावती तो बेचारी पुकारते-पुकारते थक गई!

मुझे तो राहुल गांधी के प्रायोजित कार्यक्रम 'किसान मिलन समारोह' के प्रोड्युसरों और डायरेक्टरों पर अधिक तरस आता है?

क्योंकि अगर राहुल गांधी किसान मिलन समारोह की नौटंकी को बाद बगैर बीजेपी व प्रधानमंत्री को गाली दिये निकल आते जो ज्यादा माइलेज मिलता और सहानुभूति भी मिलती मगर....

राहुल गांधी और उनके डायरेक्टर औक मेंटर यह भूल गये हैं कि किसान अब वो किसान नहीं रहे जो सेंटीमेंट और गांधी परिवार के नाम पर वोट किया करते थे?

 क्योंकि अब किसानी में भी नये जनरेशन के किसान आ चुकी है, जो लॉलीपॉप का मतलब समझने लगे हैं? तो कुछ और दिखाओ-और दिखाओ?

#RahulGandhi #Congress #GandhiFamily
#Modi #Farmers #Amethi

सोमवार, 18 मई 2015

लोकतंत्र में निरंकुश शासक बने फिर रहें हैं केजरीवाल!

दिल्ली में तथाकथित आम आदमी की सरकार चलाने की बात कहने वाले केजरीवाल अब एक निरंकुश शासक की तरह व्यवहार कर रहें है!

70 वादों को पूरा करने की बात को पीछे छोड़ केजरीवाल पॉवर शिफ्टिंग का खेल रहें हैं और उप राज्यपाल से नूराकुश्ती कर रहें है!

केजरीवाल सरकार से अच्छी तो वे सरकार हैं जो बगैर उछल-कूद के काम रहीं है, काम न करने के लिए बहाने तो नहीं ढूंढ रही हैं?

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #LG #NazibJung

केजरीवाल ने क्या डपोरशंखों वाली बात कही है?

"मेरी बेटी रिश्वत देने गई, लेकिन अधिकारी ने रिश्वत नहीं लिया! दिल्ली में भ्रष्टाचार खत्म हो गया है जी, हैं जी?      
                                                                -अरविंद केजरीवाल

केजरीवाल मियां! तुम्हारी क्या? किसी की भी बेटी रिश्वत देने जाती तो अधिकारी रिश्वत नहीं लेता, क्योंकि रिश्वत अधिकारी नहीं लेता है?

और मुख्यमंत्री की बेटी से रिश्वत कौन गधा अधिकारी लेता है, किसको मूर्ख बना रहे हो केजरीवाल?

खैर..मूर्खों ने ही तुम्हें दिल्ली पर बिठाया है, उन्होंने जरूर ताली पीटी होगी और अब सिर भी पीट रहे होंगे!

#Kezriwal #AAP #DelhiCM

दिल्लीवालों ने बंदर के हाथ में उस्तरा दे दिया है!

दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने सभी लोकतांत्रिक मूल्यों को ताख पर रख कर पड़ोसी की लड़ाई जैसा रुख अपना लिया है?

सुना है केजरीवाल ने प्रधान सचिव (सर्विसेज) अनिंदो मजूमदार के दफ्तर में ताला लटका दिया है!

यह तो ठीक वैसे है जैसे घर की चौहद्दी के परनाले की  लडाई के बाद नाली जाम कर दी गई हो कि न तुम्हारे घर पानी बहेगा न मेरे घर का?

राष्ट्रपति जी अब आप ही बीच में आओ और संज्ञान लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या करने वाले केजरीवाल से दिल्ली को मुक्त कराओ वरना पता नहीं क्या-क्या देखने पड़ेंगे इस देश को?

ऐसा लगता है जैसे बंदर के हाथ में उस्तरा दे दिया है दिल्लीवालों ने! वो कहते हैं न कि समझदार से नहीं, ज्यादा खतरा डेढ़ समझदार से होता है और फिर केजरीवाल को तो सभी जान ही गये हैं? आमीन!

#Kezriwal #AAP #DelhiCM

रविवार, 17 मई 2015

डोरेमोन को छोड़, अब किसानों से खेल रहें हैं शहजादे!

पिछले 10 वर्षों का ही हिसाब लगाये तो पता चलेगा कि शहजादे राहुल गांधी काम नहीं, छुट्टियों में अधिक रहें है!

