बुधवार, 26 अगस्त 2015

बिहार की राजनीति से नीतीश का राजनीतिक पतन शुरू हो गया है!

शिव ओम गुप्ता
नीतीश कुमार की राजनीतिक पतन का दौर चल रहा है और तेजी से नीतीश पतन की ओर बढ़ रहें हैं।

नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री बनने की आकांक्षा में एनडीए से गठबंधन तोड़ा और लोकसभा चुनाव के बाद फटेहाल हो गये।

चुनाव बाद खिसियाये नीतीश ने बिहार की जनता को भगवान भरोसे छोड़ बिहार की गद्दी छोड़ कर इसलिए अलग हो गये ताकि प्रधानमंत्री बिहार दौरे पर कभी आयें तो अगवानी न करने पड़े,

नीतीश का दांव फिर उल्टा पड़ गया और फिर माफी मांगते हुए मुख्यमंत्री पद संभालना पड़ा और जिसके लिए मुख्यमंत्री का पद त्यागा था, झक मारकर प्रधानमंत्री की अगवानी करनी ही पड़ी।

नीतीश का पतन का संकेत नीतीश और लालू गठबंधन भी दे रहा है। लालू प्रायोजित जंगलराज और भ्रष्टाचार के खिलाफ बिहार की जनता से वोट लेकर मुख्यमंत्री बने नीतीश अब लालू यादव के साथ एक बार फिर बिहार में जंगलराज की वापसी करवाना चाहते हैं।

कहते हैं कि जब इंसान का बुरा वक्त आता है ईश्वर उसकी बुद्धि पहले छीन लेते हैं। कुछ ऐसा ही अब नीतीश कुमार के साथ हो रहा है।

सुना है आज दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस में आयोजित में नीतीश कुमार ने मोदी सरकार द्वारा घोषित 1.25 लाख करोड़ रुपये के विशेष पैकेज को हवाई करार दिया है।

अब नीतीश का पतन तो कोई रोक नहीं सकता है, क्योंकि बिहार अब जंगलराज की ओर मुड़ने के लिए लालू+नीतीश के महाठगबंधन को वोट देने से तो रहा, लेकिन विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा घोषित ऐतिहासिक पैकेज पर राजनीतिक नुक्ताचीनी कर रहे नीतीश को सबक भी सिखायेगी।

तो नीतीश जी बार-बार बिहार की बात बिहार में कहने के लिए दिल्ली आने की जहमत मत उठाइये, क्योंकि बिहार की जनता आगामी विधानसभा चुनाव में आपको परमानेंट बिहार से निकालकर दिल्ली फेंकने जा रही है और राज्यसभा सीट संसद में धुनी रमाते रहियेगा?

#Nitish_Kumar #Bihar_Poll #Lalu_Yadav #RJD_JDU #Special_Package #Modi 

मंगलवार, 25 अगस्त 2015

हार्दिक पटेल में केजरीवाल के अराजकता का विस्तार दिखता है?

शिव ओम गुप्ता
लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखना और प्रदर्शन करना लोकतांत्रिक जड़ों को मजबूत करती हैं लेकिन जब से धरना-प्रदर्शन की राजनीति करके केजरीवाल एंड पार्टी ने दिल्ली में सरकार बना ली है लोकतंत्र रसातल की ओर बढ़ चला है।

इसका ताजा उदाहरण आजकल गुजरात में देखने को मिल रहा है, जहां एक नौजवान कांधे पर बंदूक रखकर लोकतांत्रिक लड़ाई लड़ने की पहचान बना रहा है और भाई लोग और मीडिया भी चुपचाप तमाशाई बने हुए हैं ।
बंदूकधारी हार्दिक पटेल

सीरिया और इराक में आईएस आतंकियों का मनोबल ऐसे ही नहीं बढ़ा होगा जब वे बंदूक से न्याय दिलाने के लिए उठ खड़े हुये और देखते ही देखते पहले उन्होंने उन्हीं को खत्म किया, जो चुपचाप तमाशा देख रहे थे।

हार्दिक पटेल नामक उक्त बंदूकधारी युवक को जिस तरह महिमा मंडित करके से पेश किया जा रहा है, वह बिलकुल ठीक नहीं है। लोकतंत्र में बंदूक के लिए कोई जगह नहीं है, लेकिन जबरन हार्दिक पटेल को फोटो सहित प्रचारित किया जाना बेहद ही खतरनाक स्थिति को जन्म दे सकता है।

केजरीवाल एंड पार्टी का साइड इफैक्ट हम देख रहें हैं, जिसने अपने वैयक्तिक और छुपे राजनीतिक कैरियर के लिए लोकतांत्रिक टोटकों व तरीकों के जरिये लोगों को बखूबी मूर्ख बनाया और मुख्यमंत्री बन बैठा, लेकिन अब केजरीवाल की खाल में छुपे भेड़िये एक -एक कर बाहर आ रहें है और वोट देकर ठगे जा चुके लोगों की आंखें अब खुली ही नहीं रहीं हैं बल्कि फट जा रहीं हैं।

मैंने तो यहां तक सुना है कि यह बंदूकधारी हार्दिक पटेल केजरीवाल समर्थक भी है। इसने लोकसभा चुनाव के दौरान केजरीवाल को समर्थन भी दिया था? सोचिये केजरीवाल और केजरीवाल समर्थित युवक की बंदूक वाली तस्वीर के बारे में और कल्पना कीजिये?

केजरीवाल तो कथित रुप से खुद को अनाचारी अराजक घोषित पहले ही कर चुका है और लगता है बंदूकधारी हार्दिक पटेल केजरीवाल की अराजकता का विस्तार है। अब तो भगवान ही बचाये?

#Kezriwal #AAP #Hardik_Patel #Reservation #Protest #GunPoint #Gujarat

शनिवार, 22 अगस्त 2015

थैंक्यू भैय्या की जगह, सिर्फ थैक्यू ही बोल देती...तो क्या चला जाता?

रोजाना मैट्रो रेल से ही आवास से ऑफिस की दूरी तय करता हूं, लेकिन मेट्रो स्टेशन पहुंचने के लिए अक्सर ऑटो विद शेयरिंग (इकोनॉमी, यू नो) प्रीफर करता हूं!

पर आज ऑटो विद शेयरिंग में मुझे लेकर दो ही वंदे ही थे, हमें एक और वंदे की तलाश थी पर १० मिनट इंतजार के बाद भी कोई नहीं आया और ऑफिस पहुंचने की जल्दी में हम थोड़ा झेलने को राजी हो गए और जैसे ही ऑटो वाले से कहा, 'चलो भैय्या' तभी जोर की एक लड़की की आवाज गूंजी, भैय्या हौज खास मेट्रो जाएंगे क्या?
ऑटो वाले ने बोला, हां...आ जाइए!

लड़की १८-२१ की रही होगी,  उसने एक सरसरी नजर मुझपर और मेरे सहयात्री पर दौड़ाई और न कहने वाली थी मैं बोल पड़ा (इकोनॉमी, यू नो) आप हौज खास मेट्रो जाएंगी, डोन्ट वरी यू कैन सिट हीअर...

लड़की ने अनमने ढंग से फिर हमें घूरा और मानों हमें और हमारी औकात को तौल लिया हो और मेरे बगल वाली सीट पर धंस गई (जल्दी में थी शायद)

मैंने ऑटो वाले से कहा, चलो भैय्या...और ऑटो वाला गर्र..र्र..र्र..र्र..से आगे बढ़ लिया....हम ऑल मोस्ट पहुंचने ही वाले थे कि आईआईटी गेट के पास ऑटो गर्र गर्र करके बंद हो गई, मेट्रो स्टेशन वहां से वॉकिंग डिस्टेंस पर है,  हम निश्चिंत थे पर वो लड़की परेशान हो गई, मेरी तरफ देखते हुए, अब...?

मैंने उसकी ओर देखा (बेहद खूबसूरत आंखें) और हड़बड़ाते हुए बोला...अब, कुछ नहीं...पैसे देते हैं ऑटो वाले को और निकलते हैं...पास में ही है हौज खास मेट्रो स्टेशन...वाकिंग डिस्टेंस? ऑटो वाले ने भी विश्वास दिलाया, हां...मैडम, ओवरब्रिज पार करते ही स्टेशन है!

लड़की ने पैसे दिए और घबड़ाते -सकुचाते हुए हमारे साथ चल पड़ी,  उसके भारी बैग हमें अपने कंधों पर उठाने पड़े (घर जा रही होगी, शायद)

मेट्रो स्टेशन दो कदम दूरी पर ही था, लेकिन भारी बैग ने हमारी कचूमड़़ निकाल दी थी...खैर जैसे- तैसे मेट्रो में दाखिल हुए।

हौज खास से राजीव चौक स्टेशन के बीच हम दोनों के बीच काफी बातें हुई औऱ हमने एकदूसरे के नाम भी शेयर किए। लेकिन न मैंने नंबर मांगे और न उसने दिए।

लेकिन राजीव चौक स्टेशन पर उतरते वक्त विदाई स्वरूप उसने जो कहे उससे दिल जल गया, उसने जाते हुआ कहा, थैक्यू भैय्या....आई थॉट, व्हाट? व्हाई भैय्या, सी नोज माय नेम...थैक्यू शिव ही बोल देती...

हम दोस्त भी तो हो सकते थे, क्यों कोई लड़की किसी लड़के को दोस्त नहीं बना पाती (तब जब वह 18 वर्ष की हो, युवा हो)..कौन सा हम मिलने वाले थे, महज इंसानियत के नाते या कह लो पैसे बचाने के लिए हमने मदद की कोशिश की।

देखा जाए तो मैंने एक भाई की तरह उसका ख्याल रखा, एक दोस्त की तरह उसके बोझ उठाए और अभिभावक की तरह मार्गदर्शन भी किया, तो रिश्तों में बांध देना जरुरी है, इंसानियत ही मान लेती!

और...बदले में कुछ भी नहीं, कभी नही..कम से कम मैं नहीं चाहता, न कभी चाहुंगा कभी भी किसी से भी...क्योंकि मुझे तो आजकल नैसर्गिक रिश्ते (भाई-बहन, चाचा-ताऊ) भी बोझ लगते है...तो फिर कृत्रिम रिश्ते कितने दिन चलेंगे..

मैं आज तक नहीं समझ पाता हूं कि आखिर क्यों, कोई, किसी को, किसी अनचाहे रिश्तों में बांधना चाहता है...जबकि इंसान वैयक्तिक रिश्तों को निभाने में असमर्थ है।

मैं तो किसी से दूसरी मुलाकात में तब तक बात नहीं करता, जब तक वो खुद पहल न करे, चाहे वो लड़की हो अथवा लड़का?

मतलब, न भेद न भाव?  न भेद करता हूं न भाव देता हूं, सिंपल!

शुक्रवार, 21 अगस्त 2015

कश्मीर मुद्दा और कांग्रेस: जिसने देश को दांव पर लगा दिया ?

शिव ओम गुप्ता
पाकिस्तान और भारत दोनों की राजनीतिक पार्टियां कश्मीर मुद्दे पर सियासत करके ही अब तक अपनी और अपने परिवार की ही दाल-रोटी का जुगाड़ करती आई हैं, देश पिछले 68 वर्षों से आतंकवाद और सांप्रदायिकता की आंच में जलता आया है।

और जब भी दोनों पड़ोसी देशों के गैर- पारंपरिक राजनीतिक दल कश्मीर मुद्दे पर कोई बहस और बातचीत शुरू करना चाहता है तो उन लोगों को इसमें अपनी सियासी व राजनीतिक हत्या ही नजर आती है और बात को बीच में ही अटका दी जाती है।

याद कीजिये, जिन्होंने पिछले 68 वर्षों से कश्मीर मुद्दे पर अपने देश की भोली-भाली जनता को बहकाकर, उनकी भावनाएं भड़काकर सत्ता में लगातार पहुंचती रहीं हैं और अपनी कई पीढ़ियों के लिए पैसा जोड़ती आ रहीं हैं, वे ऐसे मुद्दे को कैसे हाथ से जाने दे सकती है?

भारतीय राजनीति में शीर्ष पर रही कांग्रेस सत्ता में प्रत्यक्ष और परोक्ष रुप से पिछले 68 वर्षों में से 60 वर्ष तक काबिज रही है, लेकिन कांग्रेस ने कभी भी कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए कोई वास्तविक कदम व पहल नहीं की है, जबकि दो देशों के द्विपक्षीय मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाकर मुद्दे को जीवित रखने की अथक कोशिश की है, कारण स्पष्ट है?

कांग्रेस सत्ता में रहती है तो दिखावा-प्रदर्शन के लिए कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की सत्तासीन राजनीतिक पार्टी से बातचीत का नाटक करती हैं, क्योंकि दोनों देशों की सियासी पार्टियां कश्मीर मुद्दे का हल नहीं होने देना चाहती हैं।

यही कारण है कि पिछले 68 वर्षों में महज कश्मीर मुद्दे को उलझाकर सत्ता की मलाई काट रहीं ऐसी पार्टियों को जब भी लगता है कि मुद्दा हाथ से निकल जायेगा तो मुद्दे को सुलझाने का नाटक रहीं दोनों देशों की पार्टियां पाला बदल लेती हैं और प्रस्तावित बातचीत का विरोध करने लगती है।

हालांकि अभी तक मोदी सरकार लगातार कंस्ट्रक्टिव राजनीति करती दिख रही है। इनमें आजादी के बाद से नासूर की तरह देश को खोखला कर रहे दो प्रमुख मुद्दे "बांग्लादेश से बार्डर समझौता" और "नागालैंड उग्रवादी संगठन" से बातचीत के जरिये मुद्दे को सुलझाना एक बड़ी सफलता है और मोदी सरकार इसी क्रम में कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के प्रयास में दिख रही है।

उल्लेखनीय है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने पश्चिमी, पूर्वी, दक्षिणी और उत्तरी एशियाई देशों का हालिया और आगामी दौरा इसी प्रयास का नतीजा है ताकि पाकिस्तान पर बातचीत और समझौते का दबाव बनाया जा सके।

लेकिन भारतीय राजनीति में पिछले 10 वर्षों तक सत्ता में रहीं कांग्रेस का स्टैंड और स्टंट का इतिहास देखिये और समझिये?

