बुधवार, 10 जून 2015

4 दिन पुलिस रिमांड के बाद मंत्रीजी को याद आई नैतिकता?

पिछले 4 महीने तक दिल्ली के कानून मंत्री #जीतेंद्रसिंहतोमर को #नैतिकता की याद नहीं आई और आज जब दिल्ली पुलिस ने पकड़कर गिरफ्तारी कर ली और कोर्ट ने सुबूतों के आधार पर पुलिस रिमांड पर 4 दिनों के लिए भेज दिया तो नैतिकता याद आ गई?

क्या यही है केजरीवाल एंड पार्टी की राजनीतिक शुचिता और नैतिकता, जिसकी दुहाई देकर दिल्ली की जनता को मूर्ख बनाया था?

हद है मक्कारी की। जीतेंद्र सिंह तोमर की गिरफ्तारी के बाद #सिसोदिया से लेकर #संजयसिंह, #कुमारविश्वास, #अलकालांबा, #कपिलशर्मा और #आशुतोष ने कैसे राजनीतिक बयानबाजी की, लेकिन उनके सारे झूठे बयान तब उड़नछू हो गये जब कोर्ट ने जीतेंद्र सिंह तोमर को उनकी असली जगह पहुंचा दी।

काश! #केजरीवाल एंड पार्टी को पहले ही नैतिकता की याद आ जाती तो उनकी और दिल्ली की जनता की ऐसी फजीहत नहीं होती। खैर, केजरीवाल की कुत्सित मानसिकता और राजनीति दोनों से पर्दा उठ चुका है और समझ गई है कि केजरीवाल किस खेत के मूली हैं?

#Kezriwal #AAP #JitendraTomer #DelhiLawMinister #Morality #Resign

मंगलवार, 9 जून 2015

Mr.Ashutosh, Really I just see you amazed!

How change this man? Once he was grilling other party in ground of moral responsibility for resign and today he was defending fraud of his party member?

Is politics really change person's morality? If yes, then journalist shouldn't be join politics.

See how politics changed Ashutosh Ashu, who once has dignity being a journalist and now he has ruined everything whatever respect they earned in his whole career of journalism.

After IBN7 if Ashutosh Ashu not join such worse #APP party or do not enter in politics yet they got much respect & earn money but today #Ashutosh lost everything?

भ्रष्ट नेताओं के साथ खड़ी है केजरीवाल सरकार!

केजरीवाल एंड पार्टी का कहना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ पार्टी का काम चालू रहेगा? बस इतना स्पष्ट कर दें कि भ्रष्टाचार के खिलाफ या भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए काम चालू रहेगा?

क्योंकि भगौड़े घोषित विधायक #जनरैलसिंह, शराब की 5,000 से अधिक पेटियों के साथ पकड़े गये विधायक #बालियान, सीसीटीवी कैमरा और स्ट्रीट लाइट घोटाले से घिरी #राखीबिड़लान, फर्जी डिग्री धारी विधायक #कमांडो, महिला चरित्र हनन आरोपी #कुमारविश्वास और एक #राजस्थानीकिसान को सरेआम फांसी चढ़ा देने में मुख्यमंत्री केजरीवाल, उप-मुख्यमंत्री #सिसोदिया समेत पूरी आम आदमी पार्टी आरोपी है।

किसको मूर्ख बना रही है केजरीवाल एंड पार्टी? हर बार प्रत़्येक मुद्दे को मोदी, केंद्र और बीजेपी से जोड़ देने और खुद को पीड़ित दिखाने से केजरीवाल के पाप और अक्षमता नहीं छिपाई जा सकती है।

भाई, तुम्हारे तथाकथित कानून मंत्री (जिसकी डिग्री नकली हो) जीतेंद्र सिंह तोमर दूध के धुले हैं तो हर बार आंतरिक जांच की दुहाई देने वाले केजरीवाल क्या पिछले 4 महीने से झक मार रहे थे?

क्यों नहीं कराई #जीतेंद्रसिंहतोमर की डिग्री की अब तक जांच? इतने ही पाक-साफ हैं जीतेंद्र सिंह तोमर तो क्यों नहीं जांच होने तक मंत्री पद से हटा दिया?

#केजरीवाल साहब, आपके 4 महीने के ड्रामे से दिल्ली पूरी तरह से थक गई है और अपनी बेचारगी वाली शक्ल से तौबा करिये वरना न हाथ रहेगी दिल्ली और न मूरख बनी रहेगी दिल्ली?

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #FakeDegree #JitendraTomer

सोमवार, 8 जून 2015

आशुतोष को किसने एडीटर इन चीफ बना दिया था?

पूर्व पत्रकार और तथाकथित आम आदमी पार्टी नेता आशुतोष को टीवी चर्चा के दौरान या तो बेहूदगीपूर्ण हंसते हुए देखा जा सकता है या बुग्गा फाड़कर रोते हुए देखा जा सकता है।

आज तो हद हो गई जब बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक टीवी चर्चा में आशुतोष की बुद्धिमत्ता पर सवाल उठा दिए, क्योंकि आशुतोष चर्चा में पूछे गये सवालों के जबाव में मूर्खों की तरह हंसे जा रहे थे।

संबित पात्रा सवालों के जबाव देने के बजाय आशुतोष की हंसी-ठिठोली से परेशान हो गये तो बोले, "आश्चर्य होता है कि आशुतोष को एडीटर इन चीफ किसने बना दिया था?"

