शुक्रवार, 3 जुलाई 2015

कहानी: एक लड़का था, एक लड़की थी और...?

शिव ओम गुप्ता
यारी...दोस्ती...फ्रेंड्सशिप! एक ऐसा दोस्त...जिससे दिल की अपनी हर बात शेयर कर सकें...और जिससे दिल खोलकर छककर बात कर सकें?
किसे नहीं अच्छे लगते ऐसे दोस्त...और ऐसे दोस्तों की दोस्ती, जिनका साथ और जिनकी यादें एक ऐसे सुनहरे जंगल में हमें ले जाती हैं कि बस... गुम हो जाने को दिल करता है...

पर दोस्ती का भी अपना एक धर्म और जेंडर होता है...? यह पेशे से पत्रकार अक्षय वर्मा को तब पता चला जब वह नीलू से मिला...नीलू यानी अक्षय नई नवेली पड़ोसन?

दिल्ली का सर्वोदय एनक्लेव, जहां अक्षय की नीलू से मुलाकात से हुई। हाल ही में नीलू अक्षय के पड़ोस वाले फ्लैट में शिफ्ट हुईं थी। आकर्षक और मासूम सी नीलू की नई-नई शादी हुई थी शायद?

नीलू और नीलू के पति अमन शादी के तुरंत बाद ही दिल्ली शिफ्ट हो गये थे ? गुड़गांव के किसी प्राईवेट फर्म में सेल्स मैनेजर अमन इंजीनियरिंग ग्रेजुएट नीलू के लिए भी नौकरी तलाश रहे थे?

वह शायद वीकेंड का दिन था जब अक्षय ने नीलू को पहली बार सामने से देखा और नीलू...बिना एक्सप्रेशन अपनी फ्लैट की ओर ऐसे दौड़ गई, जैसे कोई शैतान देख लिया हो? सकपका सा गया था अक्षय...आखिर पड़ोसी थे दोनों, नीलू वेलकम नोट में मुस्करा देती तो क्या चला जाता उसका?

हालांकि खुद अक्षय भी अजनबियों से घुलने-मिलने में समय लेता है, लेकिन दोस्ती-दुश्मनी में कोई जेंडर भेद नहीं रखता।

इस बात को अब 3 माह बीत चुके थे और अक्षय कोशिश करता कि कैसे भी नीलू के सामने न पड़े।

इस दरम्यान एक नहीं, कई बार फ्लैट से निकलते- घुसते वक्त दोनों एक दूसरे से टकराये होंगे, लेकिन अक्षय नीलू से यह पूछने की हिम्मत नहीं जुटा सका कि वह उसे देखकर भागी क्यों थी?

अक्षय और नीलू को पड़ोसी हुए अब 6 महीने बीत चुके थे...पर 6 माह पहले अक्षय को देखकर नीलू का भागना...अक्षय को अब तक अंदर तक सालता रहा था...

फिर एक दिन अचानक सुबह दरवाजे पर दस्तक हुई! कई मामलों में अक्खड़ अक्षय अमूमन दरवाजे पर दस्तक को पसंद नहीं करता?

कई बार खट-खट हुई तो पूछा, " कौन?

नीलू की आवाज थी शायद, "मैं...मैं आपकी पड़ोसन, दरवाजा खोलिए प्लीज ?

अक्षय डरा सकपकाया सा बुदबुदाने लगा..."अब क्या हो गया, मैंने अब क्या कर दिया?"

अक्षय ने दरवाजा खोला तो देखा सामने नीलू ही खड़ी थीं। घबड़ाई सी थी नीलू, जाने क्या बात हुई ?

क्या आप मुझे अपना मोबाइल फोन दे सकते हैं? मेरा फोन खराब हो गया...एक इमरजेंसी कॉल करना है...उनको?

फ्लैट के बाहर पड़ोसन को देख अक्षय वैसे ही परेशान था, चुपचाप अंदर गया, टेबल से फोन उठाया और नीलू के हाथ पर रख दिया।

नीलू ने पति को फोन किया और फोन वापस मिलते ही अक्षय ऐसे गायब हुआ जैसे गधे के सिर से सींग।

फोन करने के बाद नीलू वापस चली गई। न नीलू ने 'थैंक्यू' कहा और न ही अक्षय को 'योर वेलकम' कहने का मौका दिया। बात आई-गई हो गई, और 3 महीने बीत गये।

अगले ही वीकेंड सुबह-सुबह अक्षय घर की रसोई में नाश्ता तैयार कर रहा था कि एक बार फिर दरवाजे पर दस्तक हुई और अक्षय ने दरवाजा खोला तो बड़ी-बड़ी आंखों वाली नीलू सामने खड़ी थी।

दरवाजे के मुहाने पर खड़ी नीलू अक्षय के फ्लैट को ऐसे निहार रहीं थी। लगा जैसे अक्षय ने उनकी कोई चीज चुरा ली है,  और जिसे ढूंढ़ती नीलू फ्लैट पर छापा डालने पहुंची हों? नीलू फ्लैट के अंदर रखी लगभग सभी चीज को कौतुहल से घूरे जा रहीं थी।

अक्षय संभलता और कुछ समझने की कोशिश करता इसके पहले नीलू ने दो सवाल उछाल दिये, " आप...क्या अकेले रहते हैं? आप... क्या करते हैं?

परिचय पूरी होेने के बाद नीलू वापस चली गईं और अक्षय ने सिर धुनते हुए दरवाजा पीटकर फिर बंद कर लिया।

नि:संदेह नीलू ने पूरे 9 महीनों में अक्षय बारे में काफी रिसर्च कर ली थी और अक्षय से किसी भी प्रकार के खतरे की आशंका के प्रति निश्चिंत थीं?

अब तो आते-जाते, उठते-बैठते अक्षय और नीलू से बातचीत शुरु हो गयी और अब नीलू के साथ नीलू के पति अमन भी अक्षय से...और अक्षय को इंटरटेन करने लगे।

अगले दो-चार दिनों में अक्षय की टीवी और फ्रिज आधी नीलू की हो गई। इतना ही नहीं, अक्षय का रुम अब दोनों फ्लैटों का ऑफिशियल ड्रॉइंग रुम में तब्दील हो गया और अक्षय भी अब अपने फ्लैट के दरवाजे बंद करने भूल जाता था, क्योंकि नीलू अब जब चाहे दरवाजा खटखटाने की आदी हो गईं थी।

अक्षय भी खुश था, क्योंकि वीकेंड पर उसका दिन अच्छा गुजरने लगा था... क्योंकि वीकेंड महसूस करने के लिए मल्टीप्लेक्स में अब घटिया फिल्मों का अनावश्यक फस्ट्रेशन जो बंद हो गया था।

हालांकि अमन वीकेंड के दिनों के अलावा अक्षय की कंपनी को कम इंज्वॉय करते थे, क्योंकि नीलू और अक्षय के बीच हंसी-ठहाके और दोनों के बीच की केमेस्ट्री ने अमन को आशंकित और आतंकित कर दिया था।

उसका ही असर था कि अगले दिन फ्रिज से दूध निकालते वक्त न चाहते हुए नीलू ने अक्षय से पूछ ही लिया, "अक्षय, मैं आपको भैय्या बोलूं तो बुरा तो नहीं लगेगा ?

और नीलू के मुंह से अचानक यह सुनते ही अक्षय का मुंह भी खुला का खुला रह गया था।

नीलू के मुंह से एकाएक ऐसे सवाल सुनकर अक्षय बेचैन हो गया, लेकिन खुद को शांत किया और चेहरे पर हल्की मुस्कान के साथ नीलू की ओर देखता रहा ..फिर कौतुहल से पूछा, " क्या हुआ नीलू? अमन ने कुछ कहा क्या?

नीलू मुस्कराई और बोली, "नहीं ऐसा कुछ नहीं है, फिर भी अगर...मतलब, "हम भाई-बहन ही हुये न?"

अक्षय थोड़ी देर के लिए फिर गहरी सोच में पड़ गया? नीलू जाने को हुई तो अक्षय ने नीलू का हाथ पकड़ कर कमरे में ही रोक लिया।

"तुम कहती तो ठीक है नीलू, लेकिन यह आज तुम्हें क्यों सूझा?" तुम्हें हमारे रिश्ते को नाम देना है तो दे दो, मुझे कोई आपत्ति नहीं है!

पर...हम हमारे रिश्ते को दोस्ती भी तो कह सकते हैं, जिसमें भाई-बहन जैसी ही मर्यादा है।"

नीलू अक्षय की बातें सुनकर अवाक थीं, लेकिन वह बेचैन बिल्कुल भी नहीं थी और न ही अक्षय के जबाव से असंतुष्ट ही दिखी।

नीलू कुछ देर चुप रहीं और फिर अक्षय के सिर पर हाथ फेरते हुए मुस्कराकर बोली, " पर मेरा नाम तो तुम्हें मालूम नहीं है?"

अक्षय ने भी बदले में मुस्करा दिया और नीलू फ्रिज से दूध लेकर वापस चली गईं और जाते- जाते अक्षय को अपना नाम भी बता गई। अब अक्षय और नीलू एक दूसरे को नाम से पुकारने लगे, न दीदी और न भैय्या?

नीलू वापस चली गई थी, लेकिन अक्षय हतप्रभ सा दीवार पर लगी एक ऐसी तस्वीर को लगातार घूरता रहा जिसमें कोई आकृति ही नहीं थीं?

अक्षय खुद से बातें करने लगता है.."मुझे अपनी ब्रॉड माइंड सोच पर बड़ा गुमान था...और मुझे भरोसा नहीं हो पा रहा है कि एक पारंपरिक परिवेश में पली-बढ़ी होने के बावजूद नीलू न केवल मुझसे अधिक बहादुर है, बल्कि मुझसे बड़ी सोच और नजरिये वाली महिला है?"

"नीलू से मिलने से पहले मेरा मानना था कि एक महिला की दुनिया सामाजिक सरोकारों वाले रिश्तों तक ही सिमटी रहती है और वह समाज के तथाकथित ठेकेदारों द्वारा खींची गई लक्ष्मण रेखा के बाहर जाने की हिम्मत नहीं दिखा पाती है ?"

"ऐसे उदाहरण बहुत कम मिलते हैं, जहां महिलायें नाम से इतर जहीनी रिश्तों से जुड़ने की कोशिश कर पाती हैं।"

"कहते भी हैं कि एक लड़की और एक लड़का कभी दोस्त नहीं हो सकते?" शायद ऐसे ही जुमलों ने महिला-पुरुष की दोस्ती को कभी मर्यादित परिभाषित नहीं होने दिया होगा?"

"मैं अकेला फ्लैट में रहता हूं और हमारा समाज किसी बैचलर के साथ घुलने- मिलने से झिझकता है। देखा जाये तो सुरक्षा की दृष्टिकोण से अमन की सोच पूरी तरह से पारंपरिक थी और उसमें कुछ गलत नहीं था, शायद मैं भी यही करता?"

....लेकिन फ्लैट शेयर करने के बाद पूरे 9 महीने तक अमन- नीलू और मैंने कितनी गलतफहमियों की दीवार को लांघ कर एक अंजान शहर में एक दूसरे पर भरोसा किया था, जिसमें हम तीनों काफी खुश थे और एक परिवार की तरह रहने भी लगे थे, लेकिन ....

उधर, जैसे ही नीलू पति अमन के पास पहुंची तो अमन जैसे नीलू की ही राह देख रहा था।

क्या हुआ? कुछ बताओ भी...तुमने अक्षय से बात की क्या?

नहीं, मैंने नहीं की...अक्षय से कोई बात? तुम्हें अक्षय से समस्या है तो जाओ खुद क्यों नहीं जाकर बात कर लेते? कहकर नीलू किचन में घुस गई।

देखो नीलू...मेरी बात सुनो? अक्षय से मुझे कोई शिकायत नहीं है, बस तुम दोनों एक दूसरे को भाई-बहन बना लो और अक्षय को राखी बांध दो?

मैं अक्षय को राखी नहीं बांध सकती? अक्षय और मैं एक अच्छे दोस्त हैं और हमारी दोस्ती भाई-बहन जैसी ही है, तुम्हें कोई समस्या है तो छोड़ दो यह फ्लैट...हम कहीं और शिफ्ट हो जाते हैं!

अमन गुस्से से लाल हुआ जा रहा था..."लेकिन जब अक्षय राखी बंधवाने के लिए तैयार है तो तुम्हें क्या प्रॉब्लम है?"

"तुम्हें पता है कि शहर में इतने अच्छे पड़ोसी ढूंढने से भी नहीं मिलेंगे और जहां कहीं अब शिफ्ट करेंगे तो क्या गारंटी है कोई खराब पड़ोसी न मिल जाये?"

"देखो, तुम एक काम करो...गुड़गांव के आसपास कोई फ्लैट देख लो! तुम्हारे ऑफिस के भी नजदीक रहेगा और इस झंझट से भी मुक्ति मिल जायेगी।"

लेकिन नीलू...मेरे समझ नहीं आता कि हमें यह फ्लैट छोड़ने की जरुरत क्या है, जब कोई बात ही नहीं है?

नीलू बिफर पड़ी..." यस! जब कोई बात ही नहीं है तो क्यों जबरदस्ती अक्षय को रिश्तों में बांधने की कोशिश कर रहे हो।"

"तुम्हें अच्छा पड़ोसी भी चाहिए, लेकिन शर्त यह है कि वह तुम्हारी बीवी का ऑफिशियल भाई बने? अमन, रिश्ते नाम के मोहताज नहीं होतें?"

"तुम्हें पता है हमारी खुशी के लिए अक्षय मेरा ऑफिशियल भाई बनने को भी तैयार हो गया...लेकिन मैंने मना कर दिया।"

उधर, नीलू के सवालों ने अक्षय को झकझोड़ दिया था और तीनों को वहीं लाकर खड़ाकर किया था, जहां तीनों 9 महीने पहले खड़े थे।

अक्षय, "हमारा समाज ऐसे रिश्तों को शक की निगाह से क्यों देखता है, जिनमें खून का रिश्ता न हो या जिसमें कोई सामाजिक बंधन न हो। मसलन शादी? और हमेशा की तरह यह सवाल सबसे बड़ा हो जाता है कि एक लड़की और लड़का कभी दोस्त नहीं हो सकते?

दिल्ली में एक ही बिल्डिंग के दो फ्लैट में रहने वाले पडो़सी पति-पत्नी अमन और नीलू बैचलर अक्षय वर्मा से बढ़ती नजदीकियों से एक तरफ तो खुश हैं, लेकिन दूसरी ओर अमन नीलू और अक्षय के रिश्तों के लेकर आशंकित हो उठता हैं और अमन की आशंकाओं के बीच अक्षय के साथ अपने निजी रिश्तों को सुलझाने के लिए नीलू को अक्षय को भैय्या कहकर पुकारती है, लेकिन दोनों ऐसे रिश्तों में बंधने से इनकार कर देते हैं। अब आगे सुनिए...

अमन नीलू के प्रत्याशित व्यवहार से निराश होता है, लेकिन नीलू बिना अपनी बात पर टिकी रहती है कि अब उन्हें अक्षय के पड़ोस में नहीं रहना चाहिए।

नीलू की बातों से अमन गुस्से में आ जाता है और घर के बाहर निकल जाता है। दूसरे दिन अमन और अक्षय एक दूसरे से मिलते जरूर हैं, लेकिन अक्षय से नजरे मिलाने से कतराता हैं अमन।
अमन कुछ कहता कि अक्षय ने पुकार लिया, कैसे हैं भाई साहब?

अमन मुंह घुमा कर वापस अपने फ्लैट की ओर चला गया। फ्लैट में वापस आने के बाद अमन ने नीलू को घूरते हुए कहा, तुम क्यों नहीं जाकर अक्षय को राखी बांध आती हो, हमें फ्लैट छोड़ने की कोई जरूरत नहीं है, छोड़ना है तो अक्षय छोड़ के जाये....आखिर नीयत उसकी बुरी है।
नीलू की ओर इशारा करते हुए अमन ने कहा,

...और तुम भी कुछ कम नहीं हो? मुझे पता है तुम दोनों के बीच दोस्ती की आड़ में कौन सा गुल खिल रहा है।

इतना सुनते ही नीलू का गुस्सा सातवें आसमान पर था....अमन ने नीलू को कभी ऐसे गुस्से में नहीं देखा था...वो कुछ कहता इससे पहले नीलू बेडरूम में चली गई...पीछे-पीछे अमन भी नीलू के पीछे चला गया....