कांग्रेस ने पिछले 10 वर्षों के कार्यकाल में कश्मीर मुद्दे को सुलझाने का दिखावा-प्रदर्शन के अलावा कुछ नहीं किया। कांग्रेस कार्यकाल के  दौरान देश ने पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों के 26/11 मुंबई हमले जैसे दर्जनों हमले झेलने, बार्डर पर संघर्ष विराम के लगातार उलंघन झेले और उस दौरान विपक्षी पार्टियों द्वारा लगातार बातचात के विरोध करने के बावजूद पाकिस्तान के साथ बातचीत जारी रखने पर भी कांग्रेस लगातार कायम रही।

यहीं नहीं, कांग्रेस पार्टी ने क्रॉस बॉर्डर आतंकवाद और सरहद पर भारतीय सैनिक हेमराज का सिर काट कर ले जाने के बावजूद न केवल पाकिस्तान में सत्तासीन राजनीतिक पार्टियों से बातचीत जारी रखने का समर्थन किया बल्कि उनको बुलाकर बिरयानी भी खिलाई।

लेकिन अब जब केंद्र में सत्तासीन गैर-कांग्रेसी मोदी सरकार पाकिस्तान में सत्तासीन नवाज सरकार द्वारा पोषित आतंकवाद और संघर्ष विराम उलंघन पर एनएसए लेबल की बातचीत शुरू करने की कोशिश कर रही है तो वहीं कांग्रेस विरोध कर रही है, जो सत्ता में बैठकर बातचीत नहीं रोकने की हिमायत करती रहीं हैं।

देखिये और समझिये? यही है कांग्रेस की कुंठित और सत्तालोलुप राजनीति का सच, जहां सत्ता में वापसी व सत्ता में बने रहने के लिए न केवल वह लगातार देश के साथ गद्दारी करती आ रही है बल्कि देश को परोक्ष रुप से कश्मीर मुद्दे पर उलझाये रख कर भारत को अशांत और अविकसित रखने की भी जिम्मेदार रही है। 

मध्यप्रदेश-राजस्थान परिणाम से पप्पू हुआ बदहवास, हॉलीडे की तैयारी!

पहले मध्य प्रदेश में बीजेपी की धमाकेदार जीत और अब राजस्थान में भी बीजेपी की धुंआदार जीत के बाद पप्पू उर्फ राहुल गांधी का राजनीति पर से भरोसा उठ गया है।

बकौल पप्पू, "एक तो मम्मी ने पिछले हॉलीडे से यह कहकर बुलवा लिया कि लगातार झूठ बोलने से झूठी बात को जनता सच मान लेती और जनता हमारी पार्टी को वोट करेगी, लेकिन कुछ नहीं मिला और हॉलीडे भी बेकार चला गया। मम्मी झूठी है, अब कभी भी मोदी अंकल के खिलाफ कुछ नहीं बोलूंगा। मेरा भी मोदी-मोदी-मोदी करने का दिल करता है, लेकिन मम्मी डांटती है।"

विश्वश्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले दो महीने नाटक पर नाटक और बीजेपी के खिलाफ झूठ और दुष्प्रचार करते-करते राहुल गांधी का 10 किलो वजन घट गया है, लेकिन बीजेपी की एक के बाद जीत से पप्पू फिर फेल हो गया?

खबर है पप्पू फिर हॉलीडे की छुट्टियां बनाने का प्लान बना रहा है और इस सुना है जब लौटेगा तो सिर पर बैटमैन वाला टोपी, कमर पर सुपरमैन वाला चड्ढी और माकड़मैन वाला फिगर लेकर लौटेगा?

सूत्रों से खबर मिली है कि पप्पू डांस की तैयारी भी कर रहा है और डांस की ट्रेनिंग अपने शक्तिमान भैय्या दे रहें है, याद है न...शक्तिमान-शक्तिमान....

#Pappu #RahulGandhi #Comgress #Rajasthan #MadhyaPradesh #CivicPoll #Results #Modi 

गुरुवार, 20 अगस्त 2015

राहुल गांधी और उनकी पप्पूगिरी की नौटंकी कब तक चलेगी?

अमेठी दौरे पर गये पप्पू उर्फ #राहुलगांधी की नौटंकी की पोल एक बार फिर खुल गई ।

खबर है राहुल गांधी ने अपने लोकसभा क्षेत्र के लोगों द्वारा लाये गये सप्रेम पानी को पीने से इनकार कर दिया और तब राहुल गांधी के लिए उनके सिक्युरिटी गॉर्ड को मिनरल वॉटर मंगवाना पड़ा।

मतलब, जो इंसान गरीबों और किसानों के हितों की बात करके प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने का सपना देख रहा है, वह उन्हीं गरीबों और किसानों का निरादर कर रहा है।

क्या ऐसे दोमुंहे, दोगले और ड्रामेबाज नेता को देश की जनता कभी प्रधानमंत्री चुन पायेगी, जिसे जनता से प्रेम नहीं, बल्कि वह उन्हें मूर्ख बनाकर वोट लेने का ड्रामा करता फिरता है?

#RahulGandhi #Comgress #Vote #PMPost #AmethiTour

बदहाल बिहार के लिए वरदान है प्रधानमंत्री का विशेष पैकेज!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार विधानसभा चुनाव से पूर्व 1.25 लाख करोड़ रुपये की विशेष पैकेज देकर बिहार को जता दिया है कि विकास और तरक्की पर अबकी बार बिहार की बारी है।

बिहार में 2015 विधानसभा चुनाव से पहले भी दर्जनों चुनाव हो चुके हैं, लेकिन पहली बार बिहार को ऐसे पैकेज मिले हैं, जिसमें दिमाग से इतर दिल का भी योगदान दिखता है।

तो बिहार तैयार हो जाइये और अपनी किस्मत और भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए वोटिंग मशीन पर सोच-समझकर बटन दबायें!

क्योंकि चुनावी रस्साकसी से ही सही, विशेष पैकेज का लाभ बिहार को मिलना जरुरी है और वो कैसे आता है यह जरुरी नहीं है, क्योंकि स्वार्थी तो मां-बाप भी होते हैं, जो बुढ़ापे में सुख का साधन अपनी संतान में देखते है।
#Modi #SpecialPackage #BiharPolls #NitishKumar

कांग्रेस का चुनाव चिह्न होगा कुर्ता-पायजामा पहने हुआ इंसान?

राहुलगांधी ने घोषणा की है कि अब #कांग्रेस कुर्ता-पायजामा  पार्टी के नाम से जानी जायेगी और पार्टी का #चुनाव #चिह्न भी अब हाथ के पंजे के बजाय बदलकर पायजमा-कुर्ता पहना हुआ इंसान होगा!

सूत्र की माने तो दिलचस्प बात यह है कि खुद राहुल गांधी पार्टी के नये चुनाव चिह्न में #कुर्ता-पायजामा पहने इंसान की मॉडलिंग करेंगे?

सोचिए, जिनके मां, बाप, दादा के कपड़े इटली और फ्रांस में धुलने जाते हैं उनको सत्ता पाने के लिए अब कुर्ते-पायजामें की राजनीतिक नौटंकी करनी पड़ रही है। पप्पू भैय्या अब तो हिंदुस्तान खुद भी कुर्ता-पायजामा नहीं पहनता है?

उसे छोड़िये, राहुल गांधी को ऐसी नौटंकी करने से पहले अपनी ओर और अपनी इटालियन मां की ओर देख लेना चाहिए, क्योंकि दोनों दिल से ही नहीं, दिमाग से भी भारतीय नहीं दिखते है, मां तो इटली की है ही, बेटे का दिल भारत में नहीं लगता, हमेशा हॉलीडे पर रहता है।

#RahulGandhi #Pappu #Comgress #Model #KurtaPayzama #ElectionSymble #Punja

केजरीवाल अब बिहार को मूर्ख बनायेंगे क्या?

 केजरीवाल और कांग्रेस एक बार फिर एक ही नाव पर सवार हो गये हैं। ऐसा लगता है कांग्रेस और केजरीवाल कुंभ मेले में खोये हुए बिछड़े मां -बेटे थे जो बिहार चुनाव में एक मंच पर आ पहुंचे है, वैसे इसकी एक झलक दिल्ली वाले देख चुके हैं।

खबर है ईमानदारी की चलती-फिरती दुकान और सत्यवादिता में राजा हरिशचंद्र की छठी औलाद केजरीवाल बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस(2जी स्कैम-कोलेगेट) + राजद (चारा घोटाला-जंगलराज) +जदयू (रणछोड़-विकास छोड़) की महान ठग गठबंधन के लिए प्रचार करने के लिए प्रचार करने जा रहें हैं।

भगवान भला करे बिहार का और मतदान के वक्त बिहार के मतदाताओं को सद्बुद्धि सलामत रखे, जय हो?

#Kezriwal #BiharPolls #JDU #RJD #Congress #Coalition #DirtyPolitics

गुरुवार, 13 अगस्त 2015

कांग्रेस देश का विकास नहीं, केवल पिछड़ापन चाहती है?

शिव ओम गुप्ता
कांग्रेस मोदी सरकार की कार्य योजना के संभावित सुखद परिणाम और देश के सकारात्मक विकास को महसूस करके डर गई है।

कांग्रेसियों का इतिहास रहा है कि जब वे सत्ता में रहते हैं तो देश के विकास के लिए कोई काम नहीं करते हैं और जब सत्ता से बाहर रहतें हैं तो सत्तासीन दूसरी पार्टी के काम में हरसंभव अड़ंगा डालने की कोशिश करते हैं ताकि बेकार और बेरोजगार देशवासियों में झूठ व दुष्प्रचार फैलाकर आसानी से दोबारा सत्ता में वापस आया जा सके?

अव्वल तो आजादी के 68 वर्ष में से करीब 60 वर्ष प्रत्यक्ष और परोक्ष रुप से कांग्रेस ही सत्ता में काबिज रही है और कांग्रेस जब-जब सत्ता से बाहर रही है उसने हर बार एक लोकप्रिय और विकासोन्मुखी सरकार के खिलाफ झूठ और दुष्प्रचार फैलाकर सत्ता में वापसी की है।

मोदी सरकार के कई विकासोन्मुखी कदमों और कामों से देश में सकारात्मक प्रगति सुनिश्चत हो गई है, लेकिन कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों को राजनीति से निर्वासन का डर सता रहा है कि कहीं भारत की राजनीति से बाहर न हो जायें, इसलिए मोदी सरकार की प्रगतिमूलक कार्यों में अड़ंगा और अवरोध पैदा कर रहें हैं।

कांग्रेस ने देश के विकास के लिए कभी भी आधारभूत संरचना की योजना पर बल नहीं दिया है। उसने देश को सिर्फ योजनाओं की झुनझुनाओं से बरगलाया है, जिससे देश का समावेशी विकास नहीं हो सका।

कांग्रेस ने अपने शासनकाल में जानबूझकर देश के एक समुदाय विशेष से जुड़े लोगों को अभावग्रस्त, बीमार और बेरोजगार बनाये रखा और योजनाओं के जरिये पैसा रेवड़ी की तरह बांटकर खुद की अपनी तिजोरियां भरी?

कांग्रेस ने हमेशा देश को समुदाय विशेष और वर्ग विशेष में बांटकर विकास कार्य किये जबकि अगर कांग्रेस सामूहिक विकास के लिए काम करती तो आज लगभग 68 वर्ष पश्चात देश का हर वर्ग और समुदाय साक्षर, स्वस्थ और संपन्न होता और उसे कांग्रेसी योजनाओं की भीख की जरूरत नहीं होती।

एक लाइन में कहें तो कांग्रेस ने सत्ता में बने रहने के लिए साजिशन गरीब, निरक्षर और कमजोर लोगों की खेप देश में बरकरार रखने की कोशिश की ताकि उनका वोट अपनी जरुरत और समयानुसार उपयोग किया जा सके।

यह सर्वविदित सत्य है कि गरीब, निरक्षर और कमजोर इंसान को उसके और उसके परिवार की रोटी के लिए कैसे भी बरगलाया जा सकता है और वोट लिया जा सकता है।

कांग्रेस की पूरी राजनीति इसी रणनीति पर टिकी हुई है। उसने गरीब को हमेशा लाचार बनाये रखा, उसे उतने ही पैसे दिये जितने में वह बस जिंदा रह सके, आत्मनिर्भर न हो? क्योंकि अगर आत्मनिर्भर हो गया तो पढ़ लिख जायेगा, स्वस्थ रहने लगा और स्वाभिमानी हो जायेगा?

कांग्रेस जानती है कि गरीब और लाचार देश से खत्म हो गये तो उनकी बात कोई नहीं सुनेगा और लोग सवाल भी करेंगे, क्योंकि गरीब और कमजोरों को कभी सवाल करते सुना है आपने?

इसलिए कांग्रेस ने मुस्लिम, दलित और आदिवासियों के विकास के लिए कभी कोई ठोस काम नहीं किया, बल्कि उन्हें योजनाओं का झुनझुना पकड़ाकर अपना वोट बैंक बनाये रखा?

क्योंकि अगर सभी साक्षर, स्वस्थ और मजबूत हो गये तो दिमाग लगायेंगे और वोट करने से पहले सवाल करेंगे व राजनैतिक विकल्प तलाशेंगे, लेकिन कांग्रेस ने अपने शासनकाल में ऐसा कभी नहीं होने दिया और जब भी गैर-कांग्रेसी सरकारें देश में आई है, झूठ और दुष्प्रचार के जरिये उन्हें भी गरीबों के लिए काम करने से रोकती आई है।

हालांकि पिछले दो दशकों में उन्हीं में से साक्षर, स्वस्थ और मजबूत हुये तबकों ने कांग्रेस को उनकी जगह दिखाई है और क्षेत्रिय स्तर की राजनीति से कांग्रेस को लगभग निकाल फेंका है। इनमें बंगाल, बिहार, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु प्रदेश प्रमुख है, जहां पर आज कांग्रेस का अस्तित्व न के बराबर है।

जरूरत है कि पूरा देश कांग्रेस के नापाक मंसूबों को जाने, समझे और उन्हें उनकी जगह दिखाये, क्योंकि यह देश सामूहिक विकास चाहता है, जिसका फायदा देश के हर समुदाय और वर्ग विशेष को मिले और सभी साथ आगे बढ़े और उसके लिए जरुरी है कि कांग्रेस के झूठ और दुष्प्रचार से दूर रहें।
#Congress #Dovelopment #ModiSarkar #Nexes #Conspiracy #DirtyPolitics #BJP

बुधवार, 12 अगस्त 2015

सुषमा स्वराज की दहाड़ सुनकर पप्पू के उड़ गये तोते?