आशुतोष को संबित पात्रा की बात ऐसी चुभ गई कि वो आपा खो बैठे और खीझकर सरेआम धमकी से देने लगे?

एक कहावत है, "थोथा चना बाजे घना" आज आशुतोष की हरकतें और खीझ देख भरोसा हो गया कि संबित पात्रा ठीक ही कह रहे थे कि सचमुच किसने आशुतोष को एडीटर इन चीफ बना दिया था?
#Ashutosh #AAP #Kezriwal #LG #Media

शनिवार, 6 जून 2015

फिर पत्रकारिता से चाटुकारिता करने लगती है NDTV इंडिया!

केजरीवाल सरकस के मंचन को ऊर्जा देने के लिए आम आदमी पार्टी के प्रयास का सबसे बेहतर साथ एनडीटीवी इंडिया देती है।

ऐसा लगता है कि एनडीटीवी इंडिया केजरीवाल सरकस का ऑफिशियल चैनल बन गया है, जहां केजरीवाल से उनके अनुकूल सवाल पूछे जाते है और केजरीवाल वहां बैठकर सीना फुलाकर पानी पी-पीकर, भारतीय संविधान, उप-राज्यपाल नजीब जंग और बीजेपी के खिलाफ उछल-कूद करते हैं।

मतलब, केजरीवाल को जब भी तमाशा दिखाने के लिए उछल-कूद करनी होती हैं वे एनडीटीवी इंडिया पहुंच जाते है, जहां उनका स्वागत घर जमाई जैसा किया जाता है।

#Kezriwal #AAP #NdtvIndia #DelhiCM #LG

शुक्रवार, 5 जून 2015

हाशमी की हमारी अधूरी कहानी भी फ्लॉफ होगी?

शिव ओम गुप्ता
बॉलीवुड सीरियल किसर एक्टर इमरान हाशमी की वर्ष 2015 में रिलीज हुई अब तक की कुल 3 फिल्में फ्लॉफ रहीं, इनमें राजा नटवर लाल, उंगुली, मि. एक्स शामिल है!

हाशमी की नई रिलीज को तैयार फिल्म हमारी अधूरी कहानी के भी फ्लॉफ होने की पूरी संभावना है, क्योंकि हमारी अधूरी कहानी की म्युजिक में भी कोई दम नहीं है।

हाशमी की फिल्मों के हिट होने के पीछे उनकी किसिंग अवतार से अधिक उनकी  फिल्मों की गीत-संगीत की हमेशा बेहतरीन भूमिका रही है, जो रिलीज होते ही जुबां पर चढ़ जाते थे, लेकिन उनकी पिछली रिलीज सभी फिल्मों से वो जादुई म्युजिक गायब रही है।

हाशमी को अपनी फिल्मों के प्लस प्वाइंट पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि हमारी अधूरी कहानी में भी कोई भी गाना कर्णप्रिय नहीं है?
#EmranHashmi #HamariAdhuriKahani #Music #SerialKisser 

गुरुवार, 4 जून 2015

पूर्ण राज्य के मुद्दे पर फिर इस्तीफा दे सकते है केजरीवाल?

शिव ओम गुप्ता
रोज रोज यह सोचता हूं आज केजरीवाल के बारे में नहीं लिखूंगा, लेकिन ये केजरीवाल एंड पार्टी इतनी पाजी है कि हाथ की उंगलियां खुद ब खुद चलने लगती हैं।

अफसोस यह है कि अब तक आम आदमी पार्टी की नादानी पर लिखता था कि कच्चे नींबू हैं पर मजबूरन अब उनकी बेवकूफियों पर लिखना पड़ता है।

एक से बढकर एक हरकतें इनकी ऐसी हैं कि हंसी फुदकने लगते हैं और केजरीवाल एंड पार्टी समझती है कि वे जो कर रहें वो किसी के समझ नहीं आ रही है और वे जो प्रेस कांफ्रेंस करके कह देंगे, लोग मान लेंगे और उनकी पिलाई घुट्टी पीकर सो जायेंगे।

ये एक और मुगालते में रहते हैं कि दिल्ली वाले सच्चाई जानन् के लिए केजरीवाल एंड पार्टी की प्रेस कांफ्रेस का इंतजार करते हैं, दिल्ली संतुष्ट हो जाती है। कितनी हास्यास्पद बात है।

तरस आता है इनकी सोच और हरकतों की। मतलब जिनमें गांव की पंचायत नहीं संभाल सकने की औकात और समझ नहीं है वे देश को लोकतंत्र का मतलब समझाने के लिए चुन ली गईं हैं।

मेरा दावा है कि केजरीवाल एंड पार्टी दिल्ली की सत्ता में जब तक रहेगी, वह पूर्ण राज्य मुद्दे की आड़ में कोई काम नहीं करने की बहाना करती रहेगी और दिल्ली की छाती पर मूंग दलती रहेगी? और छाती पर मूंग दलना भी चाहिए, क्योंकि छाती पर दिल्ली वालों ने तो खुद ही बिठाया है?