नीलू बस मैं इतना कह रहा हूं कि समाज में एक लड़की और एक लड़की के रिश्तों को अच्छी नजर से नहीं देखा जाता है। फर्ज करो, कल को कोई हमारा और तुम्हारा रिश्तेदार हमारे घर आया तो क्या तुम अक्षय को कैसे उनके सामने इंट्रोड्यूस करोगी, बोलो?

नीलू कुछ देर तक अमन को एक टक देखती रही और बिना कुछ बोले चुपचाप नींद आने का बहाना करके सोने का नाटक करती है और अमन भी चुपचाप सो जाता है।

रात भर कश्मकश में बीती रात के बाद अगले दिन सुबह ही नीलू अमन से गुड़गांव में शिफ्ट होने की बात कहती है, लेकिन अमन अभी भी अपनी बात पर अड़ा है...जब कोई बात ही नहीं है तो यह फ्लैट छोड़ने की जरूरत क्या है नीलू...

नीलू आपे से बाहर हो जाती है...देखिये मुझे यहां अब नहीं रहना है और जो तुम कहने को कह रहे हो, वो अब मुझसे नहीं होगा...अच्छा होगा कि हम यहां से शिफ्ट हो जायें और अक्षय को भी कुछ कहने की जरूरत नहीं है कि हम यह फ्लैट छोड़ रहें हैं।                                                                                                        
नीलू और अमन में करार हो गया था कि दोनों अगले महीने गुड़गांव शिफ्ट होने तक अक्षय के साथ रिश्ते का सामान्य बना कर रखेंगे और तकरीबन एक महीने सब कुछ ठीक रहा, लेकिन अगले ही महीने अक्षय को बिना कुछ बताये अचानक नीलू और अमन गुड़गांव शिफ्ट हो गये और सैकड़ों अनसुलझे सवाल छोड़ गये ?

अक्षय यह देख-सुनकर हैरान और पशोपेश में था और मन में सवाल कौंध रहा था कि एक पुरुष और एक महिला की दोस्ती कितनी भी मर्यादित क्यों न हो, अग्नि परीक्षा से सिर्फ और सिर्फ एक महिला को ही गुजरना पड़ता है।

अक्षय मन ही मन काफी दुखी हो रहा था कि काश अमन की बात मान लेता और नीलू के हाथ से राखी बंधवा लेता? क्या-क्या सुनना पड़ा होगा नीलू को मेरी वजह से...

नीलू ने गुड़गांव शिफ्ट होने के बाद कभी भी अक्षय से संपर्क नहीं किया और न ही कोई सफाई देने की जरूरत समझी। अक्षय ने भी बातचीत करने की बिल्कुल कोशिश नहीं की।

जो कुछ भी घटित हुआ... सोचकर अक्षय का दिल बैठा जा रहा था और उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसकी दोस्ती में अग्निपरीक्षा सिर्फ नीलू को ही क्यों देनी पड़ी।

अक्षय और नीलू ने सामाजिक खांचे से इतर एक रिश्ता गढ़ने की एक असफल कोशिश की थी, लेकिन एक पवित्र रिश्ते को पतित और मलिन सिर्फ इसलिए होना पड़ा, क्योंकि समाज में उसकी कोई मान्यता नहीं है?

मेरी और नीलू की दोस्ती भाई-बहन के रिश्तों की तरह पवित्र थी, लेकिन समाज ऐसी छोटी मानसिकता से क्या कभी उबर पायेगा? एक लड़का और एक लड़की की दोस्ती को कभी स्वीकार करेगा?

भीतर तक हिला हुआ अक्षय खुद को समझाने की कोशिश करता है, लेकिन यह मानने को मजबूर हो जाता है कि रिश्तों का वजूद शायद एक अदद नाम के बगैर कुछ नहीं है और एक लड़के और एक लड़की की दोस्ती के रिश्ते हमारे समाज के लिए बेमानी होते हैं?

क्योंकि ऐसे रिश्तों का कोई वजूद नहीं है, जहां एक लड़का और लड़की सिर्फ दोस्त हों? और ऐसे रिश्ते भाई-बहन, ब्वॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड के खांचे से इतर भी स्वीकार्य और सम्मानित हो?

शायद इसीलिए... बदलते परिवेश और जीवन शैली में हमारे पुरातन समाजिक ताने-बाने में दरार उभरने लगे हैं, जहां आये दिन अवांछित रिश्तों की खबरें अखबारों की सुर्खियां बनती हैं, क्योंकि हमारे सामाजिक रिश्तों में दोस्ती कम, मजबूरी अधिक होती हैं, जिसमें इंसान छटपटाता है और बस छटपटाता है...

गुरुवार, 2 जुलाई 2015

आखिर कितने मुलजिम और मुजरिम का अंतर जानते हैं?

शिव ओम गुप्ता
बहुत कम लोग मुलजिम और मुजरिम का अंतर समझते हैं।  यानी आरोपी और दोषी दोनों होने में जमीन-आसमान का फासला है, लेकिन भारतीय मीडिया इस अंतर को पाटने में लगी है।

कल खबर थी कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस के कारण एअर इंडिया की फ्लाइट लेट हो गई ? चैनलों ने हो-हल्ला और हंगामा किया और छिछले टाइप के नेताओं ने चमत्कारी बयान भी दे डाले।

कुछ ही देर बाद एअर इंडिया की ऑफिशियल रिपोर्ट ने बताया कि तकनीकी खराबी के कारण फ्लाइट की उड़ान 57 मिनट देरी से हुई। चारो तरफ सन्नाटा...कोई भी नेता और मीडिया चैनल ने गलत बयानी या रिपोर्टिंग के लिए माफी नहीं मांगी?

एक बार फिर गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू को लेकर बिना फैक्ट चेक किये, बिना एअर इंडिया से संपर्क किये स्वघोषित तेजतर्रार मीडिया चैनलों ने खबर चला दिया है कि उनकी वजह से एअर इंडिया की फ्लाइट रोक दी गई जबकि इसका स्पष्टीकरण पहले ही हो चुका है कि फ्लाइट सुबह11:40 एक घंटे पहले उड़ान भरेगी?

अब मीडिया को खबरों में मसाला चाहिए तो लगाइये और ककड़ी की तरह रगड़कर  खाइये और खिलाइये, कद्रदानों की कमी नहीं है।

आम आदमी पार्टी के नये-नवेले नेता दिलीप पांडे तो ऐसे बावले हो गये कि ऊलू-जुलूल बकवास करने लग गये, लगा जैसे इस मामले पर बकवास करके राज्य प्रवक्ता से राष्ट्रीय प्रवक्ता बना दिये जायेंगे?

#Media #KirenRijuju #AirIndia #Accused #Victim

मंगलवार, 30 जून 2015

कांग्रेस कहेगी रात, तो मीडिया कहती है रात...यह सुबह-सुबह की बात है?

शिव ओम गुप्ता
 न्यूज चैनल्स आजकल कांग्रेसी झूठों और दुष्प्रचारों का प्रचारक बन रह गया है।

कांग्रेसी रोजाना एक आरोपों का पुर्चा थमा देते हैं और दिनभर रात-दिन भेड़ों की तरह एक-एक कर कूंएं में गिरती रहती हैं।

कोई चैनल का संपादक यह कष्ट करने की कोशिश नहीं करता है कि जो पुर्चा रोज उसे दिया जा रहा है वह चूरन की गोली का हो सकता है।

मतलब कांग्रेसी पुर्चे तथ्य को नहीं, बल्कि माहौल को बरकरार रखने की साजिश भी हो सकती है? जिसे जानबूझकर किया जा रहा है ताकि मीडिया में मसले को जबरदस्ती जिंदा रखा जा सके?

हालांकि मीडिया भी लगातार इन फरेबों में फंसती हुई जा रही है। कोई कुछ कह रहा है इसका मतलब यह है कि वे तय करेंगे कि चैनल की प्राइम टाइम की बहस का मुद्दा क्या होगा?

पिछले 20-25 दिनों टीवी चैनलों पर न्यूज देखना और खुद सिर धुनना एक जैसा हो गया है। कोई भी टीवी न्यूज चैनल खोलते ही कांग्रेस और केजरीवाल की लगाई-बुझाई बातों पर ही बहस हो रही होती है, जिससे कोई प्रोडक्टिव परिणाम नहीं है बावजूद इसके चैनल्स हैं कि हिप्नोटाइज हुए वहीं करते जा रहें हैं।

क्या देश की सारे डवलेपमेंटल स्टोरी नहीं रहीं? पूरा देश संपन्न हो गया है? देश में कहीं कोई बेकारी, बीमारी, लाचारी और भ्रष्टाचारी नहीं रहीं, जिसकी बात की जा सके?

अगर ऐसा है तो अच्छी बात है और अगर नहीं है तो कांग्रेसी ताल पर नाचने को बजाय कुछ जर्नलिज्म भी कर लें? वरना नेताओं के भ्रष्टाचार के बाद मीडिया भ्रष्टाचार पर से लोगों का बिलकुल भरोसा उठ जायेगा!

साला, कांग्रेस के झूठ और दुष्प्रचारों का टट्टू भर बनके रह गई है मीडिया? जो कांग्रेस कहती है, उसे ब्रेकिंग न्यूज बनाकर बेंचने को मजबूर है। और वो कांग्रेस जिसने पूरे 10 वर्ष देश को महंगाई, भ्रष्टाचार और घोटाले से त्रस्त कर रखा था।

कुछ नहीं तो जनता के जनादेश का ही ख्याल रख लो कि जिस जनता ने कांग्रेस को लात मारकर सत्ता से बाहर किया है उसको कितनी तव्वजो देनी चाहिए और कितनी नहीं?

ऐतिहासिक हार से कुम्हलाई कांग्रेस फस्ट्रेशन में है और कुछ हाथ नहीं लग रहा तो झूठ बोल रही है, दुष्प्रचार कर रही है, लेकिन कांग्रेस के आरोपों की पड़ताल करने और उनके तथ्यों को क्रॉस चेक कियो बगैर मीडिया हॉट केक बनाकर उसे ब्रेकिंग न्यूज बनाकर पेश कर रही है और टीआरपी बढ़ा रही है।

कुछ नहीं, कांग्रेसी आरोपों-प्रत्यारोपों वाले खबरों और तथ्यों को खंगाल लो फिर पैकेज, बहस या ब्रेकिंग न्यूज बनाओ? कांग्रेस कोई दूध की धुली नहीं है कि जो कह दिया ब्रह्म वाक्य हो गया और चला दो ब्रेकिंग न्यूज?

#Media #NewsChannels #Ethics #CrossCheck #BreakingNews #TRP #Evidence #Report #DovelopmentStory #News #Biased 

बिजली का बिल 121,580 और स्वीटजरलैंड की सैर?

दिल्लीवालों ने आम आदमी के भेष में रंगा सियार पाल लिया है, जिसकी गर्मी की छुट्टी विदेश में यानी स्वीटरलैंड में मनती है और जिसके बंगले के बिजली का बिल 121,580 रुपये आता है।

लोगबाग कहते हैं कि केजरीवाल ने अपने बंगले में कुल 30 एसी लगवा रखें हैं, जो चौबीसों घंटों चलते हैं?

केजरीवील की सफाई देने आये दिलीप पांडे बोले, 'वो तो जनता की सेवा इतना बिजली खर्च हुआ है जी'

ओ -हो हो- ऊ-हू हू...बॉय गॉड सुनते ही हंसी छूट गई! कोई ऐसी बकवास करेगा तो हंसी छूट ही जाती है, मेरा क्या कुसूर है?
#Kezriwal #PowerBill #AAP #SwitzerlandTour

पढ़िये पूरी खबर-
http://hindi.news24online.com/this-summer-kejriwals-family-enjoyed-vacations-at-alps-valley-29/

दिल्लीवालों इसे कहते हैं केजरीवाल का दोमुंहापन और दोगलापन!

दिल्लीवालों अभी तुम्हें खून के आंसू रोना है। कहते पापों की सजा कभी-कभी जल्दी मिल जाती है।

ये वही केजरीवाल है, जिसने वैट को दिल्ली में कम करने का वादा करके मुख्यमंत्री बन बैठा और अब सत्ता में बैठते वैट को कम करना तो दूर उसको और बढ़ा दिया है?

मतलब, अब दिल्ली में बिकने वाले सभी सामग्रियों के दाम और बढ़ जायेंगे यानी महंगाई और बढ़ जायेगी।

एक आरटीआई से पता चला है कि केजरीवाल मियां के बंगले के दो महीने का बिजली बिल एक लाख रुपया है। अब दिल्लीवालों सोचिए किसकी ऐश हो रही है और पैसे कहां से कैश किये जा रहें हैं।

अलग, ईमानदार और तमाम उल्लू बनाने नुस्खों वाली राजनीति करने का दावा करने केजरीवाल सत्ता में पहुंचते गिरगिट जैसे रंग बदल रहें हैं। दिल्लीवालों तुम्हारी तो लग गई!
#Kezriwal #AAP #VatTax #Inflation #DelhiBudget

एनडीटीवी कांग्रेस के भ्रष्टाचार पर जिल्द चढ़ा रही है!

 NDTV के पत्रकारों का बस चले तो कांग्रेस के उन सभी भ्रष्टाचारों पर ऐसी जिल्द चढ़ा दे कि उसके सारे घोटाले और करप्सन छुप जाये?

मजबूरी यह है कि पत्रकारिता भी करते हुए दिखना है इसलिए वे अब कांग्रेसी भ्रष्टाचार को बीजेपी पर लग रहे झूठे आरोपों की आंच से कम करने की कोशिश कर रही है।

अब भाई NDTV को बचाने के लिए कांग्रेस ने 300 करोड़ रुपये को जो बेलआउट पैकेज दिया था उसका भी तो हक अदा करना जरूरी है, पत्रकारिता जाये भाड़ में?

#Prestitutes #Ndtv #Media #Ethics #BailoutPackege #Congress #Journalism  

सोमवार, 29 जून 2015

मेंढक-मेंढकियों को हुआ जुकाम, टर्र-टर्र से किया परेशान!

आम आदमी पार्टी को सड़क पर प्रदर्शन करते हुए देखता हूं तो ऐसा लगता है कि मेंढक और मेंढकी एक तालाब से निकलकर दूसरे तालाब में पहुंचने के लिए टर्र-टर्र कर रहें हैं।

अब इन बेमौसमी मेंढक और मेंढकियों को नहीं मालूम है कि तालाब में रहना ही समझदारी है, क्या पता दूसरे तालाब में जिंदा ही न बचें?

वैसे, मेंढक और मेंढकियों के सरदार एक बार कोशिश कर चुके हैं और भद पिटवाने के बाद जान छुड़ाकर अपनी तालाब में वापस आ गये!
#Kezriwal #AAP #Protest #JantarMantar #SushmaSwaraj #Resignation 

रविवार, 28 जून 2015

कांग्रेस बात धर्मनिरपेक्षता की करती है और आग सांप्रदायिकता की फैलाती है!

शिव ओम गुप्ता
पिछले 62 वर्षों से मुस्लिमों को योजनाओं का झुनझुना  थमाकर बेवकूफ बनाने वाली #कांग्रेस एक बार #मुस्लिम वोटों पर निशाना साधने के लिए #रक्षाबंधन और #रमजान में उन्हें मूर्ख बनाने की असफल कोशिश कर रही है।

सुना है कांग्रेस नेता #गुलामनबीआजाद ने #प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की #मनकीबात को $कम्युनलाइज करने की असफल कोशिश की है। गुलाम (?) का कहना है कि प्रधानमंत्री ने मन की बात में रक्षाबंधन की बात की, लेकिन रमजान की बात नहीं की?

