शुक्रवार, 19 जून 2015

जयराम रमेश को नहीं मालूम योग की खोज किसने की?

कांग्रेस के कुख्यात बदजुबान नेता जयराम रमेश ने आज फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपनी फस्ट्रेशन निकाल रहे थे।
बोले, " योग का आविष्कार नरेंद्र मोदी नहीं किया?"

सुनकर मतलब हंसी छूट गई! मतलब फस्ट्रेशन में जयराम रमेश जुबान से ही दिमाग से भी पैदल हो गये है।

भाई! जे बात दुनिया को पता है और प्रधानमंत्री ने कब कहा कि उन्होंने योग की स्थापना की है?

हां, प्रधानमंत्री मोदी ने योग को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर जरुर स्थापित कराने का काम किया है, जिससे भारतीय योग और भारत के गौरव में अपार बृद्धि हुई है।

अब यह किसी कांग्रेसी प्रधानमंत्री ने किया और न कर सका, शायद इसी दुख में जयरान रमेश आंय-बांय बक रहे हैं। जयराम रमेश को आसन बताओ भाई!

#Congress #Frustration #JairamRamesh #InternationalYogaDay #PmModi

गुरुवार, 18 जून 2015

आडवाणी ने कांग्रेस, AAP और मीडिया पर हमला किया है!

शिव ओम गुप्ता
मीडिया के लगातार गिरते स्तर और विपक्ष की लगातार बेबुनियादी हो-हल्लों पर शायद बीजेपी के वरिष्ठ नेता #लालकृष्णआडवाणी टिप्पणी करते हुए कहा है कि देश में #इमरजेंसी जैसे हालात से इनकार नहीं किया जा सकता है।

लेकिन मीडिया और विपक्ष अपनी उधड़ चुकी खाल को रंगने के लिए आडवाणी की टिप्पणी को #बीजेपी और #प्रधानमंत्री #नरेंद्रमोदी के खिलाफ बताने की असफल कोशिश कर रहें हैं जबकि आडवाणी ने इशारों-इशारों में मीडिया को समझाने की कोशिश करते हुए इंटरव्यू में कहा है कि हालांकि ऐसे हालात से निपटने में मौजूदा सरकार #परिपक्व है।

लेकिन मीडिया और विपक्ष आडवाणी के बातों को तोड़-मरोड़ कर बीजेपी और मोदी सरकार के खिलाफ पेश करने की कोशिश कर रही हैं, हद है चापलूसी की।

उधर, #आमआदमीपार्टी के नये नवेले नेता #आशुतोष तो चार कदम और आगे निकल गये। बोले, " #मोदीसरकार का रवैया #तानाशाही है और आडवाणी जी ने शायद इसी तरफ इशारा किया है।

मतलब, वो कहावत तो आपने सुनी होगी? "नया धोबी गुदड़ी से साबुन" आशुतोष को शायद याद नहीं है कि पिछले 4 महीने की आम आदमी पार्टी की सरकार ने कानून, #संविधान और देश की तमाम संवैधानिक संस्थाओं के साथ जो खिलवाड़ किया है, वह भारतीय इतिहास में शायद पहली बार हुआ है, जिसकी ओर ही आडवाणी जी का इशारा है।

आम आदमी पार्टी की अराजकतापूर्ण रवैये से देश का कौन सा कोना अनभिज्ञ या अंजान होगा, लेकिन अपने किये पर शर्मसार होने के बजाय आशुतोष जैसे छिछले नेता डपोरशंखों जैसे खींसे निपोर रहें है।

#Adwani #Ashutosh #AAP #Emergency #ModiSarkar #Kezriwal #Congress #RaGa

यह कैसी दोगली राजनीति और पत्रकारिता हो रही है?

जब पाक समर्थित झंडे लहराने वाले देशद्रोही अली शाह गिलानी को मानवीय आधार पर मदद दी जा सकती है, तो ललित मोदी को मानवीय आधार पर दी गई मदद पर छद्म सेकुलर कांग्रेसी और पत्रकार हो-हल्ला क्यों कर रहें हैं?

क्या देशद्रोह से बड़े अपराधी हैं ललित मोदी, जिन पर लगे आर्थिक अपराध के चार्ज अभी महज आरोप है और जिसे अभी साबित होना बाकी है।

हमारे देश में यह कैसी दोगली राजनीति और पत्रकारिता हो रही है। ऐसे तथाकथित मूर्धन्य नेताओं और पत्रकारों  को तो चुल्लू भर पानी में शर्म से डूब मरना चाहिए।

#LalitModi #SushmaSwaraj #AliShahGilani #WavedPakistaniFlag #Sedition #EconomicCrime #Media #Congress #RahulGandhi #PseudoSecularism 

बुधवार, 17 जून 2015

टट्टू बनकर रह गयी हैं पत्रकारिता और पत्रकार!

शिव ओम गुप्ता
"निकले थे हरि भजन को ओटन लगे कपास" आज के दौर की पत्रकारिता और पत्रकारों की दशा-दिशा को यह दोहा बढ़िया से परिभाषित करती है।

घर से निकलकर पत्रकारिता करने निकले युवा आज देश के चौथे स्तंभ को मजबूत करने में सहभागी तो बनना चाहते हैं, लेकिन पत्रकारिता के दौर ए जहन्नुम में न्यूज चैनल, न्यूज पेपर और न्यूज बेवसाइट की संपादकीय विभाग की बैठकें अब खबरों की चर्चा कम टीआरपी, सर्कुलेशन और हिटिंग की चर्चा में मशगूल है, जहां जनहित मुद्दे गौड़ और कमाई, चापलूसी ज्यादा अह्म और प्राथमिक हो चली है।

संपादकीय बैठक में अब इस बात की चर्चा नाम मात्र की होने लगी है कि कौन सी खबर छूट गई है, बल्कि सर्वाधिक चर्चा इस बात की होती है कि सर्वाधिक टीआरपी, सर्कुलेशन और हिट दिलाने वाली खबर कौन सी है?

कांग्रेसी झूठ और मीडिया दुष्प्रचार की निष्पक्षता पर उठ रहे हैं सवाल ?

