गुरुवार, 5 नवंबर 2015

AN OPEN LETTER TO SHAH RUKH KHAN By A Fan

Swati Rawal
Twenty years ago, you opened your arms wide,  your signature pose,  your unruly mop of hair and that mesmerizing smile I  was smitten.  Everytime you came on the wide-screen I would blush and have that silly smile on my face.

My friends especially the men would criticise you. My sons were embarrassed to see me swoon at the mention of your name. You were my superstar.  You sang for me and me alone.  You could do nothing wrong.

My meeting you face to face was perhaps one ofthe most amazing things to happen to me.

And like all good things. ..this fascination  this devotion has now come to an end.

In all my years of being your ardent fan the one thing that stood out for me was your intelligence. So today I stand here shocked and disappointed.

You too Shahrukh? ? Yes you are entitled to an opinion.  Yes you have every right as an Indian citizens  to voice whatever you feel strongly about. But....why have you been quiet till now. Enough has happened before, terrible terrible atrocities, injustices and inhumane acts , you have never stood up and spoken before. So why now? What has compelled you to feel so. How has the so called intolerance escalated in just 18 months that you have taken it upon yourself to speak out.

Explain to your million fans who have never bothered to check if you are tall enough handsome enough intelligent enough or which back ground you belong to. Tell us how our beautiful nation has made you feel that we are intolerant.

I do not endorse any of the rubbish statements by fringe elements. Let's ignore them as that's what they deserve. But I do feel if you have gone on record to say what you have you must explain yourself further. Surely you realize your words influence not just us Indians but also the opinion of others worldwide . Did you stop to think what you were doing to reputation  of our country

I waited two days for a clarification from you and when none was forthcoming I have chosen to write this on my fb page.

Today is my last day as your fan. Whether you read this or not. Whether i make a difference to you  or not. Whether you address these question or not.I feel too strongly about the unity of our country to allow you or anyone else to speak like this without explanation.

A sad ex- fan Swati Raval 

बुधवार, 4 नवंबर 2015

सुधीन्द्र कुलकर्णी के बहाने पर असहिष्णुता पर रोने वाले मुंह छिपाते फिर रहें हैं!

शिव ओम गुप्ता
पाकिस्तान में सुधीन्द्र कुलकर्णी के भारत विरोधी बयान सुन-देख कर आज पूरा भारत शिवसेना द्वारा कुलकर्णी पर कालिख पोतने की कार्रवाई पर गर्व महसूस कर रहा होगा!

पाकिस्तान में दिये कुलकर्णी के भारत विरोधी बयान का वीडियो देखने और सुनने के बाद वो लोग जो तब कुलकर्णी पर कालिख पोतने की भर्त्सना कर रहे थे आज आत्महत्या कर लेना चाहेंगे?

तो थूक कर चाटने में उस्ताद लोग कुलकर्णी द्वारा  पाकिस्तान में दिये बयान का वीडियो न देखें वरना आज फिर थूके हुए को चाटना पड़ेगा?

#SudhindraKulkarni #PakistanTour #Inkthrow #ShivSena #Intolerance

क्या भारत में मुस्लिम अरब या खाड़ी देशों से आये हैं?

जिस दिन भारतीय मुस्लिम यह स्वीकार कर लेंगे कि वो मुस्लिम बाद में पहले भारतीय है, उस दिन से उनका राजनीतिक इस्तेमाल भारत में बंद हो जायेगा। यह देश जितना हिंदू का है उतना ही मुस्लिम का है। कौन किस धर्म में आस्था रखता है या नहीं इससे उसकी भारतीयता में कोई कमी नहीं आती है। 
क्योंकि भारत में रह रहे मुस्लिम अरब अथवा खाड़ी देश से पलायन करके भारत में नहीं बसे हैं। यह अकाट्य सच है कि सभी भारत-पाकिस्तान में रह रहे मुस्लिम और उनके पूर्वज हिंदुस्तानी हैं, जिन्हें कभी मुस्लिम आक्रमणकारियों ने जबरन मुस्लिम बना दिया था,यह सच सभी भारतीय मुस्लिम जानते भी हैं।
भारतीय संस्कृति या हिंदू संस्कृति में सहिष्णुता स्वायत्य रुप से विद्यमान है, जिसमें सभी धर्म, संस्कृति और पंथ को मानने वालों का सम्मान सर्वोपरि है, लेकिन मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले राजनीतिक मुस्लिमों को डराकर और उनमें असुरक्षा की भावना भड़काकर सदा अपनी रोटियां सेंकी है और मुस्लिम हमेशा ठगा गया है।
‪#‎Muslim‬ ‪#‎Hindu‬ ‪#‎Intolerance‬ ‪#‎Insecurity‬ ‪#‎Congress‬ ‪#‎VoteBank‬

राहुल गांधी थोपने के लिए असहिष्णुता का स्वांग बंद करो सोनिया गांधी?

शिव ओम गुप्ता
सत्ता सुख का फस्ट्रेशन कांग्रेस को देश विरोधी काम करने के लिए भी रोक नहीं पाती है। उदाहरण है कांग्रेस का तथाकथित असहिष्णुता (Intolerance) का हाईप्रोफाइल ड्रामा?

एक इंसान दिन रात एक करके देश की छवि बदलने के लिए देश-विदेश से भारत में निवेश बढ़ाने के लिए काम कर रहा है और कांग्रेस, जिसका 60 वर्षों का काला इतिहास है, वह मारे फस्ट्रेशन और जलन में असहिष्णुता का गाना गा रही है।

हां, वो कांग्रेस, वही कांग्रेस... जिसने 3000 निर्दोष सिखो को महज बदले के लिए मौत के घाट उतरवा दिया, वो कांग्रेस जिसने राजनीतिक फायदे के लिए सबसे पहले राम जन्म भूमि मंदिर का ताला खुलवाया, अरे वहीं कांग्रेस जिसने पिछले 10 वर्षों के कार्यकाल में घोटालों और भ्रष्टाचार करके देश की साख गिरा कर जग हंसाई करा आई?