शिव ओम गुप्ता
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अग्निवर्षा से परेशान होकर  राहुल गांधी ने कहा है, "जैसे ही मैं कैंडी क्रैश के आखिरी स्टेज पर होता हूं कोई न कोई लगड़ी लगा ही देता है, मुझे कभी नहीं जीतने देते ये लोग?

सुषमा स्वराज के लोकसभा में दिये धुंआधार शब्द बाणों से घायल सोनिया गांधी को भी दिन में तब तारे दिखने लग गये जब क्वात्रोची और एंडरसन की रिहाई पर सुषमा की घेरेबंदी की जकड़ में कांग्रेसी बुरी तरह से फंस गये?

इस दुर्घटना के बाद राहुल गांधी और सोनिया गांधी दोनों आज साथ-साथ 10 जनपथ पर रोते हुए एक दूसरे को ढांढस बंधा रहें हैं कि कहां उंगली कर दी, हमने तो कहानी बनाई थी, सुषमा ने तो हमें नंगा कर दिया?

राहुल गांधी, " मम्मी-मम्मी अब मुझे ये गेम नहीं खेलना है, एक तो इतना रटना पड़ता है, फिर रिहर्सल करो? और हम जीतने ही वाले थे कि सुषमा आंटी ने हमारी पोल खोलकर पूरा गुड़-गोबर कर दिया, मुझे नहीं खेलना बस!

सोनिया," देखो बेटा, मोदी अंकल से बचना है तो हल्ला -हल्ला करना ही पड़ेगा वरना तेरे जीजा रॉबर्ट वाड्रा वाला केस और नेशनल हेरोल्ड केस में हम-दोनों और जीजा भी जेल में नजर आ़येंगे?

मेरे पप्पू, हल्ला करके ही मोदी सरकार को घेरा जा सकता है ताकि दोनों मुद्दों की फाइल बंद करवाई जा सके और जैसे ही मोदी सरकार बारगेन को तैयार हो जायेगी, हम सब हल्ला-गुल्ला बंद कर देंगे?

राहुल गांधी, "सच्ची मम्मी...तो हम ये सब नाटक जीजाजी और खुद को बचाने के लिए कर रहें थे, फिर मैं जेल नहीं जाऊंगा न? लेकिन अब यह गेम खत्म होते ही मैं हॉलीडे पर निकल जाऊंगा, ठीक है। अब डोरेमेन देखने जाऊं?

सोनिया, " ओए नाशपीटे! कल की तैयारी और रिहर्सल कौन करेगा? चल रट्टा लगा? एक तो तेरे को कुछ आता जाता नहीं, मेरे दाल रोटी का जुगाड भी़ बंद करवायेगा?

राहुल गांधी, "मम्मी... मैं कल पार्लियामेंट नहीं जाऊंगा? सुषमा आंटी ने हमें खूब धोया है और कल तो हमें मारकर बाहर भी निकाल देंगी? मैं नहीं जाऊंगा, अभी कट्टी ले लो?

सोनिया, "ओए खोते द पुत्तर...रुक? कुछ नहीं होगा, हम हल्ला-गुल्ला करके संसद फिर बंद करवा देंगे, तू चिंता मत कर, तू बस यह लाइनें याद कर ले और थोड़ी रिहर्सल कर ले, बाकी हमारे पाले हुए नेता सब संभाल लेंगे? वे हल्ला करने में उस्ताद हैं।

राहुल गांधी, " लेकिन मम्मी अगर मोदी अंकल आ गये तो? मैं संसद के अंदर भी नहीं घुसूंगा, वो मुझे कहीं का नहीं छोड़ेंगे?

सोनिया, " तू डर मत बेटा, कल मोदी अंकल नहीं आयेंगे, हमने झूठ-मूठ में उन्हें बयान देने के लिए बुलाया था। चल अब बस हो गया...जा रट्टा मार और एक भी लाइन भूला तो कमरे में बंद कर दूंगी?

राहुल गांधी, "नहीं मम्मी नहीं, मैं पूरा याद कर लूंगा और दो लाइन एक्स्ट्रा भी बोलकर सबको बता दूंगा कि मैं
ब्रॉनविटा ब्वॉय हूं और कुछ भी नहीं भूलता?

सोनिया, " लोग ऐसे ही तुझे पप्पू नहीं पुकारते हैं, तू है पप्पू? खोते द पुत्तर क्या आज कम फजीहत हुई है जो तू कल भी सुषमा आंटी से डांट पड़वायेगा?

राहुल गांधी, "तो ठीक है मम्मी...मैं कल नहीं जाऊंगा, जब मैं वहां हूंगा ही नहीं तो सुषमा आंटी का बाबा जी का ठुल्लू हो जायेगा और हम बच जायेंगे?

सोनिया, " तू रूक जरा?

राहुल गांधी, " मैं नहीं...रुकूंगा...मेरा डोरेमेन शुरू हो गया?

#RahulGandhi #SoniaGandhi #Cartoon  #SushmaSwaraj #Parliament #Uproar #Pappu

केजरीवाल के घड़ियाली आंसू पर क्या अब रंग बदलेंगे योगेंद्र यादव?

कभी योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के पिछवाड़े पर लात मारकर पार्टी से निकालने की बात कहने वाले अरविंद केजरीवाल आज योगेंद्र यादव की घाव पर मरहम लगाने की बात कर रहें हैं।

योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण शायद भूले नहीं होंगे जब केजरीवाल के मुस्टंगों ने योगेंद्र यादव समेत सभी आजाद ख्यालों को वादे के मुताबिक भरी बैठक में उठाकर बाहर फेंक दिया था।

आज केजरीवाल ने गिरगिट की तरह रंग बदल कर योगेंद्र यादव के लिए घड़ियाली आंसू भी बहा दिये, लेकिन समझने वाली बात यह है कि योगेंद्र यादव केजरीवाल का कैसे स्वागत करते हैं।
#Kezriwal #YogendraYadav #AAP #SwarajAbhiyan #DelhiPolice #Arrested 

मंगलवार, 11 अगस्त 2015

केजरीवाल को नैतिकता पर घेरते तो योगेंद्र को कुछ माईलेज भी मिलता?

चुनाव विश्लेषक, आप नेता और अब स्वराज अभियान को जनक योगेंद्र यादव की हरकतों और राजनीतिक समझ पर अब तो तरस आने लगा है।

आम आदमी पार्टी से बेइज्जत करके निकाले गये योगेद्र यादव की दूरदर्शिता पर तब भी सवाल उठे थे जब उन्होंने केजरीवाल से इतर अलग पार्टी के गठन पर ताल-मटोल करते हुए स्वराज अभियान की शुरुआत की थी।

योगेंद्र कोशिश करते तो केजरीवाल के खिलाफ बने तात्कालिक माहौल को नैतिक आधार में अपने पक्ष में कर सकते थे और पार्टी के आधे विधायकों को खुद के साथ हुए व्यवहार का हवाला देकर अलग-थलग कर सकते थे, लेकिन योगेंद्र तब न जाने कौन से फ्री जोन में घूम रहे थे?

अब बीती रात 1 बजे लैंड बिल के लिए प्रधानमंत्री निवास पर जाने क्या करने जाने जा रहे थे? जबकि लैंड बिल में सरकार द्वारा सभी संसोधनों को वापस ले लिए जाने कोई दम नहीं बचा है?

केजरीवाल को उसकी अधिनायकवादी और अवसरवादी रवैये पर घेरने और नैतिकता सिखाने के बजाय योगेंद्र फिजूल की एनर्जी खराब कर रहें हैं।

बजाय इसके योगेंद्र अगर केजरीवाल को आईना दिखाते हुए आंदोलन करते तो लोगों की सहानुभूति मिलती और एक राजनीतिक पृष्ठभूमि भी तैयार होती, लेकिन अफसोस है कि योगेंद्र शून्यता की ओर बढ़ रहें हैं।

#YogendraYadav #Kezriwal #AAP #SwarajAbhiyan #DelhiPolice #ThrowOut 

खूब लड़ी मर्दानी...वो जो दिल्ली वाली लांबा थी?

केजरीवाल की छाती फूलकर उस वक्त दो गज की हो गई जब अलका लांबा नामक मर्दानी खून से लथपथ होकर भी अग्निपथ पर चलती रहीं?

और जब से खूब लड़ी मर्दानी की टीवी पर ऑडियो के बाद वीडियो लांच हुआ है तब से केजरीवाल लांबा को वर्ष 2015 का फिल्मफेयर अवॉर्ड देने के बाद की स्पीच तैयार कर रहें हैं।

केजरीवाल, "अलका लांबा मुझे तुझपे गर्व है? कहते हैं कि जब कोई अपना ड्रामेबाज कैटेगरी का बेस्ट अवॉर्ड जीत लेता है तो आंखें बस नम हो जाती हैं जी...

केजरीवाल, "देश को तुमपे नाज़ है अलका...ऐसी ही आगे बढ़ती रहो? वैसे तो सूरज को दिया नहीं दिखाया जा सकता है, लेकिन फिर भी मेरी सलाह है कि अगली बार शॉट देने से पहले मेकअप मैन और सिनेमेटोग्रॉफर जरूर बदल लेना, आमीन!

नेपथ्य में-
केजरीवाल-(अलका लांबा का गला दबाते हुए) अगर मैं फिल्मों के रीव्यू और प्ले देखने में बिजी नहीं होता तो मुझसे ड्रामेबाज कैटेगरी का अवॉर्ड नहीं छीन सकता था...(गला छोड़ते हुए) लेकिन अच्छी बात यह है कि घर का अवॉर्ड घर में ही गया?

#AlkaLamba #Kezriwal #AAP #Gundagardi #Drug #Drama #AapMla #DirtyPolitics

सोमवार, 10 अगस्त 2015

एक खुली, नंगी और उधड़ी पाती नीतीशकुमार के नाम?

फिजूल की बातें मत कीजिये नीतीश जी ? डीएनए की बात और बीमारू राज्य के मुद्दे दोनों में कोई दम नहीं है। प्रधानमंत्री ने बिहार के डीएनए नहीं, आपके डीएनए की बात की है, कन्फ्यूज मत होइ़ये?

क्योंकि बिहार के लोग काफी इंटलीजेंस होते हैं, उन्हें पता है कि केवल बाप का डीएनए ही बेटे से मेल खाता है और अब आप यह तो नहीं कहेंगे कि आप सभी बिहारियों के बाप हैं या आपका डीएनए सभी बिहारियों के डीएनए में है?

ऐसा मत करो, बिहार के लोगों का अपमान कर कर रहें हैं। ऐसा न हो कि आपकी इस गाली से विधानसभा चुनाव में एक सीट भी निकलनी मुश्किल हो जाये।

दूसरी बात, बीमारू प्रदेश की है तो अगर बिहार बीमारू प्रदेश नहीं होता तो पिछले 10 वर्षों से आप खुद विशेष राज्य के दर्जे को लेकर राजनीति नहीं कर रहे होते?

तो सीधी सी बात है कि कोई और रास्ता निकालों, क्योंकि दोनों मुद्दों में कोई दम नहीं है, क्योंकि आत्मघाती और उड़ते हुए तीर हैं जो आके अपने ही पिछवाड़े लगेंगे और खुद को ही घायल कर बैठेंगे?

#NitishKumar #JDU #RJD #Modi #DNA #SickState #BiharPolls #DirtyCoalition

कांग्रेसी बोले, "हम गधे के सिर पर सींघ उगा कर रहेंगे?

कांग्रेस एंड पार्टी के नेता आरोप गधे पर लगे सींघ की तरह तब गायब हो जाते हैं जब उनसे पूछा जाता है कि बताइये आपके पास क्या सुबूत है कि उन्होंने क्या गलत काम किया है?

यह सवाल पूछते ही सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी समेत सभी छुटभैय्या नेताओं को पसीने छूट जाते हैं और हकलाते हुए कहते हैं-

"नहीं, नहीं...गधे के सींघ तो हैं, लेकिन हम बता नहीं सकते और जैसे ही हमारी मांग मान ली गई और सुषमा स्वराज ने इस्तीफा दिया तो गधे के सिर पर सींघ उगा देंगे?"
;-) ;-) ;-) B-) B-) B-)
#SushmaSwaraj #LalitModi #Uproar #Parliament #LokSabha #RajyaSabha

प्रशांत भूषण जैसे विक्षिप्त लोगों को सार्वजनिक मंच नहीं मिलना चाहिए?

शिव ओम गुप्ता
प्रशांत भूषण को जिस किसी ने भी उनके चेंबर में घुस कर मारा था, अब ऐसा लगता है कि उसने सही किया था, क्योंकि बंदे की हरकत कहीं से भी देश के लोकतांत्रिक और संवैधानिक दायरे में नहीं दिखती है।

सुना है बंदा अब याकुब मेमन की फांसी पर मीडिया चैनलों पर हुई कवरेज पर सरकार द्वारा दी गई नोटिस को मीडिया थ्रेट घोषित कर रहा है।

लोकतांत्रिक ढांचे के अंतर्गत ही सरकार मीडिया चैनलों से सवाल-जबाव कर रही है। आखिर उक्त मीडिया चैनलों ने राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को धता बताकर याकुब की फांसी पर लगातार कवरेज क्यों किया और मुंबई हमलें में दोषी करार अपराधी को जबरन हीरो बनाने की कोशिश क्यों की?

जबाव तो आने चाहिए न कि आखिर उक्त चैनलों ने देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट को नीचा क्यों दिखाते हुए लगातार याकुब मेमन की फांसी पर इंसाफ और नाइंसाफी पर बहस क्यों की? जबकि 21 वर्षों के लंबे ट्रायल के बाद याकूब को फांसी की सजा हुई थी।

क्या उक्त चैनलों ने देश की संवैधानिक और न्यायिक संस्थाओं की अवमानना और अपमान नहीं किया है, जो अंतिम फैसला और दया याचिका रद्द किये जाने के बावजूद टीवी पर जोरों तक बहस करती रहीं कि क्या याकूब को फांसी दी जानी चाहिए अथवा नहीं?

प्रशांत भूषण जैसे लोगों की वजह से देश की एकता अखंडता को पहले भी नुकसान हो सकता था, जब प्रशांत भूषण ने पाकिस्तानी और कश्मीर में बैठे अलगाववादी ताकतों के सुर में सुर मिलाते हुए भारत के अभिन्न अंग कश्मीर में जनमत संग्रह की आवाज उठाते हैं।

प्रशांत भूषण की उक्त मांग देशद्रोह से कम छोटा अपराध नहीं है बावजूद इसके भारत में मौजूद मजबूत लोकतांत्रिक मूल्यों के चलते प्रशांत भूषण पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, अगर पाकिस्तान होता तो प्रशांत भूषण के साथ क्या होता प्रशांत भूषण अच्छी तरह से जानते हैं ।

भारत सरकार ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के तहत उक्त चैनलों को नोटिस देकर जबाव तलब किया है, जिसका जबाव चैनल्स देंगे, लेकिन प्रशांत भूषण को इसमें भी बेवजह हीरो बनना है और मीडिया में बने रहने के लिए बकवास करना है।

जरा सोचिए? जो आदमी कश्मीर में जनमत संग्रह की बात कर सकता है, 257 से अधिक निर्दोष लोगों की मौत की साजिश करने वाले आतंकी याकूब मेमन के प्रति सहानुभूति रखता हो, ऐसा व्यक्ति देश को लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है? क्या हमें ऐसे किसी की बात सुननी चाहिए?

प्रशांत भूषण की मकसद सिर्फ और सिर्फ हंगामा खड़ा करना और सुर्खियों में बने रहना है, भले ही उनकी हरकतों से देश की अस्मिता और सुरक्षा से समझौता हो जाये।

प्रशांत भूषण जैसे लोगों का मीडिया में ही नहीं, आम जनता में भी विरोध होना चाहिए ताकि ऐसे लोगों को कोई सार्वजनिक मंच न मिल सकें, जहां वे अपनी अराजक और देश विरोधी गतिविधियों को जन्म दे सकें। जय हिंद, जय भारत।

#PrashantBhushan #AAP #Kezriwal #YakubMemon #Referndom #Kashmir #MediaChannel #IBMinistry #Notice

रविवार, 9 अगस्त 2015

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से 10 सवाल?

आखिर बिहार की जनता क्यों दें लालू ( चारा घोटाले)+कांग्रेस (2जी, कोलगेट) गठबंधन को वोट?

1) प्रधानमंत्री मोदी ने आपके राजनीतिक डीएनए पर सवाल क्या उठाया, आपने उसे अपने डीएनए और बिहार के डीएनए से जोड़कर राजनीतिक रोटिया सेंकनी शुरु कर दी। इससे बिहार और बिहारी अस्मिता का अपमान हुआ है?

2) आपने इशरत आतंकी को बिहार की बेटी बताकर बिहारी अस्मिता का अपमान नहीं किया?

3)आपने कोसी आपदा के समय गुजरात द्वारा भेजी गई सहायता राशि लौटाकर गुजरात की जनता का अपमान किया?

4)सुप्रीम कोर्ट से निर्दोष सिद्ध होने के बाद प्रधानमंत्री को 2002 के दंगे का दोषी बताकर सर्वोच्च न्यायालय का अपमान नहीं किया?

4)भाजपा से अलग होकर बिहार के जनादेश का अपमान नहीं किया?

5) एसटीइटी पास अभ्यर्थियों की नियुक्ति न करके सवर्ण वर्ग का अपमान नहीं किया?

6) सरकारी धन से कब्रगाह की घेराबंदी कराके जनता के पैसों का दुरुपयोग नहीं किया?

7) फर्जी शिक्षक बहाल करके बिहारी छात्रों का भविष्य बर्बाद नहीं किया?

8) महर्षि चाणक्य और वाल्मिकी की धरती पर मदिरालय खोलकर इस पवन धरती का अपमान नहीं किया?

9) चारा घोटाले में दोषी और सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव का साथ लेकर दोबारा जंगलराज में ढकेलने का अपराध नहीं किया?

10) बिहार की जनता बीजेपी-जदयू सरकार की गठबंधन सरकार के काम से विकास की ओर बढ़ने लगी थी तो क्या महज स्वार्थ और प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए आपने बिहार को एक बार फिर दलदल में झोंकने का प्रयास नहीं किया?

#BiharPoll #RJD #JDU #Congress #NitishKumar #LaluYadav #FodderScam #2GScam #CoalGate

शनिवार, 8 अगस्त 2015

पोर्न का समर्थन करने वाले लोग किस दुनिया के है?

कला, सिनेमा, राजनीति और सोशल वर्क से जुड़े तमाम सेलिब्रेटीज की बातें सुनकर हैरानी होती है कि वे कितने जड़ों से कटे हुए हैं।

एक तरफ देश चंद्रयान और मंगलयान मिशन पर है तो दूसरी ओर गरीबी और कुपोषण भी देश का स्याह सच है, जिससे उबरना बाकी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि स्पेस मिशन रोक दिय जाये अथवा देश की जमीनी समस्या से आंखें मूंद ली जाये?

लेकिन कुछ स्वघोषित तथाकथित वे बुद्धिजीवी वर्ग, जिन्होंने खुद को जबरन सर्वज्ञाता मानते है और कहते हैं कि अब हम 21वीं और 22वीं जी रहें हैं हमें पुरानी सभ्यता और संस्कृति को छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए, तो हंसी छूट जाती है।

हंसी इसलिए छूट जाती है, क्योंकि जिन लोगों ने थोड़े पैसे कमा लिए, थोड़े पैसे जोड़ लिए और विदेशों की सैर कर वहां की अधनंग और उच्छश्रृखल संस्कृति देख ली है, वे उसे विकास का पैमाना मान लिया है और बगैर दोनों देशों के परिस्थितियों की तुलनात्मक अध्ययन किये उपदेश देने लगते हैं कि हम कौन से युग में जी रहें हैं।

ऐसे लोगों पर सिर्फ तरस ही खाया जा सकता है, क्योंकि ऐसे लोग क्षणिक पब्लिसिटी स्टंट के लिए ऐसा करने को मजबूर होते हैं।
#Celebraty #PublicityStunt #Pornography #Banned #WesternCulture #PornFilm

स्वाति मालीवाल का सतही ज्ञान, कैसे होगी महिला सुरक्षा?

दिल्लीवालों ने केजरीवाल के हाथ में उस्तरा थमा दिया था अब केजरीवाल ने दिल्ली महिला आयोग की जिम्मेदारी भी रिश्तेदार स्वाति मालीवाल को सौंप कर महिला सुरक्षा भी तखाने में रख दिया है।

वो कहावत तो सुनी होगी आपने? "अंधा बांटे रेवड़ी, फिर-फिर अपने को दे" मतलब, पहले खुद काबिल हो तो बंदा काबिल को चुनेगा न?

स्वाति मालीवाल कितनी काबिल हैं, इसकी मिसाल उनके हाल के बयान से साबित हो जाता है। बकौल स्वाति, "दिल्ली के जीबी रोड पर 6 लाख कांडोम की बिक्री यानी 6 लाख बलात्कार?"

स्वाति मालीवाल के इस छिछले और सतही ज्ञान पर दिल्ली, मुंबई और तमिलनाडु के सेक्स वर्कर संगठनों ने आपत्ति दर्ज करते हुए स्वाति से माफी मांगने की अपील की है।

हालांकि केजरीवाल ने 49 दिनों के स्टंट में प्रसिद्ध लेखिका को दिल्ली महिला आयोग का अध्यक्ष बनाने की सिफारिश की थी, लेकिन वो पॉलिटिकल गिमिक साबित हुआ और पूर्ण बहुमत की सरकार आते ही केजरीवाल लेखिका को दरकिनार कर दिया!
#DCW #SwatiMaliwal #Kezriwal #AAP

शुक्रवार, 7 अगस्त 2015

पोर्नोग्रॉफी के लंबरदार उतने ही खोखले-छिछले है, जितने जेहादी?

ये तो वहीं बात हुई कि मां के पेट में 9 महीने पलने वाले बच्चे को भी मां का दूध पीने के लिए भी ट्रेनिंग देनी होगी?
हर बात की चीर-फाड करने वाले अति उत्साही तथाकथित सेलिब्रेटीज और लेखकों को समझनी चाहिए कि कुछ बातें प्रकृति पर छोड़ दी चाहिए?

क्योंकि आंखें अपनी सुरक्षा के लिए पलकें खुद झपकाती है, उसके लिए कोई ट्रेनिंग नहीं देनी पड़ती है, ठीक ऐसे ही सेक्स है।

सोचिए, आदम और हौवा को किसने सेक्स की ट्रेनिंग दी थी, जिनकी हम सब संतानें हैं? यह तर्क बेहद ही बकवास और बेहूदा है कि सेक्स ज्ञान के लिए पोर्नग्राफी को छूट देना आवश्यक है।

वह दिन लद गये जब हम सोने की चिड़िया कहलाते थे और जब हमने खुजराहो और कामसूत्र जैसी वृहद सोच वाली कलाकृतिया विकसित की थीं और बनाई थीं।

अब वह जमाना नहीं रहा? अभी भी हमारे देश की 30 फीसदी जनता एक वक्त का खाना ठीक से खा पाती है, तो सबसे पहले हम ठीक से रोटी, कपड़ा और मकान तो जुटा लें, सेक्स और सेक्स टॉय की दुकान खोलने की वकालत फिर कर लेंगे।

पोर्नग्राफी को रोटी, कपड़ा और मकान के समकक्ष रखने वाले ऐसे मठाधीशों को मालूम होना चाहिए कि जिस उच्छश्रृखलता की वो बातें कर रहें हैं, वह स्वत: स्फूर्त: आता है।

ऐसी मनोदशा के लिए मानसिक नहीं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक तरक्की की आवश्यकता होती हैं और यह बात विदेशी की तात्कालिक खुलेपन और तरक्की को देखकर और जाकर समझने की जरुरत नहीं, बल्कि हमवतन की स्थितियों-परिस्थितियों को समझकर लिखने और बताने की जरुरत है।
#Pornography #SexEducation #Banned

बुधवार, 5 अगस्त 2015

पूरा बिहार नीतीश कुमार का डीएनए कैसे हो सकता है?

प्रधानमंत्री को डीएनए पर चिट्ठी लिखने से पहले नीतीश कुमार को समझना चाहिए कि उनके डीएनए और सभी बिहारियों के डीएनए एक नहीं हो सकते हैं?

यह तो एक तरह से गाली है कि उन सभी बिहारियों के लिए, जिन्हें नीतीश कुमार अपना डीएनए बता रहें हैं? नीतीश को मालूम होना चाहिए कि पिता और पुत्र के डीएनए में ही केवल समानता होती हैं?

आखिर नीतीश कुमार कहना क्या चाहते है? नीतीश कुमार को अपने बेतुके चिट्ठी और राजनीतिक स्टंट के लिए खुद बिहार की जनता से माफी मांगनी पड़ सकती है।

प्रधानमंत्री ने नीतीश कुमार के डीएनए की बात की है, बिहार के डीएनए की बात नहीं की है, लेकिन नीतीश कुमार ने सभी बिहारियों को अपने डीएनए से जोड़कर अपमानित कर दिया है।
#DNA #NitishKumar #Bihar #Modi #AssemblyPoll #JDU #BJP #RJD

मंगलवार, 4 अगस्त 2015

अब दिग्गी चुल्लु भर पानी में डूब मरेगा या तालाब में?

बड़बोले बयानबाज दिग्विजय सिंह उर्फ दिग्गी राजा आज मुंह छिपाये-छिपाये फिर रहें हैं ताकि मीडिया का कैमरा उनकी शक्ल न कैद कर ले?

मुंबई 26/11 हमले के पाकिस्तानी जांचकर्ता तारिक खोसा के खुलासे के बाद दिग्गी राजा के उस झूठ और दुष्प्रचार की पोल खुल गई, जिसमें उन्होंने 26/11 मुंबई हमले के लिए आरएसएस को लपेटने की असफल कोशिश की थी!

आज जब तारिक खोसा ने खुलासा कर ही दिया कि 26/11 मुंबई हमलों की साजिश पाकिस्तान में की गई थी तो समझ नहीं आ रहा कि दिग्गी चुल्लु भर पानी में डूब मरेगा या किसी तालाब में कूद जायेगा?

दिग्गी राजा की मोटी चमड़ी देखो? बंदे ने आरएसएस पर झूठे आरोप ही नहीं लगाये थे, बल्कि किताब भी छपवाई थी? दिग्गी, मान गये तुम्हें और तुम्हारी बेशर्म मोटी चमड़ी को, जिसको सफेद झूठ और दुष्प्रचार की महारत है!

#DigvijaySingh #Congress #RSS #MumbaiAttack #Shameless #DirtyPolitics

सुषमा मुद्दे पर बहस हो गई तो पप्पू फिर फेल हो जायेगा?

राहुल गांधी उर्फ पप्पू कह रहा है कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का इस्तीफा कांग्रेस नहीं, पूरा देश मांग रहा है?