शिव ओम गुप्ता
कांग्रेस प्रवक्ताओं में एक से एक ऐसे झूठे प्रवक्ताओं की फौज जमा है कि सच और ईमानदारी शरमा जाये!

संजय झा, रागिनी नायक, अजय कुमार, राशिद अल्वी, शकील अहमद, दिग्विजय सिंह, सरिता बहुगुणा, पूनावाला बंधु, मीम अफजल और आलोक शर्मा जैसे प्रवक्ताओं का झुंड दिनभर टीवी न्यूज चैनलों पर पानी पी पी कर झूठ और दुष्प्रचार करते है।

कहा भी गया है कि झूठ के सिर पैर नहीं होते हैं और झूठ की आवाज भी बहुत बुलंद होते है और जिन्हें झूठ का ही व्यापार करना आता है वे छाती ठोक कर ऐसे झूठ बोलते हैं कि सच सामने होते हुए झूठ प्रभावी और प्रभावित कर जाता है।

शायद यही कारण है कि कांग्रेस क्षणिक ही सही, लेकिन झूठ और दुष्प्रचार से चेहरे चमका रही है पर कांग्रेसी भूल रहें हैं कि सच की रोशनी में झूठ के बादल फटते ही नहीं जाते, झूठ बोलने वालों के मुंह काले हो जाते हैं।

हालांकि कांग्रेस के प्रवक्ताओं को बेल ट्रेंड लॉयर की डिग्री मिली हुई लगती है, क्योंकि ऐसा कई बार हुआ है जब टीवी चैनलों पर सफेद झूठ बोल चुके उपरोक्त प्रवक्ताओं के चेहरे शर्म से सफेद पड़ गये हैं, लेकिन ट्रेनिंग तो ट्रेनिंग होती है, ये फिर दूसरे दिन मुंह धोकर एक नया झूठ लेकर पहुंच जाते हैं।

उदाहरण चाहिए, क्योंकि बिना उदाहरण बात हजम नहीं होती है। यूपीए कार्यकाल में हुए कोल ब्लॉक, 2जी स्पैक्ट्रम, रॉबर्ट वाड्रा जमीन सौदा और कॉमनवेल्थ घोटाले को कांग्रेस के इन्हीं प्रवक्ताओं ने जीरो लॉस की थ्योरी बताकर झूठ का पुलिंदा बतलाया था, लेकिन आज सच्चाई सबके सामने आ चुका है।

क्या डी राजा, क्या मनमोहन सिंह, क्या श्रीप्रकाश जायसवाल, क्या कनिमोझी, क्या रॉबर्ट वाड्रा और क्या शीला दीक्षित सबकी पोल खुल गई। इनके साथ ही उपरोक्त इन सभी कांग्रेसी प्रवक्ताओं की पोल खुल गई, जे छाती ठोक कर टीवी पर सफेद झूठ बोलते थे।

क्या ललित मोदी को लेकर ऐसे कांग्रेसी प्रवक्ताओं के हो-हल्ला, झूठ और दुष्प्रचार पर कोई भरोसा कर सकता है, जिन्होंने यूपीए शासनकाल में हुए अरबों-खरबों के घोटाले को जीरो लॉस थ्योरी से झुठलाने की कोशिश की थी।

और मीडिया का सच अब किसी से छिपा हुआ नहीं है। क्या बरखा दत्त, क्या राजदीप सरदेसाई, क्या आशुतोष, क्या शेखर गुप्ता और पुण्य प्रसून बाजपेयी? और भी कई धुरंधर हैं, कहा जाये तो हमाम में सारे नंगे हैं!

उपरोक्त सभी धुरंधर कहे जाने वाले कालजई पत्रकारों की सच्चाई किसी से छिपी नहीं है, क्योंकि उपरोक्त सभी टीवी पर पत्रकारिता छोड़, बाकी सब कुछ करते हैं और मार्केट और ज्यादा पैसे कमाने के लिए ईमान बेंचकर ऐजेंडा सेट करने की कोशिश करते हैं।

 और तुर्रा यह कि चाहते है कि सभी इनके दिखाये सच पर भरोसा भी कर लें। हालांकि अधिकांश दर्शक इनके झूठ और दुष्प्रचार से प्रभावित हो भी जाते है और बिना क्रॉस चेक किये क्रांतिकारी बन जाते हैं।

राजदीप सरदेसाई (कैश फॉर वोट), बरखा दत्त (कैश फॉर वोट) आशुतोष (केजरीवाल आंदोलन ), शेखर गुप्ता (गुजरात दंगा-भ्रामक रिपोर्टिंग) और पुण्य प्रसून बाजेपेयी (केजरीवाल लाइव स्टूडियो ) जैसे प्रकरण इनकी निष्पक्षता पर दाग लगा चुके है।
#Congress #Truth #Media #Biased #Reporting #TVMedia #RahulGandi #Coalgate #2GScam

सोमवार, 15 जून 2015

राहुल गांधी के बाद अब लोग कांग्रेस को भी सुनना बंद कर देंगे?

शिव ओम गुप्ता
पहले लोग राहुल गांधी उर्फ पप्पू की बातों पर ध्यान नहीं देते थे, अब लगता है लोग कांग्रेस की बातों पर अहमियत देना छोड़ देंगे, किसके पास फालतू समय है कांग्रेस के निजी फस्ट्रेशन और सियासी सफेद झूठ के लिए? 

कोई जनहित की बात करें तो कोई सुने भी, लेकिन कांग्रेस डिफीट सिंड्रोम और मोदी फोबिया से ऐसी ग्रस्त है कि हवा से पत्ता भी हिलता है तो मोदी-मोदी की माला जपना शुरू लगते हैं, अब इसका क्या इलाज है?

कांग्रेस भूल रही है कि कांग्रेस की दामन पर इतना दाग है कि अब उसे अगर इटली और फ्रांस में भी ड्राई क्लिनिंग करवाने के लिए भेजेंगे तो दाग नहीं जायेंगे, वो दाग जिसके कारण देश की जनता ने कांग्रेस को देश निकाला दे दिया है।

कांग्रेसी लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद लगातार ऐसे मुद्दों पर लोगों का ध्यान खींचने की कोशिश की है, जिसका जनता का हित नाममात्र भी नहीं है।

याद कीजिये राहुल गांधी और कांग्रेसियों ने किसानों के बहाने सिर्फ अपनी निजी लड़ाई लड़ी है, जबकि कांग्रेसी दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने हरियाणा और राजस्थान की जमीनें तत्कालीन कांग्रेस नीत राज्य सरकारों से मिलीभगत करके कौड़ी के भाव में खरीद कर करोड़ों रुपये बनाये और अब ये चले हैं देश को ईमानदारी की नई परिभाषा बताने गढ़ने?

कांग्रेस को भूलना नहीं चाहिए कि  देश आज भी यह जानना चाहता है कि राहुल गांधी कब ये देश को बतायेंगे कि कैसे 10वीं पास रॉबर्ट वाड्रा ने 10 लाख से 335 करोड़ की प्रॉपर्टी बना ली?

#RahulGandhi #Pappu #Congress #DefeatSymdrome #Modifobia #LalitModi #SushmaSwaraj

डिफीट सिंड्रोम से आहत कांग्रेस को है सिर्फ झूठ का सहारा!

ये कांग्रेसी नेता ऐसे बहके और बौराये से फिर रहें हैं जैसे मरुस्थल में प्यासे लोग मृग-मारीचिका के शिकार हो जाते हैं और रेत को पानी समझ बैठते है।

ललित मोदी और सुषमा स्वराज के मुद्दे को रबड़ की तरह ऐसे खींच रहें हैं जैसे कोई लाठी से पानी को फाड़ने की कोशिश कर रहा है।

भाई कभी पानी को फटते देखा है, लेकिन मूर्ख कांग्रेसी नेता फिर भी अड़े हैं कि फाड़ के ही रहेंगे?

ऐसा लगता है कि कांग्रेसी नेताओं का फस्ट्रेशन चरम पर पहुंच गया है, इसलिए हवा में चवन्नी उछाल रहे हैं कि शायद चवन्नी खड़ी हो जाये और लोग उनके झूठ और दुष्प्रचार पर नाक-कान दे दें!

कांग्रेसियों, हद कर दी है आपने! सोचो, झूठ की उम्र बहुत छोटी होती हैं और हल्ला वहीं ज्यादा करता है जो कुतर्की और बेईमान होता है?
#Congress #DefeatSyndrome #LalitModi #SushmaSwaraj #ModiSyndrome 

रविवार, 14 जून 2015

हार से हताश कांग्रेस ललित मोदी केस में फैला रही है दुष्प्रचार!

शिव ओम गुप्ता
कांग्रेस को शर्म आनी चाहिए, जो ललित मोदी के बहाने हार का फस्ट्रेशन दिखाने की कोशिश कर रही है।

और वे कांग्रेसी मामले में दुष्प्रचार फैलाने की कोशिश कर रहें हैं जिन्होंने #पुरुलिया में हथियार गिराने वाला कांड के दोषी #किमडेवी ( नील क्रिश्टियन निल्सन) को डेनमार्क सुरक्षित वापस भिजवा दिया और बोफोर्स टैंक घोटाले में दलाली करने वाले #ओटावियोक्वात्रोची को सुरक्षित इटली जाने दिया और #भोपालगैसत्रासदी में हजारों की जान लेने वाले यूनियन कार्बाइड चीफ #वॉरेनएंडरसन को भी देश से बाहर जाने के लिए खुला छोड़ दिया!

मुद्दों की कंगाली से जूझ रहे कांग्रेसी दिमागी दिवालियेपन की ऐसी शिकार हो गई है कि मानवीय आधार पर ललित मोदी की पत्नी के इलाज के लिए किये गये विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की मदद में भी उन्हें मुद्दा नजर आ रहा है।

परंपरा रही है कि अपराधी के अपराध के लिए उसके पूरे परिवार को अपराधी नहीं ठहराया जाता है और विदेश मामले का मंत्री  कैंसर पीड़ित के इलाज के लिए किसी भारतीय पति की पुकार को कैसा अनदेखा कर सकता था ?

कांग्रेस को ऐसे मुद्दों पर हाथ उठाना चाहिए, जिसमें राजनीतिक स्टंट नहीं, जनहित जुड़ा हुआ हो? क्योंकि ललित मोदी की पत्नी के इलाज के लिए पुर्तगाल भेजने के लिए सुषमा स्वराज द्वारा लंदन से अनुरोध करना एक मानवीय पक्ष है, जिसकी सराहना की जानी चाहिए।

कांग्रेस को अपने पक्ष की दोबारा जांच करनी चाहिए और शर्म से डूब मरना चाहिए, क्योंकि मानवीय सरोकार के लिए सबसे पहले इंसान होना जरुरी है और कभी भी बाप के अपराध के लिए बेटे को या पत्नी को सजा सुनाई जाती है क्या?

कांग्रेस को मालूम होना चाहिए कि ललित मोदी अगर 700 करोड़ रुपये के मनी लॉंडंरिंग के आरोपी हैं तो कांग्रेस नीत यूपीए सरकार के सत्ता में रहते ललित मोदी देश छोड़कर कैसे भाग गया और मनमोहन सरकार ने कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया? बात करते हैं!

लगता है कांग्रेसी लोकसभा और कई विधानसभा चुनाव हारने के बाद दिमागी संतुलन खो चुके हैं? किसी भी मुद्दे पर तंबु गाड़कर बैठ जाते हैं और केजरीवाल जैसी हरकतें करने लगते हैं।

सोनियाजी राहुल गांधी की लॉंचिंग छोडिये, कांग्रेस की सोचिये?