और इस बात की अधिक संभावना है केजरीवाल एक बार फिर दिल्ली की मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर हो जायेंगे, क्योंकि राजनीतिक अक्षमता और फैसले लेने की कमजोरी केजरीवाल को नैतिक अधिकार नहीं देगी कि वे बिना वादों को पूरा किये मुख्यमंत्री पद पर बने रहें ।

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #Statehood #ProtestPolitics 

दिल्ली का मशहूर केजरीवाल सरकस, एक बार फिर

शिव ओम गुप्ता
अब भाई साहब, दिल्ली को पूर्ण राज्य दिलाने के नाम पर रोजाना धरना और नौटंकी शुरू करेंगे। तो दिल्ली वालों केजरीवाल के 70 वादों को भूल जाइये और धरना प्रदर्शन का मजा लेने को तैयार हो जाइये?

वही माइक, वही टोपी, वही झांडू, वही झंडा और वही तमाशा 24x7 चालू होने वाला है। तो भाई, बंधु और लल्ला कमर कस लें, क्योंकि दिल्ली में एक बार आ रहा है केजरीवाल सरकस!

तो काम-धंधा छोड़कर आप सभी लोग तैयार रहें, क्योंकि सरकस की बुकिंग शुरू हो गई है, अपनी बुकिंग के लिए मिस्ड कॉल करें!

और अधिक जानकारी के लिए अपना हाथ पीछे ले जायें और अपना सिर खुजाने की कोशिश करें। हो सकता है याद आ जाये कि कहां गलती हो गई?

#Kezriwal #AAP #Drama #DelhiCM #Fullstate #ProtestAtRoad 

बुधवार, 3 जून 2015

केजरीवाल बोले, 'पार्टी यूं ही चलेगी?'

शिव ओम गुप्ता
केजरीवाल को केंद्र सरकार पर भरोसा नहीं है, उप-राज्यपाल पर भरोसा नहीं, भारतीय संविधान पर भरोसा नहीं, चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं, और मीडिया पर भी भरोसा नहीं है?

और कल को अगर दिल्ली की जनता पीछे पड़ गई तो कोई शक नहीं कि केजरीवाल दिल्ली की जनता पर भरोसा नहीं होने की बात कह सकते है ?

केजरीवाल, "देखोजी ये वो दिल्ली की जनता नहीं है जी, जिन्होंने हमें वोट किया था! अब मुझे इन पर भरोसा नहीं रहा? हमारी सरकार इमरजेंसी सत्र बुलायेगी और दूसरे प्रदेशों से दिल्ली में रह रहें लोगों दिल्ली से बाहर भेजने का प्रस्ताव लायेगी, हैं जी?

केजरीवाल किन शर्तों पर काम कर सकते हैं -

केजरीवाल को दिल्ली पुलिस भी चाहिए?
उप-राज्यपाल (LG) का पद भी चाहिए?
प्रधानमंत्री का पद भी चाहिए?
खुद का हाईकोर्ट चाहिए?
खुद का सप्रीम कोर्ट चाहिए?
मीडिया पर नियंत्रण का रिमोट भी चाहिए
हरियाणा से पानी भी फ्री चाहिए?
केंद्र से 10000 करोड़ भी चाहिए?
विदेशो से चंदा भी चाहिए?
और...केजरीवाल के खिलाफ बोलने वाले हर आदमी का इस्तीफा भी चाहिए?

फिलहाल इसके बाद ही आप केजरीवाल से दिल्ली के लिए कोई काम काज की उम्मीद कर सकते हैं! वरना...पार्टी यूं ही चलेगी? 

केजरीवाल की ईमानदार राजनीति के बाद अब ईमानदार पत्रकारिता?

इंडिया संवाद नामक तथाकथित ईमानदार पोर्टल चलाने का दावा करने वाले महानुभाव दीपक शर्मा की कहानियां पत्रकारिता से अधिक गाली देकर कुख्यात होने की मुहिम प्रतीत होती है।

पिछले 10 वर्षों की छोटी अवधि की पत्रकारिता में ऐसी ओछी और एकतरफा रिपोर्टिंग मैंने नहीं देखी। यह मेरा दुर्भाग्य हो सकता है, लेकिन तुर्रा यह कि यह सब ईमानदार पत्रकारिता का ठप्पा लगाकर किया जा रहा है।

भला हो केजरीवाल का? कि उन्होंने ईमानदारी की नई परिभाषा गढ़ दी है वरना ऐसी ईमानदार पत्रकारिता को शायद ही कोई मुंह लगाता?

राजनीति और केजरीवाल की ईमानदार राजनीति, पत्रकारिता और दीपक शर्मा की ईमानदार पत्रकारिता सुनकर कल्लू एंड संस की मिठाई की दुकान और असली वाली कल्लू एंड संस की मिठाई की दुकान की याद हो आती है। नक्कलों से सावधान?

लगे रहो भाई! दुकान कैसे भी चलनी चाहिए। फॉलोअर भी मिलेंगे और मिठाई बिकेगी? क्योंकि दुनिया में मूर्खों की तादात हमेशा ही ज्यादा रही है।

#IndiaSamvad #Honest #Journalism #DeepakSharma 

मंगलवार, 2 जून 2015

भ्रष्टाचार मुक्त हुआ बिहार? अब दिल्ली दूर नहीं!

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो खुद बिहार में व्याप्त महा भ्रष्टाचार से जूझ रहें हैं और जिन्होंने निजी खुन्नश में बिहार में राजनीतिक संकट खड़ा कर गया था, वे अब केजरीवाल के तारणहार बनकर उभरे हों, तो सुनकर हंसी ही आयेगी।

 ये तो वहीं बात हुई कि बीमार के इलाज के लिए घरवाले पड़ोस के एम्स को छोड़कर गांव के झोलाछाप डाक्टर के पास इलाज के लिए चला जाये!

