बुधवार, 29 अप्रैल 2015

बचने से नहीं, लड़ने से मिलेगी जिंदगी?

शिव ओम गुप्ता
बचकर नहीं, डटकर तुम्हें चलना होगा?
तुम्हें जिंदगी से लड़कर आगे निकलना होगा?

राह दुश्मन सही, इरादे बदलकर चलना होगा?
तुम नहीं या हम नहीं, तय करके ही भिड़ना होगा?

है आन में अभिमान तो उसमें जान भी भरना होगा?
तू ठान ले बस फिर तो उसको पिछड़ना ही होगा?

मत गौर कर कब क्या किसे समझाना होगा?
सरेराह ही सबक तुम्हें उसे सिखलाना होगा?

अब आन पर नादान, जान हथेली पर लेना ही होगा?
है जान पर अभिमान तो कीमत बतलाना भी होगा?

इसलिए फौरन तुझे अब मौन को दफनाना होगा?
औरत तुझे अब हाथ में खड्ग तो उठाना होगा?

और हाथ लकड़ी में अब ज्वाला तुझे भड़काना होगा?
क्योंकि लड़की नहीं है अबला उन्हें अब बतलाना होगा?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें