शिव ओम गुप्ता |
नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री बनने की आकांक्षा में एनडीए से गठबंधन तोड़ा और लोकसभा चुनाव के बाद फटेहाल हो गये।
चुनाव बाद खिसियाये नीतीश ने बिहार की जनता को भगवान भरोसे छोड़ बिहार की गद्दी छोड़ कर इसलिए अलग हो गये ताकि प्रधानमंत्री बिहार दौरे पर कभी आयें तो अगवानी न करने पड़े,
नीतीश का दांव फिर उल्टा पड़ गया और फिर माफी मांगते हुए मुख्यमंत्री पद संभालना पड़ा और जिसके लिए मुख्यमंत्री का पद त्यागा था, झक मारकर प्रधानमंत्री की अगवानी करनी ही पड़ी।
नीतीश का पतन का संकेत नीतीश और लालू गठबंधन भी दे रहा है। लालू प्रायोजित जंगलराज और भ्रष्टाचार के खिलाफ बिहार की जनता से वोट लेकर मुख्यमंत्री बने नीतीश अब लालू यादव के साथ एक बार फिर बिहार में जंगलराज की वापसी करवाना चाहते हैं।
कहते हैं कि जब इंसान का बुरा वक्त आता है ईश्वर उसकी बुद्धि पहले छीन लेते हैं। कुछ ऐसा ही अब नीतीश कुमार के साथ हो रहा है।
सुना है आज दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस में आयोजित में नीतीश कुमार ने मोदी सरकार द्वारा घोषित 1.25 लाख करोड़ रुपये के विशेष पैकेज को हवाई करार दिया है।
अब नीतीश का पतन तो कोई रोक नहीं सकता है, क्योंकि बिहार अब जंगलराज की ओर मुड़ने के लिए लालू+नीतीश के महाठगबंधन को वोट देने से तो रहा, लेकिन विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा घोषित ऐतिहासिक पैकेज पर राजनीतिक नुक्ताचीनी कर रहे नीतीश को सबक भी सिखायेगी।
तो नीतीश जी बार-बार बिहार की बात बिहार में कहने के लिए दिल्ली आने की जहमत मत उठाइये, क्योंकि बिहार की जनता आगामी विधानसभा चुनाव में आपको परमानेंट बिहार से निकालकर दिल्ली फेंकने जा रही है और राज्यसभा सीट संसद में धुनी रमाते रहियेगा?
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