अब कांग्रेसी सोच के गुलाम? गुलाम साहब को कौन बताये कि प्रधानमंत्री ने मन की बात में रक्षाबंधन की शुभकामनाएं नहीं दी हैं बल्कि रक्षाबंधन के दिन लोगों से अपील की है कि वे बहनों को जीवन ज्योति बीमा का उपहार दें, जिससे बहनों का कल्याण हो सके।

प्रधानमंत्री ने हिंदू और मुस्लिम बहन-भाई की बात नहीं की, लेकिन गंगा-जमुनी तहजीब और धर्मनिरपेक्षता की लगातार खींसे निपोरने वाले कांग्रेस ने इसे भी सांप्रदायिक बनाने की कोशिश की।

कांग्रेस को लगता है मुस्लिम पूरी तरह से मूर्ख हैं और जब चाहेंगे झूठ और #दुष्प्रचार के सहारे मुस्लिमों को मूर्ख बनाते रहेंगे और मुस्लिम मूर्ख बनते रहेंगे, लेकिन कांग्रेस को नहीं मालूम कि देश में बहुत भाई-बहन अपने मुस्लिम भाई और बहन को रक्षाबंधन बांधती हैं या रक्षाबंधन बंधवाते हैं।

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद को अपनी हरकतों पर शर्म आनी चाहिए और देश को बांटने वाले बेबुनियाद बयानों के लिए माफी मांगनी चाहिए, जो बात #धर्मनिरपेक्षता की करते हैं और आग #सांप्रदायिकता की लगाते हैं।

शुक्र है देश के मुस्लिम भाई कांग्रेस को पहचान गई है और कांग्रेसी छलावे पर नाक और कान देना बंद कर चुकी है, क्योंकि मुस्लिम भाई समझ चुके हैं कि योजनाओं में बांटकर किसने उनका बंटाधार किया है।

#Congress #GulamNaviAzaad #Communalism #Secularism #Muslim #Ramadan #RakshaBandhan #MannKiBaat #NarendraModi 

सौ चूहे खाकर कांग्रेस और AAP अब भजन-कीर्तन कर रहें हैं!

शिव ओम गुप्ता
कांग्रेसी और आम आदमी पार्टी के नेता लाल कृष्ण आडवाणी के ऐसे भक्त बने फिर रहें हैं कि मौका मिला तो पैर धोकर पी जायेंगे।

लेकिन कांग्रेसी और AAP नेता भूल गये हैं कि 10 वर्षों के कार्य काल में मनमोहन सिंह से हजारों बार इस्तीफा मांगा गया था, लेकिन मनमोहन सिंह ने इस्तीफा नहीं दिया जबकि कोलगेट मामले में मनमोहन सीधे दोषी है और सीबीआई ने जब पूछताछ करने की कोशिश की तो मनमोहन हाईकोर्ट पहुंच गये?

और आम आदमी पार्टी जो खुद ईमानदारी और भ्रष्टाचार का पर्याय बताती फिर रही है, उसने एक ऐसे भ्रष्टाचारी को कानून मंत्री बना दिया, जिसकी डिग्री ही नहीं, अस्तित्व ही फर्जी थी। यही नहीं, तब पार्टी के सदस्य रहें योगेंद्र यादव जैसे नेताओं ने चीख-चीख कर नरेंद्र सिंह तोमर के फर्जीनामें की तारीफ की थी।

समझ नहीं आता कि ये कौन सी चक्की का आटा खाते है, जिसके खाने से ही शर्म और लज्जा चली जाता होगी शायद? वरना कोई पार्टी का नेता इतना बेहया तो ही नहीं सकता कि जो खुद अमल नहीं कर सका वो दूसरों को ज्ञान कैसे दे पाता होगा?
#Congress #AAP #LalKrishan #Adwani #ManmohanSingh #JitendraTomer 

शनिवार, 27 जून 2015

अब बिहार में महाभ्रष्टों के लिए वोट मांगेंगे केजरीवाल

शिव ओम गुप्ता
सुना है अलग राजनीति की करने वाले चंपू केजरीवाल बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू और राजद की महाभ्रष्ट जोड़ी का प्रचार करने जायेंगे?

दिल्लीवालों, तुमने केजरीवाल को अपना दिल तो दे दिया है, लेकिन केजरीवाल चंपूगिरी करके आपका दिल तोड़ती-फोड़ता जा रहा है।

यह वही केजरीवाल है, जिन्होंने भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुए हैं और अब यही केजरीवाल सजायाफ्ता चारा घोटाले के दोषी के महाभ्रष्ट गठबंधन के पक्ष में वोट मांगते नजर आयेंगे?

तो भूल जाओ दिल्लीवालों कि केजरीवाल कोई देवी-देवता है, क्योंकि केजरीवाल न केवल अवसरवादी राजनीतिक है, बल्कि राजनीति के लिए हर उस कीचड़ और गूदड़ में कूदेगा, जहां उसको फायदा होगा।

केजरीवाल के बारे में, उसकी अपनी असलियत के बारे में केजरीवाल ने खुद 49 दिनों की सरकार में खुलकर बता दिया था, जब केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ मिलकर पहले मुख्यमंत्री बन बैठा और प्रधानमंत्री बनने की लालच में सब कुछ छोड़कर लोकसभा चुनाव में कूद गया!

लेकिन दयालू कहूं या मूर्ख कहूं? दिल्लीवालों ने एक बार केजरीवाल को छाती पर बिठा लिया और अब केजरीवाल उन्हीं की छाती पर बैठ कर वो सारे गंदे कुकर्म कर रहा है  जिसको हटाने के लिए दिल्ली की जनता ने एक तथाकथित क्रांतिकारी पार्टी को अपना सबकुछ सौंप दिया है।

 #Krzriwal #AAP #BiharAssemblyPoll #ElectionCampaign  #FodderScam #LaluYadav #JDU #RJD #Coliation 

शुक्रवार, 26 जून 2015

महज गन्ने के जूस की मशीन बनकर रह गई है मीडिया!

शिव ओम गुप्ता
सत्ताविहीन कांग्रेसी झूठ और दुष्प्रचार को मीडिया ऐसे प्रचारित और प्रसारित करती है कि मीडिया पर अंकुश लगाना जरूरी हो गया है ।

नि: संदेह मीडिया को आरोप और बयान आधारित खबरों को छानबीन करने बाद ही उसे ब्रेकिंग न्यूज बनाना चाहिए।

क्योंकि कांग्रेस का इतिहास रहा है कि जब वह सत्ता से दूर रहती है तो गैर कांग्रेसी सरकार को बदनाम करने के लिए ऐसे आरोपों और साजिशों को अंजाम देती आई है।

महाराष्ट्र के पंकजा मुंडे का मामला हो, सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे सिंधिया के ललित मोदी से जुड़े मुद्दे हों अथवा मालेगांव विस्फोट की सुनवाई में ढिलाई बरताने का प्रोपेगेंडा? सभी मामले पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित और सियासी हैं।

पंकजा मुंडे मामले का सार यह है कि जिस एनजीओ को उक्त तथाकथित स्कैम का टेंडर मिला है, वो एक कांग्रेसी का है।

सुषमा स्वराज मामले का सार यह है कि ललित मोदी की पत्नी की मदद को जबरदस्ती कांग्रेस ललित मोदी से जोड़ रही है जबकि ललित मोदी ने आज खुलासा कर दिया है कि उसके संबंध कांग्रेसी दामाद रॉबर्ट वाड्रा और प्रियंका गांधी से भी हैं।

जबकि वसुंधरा राजे के मामले में ललित मोदी को लेकर जबरदस्ती तिल का ताड़ बनाया जा रहा है, जिसमें अभी तक कोई भी तथ्य नहीं मिला है जबकि यह मामला तब का है जब राजे मुख्यमंत्री नहीं थीं और ललित मोदी भारत में ही थे दुष्यंत की कंपनी और राजे परिवार के करीबी थे!

वहीं, मालेगांव विस्फोट मामले की वकील का यह कहना हास्यास्पद है कि एनआईए उन पर केस की कार्रवाई ढीमा करने का दबाव डाल रही है।

सरकारी वकील बताये कि मालेगांव विस्फोट की कार्रवाई यूपीए कार्यकाल में अगर राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड से चल रही थी तो अब तक कुछ उखाड़ क्यों नहीं पाईं? अब तक दोषियों को सजा क्यों नहीं मिली।

यह सब कांग्रेस की प्लांटेड साजिश है, जिसको चलाने और दिखाने से पहले मीडिया कोई क्रॉस चेक नहीं कर रहीं कि किसमें क्या सच्चाई है।

बयान आया और बिना कुछ सोचे-समझे हर उल-जुलूल बयान को गन्ने की तरह गन्ने की मशीन में डाल देते हैं और रस निकाल कर बेंच देते हैं अब पीने वाला जियें या मरे? इनकी बला से...टीआरपी तो मिल ही गई!
#Media #TRP #Ethics #Congress #FalseReport #PlantedNews #Propaganda #YellowJournalism

Congress always fooled people by Media propaganda!

 (कांग्रेस जब भी सत्ता से बाहर रहती है तो झूठ फैलाती है और मजबूर मीडिया साथ देती है।)

Who can forget 2G scam, CoalGate, Commonwealth scam, JijaGate and RailGate! Yet congress behaving like Raja Harsh Chandra's son!

And who never know? Communalism is time tested weapon for Congress, Even ruled India with the help of communalism & false propaganda against non congress with support of media, How? Media industry's owners better knows!

Congress always instigate and fool Minorities (Muslims Only) to come to power by pretending themselves as biggest wellwisher of Muslims. But the condition of Muslims in thr states are worst.

As it has been a successful funda for congress, some other parties also adopted it, like BSP,SP, JDU, TMC, DMK, and even a kiddy party like AAP.

As Hindus have always been liberal they didn't pay a heed and this parties become successful also.

So, It went on for a quite long time, but later this funda has been shared by many parties, so a competition had started to appeasement the Muslims.

 And in this Competition, they crossed every limits, they brazen out, insulted other religion's Gurus, massacred Sikhs and called Terrorists as 'Osama ji', 'Hafiz saeed ji' and called Hindus as Saffron terror, it really hurt the Hindus.

And end of the day when Hindus woke up, they took it as attack on Hinduism and Sikhism then congress had been throw out from government, bcoz there interests have been compromised.

Later we all witnessed, there were new breed of Staunch Hindus have grown up, I saw many pages articles on internet, this is very dangerous sign, this have been developed under fear coz Hindus are feeling like Orphans, no body care for them, nobody listens them.

An abandoned child is always prone to commit mistake or get misguided, but thank to BJP, they are not playing communal card, coz it would give them short term success but country would be on fire.

I noticed many educated, well established, Doctors., engineers, and many have taken a staunch Hindu stand under insecurities, coz they have fear that present game of appeasement would destroy there religion. There insecurity leading to frustration.

I requset to all Muslims plz dont be misguided, avoid communal parties like Congress, JDU, SP, BSP, and others, STOP there communal game plan, vote for progress, dont be fanatic, Hindus are very liberal, don't make them insecure, we all have been living together with love since ages.

When You will vote for progress, nobody would dare to fool You?

बुधवार, 24 जून 2015

दिल्ली विधानसभा को खाला का घर समझ लिया है?

केजरीवाल एंड पार्टी विधानसभा को खाला का घर समझ बैठी है, जहां दूसरे गली के बच्चे खेल खेलने या देखने पहुंचे तो उनको निकालकर घर से बाहर कर दिया!

केजरीवाल ऐसे नहीं कहते हैं कि वो अराजक हैं वो करके दिखाते हैं। दो दिन सत्र चला और दोनों दिन बीजेपी विधायकों को उठवाकर बाहर फिकवा दिया?

ये वही केजरीवाल हैं जो धरना-प्रदर्शन के जरिये अपनी बात कहने और सुनाने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करते थे और सरकारी मशीनरी द्वारा कोई कार्रवाई होने पर लोकतंत्र की दुहाई देकर रोया करते थे, लेकिन आज उन्हें लोकतंत्र और अधिकारों की परवाह नहीं रहीं।

इसे ही कहते हैं सत्ता का नशा? जिसमें चूर केजरीवाल एंड पार्टी यह भूल चुकी है कि वे अलग राजनीति करने आये हैं और कर रहें क्या?
#Kezriwal #AAP #DelhiAssembly #BJP

मंगलवार, 23 जून 2015

और अब केजरीवाल तोमर पर कार्रवाई का श्रेय ले रहें हैं?

शिव ओम गुप्ता
पिछले 4 महीने फर्जी डिग्री धारी जीतेंद्र सिंह तोमर को मंत्री बनाकर दिल्ली की छाती पर रखने वाले केजरीवाल आज कह रहें हैं कि उन्होंने तोमर पर कार्रवाई की है।

क्या दोगलेपन वाली बात है। दिल्ली पुलिस जब तोमर को उठाकर ले गई थी तो कैसे इमरजेंसी और साजिश का मातम करके पूरी पार्टी रोई थी और केजरीवाल तोमर पर कार्रवाई करने का श्रेय लेने की कोशिश कर रहें हैं।

दिल्ली का जो होगा वो होगा?, लेकिन राजनीति में नैतिकता और शुचिता का क्या होगा, यह केजरीवाल एंड पार्टी की चाल-चरित्र को देखकर डर लगता है।

मतलब, वो दिन दूर नहीं जब केजरीवाल की नजीर देते हुए नेता चोरी करेंगे और चोरी करने पर पकड़े जाने पर चोरी का माल वापस करते हुए कहेंगे, "सॉरी! आगे से सावधानी बरतेंगे?"
#Kezriwal #AAP #Ethics #JitendraTomer #Fakedegree

आतंकवाद समर्थित चीन की नैतिकता को चुनौती देनी चाहिए!

शिव ओम गुप्ता
चीन के संदर्भ में भारत को अपनी कूटनीतिक बातों और चीन की नापाक हरकतों से सबक लेनी चाहिए और लखवी के खिलाफ मौजूद सभी दस्तावेजों को संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी स्थायी सदस्यों के समक्ष रखना चाहिए।

चीन अक्साई चिन और म्यानमार में हुई सैनिक कार्वाई से झुझला गया है, इसलिए झुझलाहट में आतंकवाद जैसे कोढ़ को पोषित करने के लिए पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है, जहां उसके निजी हित शामुल है।

भारत सरकार को चाहिए कि वह आतंकवाद के वैश्विक लड़ाई के खिलाफ चीन के पाकिस्तान को समर्थन का विरोध दर्ज करे और नैतिक ग्राउंड पर चीन के कदम की निंदा करे।

पूरा विश्व आतंकवाद जैसी विभिषिका से पीड़ित और त्रस्त है और कोई भी पाकिस्तान के आतंकवाद पोषित रवैये से अनभिज्ञ नहीं है।

नि: संदेह भारत को चीन द्वारा लखवी मामले में पाकिस्तान को दिये समर्थन के खिलाफ कई महत्वपूर्ण देश आतंकवाद के खिलाफ भारत की मुहिम का समर्थन करेंगे।
#China #Pakistan #UN #Lakhvi #Terrorism

राजनीतिक ड्रॉमा खत्म, पप्पू चला विदेश छुट्टी पर!

पिछले एक महीने से जारी राहुल गांधी उर्फ पप्पू के राजनीतिक स्टंट और ड्रॉमें की पोल तब खुल गई जब अब्बा-डब्बा-जब्बा (सोनिया-राहुल-प्रियंका) एक साथ छुट्टी मनाने विदेश निकल गये?

हमारे देश को कतई ऐसा नेता नहीं चाहिए जो ड्रामे और स्टंट करने के बाद थकान उतारने विदेश निकल जाये।

दिल्ली की जनता ने राजनीतिक स्टंट और ड्रॉमेबाजी के लिए केजरीवाल नामक बहरुपिये को पहले ही बुक कर लिया है, अब राहुल गांधी भी वही सब करने लगे हैं। मतलब, केजरीवाल के साथ राहुल की नौटंकी मुफ्त-मुफ्त-मुफ्त...

राहुल गांधी इससे पहले बैंकॉक गये थे और रीचार्ज होकर वापस लौटे तो देश की सरकार पर अनाप-शनाप, ऊल-जुलूल आरोप-प्रत्यारोप की ऐसी राजनीति करने लगे कि लगा उनमें किसी एक्टविस्ट की रुह समा गई है, लेकिन फिर वही ढाक के तीन पात...पप्पू फिर फेल हो गया!

#RahulGandhi #Pappu #Drama #Stunt #Kezriwal #PoliticalDrama #Holiday

सोमवार, 22 जून 2015

भारत और भारतीयता को है मार्डन बुद्धिजीवियों से खतरा?