आज वही कांग्रेस देश को असहिष्णुता के ऊपर ज्ञान दे रही है। मतलब बगुला भगत हमें ज्ञान दे रहा है, जिसका पूरा का पूरा शरीर ऐसी राजनीति के लहू से सना हुआ है।

सोनिया एंड पार्टी को शर्म आनी चाहिये कि वो किसे मूर्ख बना रहें हैं। अब जनता इतनी भी भुलक्कड़ नहीं है कि वो भूल जायेगी कि पिछले 10 वर्षों में कांग्रेस नीत यूपीए सरकार और उसके तथाकथित प्रधानमंत्री ने देश -विदेश में भारत का कितना बेड़ा गर्क किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण महज 18 महीने के कार्यकाल मे भारत की छवि न केवल बदल गई है बल्कि भारत के साथ आज हर महाशक्तिशाली देश खड़ा होना चाहता है, लेकिन देश में छोटी सी हुई इक्का-दुक्का घटनाओं की आड़ में देश की जनता कांग्रेस को राजनीति की दुकान सजाने नहीं देगी।

और वो कांग्रेसी दुकान, जिस पर पूरा देश लानत भेजता है, जिसके कार्यकाल में हुए बड़े-बड़े घोटालों और भ्रष्टाचार पर पूरा देश आज भी शर्मिंदा है।

चुल्लु भर पानी में डूब मरो कांग्रेसियों? तुम्हें क्या लगता है देश की जनता तुम्हारी राजनीतिक ढकोसलों, नौटंकियों और दुष्प्रचारक कारगुजारियों पर यकीन करेगी और तुम्हारे पिछले पापों को माफ कर देगी, तो तुम्हारी बड़ी भूल है।

सोनिया गांधी और कांग्रेस को अब यह अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि देश अब थोपे हुए पप्पू और रिमोट संचालित प्रधानमंत्री को सहन करने वाला नहीं है। सोनिया गांधी और कांग्रेस जब तक पप्पू उर्फ राहुल गांधी को सेट करने के लिए राजनीतिक लड़ाई लड़ेंगी, देश की जनता उनका साथ नहीं देने वाली है।

क्योंकि देश की जनता गांधी परिवार की वैचारिक और भावुक गुलामी से बाहर आ चुकी है और अब वह कांग्रेसी विकास के बजाय देश और स्वयं के विकास की ओर देख रही है और जो विकास की बात करेगा वहीं भारत पर राज करेगा वह चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस, कोई फर्क नहीं पड़ता।

भारत देश की जनता आज युवा है और आज का युवा भावनाओं और वैचारिकता में नहीं, विकास प्रेरित राजनीति को समर्थन करती है।

तो कांग्रेसियों अब भी वक्त है, सुधर जाओ और असहिष्णुता का स्वांग छोड़ कर मुद्दों पर आ जाओ वरना 2019 लोकसभा चुनाव असहिष्णुता पर जीत पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है।

क्योंकि हिंदू और हिंदुस्तान की पहचान ही सहिष्णुता है, जहां पता नहीं कितने आतताई आये और चले गये, लेकिन हिंदूस्तान सांस्कृतिक और धार्मिक रुप से सदा सहिष्णु और आबाद रहा था और आगे भी आबाद रहेगा।

तो कांग्रेसियों असहिष्णुता का स्वांग छोड़कर, वास्तविकता की धरती पर लौट आओ और देश को राहुल गांधी थोपने का विचार छोडकर कुछ ऐसी बातें करो जो लोगों के भेजे में जाये, उनका भेजा फ्राय मत करो।
#Congress #SoniaGandhi #Intolrance #MarchDrama #Modi #UPA #SikhMurder

मंगलवार, 3 नवंबर 2015

कांग्रेस समझती है कि असहिष्णुता (डर की राजनीति) फिर उन्हें सत्ता दिलायेगी?

शिव ओम गुप्ता
मैडम सोनिया जी, देश आपकी घटिया राजनीति को समझ रहा है। देश को पता चल चुका है कि मोदी सरकार के विकासोन्मुख कामकाज से कांग्रेस कितने फस्ट्रेशन से गुजर रही है।
देश यह भी समझता है कि कांग्रेस के पास करने और कहने को अभी कुछ नहीं है, क्योंकि जो पार्टी पिछले 60 वर्षों में देश के लिए कुछ नहीं कर सकी, वह आगे क्या करेगी?
अच्छा है कि असहिष्णुता (Intolerance) का हवाई पुल बना लिया है, इससे अब जल्द ही आपको यह भी एहसास हो जायेगा कि देश में कितने कांग्रेस भक्त और गांधी परिवार प्रेमी बचे हुए हैं जो विकास के बजाय कांग्रेसी विनाश के पैरोकार है।
मैडमजी, हाथ-पांव समेटने का वक्त आ गया है अब? याद रखिये, यह देश अब उतना मूर्ख और भावुक नहीं रहा, जितना पहले रहा था, देश का हर नागरिक अब विकास के प्रति अधिक संजीदा है और उसी ओर देख रहा है।
बदलना है तो खुद को बदलिए और कांग्रेस की आइडियोलॉजी को बदलिए, जो सिर्फ सत्ता में आते ही सिर्फ अपना विकास करना जानती है और सत्ता से दूर होते फस्ट्रेशन में चली जाती है और ऐसे ऊल-जुलूल मूर्ख बनाने वाले असहिष्णुता वाले मुद्दे बनाने की कोशिश करती है, जिनका भारत जैसे सहिष्णु देश में अस्तित्व ही नहीं है।
हिंदुस्तान की सहिष्णुता ही है कि बहुसंख्यक होते हुए भी हिंदू सब के साथ प्रेम और सद्भाव से सदियों से रहता आया है, जिसके लिए हिंदू को किसी राजनीतिक पार्टी से सीखने की जरूरत नहीं है, कम से कम कांग्रेस जैसी पार्टी से तो बिल्कुल नहीं, जिसने सत्ता सुख के लिए और सत्ता हासिल करने के लिए प्रत्यक्ष और परोक्ष रुप से देश को दंगों और फसादों में ढकेलती रही है।
‪#‎SoniaGandhi‬ ‪#‎Fake_Intolerance‬ ‪#‎Modi‬

सोमवार, 2 नवंबर 2015

और अब असहिष्णुता (Intolerance) की दुकानें भी खुल रहीं है?