सबको मालूम है नीतीश कुमार की सियासी सूझ-बूझ का मखौल पिछले 6 महीने में जमकर उड़ चुका है, अब अपना केजरू उन्हीं नीतीश कुमार की गोद में बैठकर सियासत करने निकला है, दिल्ली का तो अब भगवान ही मालिक है।

सुना है केजरू ने दिल्ली एसीबी के लिए 6 अफसर बिहार से लेकर आये है और सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट को दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ाते हुये एक बार फिर उप-राज्यपाल नजीब जंग को बाइ पास कर दिया।

क्या केजरीवाल दिल्ली की जनता को ऐसे ही झगड़ों में उलझाये रखना चाहते है या कुछ काम भी करेगा? एक बवाल खत्म नहीं दूसरा बवाल शुरू कर देता है, जिसका दिल्ली की जनता से कोई भी वास्ता नहीं?

दिल्ली पानी और बिजली की समस्या से जूझ रही है और पूरी दिल्ली में जगह-जगह धरना-प्रदर्शन कर रही है, लेकिम केजरीवाल अहंकार की लड़ाई में ऐसे अंधे हो गये हैं कि उन्हें उस जनता की आवाज नहीं सुनाई पड़ रही है, जिन्होंने उन्हें 67 सीट जितवा कर दिल्ली में खड़े होने के लिए 5 वर्ष को वैशाखी सौंपी है।

लगता है केजरीवाल नीतीश कुमार को अपना राजनीतिक गुरू बना चुका है और उनके पदचिह्नों पर चलने लगा है। साफ है नीतीश कुमार ने बिहार के जनादेश को भुलाकर महज केंद्र से अह्म के टकराव के लिए मुख्यमंत्री पद छोड़कर बिहार को मांझी को जरिये कठपुतली सरकार चलानी चाही, वो अलग बात है कि नीतीश का दांव उल्टा पड़ गया!

और गुरू के चेले केजरीवाल भी अब दिल्ली के विशाल जनादेश को भुलाकर महज अपने अहंकार की पूर्ति के लिए केंद्र सरकार से टकराव के लिए नये-नये तिकड़म के साथ उलझ रहें हैं।

नीतीश और केजरीवाल में एक और बात कॉमन है। नीतीश भी प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं और केजरीवाल भी ऐसी उधेड़बुन में हैं। प्रधानमंत्री पद के लालच में नीतीश ने जहां एनडीए के 18 वर्ष पुराने गठबंधन को लात मार दिया था? वहीं, केजरीवाल भी प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री की कुर्सी को लात मार कर चुके है।

वो बात अलग है नीतीश और केजरीवाल दोनों को बाद में धूल फांकनी पड़ी और दोनों बुद्धु लौट कर अपने घर को आ गये, लेकिन लगता है दोनों को अक्ल अभी तक नहीं आई।

अब जब दो कम अक्ल व्यक्ति गुरू-चेले बन गये हैं तो क्या करिश्मा होगा, वह तो दिल्ली की जनता दुर्भाग्य ही होगा!

#Kezriwal #AAP #NitishKumar #BiharCM #DelhiCM #LG #NajeebJung 

सोमवार, 1 जून 2015

पिटते-पिटते बचे #आजतक के एंकर अशोक सिंघल!

आज तक चैनल पर प्रसारित हो रहे एक लाइव कार्यक्रम 'स्मृति की परीक्षा' में प्रोग्राम के एंकर अशोक सिंघल को दर्शकों ने उस वक्त घेर लिया जब उन्होंने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री से एक वाहियात सवाल पूछ लिया और फिर तो सिंघल साहब की जान पर बन आई और शो को बंद करना पड़ा!

सिंघल का सवाल नि:संदेह वाहियात था। उन्होंने स्मृति ईरानी से पूछा, " मोदी जी ने एक ऐसी कम पढ़ी-लिखी और कम उम्र महिला में क्या देखा कि उसे केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री बना दिया?"

प्रोग्राम के शोर में जब मंत्री ने दर्शकों के सामने सिंघल के प्रश्नों को दोहराया तो बवाल मच गया और दर्शक जोर-जोर से हल्ला मचाते हुए एंकर अशोक सिंघल की कुर्सी तक पहुंच गये और सिंघल से माफी मांगने की अपील करने लगे।

दर्शकों के हाथों सिंघल शायद पिट भी जाते, लेकिन खुद #स्मृतिईरानी ने अपनी कुर्सी से उठकर सिंघल का बचाव किया और दर्शकों को समझा-बुझाकर वापस भेजा।

थोड़ी देर बाद जब प्रोग्राम फिर ऑन एअर हुआ तो ईरानी ने एंकर अशोक सिंघल से पूछा कि किया वे ऐसे सवाल किसी पुरुष से पूछते क्या?