शिव ओम गुप्ता
ऐसे मार्डन बुद्धिजीवियों की तादाद देश में तेजी से बढ़ती जा रही है, जिन्हें भारतीय इतिहास, संस्कृति, सभ्यता और दर्शन का ढेला तक नहीं मालूम है।

अब ऐसे तथाकथित बुद्धि जीवी जब देश की राजनीतिक और सांस्कृतिक विरासत पर चर्चा करते हैं तो इन पर तरस आता है।

आजकल ऐसे लफ्फूझन्ना टाइप बुद्धिजीवी टीवी न्यूज चैनलों की खिड़कियों पर ऐसे ज्ञान बघारते हैं कि हंसी छूट जाती है।

काश! ये तथाकथित बुद्धि जीवी थोड़ी बहुत भारतीय इतिहास और दर्शन को पढ़ लेते तो अपनी ही संस्कृति और सभ्यता को धर्मनिरेपेक्षता की आड़ बेआबरू नहीं करते।

इनमें टीवी न्यूज चैनलों के तथाकथित एंकर में सर्वाधिक लोकप्रिय हैं, जो ज्ञान बघारने के चक्कर में खुद के वजूद को भी गाली देने से नहीं चूकते ही है।

इनकी चले तो ये भारतीय संस्कृति, सभ्यता और दर्शन को दुनिया का सबसे बेकार और दूषित प्रचारित कर दें।

#Secularism #Indianphilosophy #Indiancivilization #IndianCulture

रविवार, 21 जून 2015

योग डे पर अंतर्राष्ट्रीय भोग डे पर निकला पूरा गांधी परिवार!

एक ओर जहां पूरा देश अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के जश्न में जुटा है, तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पप्पू और मुन्नी (राहुल गांधी और प्रियंका गांधी) को लेकर अंतर्राष्ट्रीय भोग दिवस मनाने विदेशी टूर पर निकल गये हैं।

जिसे भारतीय परंपरा, संस्कृति और महान सभ्यता से प्रेम नहीं है, ऐसे लोगों से ऐसी ही उम्मीद की जा सकती है।

लोग झूठ नहीं कहते कि सोनिया गांधी सिर्फ सत्ता के लिए हैं वरना उन्हें भारत से कुछ नहीं लेना-देना है और इसे आज सोनिया से मय सुबूत साबित भी कर दिया है।

#InternationalYogaDay #SoniaGandhi #RahulGandhi #PriyankaGandhi #Congress

शनिवार, 20 जून 2015

केजरीवाल Vs फर्जीलाल: किस मुंह से अब करते हैं प्रदर्शन?

सुना है आम आदमी पार्टी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के घर के बाहर प्रदर्शन कर रहीं है और उनका इस्तीफा मांग रही है।

हंसी नहीं रुक रही। मतलब सूप तो सूप चलनी भी बोल रही है, जिसमें बहत्तर छेद?

वो पार्टी जिसके कानून मंत्री फर्जी डिग्री लेकर कानून मंत्री बन गये और तमाम शिकायतों के बावजूद पार्टी संयोजक केजरीवाल ने फर्जीलाल को सीने से तब तक लगाये रखा जब दिल्ली पुलिस उठा नहीं ले गई ।

और ये चले हैं दूसरों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने? केजरीवाल तैयार रहना कि दिल्ली पुलिस आती है, क्योंकि 21 विधायकों पर दर्ज चार्जशीट में तुम्हारा नाम भी शुमार है।
लिंक देखें-
http://www.aljazeera.com/news/2015/06/china-bans-ramadan-fasting-muslim-region-150618070016245.html

#Kezriwal #AAP #Protest #SushmaSwaraj #FakeDegree #JitendraTomer #Resgination 

...तो हिंदुस्तान में मुसलमान का नामो-निशान नहीं होता?

उत्तर प्रदेश के कमीना मंत्री आजम खां का कहना है कि अगर भगवान राम होते तो तथाकथित बाबरी मस्जिद नहीं टूटने देते?

खां को यह नहीं पता कि अगर भगवान राम चाहते तो बाबर कभी हिंदुस्तान में नहीं घुस ही पाता और हिंदुस्तान में मुसलमान नाम की कोई चीज नहीं होता?

तो खैर मनाइये खां साहब कि हिंदुस्तान में भगवान राम है, जिससे हिंदुस्तान में आपका अस्तित्व है, क्योंकि हिंदू धर्म नहीं है, जीने का एक तरीका (Way of life) है, जहां सबको अपने मुताबिक जीवन जीने मौका मिलता है।

वरना आप जैसे का हिंदुस्तान में नामो-निशान ही नहीं बचता। ज्यादा दूर जाने की जरुरत नहीं है। पड़ोसी देश चीन, जापान और दक्षिण कोरिया में घूम आइये, पता चल जायेगा कि हिंदुस्तान में राम हैं कि नहीं?

#AjamKhan #UpMinister #LordRam #BabariTomb #Hindu #Hindustan 

शुक्रवार, 19 जून 2015

जयराम रमेश को नहीं मालूम योग की खोज किसने की?

कांग्रेस के कुख्यात बदजुबान नेता जयराम रमेश ने आज फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपनी फस्ट्रेशन निकाल रहे थे।
बोले, " योग का आविष्कार नरेंद्र मोदी नहीं किया?"

सुनकर मतलब हंसी छूट गई! मतलब फस्ट्रेशन में जयराम रमेश जुबान से ही दिमाग से भी पैदल हो गये है।

भाई! जे बात दुनिया को पता है और प्रधानमंत्री ने कब कहा कि उन्होंने योग की स्थापना की है?

हां, प्रधानमंत्री मोदी ने योग को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर जरुर स्थापित कराने का काम किया है, जिससे भारतीय योग और भारत के गौरव में अपार बृद्धि हुई है।

अब यह किसी कांग्रेसी प्रधानमंत्री ने किया और न कर सका, शायद इसी दुख में जयरान रमेश आंय-बांय बक रहे हैं। जयराम रमेश को आसन बताओ भाई!

#Congress #Frustration #JairamRamesh #InternationalYogaDay #PmModi

गुरुवार, 18 जून 2015

आडवाणी ने कांग्रेस, AAP और मीडिया पर हमला किया है!

शिव ओम गुप्ता
मीडिया के लगातार गिरते स्तर और विपक्ष की लगातार बेबुनियादी हो-हल्लों पर शायद बीजेपी के वरिष्ठ नेता #लालकृष्णआडवाणी टिप्पणी करते हुए कहा है कि देश में #इमरजेंसी जैसे हालात से इनकार नहीं किया जा सकता है।

लेकिन मीडिया और विपक्ष अपनी उधड़ चुकी खाल को रंगने के लिए आडवाणी की टिप्पणी को #बीजेपी और #प्रधानमंत्री #नरेंद्रमोदी के खिलाफ बताने की असफल कोशिश कर रहें हैं जबकि आडवाणी ने इशारों-इशारों में मीडिया को समझाने की कोशिश करते हुए इंटरव्यू में कहा है कि हालांकि ऐसे हालात से निपटने में मौजूदा सरकार #परिपक्व है।

लेकिन मीडिया और विपक्ष आडवाणी के बातों को तोड़-मरोड़ कर बीजेपी और मोदी सरकार के खिलाफ पेश करने की कोशिश कर रही हैं, हद है चापलूसी की।

उधर, #आमआदमीपार्टी के नये नवेले नेता #आशुतोष तो चार कदम और आगे निकल गये। बोले, " #मोदीसरकार का रवैया #तानाशाही है और आडवाणी जी ने शायद इसी तरफ इशारा किया है।

मतलब, वो कहावत तो आपने सुनी होगी? "नया धोबी गुदड़ी से साबुन" आशुतोष को शायद याद नहीं है कि पिछले 4 महीने की आम आदमी पार्टी की सरकार ने कानून, #संविधान और देश की तमाम संवैधानिक संस्थाओं के साथ जो खिलवाड़ किया है, वह भारतीय इतिहास में शायद पहली बार हुआ है, जिसकी ओर ही आडवाणी जी का इशारा है।

आम आदमी पार्टी की अराजकतापूर्ण रवैये से देश का कौन सा कोना अनभिज्ञ या अंजान होगा, लेकिन अपने किये पर शर्मसार होने के बजाय आशुतोष जैसे छिछले नेता डपोरशंखों जैसे खींसे निपोर रहें है।

#Adwani #Ashutosh #AAP #Emergency #ModiSarkar #Kezriwal #Congress #RaGa

यह कैसी दोगली राजनीति और पत्रकारिता हो रही है?

जब पाक समर्थित झंडे लहराने वाले देशद्रोही अली शाह गिलानी को मानवीय आधार पर मदद दी जा सकती है, तो ललित मोदी को मानवीय आधार पर दी गई मदद पर छद्म सेकुलर कांग्रेसी और पत्रकार हो-हल्ला क्यों कर रहें हैं?

क्या देशद्रोह से बड़े अपराधी हैं ललित मोदी, जिन पर लगे आर्थिक अपराध के चार्ज अभी महज आरोप है और जिसे अभी साबित होना बाकी है।

हमारे देश में यह कैसी दोगली राजनीति और पत्रकारिता हो रही है। ऐसे तथाकथित मूर्धन्य नेताओं और पत्रकारों  को तो चुल्लू भर पानी में शर्म से डूब मरना चाहिए।

#LalitModi #SushmaSwaraj #AliShahGilani #WavedPakistaniFlag #Sedition #EconomicCrime #Media #Congress #RahulGandhi #PseudoSecularism 

बुधवार, 17 जून 2015

टट्टू बनकर रह गयी हैं पत्रकारिता और पत्रकार!

शिव ओम गुप्ता
"निकले थे हरि भजन को ओटन लगे कपास" आज के दौर की पत्रकारिता और पत्रकारों की दशा-दिशा को यह दोहा बढ़िया से परिभाषित करती है।

घर से निकलकर पत्रकारिता करने निकले युवा आज देश के चौथे स्तंभ को मजबूत करने में सहभागी तो बनना चाहते हैं, लेकिन पत्रकारिता के दौर ए जहन्नुम में न्यूज चैनल, न्यूज पेपर और न्यूज बेवसाइट की संपादकीय विभाग की बैठकें अब खबरों की चर्चा कम टीआरपी, सर्कुलेशन और हिटिंग की चर्चा में मशगूल है, जहां जनहित मुद्दे गौड़ और कमाई, चापलूसी ज्यादा अह्म और प्राथमिक हो चली है।

संपादकीय बैठक में अब इस बात की चर्चा नाम मात्र की होने लगी है कि कौन सी खबर छूट गई है, बल्कि सर्वाधिक चर्चा इस बात की होती है कि सर्वाधिक टीआरपी, सर्कुलेशन और हिट दिलाने वाली खबर कौन सी है?

कांग्रेसी झूठ और मीडिया दुष्प्रचार की निष्पक्षता पर उठ रहे हैं सवाल ?

शिव ओम गुप्ता
कांग्रेस प्रवक्ताओं में एक से एक ऐसे झूठे प्रवक्ताओं की फौज जमा है कि सच और ईमानदारी शरमा जाये!

संजय झा, रागिनी नायक, अजय कुमार, राशिद अल्वी, शकील अहमद, दिग्विजय सिंह, सरिता बहुगुणा, पूनावाला बंधु, मीम अफजल और आलोक शर्मा जैसे प्रवक्ताओं का झुंड दिनभर टीवी न्यूज चैनलों पर पानी पी पी कर झूठ और दुष्प्रचार करते है।

कहा भी गया है कि झूठ के सिर पैर नहीं होते हैं और झूठ की आवाज भी बहुत बुलंद होते है और जिन्हें झूठ का ही व्यापार करना आता है वे छाती ठोक कर ऐसे झूठ बोलते हैं कि सच सामने होते हुए झूठ प्रभावी और प्रभावित कर जाता है।

शायद यही कारण है कि कांग्रेस क्षणिक ही सही, लेकिन झूठ और दुष्प्रचार से चेहरे चमका रही है पर कांग्रेसी भूल रहें हैं कि सच की रोशनी में झूठ के बादल फटते ही नहीं जाते, झूठ बोलने वालों के मुंह काले हो जाते हैं।

हालांकि कांग्रेस के प्रवक्ताओं को बेल ट्रेंड लॉयर की डिग्री मिली हुई लगती है, क्योंकि ऐसा कई बार हुआ है जब टीवी चैनलों पर सफेद झूठ बोल चुके उपरोक्त प्रवक्ताओं के चेहरे शर्म से सफेद पड़ गये हैं, लेकिन ट्रेनिंग तो ट्रेनिंग होती है, ये फिर दूसरे दिन मुंह धोकर एक नया झूठ लेकर पहुंच जाते हैं।

उदाहरण चाहिए, क्योंकि बिना उदाहरण बात हजम नहीं होती है। यूपीए कार्यकाल में हुए कोल ब्लॉक, 2जी स्पैक्ट्रम, रॉबर्ट वाड्रा जमीन सौदा और कॉमनवेल्थ घोटाले को कांग्रेस के इन्हीं प्रवक्ताओं ने जीरो लॉस की थ्योरी बताकर झूठ का पुलिंदा बतलाया था, लेकिन आज सच्चाई सबके सामने आ चुका है।

क्या डी राजा, क्या मनमोहन सिंह, क्या श्रीप्रकाश जायसवाल, क्या कनिमोझी, क्या रॉबर्ट वाड्रा और क्या शीला दीक्षित सबकी पोल खुल गई। इनके साथ ही उपरोक्त इन सभी कांग्रेसी प्रवक्ताओं की पोल खुल गई, जे छाती ठोक कर टीवी पर सफेद झूठ बोलते थे।

क्या ललित मोदी को लेकर ऐसे कांग्रेसी प्रवक्ताओं के हो-हल्ला, झूठ और दुष्प्रचार पर कोई भरोसा कर सकता है, जिन्होंने यूपीए शासनकाल में हुए अरबों-खरबों के घोटाले को जीरो लॉस थ्योरी से झुठलाने की कोशिश की थी।

और मीडिया का सच अब किसी से छिपा हुआ नहीं है। क्या बरखा दत्त, क्या राजदीप सरदेसाई, क्या आशुतोष, क्या शेखर गुप्ता और पुण्य प्रसून बाजपेयी? और भी कई धुरंधर हैं, कहा जाये तो हमाम में सारे नंगे हैं!

उपरोक्त सभी धुरंधर कहे जाने वाले कालजई पत्रकारों की सच्चाई किसी से छिपी नहीं है, क्योंकि उपरोक्त सभी टीवी पर पत्रकारिता छोड़, बाकी सब कुछ करते हैं और मार्केट और ज्यादा पैसे कमाने के लिए ईमान बेंचकर ऐजेंडा सेट करने की कोशिश करते हैं।

 और तुर्रा यह कि चाहते है कि सभी इनके दिखाये सच पर भरोसा भी कर लें। हालांकि अधिकांश दर्शक इनके झूठ और दुष्प्रचार से प्रभावित हो भी जाते है और बिना क्रॉस चेक किये क्रांतिकारी बन जाते हैं।

राजदीप सरदेसाई (कैश फॉर वोट), बरखा दत्त (कैश फॉर वोट) आशुतोष (केजरीवाल आंदोलन ), शेखर गुप्ता (गुजरात दंगा-भ्रामक रिपोर्टिंग) और पुण्य प्रसून बाजेपेयी (केजरीवाल लाइव स्टूडियो ) जैसे प्रकरण इनकी निष्पक्षता पर दाग लगा चुके है।
#Congress #Truth #Media #Biased #Reporting #TVMedia #RahulGandi #Coalgate #2GScam

सोमवार, 15 जून 2015

राहुल गांधी के बाद अब लोग कांग्रेस को भी सुनना बंद कर देंगे?

शिव ओम गुप्ता
पहले लोग राहुल गांधी उर्फ पप्पू की बातों पर ध्यान नहीं देते थे, अब लगता है लोग कांग्रेस की बातों पर अहमियत देना छोड़ देंगे, किसके पास फालतू समय है कांग्रेस के निजी फस्ट्रेशन और सियासी सफेद झूठ के लिए? 

कोई जनहित की बात करें तो कोई सुने भी, लेकिन कांग्रेस डिफीट सिंड्रोम और मोदी फोबिया से ऐसी ग्रस्त है कि हवा से पत्ता भी हिलता है तो मोदी-मोदी की माला जपना शुरू लगते हैं, अब इसका क्या इलाज है?

