सोमवार, 18 मई 2015

केजरीवाल ने क्या डपोरशंखों वाली बात कही है?

"मेरी बेटी रिश्वत देने गई, लेकिन अधिकारी ने रिश्वत नहीं लिया! दिल्ली में भ्रष्टाचार खत्म हो गया है जी, हैं जी?      
                                                                -अरविंद केजरीवाल

केजरीवाल मियां! तुम्हारी क्या? किसी की भी बेटी रिश्वत देने जाती तो अधिकारी रिश्वत नहीं लेता, क्योंकि रिश्वत अधिकारी नहीं लेता है?

और मुख्यमंत्री की बेटी से रिश्वत कौन गधा अधिकारी लेता है, किसको मूर्ख बना रहे हो केजरीवाल?

खैर..मूर्खों ने ही तुम्हें दिल्ली पर बिठाया है, उन्होंने जरूर ताली पीटी होगी और अब सिर भी पीट रहे होंगे!

#Kezriwal #AAP #DelhiCM

दिल्लीवालों ने बंदर के हाथ में उस्तरा दे दिया है!

दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने सभी लोकतांत्रिक मूल्यों को ताख पर रख कर पड़ोसी की लड़ाई जैसा रुख अपना लिया है?

सुना है केजरीवाल ने प्रधान सचिव (सर्विसेज) अनिंदो मजूमदार के दफ्तर में ताला लटका दिया है!

यह तो ठीक वैसे है जैसे घर की चौहद्दी के परनाले की  लडाई के बाद नाली जाम कर दी गई हो कि न तुम्हारे घर पानी बहेगा न मेरे घर का?

राष्ट्रपति जी अब आप ही बीच में आओ और संज्ञान लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या करने वाले केजरीवाल से दिल्ली को मुक्त कराओ वरना पता नहीं क्या-क्या देखने पड़ेंगे इस देश को?

ऐसा लगता है जैसे बंदर के हाथ में उस्तरा दे दिया है दिल्लीवालों ने! वो कहते हैं न कि समझदार से नहीं, ज्यादा खतरा डेढ़ समझदार से होता है और फिर केजरीवाल को तो सभी जान ही गये हैं? आमीन!

#Kezriwal #AAP #DelhiCM

रविवार, 17 मई 2015

डोरेमोन को छोड़, अब किसानों से खेल रहें हैं शहजादे!

पिछले 10 वर्षों का ही हिसाब लगाये तो पता चलेगा कि शहजादे राहुल गांधी काम नहीं, छुट्टियों में अधिक रहें है!

और बैंकाक से 56 दिनों की छुट्टियों से लौटे शहजादे को ऐसी कौन सी एनर्जी ड्रिंक का इंफेक्शन हो गया कि डोरेमोन को छोड़ अब वे किसान-किसान खेलने लगे है?

ईश्वर भला करें किसानों का, किसान नहीं जानते कि शहजादे खेल रहें है और खेल खत्म होते ही शहजादे निकल लेंगे!

पेट्रोल-डीजल मूल्यों में वृद्धि पर हाय तौबा क्यों?

घर का बजट बिगड़ जाये तो उसको सुधारने में सालों गुजर जाते हैं और बजट को सुधारने के लिए कड़े फैसले भी लेने पड़ते है, क्योंकि कोई भी दुकानदार हमारे बिगड़े बजट को सुधारने के लिए अपना सामान कम दामों पर नहीं बेचता?

देश का बजट भी ऐसे ही है, जब देश की अर्थ-व्यवस्था बिगड़ी हो, राजकोषीय घाटा अधिक हो तो देश का बजट सुधारने के लिए आश्यकतानुसार कड़े फैसले लेने ही पड़ते हैं!

पेट्रोल और डीजल के रेट जब अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कम हुए तो पेट्रोल-डीजल के रेट नीचे चले गये, लेकिन जब बढ़ रहें हैं तो बढ़ाये जा रहें हैं! इसमें हाय तौबा कैसा?

वैसे भी भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें सरकार की नियंत्रण से बाहर हैं और तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के रेट घटाते बढ़ाते हैं?

हां, सरकार तेल कंपनियों का बढ़े मूल्यों का घाटा देकर पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर रख सकती है, लेकिन इससे देश पर ही भार बढ़ेगा और बजट हमेशा बिगड़ा ही रहेगा और बजट और अर्थ-व्यवस्था कभी नहीं सुधरेगा?

ठीक वैसे, जैसे हम घर का बजट सुधारने के लिए लग्जरी चीजों पर पैसा खर्च करना बंद कर देते है! कोई एक घर ऐसा नहीं मिलेगा जो लग्जरी जरूलतों को पूरा करने के लिए लोन लेगा और खुश रह पायेगा?

तो देशवासियों दिमाग लगाओ और दुष्प्रचार में नाक-कान देना बंद करो! देश बचेगा तभी घर बचेगा और अगर घर का बजट सुधार सकते हो तो देश का बजट सुधारने में अपना योगदान करो?
#Petrol #Diesel #Hike #CrudeOil  #InternationalMarket

अराजक केजरीवाल संविधान से खेलने को मजबूर हैं !

भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे अराजक मुख्यमंत्री का नाम लिया जायेगा तो वह अरविंद केजरीवाल होगा!

कार्यवाहक मुख्य सचिव के पद पर शकुंतला गैंबलिन की आंशिक नियुक्ति के डर से केजरीवाल इतनी खौफजदा है कि एडवाईजरी जारी कर दिया है जबकि यह नियुक्ति महज 10 दिन की है?

केजरीवाल से दिल्ली की जनता ने ईमानदारी की उम्मीद में वोट किया था, लेकिन केजरीवाल पर्दे के पीछे के अपने कुकर्म को छिपाने के लिए कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति रोक रहा है ताकि उसकी पोल न खुल जाये?

सभी जानते हैं कि केजरीवाल जब से दिल्ली का मुख्यमंत्री बना है तब से मीडिया से दूरी बनाकर बैठा है और अपने मनमाने कार्यों में बाधक उन सभी को किनारे लगा रहा है ताकि उसकी अक्षमताएं छुपी रह सके?

केजरीवाल की स्थिति ऐसी हो गई है कि जो निवाला उसने मुंह में ले रखा है, उसको न उगलते बन रहा है और न खाते बन रहा है!

क्योंकि मुख्यमंत्री तो दिल्ली की जनता ने बना दिया है, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद अराजक पसंद केजरीवाल अब पद की गरिमा और उत्तरदायित्य को निभाने में खुद को असमर्थ पा रहा है!

शायद यही कारण है कि केजरीवाल केंद्र प्रशासित राज्य दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग के संवैधानिक अधिकारों को न केवल चुनौती दे रहा है बल्कि संविधान की अवमानना करने से नहीं चूक रहा है!

सत्ता के नशे में चूर केजरीवाल को ईश्वर थोड़ी सी बुद्धि दे वरना वह दिन दूर नहीं जब देश के राष्ट्रपति ही नहीं, दिल्ली की जनता भी उसे डंडे से खदेड़ देगी!

#Kezriwal #AAP #LG #ShakuntlaGamblin #DelhiCM #Anarchist

गुरुवार, 14 मई 2015

केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने बताई उसकी औकात!

दिल्ली के मुख्यमंत्री बनते ही मीडिया सर्कुलर के जरिये मीडिया का मुंह बंद करने की कोशिश करने वाले केजरीवाल के मुंह पर बहुत ही तगड़ा तमाचा लगा है, जिससे अब केजरीवाल को समझ आ जायेगा कि वो मीडिया से जन्में हैं, मीडिया उनसे नहीं?

कैसे इंसान अपनी औकात भूल जाता है, इसके ताजा उदाहरण केजरीवाल हैं। केजरीवाल के वैयक्तिक और व्यवहारिक भ्रष्टाचार पर सवाल उठे तो भाई साहब चले मीडिया को सबक सिखाने?

केजरीवाल की हरकत देख ऐसे लगा जैसे कोई धूप से बचने के लिए सूर्य को ढ़कने का सर्कुलर जारी कर दे।

ये वही केजरीवाल हैं जो महज मीडिया की उपज है, जिसका खुद का कोई अस्तित्व नहीं है, ये उसकी मीडिया सर्कुलर जैसी उन तमाम हरकतों से साबित हो चुका है।

सुप्रीम कोर्ट के तमाचे के बाद भी केजरीवाल की हरकतों पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, क्योंकि इसकी क्रिया-कलापों से ऐसा ही लगता है।

अभी केजरीवाल टीवी पर एक विज्ञापन में नजर आ रहा है, जिसमें वह दिल्ली में भ्रष्टाचार कम करने की वाहवाही लूट रहा है।

केजरीवाल विज्ञापन में कहता हुआ देखा जा सकता है कि उसने दिल्ली वालों को  तथाकथित सस्ती बिजली और पानी और दिल्ली के किसानों को 50,000 प्रति एकड़ मुआवजा भ्रष्टाचार कम करके देने में सफल हुआ?

मतलब केजरीवाल अप्रत्यक्ष रुप से देश के उन सभी राज्यों को मुख्यमंत्रियों को भ्रष्टाचारी बता रहा है, जो अपने राज्यों के किसानों को 50,000 प्रति एकड़ मुआवजा नहीं दिया है।

संभव है जल्द ही राज्य सरकारें केजरीवाल के इस ऊल-जुलूल विज्ञापन और प्रचार भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठायेंगी।

बुधवार, 13 मई 2015

रिश्तों का इल्जाम न दो?

मैं उन दिनों सर्वोदय एनक्लेव में रहता था। एक मोहतरमा आईं और मेरी ही बिल्डिंग में मेरे ही पड़ोस के कमरे में शिफ्ट हों गईं।

अक्ल का पता नहीं पर मोहतरमा शक्ल से आकर्षक व सुंदर थीं, लेकिन शादीशुदा थी। नई-नई शादी हुई थी शायद?

पतिदेव दिल्ली में ही कार्यरत थे और मोहतरमा नौकरी तलाश रहीं थीं। दोनों साथ-साथ पड़ोस के कमरे में शिफ्ट हुए थे।

जो मुझे जानते हैं, वो जानते हैं कि मैं घुलने-मिलने में बहुत समय लेता हूं, वो चाहे लड़की हो या लड़का? कोई जेंडर भेदभाव नहीं!

उन दरम्यान कई बार ऑफिस को निकलते और ऑफिस से वापस आते समय एकदूसरे का दीदार हो जाया करता था, लेकिन बातचीत बिल्कुल नही?

न उन्होंने कभी पहल की और मैं तो पहल करता ही नहीं, चाहे बरस बीत जाये। एक महीने के अंतराल बाद एक दिन मोहतरमा ने सुबह-सुबह ही मेरे दरवाजे पर दस्तक दिया!

मैं अमूमन दरवाजे पर दस्तक को पसंद नहीं करता हूं, इसीलिए मकान मालिक को रेंट समय से पूर्व दे आता हूं। फिर भी कोई दरवाजा पीटता है तो बिना दरवाजा खोले निपटाने की कोशिश करता हूं ।

खट-खट की आवाज कई बार आई तो पूछ बैठा, " कौन?
आवाज आई , "मैं....मैं आपके पड़ोस में रहती हूं। मैंने दरवाजा खोला तो देखा सामने पड़ोस वाली मोहतरमा खड़ी थीं और मुझसे मेरा मोबाइल फोन मांग रहीं थी। शायद कोई एमरजेंसी कॉल करना था उनको?

उन्होंने बताया कि उनका फोन काम नहीं कर रहा है और उन्हें जरूरी कॉल करना है? मैंने फोन उठाकर दिया, लेकिन मोहतरमा को मेरे सामने ही बात करनेे की छूट दी और बात खत्म होते ही जैसे ही उन्होंने फोन वापस दिया, मैंने दरवाजा बंद कर लिया।

यह बात आई-गई हो गई और इस बात को कुल 3 माह बीत गये! न उन्होंने शुक्रिया कहा और न मैंने धन्यवाद किया!

मैं ऐसा ही हूं। जबरदस्ती के रिश्तों में जुड़ना पसंद नहीं है, क्योंकि आजकल के रिश्ते बहुआयामी हो गये हैं, लोग भैय्या बोलकर जिंदगी की नैया तक डूबो देते हैं, लेकिन यह अवसर न मैं लेता हूं और न ही किसी को देता हूं।

अमूमन जहां भी मैंने अभी तक काम किया है, वीकेंड मेरा बुधवार+गुरुवार होता है। यह मेरी खुद की च्वाइश होती है, अपवाद भी हुए हैं।

वीकेंड के एक दिन एक बार फिर मोहतरमा ने  दरवाजा खटखटाया और अंदर से बाहर आया तो सामने मोहतरमा खड़ी थी।

मोहतरमा मुझसे फिर कुछ मांगने की इच्छा लेकर आईं थी, लेकिन इस बार लगा लक्ष्य भिन्न था। वो मेरे फ्लैट के अंदर की रखी व्यवस्थित चीजों को बड़े कौतुहल से देख रहीं थी।

और फिर एकाएक मोहतरमा ने एक साथ दो सवाल उछाल दिये, " आप अकेले रहते हैं? आप क्या करते हैं?

परिचय पूरी होेने के बाद मोहतरमा वापस चलीं गईं और मैंने दरवाजा फिर पीटकर बंद कर लिया।

नि:संदेह मोहतरमा ने पूरे 6 महीने तक एक ही बिल्डिंग में पड़ोस में रहते हुये मेरे बारे में खूब रिसर्च कर लिया था और मुझसे किसी भी प्रकार की खतरे की आशंका और संभावना नहीं होने के प्रति आश्वश्त थीं?