सच्चाई यह है कि पप्पू को पीछे खड़े कांग्रेसी नेता भी सच्चाई जानते हैं कि पप्पू की बातों में दम नहीं है, क्येंकि सभी जानते है कि कांग्रेस की उक्त कवायद पप्पू के पास करने की नाकाम कोशिश है।

रही बात पूरे देश की तो? तो पूरा देश कांग्रेस और कांग्रेसी झूठ और दुष्प्रचार से अच्छी तरीके से वाकिफ है कि कैसे पूरे 60 वर्ष तक उसने झूठ और दुष्प्रचार से देश को बेवकूफ बनाये रखा।

और कांग्रेस जब भी यह सत्ता से रही है उसने सत्ता के पक्ष के खिलाफ झूठ और दुष्प्रचार फैलाकर सत्ता में वापस आने की कोशिश की है।

इतिहास गवाह कि ऐसा कांग्रेस हमेशा करती आई है और ललित मोदी मुद्दे पर संसद में बहस से भाग रही कांग्रेस जानती है कि अगर बहस हो गई तो पूरी पार्टी नंगी हो जायेगी और देश का अरबों रुपये बर्बाद करने के लिए माफी मांगनी पड़ सकती है?

#LalitModi #SushmaSwaraj #Congress #Uproar #Parliament #LokSabha #RajyaSabha #RahulGandhi #SoniaGandhi

सोमवार, 27 जुलाई 2015

कांग्रेसी कीचड़ स्नान को भी संग्रहित करके रखना चाहते हैं?

कांग्रेस के स्वघोषित विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा है?

मल्लिकार्जुन जी, पूरा मानसून सत्र कांग्रेसियों के हो-हल्ले और हंगामे के कारण खत्म होने के कगार पर है और कितना बोलोगे?

इससे पहले, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की शिकायत थी कि लोकसभा टीवी कांग्रेसी हो-हल्ले और हंगामे को नहीं दिखा रही है?

मतलब क्या है? कुछ कर्म हो तो अच्छा लगता है कि लोग उसको दिखाये, लेकिन सोनिया गांधी हंगामे और शोर-शराबे को ही राजनीति सफलता मानती है। यहां लोग खराब फोटो खींच ली जाये तो उसे डिलीट कर देते हैं, लेकिन कांग्रेसी कीचड़ स्नान में भी संजों कर रखना चाहते हैं।

#Congress #Uproar #Parliament #Loksabha #RajyaSabha #SoniaGandhi

अन्ना की मत सुनियो रे, अन्ना ठग लेंगे?

शिव ओम गुप्ता
अन्ना हजारे को कोई बता दे कि उनकी साख और ईमानदारी अब दुकानों में बिक चुकी है और खरीदार को खरीदते और उनको सरेआम बिकते भी लोग खुली आंखों से देख चुके हैं।

तो अन्ना जी बोल-बच्चन अब बंद कीजिये, अब किसी से कुछ छिपा नहीं कि आप (अन्ना हजारे) धरना-प्रदर्शन की चलती-फिरती दुकान हो? सबने देखा है जहां फायदा दिखा आपने वहीं दुकान खोल ली और मुनाफा कम होते देख दुकान बंद कर भागते भी देखा है!

जिनकी आंखें अभी नहीं खुली तो याद कर ले अन्ना हजारे उनकी अनंत कथा को? राजनीतिक सपोर्ट को न कहने वाले अन्ना चोरी-छिपे चेले केजरीवाल की गंदी राजनीति को सपोर्ट ही नहीं कर रहे, बल्कि आशीर्वाद भी देतो रहें हैं।

ये वहीं अन्ना हजारे हैं, जिन्होंने टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी की राजनीति प्रेरित रैली में हां करके भी नहीं गये, क्योंकि ममता की रैली अन्ना हजारे को सुनने वाले ही नहीं पहुंचे?

अन्ना हजारे ने खुद यह स्वीकार किया था कि वे ममता की रैली में इसलिए नहीं गये क्योंकि ममता की रैली में भीड़ नहीं जुटी?

अब सोचिए, अन्ना हजारे सामाजिक कार्यकर्ता हैं या राजनीतिक रैली की चलती-फिरती दुकान, जो नफे-नुकसान पर बोलता और मजमा लगाता है? मतलब कल आप भीड़ इकट्ठी करके किसी भी रैली में अन्ना हजारे को हायर कर सकते है और अन्ना हजारे न केवल वहां दुकान खोलेंगे, बल्कि दुकान पर धरना-प्रदर्शन बेचेंगे भी?

कहने का मतलब है कि अन्ना हजारे की विश्वसनीयता बिक चुकी है, बिकाऊ है, जिसे कोई भी रेंट देकर हायर कर सकता है और धरना-प्रदर्शन की कृत्रिम दुकान खोल सकता है और सियासी रोटी सेंक सकता है।

इसका सबसे बेहतर उदाहरण दिल्लीवालों को मु़ूर्ख बनाकर सत्ता तक पहुंच चुके अरविंद केजरीवाल के रुप में आपके सामने है। गुरू-चेले की दुकान चल निकली है और गुरू गाहे-बगाहे चेले को आशीर्वाद देने दिल्ली पहुंच ही जाता है।

अन्ना हजारे केंद्र की मोदी सरकार को चुनावी वादा पूरा करने की हिदायत और धरना-प्रदर्शन करने का प्रायेजित कार्यक्रम भी बता चुके हैं, लेकिन अन्ना हजारे चेले केजरीवाल की नूराकुश्ती, राजनीतिक कारस्तानी और धमाचौकड़ी पर आंखें मूंदे हुए हैं और न ही केजरीवाल को 70 चुनावी वादों को पूरा करने की याद दिलाते है, क्योंकि वे अभी "बींइग हायर्ड बॉय आम आदमी पार्टी" तो मोदी सरकार खिलाफ ही बोलेंगे और धरना-प्रदर्शन करेंगे?

#AnnaHazare #SocialWorker #Kezriwal #ProtestRally #StrikeShop #AAP #BeingHired

रविवार, 26 जुलाई 2015

सलमान को हीरोगिरी पर्दे पर ही करनी चाहिए?

चलो अच्छा हुआ सलमान को अक्ल आ गई और पिता सलीम खान की हिदायत के बाद सलमान ने अपने सभी #विवादितट्वीट वापस ले लिए हैं।

सलमान खान को शायद अब बात समझ में आ गई होगी कि जहां जरूरत न हो और जिसमें दखल न हो, वहां उंगुली नहीं करनी चाहिए।

Salman khan, whose own leg already in jail for conviction in Hit & Run case?

How can Salman speak against supreme Court verdict who himself bail out from jail ?

Salman should thanks to his well wisher whose prayers out him from jail otherwise he should be in jail for killing those innocent people.

Salman's these step will work against to him. Mean, How can a person raise voice against top most court to support of a killer of 1993 Mumbai bomb blast?

#SalmanKhan #YakubMemon #MumbaiBlast #HitandRunCase

मिस्टर केजरीवाल, "मूर्खता की भी हद होती है?"

केजरीवाल के पोस्टर वार में कहा गया है, " प्रधानमंत्री सर, दिल्ली सरकार को काम करने दीजिये? दिल्ली सरकार अच्छा काम कर रही है?"

किस उल्लू के पट्ठे ने यह पोस्टर लिखा है या किस गधे ने इसे लिखवाया है।

पोस्टर में केजरीवाल का आरोप है कि प्रधानमंत्री दिल्ली सरकार को काम नहीं करने दे रहें हैं और फिर भी दिल्ली सरकार ठीक काम कर रही है ?

मतलब, प्रधानमंत्री द्वारा काम नहीं करने देने के बावजूद दिल्ली सरकार ठीक काम कर रही है, वो भला कैसे?

कहने का अर्थ है कि स्कूल के प्राचार्य ने क्लास में बैठकर पढ़ने नहीं दिया और इग्जाम दिये बगैर पप्पू पास भी हो गया?
#Kezriwal #AAP #DelhiGovt #DelhiCM #PosterWar #AdCampaign #526Crore

शनिवार, 25 जुलाई 2015

क्या अब श्रीसंत जैसे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर से माफी मांगेगी पुलिस?

मुझे फर्क नहीं पड़ता कि स्पॉट फिक्सिंग केस में श्रीसंत, चंडीला और चाव्हाण को आरोप मुक्त कर दिया है,  लेकिन तकलीफ होती है कि दिल्ली पुलिस ने जिस प्रकार से श्रीसंत जैसे इंटरनेशनल खिलाड़ी को मुंह पर काला कपड़ा बांधकर गिरफ्तार किया और पूरी दिल्ली में घुमाया था?

आज कोर्ट में श्रीसंत की आंखों में आंसू बरबस नहीं आये होंगे, वे शायद आंसू खून के रहे होंगे? क्या दिल्ली पुलिस श्रीसंत के ऊपर किये अपमान के बोझ को अब उतार सकती है, जो श्रीसंत ने पिछले 3 वर्ष तक ढोते और सहते रहे?

दिल्ली पुलिस के तत्कालीन कमिश्नर नीरज कुमार ने जब श्रीसंत की गिरफ्तारी की थी तभी मैंने श्रीसंत की गिरफ्तारी के तरीके पर सवाल उठाया था उसकी भर्त्सना की थी।

#Srishant #SpotFixing #IPL #CaseDropped 

दिल्लीवालों! तुमने केजरीवाल को नहीं, लोकतंत्र के अभिशाप को चुना है?

कैसे-कैसे नमूने चुने थे केजरीवाल ने...जमानत पर रिहा हुए फर्जी डिग्री धारी जीतेंद्र सिंह तोमर कह रहा है फर्जी डिग्री के अपराधी को जेल नहीं भेजना चाहिए?

यही नहीं, दूध का दूध और पानी का पानी साबित हो गया और तोमर की सारी डिग्रियां फर्जी पाई गई बावजूद इसके बंदा कह रहा है कि केजरीवाल सरकार को कलंकित करने के लिए यह सब किया गया?

मतलब, आम आदमी पार्टी के रुप एक ऐसी पार्टी को दिल्लीवालों ने सरआंखों पर बिठा लिया है जो लोकतांत्रिक गरिमा और नैतिकता को ताख पर रख कर बेशर्मी से काम करने की नींव डाल रही है, जो कि बेहद खतरनाक है।

हमारे देश में लोकतंत्र की जड़ें बेहद गहरी रहीं हैं और पार्टियां कितनी भी भ्रष्टाचार में लिप्त रहीं हों, वे लोकतंत्र पर भरोसा और उसका सम्मान करती रहीं है और हजारों ऐसे उदाहरण हैं, जहां पार्टियों ने नैतिकता के आधार इस्तीफा दे चुकी हैं ।

लेकिन केजरीवाल एंड पार्टी का अभ्युदय ही लोकतांत्रिक परंपराओं की हत्या करके हुई है। केजरीवाल ने लोकतांत्रिक जन आंदोलन को अपनी कुर्सी सजाने और खुद को सत्ता तक पहुंचाने में इस्तेमाल किया। यही कारण है कि अब कोई भी जन आंदोलन पब्लिक सिंपैथी नहीं बंटोर पाता है। केजरीवाल के कारनामें के बाद लोकतांत्रिक तरीके से किये जाने वाले धरना-प्रदर्शन के वजूद पर कालिख पुत गई और इसमें शामिल होने में कम ही रुचि दिखाता है।

केजरीवाल एंड पार्टी की कारगुजारियों की इबारत यही खत्म हो जाती तो अच्छा था, लेकिन ये और भी गये-गुजरे निकले? इस पार्टी हमारे लोकतंत्र में मौजूद शुचिता और नैतिकता को भी नष्ट करने की कोशिश कर डाली है।

बात चाहे फर्जी डिग्री धारी जीतेंद्र सिंह तोमर को 4 माह कानून मंत्री बनाये रखना हो या किसान रैली में गजेंद्र सिह चौहान की लाइव फांसी का मंचन। यानी गजेंद्र सिंह चौहान झूलता रहा और केजरीवाल एंड पार्टी सत्ता की हवस में झूलती रही।

ऐसी घोर सत्ता की हवसी पार्टी से क्या उम्मीद की जा सकती है, जो प्रचार पाने के लिए, राजनीतिक फायदे के लिए किसी की मौत को कैश करने से पीछे नहीं हटती।

केजरीवाल ने अपनी ही कार्यकर्ता संतोष कोली की मौत को राजनीतिक हथकंडे की तरह इस्तेमाल किया, केजरीवाल ने गजेंद्र सिंह चौहान की मौत का इस्तेमाल किया और फजीहत हुई तो बेशर्मी से उसकी मौत को शहीदी बनाने की भरपूर कोशिश की।

और केजरीवाल ने अभी आनंद पर्वत पर मारी गई मीनाक्षी की मौत को राजनीतिक हथियार के रुप में इस्तेमाल करना बतलाता है कि दिल्लीवालों, तुमने केजरीवाल को वोट नहीं किया बल्कि एक लोकतंत्र के हत्यारे को वोट किया है, जो राजनीतिक फायदे के लिए लाशों पर राजनीति करने में पीछे नहीं रहता है।

#Kezriwal #DramaKing #AAP #Insane  #JitendraTomer #Meenakahi #DirtyPolitics 

शुक्रवार, 24 जुलाई 2015

क्या केजरीवाल की होर्डिंग, पोस्टर और टीवी ऐड से भला होगा दिल्ली का?

क्या दिल्लीवालों ने केजरीवाल की नूराकुश्ती देखने के लिए 70 में से 67 सीटें सीटे जितवा कर दी थी?

रोज-रोज हंगामा, दिल्ली के सीमित अधिकार क्षेत्र से निकल कर फैसला करना, फिर गला फाड़-फाड़कर चिल्लाना, वो परेशान करते रहे, हम काम करते रहे?

और फिर पोस्टर, होर्डिंग और टीवी पर मंहगे प्रचार करके जनता का पैसा उड़ाकर राजनीतिक स्टंट करना दिखलाता है कि केजरीवाल एंड उनकी पार्टी कितनी खोखली और छिछली है।

पिछले 5 माह से केजरीवाल की सरकार से दिल्ली में केजरीवाल मुख्यमंत्री हैं, क्या कोई बता सकता है कि केजरीवाल ने किये 70 वादों में किसे पूरा करने को कोशिश की है? बिजली-पानी तो 49 दिनों की पिछली सरकार का एक्सटेंशन है, सेचिये?