शिव ओम गुप्ता
साउथ बेस्ट दिल्ली के कटवारिया सराय में पिछले 5 वर्षों से रह रहा हूं, जहां 100 फीसदी आबादी हिंदुओं की है, लेकिन पूरे गांव में आज कल का नजारा बिल्कुल बदला-बदला नजर आ रहा है।

यकीन मानिए, पिछले पांच वर्ष में इक्का-दुक्का छोड़कर  चिकन-मटन की दुकान नहीं थी, लेकिन पिछले 3 महीने के अंतराल में एक के बाद एक तकरीबन 5 दुकानें मुरादाबादी- हैदराबादी चिकन-मटन बिरयानी खुल गई है।

लेकिन आज गांव का नजारा अलग था, गांववाले कुकुरमुत्तों की तरह अचानक उग आये ऐसे दुकानों के खिलाफ लामबंद हो गये और पुलिस प्रशासन को बीच-बचाव के लिए पहुंचना पड़ा।

क्या है ये? कहीं ये तथाकथित असहिष्णुता (Intolerance) के समर्थन को हवा देने के लिए की जा रही साजिश तो नहीं है? अगर नहीं? तो यह ऐसा अचानक क्यों हो रहा है।

मसलन, जबरन ऐसी दुकानें खुलवाई जा रहीं हैं ताकि हिंदू समुदाय थोपे जा रहें इन दुकानों का स्वाभाविक विरोध करें और असहिष्णुता का मुद्दा और प्रभावी और प्रासंगिक लगने लगे?

क्या यह कांग्रेसी साजिश का हिस्सा नहीं है, जो पिछले कई महीनों से यह सब चुपचाप देख रही है और हिंदू-मुस्लिम को एकता का एक भी संदेश नहीं दिया। और आज इसी मुद्दे को भुनाने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी राष्ट्रपति से मिलने जा रहीं हैं?

सवाल आप से है और आप खुद तय कीजिये, क्योंकि कांग्रेस ने सत्ता के लिए पहले भी ऐसी हरकतें की है और लोगों की बलि लेकर सत्ता हासिल करने की कोशिश की है।

स्वयं विचार कीजिये और नजर दौड़ाइये कि कहीं आप के इलाके में भी मुरादाबादी- हैदराबादी चिकन-मटन बिरयानी की दुकानों की संख्या तो नहीं बढ़ रही?

अगर हां, तो संयम न खोयें और धैर्य से काम लें, क्योंकि ऐसी साजिशों से राजनीतिकों को उनके मकसद में कामयाब नहीं होने देना है, जो एक-दूसरे को लड़ाकर राजनीतिक फायदा लेती आईं हैं।

कटवारिया सराय की उक्त घटना संकेत है कि कोई तो साजिशन हमें विकास के मुद्दे से इतर ले जाना चाहता है और अब आप पर है कि इनसे आपको कैसे निपटना है।

दुकानें खुल रहीं हैं तो खुलने दीजिये, विरोध मत कीजिये, ऐसी दुकानें जैसे खुली है, वैसे ही बंद हो जायेंगे, क्योंकि इनका मकसद दुकानदारी नहीं, कुछ और है।

#Nexes #Intolrance #Congress #Riots  #Hindu_Muslim #Bihar_Polls #Vote_Bank

रविवार, 1 नवंबर 2015

सोनियाजी, देश में असहिष्णुता की फसल पक गई है..बस काट लीजिये?

सोनिया गांधी कह रहीं है कि देश में फैल रहे असहिष्णुता को दूर करने के लिए कदम उठाउंगी।

हां सोनिया मैडम जी, जरूर...फसल लहलहा रही है.. आइये काटिये? तुम्हारे दरबारी कवियों और पाले हुए गुर्गों ने अच्छा काम किया है।

लेकिन इतना ध्यान रखियेगा कि यह देश सहिष्णुता की मिसाल है, आपकी नौटंकी से न घटेगा और न बढ़ेगा? हां, आपकी फस्ट्रेशन को थोड़ी राहत जरूर मिल जायेगी।

थोड़े बयान दे लीजिये और थोड़े प्रेस कांफ्रेंस की लफ्फाजी कर लीजिये बाकी देश कांग्रेसी हकीकतों से वाकिफ है तभी तो उखाड़कर फेंक दिया था। बस नामोंनिशान मिटाना बाकी रह गया है।

सोनियाजी, यह भी हो जायेगा, बस यह नौटंकी जारी रखियेगा, क्योंकि देश की नई पीढ़ी अब गांधी परिवार की भावुक गुलामी में नहीं, विकास की ओर देख रहा है।

#Congress #Frustration #Intoleance #GandhiFamily #AwardReturn #Modi

शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2015

असहिष्णुता की बीन जबरन बजाई और साजिशन सुनाई जा रही है?

कल रात एनडीटीवी प्राइम टाइम पर रवीश कुमार के शो पर तथाकथित असहिष्णुता पर जारी बहस पर तब पानी पड़ गया जब लोकगायिका मालिनी अवस्थी की एंट्री हुई।

हिंदुस्तान की जीवनशैली में सहिष्णुता के विद्यमान होने और देश में असहिष्णुता को लेकर लेखकों के बाद अब फिल्मकारों द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार वापसी को राजनीति प्रेरित बताकर मालिनी जी ने नि:संदेह सरेआम सबकी पोल खोल दी।

जनसत्ता के पूर्व संपादक ओम थानवी तो शर्म से पानी-पानी हुए जा रहे थे कि असहिष्णुता के लिए उनकी बनी बनाई झूठी हवा बहस के अंत में हवाहवाई हो गई।

#Intolrance #Media #Congress #Rumors #Nexes #Modi #DelibrateAction

बुधवार, 28 अक्तूबर 2015

क्यों दिल्ली को मूर्ख पर मूर्ख बना रहे हो केजरीवाल?

तुम अच्छी तरह जानते हो केजरीवाल कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली कभी भी पूर्ण प्रदेश का दर्जा हासिल नहीं कर सकती है, बावजूद इसके तुमने झूठे वादों पिटारा खोलकर दिल्लीवालों को मूर्ख बनाकर वोट ले लिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री बन बैठे और अब अपनी नाकामी छुपाने के लिए दिल्ली पुलिस की अधीनता हासिल करने का स्वांग रच रहे हो?