अब आते-जाते, उठते-बैठते मोहतरमा से संवाद कायम होने लगा और उनके पतिदेव भी मुझसे बातचीत करने की कोशिश करने लगे। हालांकि पतिदेव शुरू में संवाद में आशंकित ही रहे।

स्थिति यह हो गई कि अब मेरी टीवी और फ्रिज आधी उनकी हो गई थी और मैं भी अब दरवाजे बंद करना भूल जाता था, क्योंकि मोहतरमा जब चाहे दरवाजा खटखटाने की आदी हो गईं थी।

मैं भी खुश था वीकेंड पर दिन अच्छा गुजरने लगा था। क्योंकि वीकेंड महसूस करने के लिए मल्टीप्लेक्स में घटिया फिल्मों का अनावश्यक फस्ट्रेशन बंद हो गया था।

मोहतरमा भी खुश थीं, मैं भी खुश था और मोहतरमा के पतिदेव भी खुश थे और हम एक परिवार की तरह अगले 3 महीने रहे, बस मेरे और महिला के रिश्ते परिभाषित नहीं थे, जिसको लेकर कभी-कभी मोहतरमा हिचक जाती थीं!

एक दिन अचानक फ्रिज से दूध निकालते समय मोहतरमा ने बात छेड़ने की अंदाज में न चाहते हुये बोलीं, "आपको मैं भैय्या बोलूं तो बुरा तो नहीं लगेगा?

मैं सवाल सुनकर बेचैन नहीं हुआ और उल्टा पूछ बैठा, क्यों क्या हुआ? पतिदेव ने कुछ कहा क्या?

मोहतरमा मुस्कराई और बोली, "नहीं ऐसा कुछ नहीं है, फिर भी अगर...मतलब हम भाई-बहन ही हुये न?

मैं गहरे सोच में पड़ गया? मोहतरमा जाने को हुईं तो मैंने रोक लिया। तुम कहती तो ठीक है, लेकिन ये आज तुम्हें क्यों सूझी?

मैंने आगे कहा, "तुम्हें रिश्ते को नाम देना है तो दे दो, मुझे कोई आपत्ति नहीं है पर हम हमारे रिश्ते को दोस्ती भी तो कह सकते हैं, जिसमें भाई-बहन जैसी ही मर्यादा है और आगे भी रह सकती है।"

मोहतरमा अवाक थीं पर बेचैन नहीं! वे कुछ देर चुप रहीं फिर बोली, " पर मेरा नाम तो आपको नहीं मालूम है?

मैं मुस्करा पड़ा और मोहतरमा वापस चलीं गईं। अब हम एक दूसरे को नाम से पुकारने लगे, न दीदी और न भैय्या?

मेरी पड़ोसन तो मुझसे भी वृहद सोच और नजरिये की महिला निकली और मैं समझता था कि एक महिला की दुनिया सामाजिक सरोकारी रिश्तों तक ही सिमटी रहती है। लेकिन ऐसे बहुत कम लोग हैं जो नाम से इतर जहीनी रिश्तों से जुड़ने की कोशिश कर पाते हैं।

क्योंकि "एक लड़की और एक लड़का कभी दोस्त नहीं हो सकते?" जैसे जुमले महिला और पुरुष की दोस्ती की परिभाषा को कभी मर्यादित परिभाषित कर ही नहीं सकते?

इस बीच एक महीने सब कुछ ठीक रहा, लेकिन एक महीने बाद ही मोहतरमा पतिदेव के साथ गुड़गांव शिफ्ट कर गईं और सवाल छोड़ गईं कि पुरुष से महिला की दोस्ती कितनी ही मर्यादित क्यों न हो पर अग्नि परीक्षा से एक महिला को ही गुजरना पड़ता है।

संसद में शहजादे की सुरक्षा में लगा है शहजादों का गिरोह?

कैसे पढ़े-लिखे गंवार लोकसभा में मौजूद हैं। मुझे हुड्डा परिवार में दीपेंद्र हुड्डा से थोड़ी-बहुत उम्मीद थी?

हरियाणा में किसानों की जमीन रॉबर्ट वाड्रा को मुफ्त देकर मुख्यमंत्री की कुर्सी गवां चुके भूपेंद्र हुड्डा के सुपुत्र दीपेंद हुड्डा अब किसानों के लिए संसद में घड़ियाली आंसू बहाते हुये मर्यादा भूल गये।

दीपेंद्र हुड्डा ने लोकसभा में आज अमेठी फूड पार्क मुद्दे पर महज झूठ के आधार लोकसभा स्पीकर पद की गरिमा से खिलवाड़ करके जता दिया है कि वे कितने बड़े बुद्धिजीवी हैं।

यही नहीं, संसद भवन में शहजादे राहुल गांधी के आसपास ऐसे राजनेताओ के सुपुत्रों की पूरी जमात है, जिनका काम सिर्फ शोर मचाना है, हो-हल्ला करना है और राहुल गांधी का कवच बने रहना है।

इनमें दीपेंद्र हुड्डा (भूपेंद् हुड्डा), गौरव गोगोई (तरुण गोगोई) अशोक चाह्वान प्रमुख हैं।

अब देश के चोर बतायेंगे थाने का पता?

चोरी और घोटालों की गिरोह चला रही कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष सही कह रहें हैं कि बड़े चोर सूट-बूट पहनकर आते हैं?

लंदन और इटली के ड्राई क्लीन्ड कपड़े पहनने वाले सूट-बूट वाले कांग्रेसी नेता व पूर्व प्रधानमंत्री से सारे परिचित है?

अरे! दामाद जी का तो जिक्र रह ही गया, वैसे सभी जानते हैं रॉबर्ट वाड्रा ने कितने किसानों की जमीन जबरन हथिया ली है और वे किसान अब खून के आंसू रो रहें हैं।

कोई नहीं, पप्पू अपने ही घर की पोल खोल रहा है? कांग्रेसी सोच रहें होंगे कि किस मनहूस घड़ी में 'राहु'ल पैदा हुआ?

मंगलवार, 12 मई 2015

पप्पू की फस्ट्रेशन का मोल नहीं, जनहित योजनाएं जरुरी!

मौजूदा केंद्र सरकार की योजनाएं देश और जन कल्याणकारी हो सकती हैं, जिनमें भूमि अधिग्रहण कानून प्रमुख है।

लेकिन वे लोग केंद्र सरकार की उक्त योजनाओं का विरोध सर्वाधिक विरोध कर रहें हैं, जो फस्ट्रेशन में हैं। इनमें कांग्रेस प्रमुख हैं, लेकिन ज्यादा तकलीफ में वे हैं जो अलग-थलग है, जैसे- #अरूणशौरी और #गोविंदाचार्य!

बीजेपी को मार्गदर्शक टीम के लिए कुछ और पद सृजित कर लेना चाहिए, क्योंकि खाली दिमाग शैतान का घर कहा जाता है।

रहा सवाल कांग्रेसी नेताओं का तो विपक्ष का काम ही होता है विरोध करना? अब पप्पू (#राहुलगांधी) एक बार फिर अपनी किस्मत आजमां रहा है तो आजमाने देना चाहिए?

पप्पू पास तो होने से रहा, क्योंकि रट्टा मारकर पप्पू साथी शहजादों के साथ बैठकर सिर्फ हो-हल्ला जरूर कर सकता है, लेकिन ऐन परीक्षा में फेल होना उसका तय है।

हालांकि पप्पू के पास हल्ला के लिए अभी पूरे 4 साल हैं, लेकिन केंद्र के पास काम करने के लिए अब महज 4 साल ही बचे है!

इसलिए केंद्र सरकार को बेखौफ अपना काम करना चाहिए और जन कल्याणकारी योजनाएं लागू करने और विपक्ष को संभालने के लिए साम-दाम-दंड-भेद के साथ-साथ कड़वी-मीठी गोली की फिक्र नहीं करनी चाहिए।

क्योंकि 5 साल बाद देश की जनता सिर्फ काम देखेगी और विशाल बहुमत होने के बावजूद केंद्र सरकार की वह छोटी-बड़ी असफलता के लिए किसी बहाने को माफ नहीं करेगी?

क्योंकि जनता सिर्फ वजूद में मौजूद कामों का हिसाब लेती है और फिर जनादेश लिखती है और वादों के मुताबिक किये गये विकास कार्यों के आगे पप्पू और विपक्ष के सच्चे-झूठे शोर नक्कारखाने में तूती की आवाज ही साबित होनी है।

तो प्रधानमंत्री जी सिर्फ काम कीजिये और शोर पर ध्यान मत दीजिये, देश को आपसे बहुत उम्मीद है!

#Pappu #RahulGandhi #Congress #Modi #BJP #LAB

सोमवार, 11 मई 2015

मीडिया के बाद अब केजरीनाल को धरने में भी दिखने लगी है साजिश?

हड़ताल और धरने की राजनीति से सत्ता तक जा पहुंचे केजरीवाल एंड टीम को अब डीटीसी कर्मियों के हड़ताल में साजिश नजर आ रही है?

तो क्यों न हम केजरीवाल और टीम के धरने-प्रदर्शन और रैली को सियासत में घुसने और दिल्ली की राजनीति की में प्रवेश करने की साजिश समझे?

झूठे आरोपों और कपट के सहारे केजरीवाल मुख्यमंत्री बन बैठे और अब उनके सिपहसालार धरने-प्रदर्शन को राजनीतिक साजिश करार दे रहें हैं?

भगवान ही मालिक है दिल्ली का और दिल्ली की जनता का, जिन्होंने जाने-अनजाने सिर पर भस्मासुर बैठा लिया है!
#Kezriwal #AAP #Protest #GopalRai #DTCBus

गुरुवार, 7 मई 2015

एक बार फिर पप्पू (राहुल गांधी) फेल हो गया!

पप्पू उर्फ राहुल गांधी को आलू और चिप्स के दाम नहीं पता है? क्योंकि पिछले 10 वर्ष सत्ता में पप्पू की अम्मा की सरकार ही थी!

पप्पू का कहना है कि 2 रुपये प्रति किलोग्राम के आलू से 10 रुपये के चिप्स बिकते है?

पप्पू के मुताबिक एक किलोग्राम आलू से महज 10 रुपये के चिप्स निर्मित हो पाते हैं? यानी किसान ही नहीं चिप्स बनाने वाली कंपनियां भी घाटे में हैं!

अब पप्पू से क्या उम्मीद की जा सकती है? किसी ने लिखकर दे दिया और पप्पू ने बोल दिया, इसमें पप्पू की क्या गलती है?

पप्पू को कोई बता दे कि एक किलोग्राम आलू में चिप्स बनाने वाली कंपनियां 10 रुपये नहीं, 100 रुपये कमाती हैं?

कहते हैं कि बकरे को शेर को खाल पहनाने से बकरा मिमियाना नहीं छोड़ देगा, पोल तो खुल ही जाती है?

केजरीवाल की हिम्मत देखो ?

महाराज पार्टी सदस्यों की तरह अब मीडिया को भी डिक्टेक्ट करने जा रहें है? सुना है भाई साहब ने टीवी न्यूज चैनलों के प्राइम टाइम शो की निगरानी करवाने के लिए एक कमेटी बना दी है ।

कहते हैं विनाश काल में बुद्धि विपरीत हो जाती है, लेकिन केजरीवाल की बुद्धि ही भ्रष्ट हो चुकी है, अब तो हो चुकी दिल्ली भ्रष्टाचार मुक्त!

क्योंकि भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए केजरीवाल पार्टी के भ्रष्ट नेताओं पर कार्यवाही करने के बजाय मीडिया पर लगाम कसने की तैयारी कर रहें हैं?

ईश्वर केजरीवाल एंड टीम को सद्बुद्धि प्रदान करें ताकि दिल्ली के वोटरों की हवाई ख्वाहिशें जिंदा बची रह सकें!

Why is Narendra Modi making more foreign visits?

Barack Obama and China supports India's bid for permanent UNSC seat.- $35 billion investment by Japan over a period of 5 years and along with it their expertise in making bullet trains.

Australia is set to sign a Nuclear Power deal with India to supply around 500 tonnes of Uranium to India.

Satya Nadella (Microsoft), Indra Nooyi (Pepsico), Sheryl Sandberg (Facebook), Jeff Bezos (Amazon), Mark Zuckerberg (Facebook) discussespossible investments.

Israel inks $5 million deal for Joint Educational Research programme.- $20 billion investment from Xi and his Chinese counterparts.

 2 billion Euros support from France for sustainable development in India.- Airbus to increase outsourcing in India from 400 million euros to 2 billion euros over the next five years.

French National Railways has agreed to co-finance an execution study for a semi-high speed project on upgradation of the Delhi-Chandigarh line to 200 kmph.

Canada agrees to supply 3,000 metric tonnes of uranium to India from this year to power Indian atomic reactors. While we are all yearning for a transformation, development, etc.

There is someone who is actually settingup the infrastructure for it. Marketingof 'Brand India' has never been so important !!

Number of days Modi stayed abroad touring 15 countries as a PM on official trips = 45.

Number of days Rahul stayed abroad (Bangkok) without informing his voters= 57.Let's be sensible to analysis & make a judgment !!!

Courtesy- Subham Chaudhary

सोमवार, 4 मई 2015

मीडिया को मिला भस्मासुर केजरीवाल!

शिव ओम गुप्ता
ऊल-जुलूलू हरकतों और गंदी भाषा शैली के आधार पर आज यह कहा जा सकता है कि अरविंद केजरीवाल भारतीय इतिहास का सबसे अमर्यादित मुख्यमंत्री है, जो भारतीय राजनीति को हमोशा कलंकित करता रहेगा।

ऐसी भाषा शैली और एप्रोच से केजरीवाल बोलता है कि लगता ही नहीं कि उक्त भाषा प्रदेश के शीर्ष पद पर बैठे मुख्यमंत्री की होगी।

एक उदाहरण-

केजरीवाल, "मीडिया ने आम आदमी पार्टी को बदनाम और बर्बाद करने की 'सुपारी' (गैंगस्टर की भाषा) ले रखी है।"

ये वहीं केजरीवाल हैं जिन्हें मीडिया ने हीरो से मुख्यमंत्री पद पर बैठा दिया है। मीडिया को भी अब चिंतन करना चाहिए कि उसका काम सिर्फ सूचना देना है, एजेंडा सेट करना नहीं?