#Kezriwal #AAP #DramaKing #DirtyPolitics #Adpolitics #LG #DelhiPolice #NajeebJung

गुरुवार, 23 जुलाई 2015

4 घंटे में दिखा दी केजरीवाल एंड पार्टी ने अपनी औकात!

थूक कर चाटना किसी को सीखना हो तो केजरीवाल से सीख ले। सच कह रहें हैं बिल्कुल प्रोफेशनल डिग्री मिलेगी।

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष नियुक्त करने से पहले केजरीवाल ने उप-राज्यपाल नजीब जंग को पूछा तक नहीं और जब उप-राज्यपाल नजीब जंग ने नियुक्त रद्द कर दी तो हमेशा की तरह केजरीवाल आवं-बावं बकने लगे।

मसलन, मोदी सरकार दिल्ली में हार का बदला दिल्लीवालों से ले रही है, प्रधानमंत्री मोदी केजरीवाल को काम नहीं करने दे रही है?

और शाम होते-होते केजरीवाल की राजनीतिक उठापटक और आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति खत्म और चुुपचाप अपनी औकात पर आ गये और चुपचाप उप-राज्यपाल के पास स्वाति मालीवाल को नियुक्त करने वाली फाइल भेज दी है।

अब तो दिल्ली का बच्चा-बच्चा जान चुका है कि केजरीवाल कितना बड़ा झूठा, बड़बोला और कितना धूर्त इंसान है, जो कुंठित राजनीति के लिए क्या -क्या कर सकता है।
#Kezriwal #AAP #DramaKing #SwatiMaliwal #DCW #NajeebJung

झूठ-दुष्प्रचार की पोल खुलेगी तो पप्पू हॉलीडे पर भाग जायेगा?

शिव ओम गुप्ता
कांग्रेस का झूठ, दुष्प्रचार और बहस से छूटते ही भागने की प्रवृत्ति की हवा जल्द ही निकलने वाली है।

पप्पू की बांहें सिकोड़ कर लफ्फाजी हो या कांग्रेसी नेताओं का पप्पू कांट डांस साला को जबरन माइकल जैक्सन बताने की कोशिश का भी पोल खुलेगा? लेकिन तब कांग्रेस, मीडिया और पिछलग्गू लोग मुंह कहां छिपा कर बैठेंगे?

क्योंकि कांग्रेस के पास उन सभी मुद्दों पर हो-हल्ला के अलावा कोई तथ्य नहीं है, जिससे वो संसद में बहस कर सकें, इसलिए वे महज चिल्ला रहें और बहस से भाग रहें हैं।

वरना व्यापम मामले पर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच कर रही है, रिजल्ट आये तो बात-बहस हो,  लेकिन उससे पहले संसद को ठप करने की अक्लमंदी समझ नहीं आती है।

जहां तक बात ललित मोदी की बीमार पत्नी को इलाज के लिए और उन्हें पुर्तगाल भेजने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा लेटर लिखना अपराध नहीं, बल्कि इंसानियत है। यहां यह याद रखना जरूरी है कि सुषमा ने मदद ललित मोदी की नहीं, ललित मोदी की पत्नी की है, जो कानूनन अपराध नहीं है।

वरना 31 जुलाई को फांसी पर चढ़ाये जाने वाले याकूब मेमन के साथ याकूब की पत्नी को भी फांसी पर चढ़ा दिया जाता, क्योंकि कांग्रेस के मुताबिक याकूब की पत्नी भी उसके पति के अपराध के लिए दोषी होती है?

लेकिन कांग्रेस जानती है कि देश की मीडिया ऐसे बगैर सिरपैर की खबरों को टीआरपी के लालच में जरूर उठायेगी और उनका मतलब निकल जायेगा और हद तक कांग्रेस सफल भी होती दिख रही है।

लेकिन कब तक? झूठ के सिर और पैर नहीं होते हैं, जैसे पर्दा उठेगा, कांग्रेसी कहां छिपेंगे इसकी चिंता उन्हें अभी से कर लेनी चाहिए? समभव है पप्पू और पप्पू की मम्मी विदेश निकल जायेंगे!
#Congress #Uproar #LokSabha #RajyaSabha #LalitGate #Vyapam

केजरीवाल का टॉप फ्लोर खाली है क्या?

कसम से, केजरीवाल की हरकतें, कारगुजारी और बेहूदा विज्ञापन देखकर कोफ्त होती है कि आखिर कैसे यह पूरी दिल्ली को मूर्ख बनाकर मुख्यमंत्री बन गया?

रोज कुछ न कुछ ऐसा काम करता रहता है, जो केन्द्र प्रशासित क्षेत्र दिल्ली के अधिकार से बाहर है।

भाई केजरीवाल जब तुझे तेरी औकात पता है, तो क्यों अपना पैर अपनी चादर से अधिक फैला देता है।

और फिर बेवजह अपनी मूर्खता पर रोते हुए खुद को बेचारा और लाचार घोषित करते हुए देश के प्रधानमंत्री को घसीट लेना बतलाता है कि कहीं केजरीवाल का टॉप फ्लोर खाली तो नहीं है, जिसके भरोसे दिल्लीवालों ने वोट किया था?
#Kezriwal #AAP #DramaKing #DCW  #ControveryKing #LG #DelhiNCR #NCT

बुधवार, 22 जुलाई 2015

प्रधानमंत्री पर आरोप लगाकर राजनीति में कैरियर बना रहें हैं AAP नेता

आम आदमी पार्टी के नेताओं में खबरों में और विवादों में बने रहने की जैसे होड़ मची हुई है। जैसे कि अब चूके तो फिर मौका नहीं मिलेगा?

खबर है कि एक AAP नेता दिलीप पांडे ने पहले यह खबर उड़ाई कि दिल्ली पुलिस उनके ऊपर बस चढ़ाकर मार देना चाहती है, लेकिन बात कुछ जमी नहीं?

तो निराश दिलीप पांडे बरतन-भांडा लेकर फिर प्रधानमंत्री मोदी पर खुद मरवाने का आरोप लगा दिया?

सवाल है? जिस दिलीप पांडे के गली का काला कुत्ता नहीं जानता-पहचानता है, उसको प्रधानमंत्री पर कीचड़ उछाल कर कौन से चिड़ियाघर में जगह मिल जायेगी?

#Kezriwal #AAP #Controversy #DilipPandey #Delhi

शनिवार, 18 जुलाई 2015

जिन्हें केजरीवाल से उम्मीद है वे आंखों में सूरमा और कानों में तेल डालकर बैठें!

शिव ओम गुप्ता
दिल्ली को मूर्ख बनाकर मुख्यमंत्री बन बैठे अरविंद केजरीवाल की रासलीला और इहलीला से अब लगभग सभी वाकिफ हो चुके हैं कि बंदा चीज क्या है।

और जिनकी आंखें अभी तक नहीं खुली है तो अच्छा है कि उनकी कभी न खुले? क्योंकि केजरीवाल की चाल-चरित्र और कथनी-करनी का आउटकम ने काईया टाइप के उन सभी राजनीतिकों के कान काट लिए हैं।

जनलोकपाल और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ काम करके सत्ता में पहुंचे केजरीवाल दोनों को भुला बैठे है।

केजरीवाल को याद है तो सिर्फ आत्मप्रचार और बंदे ने आत्मप्रचार के लिए दिल्ली बजट से 526 करोड़ रुपये सरेआम ऐठ लिए हैं।

पिछले पांच महीने की केजरीवाल सरकार ने नूराकुश्ती, झगड़ों और खींचतान के अलावा ऐसा क्या किया है, जिसे आप उंगलियों पर गिन सकें?

बिजली टैरिफ की दरों में कमी और मुफ्त पानी की बात तो पुरानी है, जो केजरीवाल ने 49 दिनों की सरकार में ही लागू कर दिया था? पिछले पांच महीने में केजरीवाल ने क्या किया यह सबको मालूम है?

केजरीवाल की तरफ से बोलने वालों में कुछ वे टीवी पत्रकार हैं, जो टीवी पत्रकारिता से रिटायर होने के बाद राजनीति में घुसने का अवसर तलाश रहें हैं।

केजरीवाल ने पिछले पांच महीने में फर्जी डिग्री धारी कानून मंत्री जीतेंद्र सिंह तोमर को डिफेंड करने गंवाये, केजरीवाल ने पिछले पांच उप-राज्यपाल नजीब जंग और केंद्र सरकार से अपनी फजीहत कराने में गंवाई, केजरीवाल ने पिछले पांच महीने में अपने विधायकों की सुख-सुविधा और तनख्वाहों वृद्धि करने में सरकारी खजाने लुटाए और केजरीवाल ने पिछले पांच महीने दिल्लीवालों के लिए भले ही कुछ नहीं किया, लेकिन पूरी दिल्ली को कूड़ादान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

अभी तो पांच महीने हुए हैं जनाब, आगे-आगे देखिये कि बंदर के हाथ में उस्तरा थमाने वाली दिल्ली को पेट्रोल की बढ़ी दरों के अलावा क्या-क्या झेलना पड़ेगा? और केजरीवाल के 70 वादों की आस में बैठे लोगों को कान में तेल और आंख में सूरमा लगा लेना चाहिए, क्योंकि केजरीवाल काम करें न करे लेकिन टीवी और रेडियों पर उम्मीदों का यशोगान जरूर करेगा।

तो जिनको केजरीवाल पर अभी भी भरोसा बचा है वे अपने कानों में तेल और आंखों में सूरमा लगाकर रेडियो और टीवी खोलकर बैठे रहें, क्योंकि केजरीवाल 70 वादें रेडियो और टीवी पर ही पूरी करेगा वरना कोसने के लिए प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार उसके लिए खुला ऑप्सन है!

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #70Promises 

शुक्रवार, 17 जुलाई 2015

राहुल गांधी को अब बड़बोलेपन और लफ्फाजी से बचना चाहिए?

शिव ओम गुप्ता
राहुल गांधी 2जी घोटाला, जीजाजी घोटाला, कॉंमनवेल्थ घोटाला, आदर्श घोटाला, कोलेगेट, रेलगेट भूल गये होंगे, लेकिन देश की जनता नहीं भूली है।

कांग्रेस को याद रखना होगा कि दीया जितना फड़फड़ाता है, उसके बुझने की संभावना तेजी से बढ़ जाती है। यही हाल इन दिनों पप्पू (राहुल गांधी) का है।

राहुल गांधी जितनी ऊर्जा प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ बोलने में लगाते हैं वहीं ऊर्जा अगर वो सकारात्मक राजनीति में लगायें तो शायद देश की जनता एक बार पप्पू को पप्पू समझकर माफ कर दे, लेकिन राहुल गांधी की प्रधानमंत्री के बारे में लगातार अनाप-शनाप टिप्पणी उन्हें ही हल्का-छिछला और सतही सोच का इंसान साबित कर रहा है।

राहुल गांधी को कोई समझाता क्यों नहीं कि आसमान पर थूंकने पर खुद का थूका हुआ खुद के मुंह पर ही गिरता है और यह बात पिछले 15 वर्ष गुजरात विधानसभा चुनाव और 2014 लोक सभा चुनाव और उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस नहीं समझ सकी तो उनका भगवान ही मालिक है।

जहां तक बात प्रधानमंत्री मोदी के 56 के सीने का है तो कांग्रेस जब गुजरात में मुख्यमंत्री रहते कुछ नहीं कर सकी तो प्रधानमंत्री रहते क्या कर सकती है, बताने की जरूरत नहीं?

कांग्रेस को अपनी औकात के हिसाब से बोलने की आदत डाल लेनी चाहिए क्योंकि उसकी औकात अब राष्ट्रीय पार्टी जैसी नहीं रह गई है। बिहार विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की क्या हालत होने वाली है, सबको पता है, विधान परिषद् के चुनाव परिणाम बानगी भर हैं ।

कांग्रेस के उपाध्यक्ष श्रीमान पप्पू को अब बड़बोलेपन से बाज आना चाहिए और लफ्फाजी के बजाय कुछ ठोस सकारात्मक रवैया अपनाना चाहिए वरना दो राय नहीं जब हार दर हार के बाद नानी याद आयेगी तो नानी के घर ही भाग कल जाना पड़ेगा!


#RahulGandhi #Congress #Pappu #Modi

गुरुवार, 16 जुलाई 2015

आखिर बंदर (केजरीवाल) ने कान काट ही लिया और पकड़ाओ उस्तरा!

ये लो भैय्या दिल्लीवालों, आपकी पसंदीदा सरकार ने फिर पलीता लगा दिया है, अब दिल्लीवालों को सबसे अधिक पेट्रोल और डीजल के मूल्य चुकाने होंगे!

आज ही मोदी सरकार ने डीजल -पेट्रोल के दामों में 2- 2 रुपये कमी की हैं, लेकिन केजरीवाल ने दिल्ली में पेट्रोल-डीजल पर अतिरिक्त वैट लगा दिये हैं, जिससे दिल्ली को इसका लाभ भी नहीं मिलेगा और कुछ अतिरिक्त भी चुकाना पड़ेगा?

केजरीवाल ने दिल्ली में बिकने वाली पेट्रोल की कीमतों में करीब 3 रुपये प्रति लीटर और डीजल में करीब 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिये हैं।

यानी अब मुफ्तखोरी की लालच में केजरीवाल को छाती पर बिठाने दिल्लीवालों को पता चलेगा कि बंदर के हाथ में उस्तरा पकड़ाने से क्या-क्या हो सकता है।

मंगलवार, 14 जुलाई 2015

अच्छे दिन तो दिख रहें हैं, हमें देश का खोया गौरव भी चाहिए?

