शिव ओम गुप्ता |
सुना है कांग्रेस नेता #गुलामनबीआजाद ने #प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की #मनकीबात को $कम्युनलाइज करने की असफल कोशिश की है। गुलाम (?) का कहना है कि प्रधानमंत्री ने मन की बात में रक्षाबंधन की बात की, लेकिन रमजान की बात नहीं की?
अब कांग्रेसी सोच के गुलाम? गुलाम साहब को कौन बताये कि प्रधानमंत्री ने मन की बात में रक्षाबंधन की शुभकामनाएं नहीं दी हैं बल्कि रक्षाबंधन के दिन लोगों से अपील की है कि वे बहनों को जीवन ज्योति बीमा का उपहार दें, जिससे बहनों का कल्याण हो सके।
प्रधानमंत्री ने हिंदू और मुस्लिम बहन-भाई की बात नहीं की, लेकिन गंगा-जमुनी तहजीब और धर्मनिरपेक्षता की लगातार खींसे निपोरने वाले कांग्रेस ने इसे भी सांप्रदायिक बनाने की कोशिश की।
कांग्रेस को लगता है मुस्लिम पूरी तरह से मूर्ख हैं और जब चाहेंगे झूठ और #दुष्प्रचार के सहारे मुस्लिमों को मूर्ख बनाते रहेंगे और मुस्लिम मूर्ख बनते रहेंगे, लेकिन कांग्रेस को नहीं मालूम कि देश में बहुत भाई-बहन अपने मुस्लिम भाई और बहन को रक्षाबंधन बांधती हैं या रक्षाबंधन बंधवाते हैं।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद को अपनी हरकतों पर शर्म आनी चाहिए और देश को बांटने वाले बेबुनियाद बयानों के लिए माफी मांगनी चाहिए, जो बात #धर्मनिरपेक्षता की करते हैं और आग #सांप्रदायिकता की लगाते हैं।
शुक्र है देश के मुस्लिम भाई कांग्रेस को पहचान गई है और कांग्रेसी छलावे पर नाक और कान देना बंद कर चुकी है, क्योंकि मुस्लिम भाई समझ चुके हैं कि योजनाओं में बांटकर किसने उनका बंटाधार किया है।
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