वरना जनता को ही नहीं, मीडिया को भी केजरीवाल नामक भस्मासुर मिल सकता है, जो खुद को बनाने वाले को ही सबसे पहले भस्म करने की कोशिश करता है!

#Kezriwal#AAP #Media #DelhiCM #GobackIndianMedia #DontComeBackIndianMedia #NepalEarthquake

शनिवार, 2 मई 2015

देश को लूटने वाली कांग्रेस अब रॉबिनहुड बनीं फिर रही है!

जमीन बेची, खदान बेचा, खेत और खलिहान बेचा... देश में ऐसी कोई जगह नहीं बची है, जिसमें 68 सालों तक खान्ग्रेस ने घोटाले नहीं किये। गांधी खानदान की तो बात ही मत करो...

RTI से मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली में सिर्फ 3
समाधि (गांधी, नेहरू और इंदिरा) के लिए कुल 6000 करोड़ रुपए किमत की जमीन पर कब्जा जमाये हुए हैं।
इस लिस्ट में अगर राजीव को शामिल करें तो पूरे देश में आंकडा 70000 करोड़ रूपये तक जाता है।

खान्ग्रेस के दामाद रोबट वद्रा ने ताकत आजमाईश से दिल्ली, हरियाणा, यूपी, राजस्थान और हिमाचल में किसानों की हजारों एकड़ जमीन और समेत कई प्राईम प्रॉपर्टीयां हडप ली...

एक तिहाई कश्मीर पाकिस्तान को और आधा अरुणाचल प्रदेश चीन को देने वाला पापी परिवार आज जमीन की बात करता है, और ये सब कुछ उसी अंग्रेजों के बनाए 'भूमि- अधिग्रहण कानून' के सहारें।

लेकिन जब किसान कुदरत की मार झेल रहा था, तब खान्ग्रेस के शहजादे 'पप्पू' 58 दिन विदेशों में मौज मना रहे थे, आज जब किसान के आँसू सुख गये तब पप्पू अचानक नौटंकबाजी करने चुनावी प्रचार में उतर आयें।

अरे मोदी को आए अभी साल भर भी नहीं हुआ... और 68 साल लुट मचा रही खान्ग्रेस और उसके एजेंट केजरीवाल यह दिखाने में लगे है की किसानों का सबसे बड़ा दुश्मन मोदी है... कमाल है।

इन्हें पता चल चूका है की नमो पांच साल में इनकी इतनी गहरी कब्र खोद देंगे की इनकी आने वाली पीढ़ियां भी उसमें से नहीं निकल पाएंगी।

Courtesy:- निर्मल शर्मा 

अरुण शौरी का फस्ट्रेशन उन्हें कहां ले जायेगा?

शिव ओम गुप्ता
भाजपा में फस्ट्रेटेड नेताओं की कमी नहीं है। अरुण शौरी को भी मार्गदर्शक मंडल वाली टीम में धक्का दे दिया जाना चाहिए, क्योंकि लाइमलाइट में न रहने की कमी सबको खलने लगती है?

मोदी सरकार की 'सबका साथ-सबका विकास' और जन-धन योजना को जहां अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिल गई है और कई देश उस पर अमल करने की बात कह रहें है।

यहां तक कि विश्व बैंक प्रमुख से लेकर वैश्विक रेटिंग एजेंसीज तारीफ कर रही हैं, ऐसे में शौरी और मीडिया प्रोपेगेंडा को समझना आसान है, जिनका मकसद ही कुछ और है!

एक बार मान भी लें कि अरूण शौरी की बात एक फीसदी सही भी है, तो शौरी उक्त बातें 'ज्ञानवर्धक बातें' पार्टी फोरम में भी उठा सकते थे? प्रधानमंत्री से स्वयं मिल सकते थे, लेकिन?

गुरुवार, 30 अप्रैल 2015

राहुल गांधी, 'घड़ियाली आंसू देख रहा है देश का वोटर!'

शिव ओम गुप्ता
परीक्षा में बैठने से पहले पुराने परीक्षा में जिन सवालों के जबाव नहीं दे सके थे राहुल गांधी एंड टीम को उससे सबक लेना चाहिए वरना शर्तिया फिर फेल हो जायेंगे!  

राहुल गांधी विशुद्ध कांग्रेसी ढर्रे की पुरातन राजनीति कर रहें हैं, जिसमें कुछ नया नहीं है, बल्कि बोरियत है।

 राहुल गांधी को अच्छी राजनीति करनी है तो पहले उन्हें केंन्द्र के 10 वर्ष की घोटालों और पिछले 15 वर्षों में कांग्रेस सरकार के दौरान महाराष्ट्र में किसानों की खुदकुशी की समीक्षा करके देश से गद्दारी के लिए माफी मांगनी चाहिये फिर किसानों के हित के घड़ियाली आंसू बहाने चाहिये।

याद रखिये अब कांग्रेस की परंपरागत गांधी परिवार प्रेमी वोटर नहीं रहे, जिसको वो आसानी से वे मूर्ख बनाकर सत्ता में पुनर्वापसी कर लेते थे?

लेकिन आज का युग बदल गया है, क्योंकि आज का युवा वोटर  राजनीतिक दुष्प्रचार को बढ़िया से समझती है और उन सभी दुष्प्रचारों का सच और झूठ सोशल मीडिया के जरिये उसके पास रिफाइन होकर पहुंचता है।

 राहुल को अगर कांग्रेस की पुरानी ढर्रे पर राजनीति में पुनर्वापसी करनी है तो भूल जाये वरना अभी भी समय है और गाली देने के बजाय विकास प्रेरित राजनीति की बात करनी शुरू करें।

 क्योंकि जनता राहुल गांधी को सुनना पसंद नहीं करती है, वह जानती है राहुल गांधी की बातें छिछली होती है और स्क्रिप्टेड ड्रामेबाजी होती है!

#RahulGandhi #Congress #Youth #Voter 

राहुल गांधी कच्चे नींबू हैं सबको पता है पर कांग्रेस?

राहुल गांधी किसानों की आड़ में राजनीतिक ड्रामा भले कर रहें हैं, लेकिन यह भूल गये हैं या भूलने का ड्रामा कर रहें है।

क्योंकि पिछले 10 वर्ष केंद्र और महाराष्ट्र में 15 वर्ष कांग्रेस की सरकारें रही है और उनके ही कार्यकाल में किसानों की सर्वाधिक मौत हुई है।

कोई कैसे इतनी दोगली बातें कर सकता है। गलती मानने वाले को माफी मांगने पर जनता एक बार माफ भी कर देती है, लेकिन चोरी करके सीनाजोरी करने वालों को देश की जनता कभी नहीं करेगी!

राहुल गांधी कच्चे नींबू हैं यह तो दुनिया को मालूम हैं, लेकिन पूरी कांग्रेसी जमात कच्चा नींबू निकलेगी? भरोसा नहीं हो रहा?

#RahulGandhi #Congress #Pappu #IndianFarmers #Suicide

बुधवार, 29 अप्रैल 2015

बचने से नहीं, लड़ने से मिलेगी जिंदगी?

शिव ओम गुप्ता
बचकर नहीं, डटकर तुम्हें चलना होगा?
तुम्हें जिंदगी से लड़कर आगे निकलना होगा?

राह दुश्मन सही, इरादे बदलकर चलना होगा?
तुम नहीं या हम नहीं, तय करके ही भिड़ना होगा?

है आन में अभिमान तो उसमें जान भी भरना होगा?
तू ठान ले बस फिर तो उसको पिछड़ना ही होगा?

मत गौर कर कब क्या किसे समझाना होगा?
सरेराह ही सबक तुम्हें उसे सिखलाना होगा?

अब आन पर नादान, जान हथेली पर लेना ही होगा?
है जान पर अभिमान तो कीमत बतलाना भी होगा?

इसलिए फौरन तुझे अब मौन को दफनाना होगा?
औरत तुझे अब हाथ में खड्ग तो उठाना होगा?

और हाथ लकड़ी में अब ज्वाला तुझे भड़काना होगा?
क्योंकि लड़की नहीं है अबला उन्हें अब बतलाना होगा?

मंगलवार, 28 अप्रैल 2015

'चोर' कहता है कि मुझे चोर मत कहो, देश की बदनामी होती है?

पिछले 60 वर्षों तक देश को घोटालों और लूटमारी से पीछे ले जा रही कांग्रेस को अब बदनामी का भी डर सता रहा है और अपनी नाकामी और लूट को छिपाने के लिए अपने कुकर्म को भारत की बदनामी से जोड़ रही है।

अफसोस तो इस बात है कि कांग्रेसियों को घोटाला और देश के साथ गद्दारी करते हुए कभी यह एहसास ही नहीं हुआ कि उनके घोटालों से  दुनिया में देश का नाम रोशन हो रहा है कि बदनाम हो रहा है।

मतलब, कांग्रेसी अब चोरी को अपराध श्रेणी  से हटाने की वकालत कर रहें हैं। कहने का अर्थ है कि 'चोर' को चोर कहो, तो चोर कह रहा है कि मुझे चोर मत कहो? क्योंकि इससे उसकी नहीं, देश की बदनामी हे रही है?

सोमवार, 27 अप्रैल 2015

वादे पूरी करो केजरीवाल, वरना दिल्ली माफ नहीं करेगी ?

शिव ओम गुप्ता
कहते हैं कि जो निवाला मुंह में हो, पहले उसको निगलने की कोशिश करनी चाहिये? फिर दूसरे किसी निवाले के बारे में सोचना चाहिये?

लेकिन राजधानी दिल्ली में वादों के पिटारों से निकली और वजूद में आई आम आदमी पार्टी की केजरीवाल सरकार अब वादों से ही कन्नी काटती नजर आने लगी है जबकि उसे मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी और मुफ्त इंटरनेट जैसे 70 लोक लुभावन नारों से दिल्ली में ऐतिहासिक जनादेश हासिल किया था !

उल्लेखनीय है राजधानी दिल्ली के मतदाताओं ने  गत दिल्ली विधानसभा चुनाव में पारंपरिक पार्टियों को धता बताते हुये अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को 70 विधानसभा सीटों में से रिकॉर्ड 67 सीटों पर विजयश्री दिलाई थी जबकि देश की सबसे बड़ी पार्टी रही कांग्रेस खाता तक नहीं खोल पाई और केंद्र में सत्तासीन भाजपा को महज 3 सीटों से संतोष करना पड़ा!

बावजूद इसके राजधानी दिल्ली का मतदाता अब ठगा सा महसूस कर रही है, क्योंकि चुनाव जीतने के बाद वादों को पूरा करने में केजरीवाल सरकार फिसड्डी ही साबित नहीं हो रही है बल्कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा है कि उनकी सरकार अगर किये वादों का 40 से 50 फीसदी भी पूरा कर देती है तो कोई बुराई नहीं है?

गौरतलब है जिन वादों और ईमानदार कोशिशों के चक्कर में दिल्ली ने केजरीवाल को मुख्यमंत्री की गद्दी सौंप दी थी, वे केजरीवाल अब दिल्ली की राजनीति को छोड़ राष्ट्रीय राजनीति में हाथ-पांव आजमाने लग रहे है, जिससे अब दिल्ली की जनता के अरमान ही नहीं टूट रहें हैं, बल्कि वे अब खुद के निर्णय को भी कोसने लगे हैं!

इससे पूर्व भी केजरीवाल अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा और मंशा के चलते दिल्ली की गठबंधन सरकार 49 दिनों में छोड़कर लोकसभा चुनाव में कूद पड़े थे, लेकिन चारों खाने चित्त होने के बाद वे दोबारा दिल्ली लौटे और माफी मांग ली और दोबारा दिल्ली में पूर्ण बहुमत सरकार बनाने में कामयाब हुये।

हांलाकि केजरीवाल ने दिल्ली की गद्दी दोबारा संभालते ही किये 70 वादों में से दो लोक लुभावन वादे तत्काल पूरे कर दिये। इनमें 200 यूनिट तक बिजली के खर्च पर वर्तमान टैरिफ का 50 फीसदी कीमत चुकाने और रोजाना 666 लीटर मुफ्त पानी प्रमुख है, लेकिन बाकी के वादे अब तक पिटारे में ही बंद हैं!


लेकिन केजरीवाल की ईमानदारी पर आश्वश्त दिल्ली की जनता अब अधीर हुई जा रही है, क्योंकि उसे भरोसा था कि केजरीवाल सरकार किये वादों को पूरा करने में ईमानदार कोशिश जरूर करेगी, क्योंकि इस बार दिल्ली में पार्टी की पूर्ण बहुमत नहीं होने का बहाना भी नहीं है, पर पूर्ण बहुमत के बावजूद केजरीवाल दिल्ली के मुद्दों को छोड़ अब इधर-उधर की बातें करते अधिक दिखाई पड़ रहें हैं!

कभी केजरीवाल नई भूमि अधिग्रहण विधेयक में राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए दिल्ली में किसान ढूंढ लाते हो, फिर कभी मीडिया पब्लिसिटी के लिए उन्हें फसल बर्बादी का मुआवजा बांटने लगते हैं और तो और गत 22 अप्रैल को राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर सभी जिम्मेदारी छोड़कर धरने पर बैठ गये और किसान हितैशी बनते-बनते राजस्थान के एक किसान गजेंद्र सिंह चौहान को ही सूली पर चढ़ा दिया!

दिल्ली पुलिस का आरोप है कि केजरीवाल और पार्टी कार्यकर्ताओं के सामने गजेंद्र फांसी पर झूल गया, लेकिन केजरीवाल समेत पार्टी के तमाम बड़े नेता राजनीतिक माईलेज के लिए गजेंद्र की मौत पर मौन रहे और सारे के सारे गजेंद्र की मौत का तमाशा असंवेदनशीलता से तब तक देखते रहे जब तक गजेंद्र पेड़ से झूल नहीं गया?