केजरीवाल बंद करो अपनी नौटंकी, क्योंकि दिल्ली की जनता समझ चुकी है कि उनसे भारी गलती हो चुकी है और अब वह तुम्हारे बेफिजूल के झांसे में नहीं आने वाली है।

मियां केजरीवाल, पहले चीनी, प्याज की बिक्री और खरीद घोटाले का हिसाब दो और खुद को पाक साफ होने की सफाई दो? एक तो चोरी और उस पर पुलिस पर भी अधिकार चाहिए, फुद्दू समझ रखा है क्या? काम कर ले!
#Kezriwal #AAP #DelhiPolice #Modi #RapeCapital

मंगलवार, 27 अक्तूबर 2015

Intolerance (असहिष्णुता) कांग्रेसी तमाशा है, हार का फस्ट्रेशन है।

कांग्रेस जब जब चुनाव हारती है तब तब मुस्लिम-हिंदू को एक दूसरे को भिड़ाने की कोशिश करती रही है। बात आजादी से पहले की करें या बाद करें।

जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री बनना चाहते थे इसीलिए हिंदुस्तान हिंदू-मुस्लिम में बांट दिया गया और आजादी के बाद जब जब कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई है वह हिंदू-मुस्लिम को भिड़ाने वाले वारदात को अंजाम देती आई है।

आज देश में हिंदू-मुस्लिम असहिष्णुता का जो बकवास हो रहा है, इसके पीछे भी कांग्रेस की साजिश है। देश में माहौल बिगाड़ने के लिए कांग्रेस ऐसे प्रायोजित कार्यक्रम कर रही है, ताकि मौजूदा सरकार को बदनाम कर सत्ता के नजदीक पहुंचा जा सके।
#Congress #Frustration #Intolrance #Hatred #Nexes #Dadri #Dalit

बुधवार, 21 अक्तूबर 2015

शिवसेना पाकिस्तान विरोधी नहीं, आतंकवाद विरोधी है?

शिव ओम गुप्ता
शिवसेना के पाकिस्तान के प्रति परंपरागत रवैये के लिए बीजेपी को दोषी ठहराने और इसको देश में असहिष्णुता बढ़ने की बात कहने मूर्खता ही महामूर्खता की श्रेणी में गिने जायेंगे ।
क्यों? क्योंकि शिवसेना सत्ता में रही हो या न रही हो, उसने हमेशा पाकिस्तान और पाकिस्तानियों के खिलाफ ही अपनी राजनीतिक साख और छवि बनाई है और अगर वोट देकर महाराष्ट्र की जनता ने उन्हें अपना प्रतिनिधि बनाया है तो शिवसेना के विरोध को जनता का विरोध का विरोध समझना चाहिए ।
शिवसेना के इतिहास पर थोड़ा अपना भेजा फ्राई की कोशिश करेंगे तो कांग्रेस समेत उन तमाम पार्टियों के नेताओं का मुंह काला हो जायेगा, जो शिवसेना के परंपरागत गतिविधियों को लेकर बीजेपी सरकार पर निशाना साधते बकवास कर रहीं हैं कि देश में असहिष्णुता और भाईचारा खत्म हो गया है।
अभी अंतर सिर्फ इतना आया है कि शिवसेना महाराष्ट्र की साझा सरकार में शामिल है, इसीलिए ज्यादा हो-हल्ला हो रहा है जबकि पाकिस्तानी और पाकिस्तान के खिलाफ शिवसेना ने पिचें तक खुदवा दी थीं और इतना हल्ला नहीं हुआ था और न ही तब असहिष्णुता की पीपड़ी बजाई जा रही थी।
हांलाकि शिवसेना के रवैये में थोड़ा बहुत अंतर की बात करें तो शिवसेना ने अपने पारंपरागत स्टैंड से इतर पहली बार किसी पाकिस्तानी को सपोर्ट किया है और वो हैं नोबल शांति पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई।
शिवसेना ने मलाला युसुफजई के भारत आगमन का स्वागत किया है, लेकिन यह खबर किसी मीडिया में नहीं हैं। सबको पता है कि मलाला युसुफजई पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों की शिकार हुईं थी और उनके खिलाफ झंडा बुलंद किया था।

मंगलवार, 20 अक्तूबर 2015

हताश कांग्रेस मीडिया के जरिये देश विरोधी गेम खेल रही है!

शिव ओम गुप्ता
कांग्रेस की दोगली और खोखली राजनीति का भयावह सच यह है कि दरबारी साहित्यकारों ने अवॉर्ड लौटाकर चुनी हुई एक लोकतांत्रिक सरकार का ही नहीं, जनादेश का अपमान किया है। कांग्रेस की साजिश का हिस्सा बनकर जनता द्वारा चुनी गई एक पूर्ण बहुमत वाली सरकार के खिलाफ ये राजद्रोह कर रहें है।

असल में कांग्रेस के इशारे में हो रहे इन सारे नौटंकी में मकसद प्रधानमंत्री मोदी के विकासवादी चेहरे को उनके भगवावादी मूल पहचान में घसीट कर बदनाम करना है, जिसमें मीडियाकर्मी कांग्रेस के एक मोहरे भर की तरह इस्तेमाल हो रहें हैं।

मीडिया के सहयोग से कांग्रेस जनता में यह संदेश फैलाना की असफल कोशिश कर रहीं है कि भारत को फासीवाद की तरफ ढकेला जा रहा है, जिससे जनता को एक बार फिर मूर्ख बना कर कांग्रेस देश में सत्ता वापसी का बीज रोप सके।

मतलब, कांग्रेस वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रही है, जिस कारण देश में लगातार जहर की खेती और जहर फैलाये जा रहे हैं और असहिष्णुता और भगवाकरण की नुमाइशी चेहरे को मीडिया के चैनलों पर कालिख पोतकर लटकाया जा रहा है ताकि अगले चुनाव में सांप्रदायिक और संकीर्ण राजनीति की फसल काटी जा सके।

आप समझ गये हैं, कांग्रेस का यही प्लान है। बीजेपी पर असहिष्णुता और भगवाकरण की आरोप कांग्रेस का एक महज प्रायोजित कार्यक्रम है, जो सत्ता से बाहर होते ही कांग्रेस हमेशा करती रही है। यह कोई नई और छिपी बात नहीं है, इतिहास उठाकर देख लीजिये।

#Congress #BJP #Communal #Secular #Intolrance #AwardReturn #Modi #Media

सोमवार, 19 अक्तूबर 2015

शर्म करो टाइम्स नाऊ, बंद करो आग फैलाने वाली रिपोर्टिंग शैली!