सिंघल साहब पसीना-पसीना थे। सफाई देते सिंघल साहब खैर मना रहे थे कि आज वे लाइव प्रोग्राम में पिटते-पिटते बच गये।

टीवी पर बैठे पत्रकारों को पता नहीं क्यों गुमान हो गया है कि वे किसी से, कैसी भी भाषा में सवाल पूछ सकते हैं? यह निहायत ही टीवी पत्रकारिता का पतन है।

महिला सुरक्षा और मर्यादा की दिनभर दुहाई देने वाले चैनल के पत्रकार भूल जाते हैं कि पत्रकारिता ही नहीं, भाषा की भी मर्यादा होती हैं, जिसे दरकिनार करके पत्रकारिता नहीं की जी सकती है।

आजतक के उपरोक्त प्रोग्राम में एक और तथाकथित दबंग पत्रकार अंजना ओम कश्यप भी एंकरिंग कर रहीं थी, जो भीड़ को मंच पर आता देख प्रोग्राम छोड़कर भाग खड़ी हुईं।

आपको याद हो शायद? ये नही अंजना ओम कश्यप हैं, जो ऐसे ही टीवी पर एक चर्चा के दौरान एक नेता को उसकी औकात बताने लगी थीं, जिसकी खूब भर्त्सना भी हुई, लेकिन आज अशोक सिंघल उनसे भी दो कदम आगे चले गये।
#AAJTAK #SmritiIrani #Media #Live #WomenDiscrimination 

खबरों को केक बना कर परोसते है हिंदी न्यूज चैनल्स

हिंदी के कुछ चुनिंदा टीवी न्यूज चैनलों पर न्यूज देखना और खुद को मूर्ख बना लेने जैसा साबित होता है।

अभी सुबह इन्हीं हिंदी न्यूज चैनल पर देखा कि एंकर पढ़ रहे थे कि पाकिस्तान के जेलों में कथित यातना झेलने से मौत के गाल में समाये शहीद सौरभ कालिया का मामला केंद्र सरकार अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट नहीं ले जायेगी?

एंकर बस यही इतना कह कर ही चुप हो गये? अबे अब ये कौन बतायेगा कि क्यों केंद्र सरकार अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट नहीं जा रही है?

क्यों एंकर नहीं बता रहें हैं इसकी वजह साफ है कि अभी सब बता दिया तो प्राइम टाइम पर विंडो बहस किस पर करेंगे? भले ही दर्शक कनफ्यूज होती रहे और उनकी सेंटीमेंट भड़के? ताकि मामला गर्म हो केंद्र सरकार के खिलाफ माहौल बने!

बात सीधी सी है शिमला समझौते के मद्देनजर भारत-पाकिस्तान आपसी मसले अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट नहीं ले जा सकते। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर केंद्र सरकार से उसका रुख मांगा था, क्योंकि मसले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है।

शनिवार, 30 मई 2015

क्योंकि कांग्रेस की कब्र खोद रहें हैं राहुल गांधी!

शिव ओम गुप्ता
तमाम टीवी और प्रिंट मीडिया के सर्वे के आंकड़ों की मानें तो जनता ने मोदी सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल पर संतुष्टि की मुहर ही नहीं लगाई अलबत्ता डिस्टिंक्शन नंबर से पास भी किया है!

लेकिन हार की हताशा के अंधे कुयें में डूब चुके राहुल गांधी एंड पार्टी को भूमि अधिग्रहण विधेयक में ही सत्ता की चाभी दिखाई दे रही है और राज्यसभा में विधेयक पर ऐसे कुंडली मारकर बैठने को मजबूर हैं, जैसे बच्चे गंदगी के बावजूद बरसाती कीचड़ में कूदने से बाज नहीं आते?

कांग्रेसी नेताओं और राहुल गांधी को अच्छी तरह से मालूम है कि पूर्ण बहुमत वाली मोदी सरकार बिना किसी रोक-टोक के पूरे पांच वर्ष सत्ता में रहेगी और कहीं न कहीं देश की जनता भी समझ चुकी है कि राहुल गांधी भूमि अधिग्रहण विधेयक के बहाने अपनी जमीन तलाशने की अंतिम कोशिश कर रहें हैं, लेकिन राहुल गांधी भूल गये हैं कि जनता को जीजा रॉबर्ट वाड्रा के कारनामों की भी पूरी जानकारी है।

पूर्वी उत्तर प्रदेश में एक कहावत है, 'न खेलेंगे और न खेलने देंगे' यानी कांग्रेस ने भले ही किसानों-मजदूरों के लिए कुछ नहीं किया, लेकिन वे मोदी को भी नहीं करने देंगे। राहुल गांधी को समझ लेना चाहिए कि 4 साल बाद वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में जनता यह नहीं भूलेगी कि कांग्रेसी हताशा ने उनका और देश का कितना नुकसान किया।

 कांग्रेस और राहुल गांधी को याद रखना चाहिए कि जनता सब याद रखती है और कांग्रेस को अब यह भी याद रखना चाहिए कि देश के 45 फीसदी युवा वोटर्स अब गांधी परिवार के सम्मोहन में नहीं है, वे अब विकास को वोट देना अधिक पसंद करते हैं।

और अगर कांग्रेस को लगता है कि मोदी सरकार अच्छा काम कर रही है, और उसे गुजरात की तरह अगले 10-15 वर्ष मौका ही नहीं मिलेगा? तो ध्यान रखिये मोदी सरकार के अच्छे नीतियों और कानूून का समर्थन करके ही कांग्रेस जनता के दिल में दोबारा जगह बना सकती है और फिर एंटी इनकंबेसी का इंतजार करना चाहिए।