कांग्रेस भूल रही है कि कांग्रेस की दामन पर इतना दाग है कि अब उसे अगर इटली और फ्रांस में भी ड्राई क्लिनिंग करवाने के लिए भेजेंगे तो दाग नहीं जायेंगे, वो दाग जिसके कारण देश की जनता ने कांग्रेस को देश निकाला दे दिया है।

कांग्रेसी लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद लगातार ऐसे मुद्दों पर लोगों का ध्यान खींचने की कोशिश की है, जिसका जनता का हित नाममात्र भी नहीं है।

याद कीजिये राहुल गांधी और कांग्रेसियों ने किसानों के बहाने सिर्फ अपनी निजी लड़ाई लड़ी है, जबकि कांग्रेसी दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने हरियाणा और राजस्थान की जमीनें तत्कालीन कांग्रेस नीत राज्य सरकारों से मिलीभगत करके कौड़ी के भाव में खरीद कर करोड़ों रुपये बनाये और अब ये चले हैं देश को ईमानदारी की नई परिभाषा बताने गढ़ने?

कांग्रेस को भूलना नहीं चाहिए कि  देश आज भी यह जानना चाहता है कि राहुल गांधी कब ये देश को बतायेंगे कि कैसे 10वीं पास रॉबर्ट वाड्रा ने 10 लाख से 335 करोड़ की प्रॉपर्टी बना ली?

#RahulGandhi #Pappu #Congress #DefeatSymdrome #Modifobia #LalitModi #SushmaSwaraj

डिफीट सिंड्रोम से आहत कांग्रेस को है सिर्फ झूठ का सहारा!

ये कांग्रेसी नेता ऐसे बहके और बौराये से फिर रहें हैं जैसे मरुस्थल में प्यासे लोग मृग-मारीचिका के शिकार हो जाते हैं और रेत को पानी समझ बैठते है।

ललित मोदी और सुषमा स्वराज के मुद्दे को रबड़ की तरह ऐसे खींच रहें हैं जैसे कोई लाठी से पानी को फाड़ने की कोशिश कर रहा है।

भाई कभी पानी को फटते देखा है, लेकिन मूर्ख कांग्रेसी नेता फिर भी अड़े हैं कि फाड़ के ही रहेंगे?

ऐसा लगता है कि कांग्रेसी नेताओं का फस्ट्रेशन चरम पर पहुंच गया है, इसलिए हवा में चवन्नी उछाल रहे हैं कि शायद चवन्नी खड़ी हो जाये और लोग उनके झूठ और दुष्प्रचार पर नाक-कान दे दें!

कांग्रेसियों, हद कर दी है आपने! सोचो, झूठ की उम्र बहुत छोटी होती हैं और हल्ला वहीं ज्यादा करता है जो कुतर्की और बेईमान होता है?
#Congress #DefeatSyndrome #LalitModi #SushmaSwaraj #ModiSyndrome 

रविवार, 14 जून 2015

हार से हताश कांग्रेस ललित मोदी केस में फैला रही है दुष्प्रचार!

शिव ओम गुप्ता
कांग्रेस को शर्म आनी चाहिए, जो ललित मोदी के बहाने हार का फस्ट्रेशन दिखाने की कोशिश कर रही है।

और वे कांग्रेसी मामले में दुष्प्रचार फैलाने की कोशिश कर रहें हैं जिन्होंने #पुरुलिया में हथियार गिराने वाला कांड के दोषी #किमडेवी ( नील क्रिश्टियन निल्सन) को डेनमार्क सुरक्षित वापस भिजवा दिया और बोफोर्स टैंक घोटाले में दलाली करने वाले #ओटावियोक्वात्रोची को सुरक्षित इटली जाने दिया और #भोपालगैसत्रासदी में हजारों की जान लेने वाले यूनियन कार्बाइड चीफ #वॉरेनएंडरसन को भी देश से बाहर जाने के लिए खुला छोड़ दिया!

मुद्दों की कंगाली से जूझ रहे कांग्रेसी दिमागी दिवालियेपन की ऐसी शिकार हो गई है कि मानवीय आधार पर ललित मोदी की पत्नी के इलाज के लिए किये गये विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की मदद में भी उन्हें मुद्दा नजर आ रहा है।

परंपरा रही है कि अपराधी के अपराध के लिए उसके पूरे परिवार को अपराधी नहीं ठहराया जाता है और विदेश मामले का मंत्री  कैंसर पीड़ित के इलाज के लिए किसी भारतीय पति की पुकार को कैसा अनदेखा कर सकता था ?

कांग्रेस को ऐसे मुद्दों पर हाथ उठाना चाहिए, जिसमें राजनीतिक स्टंट नहीं, जनहित जुड़ा हुआ हो? क्योंकि ललित मोदी की पत्नी के इलाज के लिए पुर्तगाल भेजने के लिए सुषमा स्वराज द्वारा लंदन से अनुरोध करना एक मानवीय पक्ष है, जिसकी सराहना की जानी चाहिए।

कांग्रेस को अपने पक्ष की दोबारा जांच करनी चाहिए और शर्म से डूब मरना चाहिए, क्योंकि मानवीय सरोकार के लिए सबसे पहले इंसान होना जरुरी है और कभी भी बाप के अपराध के लिए बेटे को या पत्नी को सजा सुनाई जाती है क्या?

कांग्रेस को मालूम होना चाहिए कि ललित मोदी अगर 700 करोड़ रुपये के मनी लॉंडंरिंग के आरोपी हैं तो कांग्रेस नीत यूपीए सरकार के सत्ता में रहते ललित मोदी देश छोड़कर कैसे भाग गया और मनमोहन सरकार ने कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया? बात करते हैं!

लगता है कांग्रेसी लोकसभा और कई विधानसभा चुनाव हारने के बाद दिमागी संतुलन खो चुके हैं? किसी भी मुद्दे पर तंबु गाड़कर बैठ जाते हैं और केजरीवाल जैसी हरकतें करने लगते हैं।

सोनियाजी राहुल गांधी की लॉंचिंग छोडिये, कांग्रेस की सोचिये?

शिव ओम गुप्ता
कांग्रेस लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक हार के बाद अब तक किसी ऐसे मुद्दे पर उस जनता को आकर्षित करने में असफल रही है, जिसने उसे लोकसभा चुनावों 44 सीटों और दिल्ली विधानसभा चुनाव में 00 पर समेट दिया था।

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, जिन्हें एक संदेश लिखने के लिए भी नकल की जरूरत पड़ती है, उन्हें कांग्रेसी भारत भ्रमण करवा कर स्क्रिप्टेड भाषण करवा रही है ताकि बेरोजगार और कुंवारे शहजादे की नौकरी और छोकरी का जुगाड़ हो सके।

कांग्रेस की समस्या है कि वह गांधी परिवार से इतर कोई कांग्रेस से जुड़ा नेता काबिल दिखता ही नही है और ऐसे बैल को जबरन हल से बांधना चाहते हैं जो खेत जोतना तो छोड़ों, खूंटे से भी बंधना नहीं चाहता है।

राहुल गांधी होंगे काबिल, लेकिन कम से कम राजनीति के काबिल तो बिलकुल नहीं है। मां सोनिया गांधी राहुल के साथ टिपिकल पैरेंट्स की तरह व्यवहार कर रहीं है, जहां पैरेंट्स बच्चों को डाक्टर और इंजीनियर बनाने की जिद में बच्चों की जिंदगी बर्बाद कर देते है। राहुल गांधी बर्बाद ही हुआ जा रहा है। अरे भाई लौंडा 50 का हुआ जा रहा है, कब होगी उसकी शादी?

राहुल गांधी को ऐसे दौड़ में क्यों शामिल किया जा रहा है ये तो आसानी से कोई भी समझ सकता है, लेकिन कांग्रेस को राहुल गांधी के चक्कर में असामयिक मौत क्यों करवाई जा रही है, यह समझ से परे है।

राहुल गांधी की नेतृत्व में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली, झारखंड, मध्य  प्रदेश और छत्तीसगढ विधानसभा चुनाव में सत्ता गवीं चुकी है।

ऐसा लगता है कांग्रेस और कांग्रेसी नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में भस्म होने को अभिसप्त है। यह ठीक वैसे है, जैसे दूल्हे को जबरन घोड़ी पक बिठा दिया गया है और बाराता न केवल घोड़ी के साथ चलने को मजबूर हैं बल्कि नाचते-गाते चलने को भी मजबूर हैं ।

इसका नमूना किसी भी गैर गांधी परिवार के छोटे-बड़े नेताओं के चेहरे पर देखा जा सकता है। बात चाहे कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की करें या गुलाब नबी आजाद की, जिनकी गिनती कांग्रेस के काफी शांतिप्रिय और संजीदा नेताओं में होती है, वे आज किसी भी मुद्दे पर बयान देते वक्त फस्ट्रेट नजर आते हैं।

हम यहां उन कांग्रेसी नेताओं की फस्ट्रेशन की चर्चा जरूरी नहीं है जो हमेशा फस्ट्रेशन में बयान देते हैं । इनमें मनीष तिवारी, शकील अहमद, राशिद अल्वी, संजय झा और सुरजेवाला जैसे कुख्यात नेता शामिल हैं।

राहुल गांधी पूरे पांच साल कितनी भी प्रायोजित इमेज बिल्डिंग यात्रा कर लें, लेकिन परिणाम हमेशा जीरो ही निकलेगा, क्योंकि राहुल गांधी जब लोगों से मिलते हैं तो लगता है किसी मिशन पर निकले हैं और स्क्रिप्ट पढ़ रहें हैं।  उनके मुंह से निकली बात बनावटी और नकली लगती है, जिसका असर टीवी चर्चा और न्यूजपेपर की सुर्खियों में भी अधिक देर जिंदा नहीं रह पाती है।

तो सोनिया जी राहुल गांधी की लांचिंग छोडिये और कांग्रेस की रीलांचिंग के बारे में सोचिये, क्योंकि एक बेहतर लोकतांत्रिक ढांचे के लिए एक बेहतर सरकार के साथ-साथ देश को एक बेहतर विपक्ष भी चाहिए, जो राहुल गांधी बिलकुल नहीं हैं।

तो सोनिया जी पुत्रमोह को छोड़िये और कांग्रेस को बचाने के लिए गांधी परिवार से इतर सोचना जरूरी है, क्योंकि कांग्रेस में अच्छे नेताओं की कमी नहीं है, जो आपकी डायनेस्टी पॉलिटिक्स में उभर नहीं पा रहें हैं।
RahulGandhi #Dynasty #Congress #Opposition #Democracy 

शनिवार, 13 जून 2015

अग्निपरीक्षा से एक महिला को ही गुजरना पड़ता है?

शिव ओम गुप्ता
मैं उन दिनों दिल्ली के सर्वोदय एनक्लेव में रहता था। एक मोहतरमा आईं और मेरी ही बिल्डिंग में मेरे ही पड़ोस के कमरे में शिफ्ट हों गईं।

उनकी अक्ल का पता नहीं पर मोहतरमा शक्ल से बेहद आकर्षक व सुंदर थीं, लेकिन शादीशुदा थी। नई-नई शादी हुई थी शायद?

पतिदेव दिल्ली में ही किसी प्राईवेट कंपनी में कार्यरत थे और मोहतरमा भी नौकरी तलाश रहीं थीं, ऐसा उनकी हाव-भाव और अदा और अंदाज से साफ मालूम पड़ जाता था। दोनों साथ-साथ  मेरे ही पड़ोस के कमरे में शिफ्ट हुए थे।

जो लोग मुझे जानते हैं, वो अच्छी तरह से जानते हैं कि मैं अजनबियों से घुलने-मिलने में बहुत ही समय लेता हूं, अब वो चाहे लड़की हो या लड़का, कोई फर्क नहीं पड़ता, मतलब कोई जेंडर भेदभाव नहीं!

उस दरम्यान कई बार ऑफिस को निकलते और ऑफिस से वापस आते वक्त हम एक दूसरे से बात भले ही नहीं करते थे मगर नजरों से सवाल-जबाव हो जाया करते थे, लेकिन मौखिक  बातचीत बिल्कुल नही?

न उन्होंने कभी पहल की और मैं तो पहल करता ही नहीं, चाहे एक नहीं, कई बरस बीत जाये। खैर एक महीने के अंतराल बाद एक दिन मोहतरमा ने सुबह-सुबह ही मेरे दरवाजे पर दस्तक दिया!

मैं अमूमन दरवाजे पर दस्तक को पसंद नहीं करता हूं, इसीलिए मकान मालिक को रुम रेंट वक्त से पहले दे आता हूं। फिर भी अगर कोई दरवाजा पीटता है तो बिना दरवाजा खोले ही निपटाने की कोशिश करता हूं ।

खट-खट की आवाज कई बार आई तो पूछ बैठा, " कौन?
आवाज आई , "मैं...मैं आपके पड़ोस में रहती हूं। मैंने दरवाजा खोला तो देखा सामने पड़ोस वाली मोहतरमा खड़ी थीं और मुझसे मेरा मोबाइल फोन मांग रहीं थी। शायद कोई एमरजेंसी कॉल करना था उनको?

उन्होंने बताया कि उनका फोन काम नहीं कर रहा है और उन्हें जरूरी कॉल करना है? मैंने फोन उठाकर दिया, लेकिन मोहतरमा को मेरे सामने ही बात करनेे की छूट दी और बात खत्म होते ही और जैसे ही उन्होंने फोन वापस दिया, मैंने दरवाजा बंद कर लिया।

यह बात आई-गई हो गई और इस बात को कुल 3 महीने बीत गये! न उन्होंने शुक्रिया कहा और न मैंने धन्यवाद किया!

मैं ऐसा ही हूं। जबरदस्ती के रिश्तों में जुड़ना पसंद नहीं है, क्योंकि आजकल के रिश्ते बहुआयामी हो गये हैं, लोग भैय्या बोलकर जिंदगी की नैया तक डूबो देते हैं, लेकिन मेरी आदत बुरी है, यह अवसर न मैं लेता हूं और न ही किसी को देना पसंद करता हूं।

वीकेंड में एक बार फिर मोहतरमा ने दरवाजा खटखटाया और अंदर से बाहर आया और दरवाजा खोला तो सामने मोहतरमा खड़ी थी।

मोहतरमा मुझसे फिर कुछ मांगने की इच्छा लेकर आईं थी, लेकिन इस बार लगा लक्ष्य भिन्न था। वो मेरे फ्लैट के अंदर की रखी व्यवस्थित चीजों को बड़े कौतुहल से लगभग घूरते हुये देख रहीं थी।

और फिर एकाएक मोहतरमा ने एक साथ दो सवाल उछाल दिये, " आप अकेले रहते हैं? आप क्या करते हैं?

परिचय पूरी होेने के बाद मोहतरमा वापस चलीं गईं और मैंने दरवाजा फिर पीटकर बंद कर लिया।

नि:संदेह मोहतरमा ने पूरे 6 महीने तक एक ही बिल्डिंग में पड़ोस में रहते हुये मेरे बारे में खूब रिसर्च कर लिया था और मुझसे किसी भी प्रकार की खतरे की आशंका और संभावना नहीं होने के प्रति आश्वश्त थीं?

अब आते-जाते, उठते-बैठते मोहतरमा से संवाद शुरु होने लगा और उनके पतिदेव भी मुझसे बातचीत करने की कोशिश करने लगे। हालांकि पतिदेव भी शुरू में संवाद में आशंकित ही रहे।

स्थिति यह हो गई कि अब मेरी टीवी और फ्रिज आधी उनकी हो गई थी और मैं भी अब दरवाजे बंद करना भूल जाता था, क्योंकि मोहतरमा जब चाहे दरवाजा खटखटाने की आदी हो गईं थी।

मैं भी खुश था वीकेंड पर दिन अच्छा गुजरने लगा था। क्योंकि वीकेंड महसूस करने के लिए मल्टीप्लेक्स में घटिया फिल्मों का अनावश्यक फस्ट्रेशन बंद हो गया था।

मोहतरमा भी खुश थीं, मैं भी खुश था और मोहतरमा के पतिदेव भी खुश थे और हम एक परिवार की तरह अगले 3 महीने रहे, बस मेरे और महिला के रिश्ते परिभाषित नहीं थे, जिसको लेकर उनके पतिदेव तो कभी-कभी मोहतरमा भी हिचक जाती थीं!

एक दिन अचानक फ्रिज से दूध निकालते समय मोहतरमा ने बात छेड़ने की अंदाज में न चाहते हुये बोलीं, "आपको मैं भैय्या बोलूं तो बुरा तो नहीं लगेगा?