ध्यान रहे, ये वही केजरीवाल है, जिन्होंने रामलीला मैदान में दोबारा मुख्यमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह के मंच से घोषणा की थी कि वे और उनकी पार्टी अब पूरे 5 साल दिल्ली की ही राजनीति करेगी और दिल्लीवालों की उम्मीदों को ही पूरा करने में लगेगी।


यही नहीं, केजरीवाल ने दिल्ली से किये गये वादों का हवाला देते हुए पार्टी के दूसरे संस्थापक सदस्यों को इसलिए पार्टी से बाहर कर दिया, क्योंकि वे दिल्ली से बाहर पार्टी को विस्तार देने की बात कर रहे थे? इनमें योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, प्रोफेसर आनंद कुमार और अजीत झा शामिल हैं, जिन्हें अब पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी बाहर किया जा चुका है?

सवाल उठता है कि अगर पार्टी दिल्ली से बाहर अभी विस्तार नहीं चाहती है तो भूमि अधिग्रहण विधेयक और मुआवजे की राजनीति क्यों कर रही थी? जबकि दिल्ली में किसान और किसानी भी नाममात्र हैं?

केजरीवाल पर यह भी आरोप लगता रहा है कि वे पार्टी को एक तानाशाह की तरह चलाते हैं और पार्टी में उनकी ही चलती है और जो भी उनसे सहमत नहीं होता, उसे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है, इनमें पार्टी के तथाकथित आंतरिक लोकपाल एडमिरल रामदास का उदाहरण ही काफी है!

सवाल घूम फिर कर फिर वहीं पहुंच जाती है कि आखिर दिल्ली से किये वादों का क्या? जिसे पूरा करने को लेकर केजरीवाल खुद संजीदा नहीं दिख रहे जबकि पार्टी और पार्टी के नेता लगातार विवादों में घिरे रहते है।

जंतर-मंतर पर किसान गजेंद्र की फांसी मामले में पार्टी के सभी बड़े नेताओं का घिरना लगभग तय है, जहां किसान की हत्या और फांसी के लिए उकसाने का मुकदमा पुलिस दायर कर चुकी है।

क्योंकि मंच पर मृतक गजेंद्र की तथाकथित चिट्ठी की लिखावट पर गजेंद्र का परिवार पहले ही सवाल उठा चुका है और गजेंद्र की गरीबी और तंगहाली पर भी सवाल खड़े हो चुके है?

केजरीवाल एंड पार्टी अपने किये वादे पूरे जब करेगी तब करेगी, लेकिन काम कब करेगी यह बड़ा सवाल है। ये तो वही बात हो गई कि चील का उड़ना कम और चिल्लाना ज्यादा?

शनिवार, 25 अप्रैल 2015

कांग्रेसी मूर्ख बनाकर ही वोट लेंगे क्या? राहुल भी इसी राह पर!

शिव ओम गुप्ता
लांचिंग-रीलांचिंग, पिकनिक-हॉलीडे और रिहर्सल-भाषण के बाद बहरुपिये राहुल गांधी एक बार फिर अपनी पुश्तैनी मांद में घुसने जा रहें हैं?

सब कुछ गंवा चुकी कांग्रेस की थिंकटैक एक बार फिर पुराने ढर्रे पर लौटते हुए राहुल गांधी को हिंदू वोटरों को एक फिर ताड़ने के लिए हिंदू तीर्थों के चक्कर लगवा रही है, ताकि हिंदू बहुसंख्यक राहुल गांधी को इटलीवासी नहीं, हिंदुवादी समझे?

जैसा कि उनके पिता राजीव गांधी से अयोध्या राम जन्मभूमि का ताला खुलवा कर किया गया था और हिंदू बहुसंख्यकों को इमोशनल फूल (मूर्ख) बनाते रहे!

क्या कांग्रेस थिंकटैंक 2014 लोकसभा चुनाव की ऐतिहासिक पराजय के बाद अभी भी यह मानती है कि आज की नई जनरेशन भी गांधी परिवार के मोह में इमोशनल फूल बन जायेगी और स्वघोषित पप्पू राहुल गांधी को भी अपना वोट देगी?

आज जहां देश का युवा विकास, तकनीकी और रोजगार की बात कर रहा है, वहीं कांग्रेस एक बार फिर इमोशनल फूल बनाने वाले कॉर्ड पर दांव खेल रही है और पप्पू तो पप्पू? पप्पू की मम्मी भी राजी हैं!

तो क्या विश्व के सबसे बड़े युवा मतदाताओं वाला देश पप्पू के लिए इमोशनल फूल बनने को राजी हैं, क्योंकि कांग्रेस थिंक टैंक तो देश को पप्पू को थोपने पर अमादा दिखती है और वो हर वो चोचले आजमाने की कोशिश करती दिख रही है, जिसके जरिये उसने भारत को 5 दशक तक बर्बाद किया?

#RahulGandhi #Pappu #Congress #Youth  #SoniaGandhi #Voters #GandhiFamily 

शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015

केजरीवाल एंड पार्टी का मास्टर प्लान बैक फायर हो गया!

#केजरीवाल एंड पार्टी का #मास्टरस्ट्रोक जो उनके ही लिए #हॉर्टस्ट्रोक साबित हो गयी?

मास्टर स्ट्रोक प्लान की पटकथा-

"तैयारी हो गयी ?"
"हाँ हो गयी"
"वो आदमी कौन है जो पेड़ पे चढ़ कर थोड़ा ड्रामा करे, उसे क्या बोलना है सब समझा दिया ना",
"हां, लिख कर दे दिया है",
"कौन है वो?"
"बीजेपी का था अब बस टाइमपास है",
"चलो अच्छा है, कल को कुछ गलत हुआ तो #बीजेपी के सर पे दे मारेंगे के तुम्हारा बन्दा हमारी सभा में ड्रामा कर रहा था।
देखो सब ठीक से हो? बहुत ज्यादा देर तक पेड़ पे ना रहे। जब हल्ला मचे उसे आराम से उतारवा लेना और मंच में ले आना।
वही से उसका भाषण करा देंगे"
"बहुत क्रन्तिकारी होगा, मोदी साब तो हिल जायेंगे हमारे मास्टर स्ट्रोक से !"

हॉर्ट स्ट्रोक- बैक फायर्ड-स्क्रिप्ट:

"लटक गया"
'यह सब किसान आंदोलन को रोकने की साजिश है, बीजेपी चाहती है कि आम आदमी पार्टी को बदनाम किया जाये"
"हमारी कोई गलती नहीं, हमने गजेंद्र को उतारने की अपील की थी"
"#गजेंद्र अगली बार अगर पेड़ से लटका तो खुद केजरीवाल पेड़ पर चढ़ेंगे, शाखाओं पर जायेंगे और खुद उसे उतारेंगे"
हम से गलती हो गयी जी, हम माफी मांगते हैं जी"
#Gajendra #Kezriwal #AAP #Farmer #Suicide #KumarBiswas

सावधान! एक और बहरुपिया आया?


शिव ओम गुप्ता
क्योंकि अगर राहुल गांधी सचमुच हिंदू धर्म का पालन करते है या हिंदू धर्म को जानते हैं तो यह भी जानते होंगे कि हिंदू धामों की यात्रा एक हिंद धर्मावलंबी कब शुरू करता है?

और अगर राहुल गांधी केदारनाथजी यात्रा को जरिये हिंदुओं के दिलों में पुनर्वापसी की कोशिश है, तो यह छिछोरापन से अधिक कुछ नहीं है ।

ये तो वहीं बात हुई कि 100 चूहे खाकर बिल्ली चली हज को? वो कहते हैं न कि कपड़े बदलने से शक्ल नहीं बदलती है और राहुल गांधी आपकी काबिलियत और कारिस्तानी से देश का बच्चा परिचित है।

अच्छा होगा अगर आप आज राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर लो, क्योंकि देश की जनता का कोई भरोसा नहीं है, क्योकि अभी भी देश की अधिकांश जनसंख्या इतनी समझदार नहीं हुई है, क्योंकि वह आज भी अपना वोट जाति-बिरादरी और भावनाओं और जज्बातों से ही करती है?

एक नहीं, कईयों ऐसे उदाहरण हैं जिन्हें चाहे-अनचाहे देश/राज्यों को झेलना पड़ता है, क्योंकि वोट देने के बाद जनता सिर्फ  झेल सकती है। यानी, जब चिड़िया चुग गई खेत?

जैसे-पिछले 10 वर्ष देश को मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री के रुप में झेलना पड़ा, उत्तर प्रदेश में पुत्तर अखिलेश को प्रदेशवासी  झेल रहें हैं और अब दिल्ली में केजरीवाल जैसे बहरूपिये को दिल्लीवाले होश-जोश खोकर वोट देकर झेलने को मजबूर हैं!

तो राहुल गांधी भी निकल पड़े बहरुपिये बनने और हिंदू वोट और जज्बाती वोटरों के दिल में जगह बनाने चल पड़े धार्मिक यात्रा पर...क्योंकि काबिलियत तो है ही नहीं, अब वोट तो ऐसे ही हासिल हो सकते हैं।

तो देश की जनता, आंख-नाक-कान खोल को रखो, क्योंकि मनमोहन सिंह, अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल के बाद अब राहुल गांधी बहरुपिये की खाल पहन चुके हैं, बस वादों का पिटारा खोल आपसे वोट मांगने वाले है, तो तैयार रहिये?

गुरुवार, 23 अप्रैल 2015

Inhumane CM Kezriwal! Thank God, It was Delhi?

Shiv Om Gupta
Delhi you are lucky enough! because what you did in assembly election of Delhi by own your hand at polling booth, never been easy 5 years for you?

Otherwise you can't imagine what will happen with you such so called new age politics of Kezriwal!

Yesterday, Everyone witnessed Kezriwal & his party's characteristic! Kezriwal shown his worsen class by his dirty face of politics at Jantar-Mantar, Delhi where an farmer suicide at front of him and Delhi CM kezriwal continuously does political speech inhumanely?

Think once, If Kezriwal fought election from Haryana or Rajasthan assembly election and they got mandate like Delhi?

I just felt numb to think about it, because if it was in Haryana or Rajasthan then they could have uncontrolled and does whatever they want?

Today indeed National capital of Delhi people will feel relaxed by its own Delhi status that has been controlled by Central government.

बुधवार, 22 अप्रैल 2015

किसान राजनीति में केजरीवाल ने किसान को मार डाला!

शिव ओम गुप्ता
देश में राजनीति बदलने और सुधार करने की बात करने वाले हवशी अरविंद केजरीवाल ने राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर स्वार्थ प्रेरित राजनीति का ऐसा नंगा नाच खेला कि बड़े-बड़े राजनीतिक दलों ने दांतों तले उंगुली दबा ली। मतलब कि केजरीवाल ने महज केंद्रीय राजनीति में हैसियत जताने और अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा दिखाने के लिए एक निर्दोष किसान की बलि ले ली!

केजरीवाल की देहरी पर फरियाद लेकर पहुंचे दौसा, राजस्थान के किसान गजेंद्र ने केजरीवाल की भारी उम्मीदों के बीच हार कर मौत को गले लगाना ही पड़ा!

नि:संदेह दौसा का वह किसान बेमौसमी बरसात से खराब हुए फसल से उपजे आर्थिक तंगी के कारण नाउम्मीदी में था और केजरीवाल से उम्मीदों में आत्महत्या का धमकी दे रहा था!

वरना दो घंटे पहले पेड़ पर चढ़ कर बैठे व्यक्ति ने आत्महत्या में इतनी देर क्यों की? क्योंकि आर्थिक तंगी से परेशान किसान नाउम्मीदी से भरा था और चाह रहा था कि केजरीवाल या पार्टी का कोई सदस्य उसकी बात सुने, लेकिन कोई उसके पास नहीं गया ?

किसान की नाउम्मीदी और उस पर केजरीवाल की अनदेखी से किसान के पास कोई चारा नहीं बचा! शायद किसान केजरीवाल की रैली में उनके अलग राजनीति करने की झांसे से प्रभावित था, जैसे दिल्ली विधानसभा चुनाव में दिल्ली की जनता झांसे में आ गई थी!

हालांकि खुद को बचाने के लिए किसान ने कई बार चिल्लाकर, गमछा हिलाकर और पर्ची फेंककर कोशिश भी की ताकि कोई आये और उसको उतार कर उसकी बात सुने और उसकी सहायता करे!

लेकिन किसान राजनीति में हाथ धोने में जुटे केजरीवाल ने ध्यान देना जरूरी नहीं समझा और किसान नाउम्मीदी में गमछे को फंदा बनाकर झूल गया! 

सोमवार, 20 अप्रैल 2015

Rahul's scripted speech doesn't touch hearts!

Propaganda of congress doesn't reflect reality of Indian farmers. It seems congress did not learned anything from defeat.

Hibernated Vice president Mr Rahul Gandhi, who came after 56 days of holiday (Honeymoons) from famous (infamous) Bangkok spoke like shit again.

Because his scripted speech doesn't touch hearts of people, although political malfunctioned speech of his hurts more.

#RahulGandhi #Congress #LandAcquisitionBill #IndianFarmers

फिर धरने पर केजरीवाल, उन 70 वादों का क्या?

शिव ओम गुप्ता
अबे जो निवाला मुंह में ले रखा है पहले उसको निगल? फिर दूसरे निवाले के बारे में सोचना?

कहने का मतलब है कि भाई केजरीवाल पहले उन 70 वादों को पूरा करो, जिसके चक्कर में दिल्ली ने तुम्हें मुख्यमंत्री की गद्दी सौंप दी है?

और तुम हो कि इधर-उधर की बातें करके दिल्लीवालों को बेवकूफ पर बेवकूफ बनाये जा रहे हो?

कभी दिल्ली में किसान ढूंढ लाते हो, फिर फिजूल की पब्लिसिटी के लिए उन्हें मुआवजा बांटने का तिकड़म करते हो और दिल्ली को जिम्मेदारी छोड़कर धरने पर बैठने जा रहे हो?

