बुधवार, 27 मई 2015

केजरीवाल की फेवरेट हॉबी है धरना-प्रदर्शन, दिल्ली जाये तेल लेने!

शिव ओम गुप्ता
दिल्ली की जनता के जनादेश का मखौल उड़ाकर केंद्रीय सरकार से बेवजह पंगा लेना केजरीवाल एंड पार्टी का पसंदीदा शौक लगता है।

70 वादों का बहाना करके दिल्ली की सत्ता का मजे ले रहे केजरीवाल को अब मुख्यमंत्री पद रास नहीं आ रहा है और अब वो अपनी पूरी ऊर्जा प्रधानमंत्री की कुर्सी में लगाते दिख रहें हैं।

वरना दिल्ली को किये 70 वादों को पीछे छोड़ किसान रैली और भूमि अधिग्रहण की राजनीति केजरीवाल क्यों करते? और भी राज्यों में गैर-भाजपा और गैर कांग्रेस सरकार चल रहीं हैं।

इनमें तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, उड़ीसा, बिहार और उत्तर प्रदेश शामिल है, जहां केंद्रीय मुद्दों पर धरने-प्रदर्शन नहीं हुए, लेकिन केजरीवाल दिल्ली को छोड़ इधर-उधर की बातों में ज्यादा रुचि दिखा रहें हैं।

क्या कारण है कि दिल्ली प्रदेश को केजरीवाल घर की मुर्गी समझने लगे है? क्या इसलिए नहीं कि वे अब प्रधानमंत्री पद का सपना देख रहें है?

दिल्ली की समस्याओं और चुनाव पूर्व किये गये वादों को पीछे छोड़कर केजरीवाल अनावश्यक मुद्दों को इसलिए तूल दे रहें हैं ताकि वे उनके झूठे वादों से दिल्लीवालों का दिमाग भटका सकें।

दिल्ली उप-राज्यपाल नजीब जंग से पंगा हो या केंद्र प्रशासित राज्य दिल्ली के अधिकारों के लिए केंद्रीय सरकार से जबरन टकराव हो। इसके जरिये केजरीवाल दिल्ली वालों को जबरन यह बताना चाहती है कि केंद्र सरकार उसे काम नहीं करने दे रही है जबकि सच्चाई अब किसी से छिपी नहीं है।

वरना केंद्र प्रशासित दिल्ली में 5 साल बीजेपी और 15 साल कांग्रेस ने बिना टकराव के सरकारें चलाईं हैं, लेकिन केजरीवाल की मंशा ही नहीं है।

केजरीवाल ने झूठे वादों को जरिये दिल्लीवालों को मूर्ख बनाया और अब केजरीवाल दिल्ली की छाती पर मूंग दलते हुए प्रधानमंत्री की कुर्सी पर पहुंचने की कोशिश कर रहा है।

वरना केजरीवाल मुख्यमंत्री के दायरे में रहकर दिल्ली को किये वादों और दिल्ली की समस्याओं को पूरा करने में अपनी पूरी ताकत झोंकता?

कहते हैं जिन्हें काम करना होता है वे बहाने नहीं ढूंढते और जिन्हें नहीं करना होता है, वे काम न करने सिर्फ बहाने ढूंढते है। केजरीवाल चाहते तो दिल्ली की जनता के हित के लिए साम, दाम, दंड और भेद के जरिये काम करने की कोशिश कर सकते थे?

लेकिन ने महज 10 दिन के लिए कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति में जो नौटंकी केजरीवाल ने की है उसका मकसद सिर्फ और सिर्फ हंगामा खड़ा करना था ताकि दिल्ली वालों को गुमराह किया जा सके कि वो केंद्र सरकार के कारण दिल्ली के 70 वादें नहीं पूरे नहीं कर पा रहें है, इसलिए अब उसे अब प्रधानमंत्री बनाओ?

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