मैं सवाल सुनकर बेचैन नहीं हुआ और उल्टा पूछ बैठा, क्यों क्या हुआ? पतिदेव ने कुछ कहा क्या?

मोहतरमा मुस्कराई और बोली, "नहीं ऐसा कुछ नहीं है, फिर भी अगर...मतलब हम भाई-बहन ही हुये न?

मैं गहरे सोच में पड़ गया? मोहतरमा जाने को हुईं तो मैंने रोक लिया। तुम कहती तो ठीक है, लेकिन ये आज तुम्हें क्यों सूझी?

मैंने आगे कहा, "तुम्हें रिश्ते को नाम देना है तो दे दो, मुझे कोई आपत्ति नहीं है पर हम हमारे रिश्ते को दोस्ती भी तो कह सकते हैं, जिसमें भाई-बहन जैसी ही मर्यादा है और आगे भी रह सकती है।"

मोहतरमा अवाक थीं पर बेचैन नहीं! वे कुछ देर चुप रहीं और फिर बोली, " पर मेरा नाम तो आपको नहीं मालूम है?

मैं मुस्करा पड़ा और मोहतरमा वापस चलीं गईं। अब हम एक दूसरे को नाम से पुकारने लगे, न दीदी और न भैय्या?

मेरी पड़ोसन तो मुझसे भी वृहद सोच और नजरिये की महिला निकली और मैं समझता था कि एक महिला की दुनिया सामाजिक सरोकारों वाली रिश्तों तक ही सिमटी रहती है। लेकिन ऐसे बहुत कम लोग हैं जो नाम से इतर जहीनी रिश्तों से जुड़ने की कोशिश कर पाते हैं।

क्योंकि "एक लड़की और एक लड़का कभी दोस्त नहीं हो सकते?" जैसे जुमले महिला और पुरुष की दोस्ती की परिभाषा को कभी मर्यादित परिभाषित ही नहीं कर सकते?

इस बीच एक महीने सब कुछ ठीक रहा, लेकिन एक महीने बाद ही मोहतरमा पतिदेव के साथ गुड़गांव शिफ्ट कर गईं और सवाल छोड़ गईं कि पुरुष से महिला की दोस्ती कितनी ही मर्यादित क्यों न हो पर अग्नि परीक्षा से एक महिला को ही गुजरना पड़ता है।

....रिश्तों को शायद एक अदद सारगर्भित नाम की जरूरत होती है और बिना नाम के रिश्ते हमारे समाज में बेगानी और बेमानी होते हैं?

क्योंकि ऐसे रिश्तों का कोई वजूद नहीं है, जहां एक लड़का और लड़की सिर्फ दोस्त हों? और ऐसे रिश्ते भाई-बहन, ब्वॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड के खांचे से इतर भी स्वीकार्य और सम्मानित हो?

शायद इसीलिए... बदलते परिवेश और जीवन शैली में हमारे पुरातन समाजिक ताने-बाने में दरार उभरने लगे हैं, जहां आये दिन अवांछित रिश्ते अखबारों की सुर्खियां बनती हैं।

क्योंकि हमारे सामाजिक रिश्तों में दोस्ती कम, मजबूरी अधिक होती हैं, जिसमें इंसान छटपटाता है और बस छटपटाता है....

Women Men Relationship 

केजरीवाल एंड पार्टी के दिन लद चुके, दिल्ली हुई खिलाफ!

शिव ओम गुप्ता
पिछले 12 दिनों से हड़ताल पर बैठे दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों के वेतन नहीं देकर राजनीति करने वाली केजरीवाल एंड पार्टी के खिलाफ दिल्ली की जनता अब लामबंद होने लगी है।

दिल्ली नगर निगम कर्मचारियों को 15 जून तक वेतन देने के हाईकोर्ट आदेश के बाद मजबूरन शुक्रवार, 12 जून को 493 करोड़ रिलीज करने पड़े वरना केजरीवाल की राजनीति कब रुकती कहां नहीं कहा जा सकता है।

क्योंकि केजरीवाल की राजनीतिक हथकंडे इतने घिनौने और अमानवीय है, जिसके उदाहरण भारतीय राजनीतिक इतिहास में ढूंढने से नहीं मिलेंगे! हड़ताल खत्म होने के बाद कमीने झाडूं लेकर निकल पड़े लीपापोती करने ताकि आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति कर सके। इन्हें तो जनता को उन्हीं की झांडू से मारकर हर जगह से भगाना चाहिए था!

कौन भूल सकता है दिल्ली के जंतर-मंतर की वह घटना जब किसान राजनीति में हाथ धोने के लिए केजरीवाल एंड पार्टी ने एक राजस्थान के किसान गजेंद्र सिंह को सूली पर चढ़ा दिया!

केजरीवाल एंड पार्टी को समझना होगा कि सिर्फ आम आदमी पार्टी नाम रख लेने से आम आदमी का भला नहीं हो जायेगा, बल्कि आम आदमी की तरह दिखना और व्यवहार भी करना होगा।

लेकिन केजरीवाल एंड पार्टी जब से दिल्ली में 67 सीटें जीतकर आई है तब से इनका अहंकार इतना बढ़ गया है कि जनता ही नहीं, भारतीय संविधान, चुनाव आयोग, हाईकोर्ट और सभी संवैधानिक संस्थाओं को आंखें दिखाने लगी हैं।

केजरीवाल की समस्या है कि वे समझते हैं कि जो कुछ वो कह रहें हैं और कर रहें हैं उसको बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ मढ़कर आगे निकल जायेंगे, लेकिन शनिवार 13 जून को दिल्ली के कृष्णानगर विधानसभा से विधायक को वहां की जनता ने जिस तरह से विरोध किया और वहां से भगा दिया, वह काफी कुछ कहता है।

केजरीवाल के लिए यह एक संकेत मात्र है, वे अब नहीं समझे तो वह दिन दूर नहीं जब दिल्ली के प्रत्येक कोने से दिल्ली की जनता अपने ही चुने सभी आप विधायकों को देखते ही डंडा लेकर दौड़ेगी।

केजरीवाल को समझना होगा कि सरकारी अफसर नहीं जो हुक्म चलायेंगे और कोई कुछ नहीं कहेगा। अफसरशाही और राजनेता में बड़ा फर्क है और केजरीवाल एंड पार्टी इस फर्क को जितना जल्दी समझ जायें दिल्ली और उनकी पार्टी दोनों के लिए उतना ही अच्छा है।
#Kezriwal #AAP #DelhiCM #DelhiMCD #Strike #JITENDRATomer

शुक्रवार, 12 जून 2015

राहुल गांधी आग में घी डाल आये, बोले शक्ति दिखाओ?

राहुल गांधी पिछले12 दिनों से हड़ताल पर गये पूर्वी दिल्ली नगर निगम को ढांढस बंधाने गये थे, लेकिन वे आग में घी डाल आकर गये!

#राहुलगांधी बोले, "आप सब को अपनी शक्ति दिखानी होगी और मुझसे कहेंगे तो मैं आपके धरने में घंटे दो घंटे बैठूंगा?"

भला हो दिल्ली के उप-राज्यपाल नजीब जंग का, जिन्होंने 493 करोड़ रुपये निगम कर्मचारियों के लिए जारी कर दिये, जिससे अब कर्मचारी 3 माह के वेतन पा सकेंगे?
#RahulGandhi #DelhiMCD #Strike #Garbage #Congress 

बीजेपी की साजिश बताकर छाती पीटने वाले कहां छुप गये?

सुना है केजरीवाल मे जीतेंद्र सिंह तोमर फर्जी डिग्री मामले को पार्टी के आंतरिक लोकपाल को भेजे हैं? तो इससे पहले कौन से लोकपाल को जांच को लिए थे, जिसने तोमर को क्लीन चिट दे दी थी। क्या नौटंकी है यार!

2 दिन पहले तो पार्टी के नेता आशुतोष और कुमार विश्वास तोमर के साथ खड़े थे और तोमर के साथ खड़ी होकर छाती पीट रही थी कि बीजेपी घबड़ा गई है और तोमर के खिलाफ साजिश कर रही है?

फर्जी डिग्री की छोड़ो, तुम्हार ट्रिपल लेयर शुद्ध विधायक जीतेंद्र सिंह तोमर तो आरटीआई भी फर्जी बना लाया था केजरीवाल बाबू?

चुनाव से पहले उम्मीदवार चुनने में बड़ी साफ-सफाई और शुचिता का हवाला देकर चोरों और फ्रॉड को टिकट दे दिया और अब बुरी तरह से बेज्जत होने के बाद तोमर से पीछा छुड़ाने के लिए आंतरिक लोकपाल से दोबारा जांच की कहानी बना रहे हो?

याद रखिये? एक तोमर ही फर्जी नहीं है, कई फर्जी डिग्री और चरित्र वाले विधायक हैं तुम्हारी टोली में! दूसरों की छोड़ों हमें तो केजरीवाल साहब आपका भी चरित्र फर्जी लगता है।

मुंह में कुछ और काम कुछ और? दिल्ली की जनता को अच्छा-अच्छा बताकर तुमने जो कच्छा पहनाया है? वो कच्छा दिल्ली की जनता न पहन पा रही है और न उतार पा रही है!

भगवान जाने! क्या होगा अब तो यही सोचकर दिल घबराता है, क्योंकि दिल्लीवालों ने ऐसा क्रांतिकारी कदम उठाया है कि दिल और दिमाग तुम्हारी लीला देखकर भन्नाता है।

और अभी तो और सूरमाओं की जांच होनी बाकी है, जिनमें विधायक कंमाडो सुरेंद्र की फर्जी डिग्री और राखी बिड़लान के स्ट्रीटलाइट घोटाले चर्चा है।

अच्छा होगा कि इनकी जांच भी पार्टी आंतरिक लोकपाल को सौंप दीजिये वरना इन्हें दिल्ली पुलिस उठाकर ले जायेगी और आशुतोष, संजय सिंह, कपिल मिश्रा और कुमार विश्वास टाइप के क्रांतिकारी नेता छाती पीटेंगे और कहेंगे यह सब बीजेपी की साजिश है?

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #JitendraTomer #FakeDegree #DelhiPolice 

बुधवार, 10 जून 2015

दिल्ली को फर्जी डिग्री धारी कानून मंत्री क्यों मिलते है?

दिल्ली को अभी तक दो ऐसे कानून मंत्री मिले हैं, जिनकी डिग्रियां जाली होने का आरोप लग चुका है।

केजरीवाल के पहले कानून मंत्री सोमनाथ भारती की एलएलबी की डिग्री पर भी जाली होने का आरोप लगा और दूसरे कानून मंत्री जीतेंद्र सिंह तोमर तो फर्जी डिग्री को रैकेटियर निकले?

और अब सुना है कि केजरीवाल अब और कानून मंत्री लेकर आ रहें हैं, जिनका नाम है कपिल मिश्रा। केजरीवाल ने इनकी डिग्री देखी है या नहीं, मालूम नहीं?

लेकिन केजरीवाल ने नये प्रस्तावित कानून मंत्री कपिल मिश्रा की बदजुबानी काफी कुख्यात है, जो कब क्या बोलेंगे कुछ पता नहीं।

अब ऐसा आदमी कानून मंत्री बनेगा तो क्या हाल होगा? इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। क्या केजरीवाल के पास कोई साफ- सुथरा और जहनी-जानकार विधायक चुनकर नहीं आया है जो कानून मंत्री का ओहदा संभालने लायक हो?

ताजा खबर है कि केजरीवाल के पिछले कानून मंत्री सोमनाथ भारती तो पत्नी पीटू (प्रताड़ित ) भी निकले। सोमनाथ की पत्नी लिपिका आज गुहार लगाते हुए दिल्ली महिला आयोग पहुंची और पति पर पिछले 4-5 साल मारपीट करने का आरोप लगाया है।

#DelhiLawMinister #SomnathBharti #JitendraTomer #Kezriwal #AAP #KapilMishra 

कैसे बेहया, बेशर्म और निर्लज्ज हैं केजरीवाल एंड पार्टी?

पूर्व कानून मंत्री जीतेंद्र सिंह तोमर की फर्जी डिग्री को लेकर अब कोई भी शक और सुबहा नहीं रह गया है बावजूद इसके पार्टी रसातल की ऐसी खाई में गिर रही है कि अस्तित्व पर खतरा आ सकता है।

सुना है पार्टी प्रबुद्ध नेताओं ने दिल्ली सेशंस कोर्ट में कानून मंत्री जीतेंद्र सिंह तोमर की गिरफ्तारी के विरोध में चुनौती दी है।

कहते हैं कि ईश्वर जब खिलाफ होता है तो बुद्धि पहले छीन लेता है। ऐसा लगता है केजरीवाल एंड पार्टी की बुद्धि भी पूरी तरह से भ्रष्ट हो चुकी है वरना एक के बाद मूर्खता नहीं कर रहें होते?

अभी-अभी सुना है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने भी केजरीवाल जोर का झटका दे दिया है। हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय की नोटिफिकेशन को सही करार दिया है और दिल्ली एसीबी को केंद्रीय कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के अधिकार को अनुचित करार दिया है।

कहीं तो रुक जाओ केजरीवाल? तुम्हें दिल्ली की जनता ने तुम्हारे निजी अह्म की लड़ाई के लिए नहीं चुना था? अब तो बाज आओ? कहीं देर न हो जाये और दिल्ली की जनता जूते और अंडे फेंकने को मजबूर हो जाये?

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #JitendraTomer #LG #ACB #NajeebJung

4 दिन पुलिस रिमांड के बाद मंत्रीजी को याद आई नैतिकता?

पिछले 4 महीने तक दिल्ली के कानून मंत्री #जीतेंद्रसिंहतोमर को #नैतिकता की याद नहीं आई और आज जब दिल्ली पुलिस ने पकड़कर गिरफ्तारी कर ली और कोर्ट ने सुबूतों के आधार पर पुलिस रिमांड पर 4 दिनों के लिए भेज दिया तो नैतिकता याद आ गई?

क्या यही है केजरीवाल एंड पार्टी की राजनीतिक शुचिता और नैतिकता, जिसकी दुहाई देकर दिल्ली की जनता को मूर्ख बनाया था?

हद है मक्कारी की। जीतेंद्र सिंह तोमर की गिरफ्तारी के बाद #सिसोदिया से लेकर #संजयसिंह, #कुमारविश्वास, #अलकालांबा, #कपिलशर्मा और #आशुतोष ने कैसे राजनीतिक बयानबाजी की, लेकिन उनके सारे झूठे बयान तब उड़नछू हो गये जब कोर्ट ने जीतेंद्र सिंह तोमर को उनकी असली जगह पहुंचा दी।

काश! #केजरीवाल एंड पार्टी को पहले ही नैतिकता की याद आ जाती तो उनकी और दिल्ली की जनता की ऐसी फजीहत नहीं होती। खैर, केजरीवाल की कुत्सित मानसिकता और राजनीति दोनों से पर्दा उठ चुका है और समझ गई है कि केजरीवाल किस खेत के मूली हैं?

#Kezriwal #AAP #JitendraTomer #DelhiLawMinister #Morality #Resign

मंगलवार, 9 जून 2015

Mr.Ashutosh, Really I just see you amazed!

How change this man? Once he was grilling other party in ground of moral responsibility for resign and today he was defending fraud of his party member?

Is politics really change person's morality? If yes, then journalist shouldn't be join politics.

See how politics changed Ashutosh Ashu, who once has dignity being a journalist and now he has ruined everything whatever respect they earned in his whole career of journalism.

After IBN7 if Ashutosh Ashu not join such worse #APP party or do not enter in politics yet they got much respect & earn money but today #Ashutosh lost everything?

भ्रष्ट नेताओं के साथ खड़ी है केजरीवाल सरकार!

केजरीवाल एंड पार्टी का कहना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ पार्टी का काम चालू रहेगा? बस इतना स्पष्ट कर दें कि भ्रष्टाचार के खिलाफ या भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए काम चालू रहेगा?