भाई केजरीवाल, तूने ही कहा था कि दिल्ली को छोड़कर तुम्हारी पार्टी कहीं और के बारे नहीं सोचेगी और पूरा ध्यान दिल्लीवालों की उम्मीदों को पूरा करने में देगी।

और फिर तुमने इसीलिए तो योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को किनारे लगाया क्योंकि वे दिल्ली से बाहर पार्टी का विस्तार चाहते थे और ऐसा तुम नहीं चाहते थे, सच है कि नही?

अब अगर पार्टी दिल्ली से बाहर अभी विस्तार नहीं चाहती है तो भूमि अधिग्रहण विधेयक और मुआवजे की राजनीति क्यों कर रही है?

ये तो वही बात हो गई कि चील का उड़ना कम और चिल्लाना ज्यादा? कुछ काम कर लो बेटा केजरीवाल वरना कहीं ऐसा न हो कि चौबे जी गये छब्बे बनने और दूबे बनकर लौटे?

#Kezriwal #AAP #Delhi #LandAcquisitionBill #Congress

शनिवार, 18 अप्रैल 2015

किसानों के भेष में राहुल गांधी से मिलने पहुंचे कांग्रेसी कार्यकर्ता!

शिव ओम गुप्ता
राहुल गांधी से मुलाकात करने पहुंचे अधिकांश लोग किसान की भेष में कांग्रेसी कार्यकर्ता हैं, क्योंकि किसान कांग्रेस या राहुल गांधी के नारें क्यों लगायेंगे भला?

राहुल गांधी ने मुलाकात के बाद इसकी पुष्टि कर दी है, उन्होंने कहा, ज्यादा से ज्यादा किसानों को रैली में लेकर आओ?

अब किसान नेता तो किसानों की रैली का खर्च उठा नहीं सकते? क्योंकि राहुल गांधी के आवास पर जुटा लोगों का हुजुम किसान नहीं, बल्कि कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का है और किसानों को बसों में भर कर भीड़ जुटायेंग?

वैसे, बेमौसमी बरसात से फसल बर्बाद होने सेे किसान खाली हैं उन्हें मुफ्त दिल्ली यात्रा में क्या परेशानी हो सकती है।

राहुल गांधी की रीलांचिंग ही करनी है तो करो भाई, किसानों को क्यों बदनाम कर रहे हो, वे किसान जो स्वाभिमान से जीना पसंद करता है, किसी से कुछ मांगने से बेहतर आत्महत्या कर लेता है, उसके भेष में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को खड़ाकर राहुल गांधी के नारे लगवा कर किसे मूर्ख बनाना चाह रहें हैं ।

दुनिया प्रसंशा कर रही है, कांग्रेस समेत विपक्षी छाती पीट रहीं हैं?

शिव ओम गुप्ता
प्रधानमंत्री #नरेंद्रमोदी के काम-काज और कार्य शैली की चारों तरफ जय जयकार हो रही है, लेकिन यह सुनकर सत्ता गंवा चुके  विपक्षी पार्टियों की छाती पर सांप लोटने लगते हैं, तो इसमें कोई क्या कह सकता है!

#अमेरिकीराष्ट्रपति #बराकओबामा ने #टाइम्समैगजीन में लिखे अपने लेख में मोदी को सबसे बड़ा #सुधारक बताया तो कांग्रेस रो पड़ी, अब #विश्वबैंक प्रमुख #जिमयोंगकिम ने प्रधानमंत्री #जनधनयोजना की प्रशंसा की है और मोदी की #दूरदर्शिता की प्रशंसा करते हुए जन धन योजना को एक दूरदर्शी प्रयोग करार दिया है, लेकिन कांग्रेस समेत का रोना ही खत्म ही नहीं हो रहा?

अरे भाई! #विपक्षीपार्टी का मतलब यह थोड़े न होता है कि कुछ भी हो झंडा लेकर खड़े हो जाओ? आंख-नाक-कान खोल के रखों भाई? 

भारतीय योजनाओं की देश-विदेश में प्रशंसा हो रही है और आप हैं कि अभी भी हार के गम में आंसू बहा रहें है? अब तो संभलों, वो जनता अब नहीं रही जो आप सुनाओगे, वो वहीं सुनेगी? 

थोड़ी तो समझदारी दिखाओं? क्योंकि आज का #युवावोटर परिवार और भावना में बहकर वोट नहीं कर रहा है, वह काम और दूरदर्शिता को वोट और सलाम करता है, तो भूल जाओ कि तुम्हारे विरोध और उलटबांसी भरे बयानों से युवा जनता को कोई फर्क पड़ने वाला है? 

भई, जो मोदी सरकार अच्छा कर रही हैं, बतौर विपक्षी पार्टी प्रशंसा नहीं कर सकते हैं तो चुप रहो? कम से कम मुंह खोलकर महज विरोध करने के लिए विरोध के नारे मत लगाओ? 

क्योंकि जनता सब जानती है और सब देख रही है, ये मत समझना कि अब हो-हल्ला करके, रैली और भगदड़ करके उन युवा #मतदाताओं के वोट हासिल कर लोगे, तो भूल जाओ।

हालांकि अभी भी देर नहीं हुई है और पुरातन पद्धति को छोड़कर आगे बढ़ो, क्योंकि अब #बीजेपी से ही नहीं, लोग #केजरीवाल से भी हिसाब करने लगे हैं और फिर कांग्रेस नेता सिर्फ छाती पीट रहे हैं?

#Modi #BJP #JanDhanYojna #JimYongKim #WorldBank #BarrackObama #Congress #OppositionParty

शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

धरना नहीं, अब होगा धर्म परिवर्तन धरना?

शिव ओम गुप्ता
क्या अजीबोगरीब स्थिति आ गई है, अब लोग अवैध निर्माण, अवैध कार्यों को कानूनी व वैध बनाने के लिए #धर्मपरिवर्तन की धमकी देंगे और मांगे नहीं पूरी होने तक धर्म बदल लेंगे और मांगे पूरी होते ही पुन: अपने धर्म में लौट आयेंगे?

यानी 'धरना' अब 'धर्म परिवर्तन धरना' से जाना जायेगा, जिसको अपनी मांगे पूरी करवानी होगी, वे लोग अब धरना नहीं, बल्कि धर्म परिवर्तन धरना करेंगे?

गौरतलब है #जनलोकपाल के लिए धरना-प्रदर्शन करके केजरीवाल जैसे लोग मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गये और ऐसी पूरी संभावना है कि कल कुछ और लोगों का समूह सड़कों पर जनलोकपाल के लिए सड़कों पर कब्जा कर ले?

लेकिन इस बार वे धरना नहीं, बल्कि धर्म परिवर्तन धरना शुरू कर देंगे? और नारा होगा, " हमारी मांगे पूरी करो, वरना धर्म परिवर्तन कर लेंगे!

क्योंकि धरना-प्रदर्शन का माइलेज तो #केजरीवाल सरीखे तमाशाई ले उड़े, जिससे अब सामान्य आदमी का धरना-प्रदर्शनों से भरोसा उठ गया है इसलिए अब कुछ नया जुगाड़ करना ही पड़ेगा?

तो अब वैध-अवैध लोकतांत्रिक अधिकारों और हकों के लिए कुछ तमाशाई लोग अगर धर्म परिवर्तन धरना की अगुवाई करते दिखे तो आश्चर्य मत कीजियेगा।

 क्योंकि धरना-प्रदर्शन के जरिये राजनीति में पहुंचे लोगों ने इसकी आत्मा को मलिन कर दिया है, जिससे अब धरने के उद्दश्यों पर प्रश्नचिह्न लग गया है, क्योंकि धरना-प्रदर्शनों में अब न जनता को भरोसा है और न ही देश के हुक्मरानों में भरोसा बचा है!
#Protest #Democracy #AAP #Kezriwal #Conversion

गुरुवार, 16 अप्रैल 2015

तो आजम खां साहब, कब जा रहें हैं देश छोड़कर?

यूपी के कबीना मंत्री आज़म खान की बददिमागी और हिकारत पूर्ण भाषा शैली देख-सुनकर देश ही नहीं, खुद हमबिरादर मुस्लिम भी दुखी रहते हैं, लेकिन राजनीति चमकाने के लिए कुछ भी कर गुजरने में खां साहब उस्ताद हैं, जिनका पूरा साथ सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव महज मुस्लिम वोट बैंक के लिए देते है। डर है कि ऐसे एक-आध नेता और पैदा हो गए तो देश का क्या होगा? अच्छा है खां साहब परवेज मुशर्रफ की तरह कहीं निकल जायें।

एक ऐसा नेता, जो डंके की चोट पर कह सकता है कि वह जानबूझकर ठीक चुनाव से पूर्व ऐसी सांप्रदायिक, दुर्भावनापूर्ण और भड़काऊं बयान देता है ताकि मुस्लिम एकजुट हों, वोटों का ध्रुवीकरण हो? ऐसे नेताओं का देश छोड़ देना ही उचित है, क्योंकि इससे देश की एकता को ही नहीं, एकरसता को भी खतरा है।

मुझे लगता है, भारत का कोई भी मुस्लिम आजम खान के कट्टर सोच और कुत्सित मानसिकता को सेल्युट नहीं करता, क्योकि देश का कोई भी नागरिक अब हिन्दू-मुस्लिम को नहीं, शुचिता और प्रगति को सैल्युट करता है!

आज देश का प्रत्येक नागरिक देश की तरक्की के बारे में पहले सोचता है, क्योंकि महंगाई, भ्रष्टाचार, घोटालों और बेरोजगारी से परेशान देश सपने देखने लगा है, लेकिन आजम खां जैसे लोग हमबिरादरी मुस्लिम वोटरों को उनके विकास और तरक्की के मुद्दों से इतर रखकर भटकाने कोशिश करते रहे हैं, ताकि समाजवादी पार्टी में उनकी राजनौतिक हैसियत ऊंची हो सके, लेकिन मुस्लिम भाईयों के विकास का क्या? जिनको महज भड़काकर और उनके वोटों का हाईजैक करने के बाद उन्हें उनके नसीब पर छोड़ दिया जाता है?

वैसे ही, अधिकांश मुस्लिम वोटरों पर आरोप लगता है कि वे मौलानाओं व इमामों के फतवों पर वोट करती हैं, उनकी कोई अपनी राय नहीं होती?

लेकिन लगता है कि अब वो दिन लदने वाले हैं,  क्योंकि अब मोदी-बीजेपी का डर दिखाकर वोट मांगने और उल्लू बनाने वाले को मुस्लिम भाई भी समझ चुके हैं!

सच्चाई यह है कि देश की महंगाई का सबसे अधिक नुकसान मुस्लिम भाईयों पर पड़ता है, कैसे? यह सभी मुस्लिम भाई-बहन बहुत अच्छी तरीके से जानते है?

जबाव है, मु्स्लिम समुदाय का रहन-सहन और उनकी पारंपरिक जीवन शैली? देखा गया है कि अधिकांश मुस्लिम आबादी रोज की जरूरत के अनुसार अपनी गृहस्थी की सामग्री खरीदते हैं, इसीलिए बढ़ती महंगाई के मुताबिक इन्हें हर दिन रोजमर्रा की जरुरतों पर दूसरों की तुलना में अधिक खर्च करना पड़ता है।

हालांकि इसके पीछे एक अन्य वजह मुस्लिम परिवारों का बड़ा होना और फिर जल्द ही परिवार में भाई-भाईयों के बीच (न्यूक्लियर फेमली) होने वाला बिखराव भी है?

इसलिए जरूरी है कि हिन्दू-मुस्लिम नहीं, जाति-बिरादरी नहीं, बल्कि विकास को सलामी देना जरुरी है, क्योंकि विकास ही वह कुंजी है, जिससे महंगाई, बेरोजगारी और बेकारी को दूर किया जा सकता है!

नि:संदेह हिंदू-मुस्लिम, जाति-बिरादरी से देश नहीं चलता है और जो लोग इस प्रकार की राजनीति करना चाहते हैं उन्हें बिना देर किये देश छोड़ देना चाहिए, क्योंकि ऐसी राजनीति को हां कहने के लिए देश की नई पीढ़ी बिल्कुल तैयार नहीं है। तो खां साहब कहीं शरणार्थी वीजा के लिए अप्लाई कर लें, क्योंकि आपको नागरिकता तो पाकिस्तान भी नहीं देगा? क्योंकि पाकिस्तान में ऐसे नेताओं की भरमार है।

बुद्धु अब बुद्धु नहीं रहा, अब वह राहुल हो गया है?

राहुल गांधी की घर वापसी के बाद सभी मीडिया चैनलों पर एक ही पंच लाइन है, "लौट के राहुल घर को आये"

त्राहिमाम! राहुल गांधी ने 'बुद्धु' को रिप्लेस कर दिया है। मतलब, बुद्धु का नया नामकरण अब राहुल हो गया है!

बधाई हो, क्योंकि बुद्धु अब बुद्धु नहीं रहा, अब वह राहुल हो गया है?

रविवार, 12 अप्रैल 2015

एक पोर्न स्टार को आदर्श बनाने पर क्यों तुला है ABP न्यूज चैनल?

ABP न्यूज चैनल में काम करने वालों कर्ताधर्ताओं की बुद्धि भ्रष्ट हो गयी लगती है। एक ऐसे व्यक्तित्व को व्यक्ति विशेष का तमगा दे दिया है, जिसके बारे में चर्चा करने मात्र से हमें एक ऐसी इंडस्ट्री के बारे में चर्चा करनी पड़ती है, जिसके बारें में शायद ही कोई घर-परिवार की सदस्य अपने संबंधियों के बीच खुलकर चर्चा कर पायें!

कोई क्या करता है, यह व्यक्ति विशेष की व्यक्तिगत पसंद होती है, किसी को इससे कोई समस्या नहीं है, लेकिन महज भारतीय होने के करण किसी पोर्न स्टार को महिमामंडित करके लोगों के घरों में पहुंचा देना एक सामाजिक अपराध है।

ABP चैनल एक पोर्न स्टार के कहानी के जरिये क्या संदेश देना चाहती थी?