जी हां, राहुल गांधी को तब तक इंतजार करना चाहिए जब तक मोदी सरकार किसी घोटाले अथवा किसी बड़ी दुर्घटना की शिकार नहीं हो जाती? और तब तक उन्हें अपनी ऊर्जा बर्बाद करनी चाहिए,  फिर शायद देश की जनता भी उनकी बातों पर नाक-कान
देगी, लेकिन अभी जो राहुल गांधी कर रहें हैं इससे वे खुद मोदी की छवि चमका रहें हैं, क्योंकि देश पिछले 10 वर्षों के मनमोहन सरकार और घोटालों से बुरी तरह त्रस्त रही है।

मोदी सरकार के साथ अभी यह बहुत बड़ा एडवांटेज है कि 1 वर्ष के उनके कार्यकाल में कोई भी स्कैम और अनियमितता सामने नहीं आई है, जिसे जनता में उनकी स्वीकार्यता में कोई बदलाव नहीं आया है। रही बात मंहगाई की तो खुदरा और थोक मूल्य सूचकांकों की महंगाई दर में गिरावट आने वाले समय में महंगाई की आंच को कम कर ही देगी और ताजा जारी हुए 7.3 फीसदी की विकास दर ने उम्मीदों को पंख भी दे दिये हैं।

तो राहुल गांधी को चाहिए कि देश के विकास में आड़े आने वाले की छवि से बाहर आये और अपना अड़ियल रवैया छोड़ते हुए भूमि अधिग्रहण समेत उन सभी विधेयकों का समर्थन दें, जिनमें एक महत्वपूर्ण विधेयक जीएसटी बिल भी शामिल है, जिससे देश के भ्रष्टाचार उन्मूलन में काफी योगदान मिलने वाला है। वरना कब्र खोदू अभियान से कांग्रेस के हाथ सिर्फ ताबूत लगने वाला है और कुछ शेष नहीं?

#Congress #RahulGandhi #LandAcquisitionBill #Defeat #Frustration 

बॉस! ये केजरीवाल तो बड़ा सूरमा निकला बाप?

सुना है मियां केजरीवाल ने दिल्ली में रहने वाले सभी लोगों की जासूसी करने और उनके फोन टेप कराने के लिए गुपचुप तरीके से 3 करोड़ रुपये में कोई बड़का मशीन खरीदने का आर्डर दिया है, जिसके जरिये देश के राष्ट्रपति से लेकर नुक्कड़ पर समोसा बेच रहे कलुआ पर भी नजर रखी जा सकेगी।

वाह, क्या क्रांतिकारी कदम है भाई! इसकी तो जितनी भी तारीफ हो सके उतना तारीफ करना चाहिए। भाई तूने तो दिल जीत लिया है।

 केजरूवा ने 100 दिन में इतना बड़ा काम कर दिया है और तुम लोग नाहक बिजली, पानी और वाई-फाई में अटका के रखा था बेचारे को?

बिजली, पानी कौनो मुद्दा है ससुरी? आजादी के बाद से हर कोई लल्लू-पंजू टाइप के नेता बिजली-पानी का जुगाली कर रहा है? कुच्छौ मिला अभी तक किसी को?

बुरबक, तुम लोग नहीं समझ रहे हो? केजरूवा नई तरह की राजनीति कर रहा है। इ जो जासूसी वाला हाईफाई मशीन खरीद रहा है न, अब उ के जरिये केजरूवा दिल्ली के हर घर की बिजली-पानी का आसानी से हिसाब रख सकेगा कि कौन कितना पानी से नहा रहा है और कौन कितना बिजली खपा रहा है।

तभे न बिजली और पानी विभाग में बैठे चोर-डाकू टाइप के अधिकारियों को सस्पेंड और ट्रांसफर कर सकेगा? वरना लोग बुझेगा कि केजरूवा मुख्यमंत्री बन गया और कुछ क्रांतिकारी हुआ ही नहीं?

तो चिंता मत कीजिए अपना केजरूवा बहुतै काबिल है, देखना उ दिन दूर नहीं जब राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री निवास को बिजली-पानी के लिए केजरूवा के सामने गिड़गिड़ाना पड़ेगा?

बूझे की नाहीं? बहुतै मजा आने वाला है। बस इंतजार करो उ बड़का जासूसी मशीन का?

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #Spy #

शुक्रवार, 29 मई 2015

अब तो केजरीवाल को देखते ही हंसी छूट जायेगी!

शिव ओम गुप्ता
पिछले 10 दिनों से दिमाग का दही कर चुके केजरीवाल को आखिरकार अपनी औकात पता चल गई होगी? वरना केजरीवाल के बोल बच्चन और मीडिया कैमरे पर जारी उनके तमाशे ने गजब की छीछालेदर कर रखी थी।

बंदे में गजब का आत्मविश्वास है भाई! खड़े-खड़े ऐसे झूठ और आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति करता है कि अच्छे से अच्छे झूठे बेचारे लगने लगते हैं।

दिल्ली के सेंट्रल पार्क में आयोजित खुला कैबिनेट हो या दिल्ली विधानसभा की इमरजेंसी मीटिंग? बंदे ने ऐसे ऊंचे सुर में झूठ का राग अलापा था कि लगा केंद्र सरकार ने सचमुच लोकतंत्र की हत्या कर दी है।

लेकिन हमेशा की तरह एक बार फिर केजरीवाल झूठा और मदारीवाला साबित हुआ, जिसने हाय-हाय करके भीड़ तो बटोर लिया, लेकिन भीड़ को दिखाने को उसके पास कुछ नहीं!