और बैंकाक से 56 दिनों की छुट्टियों से लौटे शहजादे को ऐसी कौन सी एनर्जी ड्रिंक का इंफेक्शन हो गया कि डोरेमोन को छोड़ अब वे किसान-किसान खेलने लगे है?

ईश्वर भला करें किसानों का, किसान नहीं जानते कि शहजादे खेल रहें है और खेल खत्म होते ही शहजादे निकल लेंगे!

पेट्रोल-डीजल मूल्यों में वृद्धि पर हाय तौबा क्यों?

घर का बजट बिगड़ जाये तो उसको सुधारने में सालों गुजर जाते हैं और बजट को सुधारने के लिए कड़े फैसले भी लेने पड़ते है, क्योंकि कोई भी दुकानदार हमारे बिगड़े बजट को सुधारने के लिए अपना सामान कम दामों पर नहीं बेचता?

देश का बजट भी ऐसे ही है, जब देश की अर्थ-व्यवस्था बिगड़ी हो, राजकोषीय घाटा अधिक हो तो देश का बजट सुधारने के लिए आश्यकतानुसार कड़े फैसले लेने ही पड़ते हैं!

पेट्रोल और डीजल के रेट जब अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कम हुए तो पेट्रोल-डीजल के रेट नीचे चले गये, लेकिन जब बढ़ रहें हैं तो बढ़ाये जा रहें हैं! इसमें हाय तौबा कैसा?

वैसे भी भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें सरकार की नियंत्रण से बाहर हैं और तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के रेट घटाते बढ़ाते हैं?

हां, सरकार तेल कंपनियों का बढ़े मूल्यों का घाटा देकर पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर रख सकती है, लेकिन इससे देश पर ही भार बढ़ेगा और बजट हमेशा बिगड़ा ही रहेगा और बजट और अर्थ-व्यवस्था कभी नहीं सुधरेगा?

ठीक वैसे, जैसे हम घर का बजट सुधारने के लिए लग्जरी चीजों पर पैसा खर्च करना बंद कर देते है! कोई एक घर ऐसा नहीं मिलेगा जो लग्जरी जरूलतों को पूरा करने के लिए लोन लेगा और खुश रह पायेगा?

तो देशवासियों दिमाग लगाओ और दुष्प्रचार में नाक-कान देना बंद करो! देश बचेगा तभी घर बचेगा और अगर घर का बजट सुधार सकते हो तो देश का बजट सुधारने में अपना योगदान करो?
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अराजक केजरीवाल संविधान से खेलने को मजबूर हैं !

भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे अराजक मुख्यमंत्री का नाम लिया जायेगा तो वह अरविंद केजरीवाल होगा!

कार्यवाहक मुख्य सचिव के पद पर शकुंतला गैंबलिन की आंशिक नियुक्ति के डर से केजरीवाल इतनी खौफजदा है कि एडवाईजरी जारी कर दिया है जबकि यह नियुक्ति महज 10 दिन की है?

केजरीवाल से दिल्ली की जनता ने ईमानदारी की उम्मीद में वोट किया था, लेकिन केजरीवाल पर्दे के पीछे के अपने कुकर्म को छिपाने के लिए कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति रोक रहा है ताकि उसकी पोल न खुल जाये?

सभी जानते हैं कि केजरीवाल जब से दिल्ली का मुख्यमंत्री बना है तब से मीडिया से दूरी बनाकर बैठा है और अपने मनमाने कार्यों में बाधक उन सभी को किनारे लगा रहा है ताकि उसकी अक्षमताएं छुपी रह सके?

केजरीवाल की स्थिति ऐसी हो गई है कि जो निवाला उसने मुंह में ले रखा है, उसको न उगलते बन रहा है और न खाते बन रहा है!

क्योंकि मुख्यमंत्री तो दिल्ली की जनता ने बना दिया है, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद अराजक पसंद केजरीवाल अब पद की गरिमा और उत्तरदायित्य को निभाने में खुद को असमर्थ पा रहा है!

शायद यही कारण है कि केजरीवाल केंद्र प्रशासित राज्य दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग के संवैधानिक अधिकारों को न केवल चुनौती दे रहा है बल्कि संविधान की अवमानना करने से नहीं चूक रहा है!

सत्ता के नशे में चूर केजरीवाल को ईश्वर थोड़ी सी बुद्धि दे वरना वह दिन दूर नहीं जब देश के राष्ट्रपति ही नहीं, दिल्ली की जनता भी उसे डंडे से खदेड़ देगी!

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