शिव ओम गुप्ता
मीडिया गैर-जिम्मेदाराना तरीके से जबरन तिल का ताड़ बनाकर खबरों को पेश कर रही है। कश्मीर में हिंदू भावनाओं को उकसाने के लिए गौ मांस की पार्टी करने वाले विधायक राशिद इंजीनियर पर स्याही फेंकने की घटना को पिछले 2 घंटे से टाइम्स नाऊ दिखा रही है।

निः संदेह ऐसा लगता है कि मीडिया मौजूदा सरकार के  खिलाफ ऐसा माहौल तैयार करने में जुटी हुई दिखती है, जिससे देश में ऐसा संदेश जा रहा है कि देश गृह युद्ध की ओर बढ़ रहा है।

मुझे कोफ्त है ऐसे मीडिया संस्थानों से जो महज टीआऱपी के लिए (बिजनेस के लिए) छोटी सी छोटी खबरों का बेहिसाब दोहन कर रहीं है ताकि लोग भड़के और उनको और टीवी कवरेज मिले।

क्या मीडिया की जिम्मेदारी नहीं है कि वह खबरों के संचयन और संपादन में समझदारी बरते और हवा के विपरीत एजेंडा आधारित खबरों को कम दिखाए, जिससे समाज में शांति बरकरार रह सके।

लेकिन टाइम्स नाऊ के कवरेज को देखकर लगता है कि टाइम्स नाऊ न केवल दंगे भड़कवाना चाहती है बल्कि दंगे की आग में हाथ भी सेंकना पसंद करती है। इंक फेंकने की घटना निंदनीय है, लेकिन आग की लपटों के साथ टीवी पर न्यूज रिपोर्टिंग की शैली उससे कम घातक नही हैं।
#TimesNow #Media #Reporting #Kashmir #Rashid #Riots

मोदी के विकासवादी मुद्दे को पीछे ढकलेने के लिए हो रहें प्रायोजित कार्यक्रम!

शिव ओम गुप्ता
देश में आजकल कांग्रेस प्रायोजित स्पांसर कार्यक्रम खूब चल रह रहें है, तो देखिये और भूल जाइये। क्योंकि न्यूज चैनलों पर दिखाये जा रहे ये स्पांसर प्रोग्राम वास्तविक नहीं, आभासी हैं, जिसके पीछे के मकसद कुछ और है।

विकास की बात को पीछे करने के लिए कांग्रेस जैसे फस्ट्रेटेड राजनीतिक दल गौमांस, असहिष्णुता और भगवाकरण की झूठी राजनीति कर रहीं है, जिन्हें बिकी हुई चैनल्स हवा दे रहें हैं, तो ऐसे जैसे कार्यक्रमों को ऐसे झेले जैसे अपनी मनपसंद प्रोग्राम देखने के लिए विज्ञापन झेलना पड़ता है।

और ज्यादा अच्छा होगा कि तथाकथित क्रांतिकारी चैनलों से कुछ दिनों के लिए तौबा कर लें, क्योंकि प्रायोजित कार्यक्रम तब तक ही चलते हैं जब तक टीआरपी है, तो मनोरंजन चैनल की ओर ट्यून कीजिये और इनटोलरेंस की आभासी की दुकान बंद करने में मदद कीजिये!
#Intolrance #Congress #Hindu #Modi

रविवार, 18 अक्तूबर 2015

असहिष्णुता और धर्मनिरपेक्षता की आड़ में स्वार्थ प्रेरित रायता फैला रहें हैं साहित्यकार!

शिव ओम गुप्ता
सहिष्णुता ही हर हिंदू और हिंदुस्तानी की पहचान है। हां राजनीति के लिए नेताओं ने धर्म और धर्मनिरपेक्षता का चोचला भारतीय संविधान में ले आये और सब मिल कर मलाई काट रहें हैं।

भरोसा नहीं तो आंकड़े उठाकर देख लीजिये? क्योंकि हमेशा सच बयां करते हैं। हिंदू और हिंदुत्व की सहिष्णुता का प्रमाण है कि हिंदू_मुस्लिम आधार पर वर्ष 1947 में हुए भारत_पाकिस्तान के बंटवारे के बाद दोनों देशों में वर्ष 1951 में हुए पहली #जनगणना सारी कहानी बता देते हैं।

दोनों देशों द्वारा जारी किये गये वर्ष 1951 की जनगणना के मुताबिक पाकिस्तान में हिंदू_आबादी कुल पाकिस्तान की 12.9 फीसदी थी जबकि इसी वर्ष भारत में मुस्लिम_आबादी कुल हिंदुस्तान की आबादी 9.8 फीसदी थी।

लेकिन वर्ष 2011 में हिंदुस्तान के जनगणना के आंकड़े और वर्ष 1998 में पाकिस्तान के आखिरी जनगणना के आंकड़े हिंदुओं की सहिष्णुता और मुस्लिमों की असहिष्णुता को पोल खोल देते हैं।

पाकिस्तान में वर्ष 1998 में हुए आखिरी जनगणना के मुताबिक पाकिस्तान में हिंदू आबादी 14.2 से घट कर महज 1.6 फीसदी रह गई, जो वर्ष 1951 में कराये गये पाकिस्तानी जनगणना के घोषित हिंदू आबादी से करीब 13 फीसदी कम हो गया।

जबकि वर्ष 2011 में हिंदुस्तान में आखिरी जनगणना के जारी रिपोर्ट के मुताबिक हिंदुस्तान में मुस्लिम आबादी 9.8 फीसदी से बढ़कर 12.9 फीसदी पहुंच गई है, जो वर्ष 1951 में कराये गये हिंदुस्तान की पहली जनगणना के घोषित आबादी से 3 फीसदी से अधिक बढ़ा है।

इन आंकड़ों की रोशनी में अब आप तय कर सकते हैं कि हिंदू और हिंदुस्तान कितना सहिष्णु और भाईचारा प्रेमी है। खुद तय कीजिये कि कौन सहिष्णु है और कौन असहिष्णुता के नाम की राजनीति करते आ रहें हैं और सत्ता की मलाई काटते रहें हैं।

ये आंकड़े उन दोगले नेताओं और साहित्यकारों के मुंह पर तमाचा मारता है, जो तथाकथित सेकुलरिज्म (धर्मनिरपेक्षता) की आड़ में झूठ और धोखे की राजनीति करके धार्मिक उन्माद को हवा देते रहें हैं।

देश में धार्मिक असहिष्णुता ने नाम पर जो झूठ फैलाकर हिंदू-मुस्लिम के बीच उन्माद फैलाकर राजनीतिक रोटियां सेंकी जा रही है, उनको जबाव उन्हें ही देना होगा जिनको आजादी के बाद से कांग्रेस समेत पार्टियां मूर्ख बनाते आ रहें हैं और उनका वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करती रहीं हैं ।
#Intolerance #Secularism #Pakistan #Hindustan #Congress #Modi #BJP 

शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2015

मुझे मोदी भक्त कहें परवाह नहीं? पर थोड़े अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाएं?