हमें पूरा भरोसा है केजरीवाल अभी भी शांत नहीं बैठेगा, क्योंकि काम करना ही नहीं है उसे? अब फिर कोई झूठ और आरोप-प्रत्यारोप की स्क्रिप्ट लिखवा रहा होगा?

डर इस बात है कि कहीं केजरीवाल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को भी 'आपस में मिले हुए हैं जी' वाला तमगा न दे मारे?

क्योंकि अदालतों के आज के फैसलों के बाद केजरीवाल केंद्रीय सरकार और उप-राज्यपाल के खिलाफ कुछ नहीं बोल सकता है।

केजरीवाल को अब बिना किसी अतिरिक्त नौटंकी के चुपचाप दिल्ली के लिए ईमानदारी से काम करना चाहिए वरना दिल्ली की जनता अब और नहीं सहने वाली?

मुझे आशंका है कि केजरीवाल चुपचाप बैठेगा? पूरी संभावना है कि केजरीवाल आज और कल दिल्ली के पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का मुद्दा उछालेगा और धरना-प्रदर्शन करने सड़कों पर उछल-कूद करेगा।

तो दिल्लीवालों तैयार रहिये। स्टेज सज चुका है और आपके नायक झांडू हाथ में लिए कभी भी मंच संभाल सकते हैं ।

हांलाकि मैं चाहता हूं कि ईश्वर केजरीवाल को थोड़ी बुद्धि दें और दिल्ली की जनता को उनकी कर्माें की सजा देने में इतनी भी जल्दबाजी न करें।

#Kezriwal #AAP #SupremeCourt #DelhiHighcourt #DelhiCM #LG #NajeebJung 

ताकि फिर कोई केजरीवाल जैसा ठग न मिले!

शिव ओम गुप्ता
अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी दोनों की समस्या यह है दोनों सत्ता का जहर निगल लेना चाहते है, लेकिन अफसोस यह है कि दोनों की बैटरी मीडिया से ही चार्ज होती हैं और कैमरे के बिना दोनों भाव और विचार दोनों से शून्य है।

शायद यही कारण है कि दोनों को अपना राजनीतिक वजूद ढूंढने के लिए मीडिया के कैमरे के सामने मजबूरन आना पड़ता है, लेकिन मीडिया से दूर होते ही इनका राजनीतिक वजूद फिर गायब होने लगता है और फिर वजूद की तलाश में दोनों नये हथकंडों का इस्तेमाल कर मीडिया कैमरे पर प्रकट हो जाते है।

केजरीवाल मीडिया के कैमरों के सामने बनाई कृत्रिम छवि से हीरो बन गये और दिल्ली के मुख्यमंत्री तक बन गये वरना केजरीवाल का वास्तविक चरित्र और चेहरा पिछले 100 दिनों में सभी देख और सुन चुके है और समझ भी गये हैं कि असली केजरीवाल कैमरे के आगे नहीं, पीछे बैठता है।

ठीक यही बात राहुल गांधी के साथ है। राहुल की राजनीतिक वजूद से सभी वाकिफ है, लेकिन कैमरे पर उनकी छवि तराशने के लिए राहुल को मीडिया में मुंह दिखाई के लिए बैंकाक की छुट्टी छोड़ गरीब के घर जाना पड़ता है।

समझ नहीं आता कि हमारे ऊपर ये कैसे आभासी और कैमरे वाले नेता थोपे जा रहें हैं, जिनका वजूद और चरित्र कैमरे पर कुछ और हकीकत में कुछ और ही है।

 मीडिया को अब अपनी भूमिका समझनी होगी, क्योंकि वास्तविक तस्वीर दिखाने का दावा करने वाली मीडिया अब खुद आभासी होती जा रही है।

मीडिया को स्व-नियमन करना होगा और नेताओं की 'कैमरे के आगे और कैमरे के पीछे' दोनों तस्वीरों को जनता को दिखाना होगा ताकि फिर कोई केजरीवाल जैसा बहरुपिया मीडिया की तस्वीर से अपनी तकदीर न बना सके।

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #Media #LG 

बुधवार, 27 मई 2015

केजरीवाल की फेवरेट हॉबी है धरना-प्रदर्शन, दिल्ली जाये तेल लेने!

शिव ओम गुप्ता
दिल्ली की जनता के जनादेश का मखौल उड़ाकर केंद्रीय सरकार से बेवजह पंगा लेना केजरीवाल एंड पार्टी का पसंदीदा शौक लगता है।

70 वादों का बहाना करके दिल्ली की सत्ता का मजे ले रहे केजरीवाल को अब मुख्यमंत्री पद रास नहीं आ रहा है और अब वो अपनी पूरी ऊर्जा प्रधानमंत्री की कुर्सी में लगाते दिख रहें हैं।

वरना दिल्ली को किये 70 वादों को पीछे छोड़ किसान रैली और भूमि अधिग्रहण की राजनीति केजरीवाल क्यों करते? और भी राज्यों में गैर-भाजपा और गैर कांग्रेस सरकार चल रहीं हैं।

इनमें तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, उड़ीसा, बिहार और उत्तर प्रदेश शामिल है, जहां केंद्रीय मुद्दों पर धरने-प्रदर्शन नहीं हुए, लेकिन केजरीवाल दिल्ली को छोड़ इधर-उधर की बातों में ज्यादा रुचि दिखा रहें हैं।

क्या कारण है कि दिल्ली प्रदेश को केजरीवाल घर की मुर्गी समझने लगे है? क्या इसलिए नहीं कि वे अब प्रधानमंत्री पद का सपना देख रहें है?