शिव ओम गुप्ता
कांग्रेस लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक हार के बाद अब तक किसी ऐसे मुद्दे पर उस जनता को आकर्षित करने में असफल रही है, जिसने उसे लोकसभा चुनावों 44 सीटों और दिल्ली विधानसभा चुनाव में 00 पर समेट दिया था।

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, जिन्हें एक संदेश लिखने के लिए भी नकल की जरूरत पड़ती है, उन्हें कांग्रेसी भारत भ्रमण करवा कर स्क्रिप्टेड भाषण करवा रही है ताकि बेरोजगार और कुंवारे शहजादे की नौकरी और छोकरी का जुगाड़ हो सके।

कांग्रेस की समस्या है कि वह गांधी परिवार से इतर कोई कांग्रेस से जुड़ा नेता काबिल दिखता ही नही है और ऐसे बैल को जबरन हल से बांधना चाहते हैं जो खेत जोतना तो छोड़ों, खूंटे से भी बंधना नहीं चाहता है।

राहुल गांधी होंगे काबिल, लेकिन कम से कम राजनीति के काबिल तो बिलकुल नहीं है। मां सोनिया गांधी राहुल के साथ टिपिकल पैरेंट्स की तरह व्यवहार कर रहीं है, जहां पैरेंट्स बच्चों को डाक्टर और इंजीनियर बनाने की जिद में बच्चों की जिंदगी बर्बाद कर देते है। राहुल गांधी बर्बाद ही हुआ जा रहा है। अरे भाई लौंडा 50 का हुआ जा रहा है, कब होगी उसकी शादी?

राहुल गांधी को ऐसे दौड़ में क्यों शामिल किया जा रहा है ये तो आसानी से कोई भी समझ सकता है, लेकिन कांग्रेस को राहुल गांधी के चक्कर में असामयिक मौत क्यों करवाई जा रही है, यह समझ से परे है।

राहुल गांधी की नेतृत्व में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली, झारखंड, मध्य  प्रदेश और छत्तीसगढ विधानसभा चुनाव में सत्ता गवीं चुकी है।

ऐसा लगता है कांग्रेस और कांग्रेसी नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में भस्म होने को अभिसप्त है। यह ठीक वैसे है, जैसे दूल्हे को जबरन घोड़ी पक बिठा दिया गया है और बाराता न केवल घोड़ी के साथ चलने को मजबूर हैं बल्कि नाचते-गाते चलने को भी मजबूर हैं ।

इसका नमूना किसी भी गैर गांधी परिवार के छोटे-बड़े नेताओं के चेहरे पर देखा जा सकता है। बात चाहे कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की करें या गुलाब नबी आजाद की, जिनकी गिनती कांग्रेस के काफी शांतिप्रिय और संजीदा नेताओं में होती है, वे आज किसी भी मुद्दे पर बयान देते वक्त फस्ट्रेट नजर आते हैं।

हम यहां उन कांग्रेसी नेताओं की फस्ट्रेशन की चर्चा जरूरी नहीं है जो हमेशा फस्ट्रेशन में बयान देते हैं । इनमें मनीष तिवारी, शकील अहमद, राशिद अल्वी, संजय झा और सुरजेवाला जैसे कुख्यात नेता शामिल हैं।

राहुल गांधी पूरे पांच साल कितनी भी प्रायोजित इमेज बिल्डिंग यात्रा कर लें, लेकिन परिणाम हमेशा जीरो ही निकलेगा, क्योंकि राहुल गांधी जब लोगों से मिलते हैं तो लगता है किसी मिशन पर निकले हैं और स्क्रिप्ट पढ़ रहें हैं।  उनके मुंह से निकली बात बनावटी और नकली लगती है, जिसका असर टीवी चर्चा और न्यूजपेपर की सुर्खियों में भी अधिक देर जिंदा नहीं रह पाती है।

तो सोनिया जी राहुल गांधी की लांचिंग छोडिये और कांग्रेस की रीलांचिंग के बारे में सोचिये, क्योंकि एक बेहतर लोकतांत्रिक ढांचे के लिए एक बेहतर सरकार के साथ-साथ देश को एक बेहतर विपक्ष भी चाहिए, जो राहुल गांधी बिलकुल नहीं हैं।

तो सोनिया जी पुत्रमोह को छोड़िये और कांग्रेस को बचाने के लिए गांधी परिवार से इतर सोचना जरूरी है, क्योंकि कांग्रेस में अच्छे नेताओं की कमी नहीं है, जो आपकी डायनेस्टी पॉलिटिक्स में उभर नहीं पा रहें हैं।
RahulGandhi #Dynasty #Congress #Opposition #Democracy 

शनिवार, 13 जून 2015

अग्निपरीक्षा से एक महिला को ही गुजरना पड़ता है?

शिव ओम गुप्ता
मैं उन दिनों दिल्ली के सर्वोदय एनक्लेव में रहता था। एक मोहतरमा आईं और मेरी ही बिल्डिंग में मेरे ही पड़ोस के कमरे में शिफ्ट हों गईं।

उनकी अक्ल का पता नहीं पर मोहतरमा शक्ल से बेहद आकर्षक व सुंदर थीं, लेकिन शादीशुदा थी। नई-नई शादी हुई थी शायद?

पतिदेव दिल्ली में ही किसी प्राईवेट कंपनी में कार्यरत थे और मोहतरमा भी नौकरी तलाश रहीं थीं, ऐसा उनकी हाव-भाव और अदा और अंदाज से साफ मालूम पड़ जाता था। दोनों साथ-साथ  मेरे ही पड़ोस के कमरे में शिफ्ट हुए थे।

जो लोग मुझे जानते हैं, वो अच्छी तरह से जानते हैं कि मैं अजनबियों से घुलने-मिलने में बहुत ही समय लेता हूं, अब वो चाहे लड़की हो या लड़का, कोई फर्क नहीं पड़ता, मतलब कोई जेंडर भेदभाव नहीं!

उस दरम्यान कई बार ऑफिस को निकलते और ऑफिस से वापस आते वक्त हम एक दूसरे से बात भले ही नहीं करते थे मगर नजरों से सवाल-जबाव हो जाया करते थे, लेकिन मौखिक  बातचीत बिल्कुल नही?

न उन्होंने कभी पहल की और मैं तो पहल करता ही नहीं, चाहे एक नहीं, कई बरस बीत जाये। खैर एक महीने के अंतराल बाद एक दिन मोहतरमा ने सुबह-सुबह ही मेरे दरवाजे पर दस्तक दिया!