एक पोर्न स्टार को लोगों का रोल मॉडल बनाने पर क्यों अमादा है ABP चैनल?

एक पोर्न स्टार के संघर्ष से क्या लेना-देना है हमारे समाज का?. (पोर्न मजबूरी का पेशा नहीं)

क्या चैनल भारत में पोर्न इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए पोर्न स्टार का महिमा मंडन कर रहा है?

वेश्वावृति जैसे दंश से पहले ही अभिसप्त हमारे समाज में एक कोढ़ है, जहां लड़कियों को जबरन घसीटा जाता है?

क्या चैनल पोर्न इंडस्ट्री को एक अवसर के रुप में भारत में परोसने व दिखाने की कोशिश नहीं कर रहा है?

ABP चैनल की बौद्धकिता के दर्शन तो हो गये, जो टीआरपी के ईंधन से संचालित होते है, लेकिन क्या चैनल को समीज के जिम्मेदारी सिखाने के लिए भारत की आईबी मिनिस्ट्री कुछ करेगी, यह अधिक महत्वपूर्ण है।

सरकार को तुरंत चैनल को कारण बताओ नोटिस भेजना चाहिए और चैनल के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए!

#ABPNews #NewsChannel #IBMinitery #PornStar #SunnyLeone

शनिवार, 11 अप्रैल 2015

वे कौन लोग हैं जो फूहड़ बयानों पर भी दहाड़े मारकर हंसते हैं?

शिव ओम गुप्ता
भारत में जब भी कोई नेता निहायत ही वाहियात और गंदा बयान दे रहा होता है तो वो कौन लोग होते हैं जो बेहद ही फूहड़ता और बददिमागी से दहाड़े मारकर चुटीली हंसी हंस रहे होते है?

नहीं मालूम? ये वहीं लोग हैं जिनकी #चापलूसी में मास्टरी ही नहीं, डॉक्ट्रेट भी होती है, जिन्हें कोई नहीं फर्क पड़ता कि उनका चापलूस पंसद नेता क्या बोलेगा या क्या बोल रहा है, क्योंकि ऐसों का काम सिर्फ और सिर्फ ताली बजाना है और खीसे निपोरना है!

इसका ताजा उदाहरण #जदयू नेता #शरदयादव के #पद्मसम्मान के बारे में दिये गये अवव्ल दर्जे के बेहूदा और #विवादास्पद बयान में देखा-सुना जा सकता है।

#PadamSamman #SharadYadav #MulayamYadav #ControversialStatement

सोते को जगाना आसान है, लेकिन जागे हुये को क्या जगाना?

शिव ओम गुप्ता
वे लोग जो किसी समाज द्वारा बनाई सांस्कृतिक सभ्यता और मान्यताओं में भरोसा रखते हैं और अमल करने में विश्वास रखते हैं, ऐसे अगर भटक भी जायें तो उनकी सुधरने की उम्मीद हो सकती है?

लेकिन वे लोग जो अपनी ही विरासत, संस्कृति और मान्यताओं में यकीन ही रखते या रखना ही नहीं चाहते और सबको धता बता कर नये समाज और उसूल की कल्पना कर रहें हैं, उनसे क्या उम्मीद की जा सकती है?

बात हो रही है सामाजिक विद्रूपता की। हमारा समाज परिवार में पैदा हुये लड़का-लड़की को भाई-बहन की मान्यता देती हैं और दोनों से जुड़े उन तमाम रिश्तों को भी एक सारगर्भित रिश्तों से जोड़ती है, लेकिन आज कल तमाम ऐसी खबरें मीडिया में सुर्खियों में होती हैं, जो समाजिक ताने-बाने को न केवल तोड़ रहीं हैं, बल्कि नष्ट करके कुछ नया करने पर अमादा हैं!

हां, हम बात कर रहें है, ऐसी खबरों की जो अमर्यादित रिश्तों से जुड़ी होती हैं, जहां पिता-बेटी, भाई-बहन, चाचा-भतीजी और मामा-भांजी के रिश्तों को नष्ट कर रही है?

कौन है जिम्मेदार, यह तो तय करना जरूरी है, वरना समाज का यह चेहरा वसूलों को ही नहीं, रिश्तों को भी खत्म कर देगा!

गुरुवार, 9 अप्रैल 2015

Finally, End of identity crisis of journalist?

Presstitute: What a innovative word invent by vk singh, Thanks to vk singh for this invention, because nowadays Press sounds and conclude them self near and there?

Hats off VK singh! You shown the mirror those one who throw out such holy profession into dark word for his personal growth, Seems such gets  identity now!

Finally, End of identity crisis for such people, otherwise everyone behaving like journalist who works in press world!

#presstitute #VKSingh #Press #Journalism

रविवार, 5 अप्रैल 2015

मुस्लिम को क्रिसमस और हिंदू को ईद पर छुट्टी क्यों?

शिव ओम गुप्ता 
सुप्रीम कोर्ट जज जोसेफ कुरियन की खिलंदड़ता और हल्केपन पर तरस ही खाया जा सकता है, लेकिन इस प्रकरण ने एक अच्छे विचार को जन्म दे दिया है!

वो यह कि सरकार को अब सरकारी छुट्टियां संप्रदाय/धर्म विशेष के आधार पर नहीं देना चाहिए? मतलब हिंदुओं को ईसाइयों के त्यौहार गुड फ्राईडे और क्रिसमस पर सरकारी छुट्टी क्यों? मुस्लिम को हिंदुओं के त्यौहार होली, दीवाली और दशहरा पर सरकारी छुट्टी क्यों? इसी तरह ईसाइयों को हिंदू, मुस्लिम या अन्य धर्मों के अनुयायियों के त्यौहारों पर छुट्टी क्यों ?

यह सर्वविदित सत्य है कि दूसरे धर्मों के त्यौहारों पर मिली छुट्टियों पर लोग इंजॉय नहीं करते हैं, तो उन्हें जबरन घर पर बैठाने से बेहतर है वे दफ्तर जाकर जनता के काम निपटायें, जिससे सरकारी मशीनरी में सुधार भी होगा और अलग-अलग धर्मों के त्यौहारों पर सरकारी दफ्तर भी खुले रह सकते है। इसका सीधा फायदा पब्लिक को ही मिलेगा और इससे सरकारी  कार्यों का निष्पादन भी बिना व्यवधान चल सकेगा?

हालांकि सरकारी कर्मचारी यह स्वैच्छिक/ऐच्छिक भी कर सकते है, जिसके लिए उन्हें इंसेंटिव भी दिया जा सकता है। बाद में, सरकार भिन्न-भिन्न मंत्रालयों/दफ्तरों/ऑफिसों में भिन्न मतावलंबी कर्मचारियों की एक अदद टुकड़ी भी रिक्रूट करने की कोशिश कर सकती है, जिसका फायदा यह होगा कि अन्य मतावलंबी कूलीग की त्यौहारी छुट्टियों में भी सरकारी दफ्तर अनवरत खुले रह सकेंगे और पब्लिक और सरकारी मशीनरी भी बिना व्यवधान सुचारू रुप से चल सकेंगी!

सरकार, बिना किसी विरोध के इसे आसानी से लागू भी कर सकती है, क्योंकि इसमें किसी भी कर्मचारी को अड़चन नहीं होगी, क्योंकि ऐसा कई बार होता रहा है जब भिन्न मतालंबियों के त्यौहारों के संयोग एक क्रम में, एक सप्ताह में और एक साथ में पड़ जाते हैं? जैसे कि वर्ष 2015 के मार्च माह का आखिरी और अप्रैल का पहला हफ्ता?

हां, कुछ फिजूल की राजनीतिक रोटियों इसमें सेंकी जा सकती हैं, लेकिन संभावना कम है और सरकार द्वारा इसे अमल में लाने में किसी भी मतावलंबी को कोई असुविधा भी नहीं होगी, क्योंकि इसका लाभ सरकारी कर्मचारी के साथ-साथ पब्लिक को भी मिलेगा और यह देश के दैनेंदिन विकास को भी उत्तरोत्तर प्रभावित करेगा!

#GovtHoliday #Guggeted #GovtEmpolyee #Leave #Festival #GovtOffice #Development 

शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015

खबरों को छोड़, अब एजेंडा बनाने में जुटी मीडिया!

शिव ओम गुप्ता
पिछले कई वर्षों में मीडिया खबरों का काम छोड़, देश-प्रदेश और निकाय चुनावों में परोक्ष रुप से एजेंडा सेट करने में जुटी अधिक दिखाई देती है।

हालांकि #मीडिया संगठन देश/पार्टी का #एजेंडा बनाने की कोशिश पहले भी करते रहे हैं, लेकिन आजकल मीडिया को गुमान हो चला है कि वे देश की जनता को अधिक जानते हैं और उनको अपने मुताबिक अधिक भड़का भी सकते हैं।

वैसे, #ओपिनियनपोल और #एग्जिटपोल सर्वे के नाम पर दर्शकों का समय बर्बाद करने व बरगलाने वाली मीडिया को जनता ने अपने फैसलों से कई बार धोबीपाट दिया है, लेकिन आदत सुधर भी जायें पर लत का इलाज नहीं है।

मीडिया कभी देश का ओपिनियन जानने का दंभ भरती थी, लेकिन अब मीडिया देश का एजेंडा बनाने का दंभ भरने लगी है, क्योंकि आज के पत्रकारों को लगता है कि वे देश की जनता का नब्ज जानते हैं और जबां-तहां उंगली रखकर शरीर का तापमान घटा-बढ़ा सकते हैं।

#दिल्लीविधानसभाचुनाव में #बीजेपी की हार और AAP की जीत के बाद मीडिया को कुछ अधिक गुमान हो गया, जो अब बल्लियों उछाल मार रहा है। शायद यही कारण है कि आजकल मीडिया हर दूसरे दिन सर्वें और ओपिनियन पोल का खेल खेलती नजर आती है।

समस्या यह है कि मीडिया खबरों का #कारोबार करते-करते अब #एक्सटार्शन ( #उगाही) के कारोबार में उतर गई दीखती है।

यहीं नहीं, मीडिया समूह अब भिन्न-भिन्न पार्टियों की एजेंडा बनाने की मशीन बनकर रह गई हैं, जहां वो किसी एक पार्टी को फायदे-नुकसान पहुंचाने के लिए सर्वें और सर्वेक्षण का व्यूह नहीं, चक्रव्यूह भी रचते हैं।

#Media #OpinionPoll #TVServey #ExitPoll #TRP #Voters #EC #BJP #Congress #AAP #News #Press #Agenda

मीडिया वाहियात ही नहीं, बचकाना हो गई है!

यह मीडिया का क्या बेवकूफियाना है, जो केजरीवाल पार्टी नहीं संभाल पा रहा है, दिल्लीवालों को मूर्ख बनाकर सीएम की कुर्सी पर बैठकर एक-एक कर अपने ही पार्टी नेताओं को किनारे लगा रहा है, उसको पीएम पद की उम्मीदवारी के समक्ष रखना बचकाना ही नहीं, वाहियात कहा जा सकता है!

किसी को अब शंका नहीं है कि केजरीवाल जैसे व्यक्ति को दिल्ली की गद्दी पर बैठाने में मीडिया प्रोपेगेंडा ने महत्वपूर्ण योगदान किया, डर है कि अगर ऐसा जारी रहा तो मीडिया अपनी बची-खुची विश्वसनीयता भी खो देगा।

#Kezriwal #AAP #Media #Agenda #Sting

रविवार, 29 मार्च 2015

विराट कोहली कहीं अगला विनोद कांबली तो नहीं?

यह विराट कोहली कहीं अगला विनोद कांबली तो नहीं निकलेगा, जिसमें अब कोई शक की गुंजाइश नहीं बची है? 

कांबली भी बहुत ही धाकड़ और विस्फोटक बल्लेबाज था, लेकिन खूबसूरत गर्लफ्रेंड/बीवी की दीवानगी ने उसे नकारा बना दिया वरना सचिन-कांबली की करिश्माई जोड़ी को कौन भूल सकता है?

हालांकि गर्लफ्रेंड/ बीवी के दीवानों की हमारे इतिहास में लंबी फेहरिस्त है! इनमें महाकवि कालीदास और तुलसीदास की कथा सर्वोपरि है।

काश! कोहली की दशा कांबली जैसी न हो? और अनुष्का में तुलसीदास और कालीदास की पत्नियों की रुह समा जाये ताकि भारतीय टीम का एक होनहार बल्लेबाज को सुरक्षित बचाया जा सके, आमीन!
#ViratKohli #AnushkaSharma #LoveAffair #WC2015 #Controversy #Girlfriend

शुक्रवार, 27 मार्च 2015

केजरीवाल का दंभ और अह्म आया सामने, सहयोगियों को कहा साला और कमीना!

वाह रे केजरीवाल! एक आडियो स्टिंग में अह्म और दंभ से भरे केजरीवाल पार्टी नेता व सहयोगी योगेंद्र यादव, प्रो.आंनद कुमार, प्रशांत भूषण को कमीनपंथी की पदवी से नवाज रहें हैं और उन्हें कमीना और साला कहते हुए लात मारकर पार्टी से बाहर निकालने की बात कह रहें हैं।

यह क्या कर लिया दिल्लीवालों, ये किसे चुन लिया है आपने, जो इतना बड़ा दंभी और तमीजदार है कि गली के गुंडों की तरह बर्ताव कर रहें हैं! दिल्लीवालों आपने तो भस्मासुर को अपने सिर पर ही बिठा लिया है!

देखिये जी न्यूज पर देखिये केजरीवाल के बोल-

ये आम आदमी पार्टी है या मछली बाजार?

ये आम आदमी पार्टी है या मछली बाजार, जिसे देखो बोली लगा रहा है कितने में और कैसे बिके केजरीवाल? 

हालांकि मैं शुरू से जानता था कि यह पार्टी नहीं, एक ऐसे लोगों का समूह है जो चिकनी-चुपड़ी बातों से राजनीति नहीं, खुद को दुरूस्त करने आये थे और दूसरे की थाली में ज्यादा घी देखकर बिलबिला रहें हैं?

