शिव ओम गुप्ता |
नि: संदेह मीडिया को आरोप और बयान आधारित खबरों को छानबीन करने बाद ही उसे ब्रेकिंग न्यूज बनाना चाहिए।
क्योंकि कांग्रेस का इतिहास रहा है कि जब वह सत्ता से दूर रहती है तो गैर कांग्रेसी सरकार को बदनाम करने के लिए ऐसे आरोपों और साजिशों को अंजाम देती आई है।
महाराष्ट्र के पंकजा मुंडे का मामला हो, सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे सिंधिया के ललित मोदी से जुड़े मुद्दे हों अथवा मालेगांव विस्फोट की सुनवाई में ढिलाई बरताने का प्रोपेगेंडा? सभी मामले पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित और सियासी हैं।
पंकजा मुंडे मामले का सार यह है कि जिस एनजीओ को उक्त तथाकथित स्कैम का टेंडर मिला है, वो एक कांग्रेसी का है।
सुषमा स्वराज मामले का सार यह है कि ललित मोदी की पत्नी की मदद को जबरदस्ती कांग्रेस ललित मोदी से जोड़ रही है जबकि ललित मोदी ने आज खुलासा कर दिया है कि उसके संबंध कांग्रेसी दामाद रॉबर्ट वाड्रा और प्रियंका गांधी से भी हैं।
जबकि वसुंधरा राजे के मामले में ललित मोदी को लेकर जबरदस्ती तिल का ताड़ बनाया जा रहा है, जिसमें अभी तक कोई भी तथ्य नहीं मिला है जबकि यह मामला तब का है जब राजे मुख्यमंत्री नहीं थीं और ललित मोदी भारत में ही थे दुष्यंत की कंपनी और राजे परिवार के करीबी थे!
वहीं, मालेगांव विस्फोट मामले की वकील का यह कहना हास्यास्पद है कि एनआईए उन पर केस की कार्रवाई ढीमा करने का दबाव डाल रही है।
सरकारी वकील बताये कि मालेगांव विस्फोट की कार्रवाई यूपीए कार्यकाल में अगर राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड से चल रही थी तो अब तक कुछ उखाड़ क्यों नहीं पाईं? अब तक दोषियों को सजा क्यों नहीं मिली।
यह सब कांग्रेस की प्लांटेड साजिश है, जिसको चलाने और दिखाने से पहले मीडिया कोई क्रॉस चेक नहीं कर रहीं कि किसमें क्या सच्चाई है।
बयान आया और बिना कुछ सोचे-समझे हर उल-जुलूल बयान को गन्ने की तरह गन्ने की मशीन में डाल देते हैं और रस निकाल कर बेंच देते हैं अब पीने वाला जियें या मरे? इनकी बला से...टीआरपी तो मिल ही गई!
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