शिव ओम गुप्ता
प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने से पूर्व से नरेंद्र मोदी की छवि एक प्रगतिमूलक और विकासवादी सोच रखने वाले और अपनी कथनी को करनी में तब्दील कर दिखाने वाले नेता के रुप में मशहूर थी। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने के लिए वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले कितने अग्निपरिक्षाओं से गुजरना पड़ा यह किसी से छिपा नहीं है।

सबका साथ और सबका विकास की सोच को आगे रखकर चलने के बावजूद नरेंद्र मोदी को कांग्रेस समेत उन सभी भयाक्रांत पार्टियों के बेबुनियाद और फिजूल आरोपों-विरोधों का ही सामना नहीं करना पड़ा, बल्कि अपने ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के उत्कंठा प्रेरित प्रतिरोध भी झेलना पड़ा।

बावजूद इसके नरेंद्र मोदी अडिग रहे और देश की जनता ने मोदी के विकासवादी सोच पर भरोसा किया और उन्हें भारी बहुमत देकर प्रधानमंत्री पद पर बैठा दिया, क्योंकि देश की जनता कांग्रेसी डर और विकास की डोर के अंतर को अच्छी तरह समझ गई थी।

बगैर किसी ठोस आधार के गुजरात दंगे में नरेंद्र मोदी के दोषी होने का दुष्प्रचार फैलाकर
कांग्रेस ने मोदी को लगातार राष्ट्रीय राजनीति से दूर रखने की कोशिश की, लेकिन देश के सर्वोच्च न्यायालय से सभी आरोपों से बरी होकर और क्लीन चिट मिलने के बाद मोदी खरे सोने की तरह तप कर न केवल बाहर निकले बल्कि कांग्रेस के झूठ, कपट और डराने वाली राजनीति को परास्त कर देश के प्रधानमंत्री मोदी भी बने।

प्रधानमंत्री पद पर बैठने से पूर्व और बैठने के बाद से ही 'सबका साथ और विकास' की सोच को ही आगे रखकर चलने वाले नरेंद्र मोदी ने 18 महीने के अपने कार्यकाल में वह कर दिखाया, जो पहले कोई प्रधानमंत्री नहीं कर पाया, लेकिन इस बीत कभी भी सांप्रदायिक राजनीति का समर्थन नहीं किया और बार-बार खुद मुखर विरोध किया है।

लेकिन लगातार मोदी की विकासवादी छवि चमकने और 'सबका साथ और सबका' विकास नारे की स्वीकार्यता बढ़ने से मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति करने वाली पार्टिया कांग्रेस-सपा समेत करीब सभी विपक्षी पार्टियां हैरान-परेशान हो गई हैं, क्योंकि मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले और बाद से वे लगातार हार दर हार झेल रहीं हैं।

आंकड़ें भी कहती हैं लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता में लगातार वृद्धि हुई है, जिसके बाद बीजेपी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में न केवल दोबारा सत्ता हासिल करने में कामयाब रही, बल्कि राजस्थान, महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा में भी पार्टी ने कांग्रेसी सरकारों को उठाकर फेंक दिया है।

कारण साफ है ऐसे में कांग्रेस और ऐसी तमाम पार्टियां घबड़ाई हुई हैं और हैरान और परेशान हैं कि ऐसे ही चलता रहा तो बिहार के बाद उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी की सरकार बनना लगभग तय है।

पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के दंगे और हाल के दादरी में हुए अति सांप्रदायिक घटनायें इस ओर इशारा कर रही हैं कि कौन क्या कर रहा है और क्यूं कर रहा है, क्योंकि अस्तित्व खो देने के संकट से जूझ रहीं है पार्टियां ही ऐसी आग को हवा दे सकती हैं और अब तक मिले तथ्य भी इसी की ओर इशारा कर रहीं हैं।

क्योंकि सांप्रदायिक दंगों के जरिये समुदाय विशेष को डराकर वोटों के ध्रुवीकरण की जरूरत उन्हें है जो अस्तित्व संकट से जूझ रहीं हैं, उन्हें नहीं जो लगातार लोकप्रियता हासिल कर रही है। सवाल है कि इन दंगों से किसका भला हो सकता है अथवा कौन लाभ लेने की कोशिश कर रहा है?

कारण स्पष्ट है! यह सारी सांप्रदायिक घटनाएं एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, यह जानबूझ करवाये जा रहें हैं, जिसके जरिये मोदी विरोधी मोदी पर कीचड़ उछाल कर एक विशेष समुदाय वर्ग के वोटों का ध्रुवीकरण कर सकें, लेकिन क्या ये सफल होंगे?

बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हालत सबको पता है, लेकिन सुशासन बाबू नीतीश कुमार की पार्टी हालत किसी से छिपी नहीं है और चारा घोटाले में सजायाफ्ता और अभी जमानत पर रिहा चल रहें लालू यादव के महागठबंधन की हकीकत भी किसी से छिपी नहीं है।

देख सकते हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव में
महज सत्ता पाने के लिए कैसे सांप, नेवले और छछूंदर एक बिल में बैठने को मजबूर हो गये हैं और सभी आदर्शों को ताख पर रख कर नीतीश बाबू राजद के जंगलराज और कांग्रेस के 2जी, कोलगेट और कॉमनवेल्थ घोटाले से बदनाम पार्टियों से गठजोड़ करके बिहार की जनता से एक बार फिर जनादेश मांगने को मजबूर हैं?