धन्य है दिल्ली की जनता, क्योंकि अब 5 साल तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता! क्योंकि 49 दिनों का ट्रेलर देखने के बाद 5 साल वाला फिल्म देखने के लिए जनता खुद जिद करके थियेटर में घुसीे है?

#Kezriwal #aap #YogendraYadav #PrashantBhushan #5SaalKezriwal

मंगलवार, 24 मार्च 2015

जय हो लोकतंत्र, आईटी एक्ट धारा-66A की दर्दनाक मौत!

जिस नेता के खिलाफ बोलना हो, दिल खोलकर लिखिये और बोलिये, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने आईटी एक्ट की उस धारा को ही रद्द कर दिया है, जिसको आधार बनाकर देश के खिलंदड़ टाइप के नेता अपना बचपना दिखाते रहे थे, जय हो लोकतंत्र!

गौरतलब है सुप्रीम कोर्ट ने आईटी एक्ट की धारा -66A को पूरी तरह से रद्द कर दिया है, यानी अब सोशल मीडिया पर किसी भी नेता पर टिप्पणी करने पर किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकेगी।

याद होगा, अभी हाल ही में सपा के बड़के और भड़काऊ बयीनों वाले नेता ने एक 13 वर्षीय लड़के की गिरफ्तारी इसलिए करवा दी थी, क्योंकि उसने आजम खां के खिलाफ सोशल मीडिया में चल रहे एक बयान को महज शेयर किया था!

#ITAct #66A #SupremeCourt #RightToExpression

रविवार, 22 मार्च 2015

क्या आप वहीं करते हैं जो दिल कहता है, जिसकी जरुरत होती है?

मैं तो वहीं करता हूं जो जरूरत से जुड़ी होती है या जिसमें पर दिल आ जाये, वह नहीं करता जिसकी जरुरत नहीं या जिसमें दिमाग लगाना पड़े?

हालांकि मैंने देखा है कि लोग बाग देखा-देखी और दूसरों की नकल में अपनीं अधिकांश ऊर्जा और धन खर्च कर देते हैं।

मसलन, युवक-युवतियां सिगरेट, अल्कोहल और फैशन की लत दिलों और जरुरतों से नहीं, बल्कि देखा-देखी, नकल, फैशन और टशन के लिए पाल बैठते हैं?

लेकिन रिकॉर्ड कहते हैं कि 90 फीसदी युवक-युवतियां सिगरेट, अल्कोहल और फैशन को अपनी जिंदगी में दिल और जरुरत से शामिल नहीं करते, बल्कि टशन और नकल के कारण शामिल करते हैं, जबकि 5 फीसदी लोग फस्ट्रेशन और 5 फीसदी आनुवांशिकी इस नशे के शिकार होते हैं!
#Addiction #Fashion #Nicotine #Alcohol

गुरुवार, 19 मार्च 2015

Industry doesn't entertain such jerk who love to called himself a journalist?

I really fed up media, Not journalism? Media don't does job pro people, its only attached with pro market, its attached with pro benefit, not pro problem of India or people?

No No...its not true? that my eye opened now? after 10 years journey of journalism?

My eyes were open since joined this journey but don't want to make such immature statement from beginning of career, but now I'm OK with my statements.

Someone who want to change the world and wanna work for betterment for country, there were no place for them.

Because industry called media doesn't allow and entertain such jerk who love to called himself a journalist.

मंगलवार, 17 मार्च 2015

किसको मूर्ख बना रहीं हैं सोनिया गांधी एंड पार्टी?

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने कौड़ियों के भाव किसानों की जमीन हथिया ली, वो सोनिया आज किसानों की जमीन के लिए मोर्चा ले रहीें हैं? ये तो वहीं बात हुयी कि सौ चूहे खाकर बिल्ली निकली हज को?

सोनिया जी, देश की जनता ने पिछले 10 वर्षों के यूपीए सरकार में आपके और आपके दामाद के किसान प्रेम और उनके प्रायोजित कार्यक्रम खूब देखे है!

ओ भाई, क्यों बेवजह दोबारा जनता को याद दिला रहे हो, जनता को दोबारा याद आ गया तो कांग्रेस और साथ खड़ी सभी विपक्षी पार्टियों का आने वाले चुनावों में हाल बुरा होना तय होयेगा?

क्योंकि कांग्रेस के साथ खड़ी अधिकांश पार्टियां यूपीए सरकार में सहयोगी रहीं है और कांग्रेस के 10 वर्षों के पाप की पूरी भागीदार रहीं हैं?
#UPA #Congress #Scam #RobertVadra #LandScam

भूमि अधिग्रहण विधेयक के भरोसे चुनावी भूमि तलाशने में जुटा पूरा विपक्ष !

भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ संसद से राष्ट्रपति भवन तक मार्च करने वाले कांग्रेस और समूची विपक्षी पार्टियों की जमात विधेयक के लिए नहीं, बल्कि अपने वजूद के लिए सड़कों पर जद्दोजहद को मजबूर हैं?

विधेयक के विरोध में शामिल पार्टियां पिछले 10 वर्षों से देश को लूट कर खा गई कांग्रेस नीत यूपीए सरकार की हिस्सा रहीं हैं।

बात चाहे वाम दल की करें या सपा, बसपा, आरजेडी, डीएमके और टीएमसी हो, सभी यूपीए सरकार के साथ गठबंधन में रहीं हैं, जो विरोध में मजबूरन इसलिए शामिल हुयीं हैं ताकि राज्यों में मोदी लहर को रोका जा सके।

जदयू की समस्या भी यही है ताकि निकट बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को किसान विरोधी बताकर किसानों का वोट हासिल किया जा सके?

सवाल है कि क्या भूमि अधिग्रहण विधेयक सचमुच किसान विरोधी है या लुट-पुट चुकी कांग्रेस व अन्य दल देश को गुमराह करके अपना उल्लू साधने की कोशिश कर रहीं हैं?

कांग्रेस और तमाम विपक्षी पार्टियों की यह लड़ाई और मार्च देश के उन किसानों के लिए कम खुद के वजूद के लिए अधिक है, क्योंकि जिस विधेयक को लेकर पार्टियां नूराकुश्ती कर रहीं हैं, अधिकांश किसानों को इसकी समझ ही नहीं है!

#LAB #LandAccusationBill #भूमिअधिग्रहणविधेयक 

शुक्रवार, 6 मार्च 2015

I support banning such video viewing who spreads negativity!

I support government for banning of such documentary for public broadcast because the ban on 'India's daughter' documentary was an approach to restrict a voice of brutal face of criminals mind towards society for optimistic world.

You never be a good parents to allow your kids to watch negativity of life, parents can educate them via two way communication but freely and publicly broadcasting such negativity to everyone not positive approach.

An vedio viewing impacts are always greater then word and an immature mind will hurt hugely via negativity propaganda beyond our expectations.

Government are parents of country and they have all right to take decision and serve banned like parents, be lives in democracy..so raise your voice but don't justify yourself on sake of mass.

#BBC #Documentory #Ban #Nirbhaya #Rape #Government #Media

गुरुवार, 26 फ़रवरी 2015

हमें लोक लुभावन नहीं, प्रगति सूचक बजट मिला है, शुक्रिया प्रभु!

रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने ऐतिहासिक रेल बजट पेश किया है। फस्ट्रेटेड विपक्ष को छोड़ दें तो पहली बार ऐसा रेल बजट पेश हुआ है, जो लोकप्रिय और परंपरागत बजट से जुदा है।

रेल बजट 2015 एक प्रगति सूचक और संकेतक बजट है, जिसमें कोई लोक-लुभावन घोषणाएं नहीं की गई हैं, बल्कि बुनियादी विकास और सुरक्षा को प्रमुखता दी गयी है।

वरना घोषणाएं तो प्रत्येक रेल बजट में रेल मंत्री करते आये हैं, लेकिन कितनों पर अमल हुए इसका किसी के पास हिसाब नहीं है।

ज्यादा दूर नहीं, पिछले 20 वर्षों में नयी ट्रेन चलाने की गयी घोषाणाओं को उठा कर देखेंगे तो पायेंगे कि रेल मंत्रियों द्वारा घोषित नयी ट्रेनों में से 1 फीसदी ट्रेनें भी ट्रैक तक भी नहीं पहुंची?

क्या आप ऐसी फिजूल घोषणाओं के आदी हो चुके है, जिसमें सिर्फ घोषणाएं हों, काम हो न हो?

भई, क्या आप घर बना कर फ्रीज, टीवी और कूलर खरीदते हैं या घर बनने से पहले खरीद लाते हैं और उसे बाहर छोड़ देते हैं?

नि: संदेह रेल बजट 2015 एक ऐतिहासिक बजट है, जिससे न भारतीय रेल में मजबूत आयेगी, बल्कि जैसा रेल हम चाहते हैं, उस ओर रेल कदम बढ़ायेगी!

लोकप्रिय और परंपरागत रेल बजट भारतीय रेल को गर्त में ही ले जाता, ऐसा नहीं करके देश को बचा लिया आपने ,शुक्रिया प्रभु!

#रेलबजट #सुरेशप्रभु #RailBudget #SureshPrabhu 

शनिवार, 21 फ़रवरी 2015

स्मार्टसिटी की अवधारणा विकास की एक प्रक्रिया है!

स्मार्टसिटी की अवधारणा विकास की एक प्रक्रिया है और चरणबद्ध तरीके से इसमें बिना किसी व्यवधान के होते रहना चाहिए। 

स्मार्टसिटी और बुलेट ट्रेन की अवधारणा को इसी तरह से लेना चाहिए जो व्यवहारिक ही नही, आवश्यक भी है, क्योंकि विकास हमेशा उत्तरोत्तर होता है और समानान्तर विकास की परिकल्पना बेमानी है कि जब सब एक समान हो जायेंगे तब आगे बढेंगे या कुछ नया करेंगे।

मसलन, हम मोबाइल फोन का आविष्कार तब तक ना करें, जब तक टेलीफोन सबके घर न पहुंचा दें , ऐसा सोचना और उसको मूर्तिरुप देना मूर्खतापूर्ण है।

सच्चाई यह है कि आज मोबाइल के आविष्कार ने टेलीफोन को एंटीक बना कर रख दिया है। ठीक इसी तरह स्मार्टसिटी की अवधारणा उतनी ही मौजू है, जितनी झुग्गी को तोड़कर फ्लैट निर्माण करना है ।

स्मार्टसिटी की अवधारणा का यह मतलब यह नहीं कि विकास गडमड्ड हो जायेगा, ऐसा सोचेंगे तो एअरप्लेन पर यात्रा मुश्किल हो जाती और हम बैलगाड़ी से चल रहे होते?

स्मार्टसिटी की परिकल्पना को विकास की तरह देखना चाहिए, जैसे औद्योगिक विकास के लिए ऩयी तकनीकी और कलपुर्जों को साथ लेकर चलना पड़ता है, वैसे ही स्मार्टसिटी को देखना चाहिए| एक साधारण उदाहरण से समझिए-

एक अनपढ़ किसान अपनी दिनचर्या में ईश्वर की पूजा 24 घंटे करता है, लेकिन 8वीं पास उसका बेटा 24 घंटे में से महज 2 घंटे ही पूजा करता है और बाकी समय वह खेती किसानी के कार्य के नवोन्मेष में लगाता है जबकि अनपढ़ किसान का पोता यानी 8वीं पास बेटे का बेटा, जो शहर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है वो ईश्वर को सिर्फ कुछ सेकेंड ही दे पाता है।

अब आप कैसे कह सकते हैं कि किसान, किसान का 8वीं पास बेटा और 8वीं पास बेटे के सॉफ्टवेयर इंजीनियर बेटे में से कौन भगवान का सबसे बड़ा भक्त है?

भक्ति और विकास एक दूसरे के पूरक है, इंसान भक्ति में अधिक समय तब तक देता है जब तक वह अज्ञानी है और ज्ञान ही वैयक्तिक, सामूहिक और सारगर्भित विकास के लिए जरूरी है ।

शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2015

केजरीवाल साब, मॉर्निंग वॉक ही करेंगे?

केजरीवाल साब, मॉर्निंग वॉक ही करेंगे या कुछ काम भी करेंगे? आज पूरे एक हफ्ते हो गये, लेकिन न बिजली सस्ती हुई, न फ्री वाईफाई और न ही फ्री पानी पर अभी तक कोई पहल दिखी है?

हालांकि पिछली सरकार में केजरीवाल ने एक हफ्ते में ही बिजली, पानी और घूसखोरी कम करने की घोषणायें कर चुके थे?

क्या हुआ केजरीवाल साब, दिल्लीवालों को दांत खाने वाले ही दिखाये थे या दिखाने वाले?

हालांकि अभी तो आप दिल्लीवालों को यह कह कर ठेंगा भी दिखा सकते हो कि सब सिसोदिया देख रहें हैं और वहीं जबाव देंगे, क्योंकि मेरे पास कोई मंत्रालय नहीं है।

गुरुवार, 19 फ़रवरी 2015

जीविका कमाने के लिए पत्रकारिता ?

कभी-कभी सोचता हूं कि गलत प्रोफेशन में आ गया हूं , पत्रकारिता में भी दांव-पेंच और बनियागिरी करनी होगी तो शायद ही पत्रकारिता को बतौर करियर कभी चुनता, बनियागिरी ही करता?

पत्रकारिता भी नाप-तौल करके ही करनी थी तो बनियागिरी में क्या बुराई है, बनियागिरी में कम से कम आत्मा (जमीर) पर कोई बोझ तो नहीं रहता कि जो कर रहें हैं, वह पेशेगत सही है!

पत्रकारिता करियर में पूरे 9 वर्ष का मेरा कार्यकाल काफी संघर्षपूर्ण रहा, जहां खुद (नैतिकता) के वजूद की रक्षा-सुरक्षा के लिए कईयों को उनकी औकात भी बताई है और नौकरी को लात भी मारी है।

लेकिन तथाकथित बुद्धिजीवी कहते हैं कि प्रैक्टिकल होना चाहिए? चिपकना नहीं चाहिए, इससे विकास रुक जाता है? सवाल है किसका विकास?