मैं अमूमन दरवाजे पर दस्तक को पसंद नहीं करता हूं, इसीलिए मकान मालिक को रुम रेंट वक्त से पहले दे आता हूं। फिर भी अगर कोई दरवाजा पीटता है तो बिना दरवाजा खोले ही निपटाने की कोशिश करता हूं ।

खट-खट की आवाज कई बार आई तो पूछ बैठा, " कौन?
आवाज आई , "मैं...मैं आपके पड़ोस में रहती हूं। मैंने दरवाजा खोला तो देखा सामने पड़ोस वाली मोहतरमा खड़ी थीं और मुझसे मेरा मोबाइल फोन मांग रहीं थी। शायद कोई एमरजेंसी कॉल करना था उनको?

उन्होंने बताया कि उनका फोन काम नहीं कर रहा है और उन्हें जरूरी कॉल करना है? मैंने फोन उठाकर दिया, लेकिन मोहतरमा को मेरे सामने ही बात करनेे की छूट दी और बात खत्म होते ही और जैसे ही उन्होंने फोन वापस दिया, मैंने दरवाजा बंद कर लिया।

यह बात आई-गई हो गई और इस बात को कुल 3 महीने बीत गये! न उन्होंने शुक्रिया कहा और न मैंने धन्यवाद किया!

मैं ऐसा ही हूं। जबरदस्ती के रिश्तों में जुड़ना पसंद नहीं है, क्योंकि आजकल के रिश्ते बहुआयामी हो गये हैं, लोग भैय्या बोलकर जिंदगी की नैया तक डूबो देते हैं, लेकिन मेरी आदत बुरी है, यह अवसर न मैं लेता हूं और न ही किसी को देना पसंद करता हूं।

वीकेंड में एक बार फिर मोहतरमा ने दरवाजा खटखटाया और अंदर से बाहर आया और दरवाजा खोला तो सामने मोहतरमा खड़ी थी।

मोहतरमा मुझसे फिर कुछ मांगने की इच्छा लेकर आईं थी, लेकिन इस बार लगा लक्ष्य भिन्न था। वो मेरे फ्लैट के अंदर की रखी व्यवस्थित चीजों को बड़े कौतुहल से लगभग घूरते हुये देख रहीं थी।

और फिर एकाएक मोहतरमा ने एक साथ दो सवाल उछाल दिये, " आप अकेले रहते हैं? आप क्या करते हैं?

परिचय पूरी होेने के बाद मोहतरमा वापस चलीं गईं और मैंने दरवाजा फिर पीटकर बंद कर लिया।

नि:संदेह मोहतरमा ने पूरे 6 महीने तक एक ही बिल्डिंग में पड़ोस में रहते हुये मेरे बारे में खूब रिसर्च कर लिया था और मुझसे किसी भी प्रकार की खतरे की आशंका और संभावना नहीं होने के प्रति आश्वश्त थीं?

अब आते-जाते, उठते-बैठते मोहतरमा से संवाद शुरु होने लगा और उनके पतिदेव भी मुझसे बातचीत करने की कोशिश करने लगे। हालांकि पतिदेव भी शुरू में संवाद में आशंकित ही रहे।

स्थिति यह हो गई कि अब मेरी टीवी और फ्रिज आधी उनकी हो गई थी और मैं भी अब दरवाजे बंद करना भूल जाता था, क्योंकि मोहतरमा जब चाहे दरवाजा खटखटाने की आदी हो गईं थी।

मैं भी खुश था वीकेंड पर दिन अच्छा गुजरने लगा था। क्योंकि वीकेंड महसूस करने के लिए मल्टीप्लेक्स में घटिया फिल्मों का अनावश्यक फस्ट्रेशन बंद हो गया था।

मोहतरमा भी खुश थीं, मैं भी खुश था और मोहतरमा के पतिदेव भी खुश थे और हम एक परिवार की तरह अगले 3 महीने रहे, बस मेरे और महिला के रिश्ते परिभाषित नहीं थे, जिसको लेकर उनके पतिदेव तो कभी-कभी मोहतरमा भी हिचक जाती थीं!

एक दिन अचानक फ्रिज से दूध निकालते समय मोहतरमा ने बात छेड़ने की अंदाज में न चाहते हुये बोलीं, "आपको मैं भैय्या बोलूं तो बुरा तो नहीं लगेगा?

मैं सवाल सुनकर बेचैन नहीं हुआ और उल्टा पूछ बैठा, क्यों क्या हुआ? पतिदेव ने कुछ कहा क्या?

मोहतरमा मुस्कराई और बोली, "नहीं ऐसा कुछ नहीं है, फिर भी अगर...मतलब हम भाई-बहन ही हुये न?

मैं गहरे सोच में पड़ गया? मोहतरमा जाने को हुईं तो मैंने रोक लिया। तुम कहती तो ठीक है, लेकिन ये आज तुम्हें क्यों सूझी?

मैंने आगे कहा, "तुम्हें रिश्ते को नाम देना है तो दे दो, मुझे कोई आपत्ति नहीं है पर हम हमारे रिश्ते को दोस्ती भी तो कह सकते हैं, जिसमें भाई-बहन जैसी ही मर्यादा है और आगे भी रह सकती है।"

मोहतरमा अवाक थीं पर बेचैन नहीं! वे कुछ देर चुप रहीं और फिर बोली, " पर मेरा नाम तो आपको नहीं मालूम है?

मैं मुस्करा पड़ा और मोहतरमा वापस चलीं गईं। अब हम एक दूसरे को नाम से पुकारने लगे, न दीदी और न भैय्या?

मेरी पड़ोसन तो मुझसे भी वृहद सोच और नजरिये की महिला निकली और मैं समझता था कि एक महिला की दुनिया सामाजिक सरोकारों वाली रिश्तों तक ही सिमटी रहती है। लेकिन ऐसे बहुत कम लोग हैं जो नाम से इतर जहीनी रिश्तों से जुड़ने की कोशिश कर पाते हैं।

क्योंकि "एक लड़की और एक लड़का कभी दोस्त नहीं हो सकते?" जैसे जुमले महिला और पुरुष की दोस्ती की परिभाषा को कभी मर्यादित परिभाषित ही नहीं कर सकते?

इस बीच एक महीने सब कुछ ठीक रहा, लेकिन एक महीने बाद ही मोहतरमा पतिदेव के साथ गुड़गांव शिफ्ट कर गईं और सवाल छोड़ गईं कि पुरुष से महिला की दोस्ती कितनी ही मर्यादित क्यों न हो पर अग्नि परीक्षा से एक महिला को ही गुजरना पड़ता है।

....रिश्तों को शायद एक अदद सारगर्भित नाम की जरूरत होती है और बिना नाम के रिश्ते हमारे समाज में बेगानी और बेमानी होते हैं?

क्योंकि ऐसे रिश्तों का कोई वजूद नहीं है, जहां एक लड़का और लड़की सिर्फ दोस्त हों? और ऐसे रिश्ते भाई-बहन, ब्वॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड के खांचे से इतर भी स्वीकार्य और सम्मानित हो?

शायद इसीलिए... बदलते परिवेश और जीवन शैली में हमारे पुरातन समाजिक ताने-बाने में दरार उभरने लगे हैं, जहां आये दिन अवांछित रिश्ते अखबारों की सुर्खियां बनती हैं।

क्योंकि हमारे सामाजिक रिश्तों में दोस्ती कम, मजबूरी अधिक होती हैं, जिसमें इंसान छटपटाता है और बस छटपटाता है....

Women Men Relationship 

केजरीवाल एंड पार्टी के दिन लद चुके, दिल्ली हुई खिलाफ!

शिव ओम गुप्ता
पिछले 12 दिनों से हड़ताल पर बैठे दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों के वेतन नहीं देकर राजनीति करने वाली केजरीवाल एंड पार्टी के खिलाफ दिल्ली की जनता अब लामबंद होने लगी है।

दिल्ली नगर निगम कर्मचारियों को 15 जून तक वेतन देने के हाईकोर्ट आदेश के बाद मजबूरन शुक्रवार, 12 जून को 493 करोड़ रिलीज करने पड़े वरना केजरीवाल की राजनीति कब रुकती कहां नहीं कहा जा सकता है।

क्योंकि केजरीवाल की राजनीतिक हथकंडे इतने घिनौने और अमानवीय है, जिसके उदाहरण भारतीय राजनीतिक इतिहास में ढूंढने से नहीं मिलेंगे! हड़ताल खत्म होने के बाद कमीने झाडूं लेकर निकल पड़े लीपापोती करने ताकि आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति कर सके। इन्हें तो जनता को उन्हीं की झांडू से मारकर हर जगह से भगाना चाहिए था!

कौन भूल सकता है दिल्ली के जंतर-मंतर की वह घटना जब किसान राजनीति में हाथ धोने के लिए केजरीवाल एंड पार्टी ने एक राजस्थान के किसान गजेंद्र सिंह को सूली पर चढ़ा दिया!

केजरीवाल एंड पार्टी को समझना होगा कि सिर्फ आम आदमी पार्टी नाम रख लेने से आम आदमी का भला नहीं हो जायेगा, बल्कि आम आदमी की तरह दिखना और व्यवहार भी करना होगा।

लेकिन केजरीवाल एंड पार्टी जब से दिल्ली में 67 सीटें जीतकर आई है तब से इनका अहंकार इतना बढ़ गया है कि जनता ही नहीं, भारतीय संविधान, चुनाव आयोग, हाईकोर्ट और सभी संवैधानिक संस्थाओं को आंखें दिखाने लगी हैं।

केजरीवाल की समस्या है कि वे समझते हैं कि जो कुछ वो कह रहें हैं और कर रहें हैं उसको बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ मढ़कर आगे निकल जायेंगे, लेकिन शनिवार 13 जून को दिल्ली के कृष्णानगर विधानसभा से विधायक को वहां की जनता ने जिस तरह से विरोध किया और वहां से भगा दिया, वह काफी कुछ कहता है।

केजरीवाल के लिए यह एक संकेत मात्र है, वे अब नहीं समझे तो वह दिन दूर नहीं जब दिल्ली के प्रत्येक कोने से दिल्ली की जनता अपने ही चुने सभी आप विधायकों को देखते ही डंडा लेकर दौड़ेगी।

केजरीवाल को समझना होगा कि सरकारी अफसर नहीं जो हुक्म चलायेंगे और कोई कुछ नहीं कहेगा। अफसरशाही और राजनेता में बड़ा फर्क है और केजरीवाल एंड पार्टी इस फर्क को जितना जल्दी समझ जायें दिल्ली और उनकी पार्टी दोनों के लिए उतना ही अच्छा है।
#Kezriwal #AAP #DelhiCM #DelhiMCD #Strike #JITENDRATomer

शुक्रवार, 12 जून 2015

राहुल गांधी आग में घी डाल आये, बोले शक्ति दिखाओ?

राहुल गांधी पिछले12 दिनों से हड़ताल पर गये पूर्वी दिल्ली नगर निगम को ढांढस बंधाने गये थे, लेकिन वे आग में घी डाल आकर गये!

#राहुलगांधी बोले, "आप सब को अपनी शक्ति दिखानी होगी और मुझसे कहेंगे तो मैं आपके धरने में घंटे दो घंटे बैठूंगा?"

भला हो दिल्ली के उप-राज्यपाल नजीब जंग का, जिन्होंने 493 करोड़ रुपये निगम कर्मचारियों के लिए जारी कर दिये, जिससे अब कर्मचारी 3 माह के वेतन पा सकेंगे?
#RahulGandhi #DelhiMCD #Strike #Garbage #Congress 

बीजेपी की साजिश बताकर छाती पीटने वाले कहां छुप गये?

सुना है केजरीवाल मे जीतेंद्र सिंह तोमर फर्जी डिग्री मामले को पार्टी के आंतरिक लोकपाल को भेजे हैं? तो इससे पहले कौन से लोकपाल को जांच को लिए थे, जिसने तोमर को क्लीन चिट दे दी थी। क्या नौटंकी है यार!

2 दिन पहले तो पार्टी के नेता आशुतोष और कुमार विश्वास तोमर के साथ खड़े थे और तोमर के साथ खड़ी होकर छाती पीट रही थी कि बीजेपी घबड़ा गई है और तोमर के खिलाफ साजिश कर रही है?

फर्जी डिग्री की छोड़ो, तुम्हार ट्रिपल लेयर शुद्ध विधायक जीतेंद्र सिंह तोमर तो आरटीआई भी फर्जी बना लाया था केजरीवाल बाबू?