नोएडा के दादरी में हुई सांप्रदायिक घटना के मायने बिहार विधानसभा चुनाव मद्देनजर देखे जाने होंगे, क्योंकि मोदी विरोधी सभी पार्टियों के पास अभी कोई और दूसरा हथियार नहीं हैं, जिससे वे बीजेपी को बिहार में जीत से रोक सकें।

30 से अधिक साहित्यकारों द्वारा पुरस्कार लौटाने की कवायद भी इसी रणनीति का हिस्सा है, जिसके जरिये बिहार की जनता (मुस्लिम समुदाय) को डराया जा रहा है ताकि वे बीजेपी को वोट न करें।

मतलब, ऐसे कोमल हृदय साहित्यकार पर सवाल उठ रहें हैं, जो एक अदने से दादरी की घटना से इतने आहत हो गये हैं कि अपने-अपने पुरस्कार लौटा रहें हैं, लेकिन इनका कोमल हृदय तब जरा भी नहीं आहत हुआ जब पिछले वर्ष  मुजफ्फरनगर दंगे में 60 से अधिक लोग मौत के घाट उतार दिये गये और तब भी नहीं जब वर्ष1992 में मुंबई सांप्रदायिक दंगों में सुलग गया, जब 1984 में सिख मौत के घाट उतारे गये, और तब भी जब वर्ष 1984 में ही हजारों भोपाल गैस त्रासदी में मारे गये और कांग्रेस ने दोषी वॉरेन एंडरसन को देश से भगा दिया था।

कहते हैं राजनीति में सब जायज होता है, लेकिन साहित्यकार भी राजनीतिक पार्टियों के मोहरे की तरह इस्तेमाल होंगे, यह सोचकर ही डर लगता है। लेकिन 'लिया है तो चुकाना ही पड़ेगा' की तर्ज पर पुरस्कार पाने वाले साहित्यकार फर्ज निभाये तो कोई क्या कह सकता है। आखिर कहीं तो वफादारी निभानी ही पड़ती?

कहते हैं कि लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने की आजादी होती है। मतलब, फ्रीडम ऑफ स्पीच। लेकिन मोदी विरोधी (राजनीतिक नेता-बुद्धिजीवी वर्ग) बीजेपी नेताओं के फ्रीडम ऑफ स्पीच को उचित नहीं मानते?

कहने का अर्थ है बीजेपी नेता किसी भी सांप्रदायिक दंगा प्रभावित इलाके का दौरा करते हैं और कुछ कहते हैं तो गलत है और वहीं दूसरे किसी पार्टी का नेता कुछ कहते हैं और दौरा करते है तो वह 'फ्रीडम ऑफ नीड' हो जाता है? जिसकी मुखालफत कोई नहीं करता?

दादरी घटना के बाद सबसे पहले कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी पहुंचे, फिर एमआईएम नेता असुद्दीन ओवैसी पहुंचा, फिर क्रांतिकारी नेता केजरीवाल गये, तब तक कुछ नहीं हुआ, लेकिन बीजेपी नेताओं के वहां पहुंचने पर राजनीतिक रोटी सेंक रहें तथाकथित सेकुलर असहज हो गये।

क्रांतिकारी टाइप के कुछ मीडिया भी बीजेपी नेताओं के दादरी दौरे पर असहज होकर रिपोर्टिंग करने लगी और बीजेपी नेताओं को छोड़कर अन्य विपक्षी दलों के नेताओं के दौरे और बयानों को मीडिया ने मरहूम अखलाक के मरहम साबित करते नहीं थके।

अब इतनी समझ तो देश की जनता को खुद में विकसित करनी ही होगी कि कौन सी पार्टी और कौन सी सोच उनके विकास और प्रगति में सहायक हो सकती है और कौन नहीं?

देश के प्रत्येक वर्ग को अपनी और देश की माली हालत पता है और देश के अलग-अलग समुदायों को कभी जाति, तो कभी वर्ग में बांटकर वोट बैंक समझने वाली लुटेरी कांग्रेस को भी समझती है, जिसने देश को पिछले 68 वर्ष तक लूटा है और जनता उन पार्टियों दशा-दिशा भी उसे बखूबी समझती है जो उनके विकास के नाम पर अपना और अपने परिवार का विकास करती आईं है।
#Modi #BJP #Congress #Muslim #VoteBank #BiharPolls #DadriLynching

मंगलवार, 13 अक्तूबर 2015

पुरस्कार लौटाकर आकाओं को रिटर्न गिफ्ट दे रहें हैं तथाकथित साहित्यकार?

शिव ओम गुप्ता
उत्तर प्रदेश सरकार ने साहित्य जगत में तथाकथित ख्याति प्राप्त करीब 80 लोगों को रेवड़ी की तरह यश भारती पुरस्कार बांटे थे और जिन्हें पुरस्कार मिले थे उनमें 90 फीसदी साहित्यकार मुस्लिम और यादव थे।
सवाल उठता है अब साहित्यकार क्या मुस्लिमों और यादवों के घर का पता लेकर पैदा होने लगे हैं या और लोग गौ पालक हो गये या हुनर-धंधेबाज हो गये?
सीधी सी बात है अब सरकारें ऐसी साहित्यकारों की फौज को पुरस्कारों के एवज में राजनीतिक इस्तेमाल के लिए गढ़ती है, जिसका रिटर्न जरूरत के समय किया जाता है।
अभी कांग्रेस फसल काट रही है और अगले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में आसन्न हार के बाद सपा सरकार भी फसल काटेगी? अब भाई बिना बीज रोपे फसल थोड़े काटा जा सकता है?
धन्य हो ऐसी राजनीति और ऐसे दरबारी साहित्य और साहित्यकारों की, जिन्होंने पुरस्कार को दुकान और साहित्य को सामान बनाकर बेंच और खरीद रहें हैं।
यह सवाल इसलिए आबरू रखते हैं, क्योंकि जिन्होंने पुरस्कार लौटाएं हैं अथवा पद छोड़ा है, उनका दिल, दिमाग और गुर्दा कांग्रेस के शासनकाल में हुए विकराल नरसंहार और दंगों में नहीं पसीजा था।
‪#‎Riots‬ ‪#‎Intolrence‬ ‪#‎Litrate‬ ‪#‎Resign‬ ‪#‎Dadri‬

सुधींद्र कुलकर्णी का मुंह ही नहीं, आत्मा भी काली लगती है!