क्योंकि भगौड़े घोषित विधायक #जनरैलसिंह, शराब की 5,000 से अधिक पेटियों के साथ पकड़े गये विधायक #बालियान, सीसीटीवी कैमरा और स्ट्रीट लाइट घोटाले से घिरी #राखीबिड़लान, फर्जी डिग्री धारी विधायक #कमांडो, महिला चरित्र हनन आरोपी #कुमारविश्वास और एक #राजस्थानीकिसान को सरेआम फांसी चढ़ा देने में मुख्यमंत्री केजरीवाल, उप-मुख्यमंत्री #सिसोदिया समेत पूरी आम आदमी पार्टी आरोपी है।

किसको मूर्ख बना रही है केजरीवाल एंड पार्टी? हर बार प्रत़्येक मुद्दे को मोदी, केंद्र और बीजेपी से जोड़ देने और खुद को पीड़ित दिखाने से केजरीवाल के पाप और अक्षमता नहीं छिपाई जा सकती है।

भाई, तुम्हारे तथाकथित कानून मंत्री (जिसकी डिग्री नकली हो) जीतेंद्र सिंह तोमर दूध के धुले हैं तो हर बार आंतरिक जांच की दुहाई देने वाले केजरीवाल क्या पिछले 4 महीने से झक मार रहे थे?

क्यों नहीं कराई #जीतेंद्रसिंहतोमर की डिग्री की अब तक जांच? इतने ही पाक-साफ हैं जीतेंद्र सिंह तोमर तो क्यों नहीं जांच होने तक मंत्री पद से हटा दिया?

#केजरीवाल साहब, आपके 4 महीने के ड्रामे से दिल्ली पूरी तरह से थक गई है और अपनी बेचारगी वाली शक्ल से तौबा करिये वरना न हाथ रहेगी दिल्ली और न मूरख बनी रहेगी दिल्ली?

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #FakeDegree #JitendraTomer

सोमवार, 8 जून 2015

आशुतोष को किसने एडीटर इन चीफ बना दिया था?

पूर्व पत्रकार और तथाकथित आम आदमी पार्टी नेता आशुतोष को टीवी चर्चा के दौरान या तो बेहूदगीपूर्ण हंसते हुए देखा जा सकता है या बुग्गा फाड़कर रोते हुए देखा जा सकता है।

आज तो हद हो गई जब बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक टीवी चर्चा में आशुतोष की बुद्धिमत्ता पर सवाल उठा दिए, क्योंकि आशुतोष चर्चा में पूछे गये सवालों के जबाव में मूर्खों की तरह हंसे जा रहे थे।

संबित पात्रा सवालों के जबाव देने के बजाय आशुतोष की हंसी-ठिठोली से परेशान हो गये तो बोले, "आश्चर्य होता है कि आशुतोष को एडीटर इन चीफ किसने बना दिया था?"

आशुतोष को संबित पात्रा की बात ऐसी चुभ गई कि वो आपा खो बैठे और खीझकर सरेआम धमकी से देने लगे?

एक कहावत है, "थोथा चना बाजे घना" आज आशुतोष की हरकतें और खीझ देख भरोसा हो गया कि संबित पात्रा ठीक ही कह रहे थे कि सचमुच किसने आशुतोष को एडीटर इन चीफ बना दिया था?
#Ashutosh #AAP #Kezriwal #LG #Media

शनिवार, 6 जून 2015

फिर पत्रकारिता से चाटुकारिता करने लगती है NDTV इंडिया!

केजरीवाल सरकस के मंचन को ऊर्जा देने के लिए आम आदमी पार्टी के प्रयास का सबसे बेहतर साथ एनडीटीवी इंडिया देती है।

ऐसा लगता है कि एनडीटीवी इंडिया केजरीवाल सरकस का ऑफिशियल चैनल बन गया है, जहां केजरीवाल से उनके अनुकूल सवाल पूछे जाते है और केजरीवाल वहां बैठकर सीना फुलाकर पानी पी-पीकर, भारतीय संविधान, उप-राज्यपाल नजीब जंग और बीजेपी के खिलाफ उछल-कूद करते हैं।

मतलब, केजरीवाल को जब भी तमाशा दिखाने के लिए उछल-कूद करनी होती हैं वे एनडीटीवी इंडिया पहुंच जाते है, जहां उनका स्वागत घर जमाई जैसा किया जाता है।

#Kezriwal #AAP #NdtvIndia #DelhiCM #LG

शुक्रवार, 5 जून 2015

हाशमी की हमारी अधूरी कहानी भी फ्लॉफ होगी?

शिव ओम गुप्ता
बॉलीवुड सीरियल किसर एक्टर इमरान हाशमी की वर्ष 2015 में रिलीज हुई अब तक की कुल 3 फिल्में फ्लॉफ रहीं, इनमें राजा नटवर लाल, उंगुली, मि. एक्स शामिल है!

हाशमी की नई रिलीज को तैयार फिल्म हमारी अधूरी कहानी के भी फ्लॉफ होने की पूरी संभावना है, क्योंकि हमारी अधूरी कहानी की म्युजिक में भी कोई दम नहीं है।

हाशमी की फिल्मों के हिट होने के पीछे उनकी किसिंग अवतार से अधिक उनकी  फिल्मों की गीत-संगीत की हमेशा बेहतरीन भूमिका रही है, जो रिलीज होते ही जुबां पर चढ़ जाते थे, लेकिन उनकी पिछली रिलीज सभी फिल्मों से वो जादुई म्युजिक गायब रही है।

हाशमी को अपनी फिल्मों के प्लस प्वाइंट पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि हमारी अधूरी कहानी में भी कोई भी गाना कर्णप्रिय नहीं है?
#EmranHashmi #HamariAdhuriKahani #Music #SerialKisser 

गुरुवार, 4 जून 2015

पूर्ण राज्य के मुद्दे पर फिर इस्तीफा दे सकते है केजरीवाल?

शिव ओम गुप्ता
रोज रोज यह सोचता हूं आज केजरीवाल के बारे में नहीं लिखूंगा, लेकिन ये केजरीवाल एंड पार्टी इतनी पाजी है कि हाथ की उंगलियां खुद ब खुद चलने लगती हैं।

अफसोस यह है कि अब तक आम आदमी पार्टी की नादानी पर लिखता था कि कच्चे नींबू हैं पर मजबूरन अब उनकी बेवकूफियों पर लिखना पड़ता है।

एक से बढकर एक हरकतें इनकी ऐसी हैं कि हंसी फुदकने लगते हैं और केजरीवाल एंड पार्टी समझती है कि वे जो कर रहें वो किसी के समझ नहीं आ रही है और वे जो प्रेस कांफ्रेंस करके कह देंगे, लोग मान लेंगे और उनकी पिलाई घुट्टी पीकर सो जायेंगे।

ये एक और मुगालते में रहते हैं कि दिल्ली वाले सच्चाई जानन् के लिए केजरीवाल एंड पार्टी की प्रेस कांफ्रेस का इंतजार करते हैं, दिल्ली संतुष्ट हो जाती है। कितनी हास्यास्पद बात है।

तरस आता है इनकी सोच और हरकतों की। मतलब जिनमें गांव की पंचायत नहीं संभाल सकने की औकात और समझ नहीं है वे देश को लोकतंत्र का मतलब समझाने के लिए चुन ली गईं हैं।

मेरा दावा है कि केजरीवाल एंड पार्टी दिल्ली की सत्ता में जब तक रहेगी, वह पूर्ण राज्य मुद्दे की आड़ में कोई काम नहीं करने की बहाना करती रहेगी और दिल्ली की छाती पर मूंग दलती रहेगी? और छाती पर मूंग दलना भी चाहिए, क्योंकि छाती पर दिल्ली वालों ने तो खुद ही बिठाया है?

और इस बात की अधिक संभावना है केजरीवाल एक बार फिर दिल्ली की मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर हो जायेंगे, क्योंकि राजनीतिक अक्षमता और फैसले लेने की कमजोरी केजरीवाल को नैतिक अधिकार नहीं देगी कि वे बिना वादों को पूरा किये मुख्यमंत्री पद पर बने रहें ।

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #Statehood #ProtestPolitics 

दिल्ली का मशहूर केजरीवाल सरकस, एक बार फिर

शिव ओम गुप्ता
अब भाई साहब, दिल्ली को पूर्ण राज्य दिलाने के नाम पर रोजाना धरना और नौटंकी शुरू करेंगे। तो दिल्ली वालों केजरीवाल के 70 वादों को भूल जाइये और धरना प्रदर्शन का मजा लेने को तैयार हो जाइये?

वही माइक, वही टोपी, वही झांडू, वही झंडा और वही तमाशा 24x7 चालू होने वाला है। तो भाई, बंधु और लल्ला कमर कस लें, क्योंकि दिल्ली में एक बार आ रहा है केजरीवाल सरकस!

तो काम-धंधा छोड़कर आप सभी लोग तैयार रहें, क्योंकि सरकस की बुकिंग शुरू हो गई है, अपनी बुकिंग के लिए मिस्ड कॉल करें!

और अधिक जानकारी के लिए अपना हाथ पीछे ले जायें और अपना सिर खुजाने की कोशिश करें। हो सकता है याद आ जाये कि कहां गलती हो गई?

#Kezriwal #AAP #Drama #DelhiCM #Fullstate #ProtestAtRoad 

बुधवार, 3 जून 2015

केजरीवाल बोले, 'पार्टी यूं ही चलेगी?'

शिव ओम गुप्ता
केजरीवाल को केंद्र सरकार पर भरोसा नहीं है, उप-राज्यपाल पर भरोसा नहीं, भारतीय संविधान पर भरोसा नहीं, चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं, और मीडिया पर भी भरोसा नहीं है?

और कल को अगर दिल्ली की जनता पीछे पड़ गई तो कोई शक नहीं कि केजरीवाल दिल्ली की जनता पर भरोसा नहीं होने की बात कह सकते है ?

केजरीवाल, "देखोजी ये वो दिल्ली की जनता नहीं है जी, जिन्होंने हमें वोट किया था! अब मुझे इन पर भरोसा नहीं रहा? हमारी सरकार इमरजेंसी सत्र बुलायेगी और दूसरे प्रदेशों से दिल्ली में रह रहें लोगों दिल्ली से बाहर भेजने का प्रस्ताव लायेगी, हैं जी?

केजरीवाल किन शर्तों पर काम कर सकते हैं -

केजरीवाल को दिल्ली पुलिस भी चाहिए?
उप-राज्यपाल (LG) का पद भी चाहिए?
प्रधानमंत्री का पद भी चाहिए?
खुद का हाईकोर्ट चाहिए?
खुद का सप्रीम कोर्ट चाहिए?
मीडिया पर नियंत्रण का रिमोट भी चाहिए
हरियाणा से पानी भी फ्री चाहिए?
केंद्र से 10000 करोड़ भी चाहिए?
विदेशो से चंदा भी चाहिए?
और...केजरीवाल के खिलाफ बोलने वाले हर आदमी का इस्तीफा भी चाहिए?

फिलहाल इसके बाद ही आप केजरीवाल से दिल्ली के लिए कोई काम काज की उम्मीद कर सकते हैं! वरना...पार्टी यूं ही चलेगी? 

केजरीवाल की ईमानदार राजनीति के बाद अब ईमानदार पत्रकारिता?

इंडिया संवाद नामक तथाकथित ईमानदार पोर्टल चलाने का दावा करने वाले महानुभाव दीपक शर्मा की कहानियां पत्रकारिता से अधिक गाली देकर कुख्यात होने की मुहिम प्रतीत होती है।

पिछले 10 वर्षों की छोटी अवधि की पत्रकारिता में ऐसी ओछी और एकतरफा रिपोर्टिंग मैंने नहीं देखी। यह मेरा दुर्भाग्य हो सकता है, लेकिन तुर्रा यह कि यह सब ईमानदार पत्रकारिता का ठप्पा लगाकर किया जा रहा है।

भला हो केजरीवाल का? कि उन्होंने ईमानदारी की नई परिभाषा गढ़ दी है वरना ऐसी ईमानदार पत्रकारिता को शायद ही कोई मुंह लगाता?

राजनीति और केजरीवाल की ईमानदार राजनीति, पत्रकारिता और दीपक शर्मा की ईमानदार पत्रकारिता सुनकर कल्लू एंड संस की मिठाई की दुकान और असली वाली कल्लू एंड संस की मिठाई की दुकान की याद हो आती है। नक्कलों से सावधान?

लगे रहो भाई! दुकान कैसे भी चलनी चाहिए। फॉलोअर भी मिलेंगे और मिठाई बिकेगी? क्योंकि दुनिया में मूर्खों की तादात हमेशा ही ज्यादा रही है।

#IndiaSamvad #Honest #Journalism #DeepakSharma 

मंगलवार, 2 जून 2015

भ्रष्टाचार मुक्त हुआ बिहार? अब दिल्ली दूर नहीं!

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो खुद बिहार में व्याप्त महा भ्रष्टाचार से जूझ रहें हैं और जिन्होंने निजी खुन्नश में बिहार में राजनीतिक संकट खड़ा कर गया था, वे अब केजरीवाल के तारणहार बनकर उभरे हों, तो सुनकर हंसी ही आयेगी।

 ये तो वहीं बात हुई कि बीमार के इलाज के लिए घरवाले पड़ोस के एम्स को छोड़कर गांव के झोलाछाप डाक्टर के पास इलाज के लिए चला जाये!

सबको मालूम है नीतीश कुमार की सियासी सूझ-बूझ का मखौल पिछले 6 महीने में जमकर उड़ चुका है, अब अपना केजरू उन्हीं नीतीश कुमार की गोद में बैठकर सियासत करने निकला है, दिल्ली का तो अब भगवान ही मालिक है।

सुना है केजरू ने दिल्ली एसीबी के लिए 6 अफसर बिहार से लेकर आये है और सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट को दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ाते हुये एक बार फिर उप-राज्यपाल नजीब जंग को बाइ पास कर दिया।

क्या केजरीवाल दिल्ली की जनता को ऐसे ही झगड़ों में उलझाये रखना चाहते है या कुछ काम भी करेगा? एक बवाल खत्म नहीं दूसरा बवाल शुरू कर देता है, जिसका दिल्ली की जनता से कोई भी वास्ता नहीं?

दिल्ली पानी और बिजली की समस्या से जूझ रही है और पूरी दिल्ली में जगह-जगह धरना-प्रदर्शन कर रही है, लेकिम केजरीवाल अहंकार की लड़ाई में ऐसे अंधे हो गये हैं कि उन्हें उस जनता की आवाज नहीं सुनाई पड़ रही है, जिन्होंने उन्हें 67 सीट जितवा कर दिल्ली में खड़े होने के लिए 5 वर्ष को वैशाखी सौंपी है।

लगता है केजरीवाल नीतीश कुमार को अपना राजनीतिक गुरू बना चुका है और उनके पदचिह्नों पर चलने लगा है। साफ है नीतीश कुमार ने बिहार के जनादेश को भुलाकर महज केंद्र से अह्म के टकराव के लिए मुख्यमंत्री पद छोड़कर बिहार को मांझी को जरिये कठपुतली सरकार चलानी चाही, वो अलग बात है कि नीतीश का दांव उल्टा पड़ गया!

और गुरू के चेले केजरीवाल भी अब दिल्ली के विशाल जनादेश को भुलाकर महज अपने अहंकार की पूर्ति के लिए केंद्र सरकार से टकराव के लिए नये-नये तिकड़म के साथ उलझ रहें हैं।

नीतीश और केजरीवाल में एक और बात कॉमन है। नीतीश भी प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं और केजरीवाल भी ऐसी उधेड़बुन में हैं। प्रधानमंत्री पद के लालच में नीतीश ने जहां एनडीए के 18 वर्ष पुराने गठबंधन को लात मार दिया था? वहीं, केजरीवाल भी प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री की कुर्सी को लात मार कर चुके है।

वो बात अलग है नीतीश और केजरीवाल दोनों को बाद में धूल फांकनी पड़ी और दोनों बुद्धु लौट कर अपने घर को आ गये, लेकिन लगता है दोनों को अक्ल अभी तक नहीं आई।

अब जब दो कम अक्ल व्यक्ति गुरू-चेले बन गये हैं तो क्या करिश्मा होगा, वह तो दिल्ली की जनता दुर्भाग्य ही होगा!

#Kezriwal #AAP #NitishKumar #BiharCM #DelhiCM #LG #NajeebJung 

सोमवार, 1 जून 2015

पिटते-पिटते बचे #आजतक के एंकर अशोक सिंघल!