चुनाव से पहले उम्मीदवार चुनने में बड़ी साफ-सफाई और शुचिता का हवाला देकर चोरों और फ्रॉड को टिकट दे दिया और अब बुरी तरह से बेज्जत होने के बाद तोमर से पीछा छुड़ाने के लिए आंतरिक लोकपाल से दोबारा जांच की कहानी बना रहे हो?

याद रखिये? एक तोमर ही फर्जी नहीं है, कई फर्जी डिग्री और चरित्र वाले विधायक हैं तुम्हारी टोली में! दूसरों की छोड़ों हमें तो केजरीवाल साहब आपका भी चरित्र फर्जी लगता है।

मुंह में कुछ और काम कुछ और? दिल्ली की जनता को अच्छा-अच्छा बताकर तुमने जो कच्छा पहनाया है? वो कच्छा दिल्ली की जनता न पहन पा रही है और न उतार पा रही है!

भगवान जाने! क्या होगा अब तो यही सोचकर दिल घबराता है, क्योंकि दिल्लीवालों ने ऐसा क्रांतिकारी कदम उठाया है कि दिल और दिमाग तुम्हारी लीला देखकर भन्नाता है।

और अभी तो और सूरमाओं की जांच होनी बाकी है, जिनमें विधायक कंमाडो सुरेंद्र की फर्जी डिग्री और राखी बिड़लान के स्ट्रीटलाइट घोटाले चर्चा है।

अच्छा होगा कि इनकी जांच भी पार्टी आंतरिक लोकपाल को सौंप दीजिये वरना इन्हें दिल्ली पुलिस उठाकर ले जायेगी और आशुतोष, संजय सिंह, कपिल मिश्रा और कुमार विश्वास टाइप के क्रांतिकारी नेता छाती पीटेंगे और कहेंगे यह सब बीजेपी की साजिश है?

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #JitendraTomer #FakeDegree #DelhiPolice 

बुधवार, 10 जून 2015

दिल्ली को फर्जी डिग्री धारी कानून मंत्री क्यों मिलते है?

दिल्ली को अभी तक दो ऐसे कानून मंत्री मिले हैं, जिनकी डिग्रियां जाली होने का आरोप लग चुका है।

केजरीवाल के पहले कानून मंत्री सोमनाथ भारती की एलएलबी की डिग्री पर भी जाली होने का आरोप लगा और दूसरे कानून मंत्री जीतेंद्र सिंह तोमर तो फर्जी डिग्री को रैकेटियर निकले?

और अब सुना है कि केजरीवाल अब और कानून मंत्री लेकर आ रहें हैं, जिनका नाम है कपिल मिश्रा। केजरीवाल ने इनकी डिग्री देखी है या नहीं, मालूम नहीं?

लेकिन केजरीवाल ने नये प्रस्तावित कानून मंत्री कपिल मिश्रा की बदजुबानी काफी कुख्यात है, जो कब क्या बोलेंगे कुछ पता नहीं।

अब ऐसा आदमी कानून मंत्री बनेगा तो क्या हाल होगा? इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। क्या केजरीवाल के पास कोई साफ- सुथरा और जहनी-जानकार विधायक चुनकर नहीं आया है जो कानून मंत्री का ओहदा संभालने लायक हो?

ताजा खबर है कि केजरीवाल के पिछले कानून मंत्री सोमनाथ भारती तो पत्नी पीटू (प्रताड़ित ) भी निकले। सोमनाथ की पत्नी लिपिका आज गुहार लगाते हुए दिल्ली महिला आयोग पहुंची और पति पर पिछले 4-5 साल मारपीट करने का आरोप लगाया है।

#DelhiLawMinister #SomnathBharti #JitendraTomer #Kezriwal #AAP #KapilMishra 

कैसे बेहया, बेशर्म और निर्लज्ज हैं केजरीवाल एंड पार्टी?

पूर्व कानून मंत्री जीतेंद्र सिंह तोमर की फर्जी डिग्री को लेकर अब कोई भी शक और सुबहा नहीं रह गया है बावजूद इसके पार्टी रसातल की ऐसी खाई में गिर रही है कि अस्तित्व पर खतरा आ सकता है।

सुना है पार्टी प्रबुद्ध नेताओं ने दिल्ली सेशंस कोर्ट में कानून मंत्री जीतेंद्र सिंह तोमर की गिरफ्तारी के विरोध में चुनौती दी है।

कहते हैं कि ईश्वर जब खिलाफ होता है तो बुद्धि पहले छीन लेता है। ऐसा लगता है केजरीवाल एंड पार्टी की बुद्धि भी पूरी तरह से भ्रष्ट हो चुकी है वरना एक के बाद मूर्खता नहीं कर रहें होते?

अभी-अभी सुना है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने भी केजरीवाल जोर का झटका दे दिया है। हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय की नोटिफिकेशन को सही करार दिया है और दिल्ली एसीबी को केंद्रीय कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के अधिकार को अनुचित करार दिया है।

कहीं तो रुक जाओ केजरीवाल? तुम्हें दिल्ली की जनता ने तुम्हारे निजी अह्म की लड़ाई के लिए नहीं चुना था? अब तो बाज आओ? कहीं देर न हो जाये और दिल्ली की जनता जूते और अंडे फेंकने को मजबूर हो जाये?

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #JitendraTomer #LG #ACB #NajeebJung

4 दिन पुलिस रिमांड के बाद मंत्रीजी को याद आई नैतिकता?

पिछले 4 महीने तक दिल्ली के कानून मंत्री #जीतेंद्रसिंहतोमर को #नैतिकता की याद नहीं आई और आज जब दिल्ली पुलिस ने पकड़कर गिरफ्तारी कर ली और कोर्ट ने सुबूतों के आधार पर पुलिस रिमांड पर 4 दिनों के लिए भेज दिया तो नैतिकता याद आ गई?

क्या यही है केजरीवाल एंड पार्टी की राजनीतिक शुचिता और नैतिकता, जिसकी दुहाई देकर दिल्ली की जनता को मूर्ख बनाया था?