षिव ओम गुप्ता
वाह रे सुधींद्र कुलकर्णी मुंह तुम्हारा काला हुआ तो तुमने पूरे देश का मुंह काला करने की कोशिश कर डाला। उस पाकिस्तानी खुर्शीद कसूरी के बुक प्रमोशन के लिए भले ही तुमने मुंह से काला रंग उतार दिया, लेकिन तुम्हारी आत्मा अभी भी काली होगी।

क्योंकि जिस नापाक इंसान कसूरी के बुक प्रमोशन के लिए तुमने अपना ईमान और राष्ट्रप्रेम को ताख पर रख दिया उस कमीने मे तुम्हारे राष्ट्र के प्रधानमंत्री का अपमान किया है।

कमीने कसूरी ने पूर्व प्रधानमंत्री बाजपेयी की आड़ में प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधने की हिम्मत की है। उसने कहा है कि बाजपेयी ने जो शांति वार्ता शुरू की थी वह प्रधानमंत्री मोदी के शासनकाल में खत्म हो गया है।

कमीने कसूरी को कोई बताये कि उस शांति वार्ता की आड़ में परवेज मुशर्रफ और तत्कालीन विदेश मंत्री खुर्शीद ने भारत की पीठ से छूरा घोंपा था और भारत को कारगिल का युद्ध लड़ना पड़ा था!

लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के ईट के बदले पत्थर वाले जबाव की कार्रवाई से हैरान-परेशान पाकिस्तानी डरे-सहमे ऐसे बौखलाहट वाले बयान दे रहें हैं। डूब मरो सुधींद्र कुलकर्णी!
#SudhindraKulkarni #Pakistan #KhurshidKasuri

रविवार, 11 अक्तूबर 2015

प्रगति पथ पर है भारत, बस लाभ से कोई वर्ग वंचित न रहे?

शिव ओम गुप्ता
किसी भी देश की खुशहाल जनता ही उस देश की तरक्की और प्रगति का पैमाना होती है और भारत की तो बात ही अलग है।

हम सभी जानते हैं कि किसी भी समाज के उत्थान के लिए वहां रह रहे प्रत्येक वर्ग विशेष को एक समान शिक्षा, स्वास्थ्य और बेरोजगारी जैसी मूल जरूरतों को मुहैया कराना जरूरी है।

लेकिन भारत देश कई मामलों में अलहदा है, क्योंकि यहां के लोग अनुकूल और विपरीत परिस्थितियों में भी मेहनतकश होते हैं, फिर चाहे वह मध्यम वर्ग हो अथवा गरीब वर्ग?

यानी सरकार अगर देश की बीमारी, बेकारी और बेचारगी को दूर करने में कदम उठाती है तो मेहनत करके ऊपर उठना और आगे बढ़ना हमारे देश की जनता अच्छी तरह से जानती है।

मौजूदा मोदी सरकार ने सामाजिक सुरक्षा के लिए पहली बार ऐसे कई कदम उठायें  है, जो अगर देश के हरेक नागरिक तक पहुंच गये तो विकास ही नहीं, विकास की अम्मा, नानी और दादी को भी आने से कोई रोक नहीं सकता है।

देश में पहली बार एक अभियान की तरह शुरू हुए जन धन योजना के तहत गरीब से गरीब लोगों का बैंक खाता खुलना एक बड़ी उपलब्धि है, जिससे सरकारी सहायता जरूरतमंदों को बिना बिचौलियों को सीधे उन्हें मिलने शुरू हो चुके हैं।

बैंकिंग सुविधा से गरीब और मध्यम वर्ग को एक तरफ जहां सरकारी मदद और योजनाओं के लाभ सीधे मिलने शुरू हो गये हैं, दूसरी तरफ 1 रुपये प्रतिमाह की सस्ती दुर्घटना बीमा, 230 रुपये प्रतिमाह में पेंशन योजना से उनकी सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य की अनिश्च्तता की चिंता पर विराम लगा दिया है।

मोदी सरकार की चुनौती बस इतनी सी है कि वह शुरू किये सभी सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ प्रत्येक वर्ग तक पहुंचाये और उसके अमल में भी तेजी लाये, ताकि उक्त योजनाओं से जुड़े जरूरतमंदों को उनकी जरूरत पर किसी का मुंह न देखना पड़े।



मंगलवार, 6 अक्तूबर 2015

लॉ एंड ऑर्डर नहीं, मुआवजा वाली है अखिलेश सरकार!

शिव ओम गुप्ता
कौन नहीं जानता कि उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार प्रदेश इतिहास की सबसे नकारा और निकम्मी सरकार है और उसके नकारापन और निकम्मेपन को छिपाने के लिए अखिलेश के दायें-बायें हमेशा रहने वाले अदृश्य मुख्यमंत्रियों की टोली दंगा और मुआवजे का गंदा खेल रच रही है।

उत्तर प्रदेश में जब से अखिलेश यादव की सरकार सत्तासीन हुई है प्रदेश की लॉ एंड ऑर्डर भगवान भरोसे चल रहीं है, जिसके लिए रोजाना मीडिया की खबरें ही नहीं, पिता मुलायम ही मुख्यमंत्री को लताड़ते रहें हैं।

पिछले 3 वर्षों में उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व में प्रदेश की हालत बद से बद्दतर हुई है और तथाकथित मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कुछ करने के बजाय मुआवजा राजनीति कर रहें हैं।

अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री पद के शपथ के दिन से लेकर उत्तर प्रदेश लॉ एंड ऑर्डर की समस्या बिकराल होती गईं है, क्योंकि गुंडों और अपराधियों के हौसले बुलंद है।

अखिलेश सरकार के कार्यकाल में प्रदेश की हालत के लिए अपराध के आंकड़े की देखने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह सरकार अपराध नहीं, अपराधियों के जाति-संप्रदाय के आधार पर कार्रवाई करती नजर आई है।

मुजफ्फर नगर और दादरी जैसे मामले प्रदेश सरकार की नकारा और तुष्टिकरण की राजनीति के कारण जन्म लेते है, जिसका सीधा जुड़ाव लॉ एंड ऑर्डर के फेलियर से है।

उत्तर प्रदेश में अपराध और अपराधियों के हौसले बुलंद है, क्योंकि वहां एक नहीं, पांच-पांच मुख्यमंत्री काम कर रहें हैं। अपराधी किसी भी समुदाय से हो, उसे पता है कि कुछ होना जाना नहीं है, मुआवजा बांटकर इतिश्री कर लेगी अखिलेश सरकार ।

#AkhileshYadav #UPGovernment #LawAndOrders #Riots #Failurs