शिव ओम गुप्ता
एक से एक तथाकथित बुद्धिजीवियों के जब मूर्खतापूर्ण पोस्ट देखता हूं तो दिल कहता है कि बिना टैगलाइन वाली जिंदगी ही बेहतर है।

बीजेपी अगले 25 वर्ष में विश्वगुरू बनने का भरोसा दिला रही है तो बुद्धिजीवी 25 वर्ष में सिर्फ अच्छे दिन से ही जोड़ देना चाहते है।

60 माह में अच्छे दिन की बात बीजेपी ने की थी, जो पिछले 1 वर्ष में शुरू हुई तमाम शीर्ष स्तर की योजनाओं में दिखता भी है।

आज ही की रिपोर्ट है कि बीजेपी सरकार द्वारा शुरू किये गये मेक इन इंडिया मिशन से देश में 48 फीसदी से अधिक निवेश की वृद्धि हुई है। यह तो एक नजीर है और सरकार ने ऐसी कितनी योजनाएं शुरू की हैं।

खबरों में बने रहने और लाइक उत्कुंठा में कुछ लोग बात का बतंगड़ बनाकर ऐसे दुष्प्रचार फैलाते है, जिसका सच से कोई वास्ता नहीं होता।

बात कांग्रेस की करें तो कांग्रेसी जब सत्ता से बाहर रहते हैं तो उनका गैर-कांग्रेसी सरकारों के खिलाफ झूठ और दुष्प्रचार फैलाकर बदनाम करने का इतिहास रहा है।

वो कांग्रेस जो पिछले 68 में देश का कबाड़ा कर दिया, वो कांग्रेस जिसने पिछले 10 वर्षों के शासन काल में महंगाई, भ्रष्टाचार और दर्जनों घोटाले करके देश को तबाह कर दिया, अब हम उनकी बात सुनने लगे है, धिक्कार है।

#Congress #VishwaGuru #IndiaPride #BJP #AmitShah #AchcheDin #Modi #Pappu

केजरीवाल को चंदा दे दो भाई, बिना पैसे के नौटंकी नहीं होगी?

तो लो भैय्या...फिर खड़े हो गये केजरीवाल चंदा मांगने? फिर मांग रहें हैं चंदा ताकि फैला सके फिर रायता, बस रायता और अधिक रायता...

केजरीवाल ने हर वर्ष 521 करोड़ रुपये रायता फैलाने के लिए तो बजट में प्रावधान कर लिए हैं तो अब और कहां रायता फैलाने के लिए चंदा चाहिए?

अच्छा हां, केजरीवाल को तो प्रधानमंत्री भी तो बनना है और मियां बिहार विधानसभा चुनाव में भी तो रायता फैलाने जायेंगे ।

तो दे दो भैय्या केजरीवाल को चंदा ताकि केजरीवाल का नौटंकी चालू रह सके वरना बहुत मिस करेंगे? है ना!

#Kezriwal #AAP #Fund #Donation #Drama

68 वर्षों की मूर्खता के बाद भी कुछ नहीं सीख सका पाकिस्तान!

शिव ओम गुप्ता
रुस में हुए ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान उफा में भारत और पाकिस्तान के बीच सारगर्भित विकास की बातचीत की शुरूआत देख-सुन कर थोड़ी उम्मीद बंधी थी कि शायद पाकिस्तान पिछले 68 वर्षों की मूर्खता से तौबा करके अब विकास और तरक्की को अपनाने की ओर बढ़ रहा है?

लेकिन पाकिस्तान पहुंचते ही पाकिस्तानी सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज के मुंह से फिर वहीं पुराना राग सुनकर बड़ी निराशा हुई!

ऐसा लगता है पाकिस्तान कश्मीर के नाम पर राजनीति करना नहीं छोड़ पायेगा और झूठे कश्मीर के दावों के बहकावों से पाकिस्तान की जनता को अंतहीन मौत में उलझा कर रखेगा?

कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और पाकिस्तान यह बात पिछले 68 वर्षों में अब तक नहीं समझ सका है। ऐसा लगता है कि इस झूठ की लड़ाई में पाकिस्तान का अस्तित्व ही कहीं न खत्म हो जाये?

क्योंकि जिस तरह से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की हालत है और आतंकवाद चरम पर है, उस तरह वह कभी फल-फूल नहीं पायेगा और ऐसे हालात में जीडीपी का सर्वाधिक पैसा रक्षा बजट पर खर्च करके उसका प्रॉक्सी युद्ध पाकिस्तान को ही खाये जा रहा है।

पाकिस्तान को भूल जाना चाहिए कि वह कभी भारत के अभिन्न अंग कश्मीर को आतंकवाद या सैनिक की लड़ाई में जीत पायेगा।

समझदारी तो यही है कि पाकिस्तान विकास और तरक्की की बातें करे, क्योंकि जो पाकिस्तान खुद को भी अभी तक संभाल नहीं पाया है वह किसी और का भरण-पोषण क्या कर सकता है।

पाकिस्तान द्वारा जबरन हड़पे गये पाक अधिकृत कश्मीर की सच्चाई किसी से छुपी नहीं है, जहां के वाशिंदों को पाकिस्तान ठीक से एक अस्पताल और यूनिवर्सिटी तक नहीं दे पाया है, वहां की रिहाईशी लोगों की माली हालत भी जगजाहिर है।
#Pakistan #KashmirIssue #Terrorism #UndistutedLand

सोमवार, 13 जुलाई 2015

इमरजेंसी से जनता खुश थी इसलिए इंदिरा को दोबारा चुना:खुर्शीद

कांग्रेस नेता सलमान खर्शीद का कहना है कि देश में आपातकाल का दंश देने वाली पूर्व प्रधानमंत्री #इंदिरागांधी दोषी हैं तो देश की जनता भी उतनी ही दोषी है, क्योंकि जनता ने #आपातकाल के दोबारा उन्हें प्रधानमंत्री चुन लिया था?

खुर्शीद साहब ठीक कहते हैं और ईश्वर करे सभी कांग्रेसी नेताओं को ऐसी बातें स्वीकार लेनी चाहिए, क्योंकि देश की जनता गलतियां सुधारना शुरू कर चुकी है!

मतलब, अब वो दिन दूर नहीं जब देश की जनता #कांग्रेस नामक कोढ़ को भारतीय राजनीतिक इतिहास से उखाड़ कर फेंक देगी?
#Congress #SalmanKhushid #Emergency #IndraGandhi

एक ऐसा हमसफर जो भौतिक गुणा-भाग से परे हो?

शिव ओम गुप्ता
फिल्म 'जब बी मेट' का एक डॉयलाग है, "एक लड़की और लड़के को देखते ही पता चल जाता है कि दोनों के दिल में एक-दूसरे के बारें में क्या फीलिंग्स हैं?

यह शायद हर एक युवा लड़का और लड़की के साथ भी होता है जब वह किसी लड़के अथवा लड़की से पहली बार मिलता है।

लड़का या लड़की जब पहली बार किसी लड़के या लड़की को देखते हैं तो दोनों एक ही झटके में यह समझ जाते हैं कि फलां लड़का या लड़की भाई टाइप का है बहन टाइप की है? अथवा ब्वॉयफ्रेंड मैटेरियल है या गर्लफ्रेंड मैटेरियल है?

यह सबके साथ होता है और इससे कोई इनकार भी नहीं कर सकता है और हां, यहां उनकी बात नहीं हो रही है जिनमें हर लड़की को गर्लफ्रेंड या लड़के को ब्वॉयफ्रेड बना लेने की फितरत होती है।

कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति अलहदा है? कोई किसी का कॉपी पेस्ट नहीं बन सकता! सबकी अपनी जुदा अदा व अंदाजोबयां होती हैं, जो दूसरों से बिल्कुल अलग होती है, बावजूद इसके लोग एक अलहदा व्यक्तित्व की दूसरे अलहदा व्यक्ति से तुलना करने से बाज नहीं आते हैं और अपने करीबी व्यक्ति की खूबियों को दरकिनार करके उसे दूसरे के जैसे बनने या बनाने की कोशिश करते हैं।

कहने का मतलब है कि जब किसी को देखते ही एक झटके में पता चल जाता है कि फलां व्यक्ति का व्यक्तित्व मनपसंद गर्लफ्रेंड या ब्वॉयफ्रेंड जैसा है तो फिर हम चुनाव करने के बजाय कमियां क्यों ढूंढने लगते हैं कि बाकी सब तो ठीक है, लेकिन यह कमी है?

ऐसे कमियां निकालने वाले व्यक्तित्वों की संख्या बहुतायत में हैं जो गुणा-भाग करके शादी तो कर लेते हैं, लेकिन बाद में मनपसंद ब्वॉयफ्रेंड जैसे दिखने वाले पहले व्यक्ति की तलाश अपने तथाकथित पति या पत्नी से करते हैं?

कहते हैं कि प्यार, इश्क और मोहब्बत पर जोर नहीं चलता है, बस हो जाता है? लेकिन फिल्मों को छोड़कर ऐसे मोहब्बत बहुत कम ही बगैर गुणा-भाग की परवान चढ़ पाते है।

क्योंकि कोई पैसे और बैंक बैलेंस के गुणा-भाग से जिंदगी से समझौता कर लेता है तो किसी को जाति-बिरादरी और धर्म विशेष के गुणा-भाग में समझौता करना पड़ता है।

कल्पना कीजिए! एक ऐस् समाज की संरचना की, जहां लोग उपरोक्त सभी वर्जनाओं से परे हों और अपने निजी जीवन के फैसले लेने में भौतिक जरुरतों के गुणा-भाग से दूर हों तो हमारे समाजिक संरचना और उसके तानेे-बाने में कितनी बेहतरी हो सकती है? सोचिए...



शुक्रवार, 10 जुलाई 2015

बीजेपी की बड़ी जीत: झूठ और दुष्प्रचार करने वालों का मुंह हुआ काला?

शिव ओम गुप्ता
बिहार विधान परिषद् के 24 सीटों के चुनाव परिणाम से लालू+नीतीश महागठबंधन बदहवास होकर बेहोश हो गई है और बीजेपी+ 24 में से 14 सीट जीतने में कामयाब रही जबकि बीजेपी के खिलाफ धुंआधार झूठ और दुष्प्रचार फैलाने वाली कांग्रेस को 1 सीट और जेडीयू को 5 सीट और राजद महज 3 सीट तक सिमट गई लगती है।

आज उन लोगों का मुंह काला हे गया है जो झूठ की खेती के जरिये मीडिया में प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के खिलाफ लगातार दुष्प्रचार फैला रहे थे!

बीजेपी की बेहतरीन जीत यह साबित करती है कि देश का मतदाता कितना समझदार हो गया है और वह झूठ और दुष्प्रचार की सियासत को बखूबी समझने लगा है।

लेकिन असल सवाल है कि राहुल गांधी और वे तमाम कांग्रेसी अब कौन सा मुंह लेकर मीडिया में बयान देंगे? राहुल गांधी को तो हम जानते हैं, लेकिन दो अलग ध्रुवों के महागठबंधन करने वाले लालू+नीतीश अब कौन से गोला पर जायेंगे?

#RahulGandhi #Congress #JDU #RJD #Bihar #MLCElection #LaluYadav #NitishKumar #BigDefeat #Setback

गुरुवार, 9 जुलाई 2015

कांग्रेस के झूठ और दुष्प्रचार की खुल ही गई पोल!

शिव ओम गुप्ता
बात चाहे मध्य प्रदेश में हो रही सभी मौतों को व्यापम केस से जोड़ देने की हो या महाराष्ट्र की मंत्री पंकजा मुंडे पर लगे झूठे घोटाले के आरोप?

कांग्रेस जानती है कि किसी के भी खिलाफ अगर वह झूठे आरोप मीडिया में ला कर रख देंगे तो मीडिया चिल्ला- चिल्लाकर आरोपी को दोषी बना ही देगी?

यानी कांग्रेस का मतलब सध ही जाता है और तात्कालिक पार्टी के खिलाफ माहौल बन ही जाता है, लेकिन मीडिया की अपनी इमेज और साख का क्या ? जो लगातार रसातल में धूल फांकती नजर आ रही है।

कहते हैं झूठ के सिर - पैर नहीं होते, लेकिन आज मीडियाई हो-हल्लों की मदद से नेतागणों ने न केवल सिर ढूंढ लिया है जो मीडिया के नाम पर बेबाक चिल्लाता है और पैर भी तलाश लिए हैं, जो हो-हल्ला करके मुद्दे को छोड़ गायब भी हो जाता है।

#Media #Ethics #YellowJournalism #Congress #Allegation #Disinformation #Politics #Defeat #Frustration

मंगलवार, 7 जुलाई 2015

एक महिला की इज्जत से क्यों जुड़ जाता है बलात्कार?

शिव ओम गुप्ता
महिलाओं के प्रति बलात्कार को उनकी इज्जत से जोड़कर देखना ही समस्या की असल जड़ है। जब एक मर्द की इज्जत उसके बुद्धि, बल और सौंदर्य से है तो महिला की इज्जत उसके साथ हुए बलात्कार से क्यों जोड़ी जाती है जबकि इससे तो मर्द की ही इज्जत गई?

जब भी अवसर मिला तो महिलाएं किसी भी क्षेत्र में मर्द से कम नहीं रहीं, फिर बुद्धि, बल और सौंदर्य से उनकी इज्जत को क्यों नहीं जोड़ा जाता है, जैसे मर्द का जुड़ता है?

मर्द की इज्जत उसके ताकत से बढ़ती हैं जब वह कोई हीरोगिरी करता है, मर्द की इज्जत उसके बुद्धिमत्ता से होती हैं जब वह कोई बौद्धिक काम करता है और मर्द की इज्जत उसके सौंदर्य में होता है जब वह किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है?

लेकिन महिला की इज्जत को जबरदस्ती बलात्कार से जोड़ दिया गया है जबकि महिला मुक्केबाज मेरी कॉम  अपनी ताकत दिखाकर पूरी दुनिया में नाम काम चुकी हैं, महिला स्पेस वैज्ञानिक कल्पना चावला बुद्धिमत्ता के मामले में पूरी दुनिया में नाम कमा चुकी है और सुंदरता के मामले में एक महिला का कोई सानी नहीं, जिनमें रीता फारिया से लेकर ऐश्वर्या राय, सुष्मिता सेन और विश्व की सबसे खूबसूरत चेहरे में शुमार की गई जयपुर की महारानी गायत्री देवी प्रमुख चिह्न है।

#Rape #Respect #Women #Female #Men

सोमवार, 6 जुलाई 2015

व्यापम घोटाले: मुद्दा भ्रष्टाचार है, कारण भ्रष्टाचार है और मीडिया?