हद है मक्कारी की। जीतेंद्र सिंह तोमर की गिरफ्तारी के बाद #सिसोदिया से लेकर #संजयसिंह, #कुमारविश्वास, #अलकालांबा, #कपिलशर्मा और #आशुतोष ने कैसे राजनीतिक बयानबाजी की, लेकिन उनके सारे झूठे बयान तब उड़नछू हो गये जब कोर्ट ने जीतेंद्र सिंह तोमर को उनकी असली जगह पहुंचा दी।

काश! #केजरीवाल एंड पार्टी को पहले ही नैतिकता की याद आ जाती तो उनकी और दिल्ली की जनता की ऐसी फजीहत नहीं होती। खैर, केजरीवाल की कुत्सित मानसिकता और राजनीति दोनों से पर्दा उठ चुका है और समझ गई है कि केजरीवाल किस खेत के मूली हैं?

#Kezriwal #AAP #JitendraTomer #DelhiLawMinister #Morality #Resign

मंगलवार, 9 जून 2015

Mr.Ashutosh, Really I just see you amazed!

How change this man? Once he was grilling other party in ground of moral responsibility for resign and today he was defending fraud of his party member?

Is politics really change person's morality? If yes, then journalist shouldn't be join politics.

See how politics changed Ashutosh Ashu, who once has dignity being a journalist and now he has ruined everything whatever respect they earned in his whole career of journalism.

After IBN7 if Ashutosh Ashu not join such worse #APP party or do not enter in politics yet they got much respect & earn money but today #Ashutosh lost everything?

भ्रष्ट नेताओं के साथ खड़ी है केजरीवाल सरकार!

केजरीवाल एंड पार्टी का कहना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ पार्टी का काम चालू रहेगा? बस इतना स्पष्ट कर दें कि भ्रष्टाचार के खिलाफ या भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए काम चालू रहेगा?

क्योंकि भगौड़े घोषित विधायक #जनरैलसिंह, शराब की 5,000 से अधिक पेटियों के साथ पकड़े गये विधायक #बालियान, सीसीटीवी कैमरा और स्ट्रीट लाइट घोटाले से घिरी #राखीबिड़लान, फर्जी डिग्री धारी विधायक #कमांडो, महिला चरित्र हनन आरोपी #कुमारविश्वास और एक #राजस्थानीकिसान को सरेआम फांसी चढ़ा देने में मुख्यमंत्री केजरीवाल, उप-मुख्यमंत्री #सिसोदिया समेत पूरी आम आदमी पार्टी आरोपी है।

किसको मूर्ख बना रही है केजरीवाल एंड पार्टी? हर बार प्रत़्येक मुद्दे को मोदी, केंद्र और बीजेपी से जोड़ देने और खुद को पीड़ित दिखाने से केजरीवाल के पाप और अक्षमता नहीं छिपाई जा सकती है।

भाई, तुम्हारे तथाकथित कानून मंत्री (जिसकी डिग्री नकली हो) जीतेंद्र सिंह तोमर दूध के धुले हैं तो हर बार आंतरिक जांच की दुहाई देने वाले केजरीवाल क्या पिछले 4 महीने से झक मार रहे थे?

क्यों नहीं कराई #जीतेंद्रसिंहतोमर की डिग्री की अब तक जांच? इतने ही पाक-साफ हैं जीतेंद्र सिंह तोमर तो क्यों नहीं जांच होने तक मंत्री पद से हटा दिया?

#केजरीवाल साहब, आपके 4 महीने के ड्रामे से दिल्ली पूरी तरह से थक गई है और अपनी बेचारगी वाली शक्ल से तौबा करिये वरना न हाथ रहेगी दिल्ली और न मूरख बनी रहेगी दिल्ली?

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #FakeDegree #JitendraTomer

सोमवार, 8 जून 2015

आशुतोष को किसने एडीटर इन चीफ बना दिया था?

पूर्व पत्रकार और तथाकथित आम आदमी पार्टी नेता आशुतोष को टीवी चर्चा के दौरान या तो बेहूदगीपूर्ण हंसते हुए देखा जा सकता है या बुग्गा फाड़कर रोते हुए देखा जा सकता है।

आज तो हद हो गई जब बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक टीवी चर्चा में आशुतोष की बुद्धिमत्ता पर सवाल उठा दिए, क्योंकि आशुतोष चर्चा में पूछे गये सवालों के जबाव में मूर्खों की तरह हंसे जा रहे थे।

संबित पात्रा सवालों के जबाव देने के बजाय आशुतोष की हंसी-ठिठोली से परेशान हो गये तो बोले, "आश्चर्य होता है कि आशुतोष को एडीटर इन चीफ किसने बना दिया था?"

आशुतोष को संबित पात्रा की बात ऐसी चुभ गई कि वो आपा खो बैठे और खीझकर सरेआम धमकी से देने लगे?

एक कहावत है, "थोथा चना बाजे घना" आज आशुतोष की हरकतें और खीझ देख भरोसा हो गया कि संबित पात्रा ठीक ही कह रहे थे कि सचमुच किसने आशुतोष को एडीटर इन चीफ बना दिया था?
#Ashutosh #AAP #Kezriwal #LG #Media

शनिवार, 6 जून 2015

फिर पत्रकारिता से चाटुकारिता करने लगती है NDTV इंडिया!

केजरीवाल सरकस के मंचन को ऊर्जा देने के लिए आम आदमी पार्टी के प्रयास का सबसे बेहतर साथ एनडीटीवी इंडिया देती है।

ऐसा लगता है कि एनडीटीवी इंडिया केजरीवाल सरकस का ऑफिशियल चैनल बन गया है, जहां केजरीवाल से उनके अनुकूल सवाल पूछे जाते है और केजरीवाल वहां बैठकर सीना फुलाकर पानी पी-पीकर, भारतीय संविधान, उप-राज्यपाल नजीब जंग और बीजेपी के खिलाफ उछल-कूद करते हैं।

मतलब, केजरीवाल को जब भी तमाशा दिखाने के लिए उछल-कूद करनी होती हैं वे एनडीटीवी इंडिया पहुंच जाते है, जहां उनका स्वागत घर जमाई जैसा किया जाता है।

#Kezriwal #AAP #NdtvIndia #DelhiCM #LG