शिव ओम गुप्ता |
कांग्रेसी और आम आदमी पार्टी के नेता लाल कृष्ण आडवाणी के ऐसे भक्त बने फिर रहें हैं कि मौका मिला तो पैर धोकर पी जायेंगे।
लेकिन कांग्रेसी और AAP नेता भूल गये हैं कि 10 वर्षों के कार्य काल में मनमोहन सिंह से हजारों बार इस्तीफा मांगा गया था, लेकिन मनमोहन सिंह ने इस्तीफा नहीं दिया जबकि कोलगेट मामले में मनमोहन सीधे दोषी है और सीबीआई ने जब पूछताछ करने की कोशिश की तो मनमोहन हाईकोर्ट पहुंच गये?
और आम आदमी पार्टी जो खुद ईमानदारी और भ्रष्टाचार का पर्याय बताती फिर रही है, उसने एक ऐसे भ्रष्टाचारी को कानून मंत्री बना दिया, जिसकी डिग्री ही नहीं, अस्तित्व ही फर्जी थी। यही नहीं, तब पार्टी के सदस्य रहें योगेंद्र यादव जैसे नेताओं ने चीख-चीख कर नरेंद्र सिंह तोमर के फर्जीनामें की तारीफ की थी।
समझ नहीं आता कि ये कौन सी चक्की का आटा खाते है, जिसके खाने से ही शर्म और लज्जा चली जाता होगी शायद? वरना कोई पार्टी का नेता इतना बेहया तो ही नहीं सकता कि जो खुद अमल नहीं कर सका वो दूसरों को ज्ञान कैसे दे पाता होगा?
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