दिल्ली की समस्याओं और चुनाव पूर्व किये गये वादों को पीछे छोड़कर केजरीवाल अनावश्यक मुद्दों को इसलिए तूल दे रहें हैं ताकि वे उनके झूठे वादों से दिल्लीवालों का दिमाग भटका सकें।

दिल्ली उप-राज्यपाल नजीब जंग से पंगा हो या केंद्र प्रशासित राज्य दिल्ली के अधिकारों के लिए केंद्रीय सरकार से जबरन टकराव हो। इसके जरिये केजरीवाल दिल्ली वालों को जबरन यह बताना चाहती है कि केंद्र सरकार उसे काम नहीं करने दे रही है जबकि सच्चाई अब किसी से छिपी नहीं है।

वरना केंद्र प्रशासित दिल्ली में 5 साल बीजेपी और 15 साल कांग्रेस ने बिना टकराव के सरकारें चलाईं हैं, लेकिन केजरीवाल की मंशा ही नहीं है।

केजरीवाल ने झूठे वादों को जरिये दिल्लीवालों को मूर्ख बनाया और अब केजरीवाल दिल्ली की छाती पर मूंग दलते हुए प्रधानमंत्री की कुर्सी पर पहुंचने की कोशिश कर रहा है।

वरना केजरीवाल मुख्यमंत्री के दायरे में रहकर दिल्ली को किये वादों और दिल्ली की समस्याओं को पूरा करने में अपनी पूरी ताकत झोंकता?

कहते हैं जिन्हें काम करना होता है वे बहाने नहीं ढूंढते और जिन्हें नहीं करना होता है, वे काम न करने सिर्फ बहाने ढूंढते है। केजरीवाल चाहते तो दिल्ली की जनता के हित के लिए साम, दाम, दंड और भेद के जरिये काम करने की कोशिश कर सकते थे?

लेकिन ने महज 10 दिन के लिए कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति में जो नौटंकी केजरीवाल ने की है उसका मकसद सिर्फ और सिर्फ हंगामा खड़ा करना था ताकि दिल्ली वालों को गुमराह किया जा सके कि वो केंद्र सरकार के कारण दिल्ली के 70 वादें नहीं पूरे नहीं कर पा रहें है, इसलिए अब उसे अब प्रधानमंत्री बनाओ?

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #LG #NajeebJung #Controversy 

मंगलवार, 26 मई 2015

दिल्ली रिंग रोड से सीधे जंगल की ओर बढ़ रही है!



ये मानसिक दिवालियेपन के शिकार हैं या सारे आम आदमी पार्टी के विधायक दिमाग से पैदल ही है।

सुना है किसी AAP विधायक ने दिल्ली विधानसभा के आज बुलाए गये आकस्मिक सत्र में उप-राज्यपाल नजीब जंग के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की बात कही है।

कहां से आ गये ये सारे कौव्वाल दिल्ली की राजनीति में? पहले हम अनपढ़ और अनगढ़ नेताओं से परेशान थे और अब आम आदमी पार्टी से पढ़े-लिखे मूर्ख विधायक चुनकर विधानसभा में पहुंच गये है।

भगवान भला करें दिल्ली का? एक तो केजरीवाल और उस पर उसके ऐसे 67 विधायक का हाल!

कैसे बीतेंगे 5 साल, केजरीवाल? सोचकर डर लगता है, जैसे दिल्ली के रिंग रोड से सीधे जंगल पहुंच गये हैं।

कांग्रेस के विरोध में देशहित नहीं, निजी फस्ट्रेशन दिखता है?

शिव ओम गुप्ता
क्या विपक्षी पार्टियां सिर्फ विरोध के लिए होती हैं। कम से कम मोदी सरकार के एक वर्ष के काम काज पर कांग्रेस औक कांग्रेसी नेताओं के बयान और हरकतों से ऐसा ही लगता है।

आलोचना तो ठीक है, लेकिन कांग्रेस के प्रत्येक विरोध और कटाक्ष में उनका सत्ता गंवाने का फस्ट्रेशन हमेशा हावी दिखता है।

शायद यही कारण है कि कांग्रेसी नेताओं की अच्छी बात और सार्थक विरोध भी उनकी वैयक्तिक खींझ अधिक नजर अाती है, जिससे उनके सारे बयान महज सियासी हो जाते है, जिसका सरोकार जनता में गौड़ ही रहता है और कोई भी नाक-कान देना पसंद नहीं करता है।

कांग्रेस को अपनी शैली बदलनी चाहिए और महज सियासी विरोध के अलावा कंस्ट्रक्टिव विरोध करना चाहिए, जिससे जनता का जुड़ाव हो?

क्योंकि कांग्रेसी नेताओं के विरोध और बयान ऐसे लगते हैं जैसे कोई बच्चा वीडियो गेम खेल रहा है और एक ही बटन दबाकर सभी राजनीतिक दुश्मनों को मारकर सत्ता में पहुंच जायेगी।