शिव ओम गुप्ता
व्यापम घोटाले में मलाई सबने मिल कर छक कर खाई है, कौन दूध का धुला है कौन नहीं? यह तो वक्त ही बतायेगा!

टीवी चैनलों पर हो-हल्ला और कांग्रेसी लफ्फाजी का कोई मोल नहीं नजर आता है, क्योंकि कांग्रेस के दामन सफेद नहीं है, बल्कि भ्रष्टाचार के काले नाले में बजबजा रही है।

एक चोर दूसरे के बारे में चरित्र का प्रमाण पत्र बांटे? यह सुन और देख कर सिर्फ हंसा और ठहाका लगाया जा सकता है, गंभीर नहीं हुआ जा सकता!

हां, गंभीर बात है एक के बाद एक मौतें और उसके कारण? सरकार का यह कर्तव्य है कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि प्रदेश में हो रही सभी मौतों के लिए किसी एक नतीजे पर पहुंचा जा सके?

अब दिल्ली में रोजाना सैंकड़ों मौतें होती हैं, तो फिर तो केजरीवाल को उठाकर इस्तीफा दे देना चाहिए या फिर मरे हुए लोगों ने जहां से पढ़ाई-लिखाई करके कमाई शुरु की उस संस्था को कटघरे में खड़ा कर दो? कर दो दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति को अंदर क्योंकि दिल्ली में मरने वाले लोगों में से अधिकांश यूनिवर्सिटी में जरूर पढ़े होंगे?

मुद्दा लगातार हो रही मौतें है और मीडिया कांग्रेस की लगाई-बुझाई और उकसाई राजनीतिक सियासत का हिस्सा महज बनती नजर आ रही है ।

भई ठीक है? क्रांतिकारी पत्रकारिता कर लो, लेकिन पहले मरे लोगों की जांच-पड़ताल हो जाने दो, वे क्यों मरे? लेकिन नहीं मीडिया पूर्वाग्रहों , शंकाओं और अनुमानों की पत्रकारिता ही करती नजर आ रही है?

व्यापम घोटाले में अगर सरकारें दोषी होती हैं तो घोटाले में मलाई चाटने वाले कैसे हरिश्चंद्र की औलादें हो गईं ? बिहार में अभी 1400 फर्जी शिक्षकों का इस्तीफा हमें ध्यान में रखना चाहिए, जो फर्जी तरीके से डिग्री हासिल करके शिक्षक बन बैठे, लेकिन जब हाईकोर्ट का डंडा चला तो 1400 लोगों को कैसे एक साथ गलती और ग्लानि याद आ गई और इस्तीफा दे डाला।

क्या ये फर्जी डिग्री धारी बिहार के शिक्षक बिना पैसा खिलाए सरकारी स्कूलों में शिक्षक बन बैठे थे? जबाव होगा नहीं! ठीक वैसे ही मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाला हुआ है ,जिनमें धांधली के जरिये लोगों ने नौकरियों की रेवड़िया खाई और बांटी है?

तो इसमें इतनी हाय-तौबा करने की क्या जरुरत है? यही तो हमारा सिस्टम है। अभी आप किसी भी प्रदेश के शिक्षा बोर्ड में नौकरी का आवेदन कीजिये, नौकरी के लिए आवेदक कितना भी उपयुक्त क्यो न हो, उसका नाम तब तक इंटरव्यू के बाद बनने वाली लिस्ट में नहीं होगा जब तक बंदे ने पूर्व निर्धारित लाख -दस लाख रुपये नहीं जमा करा दिये हैं।

तो कोसना है तो अपने सिस्टम को कोसिये? बहस करनी है तो मौत के कारणों पर बहस कीजिये और सवाल पूछना है तो खुद से पूछिये कि जब कभी आप खुद भ्रष्टाचार से लड़ने के बजाय सरकारी बाबू को रेवड़ी बांटकर किनारे हो गये थे?

#VyapamScam #SuddenDeath #Congress #Media #Agenda #Investigate #DigvijaySingh #ShivrajSingh

केजरीवाल फिर आये औकात पर, फिर रायता फैलाने की घोषणा!

शिव ओम गुप्ता
पिछले 5 महीने के सरकार में केजरीवाल ने दिल्ली के लिए भले कुछ नहीं किया, लेकिन रायता खूब फैलाया है और अब खबर है कि केजरीवाल केंद्र के एक बार दो-दो हाथ करने के लिए दिल्ली को पूर्ण राज्य के लिए जनमत संग्रह का रायता फैलाने की घोषणा की है।

मतलब, दिल्लीवालों भूल जाओ कि केजरीवाल कोई काम करेगा, क्योंकि जब दही खरीदा है तो रायता ही बनेगा न?

अब तक केजरीवाल ने कुछ काम नहीं किया है। मुख्यमंत्री बनते ही केजरीवाल ने सबसे पहले पार्टी की निजी घमासन में दो महीने निकाल दिये और पार्टी को संस्थापक सदस्य योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण जैसे दिग्गजों को पार्टी से बाहर कर दिया।

फिर अगले महीने में केजरीवाल ने उप-राज्यपाल नजीब जंग से जबरदस्ती अधिकारों की नूराकुश्ती की, लेकिन हाईकोर्ट ने जब केजरीवाल को औकात में रहने की हिदायत दी तो भाई साहब किसान रैली के राजनैतिक ड्रॉमा करने की कोशिश और एक किसान गजेंद्र सिंह को सरेआम फांसी पर चढ़ जाने दिया।

अगले पूरे महीने केजरीवाल किसान रैली में मारे गये किसान गजेंद्र सिंह मामले में घिरी रही। जबाव देते नहीं बना तो आशुतोष जैसे ड्रामेबाज नेता टीवी पर भुक्का मारकर रोने का ड्रामा किया।

अगले महीने यानी पूरे जून महीने केजरीवाल अपने फर्जी डिग्री धारी कानून मंत्री जीतेंद्र सिंह तोमर को बचाने में लगा दिया और तो और केजरीवाल के कई क्रांतिकारी नेता मनीष सिसोदिया, कुमार विश्वास और आशुतोष जैसे ने फर्जी डिग्री धारी जीतेंद्र सिंह तोमर की गिरफ्तारी को आपातकाल तक कह डाला, लेकिन जब तोमर की डिग्री फर्जी साबित हो गई तो खिसियाया केजरीवाल कहने लगा कि उसे धोखा हो गया?

पूरा जून महीना केजरीवाल की नौटंकी से सराबोर है।  इसी महीने भाई साहब दिल्ली एमसीडी कर्मचारियों का वेतन नहीं देकर दिल्ली का कूड़ा कर दिया और दिल्ली हाईकोर्ट की फटकार के बाद खींसे निपोरते हुए पैसे जारी किये।

जून माह में केजरीवाल पहला दिल्ली का बजट लेकर आये और दिल्ली की उम्मीदों की रही सही कसर भी चूल्हें डाल दी। चुनाव से पहले वैट कम करने की घोषणाओं के बावजूद केजरीवाल ने वैट ने न केवल 20 % से बढ़ाकर 30% कर दिया जिससे दिल्ली में कई राेजमर्रा के सामानों में महंगाई में वृद्धि हो गई ।

यही नहीं, केजरीवाल ने पूरे 5 महीने भले ही कुछ नहीं किया, लेकिन आत्मप्रशंसा और प्रचार के भूखे केजरीवाल ने दिल्ली बजट में 2000 % से अधिक पैसा अपनी सरकार के प्रचार-प्रसार के लिए आवंटित करवा लिया ताकि वे मीडिया चैनलों में दिख सके और झूठ का कारोबार करके दिल्लीवालों को मूर्ख बनाते रहें।

और अब केजरीवाल ने काम नहीं करने के लिए एक और बहाना ढूंढ लिया कि वे पूर्ण राज्य के मुद्दे पर जनमत संग्रह करवायेंगे और केंद्र सरकार से 'आ बैल मुझे मार' जैसी लड़ाई लडेंगे?

यानी अब केजरीवाल अगले कई महीने दिल्ली में जमकर रायता फैलाने वाले है, तो दिल्लीवालों तैयार रहना है, क्योंकि केजरीवाल का ड्रॉमा तो आपने ही बुक किया है तो ड्रॉमा तो देखना बनता है। दिल्ली को लिए काम तो अब कोई अगली चुनी हुई सरकार ही करेगी। तब तक केजरीवाल को झेलने के लिए कमर कस लो!

क्योंकि खुद केजरीवाल भी बहुत अच्छी तरीके से जानते हैं कि देश की राजधानी दिल्ली को कभी भी पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं हासिल हो सकता है, लेकिन केजरीवाल का मकसद सिर्फ और सिर्फ हंगामा खड़ा करना है, क्योंकि केजरीवाल समझते हैं कि उनको वोट देने वाले वोटर्स को न ही संविधान की समझ है और न ही वे पूर्ण राज्य मुद्दे की व्यवहारिक अड़चनों को समझते हैं।

#Kezriwal #AAP #Drama #Statehood #Referendum #VAT #DelhiBudget #LawMinister #FakeDegree #JitendraTomer

रविवार, 5 जुलाई 2015

दिग्विजय सिंह ने जिसकी मौत की आशंका जताई, उसकी मौत हो गई?


शिव ओम गुप्ता
मध्य प्रदेश में ये हो क्या रहा है? अब जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डा. अरुण शर्मा की लाश दिल्ली के एक होटल में मिलने की खबर है।

अभी पत्रकार अक्षय सिंह के पार्थिव शरीर को अंतिम विदाई भी नहीं दी गई और डीन की रहस्यमयी मौत का मामला सामने आ रहा है।

कुछ भी हो, लेकिन इन मौतों में कोई साजिश की दुर्गंध आ रही है? साजिश के कटघरे में राज्य सरकार के साथ-साथ विपक्ष और अन्य पक्षों को भी खड़ा किया जाना जरूरी है।

एक के बाद एक मौतों से माथा ठनकता है कि कैसे मौतों का सिलसिला लगातार जारी है, कुछ तो लोचा है भाई? क्योंकि कोई भी लोकप्रिय या अलोकप्रिय सरकार ऐसी वारदातों पर अंकुश न लगा सके, हजम नहीं होता है?

जरुर कोई बड़ा नेक्सस है, जिसमें अगर शिवराज सरकार को कटघरे खड़ी है तो विपक्षी कांग्रेस पर भी उंगली उठती है, क्योंकि कांग्रेस का इतिहास रहा है कि वह सत्ता में पुनर्वापसी के लिए कुछ भी कर सकती है?

पत्रकार अक्षय सिंह की मौत और अब जबलपुर के डीन डा. अरुण शर्मा की मौत से पहले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने आशंका जाहिर की थी।

दोनों मौतों से पहले दिग्विजय सिंह को कैसे पता चल जाता है कि उनकी मौत होने वाली है? और दोनों की मौत हो भी गई?

दिग्विजय सिंह भविष्यवक्ता हैं या साजिशकर्ता ? आशंका होती है कि इन मौतों के पीछे कोई राजनीतिक साजिश तो नहीं हो रही? आशंका लाजिमी भी है!

#Congress #PoliticaRivalry #SuspiciousDeath
#VyapamScam #SuddenDeath #Nexes #MPGovernment #ShivrajSingh #DigvijaySingh

शनिवार, 4 जुलाई 2015

लगता है कांग्रेस में केजरीवाल की आत्मा घुस गई है?

शिव ओम गुप्ता
आरोप लगाकर रफ्फुचक्कर हो जाने वाले मशहूर अरविंद #केजरीवाल की आत्मा #कांग्रेस में घुस गई दीखती है। पिछले एक महीने के अंतराल में कांग्रेस लगातार ऐसे आरोपों और प्रत्यारोपों की राजनीति कर रही है।

सबको मालूम है केजरीवाल की सफलता से कांग्रेसी काफी खुंदक में है और उन्हें चुनाव में सफलता के लिए केजरीवाल फार्मूले पर कुछ अधिक ही भरोसा हो गया लगता है।

ललित मोदी की आड़ में पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, फिर राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह पर आरोप लगा रहें हैं।

कांग्रेसी नेताओं को थोड़े अक्ल का इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि केजरीवाल की पोल खुल चुकी है और कांग्रेसी ढोल के पोल भी सामने आ जायेंगे, क्योंकि झूठ के सिर-पैर नहीं होते?

#Congress #Furstration #FalseCharge  #Defeatsyndrome 

शुक्रवार, 3 जुलाई 2015

ईमानदार राजनीति की बात करने वाले अब लालची हो गये?

केजरीवाल एंड पार्टी के विधायकों की हरकतों को देखकर ऐसा लगता है कि विधायक राजनीतिक पार्टी में नहीं, किसी बाराती बस में घुस गये हैं!

विधायकों की सैलरी में वृद्धि को लेकर नये-नवेले विधायक ऐसे बारातियों जैसे छीना-झपटी पर उतारू हो गये हैं कि मानों अभी नहीं लाइन में लगे तो फिर दूसरे बारात (विधानसभा चुनाव) का इंतजार करना पड़ेगा?

आप के होनहार आप विधायक राघव चड्ढा और कईयों ने सैलरी बढ़ाने के लिए कई ऊल-जुलूल तर्क भी देने शुरू कर दिये हैं। एक विधायक ने कहा कि विधायकों को 1 लाख अधिक तो शादियों में निमंत्रण देने में खर्च हो जाते है?

समझ नहीं आ रहा है कि ये कौन लोग हैं? क्या वही लोग जो इंडिया अगेंस्ट करप्शन के आंदोलन से निकले थे, जो देश बदलने के लिए अपने घरों से यह कहकर निकले थे कि वे ईमानदारी की राजनीति करने निकले हैं?

और विधायक बन गये तो ईमानदारी छोड़कर लालची बन गये हैं और सैलरी बढ़ाने के लिए बेहूदा और अजीबोगरीब तर्क गढ़ रहे हैं । दिल्लीवालों तुम्हारी तो लग गई और दो उंगली, ये तुम्हें बेंच खायेंगे!

#Kezriwal #AAP #SalaryHike #PowerBill #AAPMLA