आज तक चैनल पर प्रसारित हो रहे एक लाइव कार्यक्रम 'स्मृति की परीक्षा' में प्रोग्राम के एंकर अशोक सिंघल को दर्शकों ने उस वक्त घेर लिया जब उन्होंने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री से एक वाहियात सवाल पूछ लिया और फिर तो सिंघल साहब की जान पर बन आई और शो को बंद करना पड़ा!

सिंघल का सवाल नि:संदेह वाहियात था। उन्होंने स्मृति ईरानी से पूछा, " मोदी जी ने एक ऐसी कम पढ़ी-लिखी और कम उम्र महिला में क्या देखा कि उसे केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री बना दिया?"

प्रोग्राम के शोर में जब मंत्री ने दर्शकों के सामने सिंघल के प्रश्नों को दोहराया तो बवाल मच गया और दर्शक जोर-जोर से हल्ला मचाते हुए एंकर अशोक सिंघल की कुर्सी तक पहुंच गये और सिंघल से माफी मांगने की अपील करने लगे।

दर्शकों के हाथों सिंघल शायद पिट भी जाते, लेकिन खुद #स्मृतिईरानी ने अपनी कुर्सी से उठकर सिंघल का बचाव किया और दर्शकों को समझा-बुझाकर वापस भेजा।

थोड़ी देर बाद जब प्रोग्राम फिर ऑन एअर हुआ तो ईरानी ने एंकर अशोक सिंघल से पूछा कि किया वे ऐसे सवाल किसी पुरुष से पूछते क्या?

सिंघल साहब पसीना-पसीना थे। सफाई देते सिंघल साहब खैर मना रहे थे कि आज वे लाइव प्रोग्राम में पिटते-पिटते बच गये।

टीवी पर बैठे पत्रकारों को पता नहीं क्यों गुमान हो गया है कि वे किसी से, कैसी भी भाषा में सवाल पूछ सकते हैं? यह निहायत ही टीवी पत्रकारिता का पतन है।

महिला सुरक्षा और मर्यादा की दिनभर दुहाई देने वाले चैनल के पत्रकार भूल जाते हैं कि पत्रकारिता ही नहीं, भाषा की भी मर्यादा होती हैं, जिसे दरकिनार करके पत्रकारिता नहीं की जी सकती है।

आजतक के उपरोक्त प्रोग्राम में एक और तथाकथित दबंग पत्रकार अंजना ओम कश्यप भी एंकरिंग कर रहीं थी, जो भीड़ को मंच पर आता देख प्रोग्राम छोड़कर भाग खड़ी हुईं।

आपको याद हो शायद? ये नही अंजना ओम कश्यप हैं, जो ऐसे ही टीवी पर एक चर्चा के दौरान एक नेता को उसकी औकात बताने लगी थीं, जिसकी खूब भर्त्सना भी हुई, लेकिन आज अशोक सिंघल उनसे भी दो कदम आगे चले गये।
#AAJTAK #SmritiIrani #Media #Live #WomenDiscrimination 

खबरों को केक बना कर परोसते है हिंदी न्यूज चैनल्स

हिंदी के कुछ चुनिंदा टीवी न्यूज चैनलों पर न्यूज देखना और खुद को मूर्ख बना लेने जैसा साबित होता है।

अभी सुबह इन्हीं हिंदी न्यूज चैनल पर देखा कि एंकर पढ़ रहे थे कि पाकिस्तान के जेलों में कथित यातना झेलने से मौत के गाल में समाये शहीद सौरभ कालिया का मामला केंद्र सरकार अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट नहीं ले जायेगी?

एंकर बस यही इतना कह कर ही चुप हो गये? अबे अब ये कौन बतायेगा कि क्यों केंद्र सरकार अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट नहीं जा रही है?

क्यों एंकर नहीं बता रहें हैं इसकी वजह साफ है कि अभी सब बता दिया तो प्राइम टाइम पर विंडो बहस किस पर करेंगे? भले ही दर्शक कनफ्यूज होती रहे और उनकी सेंटीमेंट भड़के? ताकि मामला गर्म हो केंद्र सरकार के खिलाफ माहौल बने!

बात सीधी सी है शिमला समझौते के मद्देनजर भारत-पाकिस्तान आपसी मसले अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट नहीं ले जा सकते। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर केंद्र सरकार से उसका रुख मांगा था, क्योंकि मसले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है।

शनिवार, 30 मई 2015

क्योंकि कांग्रेस की कब्र खोद रहें हैं राहुल गांधी!

शिव ओम गुप्ता
तमाम टीवी और प्रिंट मीडिया के सर्वे के आंकड़ों की मानें तो जनता ने मोदी सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल पर संतुष्टि की मुहर ही नहीं लगाई अलबत्ता डिस्टिंक्शन नंबर से पास भी किया है!

लेकिन हार की हताशा के अंधे कुयें में डूब चुके राहुल गांधी एंड पार्टी को भूमि अधिग्रहण विधेयक में ही सत्ता की चाभी दिखाई दे रही है और राज्यसभा में विधेयक पर ऐसे कुंडली मारकर बैठने को मजबूर हैं, जैसे बच्चे गंदगी के बावजूद बरसाती कीचड़ में कूदने से बाज नहीं आते?

कांग्रेसी नेताओं और राहुल गांधी को अच्छी तरह से मालूम है कि पूर्ण बहुमत वाली मोदी सरकार बिना किसी रोक-टोक के पूरे पांच वर्ष सत्ता में रहेगी और कहीं न कहीं देश की जनता भी समझ चुकी है कि राहुल गांधी भूमि अधिग्रहण विधेयक के बहाने अपनी जमीन तलाशने की अंतिम कोशिश कर रहें हैं, लेकिन राहुल गांधी भूल गये हैं कि जनता को जीजा रॉबर्ट वाड्रा के कारनामों की भी पूरी जानकारी है।

पूर्वी उत्तर प्रदेश में एक कहावत है, 'न खेलेंगे और न खेलने देंगे' यानी कांग्रेस ने भले ही किसानों-मजदूरों के लिए कुछ नहीं किया, लेकिन वे मोदी को भी नहीं करने देंगे। राहुल गांधी को समझ लेना चाहिए कि 4 साल बाद वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में जनता यह नहीं भूलेगी कि कांग्रेसी हताशा ने उनका और देश का कितना नुकसान किया।

 कांग्रेस और राहुल गांधी को याद रखना चाहिए कि जनता सब याद रखती है और कांग्रेस को अब यह भी याद रखना चाहिए कि देश के 45 फीसदी युवा वोटर्स अब गांधी परिवार के सम्मोहन में नहीं है, वे अब विकास को वोट देना अधिक पसंद करते हैं।

और अगर कांग्रेस को लगता है कि मोदी सरकार अच्छा काम कर रही है, और उसे गुजरात की तरह अगले 10-15 वर्ष मौका ही नहीं मिलेगा? तो ध्यान रखिये मोदी सरकार के अच्छे नीतियों और कानूून का समर्थन करके ही कांग्रेस जनता के दिल में दोबारा जगह बना सकती है और फिर एंटी इनकंबेसी का इंतजार करना चाहिए।

जी हां, राहुल गांधी को तब तक इंतजार करना चाहिए जब तक मोदी सरकार किसी घोटाले अथवा किसी बड़ी दुर्घटना की शिकार नहीं हो जाती? और तब तक उन्हें अपनी ऊर्जा बर्बाद करनी चाहिए,  फिर शायद देश की जनता भी उनकी बातों पर नाक-कान
देगी, लेकिन अभी जो राहुल गांधी कर रहें हैं इससे वे खुद मोदी की छवि चमका रहें हैं, क्योंकि देश पिछले 10 वर्षों के मनमोहन सरकार और घोटालों से बुरी तरह त्रस्त रही है।

मोदी सरकार के साथ अभी यह बहुत बड़ा एडवांटेज है कि 1 वर्ष के उनके कार्यकाल में कोई भी स्कैम और अनियमितता सामने नहीं आई है, जिसे जनता में उनकी स्वीकार्यता में कोई बदलाव नहीं आया है। रही बात मंहगाई की तो खुदरा और थोक मूल्य सूचकांकों की महंगाई दर में गिरावट आने वाले समय में महंगाई की आंच को कम कर ही देगी और ताजा जारी हुए 7.3 फीसदी की विकास दर ने उम्मीदों को पंख भी दे दिये हैं।

तो राहुल गांधी को चाहिए कि देश के विकास में आड़े आने वाले की छवि से बाहर आये और अपना अड़ियल रवैया छोड़ते हुए भूमि अधिग्रहण समेत उन सभी विधेयकों का समर्थन दें, जिनमें एक महत्वपूर्ण विधेयक जीएसटी बिल भी शामिल है, जिससे देश के भ्रष्टाचार उन्मूलन में काफी योगदान मिलने वाला है। वरना कब्र खोदू अभियान से कांग्रेस के हाथ सिर्फ ताबूत लगने वाला है और कुछ शेष नहीं?

#Congress #RahulGandhi #LandAcquisitionBill #Defeat #Frustration 

बॉस! ये केजरीवाल तो बड़ा सूरमा निकला बाप?

सुना है मियां केजरीवाल ने दिल्ली में रहने वाले सभी लोगों की जासूसी करने और उनके फोन टेप कराने के लिए गुपचुप तरीके से 3 करोड़ रुपये में कोई बड़का मशीन खरीदने का आर्डर दिया है, जिसके जरिये देश के राष्ट्रपति से लेकर नुक्कड़ पर समोसा बेच रहे कलुआ पर भी नजर रखी जा सकेगी।

वाह, क्या क्रांतिकारी कदम है भाई! इसकी तो जितनी भी तारीफ हो सके उतना तारीफ करना चाहिए। भाई तूने तो दिल जीत लिया है।

 केजरूवा ने 100 दिन में इतना बड़ा काम कर दिया है और तुम लोग नाहक बिजली, पानी और वाई-फाई में अटका के रखा था बेचारे को?

बिजली, पानी कौनो मुद्दा है ससुरी? आजादी के बाद से हर कोई लल्लू-पंजू टाइप के नेता बिजली-पानी का जुगाली कर रहा है? कुच्छौ मिला अभी तक किसी को?

बुरबक, तुम लोग नहीं समझ रहे हो? केजरूवा नई तरह की राजनीति कर रहा है। इ जो जासूसी वाला हाईफाई मशीन खरीद रहा है न, अब उ के जरिये केजरूवा दिल्ली के हर घर की बिजली-पानी का आसानी से हिसाब रख सकेगा कि कौन कितना पानी से नहा रहा है और कौन कितना बिजली खपा रहा है।

तभे न बिजली और पानी विभाग में बैठे चोर-डाकू टाइप के अधिकारियों को सस्पेंड और ट्रांसफर कर सकेगा? वरना लोग बुझेगा कि केजरूवा मुख्यमंत्री बन गया और कुछ क्रांतिकारी हुआ ही नहीं?

तो चिंता मत कीजिए अपना केजरूवा बहुतै काबिल है, देखना उ दिन दूर नहीं जब राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री निवास को बिजली-पानी के लिए केजरूवा के सामने गिड़गिड़ाना पड़ेगा?

बूझे की नाहीं? बहुतै मजा आने वाला है। बस इंतजार करो उ बड़का जासूसी मशीन का?

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #Spy #

शुक्रवार, 29 मई 2015

अब तो केजरीवाल को देखते ही हंसी छूट जायेगी!

शिव ओम गुप्ता
पिछले 10 दिनों से दिमाग का दही कर चुके केजरीवाल को आखिरकार अपनी औकात पता चल गई होगी? वरना केजरीवाल के बोल बच्चन और मीडिया कैमरे पर जारी उनके तमाशे ने गजब की छीछालेदर कर रखी थी।

बंदे में गजब का आत्मविश्वास है भाई! खड़े-खड़े ऐसे झूठ और आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति करता है कि अच्छे से अच्छे झूठे बेचारे लगने लगते हैं।

दिल्ली के सेंट्रल पार्क में आयोजित खुला कैबिनेट हो या दिल्ली विधानसभा की इमरजेंसी मीटिंग? बंदे ने ऐसे ऊंचे सुर में झूठ का राग अलापा था कि लगा केंद्र सरकार ने सचमुच लोकतंत्र की हत्या कर दी है।

लेकिन हमेशा की तरह एक बार फिर केजरीवाल झूठा और मदारीवाला साबित हुआ, जिसने हाय-हाय करके भीड़ तो बटोर लिया, लेकिन भीड़ को दिखाने को उसके पास कुछ नहीं!

हमें पूरा भरोसा है केजरीवाल अभी भी शांत नहीं बैठेगा, क्योंकि काम करना ही नहीं है उसे? अब फिर कोई झूठ और आरोप-प्रत्यारोप की स्क्रिप्ट लिखवा रहा होगा?

डर इस बात है कि कहीं केजरीवाल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को भी 'आपस में मिले हुए हैं जी' वाला तमगा न दे मारे?

क्योंकि अदालतों के आज के फैसलों के बाद केजरीवाल केंद्रीय सरकार और उप-राज्यपाल के खिलाफ कुछ नहीं बोल सकता है।

केजरीवाल को अब बिना किसी अतिरिक्त नौटंकी के चुपचाप दिल्ली के लिए ईमानदारी से काम करना चाहिए वरना दिल्ली की जनता अब और नहीं सहने वाली?

मुझे आशंका है कि केजरीवाल चुपचाप बैठेगा? पूरी संभावना है कि केजरीवाल आज और कल दिल्ली के पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का मुद्दा उछालेगा और धरना-प्रदर्शन करने सड़कों पर उछल-कूद करेगा।

तो दिल्लीवालों तैयार रहिये। स्टेज सज चुका है और आपके नायक झांडू हाथ में लिए कभी भी मंच संभाल सकते हैं ।

हांलाकि मैं चाहता हूं कि ईश्वर केजरीवाल को थोड़ी बुद्धि दें और दिल्ली की जनता को उनकी कर्माें की सजा देने में इतनी भी जल्दबाजी न करें।

#Kezriwal #AAP #SupremeCourt #DelhiHighcourt #DelhiCM #LG #NajeebJung 

ताकि फिर कोई केजरीवाल जैसा ठग न मिले!

शिव ओम गुप्ता
अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी दोनों की समस्या यह है दोनों सत्ता का जहर निगल लेना चाहते है, लेकिन अफसोस यह है कि दोनों की बैटरी मीडिया से ही चार्ज होती हैं और कैमरे के बिना दोनों भाव और विचार दोनों से शून्य है।

शायद यही कारण है कि दोनों को अपना राजनीतिक वजूद ढूंढने के लिए मीडिया के कैमरे के सामने मजबूरन आना पड़ता है, लेकिन मीडिया से दूर होते ही इनका राजनीतिक वजूद फिर गायब होने लगता है और फिर वजूद की तलाश में दोनों नये हथकंडों का इस्तेमाल कर मीडिया कैमरे पर प्रकट हो जाते है।

केजरीवाल मीडिया के कैमरों के सामने बनाई कृत्रिम छवि से हीरो बन गये और दिल्ली के मुख्यमंत्री तक बन गये वरना केजरीवाल का वास्तविक चरित्र और चेहरा पिछले 100 दिनों में सभी देख और सुन चुके है और समझ भी गये हैं कि असली केजरीवाल कैमरे के आगे नहीं, पीछे बैठता है।

ठीक यही बात राहुल गांधी के साथ है। राहुल की राजनीतिक वजूद से सभी वाकिफ है, लेकिन कैमरे पर उनकी छवि तराशने के लिए राहुल को मीडिया में मुंह दिखाई के लिए बैंकाक की छुट्टी छोड़ गरीब के घर जाना पड़ता है।

समझ नहीं आता कि हमारे ऊपर ये कैसे आभासी और कैमरे वाले नेता थोपे जा रहें हैं, जिनका वजूद और चरित्र कैमरे पर कुछ और हकीकत में कुछ और ही है।

 मीडिया को अब अपनी भूमिका समझनी होगी, क्योंकि वास्तविक तस्वीर दिखाने का दावा करने वाली मीडिया अब खुद आभासी होती जा रही है।

मीडिया को स्व-नियमन करना होगा और नेताओं की 'कैमरे के आगे और कैमरे के पीछे' दोनों तस्वीरों को जनता को दिखाना होगा ताकि फिर कोई केजरीवाल जैसा बहरुपिया मीडिया की तस्वीर से अपनी तकदीर न बना सके।

#Kezriwal #AAP #DelhiCM #Media #LG