जीविका कमाने के लिए पत्रकारिता ? विकास के लिए पत्रकारिता? दोनों में से हम किसका चुनाव करते हैं? यही पत्रकारिता की दशा और दिशा तय करने वाले हैं?

मैं तो तैयार हूं, लेकिन क्या आने वाली नई जनरेशन इससे तालमेल बिठा पायेगी, जिसे उदाहरण तलाशने के लिए गूगल बाबा की शरण लेनी पड़ेगी?

क्योंकि ऐसी प्रजाति वाले पत्रकार विलुप्त होने के कगार पर हैं और कोई हैरिटेज सिक्युरिटी स्कीम भी नहीं है?
#पत्रकारिता #जर्नलिज्म #Journalism #Journalist #Ethics #नैतिकता

बुधवार, 18 फ़रवरी 2015

सुना है दिल्ली में स्वाइन फ्लू टेस्ट सस्ता हो गया है ?

नाशपीटे केजरीवाल, पहले तू ये इंतजाम कर दिल्ली में स्वाइन फ्लू के संक्रमण न फैले, जो कि सबसे कम है, और दूसरा कौन सा आम आदमी 4500 रुपये टेस्ट के लिए चुका सकेगा?

सच तो यह है कि आम आदमी टेस्ट के लिए 4500 रुपये खर्च करना तो दूर , जुटाने में ही ऊपर निकल जायेगा?

बकलोल, कुछ दिन ही सरकारी कैंप लगवा कर मुफ्त टेस्ट करवा लेता? वरना कुछ तो तुम्हारे वोटर्स 4500 रुपये सुनकर ही टेस्ट नहीं करवा सकेंगे?

केजरीवाल, तू खाक आम आदमी को समझता है, तुझे अगर दिल्ली वालों में महामारी स्वाइन फ्लू के संक्रमण को रोकना ही है, तो टेस्ट को फ्री कर देता ताकि आम और खास सभी तुरंत चेक करवा सके और दिल्ली को संक्रमण से अधिक सुरक्षित रखा जा सकता था?

लेकिन तू तो लगता है संक्रमण को रोकना नहीं, संक्रमण का खौफ फैलाकर लैब ऐजेंसियों को पैसे कमाने का अवसर दे रहा है, लानत है ऐसी आम आदमी सरकार पर!

#केजरीराग #मुफ्तखोर #KezriRaag #DilliWale #Freebies

मंगलवार, 17 फ़रवरी 2015

केजरीवाल फिर बनने चला PM, सिसोदिया को सौंपा काम!

ई का हुआ...5 साल केजरीवाल तो बस जुमला बन के रह गया? ई तो 5 साल सिसोदिया हो गया।

साला फिर केजरीवाल ने दिल्ली वालों का चूतिया काट दिया, ई ससुरा केजरीवाल CM बन के राजी नहीं, इसे तो PM ही बनना है?

सुना है ससुरे ने कौनों जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया है और सारा बोझ सिसोदिया पर लाद दिया है ..

यानी सिसोदिया दिल्ली वालों को मूर्ख बनावेगा और केजरीवाल एक बार PM बनने के लिए पूरे देश को मूर्ख बनाने निकलेगा?

बहुत तरस आ रहा है दिल्ली के मतदाताओं पर... केजरीवाल ने कैसा मूर्ख बनाया ?

केजरीवाल जानता है कि वो दिल्लीवालों को किये वादों को कभी पूरा नहीं कर पायेगा इसलिए कोई मंत्रालय नहीं लिया...ताकि ससुरे पर कोई कुछ कह नहीं पावेगा और केजरीवाल खुद भी सिसोदिया को डांट कर पल्ला झाड़ते हुए दिल्लीवालों का चूतिया काट देगा!

तो दिल्लीवालों अब तो तुम्हारी लग गई, क्योंकि जिस पर भरोसा करके आपने AAP को अपने वोट दिये थे, उसने तो हाथ धो लिए और वह PM बनने फिर दिल्ली छोड़कर निकल लिया!

#केजरीवाल #दिल्ली #Kezriwal #AAP #Delhi

शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2015

फ्री WIFI पर दिल्लीवासियों को मिला तगड़ा झटका!

फ्री WIFI की बाट जोह रहे दिल्ली वासियों को जैसे ही पता चला कि केजरीवाल 24 घंटे में महज 30 मिनट ही WIFI फ्री देगा तो देखिये दिल्ली वालों ने कैसा ठगा हुआ महसूस किया और कैसे AAP पार्टी की खिल्ली उड़ाई और उनके वादों का कैसा मजाक बनाया है।

नीचे देखिये फेसबुक पर दी गई कुछ मजेदार टिप्पणी-

"दिल्ली में मिलेगा सिर्फ 30 मिनट फ्री Wi-Fi, उसमे
भी सिर्फ Govt की साईट खुलेगी। साला छोटी गंगा बोल के नाले में कूदा दिया बे!"

"ye to abhi shuruat hai..aage aage dekho delhi valo ki lottery lagne vali hai :p

Congratulations Delhi walo, "C#utiya" kata hai :P"

"may AAPian  look .gov website for upcoming 800000 jobs for delhi people :P :P :P or vacany for teachers in 500 schools or how much water they consume in a day ..may also download their own cctv footage  for selfie from that 1500000 ctv camera :P :P :P"

"दिल्ली वालो की हालत जुदाई फ़िल्म के जॉनी लीवर जैसी हो गई !!
दुल्हन का घूंघट उठाते ही दुल्हन बोली " अब्बा डब्बा चब्बा"

"चार दिन पहले तक "15 लाख...15 लाख" चिल्लाने वाले  टोपी वाले  अब "15 लाख CCTV, 10 लाख पक्के मकान, और 8 लाख नौकरियां" सुनकर ऐसे बिलबिलाता उठते हैं जैसे उन पर किसी ने पेट्रोल डाल दिया हो ...."

"ye toh chutzpa ho gaya..! koi nai aadat daal lo this is the first one , many more to come."

"WiFi 30min, Paani 15 min Bijlee 5 min aurEntertainment 5 saal!!!! # 5saalkejribawal"

"dehli walon kejriwal tumhari keh ke lega :p"

"अभी तीस मिनट के लिए फ्री वाईफाई दे रहे हैं केजरीवाल, कल को ये भी कह सकते हैं कि मुफ्त पानी सिर्फ g.... धोने के लिए ही मिलेगा।"

"ab AAPtards ki topi par likha hoga-"मुझे चाहिए सम्पूर्ण वाई फाई"!"

"U-Turn No 1......many more to follow"

"Voting for AAP was subject to Delhiwala's risk... Please you should have read the documents (manifesto)before voting."

"Ye afwaah kaun uda raha hai...ki ghar ki chhat par jhaadu latkaane se free WiFi network milega."

"yeh lulz ho gaya dilliwalo ke sath, lekin party toh abhi suru huyi hai :D"

"Dear Aaptards, Wifi Ke baare me suna? Hahaha... kejru tum sabko C bana gaya.. #BellMuft"

"Ohh...ni de re kya koi b FREE thngz... :/ m toh dilli shift hone soch ri thi..o_O awww me. :/ :("

"Sab ko milga free me.. baba ji ka thullu.. :D"

"जिसको wifi फ़्री करना है वो जाके अपनी भैंस चराए !! :D"

"Hahaha...yeh toh 22 karat waale offer jaisi baat hogayi..
Socha 22 Karat Gold, aur mile 22 Carrots (Gajar)"

"Delhiwalas maze hain tumhare #5SaalJhelo"

"haha , lo ji aur vote karo free free free ke chakkar mein.. mila baba ji ka thullu :D"

"Ab to koi opposition v nai hai kon bachayega dlhiwalo ko ye sb torture se.....democracy ko autocracy me badal diya dlhiwalo ne.."

"Ye to hona he tha.
Waise ye adhuri khabar hai puri khabar ye hai ki.
1).Free pani milega sirf hath dhone k liye.
2).Bijali bhi free milega but sirf mobile charge karne k liye."

"C.M is angain bcome C.A
Kajriwal Condition Apply."

"Yeh toh shurwat hai dekh aage aage kaise Chutiya banata hai"

"I hope they don't give water also like this. Thirty minutes water or stay dry all day!  Aap cheat")

"Dilliwalo ye toh LOL 😁 ho gaya"

"Bhai logon itne me toh irctc ki site khulegi bhi nahi."

"अब दिल्ली की हालत उस लड़की की तरह हो गयी है, जिसे एक बेरोज़गार लड़के ने चाँद तारों के सपने दिखा कर ब्याह तो कर लिया....पर घर लाके बता रहा है कि..."......सब कुछ लाऊंगा बेबी अगर पापा पैसे देंगे तो.."
http://indianexpress.com/article/cities/delhi/aap-proposes-wifi-access-across-delhi/

बुधवार, 11 फ़रवरी 2015

हम तो ऐसे हैं भैय्या?

दिल्ली चुनावों का सबसे अच्छा विश्लेषण वाशिंगटन पोस्ट ने किया है, अख़बार ने लिखा है की भारत की जनता मुफ्त में हर चीज पाना चाहती है, यही कारण है की भारत में इतनी बेकारी और गरीबी है।

अखबार ने आगे लिखा है, अच्छा है कि अमेरिका में अभी यह ट्रेंड शुरू नही हुआ वरना अमेरिका दिवालिया हो जायेगा ?

अखबार के मुताबिक जैसे यूपी में एक पार्टी ने मुफ्त में लैपटॉप और सिर्फ १००० रुपये यानी आठ डालर महीने देने का वायदा करके बम्पर जीत हासिल की, तमिलनाडु में एक पार्टी में जूसर मिक्सर ग्राइंडर देकर जीत हासिल की!

अखबार कहती है कि लेकिन जनता को सोचना चाहिए कि कोई भी पार्टी यह अपने पार्टी फंड से नही बल्कि सरकारी फंड से ही देती है जो जनता के टैक्स से ही आता है!

अखबार रिपोर्ट कहती है कि यदि सरकारी खजाने से बांटे गये मुफ्त पैसे विकास कार्यो में खर्च होते तो आज भारत बहुत आगे होता?

"आप" से हारने के लिए चुनाव लड़ रही थी बीजेपी?

मुझे लगता है बीजेपी दिल्ली विधानसभा का चुनाव जीतने के लिए नहीं लड़ रही थी और वह महज लड़ाई दिखाने के लिए लड़ाई का माहौल तैयार कर रही थी?

पार्टी केजरीवाल के संदर्भ में हमेशा से ही ढीली रही, वरना चुनाव में देरी, ऐन वक्त रणनीति में बदलाव और प्रचार कैंपेन में निगेटिविटी बीजेपी और मोदी-अमित शाह की शैली कभी रही नहीं है?

दिल्ली विधानसभा के इस चुनाव में पार्टी भली भांति से दिल्ली में ऐसे टर्न आउट की संभावना चाहती थी और उसने वोटरों को पुकारा तो जरूर पर ललचाया नहीं? यही नहीं, बीजेपी ने केजरीवाल को जानबूझ कर अंडरडॉग की तरह पेश किया? हर वो निगेटिव प्रचार-प्रसार किया जिससे केजरीवाल के प्रति जनता का ऑटोमेटिक जुड़ाव पैदा हो और हुआ!

बीजेपी ने चुनाव रणनीति और कैंपेन में जितनी तब्दीली दिल्ली विधानसभा चुनाव में की है, ऐसे उदाहरण विरले ही देखने में मिलता है? चुनाव घोषणा पत्र की विजन डॉक्युमेंट इनमें से एक है?

मतलब..बीजेपी ने लड़ाई में बने रहने के लिए साम, दाम, दंड और भेद सारे इस्तेमाल किये, लेकिन चुनाव हारने के सारे इंतजाम पहले ही कर दिये थे। (अब सवाल है कि आखिर बीजेपी चुनाव हारना क्यों चाहती थी ? इसकी चर्चा अगले लेख में करेंगे!)

क्योंकि दिल्ली की जनता ने मोदी को अंडरडॉग बनाये जाने की दशा में लोकसभा चुनाव में दिल्ली की कुल 7 सीटें जितवा कर दी थी, ठीक वैसे ही मंसूबे बीजेपी ने केजरीवाल के लिए तैयार किया और केजरीवाल अब दिल्ली के सीएम बनने जा रहें हैं!

आप खुद देखेंगे, यह लैंडस्लाइड जीत केजरीवाल की नहीं ,जनता की है, जो केजरीवाल को हर हाल में सीएम बनना चाहती थी?

वरना कौन कह सकता था कि केजरीवाल एंड पार्टी 70 विधानसभा सीट में से 67 सीट जीत सकेंगे, बकवास भले कोई कर ले? हालांकि बीजेपी इतनी बुरी हार वहीं चाहती थी, लेकिन जनता का जनादेश ऐसे ही मिलता है, उन्हें याद है उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर अकल्पनीय 73 सीटों पर जीत?

कांग्रेस को छोड़िये, निर्दलीय तक को भी वोट नहीं देना, दिल्ली का एग्रेशन ही है कि कोई चांस नहीं लेना था और लैंडस्लाइड जीत बताता है कि उन्होंने किस शिद्दत से केजरीवाल को वोट किया है?

केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के जो खिलंदड़े टाइप के नेता हैं अगर इस जीत को अपनी जीत मानने की भूल करते हैं तो उनके और उनकी पार्टी के लिए यही 5 साल कब्रगाह भी साबित हो जा़येगा?

जाहिर है जीत पर इतराने से बेहतर है कि जीत की खुमारी से केजरीवाल एंड पार्टी के नेता निकले और ईमानदारी और मेहनत से दिल्ली को किये वादों को पूरा करने में सर्वस्व लगा दें ,क्योंकि वोटर किसी का सगा नहीं होता?

 #AAP #Kezriwal #Delhipoll #BJP #Modi